स्वर्गीय
सुधांशु शेखर चौधरीक लिखित हिन्दी उपन्यास,कला
की आड़मे: पाठकीय प्रतिक्रिया
आदरणीय
श्री शरदिन्दु चौधरीजीसँ किछु दिन पूर्व किछु पोथीसभ भेटल छल। ओहिमे स्वर्गीय
सुधांशु शेखर चौधरीक लिखित हिन्दी उपन्यास,कला
की आड़मे,सेहो प्राप्त भेल । उपरोक्त किताब स्वर्गीय
शेखरजीक हस्तलिपिएमे छापल गेल अछि। हुनकर हस्तलिपि बहुत साफ आ स्पष्ट अछि आ पढ़बामे
कतहु दिक्कति नहि होइत अछि। कला की आड़मे ,उपन्यास, शेखरजी २६ सालक बएसमे लिखने रहथि । एतेक कम बएसमे लिखल गेल हुनकर ई
उपन्यास स्वयंमे परिपूर्ण अछि।लेखकक युवा मोनक आकर्षण बहुत स्वाभाविक रूपसँ एहि
उपन्यासमे परिलक्षित होइत अछि। एहि उपन्यासमे कतहु कोनो विरोधाभास,पुनरावृत्ति आ ऊब नहि भेटैत अछि। किताब बहुत मनलग्गू आ अर्थपूर्ण अछि।
मुदा उपन्यासक नायक द्वारा नायिकापर थुकि
देब नीक नहि लगैत छैक। असलमे उपन्यासक नायक विवाहित छलाह आ नायिकाक प्रेमप्रपंचसँ
बाँचए चाहैत छलाह । निश्चित रूपसँ उपन्यासमे वर्णित उपरोक्त घटना लेखकक उच्च संस्कारक परिचायक रहल होएत,मुदा नायिकाक प्रेम निवेदन अस्वीकार करबाक आर नीक तरीका भए सकैत छल जाहिसँ
साहित्यिक गरिमा बनल रहैत । एहि अपवादकेँ छोड़ि एहि उपन्यासक जतेक प्रशंसा कएल जाए
से कम ।
बादमे
तँ स्वर्गीय सुधांशु शेखर चौधरीजी एक सँ एक उच्चस्तरीय पुसतकसभ लिखलनि। हिनकर
मैथिली उपन्यास ‘ई बतहा संसार’
अद्भुत साहित्यिक कृति अछि । ओही पुस्तकपर हुनका साहित्य अकादमीक पुरस्कार भेटल
रहनि।
एहि
उपन्यासक भूमिकामे शेखरजी लिखैत छथि जे स्वर्गीय सुधांशु शेखर चौधरीजीक हिन्दीमे
लिखल सोलहटा पुस्तक हुनकर घरमे छलनि आ १९७४ ई० धरि ओ हुनकर भातिज श्री पुणेंदु
चौधरीजी लग छलनि। मुदा बादमे ओ कहि देलखिन जे हुनका लग कोनो किताब नहि छनि। संभवतः कला की आड़मे छोड़ि कए आब हुनकर हिन्दीक
कोनो किताब उपलव्ध नहि अछि। आश्चर्य आ दुखक बात अछि जे एतेक प्रसिद्ध साहित्यकारक
लिखित किताबसभक एहन दुर्गति भेल । मैथिलीमे हुनकर तेरहटा पुस्तक प्रकाशित अछि। आशा
करैत छी जे ओ पुस्तकसभ बाँचल होएत।
‘कला की आड़मे’ पुस्तककेँ ओकर मौलिक
रूपमे प्रकाशित करबाक हेतु शेखर प्रकाशन आ हुनकर समस्त सहयोगीलोकनि केँ हार्दिक
धन्यवाद आ शुभकामना! पुस्तक
पठनीय अछि। एकर अबस्स स्वागत हेबाक चाही।
रबीन्द्र
नारायण मिश्र
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