रविवार, 24 नवंबर 2019

डाइन


डाइन



हमसभ नेनेसँ डाइनक बारेमे सुनैत अएलहुँ अछि । डाइनिसँ बँचि कए रही,ओकर हाथसँ किछु नहि खाइ,ओकर नजरिसँ पराके रही ,नहि तँ गेल घर छी । कखन प्राण लए लेत तकर हिसाब नहि। हालत तँ ततेक खराप रहेक जे कोनो कारणसँ किओ दुखित भए गेल,घरमे चोरी भए गेल, वा किओ मरि-हरि गेल तँ सभक कारण कोनो-ने-कोनो डाइनि वा एहने किछुकेँ मानल जाइत छल । समाधान छलाह भगता,तांत्रिक,ओझा-गुनी  । समाजमे व्याप्त अशिक्षा आ अज्ञनताक कारणेँ एहि तरहक बातसभक खूब बरक्कति होइत छल । जँ ककरो घरमे चोरी भए गेल तँ तकरो समाधान ओझा-गुनी करैत छलाह । चटिबाहसँ बट्टा चलाओल जाइत छल । मंत्रक प्रभाव तेहन सटीक आ कड़गर होइत छल जे ओ जेमहर-जेमहर चोर गेल रहैत छल ताहि बाटे घुमए लगैत छल आ अंतमे चोरकेँ घरमे वा ओकरे लग-पासमे पहुँचि जाइत छल जाहिसँ चोरक बारेमे स्पष्ट अनुमान लोक लगा लैत छलाह । कहबाक जरूरी नहि बुझाइत अछि जे एहन काजसभक परिणाम कै बेर बहुत घातक होइत छल । कैटा निर्दोष लोक समाजमे अपमानित भए जिबाक हेतु विवश होइत छलाह ।

सामान्यतः ई देखल जाइत अछि जे निकट संबंधीमे आपसी कटुता बढ़ि गेलाक बाद कोनो स्त्रीक समगे तरह-तरहक खिस्सासभ जोड़ि देल जाइत अछि  । जेना कि ओ तँ हकल डाइन छैक , राति कए गाछ हकैत छैक , ओकरा तँ हम अष्टमी रातिमे नंगटे नचैत देखलिऐक । कालक्रमे ई सभ बात ततेक फैल जाइत अछि जे ओहि महिलाक लग-पास जेबासँ लोक डराइत अछि । ओकर देल पानि नहि पीबए चाहैत अछि । ओकरा हाथसँ भोजन करबाक तँ प्रश्ने नहि उठैत अछि । एहिसभक कारणें ओ महिला समाजमे एसगरि भए बहुत रास प्रतारणा सहैत रहैत छथि ।

कैठाम देखल जाइत अछि जे दियादी झगड़ाक बाद कोनो महिलाकेँ डाइन घोषित कए देल जाइत अछि । किछु षड़यंत्र कए एहन दृष्य बना देल जाइत अछि जे लोकसभ भ्रमित भए जाइत छथि आ तथाकथित डाइनसँ फटकी रहए लगैत छथि । गाम-घरमे लोकसभ एहन  महिलाक ओहिठआम नोत खेबासँ बचैत रहैत छथि आ ओकरा सेहो नोत नहि दैथ छथि ।  आखिर एना किएक कएल जाइत अछि? जबाब भेटत-अहाँ बाहर रहैत छी । गामक लोकक छिज्जा कीजाने गेलिऐक ? फलनमाकघरबाली तँ रातिभरि श्मशानमे बैसल रहैत छैक । मुर्दासभक संगे मंत्र सिद्ध करैत रहैत छैक । नहि विश्वास होअए तँ रातिमे हमरासंगे चुपचाप चलब । जखन अपने आँखिसँ देखि लेबैक तँ विश्वास भए जाएत ।

सबाल अछि जे आखिर एहिसभ बातमे कतेक सत्यता थिक आ जँ से नहि अछि तँ एना किएक होइत अछि? हमरा हिसाबसँ तँ एहिसब बातमे कोनो सत्यता नहि अछि । कै बेर हम स्वयं अन्हरोखे एहन स्थानसभ पर जाइत रही जतए लोक एहन संभावना कहैत रहैत छल । मुदा हमरा कहिओ किछु नहि अभरल । ने कोनो प्रकारक क्षति भेल। तेँ एहि तरह गप्पसभ मात्र दुष्टताक अतिरिक्त किछु नहि अछि । लोक अपन दियादी औल चुकता करबाक हेतु एहि तरहक दुष्प्रचार करैत अछि । दुर्भाग्यक बात थिक जे मूलतः अज्ञानतावश एहि तरहक दुष्प्रचारकेँ जन समर्थन सेहो भेटि जाइत अछि । रहल बात ई जे आखिर लोक एना किएक करैत छथि? तकर की कहल जाए? मुदा एतबा तँ निश्चय जे आपसी दुश्मनी वा इर्ष्या-द्वेषवश एहन घटनासभ होइत अछि आ अज्ञनतावश किंवा अंधविश्वासक वशीभूत भए लोकसभ एकरा सही मानि लैत छथि ।

निश्चित रूपसँ समाजमे व्यप्त अशिक्षा आ अंधविश्वासेक परिणाम थिक जे एखनो लोकसभ डाइन वा एहि तरहक वस्तुसभक मान्यता दैत छथि । ततबे नहि ओहि चलते कैटा लोकक जिनगी बरबाद भए जाइत अछि । कै बेर तंत्र-मंत्रक चक्करमे पड़ि कए निर्दोषक नेनासभक वलप्रदान धरि दए देल जाइत अछि । एहिसँ पैघ अन्याय की भए सकैत अछि? अस्तु,ई जरूरी अछि जे समाजमे एहि तरहक कुवृतिक प्रति लोककेँ सतर्क कएल जाए जाहिसँ निर्दोष व्यक्तिक जीवन आ प्रतिष्ठाक रक्षा कएल जा सकए ।

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