जगले
रहब यौ!
हमसभ जखन
नेना रही तँ परीक्षाक समयमे कै बेर बहुत राति धरि जगले रही । ओसारापर लालटेनक मद्धिम
प्रकाशमे औंघाइत-पौंघाइत पढ़ैत रहैत छलहुँ
। कहि नहि एतेक नीन्न कतएसँ अबैक । एहि संघर्षक बीचमे एकाएक ध्यान तोड़ैत छल एकटा स्वरवद्ध
कड़क आवाज-"जगले रहबै यौ । से कहैत -कहैत गामक चौकीदार आगा बढ़ि जाइत । ओकर आवाज
तँ फटकिएसँ अएनाइ शुरु भए जाइत छल। सड़केपरसँ ओकर
जागरण मंत्र कानमे पड़नाइ शुरु भए जाइत जकर तीव्रता क्रमशः बढ़िते रहैत । हमरा
घर लग अबैत-अबैत ओ आबाज आओर जोर पकड़ि लैत । एहि तरहें चिकरैत-भोकरैत ओ सौंसे गाम घुमि
जैतथि । अन्हरिआ रातिमे तँ ई कनी बेसिए होइत
छल । गाम-घरमे चोरी नहि होइक .तेँ एहि तरहक
व्यवस्था कएल गेल छल ।
चौकीदारसभ
सरकारी महकमासँ जुड़ल तँ रहैत छलाह,थानेदारक हुकुम बजबैत छलाह मुदा हुनका
सरकाी सेवकक सभटा सुविधा नहि भेटैत छलनि ने ओ नियमित सरकारी कर्मचारी मानल जाइत छलाह
। हाथमे खूब नोकगर भाला ,देहमे हरिअरका पट्टी पहिरने जखन चौकीदार कोनो मामिलाक संदर्भमे थाना बजाओल जाइत
छलाह तँ निश्चय हुनको होइत रहल हेतनि जे ओ किछु छथि । कै बेर थानाक पुलिस आबि कए हुनका
अपनासंग कए लेथि । गामे-गाम पुलिसक संगे घुमथि किंवा कोनो मामिलाक तहकीकात करबामे सहयोग
करथि मुदा ताहि एबजमे हुनका गारि-फज्जतिक अतिरिक्त किछु भेटैत रहल हेतनि तकर कोनो उमीद
नहि बुझाइत अछि । चौकीदारक सामान्य कर्तव्यक निष्पादन तँ ओ करिते
छलाह ,तकर अतिरिक्त ओ थानाक एकटा स्थानीय जासूस सेहो छलाह । हुनकासँ अपेक्षा कएल जाइत
छल जे हुनकर लग-पासमे भए रहल घटनासभक जानकारी थानेदारकेँ देथिन । एहिसभ काज करबाक एबजमे हुनका दस वा पन्द्रह टाका महिना थानाक तरफसँ भेटैत छल ।
एहि तरहैं कै ठाम तँ कै पुस्त चौकीदारी करिते बीत जाइत छलनि ।
चौकीदार
जखन गाममे पहरा दैत छलाह तँ ककरो घर लग अएलाक बाद हुनकर नाम लए कै बेर आबाज दितथि जाहिसँ
ओ व्यक्ति जँ सुति रहल छथि तँ हुनकर उपस्थितिकेँ संज्ञान लेथि । कै गोटे तँ खखसि कए
तकर प्रतिउत्तर दैतो छलाह । ओहिमे हमर एकटा काकाजीक नाम प्रसंगवस मोन पड़ि जाइत अछि
। ओ तँ रातिमे सुतलोमे ढहकैत रहैत छलाह जाहिसँ लग-पासक लोककेँ लगैत छलैक जेना ओ जगले
छथि । परीक्षासभक तैयारीक क्रममे हम कै बेर बहुत
देर रातिधरि जागल रहैत छलहुँ । हमरा हुनकर आबाज सुनिकए लागए जेना ओ जगले छथि
मुदा बात से रहैक नहि । ओ तँ सुतले-सुतल ई काज करैत छलाह । जे जोइक मुदा चोरसभकेँ ओ
आबाज सुनि कए जरूर परेसानी होइत रहल हेतैक ।
सालक साल
बीति गेल मुदा चौकीदासभक स्थितिमे कोनो सुधार नहि भेल । हँ, एतबा जरूर भेल जे सहरीकरणक बाद गामसँ भागि कए लोकसभ सहरमे आबि गेल आ जकरा
कोनो काज नहि भेटल से सभ चाहे ओ कतबो पढ़ल होथि वा मूर्ख होथि,चौकीदार बनि गेलाह । सहरमे चौकीदारक माने भेल सेक्युरिटीगार्ड । रंग-विरंगक
परिधान पहिरने हाथमे डंडा लेने कोनो पैघ मकानक गेटपर बारह-बारह घंटा निरंतर ठाढ़ रहए
बला किओ आओर नहि चौकीदारे भए सकैत छथि । सोचल
जा सकैत अछि जे जे आदमी बारह घंटा निरंतर ठाढ़ रहतैक ओ तँअपन जानबँचा लिअए सएह बहुत
,ओ अहाँक रक्षा की करताह? चाहिओ कए नहि
कए सकैत छथि ,कारण एक तँ देहमे कतहु दम बाँचल नहि रहि जाइत छनि,दोसर हुनकासभक हाथमे तँ एकटा लाठिओ नहि रहैत छनि । कहबी छैक जे विभुक्षितः
किम् न करोति पापम्। तेँ कै बेर सहरी चौकीदार स्वयं चोरी,डकैती
वा एहने कोनो आओर जघन्य अपराध करैत पकड़ल जाइत छथि ? तरह-तरहसँ एहन व्यक्तिकेँ यातना देल जाइत अछि। मुदा साइते किओ सोचैत हेताह जे आखिर
एना भेलैक किएक?
गामक चौकीदारसभ
तँ कम सँ कम भाला लए कए चलैत छल, अपन घरमे रहैत छल आ जे किछु घरक
बनल भोजन करैत छलाह मुदा सहरमे तँ हुनका लोकनिक
भगवाने मालिक । ने खेबाक ठेकान ने रहबाक, ताहिपरसँ बारह-बारह
घंटाक ड्युटी आ पगार कतेक ,बहुत तँ दस हजार । कोनो छुट्टी नहि
। जँ मोन खराप भेल तँ दरमाहा कटत । बेसी दिन छुट्टी रहब तँ नौकरिओ खतम भए जाएत । कहक
माने जे हुनकर जिनगी भगवानेक भरोसे चलैत अछि । एहन हालतमे ओ अनकर की रक्षा करताह? ओ तँ अपने रक्षा कए लेथि तँ बड़का बात ।
किछु समयपूर्व
भेल देशक लोकसभा चुनावमे चौकीदारक खूब चर्चा भेल । सही भेल,गलत भेल
,जे भेल मुदा सौंसे देस कोनो-ने-कोनो रुपमे चौकीदार बनि जेबाक घोषणा कए देलक । सोचल
जा सकैत अछि जे भारतक लोकक चेतनामे चौकीदार कतेक गहींर धरि धसल अछि । समाजक एतेक महत्वपूर्ण
अंग जकर काजे सभक रक्षा करब थिक उपेक्षित रहए से कतहु सँ उचित नहि लगैत अछि । मुदा
सएह भए रहल अछि । जरुरी अछि जे सरकारक नीति
निर्माता लोकनि चौकीदारक सेवाक सही मुल्यांकन करथि आ ओकरासभक पगार आ अन्य सुविधा कमसँ
कम एतेक तँ हेबे करैक जाहिसँ ओहोसभ अपना एहि देसक सम्मानित नागरिक हेबाक अनुभव करथि
। से जँ हेतेक तँ ओकर फएदा सभकेँ हेतैक । इसकूलमे पढ़निहार नेना सुरक्षित रहत,ओकर अपहरण
नहि भए सकतैक,गाम-घरमे रहनिहार किसानसभ अन्न-पानि सुरक्षित रहतैक आ सुरक्षित
रहताह सहरमे रहनिहार श्रीमान लोकनि जिनकर घरक आगामे एकटा सशक्त व्यक्ति हुनकर सुरक्षा करत ने कि एकटा
मजबूर,विमार आ शक्तहीन व्यक्ति जे अपने लेल सदरिकाल झकैत रहैत अछि ।
उमीद पर
दुनिआ कायम छैक। तें हमरा लोकनि आशा करी जे एकदिन चौकीदारो सभक दिन फिरतैक। देशमे बहि रहल विकासक बिहारि हुनको दरबाजा धरि पहुँचत ।
हुनको धीया-पुता आधुनिक शिक्षा प्राप्त कए अपन जीवनमे सकारात्मक परिवर्तन आनि सकताह
आ पुस्तक-पुस्त भाला लेने हकासल-पियासल गामक चौकीदार करैत व्यक्ति बीतल बात भए जाएत
।
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