मधुबनी सहर
मधुबनी हमरासभक गामसँ
पन्द्रह किलोमीटरपर अवस्थित अछि। हम बच्चेसँ एहि ठाम अबैत-जाइत रहलहुँ।हमरसभक
मैट्रिकक परीक्षा केन्द्र मधुबनी वाटसन इसकूलमे छल।ओहूसँ पहिने कैक बेर असगरे आ
बेसीकाल बाबूक संगे मधुबनी आएल रही। बाबूक संगे मधुबनी आबी तँ ओ मधुर जरूर खुआबथि।किछु-किछु
आर सामानसभ कीनल जाइत।मधुबनीक चर्च करैत ओहि समयमे ओतए होइत सर्कसक ध्यान आबि जाइत
अछि।सर्कसक टार्चलाइट हमसभ गामेपर सँ देखी आ मोनमे उत्सुकता बढ़ि जाए जे ई छै की?सर्कस
की होइत छैक?केना देखल जाए? एक बेर हम बाबूक संगे सर्कस देखबो केलहुँ।तरह-तरहक
खेलसभ,जंगली जानबरसभ देखबामे आएल।एकटा बड़कीटा बाघ सेहो पिंजरामे देखाएल छल।हम अखन
धरि ओहि दृश्यसभकेँ बिसरि नहि सकलहुँ अछि।तहिना एक बेर मधुबनीक मिथिला टाकीजमे
संपूर्ण रामायण सीनेमा लागल छल। गामक -गाम ओहि सीनेमा देखबाक लेल उलटि गेल रहए।
मुदा हम ओ सीनेमा नहि देखि सकल रही।मधुबनीक स्मृतिसँ जुड़ल बहुत रास बात सभ अछि
जकर चर्चा हम आन ठाम कइए चुकल छी।
एक बेर फेर हम मधुबनी
सहरमे आबि चुकल छी। अपन मित्र श्रीनारायणजीक संगे हुनके घरक भूतलमे रहि रहल छी।
एहिठाम रहबाक लेल जरुरी सभटा सामान आनलाइन कीनि चुकल छी। काजबाली,भनसिआ,दूध
देनिहार सभक व्यवस्था श्रीनारायणजी पहिनेसँ कए देने छथि।तेँ एहिठाम रहबामे कोनो
दिक्कतिक प्रश्ने नहि उठैत अछि।बहुत रास
सामानसभ घरेसँ फोनपर श्रीनारायणजी लिखा देलखिन आ थोड़े कालक बाद सभटा सामान
रिक्सापर घर पहुँचा देलक।ओकरा फोनपेपर भूगतान कए देलिऐक। दिल्ली,नोएडा जकाँ एहिठाम
बिगबास्केट,ब्लिंकइट,जेप्टोसन त्वरित सामान पहुँचाबए बला व्यवस्था भने नहि
होइक,मुदा घरे बैसल सामान एतहु आबि जाइत अछि। फेर एमजोन,फ्लिपकार्ट सेहो एहि ठाम
उपलब्ध अछि। बहुत रास सामान हम आनलाइन कीनलहुँ अछि। पानि पीबाक लेल बिसलेरी सेहो
एहिठाम भेटि जाइत अछि। पाँच-पाँच लीटरक बोतलसभ प्रचूर मात्रामे कीनि कए राखि लैत छी। गाम लए जेबाक लेल सेहो
पानिक बोतलक जोगार एमजोनक मारफत भए जाइत अछि। कहब जे पानि किएक कीनैत छी? बात तँ
सही ,मुदा स्वास्थ्यक ध्यान रखैत से करब उचित बुझाइत अछि। एक दिन रातिमे बहुत रद्द
भेल,जखन कि किछु अदन-कदन नहि खेने रही। तखन सोचबामे आएल जे पानि बदलबाक कारण ई
उकबा भेल होएत। ओना गामोपर नवका चापाकलक जोगार भेल अछि जे करीब चारि सए फीट नीचाँ
धरि धसाओल गेल अछि। ऊपरमे पानि भेटबे नहि केलैक। निश्चय ई चिंताजनक स्थिति तँ
अछिए।पानि एतेक नीचाँ किएक चलि गेल? असलमे पोखरि-इनारसभ सुखा गेल,किंवा नष्ट भए
गेल।जल संरक्षणक ई नैसर्गिक पुरान तरीका
आब रहल नहि। ऊपरसँ दिन-राति गृह निर्माण होइत रहैत अछि।ताहूसँ जलक स्तर नीचाँ जा
सकैत अछि। आब बहुत गोटे समरसीभल गड़बा लेने छथि। देखा चाही कतेक दिन धरि ओहो चलि
सकत।दू-तीन दिन मधुबनी बजारसँ किछु-किछु सामानसभ अबैत रहलाक बाद मधुबनी सहरमे हमरा
लोकनिक गृहस्थी आब व्यवस्थित भए चुकल ।
मधुबनी सहरमे अखनो किछि
विशेषता देखाएल। जेना एहि ठाम तरकारीसभमे गजब स्वाद अछि। भांटा,सजमनि,कदीमा,ओल,खम्हाउर
सभ अद्भुत स्वादिष्ट। मुदा कोबी सभक रंग-ढंग बदलल-बदलल बुझाएल। छोटका फुलकोबीसभ
नहि देखाएल।ओना गिलशनक तरकारी बजार तरकारीसँ भरल रहैत अछि।सहरमे केकटा प्रतिष्ठित
दोकानसभ सेहो अछि।मुदा अहाँकेँ जनतब हेबाक चाही जे कोन वस्तुक कोन दोकान नीक
अछि।ओना अनचोके यदि कोनो दोकानमे चलि जाएब तखन से बात नहि बुझाएत।किछु मौलसभ सेहो
खुजि गेल अछि।होटलसभ सेहो उपलब्ध अछि जे एसीयुक्त रूमसभ सुलभ करबैत छथि।
मधुबनीमे गामोमे बेसीकाल लाउडस्पीकर बजिते रहैत अछि।ककरो
कोनो कनीकोटा उत्सव करबाक हेतैक तँ लाउडस्पीकर जरूर लगा देत।सत्यनारयण भगवानक पूजा
होअए,बिआह,उपनयन,मूड़न किछु होअए लाउडस्पीकर बजबे करत।अहाँकेँ जे हेबाक अछि से
होअए।ओना एहिठामक लोकसभ एहन ध्वनि प्रदूषणक अभ्यस्त भए चुकल बुझाइत छथि। हम जखन मैट्रिकक
परीक्षा देबए सन् १९६७मे मधुबनी आएल रही तखनहु इएह हाल रहैक।
मधुबनीसँ अड़ेर डीह टोल जाएब-आएब आब बहुत आसान भए
गेल अछि। जखन चाही टेकर,बस सभ सुलभ अछि। हमर डेरासँ बस स्टेंड(गंगा सागर लग) बीस-तीस टाकामे चलि जा सकैत छी। तकर बाद ओहि ठामसँ
बेनीपट्टी जाए बला कैकटा बस खुजैत अछि।अन्यथा मिथिला टाकीजसँ सटले अड़ेर गेनिहार
टेकरसभक लाइन लागल रहैत अछि।किशोरी लाल चौकपर चलि जाउ तँ आर नीक,कारण बीचक जामसँ
बँचि सकैत छी।मधुबनीमे जाम ओहिना लगैत अछि जेना कोनो पहाड़ी नदीमे बाढ़ि आबि जाइत
अछि।कखन जाम लागि जाएत तकर कोनो ठेकान नहि। सड़क दुबगली अतिक्रमण भेल अछि जकर
हटाएब असंभव थिक।देखिते-देखिते आगूसँ रिक्सा पाछूसँ मोटर साइकिल बामा कातसँ
ट्रेक्टर बीचमे फसल किछु यात्री तेहन विचित्र दृश्य बना दैत छथि जकर वर्णन करब
मोसकिल।जामसँ निकलि गंतव्य धरि सुरक्षित पहुँचि जाएब अपनेक भाग्यपर निर्भर अछि।
मधुबनीक सीवर व्यवस्था
आ स्वच्छताक चर्चा नहिए करब बेसी नीक।मधुबनी सहरमे सीवरक कोनो नीक व्यवस्था नहि
अछि। यत्र-तत्र नालासँ सड़ल पानि
दुर्गंधित अपशिष्टसभ बहाइत देखि मोन घिना जाइत अछि। पोखरिसभ दुर्गंधसँ
गन्हाइत रहैत अछि। गिलेशन बजारक मछहट्टा लग माछी भनभनाइत रहैत अछि। सामनेमे गुंड़क
चक्की खुजले राखल देखाएत। ओएह माछीसभ उड़ि-उड़ि गुड़पर बैसैत अछि।की आमिष की निरामिष?गुड़क दोकान बलाकेँ कहबो केलिऐक-
“एना उघारल गुड़ किएक
रखैत छी?किएक ने एकरा उजरा पन्नीसँ झाँपि दैत छिऐक?”
ओ तुरंत उग्र होइत
बाजल-
“की बात करैत छी?ई मधुबनी
छैक?भीतर राखि देबैक तँ बिकेबो करत? अहाँक लेबाक होअए तँ भीतरेसँ निकालि देब।मुदा
एना नहि बाजू।”
मधुबनीमे एकटा विचित्र
बात ई देखबामे आबि रहल अछि जे स्थानीय विक्रेतासभ जेना झगड़ा करबाक लेल तैयार बैसल
होअए,आतुर होअए।यदि एकटा बात मुँहसँ निकलि गेल,किंवा किछु प्रश्न पुछि लेलहुँ तँ आगू भगवाने मालिक।जेना तरकारी लेबाक काल हम
कहलिऐक-
“दढ़ कदीमामे सँ काटि
कए दिअ।”
“जते गोटे आएत सभ कहैत
जाएत जे दढ़ कदीमा काटि कए दिअ।तखन तँ हम बेचि लेलहुँ। एक सेर -आध सेर लेब कि नहि
लेब ,मुदा फरमाइस करैत जा रहल छी।”
एहि तरहेँ तरह-तरहक
बातसभ ओ बाजए लागल। ओहि ठाम ठाढ़ भेल दूटा ग्राहक सेहो अबाक देखैत रहि गेलाह। ओ सभ संभवतः भोज करबाक लेल कदीमा आ ओल एकट्ठे
लेबाक लेल तत्पर छलाह,मुदा दोकानदारक बजबाक तरीकासँ छगुन्तामे देखेलाह।
एकदिन काजसँ कचहरी गेल
रही।एकटा पुरान रजिष्ट्रीक कागजकेँ साफ-साफ टाइप करेबाक रहए जाहिसँ ओकरा पढ़ल जा सकए। पता
लगबैत-लगबैत ओकालतिखानाक पाछू बैसल टंकक लग पहुँचलहुँ। ओ पचकोसीक एकटा बहुत
प्रतिष्टित गामक छथि। बएस पचहत्तरि,देखबामे शुभ्र। हम हुनका ओ कागज देखए देलिअनि।
ओहिमे हाथसँ लिखल सातटा पन्ना छलैक।तकरा टाइप करबाक लेल ओ सात सए रूपया मंगलनि।
फेर अपने छओ सए कहलनि आ बात पक्का भए गेल। ओ दोसर दिन बारह बजे टाइप कए देताह।हम
दोसर दिन भेने हुनकासँ ओ कागज लेबए गेलहुँ। ओ नाम पुछलनि आ टाइप कएल कागज निकालि कए दए देलनि। हम ओहि
कागजकेँ ध्यानसँ देखैत छी। ओहिमे अपूर्णता बुझाएल।पाछूक दू पृष्ठ टाइप नहि कएल गेल
छल। हम हुनका कहलिअनि-
“एहिमे तँ दूटा पन्ना
नहि छैक।”
ओ मुँह बिचकबैत बजलाह-“एहिना
होइत छैक।कोनो कागज देखि लिऔ।एहन कागजसभमे पछिला पन्नासभ टाइप नहि कएल जाइत छैक।”
“मुदा हम तँ अहाँकेँ
पूरा कागज टाइप करए कहने रही।”
“की जाहिल जकाँ बात कए
रहल छी। लेबाक होअए तँ लिअ नहि तँ छोड़ि दिऔ।”आर की की बजैत रहि गेलाह।हम हुनकर
शब्दक चयनपर बहुत आपत्ति केलिअनि।कहबो केलिअनि जे अहाँ अपन गामक नाम घिना रहल छी। सए-दू
सए टाकाक लेल एहन स्तरहीन बात कए रहल छी।लगेमे ठाढ़ दूटा मुसलमान जे उर्दू भाषा
जनैत छलाह,सेहो आपत्ति केलकनि । मुदा हुनका लेखे धनसन।ओ टाका धेलाह आ निश्चिन्त
भाओसँ अपन काजमे लागि गेलाह।हम हुनका कतबो बुझेबाक प्रयास केलहुँ,सभ व्यर्थ। हम
माथ पकड़ने आगू बढ़ि रहल छलहुँ कि दिल्लीसँ श्री कामेश्वर चौधरीजीक फोन आएल।हुनका
संगे गप्प करैत मोन हल्लुक भेल।संयोगसँ हमर मोबाइल फोन श्रीनारायणजीकेँ लागि गेल
रहनि ओ ओहि आदमीक संग हमर समस्त वार्तालाप
सुनैत रहि गेल रहथि।साँझमे जखन हम वापस डेरापर अएलहुँ तखन ओ सभटा गप्प बुझलनि। नहि
कहि सकैत छी जे कचहरीमे भेल ओहि दुखद अनुभवकेँ बिसरबामे कतेक मोसकिल भेल छल। मोनमे
बेर-बेर होइत छल-
“सएह कहू,केहन भए गेल
अपन सहर अपन गाम-घर?”
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