अनुत्तरित प्रश्न ???
आमंत्रित हुआ हूँ,मैं बार-बार
उत्तर देने के लिये,
वही प्रश्न-
जो है गूढ़ और गंभीर ।
श्रिष्टि के आदिकाल से,
जिस पर चल रहा है विवाद,
और समाधान आजतक हो नही सका ।
प्रश्न हे आज भी अनुत्तरित,
कैसे और क्या दे सकता था ?
उत्तर उन प्रश्नों का।
प्रयत्न तो किया था, कर भी रहा हूँ,
कि सोच लूँ,
अपने लिये ही सही,
कोई भी समाधान ।
पर मैं यह भी नहीं कर सका ,
विवाद जो जुड़ा है,
मनुष्य की अस्मिता से, चलता ही रहेगा ।
जबतक रहेगा यह समाज,
और स्वनिर्मित इसकी मान्यताएँ ।
लोग इसी तरह रहेंगे,
किंकर्तव्यविमूढ़, समस्याग्रस्त ।
स्वनिर्मित सीमाओं को, नियमो,प्रतिवंधो को,
तोड़ने के लिये, विवश और कृतसंकल्प ।
४.१०.१९९३
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