मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

रविवार, 22 जनवरी 2017

वरिष्‍ठ नागरिक  


वरिष्ठ नागरिक

सन् २००७ मे भारतवर्षमे माता-पिता एवम् वरिष्ठ नागरिकक भरण-पोषण एवम् कल्याण कानून लागू भेल। एहि कानूनमे मूलत: निम्नलिखित चारिटा बिन्दुपर ध्यान राखल गेल अछि-  

१. माता-पिता एवम् वरिष्ठ नागरिकक आवश्यकताक अनुसार गुजाराक जोगार हेतु उपयुक्त व्यवस्था।  

२. वरिष्ठ नागरिक हेतु वेहतर चिकित्साक व्यवस्था।  

३. वृद्ध लोकनिक जीवन एवम् सम्पत्ति केर रक्षा हेतु संस्थागत व्यवस्था।  

४. प्रत्येक जिलामे वृद्धाश्रमक स्थापना।  

उपरोक्त कानूनक अनुसार सन्तानक माने वालिग पुत्र, पुत्री, पौत्र, पौत्री अछि। साठि साल वा ओहिसँ अधिकक कोनो व्यक्ति केँ विरिष्ठ नागरिक कहल जाएत। नि:सन्तान वरिष्ठ नागरिकक सम्पत्तिक वारिस वा ओकर सम्पत्तिपर कब्जा रखनिहार वालिग व्यक्ति ओकर सम्बन्धी मानल जेता। गुजारामे भोजन, वस्‍त्र, आवास एवम् चिकित्साक उचित व्यवस्था शामिल अछि।  
प्रश्न अछि जे उपरोक्त कानूनक आवश्यकता किए भेल? अपन माटि-पानिक संस्कारमे वृद्धकेँ सदैव आदरसँ देखल जाइत छल। परिवारकेँ हुनकर ज्ञान एवम् अनुभवक लाभ तऽ भेटिते छल, संगहि सेवा सामान्य रूपसँ होइत रहैत छल। कालक्रमे संयुक्त परिवार टुटैत गेल। लोक गाम-घर छोड़ि कए नौकरी-चाकरीक जोगारमे महानागर चल गेल। गाममे वृद्ध असगर भए गेलाह। शहरी वृद्धक हालत तऽ आरो खराप होइत जा रहल अछि, कारण ओहिठाम लोक अलग-थलग रहैत अछि। अड़ोस-पड़ोससँ कोनो मतलब नहि रहैत छइ।  
उपरोक्त परिस्थितिमे बुढ़ सभहक हालत खराप होइत गेल। जीवनक अन्‍तिम वर्ष संघर्षमय एवम् दुखद भेल जा रहल अछि। परिबारिक भावात्मक लगाव कम भेल जा रहल अछि। कतेको वृद्ध लोकनिकेँ आमदनीक श्रोत नहि छै आ परिवार उचित व्यवस्था नहि करैत अछि। जिनका अधिक धिया-पुता अछि ओ सभ एक-दोसरपर फेका-फेकी करैत रहै छथि। उपरोक्त परिस्थिति निपटक हेतु एवम् वृद्धजनक कल्याणक हेतु ई कानून बनल। एहिसँ पूर्व सी.आर.पी.सी.क अधीन राहत हेतु मोकदमा चलि सकैत छल, मुदा ओ बहुत जटिल प्रक्रिया अछि। निपटानमे बहुत समय लागि जाइत अछि। 
२०१७ इस्वीसँ लागू उपरोक्त कानून बहुत असरदार अछि। एहिमे तीनसँ चारि मासमे न्याय भए जाइत अछि। कोनो पक्ष ओकील नहि राखि सकैत अछि। हरेक जिलामे एहि हेतु न्यायाधिकरण अछि। न्यायाधिकरण मामलाक सार-संक्षेपमे सुनवाइ कए कए १० हजार रूपैआ मासिक धरिक राहत दिया सकैत अछि। एहि कानूनमे सभसँ विशेष बात ई अछि जे जँ माता-पिता किंवा वरिष्ठ नागरिकक सम्पत्ति हुनक सन्तान किंवा सम्बन्धी लइ छथि आ हुनकर पालन-पोषणमे कोताही करै छथिन तऽ सम्बन्धित माता-पिता वा वरिष्ठ नागरिक न्यायाधिकरणमे दर्खास्त दए सकै छथि आ न्यायाधिकरण के ओहन सम्पत्ति हस्‍तांतरणकेँ निरस्त कए ओहि पर माता-पिता वा वरिष्ठ नागरिकक मालिकाना हक आपस दिया सकै छथि। एहि न्यायाधिकरणक निर्णयक विरूद्ध कोनो सिविल कोर्टमे सुनवाइ नहि भए सकैत अछि। जरूरत पड़लापर जिलाधिकारीक समकक्ष अधिकारीक अध्यक्षतामे गठित अपीलीय न्यायाधिकरण ओहिठाम अपील कएल जा सकैत अछि। 
एहि कानूनकेँ लागू भेला पाँच बर्ख भए गेल तथापि गामसँ शहर धरि वृद्ध-वृद्धा लोकनिक समस्याक समाधान नहि भए सकल। तकर एकटा प्रमुख कारण ई थिक जे माता-पिता अपने सन्तानक विरूद्ध नहि बजै छथि। लोक लाजक कारणेँ परिबारिक विषयपर चर्चो नहि करए चाहै छथि। अपवादिक मामलामे आसपासक लोककेँ पता लगैत छइ। थाना, पुलिस, कोर्ट, कचहरी के करत? जीवनक संध्यामे एहि तरहक फसाद करब सम्भव नहि बुझाइत अछि। 
समस्या मात्र आर्थिक नहि अछि। वयोवृद्ध लोकनिकेँ शारिरिक अक्षमता एवम् निर्भरता बढ़ैत जाइत छै। जँ पैसा बैंकमे अछि तऽ आनत के? जँ क्यो आनियोँ देलक तऽ रोज-रोज वस्तु-जात केना आएत? आबियो जाएत तऽ ओकर मनोनुकूल उपयोग कए सकता ताहि बातकेँ के सुनिश्‍चित करत
जे बात हृदय एवम् श्रद्धासँ भए सकैत अछि ओकरा कानून द्वारा लागू केना कएल जाएत? जाहि वृद्ध सभकेँ सन्तान नहि अछि, हुनक समस्या आर जटिल रहैत अछि कारण निकट सम्बन्धी हुनकर सम्पत्तिपर धपाएल रहै छथि आ सम्पत्ति कब्जा कए निपत्ता..
भारतीय संविधानक चारिम भागक ४१म अनुच्छेदमे वृद्ध लोकनिक हित रक्षा करबाक परामर्श अछि। मुदा ई दिशा निर्देश हेबाक कारणेँ कानूनी अधिकार नहि दैत अछि। हिन्दू दत्तकक ग्रहणसँ भरण-पोषण अधिनियम, १९५६क अधीन पहिल बेर कानूनी तौरपर बेटा एवम् बेटीकेँ माता-पिताक पालन-पोषण करबाक जिम्मेदारी देल गेल। अपराधिक प्रक्रिया संहिताक धारा १२५ मे पहिल बेर सन् १९७३ मे व्यवस्था कएल गेल जे आर्थिक रूपसँ सक्षम सन्तानकेँ माता-पिताक भरण-पोषण करबाक कानूनी दायित्व अछि। मुदा एहि कानूनकेँ व्यवस्थाक अनुसार ज्यादासँ ज्यादा ५०० रूपैआ प्रतिमास माता-पिताकेँ भेटि सकैत छै। उपरोक्त रकम वर्तमान समयमे देखैत हास्यास्पद लगैत अछि। ई कानून सभ धर्मक लोकपर लागू होइत अछि।  
वृद्ध लोकनिक भरण-पोषण हेतु सभसँ धारदार कानून माता-पिता एवम् वरिष्ठ नागरिकक भरण-पोषण एवम् कल्याण अधिनियम २००७ अछि। वरिष्ठ नागरिकक जीवन संध्यामे आर्थिक कष्टक निवारण हेतु रिभर्स मोर्गेज स्कीम २००८ आनल गेल अछि। ओ अपन अर्जित मकानकेँ बैंकक पास बन्धक राखि कए ओहि एवजमे आजन्म मासिक आय प्राप्त कए सकै छथि, संगहि ओहि मकानमे रहिओ सकै छथि। हुनकर मृत्युक पश्चात हुनकर उत्तराधिकारी बैंकक ऋृण सूद सहित अदा कए मकान आपस अपना नामे करा सकै छथि अन्यथा बैंक ओहि मकानकेँ बेचि कर्जक रकम चुकता कए सकैत अछि।  
एहनो वृद्ध छथि जिनका सन्तान सम्पत्ति किछु नहि अछि। ओ की करता? कानूनसँ हुनका कोनो मदति सम्भव नहि? बहुत रास वृद्धक सन्तान परदेशमे नौकरी आकि व्यवसाय करै छथिन। एहन बुढ़ सभ मजबूरीमे शहर अपन सन्तान लग चलि जाइ छथि मुदा ओहिठाम हुनका मन नहि लगै छै। गाम-घर छुटबाक दरेग हरदम मनमे कचोटैत रहै छै। सारांश जे वृद्धजनक जीवन-यापन एवम् समुचित व्यवस्था एकटा गम्‍भीर समस्या भए गेल अछि चाहे ओ गाम हो, शहर हो, धनीक हो वा गरीब। सभ एहि समस्याक शिकार छथि। सभकेँ एक दिन एहि परिस्थितिसँ गुजरबाक अछि। जे आइ युवक अछि, काल्हि ओहो वृद्ध होएत। समाजिक परिस्थिति क्रमश: बिगड़िते जा रहल अछि। धिया-पुता जे देखत सैह ने आगू करत। ई बात सभ सोचैत अछि मुदा किछु मजबूरीमे आ किछु लापरवाहीमे घरक बुढ़केँ काहि काटक हेतु विवश छोड़ि दइ छथि। वृद्ध लोकनिसँ जुड़ल एक-सँ-एक घटना नित्यप्रति समाचार पत्र, रेडियो, दुरदर्शनपर अबैत रहैत अछि। एकटा एहने घटना किछु दिन पूर्व दिल्लीमे घटल। एक वृद्ध महिलाक पतिक मृत्यु भए गेल छलनि। दिल्लीमे हुनका आलीशान भवन छलनि। पुत्र अमेरिकामे काज करैत रहथिन। बहुत दिनपर पुत्र दिल्ली अएला आ माएकेँ अपना संगे चलबाक प्रस्ताव केलखिन। 
बेटाक बातसँ माए बहुत प्रसन्न भेली। दिल्लीक एकाकी जीवनसँ ओ तंग भए गेल छेली। बेटा कहलखिन जे जखन सभ गोटे अमेरिकामे रहब तऽ दिल्लीक घरक की होएत? से नहि तऽ एकरा बेचि लेनाइए ठीक रहत। माए सहर्ष ई प्रस्ताव मानि लेलथि। दिल्लीक मकान बेचि देल गेल। सभटा टाका बेटाक खातामे जमा भेल। तकर बाद सभ क्यो दिल्ली हवाई अड्डा पहुँचला। अमेरिकाक यात्राक क्रममे। माएकेँ बाहर बैसा देलखिन्, ई कहि कए जे टिकट कटा कए आबि रहल छथि। माए बाहर प्रतीक्षा करैत रहली आ ओ किएक आपस अएता। जखन बहुत समय गुजरि गेल तऽ पुलिस ओहि वृद्धा लग आएल आ ओकर बात बुझलक। तखन हठात्‍ पुलिस कहलकै जे अमेरिकाक जहाज उड़ला तऽ घण्‍टो भए गेलइ। बटा माएकेँ छोड़ि कए अमेरिका चल गेल। बुढ़िया असगर कनैत रहल...।  
ई बात ओकर मकान कीननिहारकेँ सेहो पता लगलैक। बुढ़ियाकेँ अपन घरमे एकटा छोटसन जगह देलकै। बेटा घुरि कए कहियो हाल-चाल लेबए नहि आएल। लोककेँ कतेक धोखा भए सकैए तकर ई उदाहरण अछि। 
दिल्ली विश्वविद्यालयक विधि विभागक प्रोफेसर ८७ वर्षीय लोतिका सरकारक खिस्सा जगजाहिर अछि। दिल्लीक K-१/१० हौजखास इनक्‍लेभमे हुनकर घर छल जकरा हुनकर परिबारिक मित्र हथिया लेने छलाह। घटनाक्रम तेहन भेल जे हुनका अपने घरसँ बाहर होमए पड़ल। तखन हुनकर इष्ट-मित्र सभकेँ एहि बातक जानकारी भेल। प्रो. लोतिका सरकारक तरफसँ समाजिक संगठन वरिष्ठ नागरिक न्यायाधिकरणमे केस केलक।  
तमाम पूछ-ताछक पश्चात उपरोक्त न्यायाधिकरण लोतिका सरकार द्वारा कथित उपहारमे देल गेल हुनकर घर हुनका आपस दिओलक। लोतिका सरकारक सम्पत्ति हरपनिहार एक उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी छलाह जे हुनकासँ दोस्‍तीक स्‍वांग करैत-करैत हुनकर कीमती घरकेँ कब्‍जिया लेला। जँ दिल्लीक संभ्रान्त समाजक मदति नहि करैत तऽ प्रो. लोतिका सरकारक तऽ लूटा गेल छल। सेहो एहन व्यक्ति द्वारा जे स्वयं अति शिक्षित उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी छलाह। रक्षको यत्र भक्षकः सिद्ध भए रहल छल। 
होमपेज इण्‍डिया द्वारा कएल गेल एकटा सर्वेक्षणक मुताबिक प्रत्येक तीनमे सँ एक वृद्धकेँ परिबारिक लोक द्वारा प्रतारणाक सामना करए पड़ैत छै। ५६ प्रतिशत एहन मामलाक हेतु पुत्र एवम् २५ प्रतिशत मामलामे पुत्रवधु जिम्मेदार होइ छथि। एहिमे सँ आधासँ अधिक वृद्ध एहन घटनाक बारेमे मूलत: परिबारिक प्रतिष्ठाकेँ ध्यानमे रखैत ककरो नहि कहैत छथि। एहन घटना मध्य प्रदेशमे सभसँ अधिक (४७.९२ प्रतिशत) आ राजस्थानमे सभसँ कम (१.६७ प्रतिशत) भेल। अधिकांश वृद्धक धारणा अछि जे वृद्ध लोकनिक दुर्दशा रोकबाक हेतु धिया-पुताकेँ सचेष्ट करब जरूरी अछि। वृद्ध एवम् बच्चाकेँ आपसी सिनेह एवम् सामंजस्य बढ़ाएब जरूरी अछि। अर्जित आत्म निर्भरता सेहो जरूरी अछि। वृद्धजनकेँ संयुक्त परिवारमे रहबाक व्यवस्थाकेँ उत्साहित करबाक हेतु राष्ट्रीय नीति बनक चाही एवम् ओहन लोक सभकेँ टैक्‍स एवम् सरकारी नौकरीमे विशेष सुविधा देबाक चाही। एक अन्य प्रतिवेदनक अनुसार सन् २००० सँ २०५० क बीचमे भारतक जनसंख्या ६० प्रतिशत बढ़ि जाएत। 
एहि अवधिक बीच वरिष्ठ नागरिकक संख्या ३६ प्रतिशत बढ़ि जाएत जे तत्काल आवादीक २० प्रतिशत होएत। ईहो कहल गेल अछि जे विश्वमे २०५० इस्वी धरि महिला वरिष्ठ नागरिकक संख्या पुरुखसँ अधिक भए जाएत। समाजमे महिलाक स्थिति ओहिना संघर्षपूर्ण रहैत अछि। ८० बर्खसँ ऊपर पुरुखक तुलनामे महिला अधिक दिन जीबै छथि। जाहिमे अधिकांश बिधवा भए गेल रहै छथि। सर्वेक अनुसार ८० बर्खसँ बेसी आयुवर्गमे ७० प्रतिशत बिधवा एवम् २९ प्रतिशत विधुर छथि।  
समाजक उपेक्षा एवम् लिंग आधारित भेदभावक कारण बिधवा वृद्धाक जीवन अपेक्षाकृत बेसी कष्टकर भए जाइत अछि। शिक्षा एवम् जगरुकताक अभावमे ओ सरकारी सहायताक लाभ नीकसँ नहि उठा पबै छथि। कएक बेर हुनकर सम्पत्तिकेँ हरपि लेल जाइत अछि एवम् नाना प्रकारक प्रतारणाक शिकार सेहो होमए पड़ैत अछि। 
निरंतर बढ़ैत वृद्धक जनसंख्या आ लड़खड़ाइत परिबारिक संरचना वरिष्ठ नागरिक सभहक समस्याकेँ जटिल केने जा रहल अछि। पूर्वमे किछु कानूनी व्यवस्थाक चर्चा भेल मुदा समस्या अछि जे अपने सन्तानक विरूद्ध न्यायक मांग कए आगू बढ़ैबला हजारमे क्यो एक व्यक्ति होइ छथि, शेष लोक यंत्रनापूर्ण जीवन बीतबैत स्वर्ग सीधारि जाइ छथि।  
आइसँ करीब २९ बर्ख पूर्व दिल्लीमे स्कूटरक पाछाँ एकटा बुढ़केँ उघारे देहे आ एकटा हाथ ऊपर उठेने जाइत देखने रहिऐक। पुछलियनि जे ई एना किए छथि? तऽ आसपासक लोक सभ कहलक जे किछु साल पर्व हुनका अपन बेटाक संगे किछु विवाद भए गेल रहनि आ ओ हुनकर अँगा फाड़ि देलखिन तहियासँ ओ अँगा पहिरब छोड़ि देलखिन आ विरोध-स्वरूप एकटा हाथ हमेशा आकाश दिशि केने रहै छथि। ..सोचल जा सकैए जे ओहि पिताकेँ कतेक आन्तरिक कष्ट भेलनि जे एहन रूप धऽ लेलथि ।  
समस्या तऽ ई अछि जे घर-परिवारसँ अनादृत, उपेक्षित होइतो वृद्ध लोकनि जाथि तऽ कतए जाथि? कोनो दोसर विकल्‍प नहि बुझाइत अछि? नौकर-चाकरपर निर्भरता कतेको बेर जानलेबा साबित होइत अछि। घरमे असगर रहनिहार बुढ़क समस्या तऽ आर जटिल भए गेल अछि।  
सरकारी एवम् गैर-सरकारी संस्था द्वारा वरिष्ठ नागरिकक हेतु आवास सहित आन व्यवस्था सभ सेहो कएल गेल अछि मुदा ओ अपर्याप्त अछि। दिल्ली, फरीदावाद, नोएडामे एहन कतेको आवास (ओल्‍ड एज होम) अछि। 
परन्तु एहि सभ ठाम रहनिहार वृद्ध लोकनिक हालत कोनो नीक नहि कहल जा सकैत अछि। कलकत्तामे डीगनीटी फाउण्‍डेसन, प्रोग्राम आदि नामसँ कतेको एहन संस्था सभ एहि क्षेत्रमे काज कए रहल अछि। मुदा वृद्ध लोकनिक संख्या देखैत एहन सुविधा नगण्य अछि। फेर अधिकांश बुढ़ तऽ ग्रामीण क्षेत्रमे रहि रहल छथि। जाहिठाम परिवारक अतिरिक्त कोनो प्रकारक सहायताक सम्भावना नहि अछि।  
सरकार वरिष्ठ नागरिक लोकनि लेल कएटा सुविधा सभ दैत अछि, जेना- रेल टिकटमे छूट, अस्पतालमे अलग काउन्टर, पोस्‍ट ऑफिस, बैंक आदि सन सार्वजनिक जगहपर अतिरिक्त सुविधा मुदा व्यवहारमे ई सुविधा सभ पर्याप्त नहि होइत अछि। अक्‍सर वृद्ध लोकनिकेँ झगड़ा करएपर मजबूर होमए पड़ै छनि। एहि मामलामे दिल्लीक मेट्रोमे निश्चय बेहतर व्यवस्था अछि। वरिष्ठ नागरिककेँ आसानीसँ आरक्षित जगहपर बैसए देल जाइत अछि।  
दिल्ली लोदी गार्डेनमे भोरू-पहरमे टहलैबला सभहक हुजुम रहैत अछि। ओहिमे कएटा संगठित समूह बनि गेल अछि जाहिमे अधिकांश वरिष्ठ नागरिक लोकनि छथि। ओ सभ भोरकेँ टहलै तऽ छथिहे संगे आपसमे भेँट-घाँट आ गप्प-सप्प सेहो करैत रहै छथि। श्री भुरेलाल (सेवा निवृत्त आइ.ए.एस.) क ठाकुरद्वारा ट्रस्‍ट सेहो ओहिठाम बहुत सक्रिय अछि। वृहस्पति दिनकेँ नि:शुल्‍क चाहक व्यवस्था ओतए रहैत अछि। टहलला पश्चात सभ ओतए एकट्ठा होइ छैत, चाह पीबै छथि आ आपसमे अपन-अपन नीक-अधलाहक चर्च-बर्च करैत, हाँ-हाँहीं-ही करैत सभ क्यो घर घुमै छथि।  
एहि सम्पर्कक प्रभावसँ कएटा वृद्धकेँ घोर विपत्तिसँ उबड़ैत पुनश्च नव उत्साहक संग जीबैत देखिलहुँ। ठाकुरद्वारा ट्रस्‍ट एकटा गैर-सरकारी संगठन अछि जे कतेको तरहक सेवा कार्य करैत अछि। कोसीक जखन बाढ़ि आएल छल तऽ अहू ट्रस्‍ट द्वारा ट्रक भरि सहायता-सामग्री लए कए लोक सभ ओतए जरूरतमन्द लोकनिकेँ बीच बितरित केलनि। लोदी गार्डेनमे सेहो समय-समयपर अनेको कार्यक्रम ई सभ आयोजित करैत रहै छथि।  
हौज खास, दिल्ली स्थित डियर पार्कमे सिनियर सिटिजन कॉसिल, दिल्लीक नामक एकटा संस्था अछि जे वरिष्ठ नागरिकक सुख-सुविधा आ मनोरंजनक लेल व्यवस्थामे लागल रहैत अछि। समय-समयपर ओ सभ विदेश भ्रमणपर सेहो जाइत रहै छथि। भोरमे ७ बजेसँ ८:३० बजे धरि नित्य योग व्‍यायाम सहित अन्यान्य सांस्‍कृतिक कार्यक्रमक आयोजन कएल जाइत अछि। पाँच सएसँ अधिक नागरिक एहि संस्थाक सक्रिय सदस्य छथि। किछु दिन पूर्व केन्‍द्र सरकार गरीबी रेखासँ निच्चाँबला वरिष्ठ नागरिकक हेतु मुफ्तमे छड़ी, चश्‍मा आ कानमे लगबैबला उपकरण देबाक घोषणा केलक अछि। जिलाक कलक्टरक अधीन गठित एकटा समिति एहन लाभार्थीक पहचान करत। उपरोक्त समिति कानमे लगबैबला मशीन, चश्‍मा आ नकली दाँत इत्‍यादि वरिष्ठ नागरिकक हेतु बनेबाक लेल मूलभूत मेडिकल परीक्षण सेहो कराएत । जनवरी २०१७ इस्वीसँ मार्च २०१७ इस्वीक बीच सभ जिलामे १००० वरिष्ठ नागरिककेँ ई सुविधा देल जाएत।  
एवम् प्रकारेण सरकार ओ समाज सेवी लोकनि वरिष्ठ नागरिकक कल्याण हेतु बहुविध प्रयास कए रहल छथि। मुदा ई समस्त प्रयास मिलियो कए परिवारक स्थान नहि लए सकैत अछि। अस्तु जरूरी अछि जे आधुनिकता एवम् वैश्‍वीकरणक प्रवाहमे हमरा लोकनि अपन संस्कारकेँ नहि बिसरी। माता-पिता, एवम् अन्य वरिष्ठ नागरिकक प्रति अपन दायित्व निर्वाह आनन्दपूर्वक करी जाहिसँ ओ गर्वसँ जीबथि आ शान्‍तिसँ अपन जीवनक यात्रा पूर्ण करथि।  
समाजमे एहन लोककेँ उत्साहित करक चाही जाहिसँ अधिकांश लोक अपन माता-पिताक सेवा कानूनक भयसँ नहि अपितु कर्तव्यक भावनासँ करथि। एहि उद्देश्यसँ पटना स्थित आचार्य किशोर कुणालजी द्वारा स्थापित महावीर मन्‍दिर ट्रस्‍ट द्वारा श्रवण कुमार पुरस्कार पुत्र द्वारा माता-पिता आ पुतोहु द्वारा ससुरक सेवा केनिहारकेँ देल जाइत अछि। समाजमे विरिष्ठ नागरिकक जीवन सुगम करबामे एहि तरहक प्रयास निश्चय प्रेरणादायी भए सकैत अछि।  
अस्तु समाजमे वृद्ध लोकनिक आदर, सम्‍मान ओ सेवा बढ़य से संस्कार बच्‍चेसँ धिया-पुताकेँ देल जाए, एहिमे सभहक कल्याण अछि।  

अभिवादनशीलस्य नित्‍यं वृद्धोपसेविन:

चत्वारि तस्य वर्धन्‍ते आयुर्विधा यशोवलम्।



1 टिप्पणी: