देबराहा बाबा
प्रयागराजमे रहैत जे किछु
अविस्मरणीय घटनासभ घटल ओहिमे एकटा छल माघमेलामे देवराहा बाबाक दर्शन। ओहि समयमे
हमसभ प्रयागराजक १७,नया ममफोड़गंजमे
डेरा लेने रही । ममफोड़गंजसँ माघमेला पैरे जाएब एकटा रोमांचकारी यात्रा होइत छल । कै
बेर चलिते-चलिते जखन थाकि जाइ तँ एक्काक सहारा होइत छल । जे होइ,जेना होइ .मुदा हम सभसाल माघमेलामे बाबाक दर्शन करए जेबे
करी । माघमेलामे सभसँ कातमे गंगाजीक धारसँ सटले हुनकर मचान बनाओल जाइत छल । ओ अपन
चेला-चटिआसभक संगे माघमेलामे मचानपर टांगल रहैत छलाह । ओ मचान एहि हिसाबसँ बनाओल
जाइत चल जाहिसँ ओ ओकर उपयोग मंच जकाँ कए
लैत छलाह । ओतहि बैसि कए भक्तलोकनिकेँ दर्शन दैत छलाह आ जखन मोन औंट भए जानि तँ मचानक
अंदर चलि जाइत छलाह। देबराहा बाबा जखन मचानसँ बाहर होइतथि आ ओहीमे बनल ओसारापर
बैसितथि तँ भक्तलोकनिमे अपार प्रशन्नता होइत । सभ हुनकर जयकारा लगबितथि , कीर्तन करए लगितथि ।
बाबाक किछु चीज हुनका आन संतसभसँ
एकटा अलग पहिचान दैत अछि । जाहिमे प्रमुख अछि
हुनकर बएस । किओ कहैत छथि जे ओ तीन सए बरखक छलाह तँ किओ किछु । भारतक प्रथम राष्ट्रपति
सेहो हुनका अपन वाल्यावस्थामे अपन पिताक संगे दर्शन केने रहथि । कहाँ दनि बाबा कहने
रहथि –“ई तँ राजा होइ।"-
से बात सही भेल। ओ भारतक राष्ट्रपति भेलाह । राष्ट्रपति भेलाक बाद ओ बाबाक दर्शन केने
रहथि ।
देवराहा बाबा घंटो गंगामे डुबल नहाइत
रहैत छलाह । भक्तसभ हुनकर प्रतीक्षामे कीर्तन करैत रहैत छलाह । गंगासँ निकलि ओ द्रुतगतिसँ
अपन मचान दिस भगैत छलाह । बएस बेसी हेबाक कारण ओ झुकि गेल रहथि । मचानमे पाछुएसँ ओ
प्रवेश करितथि । तकरबाद लोकसभ आशा करैत जे ओ आब निलताह,ताब। कै बेर तुरंते निकलि जइतथि,कै बेर घंटो नहि निकलितथि । बाहर अबितहि भक्तसभ दिस प्रसाद फेकितथि
। जकरा जे भेट जाए । भक्तलोकनिकेँ आशीर्वाद देबाक हुनकर तरीका सेहो अलग छल । भक्तलोकनि
हुनकर मचानलग अबितथि आ बाबा हुनकर माथसँ अपन पैर सटा दितथि । मुदा ई भाग्य सभहक नहि
होइत छल। ककरो-ककरो फटकिएसँ नाओँ लए बजबैत छलाह । मचानपर बैसले-बैसल ओकर माथपर पैर राखि दितथि। ओ धन्य भए जाइत । प्रभुदत्त ब्रह्मचारीजीक पोथी भागवती कथाक दुनू
भाग लेबाक हेतु ओ लोकसभकेँ प्रेरित करैत छलाह । पोथी कीनि कए लोक हुनका लग लए जाइत
छल । ओ ओकरा छुबि दैत छलखिन । ओएह भए गेल हुनकर आशीर्वाद। एहि तरहें भरि माघमेला ई
कार्यक्रम चलैत रहैत छल ।
देबराहा बाबाक बएसक बारेमे कतेको
तरहक किंवदंती अछि । किओ हुनका पाँच सए बरखक तँ किओ तीन सए बरखक कहैत छथि । किओ-किओ
तँ हुनका नौ सए बरखक सेहो कहैत छथि । कहल नहि जा सकैत अछि जे वस्तुतः हुनकर बएस कतेक छल । मुदा एतबा तँ तय अछि
जे वो सामान्य आदमीसँ बहुत बेसी बएसक रहथि । कहल जाइत अछि जे वो एकठामसँ दोसर ठाम जेबाक
हेतु कोनो सबारीक प्रयोग करैत कहिओ नहि देखल गेलाह । ओ अपन योगशक्तिसँ कतहु चलि जा
सकैत छलाह ,पानिपर ठाढ़ रहि सकैत छलाह ? पानिमे बड़ीकालधरि डुबल तँ हमहु हुनका प्रयागराजमे गंगामे देखने
छिअनि । जखन ओ गंगाजीसँ बाहर निकलितथि तँ दर्शकमे अपनार हर्ष भए जाइत छल । इहो कहल
जाइत अछि जे जानवरसभक भाखा बूझैत छलाह आ ओ सभ हुनकर कहल करबो करनि । निर्जीव वस्तुसभपर
सेहो ओ नियंत्रण कए लैत छलाह । ओ लग-पासक गाछ-बृच्छसँ गप्प करैत रहैत छलाह । हुनकर आश्रममे एकटा बबूरक गाछ छल
। राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहथि तँ ओ बाबाक दर्शन करए आबएबला छलाह । सुरक्षाक दृष्टिसँ
अधिकारीसभ ओहिगाछकेँ पाँगए चाहैत छलाह । मुदा बाबा अड़ि गेलखिन । कहलखिन-
"राजीवक कार्यक्रम रद्द भए जेतैक
। तूँसभ नाहक परेसान छह ।" सएह भेल । हुनकर कार्यक्रम रद्द भए गेल। गाछ बाँचि
गेल । बाबाक बात सही साबित भेल ।
बाबाकेँ किओ पुछनि जे ओ पैरसँ आशीर्वाद
किए दैत छथि तँ ओ कहितथि जे पैरमे सभटा तीर्थस्थान समाहित छथि । हुनकर अवस्थाक बारेमे
पुछितनि तँ कहितथि जे ओ व्रह्मलीन छथि । माने व्रह्ममे ओ आ हुनकामे व्रह्म मीलि गेल
छथि । जाढ़-गर्मी,सभमे ओ बिना कोनो
वस्त्रकेँ कोना रहैत छथि? तकर जबाबमे ओ मृगछाला
देखबैत कहितथि जे इएह हुनकर वस्थ्र अछि । योगकृया द्वारा ओ अपन शरीरक तापमानकेँ नियंत्रित
करैत रहैत छथि ।योगद्वारा ओ जीह्वासँ अमृतपान करैत रहैत छथि जाहिसँ हुनर शरीरकेँ उर्जा
भेटैत रहैत छनि। एहि तरहक अनेको रहस्यसँ भरल ,निरंतरसभक कल्याणमे लागल भारतक एहि महान संत १९ मई १९९०क वर्ह्मलीन भए गेलाह
।
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