मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

बुधवार, 8 जुलाई 2020

एहनो होइत छैक






एहनो होइत छैक



हम अङनेमे रही कि एकटा अधबएसू गलामे कंठी पहिरने उतरबरिआ घरबैआक ओहिठाम दूध देबए आएल रहए । ओकरा हम पहिनो देखने रहिऐक । मुदा एहिबेर बहुत दिनक बाद आएल छल । आङनमे लोकसभ किछु -किछु फुसफुसाएल । ओकरा गेलाक बाद बात परिछबैत केओ कहलकैक-

जहल काटि कए आबि गेलैक ।

चौदह साल धरि आजन्म कारावास कटलाक बाद ओ गाम घुरि आएल छल । ओकरा संगे दूटा आओर जहल काटि रहल अपराधीसभ सेहो अपन घर घुरि आएल छल । तकर बाद तीनूगोटे अपन उजरल-उपटल दुनिआकेँ फेरसँ सोझ करबामे लागि गेल । समाजो आब ओकरासभकेँ स्वीकार कए लेलकैक । मालिकसभक खेतमे ओसभ बोनि करैत छल । एक टोलसँ दोसर टोल निर्वाध अबैत जाइत छल। समय लोकक मोनक घावकेँ भरि देने रहैक । जे फेर कहिओ घुरि नहि आएलि से आब लोककेँ बिसरा गेलि । लोककेँ इहो मोन नहि रहलैक जे ई तीनू निर्दयी कोना ओकरा गछारि कए कलममे एकसरि पाबि अत्याचार केने रहैक आ अपन जान बचाबए लेल ओकरा मारिओ देने रहैक । कोना ने लोक बिसरि जइतैक? ओ कोनो दिल्लीक समाज नहि छलैक जकरा टेलीवीजन फेर-फेर मोन पाड़ितैक । जतए बेर-बेर जुलुस निकलितैक । जतए न्यायालयमे न्यायक फरिआदीक पक्षमे हजारों लोक ठाढ़ भए जइतैक । ई तँ एकटा छोटसन गामक बात छलैक। कहि नहि पहिनो एहन घटनासभ होइत रहल होइक आ लोक गब्धी लादि देने रहल होअए ।

ई घटना कम सँ कम अड़तालीस वर्षक थिक । हमर गाम लगक टोलक एकटा युवती अपना घरसँ दू माइल फटकी दोसर टोलपर बैन पहुँचाबए गेल रहथि । रस्ताक बीचमे कलम पड़ैत छलैक । ओहिठाम तँ गाम-घरक लोकसभ घास काटए किंवा आन-आन काजे अबिते रहैत छल । ओहुना गामक लगीचेक बात रहैक । तेँ ओ युवती निधोख ओहीबाटे बैन पहुँचा कए वापस होइत रहए । कलममे दूटा छौंडा़क ध्यान ओकरापर पड़लैक । ओहोसभ ओकरे टोलक रहैक । तेँ सामने आबि गेलाक बादो ओहि युवतीकेँ मोनमे कोनो अंदेशा नहि भेल होएतैक । मुदा ओकरासभक मोनमे तँ दुष्टता आबि गेल रहैक । ओ सभ ओकर रस्ता रोकलक । कहि नहि की-की कहलक ? अपना भरि ओ युवती बहुत विरोध केलकैक । खुरपी लए कए कैक बेर ओकरा सभपर आक्रमणो केलकैक । मुदा ताबे ओ अधबएसू सेहो कतहुसँ पहुँचि गेल । ओहो दुनूगोटेक संग भए गेल । युवती असगरि पड़ि गेलि । तीनूगोटे ओकरासंगे गलत काज केलक । ततबे नहि । कहाँदनि ओ तकर बाद अधबएसू कहलकैक-

एना जँ एकरा वापस जाए देबही तँ ककरो जानो बँचतौक?”

तखन की कएल जाए?”

एकरा खतम कर । तखने बँचि सकैत छैं ।

यौ बाबू!  तीनूगोटे मिलि कए ओही खुरपीसँ ओकर नरेठी काटि देलक  आ भागि गेल ।

जखन बहुत काल धरि ओ युवती घर वापस नहि गेल तँ ओकर माता-पिताकेँ चिंता भेलैक । सौंसे लालटेन लेने तकने फिरए । कतहुँ कोनो भाँज नहि लगैक । बैन तँ ओ सही समयपर पहुँचा देने छलि । तकर बाद वापसो चलि गेल छलि । तखन गेल कतए?

राति भरि ओकर माए-बाप आ गौंवासभ ओकरा तकैत रहि गेल । मुदा ओकर किछु पता नहि चलि सकल । भोरे अन्हरोखे किछु चरबाहसभ महीष चराबए निकलल । महीष चरबैत-चरबैत ओहिमे सँ केओ कलम दिस गेल कि एकटा महिलाक अर्धनग्न रक्तरंजित लास पड़ल देखि चिचिआ उठल । ओकरा चिचिआइत देखि आओर चरबाहसभ दौड़ल ।  देखिते-देखिते ई बात चारूकात पसरि गेल । केओ ई बात ओकर  पिताकेँ सेहो कहलकैक । ओ किछुगोटेक संगे दौरल ओहिठाम आएल । बेटीक लास ओहि हालतिमे देखि ओ ठामहि बेहोश भए गेल । लग-पासमे ठाढ़ लोकसभ ओकरा हवा केलक,पानि पिओलक । होश अबितहि ओ भोकासी पाड़ि कए कानए लागल । एतबेमे ओकर माए सेहो दौड़ल आबि गेलैक । तकर बाद जे दृश्य उपस्थित भेल,जाहि तरहसँ ओ दुनू बेकती कन्ना-रोहटि केलक से ककरो हृदयकेँ विदीर्ण कए सकैत छल । सोचल जा सकैत अछि जे एकटा माता-पिताकेँ एहन परिस्थितिमे कतेक कष्ट भए सकैत छैक । ओहो तखन जखन हत्यारा तीनूगोटे ओकरसभक पूर्वपरिचित रहैक । ओ अधबएसू तँ मृत महिलाक पिताक घनिष्ट लोक छलैक । मुदा मनुक्ख जखन राक्षस भए जाइत अछि तखन आओर की उमीद कएल जा सकैत अछि? थोड़बे कालमे पुलिस आएल ।  लग-पासमे रहैत लोकसभसँ भेल पूछताछक आधारपर दोषी तीनू व्यक्ति पकड़ल गेल । ओकरासभकेँ अड़ेर उच्च विद्यालयक दछिनबरिआ कोठलीमे बंद कए देल गेल । चारूकात लोकक करमान लागि गेल । गाम-गामसँ आबि कए लोकसभ अबैत रहल आ दोषीसभकेँ देखैत रहल । जकरा जे मोनमे अबैक से बजैत रहल । लासकेँ पुलिस मधुबनी लए गेल । तीनू अपराधीसभकेँ पुलिस पकड़ि कए बेनीपट्टी थाना लेने चलि गेल । क्रमशः लोकक भीड़ सेहो  छटि गेल । मुदा मृत महिलाक माता-पिता बड़ीकाल धरि छाती पिटि-पिटि कनैत रहि गेल ।

 हे भगवान! एहन अन्याय किएक भेल?”

मृत महिलाक पिताकेँ हमसभ नेनेसँ जनैत छलिऐक । ओ हमर लालबाबा(बाबाक छोटभाए)क ओहिठाम काज करैत छल । उघारेदेहे ,ठेहुन धरि धोती पहिरने ,कनी-कनी दाढ़ी बढ़ल माथमे आधासँ बेसी केस पाकल -इएह छल ओकर बगए । भोरे बरद लए खेतपर जाइत । दुपहरिआमे वापस भेलाक बाद केराक पातपर आङनक मुहथरिपर भोजन करैत । गमछामे बोनि बान्हैत आ अपन घर वापस चलि जाइत ।  बीचमे जलखै लए कए लालबाबा खेतपर जाइत छलाह । थाकल ठेहिआएल ओ जखन काज खतमकए दनानपर अबैत तँ सभसँ पहिने बरदसभकेँ पानि पिआबैत ।  ओकरासभकेँ खेबाकजोगार करैत । तकरबादे अपने भोजन करैत । हमसभ  कतेको बेर ओकर कोरामे चढ़ल रही । ऐतेक परिश्रमक बादो ओ सदति प्रसन्न देखाइति छल । मुदा एहि दिर्घटनाक बाद ओ कहिओ हँसैत नहि देखाएल । काजपर जाएब तँ ओकर मजबूरी छलैक । मुदा ओकरामे ओ रोहानी फेर कहिओ नहि वापस आएल । कतेको बेर ओकरा रहि-रहि कए बेटीकसंग भेल अत्याचारक कारणकनैत देखिऐक । अफसोचक बात थिक जे अपरोधीमेसँ एकटाक पिता हमरे ओहिठाम काज करैत छल । ओ अधबएसू अपराधी तँ हमर काकाक ओहिठाम दूध देबाक हेतु अबैत-जाइत रहैत छल । जाहिर बात छैक जे ओ सभ एक-दोसरकेँ जनैत रहल होएत । तखनो एहन काज कए गेल । संभवतः ओकरासभकेँ भेलैक जे जान-पहिचानक बात छैक । जँ ओकरा जीबैत छोड़ि देबैक तँ फँसि जाएब । अपनाकेँ बचाबक चक्करमे ओहि निर्दोष महिलाक ओ सभ हत्या कए देलक ।

आखिर मामिला न्यायालयमे गेल । तीनू दोषी साबित भेल आ सभकेँ आजन्म जेलक दंड देल गेल । जेलमे  रहितो ओ सभ कहिओ-कहिओ पेरोलपर गाम अबैत छल । लोकसभ ओहिबातसभकेँ ताधरि बिसरि गेल छल ।

अपराधीमेसँ दूगोटे बहुत गरीब परिवारक छल । ओकरासभकमोछक पम्ह निकलिए रहल छल । भए सकैत अछि जे जबानीक जोशमे आबि गेल । मुदा ई अधबएसू? एकरा की कहबैक । चालीससँ बेसिए बएस रहल हेतैक । गलामे कंठी बन्हने छल । आर्थिक रूपसँ सेहो ठीक-ठाक छल । केओ सोचिओ नहि सकैत छल जे एहि तीनूगोटेमेसँ सँ केओ एहन जघन्य अपराध कए बैसत । मुदा सभसँ सातिर साबित भेल ओ अधबएसू । कहाँ दनि ओएह दुनू युवककेँ कुकर्म केलाक बाद महिलाकेँ मारि देबाक हेतु प्रेरित केने छल । किछु नहि कहल जा सकैत अछि जे ककरा हाथे की कलंक भए जाएत? कम सँ कम एहि घटनाक बाद तँ सएह सोचाइत छल । कारण ओ सभ अपराधिक प्रवृतिक नहि छल । मात्र संयोगवश एहन कुचक्रमे फँसि गेल छल । जे छल मुदा काज तँ बहुत खराप कए गेल छल ।

ग्रामीण समाजमे अपने लोकसभ द्वारा संभवतः अनचोकेमे कएल गेल ई जघन्य अपराध हमरा अंदरसँ मर्माहत कए देने रहए । ओकर किछुए दिनक बाद हमरसभक मैट्रिकक परीक्षा भेल रहए । परीक्षाक तैयारीक बीचमे रहि-रहि कए ओ बातसभ हमरा मोनमे प्रकट भए जाइत छल । मृत महिलाक पिताक आँखिसँ बहैत नोर  कैकबेर हमरो आँखिसँ निकलि जाइत छल । भए सकैत अछि जे जँ ओ कोनो सशक्त व्यक्ति रहैत तँ एहन घटना हेबे नहि करैत,ओ एसगरि पैरे बैन देबए दोसर टोलपर जेबे नहि करैत । मुदा ओ की जाने गेलैक जे आइ केओ ओकरा गौंवा राक्षस बनल कलम लग ठाढ़ रहतैक । ओ तँ ओहिठाम निरंतर जाइते-अबैत रहैत छलि ।  ओकर नैहरक गाछ- बृच्छ,घास-पात सभ ओकर रखबार छलैक ।  ओकर अपन छलैक । तखनो केओ ओकरा बँचा नहि सकल । भए सकैत अछि जे जँ ई घटना दिल्लीसन  महानगरमे भेल रहैत तँ ओकर पिताकेँ पर्याप्त मदति होइतैक,सरकारी आश्रय भेटितैक । मुदा ओ बात तँ एकटा सुदूर देहातमे भेल रहैक । के सुनैत,ककरा कहतैक? मृत महिलाक पिता ओहिना हरबाही करैत -करैत हृदयमे   दारूण दु सहैत एकदिन चुपचाप एहि दुनिआसँ चलि गेल । ओ तँ चलि गेल मुदा हमर मोनमे सभदिनक हेतु अथाह कष्ट भरि गेल । नेनामे ओकर सिनेहकेँ हम नहि बिसरि सकलहुँ ,ने बिसरि सकलहुँ ओकर दुखद अंतकेँ । मुदा ई समय थिक । कतए सँ कतए पहुँचि गेल । ओहि घटनाक लगभग पाँच दसक भए गेल । मुदा हमर मोन अखनो कखनो काल कए व्याकुल भए जाइत अछि । कहि उठैत अछि-एना नहि हेबाक चाहैत छल । बहुत गलत भेल ,आदि,आदि ।

एहने घटना दिल्लीमे सेहो घटल रहैक । लेडी हार्डींग मेडिकल कालेज नई दिल्लीक एकटा कर्मचारी अपने बेटीक संगे वलात्कार कए देने रहैक । चौदह वर्षक आजन्म कारावास काटि ओ नहि आएल छल । ओ कोट-कचहरीमे तिकरिम कए जेना-तेना छुटि गेल छल । तकर बाद लेडी हार्डींग मेडिकल कालेज दिल्लीमे कर्मचारी युनिअनक समर्थनसँ फेरसँ  काज करए आएल छल । नौकरीमे ओ फेरसँ बहालो भए गेल छल । मुदा ओहिठामक सजग समाज ,विद्यार्थी, आध्यापक सभ आंदोलन कए देलक । प्रशासनकेँ साफ-साफ कहि देलक जे जँ ई काज करत तँ हमसभ काज छोड़ि देब । कैकटा विभागमे ओकरा समयोजित करबाक प्रयास भेल मुदा सभठाम ओकरा खिलाफ ओएह आबाज ओहिना आंदोलन शुरु भए जाइक । हारि कए ओ प्रशासनमे कोनो ठाम खपाओल गेल । बेसक ओ कोर्ट-कचहरीसँ अपनाकेँ बचा लेलक मुदा समाज ओकरा माफ नहि केलकैक । ओहि समयमे हम ओतए उप निदेशक (प्रशासन)क काज देखैत रही । हमरा नीकसँ मोन अछि जे कालेज प्रशासनकेँ कतेक मोसकिल भेल रहैक । मुदा गामक समाजमे से संवेदनशीलता नहि देखाएल । आएल पानि गेल पानि बाटे बिलाएल पानि । जे भेलैक जकरा भेलैक । बात अएलैक,गेलैक आब तकर कोन हिसाब छैक? फेर गाम॒घरक सामंती व्यवस्थामे  तँ एहन बातसभ होइते रहैत छल । ककर-ककर के हिसाब करैत फिरत? की पता कहीं दुनू पक्षक घालमेल होइक । तरह-तरहक गप्प-सप्प सुनबामे अबैत रह भोगि । अपराधीकेँ कानून दंड देलकैक । ओ दंड भोगि कए बेस मोट-सोट भए कए अपन घर वापस भए गेल । आओर कएले की जएतैक?

किछुसाल पूर्व एकदिन भोरे अखबार पढ़ैत रही । एकटा आइएएस अधिकारीक बेटीकेँ मुम्बइमे ओकरे फ्लैटमे पैसि कए सोसाइटीक सुरक्षामे लागल गार्ड बलात्कारक बाद हत्या कए देबाक समाचार मुख्यपृष्ठेपर छपल छल । ओहि अधिकारीजीकेँ हम जनैत छलिअनि । गृह मंत्रालयमे हमसभ संगे काज केने रही । ओ बहुत प्रबावशाली व्यक्ति छलाह । बेटी उच्च शिक्षाप्राप्त केलाक बाद मुम्बइमे काज करैत छलखिन । एतेक अछैत ओकरा अकारण हत्या भए गेल । एकबेर फेर हमर गामक घटना मोनमे नाचि गेल । की गाम की मुम्बई,की हरबाह की आइएएस सभक बेटीक जान-माल असुरक्षित भेल अछि । लोक एहन पैशाचिक किएक भए गेल ? हम सोचए लगैत छी तँ सोचिते रहि जाइत छी - जे मनुक्ख एहनो होइत छैक । 

8.7.2020

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