मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

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मंगलवार, 15 मई 2018

अहीँक मर्जी !


अहीँक मर्जी !



हमर जीवन,

हमर सभ कामना,

हमर इक्षा ,हमर सभ भावना,

हे शृष्टिकर्त्ता अहीँक मर्जीपर ,

बनल अछि,चलि रहल अछि ।

हम हारि भागक चोटसँ,छटपटाएल,

भाविक पसरल जालसँ लटपटाएल,

किंकर्तव्य भए,अज्ञात दुर्गम मार्गपर,

चलतहि रहल छी,

सभकिछु अहीँक माया,

अहीँक विस्तार अछि,

से सोचि ,हे प्रभु!

कष्ट हँसि- हँसि सहि रहल छी ।

(सन्१९८१)

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