मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

बुधवार, 3 अप्रैल 2024

हमर परिवेश

 

हमर परिवेश

 

जन्मभूमि

हमरसभक पूर्वज स्वर्गीय नेहाली मिश्र अपन सासुर अड़ेर डीहमे बसाओल गेल रहथि । सुनैत छी जे ओ भलमानुस छलाह । ओहि समयमे बेटीकेँ नीक कुलशीलक ब्राह्मणसँ बिआहक बाद नैहरेमे बसा लेब प्रतिष्ठाक बात मानल जाइत छल । हुनकर एकमात्र पुत्र स्वर्गीय भूमिदत्त मिश्रकेँ तीनटा पुत्र(स्वर्गीय गुमानी मिश्र,स्वर्गीय तुफानी मिश्र आ स्वर्गीय माना मिश्र) भेलनि । हमर बाबा स्वर्गीय श्रीशरण मिश्र स्वर्गीय गुमानी मिश्रक पुत्र रहथि। ओ छओ भाइ आ दू बहिन रहथि । एक भाइकेँ मात्र एकटा बेटी रहनि आ एक भाइकेँ कोनो संतान नहि भेलनि । तत्कालीन व्यवस्थाक अनुसार दुनू मसोमातकेँ मात्र खोरिस देल गेल रहनि आ परिवारक संपत्तिमे मात्र चारि भाइ(स्वर्गीय रामशरण मिश्र, स्वर्गीय श्रीशरण मिश्र ,स्वर्गीय श्यामशरण मिश्र आ स्वर्गीय जनार्दन मिश्र)केँ हिस्सा भेटलनि । बाबाक एकटा बहिन(स्वर्गीया दुर्गा दाइ) नैहरेमे बसाओल गेल रहथि । दोसर बहिनक बिआह नेपालमे जनकपुर लग बभनगामा गाममे भेल रहनि । हमर पिता स्वर्गीय सूर्य नारायण मिश्र अपन माता-पिताक असगरे संतान रहथि। एहि तरहेँ अड़ेर डीह गाममे हम अपन वंशक छठम पुस्त छी ।

केओ अपन जन्म आ मृत्यु नहि चुनि सकैत अछि । ई सभ पूर्वनिर्धारित होइत अछि । के कतए ,कखन आ कोन परिवेशमे जन्म लेत ताहिमे ओकर कोनो योगदान नहि रहैत छैक । ओ अपन प्रारब्धक अनुसार एहि दुनिआमे अबैत अछि आ चलि जाइत अछि। प्रकृतिक एही नियमानुसार हम चौठचंद्रक दिन सन् १३६० सालमे अड़ेर डीहटोल गाममे सोदरपुरिए मानिक मूलक शांडिल्य गोत्रिय मैथिल ब्राह्मण सुखित परिवारमे जनमल रही । ओहि समयमे लोक चंद्रमाकेँ अर्घ देबाक तैयारी करैत रहए । ताहिसँ किछुए काल पूर्व हमर जन्म भेल रहए। हम अपन माता-पिताक छठम संतान रही । ओहिसँ पूर्व हुनकासभकेँ पाँचटा बेटीए रहनि। तेँ परिवारमे बहुत आतुरतासँ बेटाक प्रतीक्षा कएल जा रहल छल । हमर दाइ तँ पोताक बाट तकैत-तकैत चारिम पोतीक जन्मक बाद मामूली बिमारीसँ अकाल कालक गालमे विलीन भए गेल रहथि। सोचल जा सकैत अछि जे हमर जन्मक समय परिवारमे सभगोटे कतेक प्रसन्न रहल होएताह।

बाबूक हमर व्यक्तित्व निर्माणमे अमूल्य योगदान छलनि। अपन समस्त महत्वाकांक्षाकेँ ओ हमरामे सन्निहित करए चाहथि आ हमरा माध्यमसँ अपन जीवनक अप्राप्त अभिलाषाकेँ पूर्ण होइत देखए चाहथि । ताहि हेतु माध्यम छल हमर  पढ़ाइमे उत्कृष्टता प्राप्त करब। ओ हमरा दिन-राति उत्साहित करैत रहैत छलाह। जौँ केओ पढ़ल-लिखल लोक देखैतनि तँ हमरासँ जरूर भेंट करबितथि । ततबे नहि ओकरा लग हमर उपलब्धि आ प्रतिभाक गुणगान करितथि । हम ओतबेटामे हुनका बेर-बेर से सभ करबासँ मना करिअनि। मुदा ओ अपन उत्साहमे जे फुराइन से करथि । उद्येश्य एतबे रहनि जे हम हुनका सभ सँ प्रेरणा लए पढ़ाइमे औअल आबी। हमरा से फएदो केलक । हम जी-जानसँ पढ़बामे लागल रही ।

हमर  जन्मक बाद हमर तीन भाइक जन्म भेलनि । एहि तरहें हमसभ नओ भाइ-बहिन रही । वाल्यावस्थामे हमरसभक समय बहुत नीक कटल । खूब खेलाइ, खूब  पढ़ी । परिवारमे नेनासभकेँ बहुत देख-रेख होइत छल । ओहि समयमे परिवारक आर्थिक स्थिति बहुत नीक रहैक। बाबा खेती-बाड़ी करैत छलाह ।  ओहिसँ पर्याप्त उपार्जन होनि । बादमे बाबा बूढ़ होइत गेलाह । खेतसभ बटाइ लागि गेल ।  ओहिसँ उपार्जन कम होइत गेल । बहिनसभक बिआह -द्विरागमन तँ दस-बारह साल धरि लगातार होइते रहल । खेतसभ साले-साल बिकाइत चलि गेल । जमींदारी प्रथा समाप्त भेलासँ सेहो हमरसभक बहुत रास जमीन चलि गेल ।

बी.एस-सी केलाक बाद हम पढ़ाइ छोड़ि कए सरकारी नौकरीमे चलि गेलहुँ । हमर छोट भाइसभ सेहो परिवारक परिस्थितिसँ परेसानीमे पड़ि गेलाह । सभ जेना-तेना सालोंक संघर्ष केलाक बाद ओहिसभसँ उबरि सकलाह आ आब सभ ठीक-ठाक चलि रहल छथि ।

फरबरी १९८९मे हमर पिताक हमर गाम( अड़ेर डीह)मे देहावसान भए गेलनि । पिताक देहावसानक समय धरि हम सोलह साल नौकरी कए चुकल रही। बिआह भए गेल रहए । एकटा पुत्र सेहो रहथि जे ताहि समयमे चारि वर्षक रहथि।

हमर मात्रिक

हमर मातृक (सिंघिआ ड्योढ़ी) सेहो बहुत संपन्न छल । हमर माए(स्वर्गीय दयाकाशी देवी) सेहो बहुत संपन्न परिवारक रहथि । अपन माता-पिताक एकमात्र संतान रहथि । हमर नाना(स्वर्गीय राम प्रसाद झा)क मृत्यु माएक जन्मसँ किछु मास पूर्वहि भए गेल रहनि । मुदा ओहि समयक कानूनक हिसाबे हुनका अपन पैतृक संपत्तिमे उचित हिस्सा नहि देल गेलनि । कारण अंग्रजेक बनाओल कानूनक अनुसार जँ परिवारमे बेटा नहि भेल तँ बेटीकेँ ओहि संपत्तिक उत्तराधिकारी नहि मानल जाइ । ओ संपत्ति दोसर फरिकेनकेँ भए जाइ आ मसोमातकेँ खोरिस मात्र देल जानि । हमरो नानीकेँ कमोबेस सएह हाल रहनि । हमर बाबू बादमे मोकदमा केलाह तँ आपसी समझौताक बाद किछु जमीन हमर नानीकेँ देल गेलनि । एहि तरहेँ गामक आ मात्रिक,दुनूठामक संपत्ति मिला कए बाबूकेँ पर्याप्त संपत्ति रहनि जे ओ बँचा नहि सकलाह आ बादमे पहुत परेसानीमे पड़ि गेलाह ।

हमर नानी स्वर्गीया उत्तमा ओझाइन जीवन भरि वैधव्यक डंस सहैत रहि गेलीह। हमर माए हुनकर एकमात्र संतान रहथिन । हुनके मुँह देखि जीवि गेलीह । मुदा माएक बिआह बहुत जल्दी (नओ वर्षक बएसमे) कए देल गेलनि । साल भरिक भीतरे हुनकर द्विरागमन सेहो भए गेलनि । एमहर हमर बाबाक सेहो एकहिटा संतान,हमर पिता(स्वर्गीय सूर्य नारायण मिश्र) रहथि । हमर दाइ बहुत सिनेहसँ अपन पुतहुक पालन केलथि । कहाँदनि कतेको साल धरि माए अपन नैहर नहि गेलीह । हमर दाइ अड़ि जाथिन । हमरा ई नहि बूझएमे अबैत अछि जे एतेक कम बएसमे माएक बिआह कए देबाक कोन धरफरी रहैक? तखन तँ बिना पिताक संतान रहबाक कारण  जे भेल से भेल । कहाँदनि हमर नानी बहुत विरोध केने रहथि । ओ चाहथि जे हुनकर अखन बिआह नहि होनि । मुदा हमर पितिऔत नाना स्वर्गीय बौएलाल झा नहि मानलखिन । माएक भाइ(कंसी गामक) सेहो सएह विचारक रहथि । सभक कहब जे बर बहुत संपन्न छैक । एहन नीक बिआह नहि टारल जा सकैत अछि । फेर ओहि समयमे  कमे बएसमे बेटीक बिआह होएब कोनो नव बात नहि रहैक , ओना तँ होइते रहैत छल । बिआहक समयमे माए चौथामे पढ़ैत छलीह । बस ओतबे पढ़ि कए रहि गेलीह । हमर पिता ओहि समयमे बाइस वर्षक रहथि । वाटसन इसकूल मधुबनीक छात्र रहथि    गेनखेलीमे पारंगत रहथि । पारिवारिक स्थिति बहुत मजगूत रहनि । हमरसभक परबाबा(स्वर्गीय गुमानी मिश्र) इलाकाक प्रतिष्ठित जमींदार रहथि । कुलमिला कए इएह लगैत अछि जे बहुत संपन्न परिवारमे माए आ बाबूक जन्म भेल रहनि । बिआहक बादो ओ सभ बहुत दिनधरि संपन्नताक आनंद उठओने रहथि ।

हम पहिलबेर मातृक बाबूक संगे दरभंगा बाटे गेल रही । दरभंगा धरि बससँ गेलाक बाद ट्रेन पकड़ने रही। हमर ओ ट्रेनक पहिल यात्रा छल । पहिल बेर ट्रेनमे चढ़बाक आनंदमिश्रित आश्चर्यसँ अभिभूत रही । ओहि समयमे टेकटारि टीसन नहि बनल रहैक । तेँ मोहम्मदपुर उतरि पिंडारुछ बाटे पैरे-पैरे हम आ बाबू मातृक पहुँचल रही । बीच-बीचमे जहन थाकि जाइ तँ बाबूसँ पुछिअनि-आब कतेक दूर छैक ?”

ओएह जे इजोत देखा रहल अछि ने, सएह छैक । आब कनीके दूर अछि ।

-से कहि ओ हमरा कोरामे लए लेथि । मातृक पहुँचलापर हमर जबरदस्त स्वागत भेल छल । नानीक प्रसन्नताक तँ अंते नहि छलनि । ओही आङनमे हमर पितिऔत नाना स्वर्गीय जीबछ झा रहथि । हुनकर परिवारमे सभगोटे हमरा बहुत रास टाका गोर लगाइ देने रहथि । प्रात भेने आओर फरिकेन सभक ओहिठाम सेहो गेल रही। हमर नानागाममे सभ संपन्न छलाह । बड़काटा दरबाजा छल। दरबाजाक हमर अपन नानाक हिस्साबला भागमे पोस्ट आफिस खोलि देल गेल रहैक ।

मात्रिकमे हमर समय बहुत नीकसँ बितल । किछु दिनक बाद हम बाबूक संगे अड़ेर डीह वापस भए गेल रही । तकर बाद एकबेर आओर हम मात्रिक गेल रही । ताधरि टेकटारिमे रेलक अस्थायी ठहराव(हाल्ट) भए गेल रहैक । ओहि समयमे हमर नानीक सासु आ दियादनी जीविते रहथि । तकर बाद हम ओतए नहि जा सकलहुँ। आब तँ तकर साठि सालसँ बेसी भए गेल होएत। कहि नहि आब ओहिठामक की हाल अछि?

हमर सासुर

हम  शुरूपच्चीस-छब्बीस वर्ष अपन गाम अड़ेर डीहमे बितओलहुँ । हमर बिआहो ओही समयमे पण्डौल डीह टोल गाममे स्वर्गीय गणेश झाजीक दोसर संतान श्रीमती आशा मिश्रसँ ४ जून १९७५क भेल छल । हमरा ओहिना मोन अछि जे हम सतरहटा बरिआतीक संगे रातिक दसबजे पण्डौल पहुँचल रही । बरिआतीमे बाबूक अतिरिक्त हमर तीनू भाइ,हमर मित्र लालबच्चा(विष्णुकान्त मिश्र),हुनकर पिता स्वर्गीय चंद्रधर मिश्र ,हमर बहिनोइ स्वर्गीय सुखदेव झा आ किछु आओर लोक रहथि । बरिआती पण्डौलपर हमर ससुरक दरबाजापर पहुँचि गेल रहए । आङनमे गीत-नाद शुरू भए गेल रहए । थोड़बे कालमे हमर परिछन शुरू भए गेल । पण्डौल पुरबारि टोलक पंडितजी बिआह करओलनि । हुनकर आकर्षक स्वभाव अखनो मोन पड़ि रहल अछि । हमर जेठसरि श्रीमती रेणु मिश्र बिधिकरी रहथि । बरिआतीक खाइत कालक ठहाका अखनो हमर कानमे गुंजित होइत रहैत अछि । सुनलिऐक जे किछु बरिआती आम खेबामे नाम कए गेलाह ।

बिआहक बाद चतुर्थी धरि नित्य मौहक कालक गीतक मधुर स्वर मोन पड़ैत रहैत अछि । मोन पड़ैत रहैत अछि चतुर्थी रातिमे आङनमे ओसारापर बहुत रास लोकसभ आएल रहथि । गीत-नाद भए रहल छल । हमहूँ हरमुनिआपर गीत गएबाक प्रयास केने रही। ओहिमे गड़बड़ी भए गेल रहैक आ हमर ससुर बहुत परेसान भए गेल रहथि । ताबते नुनू काका दौड़ल अएलाह आ कहैत छथि-मिसरक गीत सुनि कए हमर गाय बिआ गेल । तकर बाद जे ठहाका पड़ल से की कहू ।

बिआहक समयमे हम दरभंगामे दूरभाष निरीक्षकक काज करैत रही । ओहिठामसँ सासुर अबरजात बनल रहैत छल । बिआहक बाद हमर ससुर मुंगेर नौकरी करए चलि गेलाह । किछुदिनक बाद हमर सासु सेहो ओतहि चलि गेलीह । तखन रहि गेलीह बिधिकरी रेणु बहिन । जखन-कखनो हम बिआहक बाद दरभंगासँ पण्डौल जाइ तँ ओएह स्वागतमे लागि जाथि । हमर ज्येष्ठ साढू स्वर्गीय इंद्रानंद मिश्र(गुर्महा -पचाढ़ी) सेहो अबैत-जाइत रहथि। एहि तरहे सासुरक माहौल बहुत रमनगर रहैत छल ।

हमर बिआहक समयमे आङनक माहौल बहुत रमनगर रहैत छल । कोनो अवसर भेलापर चारूकातसँ लोकसभ जमा भए जइतथि । हँसी ठठ्ठा होइत रहैत छल । पूब दिससँ लालकाका,उत्तरसँ डाक्टर काका ,दक्षिणसँ नुनू काका आ दरबाजापरसँ रमेश काका दौड़ल अबितथि । डाक्टर काका तरह-तरहक चमत्कार करबाक ढोंग करबामे माहिर छलाह । हुनकर करतबसभ पर ठहाका लगैत रहैत छल । एकबेर अमेरिकाक राष्ट्रपतिक चुनाओ होइत रहए । रेडिओमे चुनाओक चर्चा चलैत रहैक। जीतत के? एहि विषयमे आङनमे लोकसभमे वाद-विवाद भए रहल छल । सभकेँ इएह उत्सुकता जे के जीतत? डाक्टर काका अपन रेडिओसंगे कोठरीसँ बाहर भेलाह । अपन चमत्कारिक भाव-भंगिमामे घोषणा केलनि- हे इएह लएह । हम निक्सनकेँ मचोरि देलिऐक । आब ओ हारिए कए रहत। बाह रे डाक्टर काका आ हुनकर भविष्यवाणी!आङनमे सभ हतप्रभ छल । एहिना किछु-ने-किछु ओ करिते रहैत छलाह । ओ कलना बाबाक परम भक्त छलाह । गाहे-बगाहे कलना जाइते रहैत छलाह । बाबा सेहो हुनका ओहिठाम अबैत रहैत छलखिन । हुनका अपन संतान नहि रहथिन। बाबकेँ गोहरओला तँ ओ कहलखिन-सभकुछ तोरे न न होइ । बादमे बाबाक आशीर्वादसँ हुनका स्वतंत्रता सम्मान पेनसन भेटि गेलनि जाहिसँ दुनू बेकतीकेँ आर्थिक परेसानी नहि रहलनि । हुनकर छोट भाइ छलखिन लाल काका । ओहो ककरोसँ कम नहि,बेस कलामी लोक । सदिखन एक डेग मधुबनी न्यायालयेमे रहैत छलनि । कैक कित्ता केस लड़ैत छलाह। मुदा ओ बहुत मजगूत आ जीबट बला लोक रहथि आ अपना बले समाजमे बहुत नीक स्थान बनओने रहथि ।

समय साल बदललैक । आब ने ओ रामा ने ओ कोठोला । हमर ससुर अपन अलग घराड़ीपर मकान बना लेलाह । कालक्रममे आओर दिआदसभ सेहो अपन-अपन फराक घर बना लेलाह । आब जँ पुरना आङन जाएब तँ सुन्न लागत । केओ टोकनाहरो नहि भेटत । मुदा सभसँ प्रशंसनीय ई बात जे सभ दिआदसभ घराड़ीक बटबाराक विवाद आपसेमे सहयोगसँ निपटा लेलाह जाहिसँ चारूकात विकास भेल । नव-नव मकानसभ बनल आ आपसी सौहार्द सेहो थोड़-बहुत बाँचल रहि गेल ।

हमर ससुर स्वर्गीय गणेश झा भारत सरकारक सेवामे लेखा  अधिकारीक पदसँ सेवानिवृत्तिक बाद गामेमे घर बना कए रहैत छलाह । मधुबनीमे सेहो ओ घर बनओने रहथि । मुदा बादमे ओहिठाम मोन उबिआ गेलनि तँ भगला गाम दिस । गाममे बहुत भव्य मकान बनओलथि जे अखनो फटकिएसँ देखल जा सकैत अछि ।

मकान बनेलाक तीन सालक भीतरे हमर ससुरक देहावसान भए गेलनि । तकर बाद लगभग उन्नैस साल हमर सासु जीलथि आ ओहि मकानक उपयोग केलथि । हमर सासु भागलपुर जिलाक भ्रमरपुर गामक रहथि । बहुत व्यवहारिक आ मितव्ययी रहथि। हुनके सहयोगसँ हमर ससुर  अपन आर्थिक परिस्थिति मजगूत कए सकल रहथि । पण्डौलमे नीक संपत्तिक अर्जित केने रहथि । चारिटा बेटी आ एकटा बेटाक खूब नीकसँ पालन-पोषण केलथि। ततबे नहि ,संयुक्त परिवारक कतेको जिम्मेबारीक मर्यादापूर्वक वहन सेहो करैत रहलथि। बहुत बादमे ओ साल-दूसाल गाममे नहि रहि सकलीह , हमर सार श्री संतोष कुमार झाक इन्दिरापुरम स्थित डेरापर रहथि । हमर सासुक सदिखन इच्छा रहनि जे गामे रही । १८ दिसंबर २०२० क अकस्मात हुनकर देहावसान भए गेलनि। हुनकर मृत्युक बाद  हमरा लोकनि हेतु पण्डौलक एकटा महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त भए गेल।

पण्डौलक बाध बहुत ऊँच छैक । रेलवे लाइनसँ लए कए पण्डौल बजार धरि सभटा जमीन बासक हेतु उपयुक्त अछि । एहन बास बहुत कम गाममे होइत छैक । ताहुमे हमर ससुरक घर तँ एकदम फराकमे रहबाक कारण बहुत हबादार अछि । चारूकातसँ हबा रौद सोझे मकानमे पहुँचि जाइत अछि ।

पण्डौलमे साबिक जमानासँ रेलवे टीसन अछि । पण्डौल बजार सेहो बहुत बढ़ि गेल अछि । ओहिठामसँ मधुबनी आ दरभंगाक हेतु बस,टेकर आसानीसँ भेटि जाइत अछि । आब तँ दरभंगामे हबाइ जहाजक आगमन भए गेलाक बाद पण्डौल आ आसपासक इलाकाक महत्व आओर बढ़ि गेल अछि । ओहिठामसँ पैंतालीस मिनटमे दरभंगा हबाइ हड्डा पहुँचि सकैत छी । ओतएसँ दिल्ली.मुम्बई,बंगलोर उड़ि जाउ । सुनैत छी जे किछु आओर सहरसभक हेतु हबाइ जहाज शीघ्रे शुरू भए जाएत ।

पण्डौलक भौगोलिक स्थिति देखि कए हमरा कैकबेर मोन होअए जे किछु जमीन ओतए किनि ली । बादमे ओकर उपयोगपर सोचल जेतैक । मुदा हमर श्रीमतीजीकेँ ई बात एकदम पसिंद नहि भेलनि । नैहरमे जा कए जमीन किनब उचित नहि बुझानि । आब तँ ओ जमीनसभक दाम आकाश ठेकि गेल अछि ।

पण्डौलक एकटा विशेषता थिक भवानीपुर महादेवक मंदिर जे हमर ससुरक घरसँ पैरे-पैरे आधा घंटामे पहुँचि सकैत छी । हम कैकबेर ओतए गेल छी । पहिने तँ हिनका लोकनिक दरबाजापरसँ भवानीपुरक मंदिर ओहिना देखाइत रहैत छल । मुदा आब बीचमे गाछसभ आबि गेलैक अछि । तेँ कनीक दूर पैरे चललापर मंदिरक ध्वज फहराइत देखाइत रहैत अछि । आब भवानीपुरक महादेव मंदिर आ ओकर परिसरक बहुत बदलि गेल अछि । शिवरातिक दिन ओतए बड़का मेला लगैत अछि । रेडिओसँ ओकर प्रसारण सेहो होइत अछि ।

४ जून १९७५क सत्तरह वर्षक बएसमे हमर श्रीमतीजी(आशा मिश्र)क बिआह हमरासँ भेल रहनि । ओहि समयमे हमर बएस २३ छल आ हम दरभंगामे दूरभाष निरीक्षकक काज करैत रही । हमर ससुरक एकमात्र ध्येय रहैत छलनि जे बर सरकारी नौकरीबला होइ । से हमरामे भेटलनि ।

हम दिल्ली आ तकरबाद इलाहाबाद चलि आएल रही।  संगमे श्रीमतीजी आ पुत्र भास्कर रहथि । एतेक लेद-गेदक संगे सीमित आमदनीसँ परिवार नीकसँ चलैत रहल । निरंतर गाम-घरसँ केओ-ने-केओ अबिते रहैत छल । एहन परिस्थितिमे हमर गृहस्थीकेँ नीकसँ चला लेबाक संपूर्ण श्रेय हमर श्रीमतीजीक छनि । ओ तँ  हमर परिवारक लेल साक्षात अन्नपूर्णा छथि । जेना हुनकर हाथमे अक्षयघट हो । जखन जतबे आमदनी रहनि ततबेमे परिवारकेँ मर्यादापूर्वक चलबैत रहलीह आ हमरा कहिओ ने ककरोसँ माङए पड़ल ने कर्ज लेबए पड़ल । ओ अपन माता-पिताक संगे रहि नौकरीबला परिवारकेँ सीमित आमदनीमे कोना चलाओल जाए ताहिमे निपुणता प्राप्त केने रहथि ।

जे से समय बीतैत रहल । आब तँ जीवनक अंतिम अध्याय शुरू भए गेल । हमर श्रीमतीजीक बुद्धिमत्तापूर्ण सहयोगसँ जीवनक पहिआ आगू बढ़ैत रहल । निश्चय ओ मिथिलाक नारीक ओहि गुणसभक प्रतिनिधित्व करैत छथि जाहि हेतु अपनसभक माटि-पानि प्रशंसित रहल अछि।

घरक काजक अतिरिक्त हमर समस्त साहित्यिक गतिविधिमे हमर श्रीमतीजी सक्रिय सहयोग करैत रहलीह अछि । ओ हमर समस्त साहित्यिक कृतिक प्रथम पाठक रहलीह अछि आ अपन अमूल्य परामर्श दए ओहिसभमे गुणात्मक सुधार करैत रहलीह अछि । सही मानेमे ओ हमर जिनगीकेँ सुगमे नहि केने रहलीह ,अपितु एकरा पल्लवित,पुष्पित करबामे महान योगदान करैत रहलीह ।

 

रबीन्द्र नारायण मिश्र

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