सोमवार, 27 अप्रैल 2020
स्वामी आनंद वैराग्य ( फेकनजी)
गुरुवार, 23 अप्रैल 2020
भारतवर्ष महान है !
गाँव-गाँव और शहर-शहर में,
गुंजित होता गान है ।
आओ हमसब मिलकर गाएं,
भारतवर्ष महान है ।
आसेतु-हिमाचल तक विस्तृत
तेजस्वी वीरों से रक्षित,
राम कृष्ण की पावन धरती,
उत्कर्ष ज्ञान-विज्ञान है ।
भारत माता तेरी जय हो,
जय हो तेरे संतान की,
विश्व विजेता बने सभी
रक्षक तेरे सम्मान की ।
जीते जी और मरकर भी,
जयगान तुम्हारा गाएंगे ।
सर्वस्व समर्पित कर तुझको
नूतन इतिहास बनाएंगे।
त्याग,तपस्या करुणा का
संदेश हमेशा देते है ।
वंधुत्व,प्रेम के संवाहक
हम विश्वमित्र कहलाते हैं ।
औरों के सुख के खातिर,
सर्वस्व त्याग कर देते है ।
अपना सब कुछ दे कर भी,
कल्याण जगत का करते हैं ।
क्रोटि-क्रोटि जन के प्रतिपालक
त्याग तपस्या के अनुपालक
अखिल शृष्टि मंगलमय हो
मन में यह अरमान है ।
विविध धर्म भाषा अनेक
तद्यपि हम सबके हृदय एक
द्वेष रहित उन्नत विचार
मन में सब का सम्मान है ।
भारतवर्ष महान है ।
सोमवार, 20 अप्रैल 2020
लेखक परिचयः
छाप सरायकेला साहित्यिक महोत्सव 2024
परिचय
तिहत्तर
वर्षीय श्री रवीन्द्र नारायण मिश्र का पैतृक गाम बिहार के मधुबनी जिला में ‘अरेर
डीह’ है। उनके पिता का नाम स्वर्गीय सूर्य नारायण मिश्र और
माता का नाम स्वर्गीय दयाकाशी देवी हैं। श्री मिश्र को बचपन से ही संस्कृति,
साहित्य एवं समाज से प्रेम रहा है। वे अपने छात्र जीवन से ही मिथिला
मिहिर और अन्य पत्रिकाओं के लिए लिखते रहे । उनकी कई रचनाएँ आकाशवाणी दरभंगा और
इलाहाबाद से प्रसारित हो चुकी हैं। वे साहित्य की प्रमुख विधाओं जैसे कविता,
कथा, उपन्यास, यात्रा
वृतांत, संस्मरण और समसामयिक विषयों पर अनवरत लेखन करते रहे
हैं।
मैथिली
में उनकी ३३ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिस में २१ उपन्यास,दो
संस्मरण,दो यात्रा प्रसंग , तीन निवंध संग्रह,दो कथा संग्रह और आत्मकथा शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त अंग्रेजी में तीन एवम् हिन्दी में एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैं।
हिन्दी में दो उपन्यास अभी तक अप्रकाशित हैं । इसके अतिरिक्त मैथिली,हिन्दी और
अंग्रेजी में लिखे गए सैकड़ो कविताएँ अप्रकाशित हैं।
मैथिली
में इनके चर्चित उपन्यासों में प्रमुख हैं-
सूर्यपुत्र, आबि रहल छी, ठेहा परक मौलायल गाछ,जयतु जानकी, मातृभूमि, राष्ट्र मंदिर, बदलि रहल
अछि सभकिछु,महराज और लजकोटर ।
Seventy-three-year-old
Shri Rabindra Narayan Mishra was born and bred in a small village Arer Dih in
Madhubani district of Bihar. His father's name is late Surya Narayan Mishra and
mother's name is late Dayakaashi Devi. He has been writing for Mithila Mihir
and other magazines since his student days. Many of his works have been
broadcast from All India Radio Darbhanga and Allahabad. Shri Mishra has abiding
love for culture, literature and society since childhood. and is already an
author of thirty-three books in different languages. And the notable thing is
that these books belong to different genres. Thirty-three of his books have been
published in Maithili, which include twenty-one novels, two memoirs, two
travelogues, three collection of essays, two collection of short stories and an
autobiography. Apart from this, three books have been published in English and
one in Hindi as well. Two novels in Hindi are still unpublished. Apart from
this, hundreds of poems written by him in Maithili, Hindi and English are unpublished
so far.
Prominent
among his famous novels in Maithili are – Suryaputra,Hum Aabi Rahal Chhi, Theha Parak
Maulayal Gach, Jayatu Janaki, Matribhoomi, Rashtra Mandir, Badali Rahal Achhi
Sabkichu, Maharaj and Lajkotar.
Shri Rabindra Narayan Mishra authored thirty‑six books across Maithili, Hindi, and
English. His works span diverse genres:
- Autobiography: Bhorsan
Sanjh Dhariभोरसँ साँझ धरि
- Memoirs: Iyeh
Thik Jeevan, Pathey, Katha Akhan Banki Achhi इएह थिक जीवन,
पाथेय, कथा अखन बाँकी अछि
- Essays: Prasangvash,
Samadhan, Vividh Prasang प्रसंगवश, समाधान, विविध प्रसंग
- Travelogues: Swarg
Etahi Achhi ,Maati Baja Rahal Achhi
स्वर्ग एतहि अछि, माटि बजा रहल
अछि
Novels: More than twenty‑one, including Namastasyai, Maharaj, Lajakotar, Seemak Ohi Paar, Matrubhumi, Swapnalok, Shankhnaad, Dhahait Debal, Ham Aabi Rahal Chhi, Pralayak Paraat, Beeti Gel Samay, Pratibimb, Badali Rahal Achhi Sabkichhu, Rashtra Mandir, Naachi Rahal Chhali Vasudha, Deep Jarait Rahae, Theha Parak Moulayal Gaachh, Patakshep, Jayatu Janaki, Yagyaseni, Suryaputra
- नमस्तस्यै,
महराज, लजकोटर, सीमाक ओहि पार, मातृभूमि, स्वप्नलोक, शंखनाद, ढहैत देबाल, हम आबि रहल छी, प्रलयक परात, बीति गेल समय, प्रतिबिम्ब, बदलि रहल अछि सभकिछु, राष्ट्र मंदिर, नाचि
रहल छलि वसुधा , दीप जरैत रहए, ठेहा परक मौलायल गाछ, पटाक्षेप, जयतु जानकी, यज्ञसेनी, सूर्यपुत्र
- Short
Stories: Fasad, Sanyog, Gaach Bajait Chaikफसाद, संयोग, गाछ बजैत छैक
- In
English: The Lost House, Life is an Art,
The Ganges Whispers
- In
Hindi: Nyay Ki Guharन्याय की गुहार
- Autobiography: Bhorsan
Sanjh Dhariभोरसँ साँझ धरि
लेखक परिचयः
नाम
: रबीन्द्र नारायण मिश्र
पिताक नाम : स्वर्गीय सूर्य नारायण मिश्र
माताक नाम : स्वर्गीया दयाकाशी देवी
जन्म तिथिःभादव शुक्ल चतुर्थी सन् १३६० साल
पैतृक ग्राम : अड़ेर डीह
मातृक : सिन्घिआ ड्योढ़ी
वृति : भारत सरकारक उप सचिव (सेवानिवृत्त)/
स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, दिल्ली(सेवानिवृत्त)
शिक्षा : चन्द्रधारी मिथिला महाविद्यालयसँ बी.एस-सी. भौतिक
विज्ञानमे प्रतिष्ठा : दिल्ली विश्वविद्यालयसँ विधि स्नातक
श्री
रबीन्द्र नारायण मिश्रक प्रकाशित कृति :मैथिलीमे:-
प्रकाशन
वर्ष:2017
१. ‘भोरसँ साँझ धरि’ (आत्म कथा), २. ‘प्रसंगवश’ (निवंध),
३. ‘स्वर्ग एतहि अछि’ (यात्रा प्रसंग),
प्रकाशन
वर्ष:2018
४. ‘फसाद’ (कथा संग्रह) ५.
`नमस्तस्यै’ (उपन्यास) ६. विविध प्रसंग (निवंध ) ७.महराज(उपन्यास) ८.लजकोटर(उपन्यास)
प्रकाशन
वर्ष:2019
९.सीमाक ओहि पार(उपन्यास)१०.समाधान(निवंध
संग्रह) ११.मातृभूमि(उपन्यास) १२.स्वप्नलोक(उपन्यास)
प्रकाशन
वर्ष:2020
१३.शंखनाद(उपन्यास)
१४.इएह थिक जीवन(संस्मरण)
१५.ढहैत
देबाल(उपन्यास) १६.पाथेय(संस्मरण)
प्रकाशन
वर्ष:2021
१७.हम
आबि रहल छी(उपन्यास) १८.प्रलयक परात(उपन्यास)
प्रकाशन
वर्ष:2022
१९.बीति
गेल समय(उपन्यास) २०.प्रतिबिम्ब(उपन्यास)२१.बदलि रहल अछि सभकिछु(उपन्यास)22. राष्ट्र
मंदिर(उपन्यास) २३. संयोग(कथा संग्रह) २४. नाचि रहल छलि वसुधा ( उपन्यास)
प्रकाशन
वर्षः2023
२५.दीप
जरैत रहए(उपन्यास) २६.ठेहा परक मौलायल
गाछ(उपन्यास) २७.पटाक्षेप(उपन्यास)
प्रकाशन वर्षः2024
२८ माटि बजा रहल अछि(यात्रा
प्रसंग) २९ जयतु जानकी(उपन्यास)
३०
यज्ञसेनी(उपन्यास)
प्रकाशन
वर्षः2025
३१. माटि बजा
रहल अछि(संस्मरण) ३२. गाछ बजैत छैक(कथा संग्रह) ३३.सूर्यपुत्र(उपन्यास)
In
English: -
Year
of publication:2018
1. The Lost House (Collection of short stories)
2. Life is an art
3.The
Ganges Whispers (English translation of my Maithili Novel,Ham Aabi Rahal Chhee (हम आबि रहल छी)
हिन्दी
में –
प्रकाशन
वर्ष:2019
१.न्याय की गुहार
(उपरोक्त पोथीसभ pothi.com, amazon.com आओर www.flipcart.com पर सँ किनल जा सकैत अछि)
इमेल : mishrarn@gmail.com
ब्लोग : mishrarn.blogspot.com
Mobile -9968502767
एमजोनक लेखक पृष्ठ : amazon.com/author/rnmishra
मंगलवार, 14 अप्रैल 2020
हारेगा कोरोना, जीतेगा भारत !
विश्व कर रहा त्राहिमाम्!
दिन-प्रतिदिन सैकड़ों निर्दोष,
हो रहे अकाल काल- कलवित,
व्यर्थ हो चुके हैं वैज्ञानिक अविष्कार ।
आशा भरी दृष्टि से ,
सभी देख रहे भारत को ।
ऐसे में भारत ही करेगा चमत्कार,
संयम और निष्ठा की पुँजी से
बचा लेगा स्वयं को और विश्व को भी ।
हम फिर बनेंगे ध्वजवाहक,
इस भूधरा पर,
सुख, समृद्धि एवम् शांति के।
विश्व पर मड़राते संकट के बादल,
छट के रहेंगे,
चाहे जितना हो विनाशकारी,
कोरोना का प्रकोप,
हटकर रहेंगे ।
छटेगा अंधेरा और शीघ्र
फैलेगा जीवन में प्रकाश ।
हो चाहे जितना भी वलिष्ट
हारेगा कोरोना, जीतेगा भारत!















