माएक
नाम पत्र
परम पूजनीया माए,
सादर प्रणाम।
कतेको दिनसँ मोन
होइत छल जे अहाँकेँ चिठ्ठी लिखी । अपन मोनक बातसभ कही । जहिआसँ अहाँ हमरा लोकनिकेँ
छोड़ि कए चलि गेलहुँ तहिआसँ हमर मोनमे जे शून्यता आएल तकरा पत्र लिखि किछु कम
करबाक प्रयास करी । मुदा अपने मोनक अंतरद्वंदक कारण कलम आगु नहि बढ़ि पबैत छल । जहिना हाथमे ली
तहिना राखि दी । मोन स्थिर हेबे नहि करए । ई किएक होअए? कहि नहि मोन कतए सँ कतए
पहुँचि जाइत छल । ओना तँ मोनक गति अपार होइत अछि । क्षणेमे कतए सँ कतए पहुँचि जाइत अछि । हमरा अहाँकेँ जतए
पहुँचएमे मासो लागि सकैत अछि ताहिठाम मोन क्षणभरिमे पहुँचिएटा नहि जाइत अछि,अपन
क्रिया-प्रतिक्रिया धरि दए दैत अछि । तेँ अहाँकेँ एहि दुनिआसँ चलि गेलाक बादो हमरा
साहस भेल जे अहाँकेँ चिठ्ठी लिखी । हमरा ई विश्वास भेल जे हमर
मोन एकरा अहाँ जतए कतहु होएब अवश्य पहुँचा देत । ततबे नहि अहाँक कुशल-क्षेम सेहो
कहत । चिठ्ठी उतारा सेहो आनि देत । एतेक बाद सोचलाक बादो अहाँक गेलाक तीन सालसँ
बेसिए बिति गेल । मुदा हम अहाँकेँ चिट्ठी नहि पठा सकलहुँ । जखन कखनो असगर होइतहुँ कि मोन दौड़ए लगैत छल । माथमे
तरह-तरहक विचार भरि जाइत छल । हमरा मोनमे रहि-रहि कए ई बात उठैत रहैत अछि जे अहाँक
जेबाक अखन समय नहि भेल छल । उचित प्रयाससँ अहाँकेँ एहि संसारकेँ छोड़बासँ रोकल जा
सकैत छल । मुदा ई बात ध्यानमे अबितहि जेना मोन स्वयंमे फँसि जाइत छल । एहि तरहेँ
कतेको बेर प्रयास कएल । मुदा बात जस-के-तस रहि गेल ।
हमरा मोने अछि जे
अहाँ केना चारिए बजे भोरसँ भानसक ओरिआनमे लागि जाइत छलहुँ जाहिसँ गामसँ कतहु जेबासँ पहिने हम भोजन कए ली
। जखन हम गामेपर रहि परीक्षासभक तैयारी करैत छलहुँ तँ अहाँ हमरा लगीचमे बैसलि
औंघाइत रहैत छलहुँ । भरिदिनक थाकल
-ठेहिआएलि अहाँकेँ विश्राम जरूरी रहैत छल । मुदा जाबे हम पढ़ैत रही,ताबे अहाँ हमर
प्रतीक्षा करैत रही । दूपहर रातिमे हम दुनूगोटे भोजन करी । ताबे घरमे सभगोटे सुति
गेल रहथि । सौंसे गाम निःशव्द भए गेल रहैत छल । जखन हम परीक्षा देबए गामसँ दरभंगा
बिदा होइत छलहुँ तँ लोटामे पानि भरने अहाँ हमरा आगुमे ठाढ़ भए जाइत छलहुँ जाहिसँ
हमर यात्रा बनए,परीक्षा खूब नीख
होअए । गोर लगलापर एक पथिआ आशीर्वाद दैत छलहुँ।
हमरा मोन पड़ैत
अछि जे जखन हम गामसँ वापस दिल्ली बिदा होइ तँ केना अहाँ बहुत दूर धरि अरिआति दैत
छलहुँ । केना जाइत-जाइत पेन,कागज,पता लिखल लिफाफासभकेँ जोगा कए रखबा लैत छलहुँ जाहिसँ
हमरा चिठ्ठी लिखल करब । चिठ्ठी अहाँ लिखबो करी । कैक बेर अपने हाथे ,कैकबेर केओ आन
लिखि दैत छल । सभ चिठ्ठीमे आशीर्वादक वर्षा केने रहैत छलहुँ । हम कड़ोरपति भए जाइ,हमर बच्चासभ खूब
सुखी रहए,हमरा सभ तरहेँ
बरक्कति हओए ।
हमरा मोने अछि जे
जखन हम नेना रही तँ अहाँ हमरा हेतु कतेको बेर कैकगोटेसँ झगड़ा केने रही । जँ केओ
हमरा किछु कहि देलक तँ ओकर भगवाने मालिक ।
हमरा मोन अछि जे नानी एकबेर कहने रहए-“बौआक पैर नाना सन छैक ।”एहि बातसँ अहाँ
कतेक दुखी भेल रही । कारण नाना तँ बहुत पहिने मरि गेल रहथि। तेँ हुनकर पैरसँ तुलना
करब अशुभ छल ।
अगस्त
२०१३मे कोनो
बात लए कए अहाँकेँ गाममे रहि रहल पुतहुसँ झगड़ा भए गेल । पुतहुसँ झगड़ा कोनो नवबात
नहि छैक। सभठाम होइते रहैत छैक । मुदा अहाँकेँ कोनो बात गड़ि गेल। अहाँ घरसँ
माधबीक ओहिठाम चलि गेल रही । ओहिठाम दसदिन रहि गेलहुँ । ओसभ अहाँकेँ बहुत मानलथि,बहुत आदर केलथि ।
मुदा घरबैआ अहाँकेँ बजबए नहि गेलथि । एहि बातसँ अहाँकेँ बहुत दुख भेल रहए। हम ई
समाचार सुनि दिल्लीसँ गाम गेल रही । बेतिआसँ राधे बहिन सेहो आएल रहथि । माहौल ठीक
नहि देखि हम आ राधे बहिन बहुत आग्रह कए अहाँकेँ दरभंगा स्थित अनुजक डेरापर दए आएल
रही । अहाँकेँ दरभंगा जेबाक एक्को पाइ इच्छा नहि रहए । मुदा हमही जोर देलहुँ कारण हमरा
अनुमान रहए जे अहाकेँ ओतए आराम होएत ।
दरभंगा पहुँचि कए किछुदिन अहाँ बहुत प्रसन्न रही । कही जे लगैत अछि जेना स्वर्गमे
आबि गेल छी। मुदा थोड़बे दिनक बाद अहाँकेँ ओतहु मोन उचटि गेल , वापस गाम जेबाक
इच्छा होबए लागल । जेना-तेना छओमास ओतए
रहि अहाँ गाम वापस आबि गेलहुँ । गाम अएलाक
बाद हमरासँ फोनपर गप्प भेल छल । एहिबातसँ अहाँ बहुत प्रसन्न भेल रही जे अहाँक सभटा
व्यवस्था गामेमे कएल जाएत जाहिसँ अहाँ नीकसँ ओतए रहि सकी । ...एहिबातसँ प्रसन्न
भए
अहाँ कतेक काल धरि गीत गबैत रहि गेल रही तकर बाद हम गाम गेलो रही । ककरा-ककरा ने कहने
रहिऐक जाहिसँ अहाँक सेवाक हतु केओ सेवक भेटि जाए। जकरे कहिऐक से कहैत
- करितहुँ किएक नहि । मुदा डर लगैत अछि।
फरबरी
२०१४मे जखन
अहाँ दरभंगासँ गाम वापस अएलहुँ तँ नङराइत रही । अहाँकेँ दरभंगामे ठंढ लागि गेल रहए
। तकरबाद कनी-कनी नङराइते रहि गेलहुँ । अहाँक डांर क्रमशः झुकैत गेल । देह कमजोर
होइत गेल । तैओ अहाँ अपने हाथे सभ काज करी । अपन चाह,जलखै,भोजन स्वयं बनाबी । ककरोपर
आश्रित होएब अहाँकेँ पसिंद नहि रहए । नब्बे वर्षक आयुधरि अहाँक इएह दिनचर्या रहए ।
तकरबाद अहाँक शरीर कमजोर होइत चलि गेल। तथापि अहाँक इच्छा रहैत छल जे फराके रही,गाममे रहि रहल अपन
पुत्रक आश्रममे साझी नहि होइ । जखन कखनो हम गाम जाइ एतबे बात अहाँ कहैत रहैत छलहुँ
। हम प्रयासो करी जे केओ आदमी तेहन भेटि जाइत जे अहाँकेँ नियमित सेवा करैत । कैकगोटे
जँ तैयारो होइत तँ तकर विरोध घरेमे होबए लगैत । पारिवारिक परिस्थिति विषम होइत गेल
आ अहाँक कष्ट बढ़ैत गेल । एहिसभ कारणसँ अहाँक सेवा नीकसँ नहि भए पबैत छल ।
अक्टूबर
२०१४मे गामपर
एकदिन अहाँकेँ बहुत जोरसँ चक्कर आएल रहए । अहाँ बारीमे खसि गेल रही । हमरा तुरंत फोन
आएल । ओहि समय हम वैशाली मेट्रो टीसनपर ठाढ़ मेट्रोरेलक प्रतीक्षा करैत रही । अहाँ
बहुत परेसान रही । कोनो निराकरण नहि बुझाइत छल । तकरबादे फेरसँ अहाँकेँ दरभंगा
अनुजक डेरापर पठेबाक ब्योंत केने रही । बहुत अछता-पछता कए अहाँ दरभंगा जेबाक हेतु
तैयार भेल रही। रोहिनी बहिन सतलखासँ आबि-आबि अहाँक चीज-वस्तुसभकेँ सम्हारने रहथि ।
एक-एकटा सामानक पूरा हिसाब अहाँकेँ मोन रहैत छल । हमरा आग्रहपर अहाँ दरभंगा गेलाक
बाद बहुत आफियतमे रही । मुदा ई प्रसन्नता बेसीदिन नहि रहल । अक्टूबर २०१४मे हम
ट्रेनसँ साढ़ूक आकस्मिक निधनक बाद नागपुर जाइत रही । ट्रेनेमे दरभंगासँ हमर भातिज
फोन केलथि-
“दाइ भोरे खसि
पड़लैक । ओकर जांघमे बहुत दर्द भए रहल छैक
।” ओएहसभ कहलाह जे
हुनकर पिता बैंक जा चुकल छथि। तकरबाद
जीवानंद(हमर भागिन)केँ फोन केलिअनि । ओ एक हजार टाका देलखिन जाहिसँ अहाँकेँ लगीचेमे कोनो नर्सिंग होममे भर्ती कराओल गेल ।
ओहीदिन साँझमे अनुज सपरिवार छठि करबाक हेतु राँचीसँ दरभंगा अपन सासुर पहुँचल रहथि
। हुनका सभकेँ ई समाचार पता लगलनि । तकरबाद ओ सभ जी-जानसँ अहाँक सेवामे जुटि गेल
रहथि । हमर चिंता किछु कम भेल रहए ।
नागपुरसँ दिल्ली लौटितहि हुनका फोन केने रहिअनि । किछु टाका सेहो
पठओलिअनि आ अपने दोसरे दिन दरभंगा ट्रेनसँ
बिदा भए गेल रही ।
दरभंगाक
नर्सिंग होममे माएकेँ एकसप्ताहक बाद घर जेबाक अनुमति भेटि गेल रहनि । मुदा
दरभंगामे हमर भतीजीक बिआह किछुए दिनक बाद हेबाक छल । तेँ हुनका लोकनिक सुविधाक
ध्यान रखैत माए बीसदिन आओर नर्सिंग होममे रहलीह।दरभंगा नर्सिंग होममे मासदिन
रहलाक बाद दिसम्बर २०१४मे अहाँ अनुजक शुभंकरपुर(दरभंगा) स्थित घरपर चलि
गेल रही । अहाँक स्वास्थ बहुत सुधरि गेल रहए। मुदा टांग सभदिन हेतु विकलांग भए गेल
रहए । अपनेसँ चलि-फिरि नहि पाबी । ई एकटा बड़का संकट भए गेल। तकरबाद तँ अहाँक
जिनगी नर्क भए गेल रहए । केओ नहि चाहए जे अहाँकेँ अपना संगे राखी ।
अहाँकेँ एहिबेरक
दरभंगाक यात्रा नहि धारलक । हमरा बहुत अफसोच होअए जे किएक हम अहाँकेँ दरभंगा जेबाक
हेतु कहलहुँ। गामपर ओ सभ बहुत रोकैत रहथि । दिल्लीसँ हमर भातिज सेहो रोकलथि । मुदा
हमरा भेल जे दरभंगामे अहाँ बेसी आरामसँ रहि सकब। मुदा भावी प्रवल । आइधरि हमरा
मोनमे एहि निर्णयक कारण क्षोभ अछि,दुख अछि । दरभंगा डेरासँ धीया-पुतासभ अहाँकेँ रिक्सासँ
लगीचेक नर्सींग होमे भर्ती करा देलथि । ओ डाक्टर काय
चिकित्सक (फीजीसिअन) रहथि,हुनका हड्डीक मामिला नहि
देखबाक चाहैत छल । मुदा ओ हमरा लोकनिकेँ आश्वस्त करैत रहलाह जे अहाँकेँ ठीक कए
देताह । शल्यक्रिया करब एहि बएसमे ठीक नहि होएत । तेँ ट्रैक्सनपर राखि हड्डीकेँ
जोड़ि लेताह। दुनूपैर कनी-मनी छोट-पैघ रहतैक । हमरो ई व्यवस्था सुगम बुझाएल ।
यद्यपि दिल्लीक डाक्टर फोनपर कहने रहथि जे शल्यक्रिया जरूरी अछि । बादमे तँ जे भेल
से सभ जनिते अछि । अहाँक हड्डी बहुत
छोट-पैघ भए गेल । ततबे नहि , ओ उल्टा से जोड़ा गेल ।
फरबरी २०१५मे
गाममे हमर भतीजीक बिआह रहैक । ओहिमे अहाँ गाम गेलहुँ । मुदा गाममे की
भेल की नहि, पनरह दिनक भीतरे
अहाँ अंतिम हालतपर पहुँचि गेलहुँ । धन्य कही दरभंगाबला
अनुजकेँ
जे गाममे सभक विरोधक अछैत असगरे अहाँकेँ दरभंगा ओही नर्सिंग होममे भर्ती करा देलथि
। गाममे केओ नहि चाहलक जे अहाँ इलाजक हेतु दरभंगा जाइ ।
“आब हिनकर की इलाज हेतनि ।
केहन बढ़िआ अपन डीहपर मरतीह ।”
हम जखन दूपहर रातिमे दिल्लीसँ दरभंगा ओहि
नर्सिंग होममे पहुँचलहुँ तँ अहाँ नहि चिन्हाइत रही । आक्सीजन लागल रहए । मुँह-कान
सभ भयावह लागि रहल छल । हम अबिते अनुजकेँ पुछलिअनि-
“माए कहाँ छथि?”
ओ इसारासँ देखेलथि । अहाँक
हालत देखि गुम्म पड़ि गेल रही । दरभंगाक डाक्टर सेहो आश्चर्यचकित रहथि –
“पनरह दिनक भीतर हिनकर एहन हाल
कोना भए गेलनि?”
अपना भरि ओ बहुत प्रयास केलाह
। महग-महग जीवनरक्षक सूइआसभ देल गेलनि । भोरे-भोर
अहाँ आँखि खोलि देलहुँ । ततबे नहि बजनाइओ शुरु कए देलहुँ । अहाँ बहुत अबल
भए गेल रही । तथापि बेर-बेर कही-
“हमरा रातिमे भगवती दर्शन
देलनि अछि । ओ लाल टुह-टुह नुआ पहिरने छलीह ।”
अहाँ हमरा भोरे श्यामा
मंदिरमे भगवतीकेँ प्रसाद चढ़बए पठओने रही । हम प्रसाद चढ़ा कए वापस मंदिर
परिसरसँ बाहर निकलैत रही कि दू-तीनटा बुढ़बा बानर हमर प्रसाद लुटि लेलक। आब की करी? बिना प्रसाद लेने
कोना वापस जइतहुँ । अहाँ प्रसाद मंगितहुँ तँ की करितहुँ? फेरसँ प्रसाद किनि
श्यामा माइकेँ चढ़ओलहुँ। एहिबेर बहुत सावधानीसँ प्रसादकेँ नुका लेने रही । प्रसाद
लए कए वापस भेल रही तँ अहाँ कतेक प्रसन्न भेल रही । लगबे नहि करैत जे रातिमे अहीं मृतमान
बेडपर पड़ल रही । सभ किछु ठीक-ठाक भेल जाइत छल । तेँ हम अनुजक शुभंकरपुरक घरपर जाए
स्नान केलहुँ ,भोजन केलहुँ आ फेर
अहीं लग वापस आबि गेलहुँ । ताबे तँ अहाँ बहुत फरहर भए गेल रही ।
मार्च-अप्रैल
२०१५मे दरभंगा नर्सिंग होममे अहाँ मास दिनसँ बेसी पड़ल रही । डाक्टरक बिल बढ़ल जाए । केओ अहाँकेँ अपना ओहिठाम लए जेबाक हेतु तैयार
नहि रहए । तखन हम अनुजकेँ गाम फोन केलिअनि । टिकट पठा देलिअनि। डाक्टरक बिलक
भूगतान आनलाइन केलहुँ । ओ अहाँकेँ बहुत गंजनि सहि इन्दिरापुरम स्थित हमर डेरा लेने
आएल रहथि। अहाँ बेर-बेर कही-
“ रस्तामे ओ बहुत सेवा केलक,बहुत कष्ट सहि
हमरा एतए धरि अनलक । ओकरसभ गलती माफ । ”
हमर डेरापर अएलाक
बाद अहाँ बहुत प्रसन्न रही । देह रोगा कए काँट-काँट भए गेल छल । पेशाबक मार्गमे
नली लागल छल जाहि कारण वारंबार संक्रमण भए जाइत छल । धन्यवाद अछि डाक्टर एस.के जैन
केँ जे राम मनोहर लोहिआ अस्पतालमे बहुत ध्यानसँ इलाज केलथि जाहिसँ अहाँक स्वास्थमे
बहुत सुधार भेल । हमरा डेरापर अहाँ सातमास रहलहुँ । दिन-राति सेवा करैत करैत हमर
श्रीमतीजी परेसान रहथि । कैकबेर हमरा
अनुपस्थितिमे पैखाना लए जाए पड़ैत छलनि । ताहिसँ हुनकर डांरक हड्डीमे दर्द शुरु भए
गेल रहनि । सभसँ मोसकिल होइत छल जखन अहाँ पानि गिजनाइ शुरु करी आ पानि लगसँ हटबे
नहि करी । कैक बेर हमरो कना जाइत छल । तेहन विकट परिस्थिति भए जाइत छल जे ककरो
तामस भए जइतैक । मुदा अहाँ तँ लाचार रही । पानि छुबाक अहाँकेँ मनोवैज्ञानिक विमारी
छल ।
हमरा
संगे इंदिरापुरमक फ्लैटमे सातमास रहबाक समयमे अहाँक स्वास्थ्यमे बहुत सुधार भेल रहए। कैकटा बेडसोर क्रमशः ठीक भए गेल । अहाँ वाकरक
सहयोगसँ थोड़ बहुत चलिओ लैत छलहुँ। भोर-साँझ
घुमाओल जाइत तँ अहाँ बहुत प्रसन्न होइत छलहुँ । सोसाइटीक मंदिरमे साँझमे
हनुमान चालीसाक पाठ करैत छलहुँ । कैकटा वयोवृद्धसभ अहाँक हाल-चाल पुछथि । अहाँ
इन्दिरापुरामसँ चलिओ गेलहुँ तखनो हुनका लोकनिक अहाँक जिज्ञासा बनल रहनि । ओ सभ
अहाँक बारेमे पुछैत रहैत छलाह । अहाँकेँ दिल्ली घुमबाक बहुत इच्छा रहैत छल । मुदा
शारीरिक असमर्थताक कारण से नहि भए पाबए । तथापि,हमरा
संगे अहाँ अक्षरधाम,योगमाया मंदिर आ कुतुब मिनार देखिकए बहुत प्रसन्न भेल रही ।
अहाँ हमरासंगे
इंदिरापुरमक डेरापर रही जरूर मुदा अहाँक मोन सदिखन गामेमे लटकल रहैत छल । कखनो
कहितहुँ जुलीसँ गप्प करा दएह । कखनो कहितहुँ राधेसँ गप्प करा दएह। कखनो रोहिनी
बहिनसँ गप्प करबाक मोन होइत । रहि-रहि कए गामक गप्प-सप्प करितहुँ । जखन चंद्रधर काकाक
देहांतक समाचार सुनने रही तँ अहाँकेँ बहुत दुखी देखने रही । हुनकासभक बारेमे कतेको
बात कहने रही । ओसभ पहिने अपनेसभक आङनमे रहथि । हुनकर माएसँ हमरासभकेँ बहुत नीक
संबंध छल । जखन हुनकर माए दुखित रहथिन तँ कैकदिन अहाँ हुनका ओतहि रहिकए सेवा केने
रहिअनि ।
अहाँकेँ इच्छा रहए
जे गुरुग्राम स्थित हमर बहिनक ओतए किछु दिन रही । हमरा कहल करी-
“ओकरा ओहिठाम बहुत सुख होएत ।
तोरा ओतेक साधन नहि छह। ओहिठाम दूमास रहब । माए-बेटी भरि मोन गप्प करब ।
माए-बेटीकेँ आपसी बहुत सिनेह होइत छैक ।”
मुदा अहाँकेँ ओ अपन डेरा नहि
लए गेलथि । संभवतः साहस नहि भेलनि । जखन हुनकासभकेँ नीकसँ बुझा गेलनि जे
अहाँकेँ गाम जेबाक टिकट कटि गेल अछि तखन
हमरा भागिन फोन केलथि-
“दो दिन के लिए नानीजी को
हमारे यहाँ भेज दीजिए । हम एम्बुलेंस भेज देंगे । उनको कोई दिक्कत नहीं होगी ।”
हम तुरंत मना कए देलिऐक । आब
जखन जेबाक समय छल तखन दू दिन लेल कतहु की करए जैतहुँ । जातिओ गमेलहुँ आ स्वादो नहि
पेलहुँ । तकरबाद ओसभ हमर आग्रहपर हमर डेरापर आबि कए भेंट कए गेल रहथि । अहाँ
खुशीसँ नाचए लागल रही ।
अक्टूबर २०१५मे हम
अहाँक संगे असगरे बिहार संपर्क क्रांतिक प्रथम श्रेणी एसी कोचसँ दरभंगा
बिदा भेल रही । ओ टैक्सीबला कमाल आदमी छल । जखन कखनो हमरा अहाँक संगे कतहु जेबाक
होइत छल तँ हम ओकरे टैक्सी लैत छलहुँ । ओ एकटा समांग जकाँ काज अबैत छल । नीकसँ
अहाँकेँ सीटपर सुता दैत छल । फेर अहाँक ह्वीलचेएर रखैत छल । गंतव्यपर पहुँचलाक बाद
इतमिनानसँ अहाँकेँ उतारि दैत छल । एहिबेर सेहो ओ हमरा संगे रहए । अजमेरी गेट दिस
हमरासभकेँ उतारि देलक । कूलीकेँ दोबर दाम दए अहाँकेँ ट्रेनमे बैसबाक ओरिआन केने
रही । रस्ताभरि अहाँ बहुत प्रसन्न रही । हमरो आश्चर्य लागए जे असगरे हम कोना
अहाँकेँ सम्हारने जा रहल छी । मुदा सहयात्रीसभ बहुत सहयोग केने रहथि । जेना-तेना
दोसर दिन करीब पाँच बजे हमसभ दरभंगा टीसन पहुँचल रही । दरभंगा टीसनपर राधे बहिन आ अहाँक पुतहु अपन जेठका बेटाकसंगे
आएल रहथि । ओ सभ अहाँकेँ शुभंकरपुर(दरभंगा) अपन घरपर लए जाए चाहैत रहथि । परंतु,अहाँ अड़ि
गेल रही जे गामे जाएब , आब गामेमे रहब , कतहु नहि जाएब । जखन
अहाँक मोन औनाइत छल तँ अहाँक कहलापर कैकबेर हम फोन लगबैत छलहुँ । मुदा घंटी बजिते
रहि जाइत छल। अहाँ एहि बातसँ बहुत दुखी भए जाइत छलहुँ । ताहि बातसभसँ अहाँ कहने
रही-“आब कतहु नहि जाएब गाममे रहब।” संभवतःसएह
बातसभ अहाँक मोनमे घुरिआ रहल छल ।
ओहि दिन विहार विधान सभाक हेतु मतदान होइत रहए।
गामक हेतु टैक्सी नहि भेटैत रहए । हम जखन अहाँकेँ ई बात कहलहुँ तँ अहाँ रातिभरि दरभंगा (अनुजक घरपर) रहबाक हेतु मानि गेल रही। मुदा ताबे एकटा
टैक्सीक जोगार भए गेल । हम दिल्ली अपन श्रीमतीजीकेँ फोन कए पुछलिअनि-
“गाम फोन कए दिऐक की?”
“नहि, नहि ,कदापि नहि । ओ सभ गाम छोड़ि
कए कतहु चलि जाएत ।”
हमरा हँसी लागि गेल रहए ।
“एहनो कतहु होइ जे गाम छोड़ि
कए चलि जाएत ।”
तकर बाद राधे बहिनक संगे
टैक्सीसँ गाम बिदा भेलहुँ । बेला मोर लग टैक्सी रोकि कए दू किलो मधुर किनलहुँ ।
कपिलेश्वर पहुँचलापर महादेवकेँ प्रणाम केलिअनि । तकर थोड़बे कालमे हमसभ गाम पहुँचि
गेल रही ।
गाम पहुँचि तँ
गेलहुँ मुदा ओ तँ हमरासभकेँ देखितहि साइकिलपर चढ़ि चौकपर घसकि गेलाह ।
हाल-चाल के पुछैत अछि? घंटाभरि अहाँ ह्वील चेअरपर बैसल रहि गेलहुँ । के पानि देत,के पटिआ ओछाओत? आखिर,राधे बहिन चाह
बनओलथि । अहाँ चाह पीबए लगलहुँ आ हम मंदिरपर
बैसि सुस्ताए लगलहुँ । ताबे नरेन्द्रजी मोटर साइकलसँ मतदान
करए जाइत
रहथि । हमरा देखि मोटर साइकिल रोकि हमरो ओहिपर बैसा लेलाह । हम मतदान केन्द्रपर
फटकिए ठाढ़ भेल रही । हमर नाम गामक मतदाता सूचीमे नहि छल ।
नरेन्द्रजी मतदान कए अएलाह । फेर हुनके संगे चौकपर गेलहुँ । ओ दस-बारह गोटे संगे बैसल छलाह । हम पुछलिअनि-
"किएक
तमसाएल छी?"
एतबा
बात बजितहि लागल जेना बम फूटि गेल । तकरबाद जे ओ तमासा केलाह से लिखबाक जोग
नहि अछि । गामोपर दूपहर रातिधरि ओ हंगामा करैत रहलाह। कहुना कए राति बिता भोरे
मधुबनी आबि गेल रही। जेना-तेना किछु दिनमे मामिला शांत भेल । अहाँ गामसँ दरभंगा पठा देल
गेलहुँ
आ हम दिल्ली वापस चलि गेलहुँ । (ई बात नवंबर २०१५क थिक)
अप्रैल २०१६मे हम दिल्लीसँ गाम गेल रही । अहूँ दरभंगासँ गाम आबि गेल रही । मुदा अहाँकेँ गाममे
बहुत दिक्कत भेल। अहाँ वापस दरभंगा जाए चाहैत रही । मोसकिलसँ चारि मास बितल होएत ।
अहाँक स्वास्थ गड़बड़ाए लागल । अगस्त २०१६मे हम फेर गाम गेल रही ।
अहाँक प्रवल इच्छा छल जे दरभंगा अनुजक ओहिठाम जाइ। मुदा से नहि
भए सकल ।
अंततोगत्वा,हम दिल्ली वापस
चलि अएलहुँ ।
नवम्बर २०१६ छठिक
पावनि लग-पासमे अहाँक हाल बहुत खराप भए गेल रहए ।
लोककेँ पावनि संकटमे पड़ि गेल रहैक। मुदा
से अहाँ बँचा देलिऐक । लोक छठिक पाबनि केलक ।
तकर बाद अहाँक हाल कखनो नीक,कखनो बेजाए होइत
रहल । हमरा अनुमान भए गेल जे आब अहाँ नहि रहब । हमरा नहि रहल गेल । तुरंते हवाइ
जहाजक टिकटक ओरिआन कए दोसर दिन भोरे हवाइ जहाजसँ पटना पहुँचलहुँ । पाँच बजैत-बजैत
गाममे रही । मुदा अहाँकेँ तँ होश नहि रहए । हम गोर लगलहुँ । अहाँ जेना तमसा गेल
रही । किछु जबाब नहि देलहुँ। जोर-जोरसँ अहाँकेँ साँस लैत देखि डर होइत छल । देहक
दुर्दशा देखि तँ अबाक रही । कहुना कए राति बितल , भोर भेल । भरि दिन ओहिना समय
बितल आ साँझ होइत-होइत अहाँ हमरासभकेँ
छोड़ि कए चलि गेलहुँ । अहाँ एहि संसारक मोह वंधनसँ मुक्त भए गेलहुँ ।
दोसर दिन दूपहरमे
गाजा-बाजाक संगे अहाँक अंतिम यात्रा बहार भेल छल । करीब एक सएगोटे कलममे अंतिम
संस्कारक समयमे रहथि । चौरानवे वर्षक बएसमे एकटा महान आत्मा एहि संसारकेँ छोड़ि कए
चलि गेल रहथि । हमर कष्टक अंत नहि रहए । एकटा अहीं रही जे जीवन भरि दिन-राति
आशीर्वादक वर्षा करैत रहलहुँ , हमर कल्याणक
हेतु सदति सचेष्ट रहलहुँ । मुदा कखनो-ने कखनो तँ अहाँ थकितहुँ। नओ वर्षक रही तखने
बिआहक बाद अहाँ अड़ेर डीह आएल रही आ पचासी वर्ष एहि गाममे रहलहुँ । जीवन भरि अनवरत
संपूर्ण परिवारक सेवा करैत रहलहुँ । नओटा बेटा-बेटी आ तकर सभक एकटा बृहद परिवारकेँ सुखी -संपन्न छोड़ि गेलहुँ
।
चारि दिनक बाद जखन
हमसभ अहाँक सारापर गेल रही तँ साराक आगि मिझा गेल छल । ओहिमेसँ बाँचल-खुचल
हड्डीकेँ चुनि सिमरिआमे गंगामे प्रवाहित कएल गेल छल । पाँचमदिन सौंसे गामक बैसारमे हमर भातिज छओगाम
जबार भोज हेबाक घोषणा केने छलाह । दिन-राति एक कए छओ गामक भोज भेबो कएल । महापात्र
लोकनिकेँ नीकसँ नीक वर्तनसभ दान देल गेलनि। कुल मिला कए सात लाखसँ ऊपरे खर्च कएल
गेल । मुदा हमरा ई सभ व्यर्थ लगैत रहए । ई बात हम कैकबेर बजबो करी । एहि खर्चक आधो
जँ अहाँक सेवामे लगा देल गेल रहैत तँ बाते दोसर रहैत । मुदा ताहि समयमे तँ जे हाल
छल से कहिए चुकल छी । भोज-भात भेलैक । बारहदिन धरि निरंतर कर्म भेलैक । सभ किछु
भेलैक जे अपनासभक ओहिठाम एहि समयमे होइत छैक । मुदा तकर की फएदा? मरलाक बाद केओ घुरि
नहि आएल,ने कहलक जे ओकरा
हेतु कएल गेल दान-पूण्य ओकरा पैठ भेलैक कि नहि । मुदा से सभ केलासँ इलाकामे
यश-प्रतिष्ठाक संभावना तँ बनिए जाइत छैक ।
हमरा मोन पड़ैत
अछि जे जखन मधुबनीक मकान बनओने रही तँ अहाँकेँ बहुत आग्रहपूर्वक ओतए लए गेल रही ।
रातिभरि अहाँ ओतए रहलहुँ । रातिमे सुतबा काल अहाँ कहने रही- “ओकरो एहने मकान
भए जइतैक ।”
तकरबाद फेर अहाँ कहिओ मधुबनीक
हमर घरपर नहि जा सकलहुँ। ओ गाममे अहाँक रहिते मकान बना लेने रहथि । मुदा अहाँ ओहि
मकानमे कहिओ नहि रहि सकलहुँ । अहाँ अपन घरमे बेसी सुखी छलहुँ। मुदा आब अहाँक ओ
घर तोड़ि देल गेल अछि। आब ओहूठाम कोठा बनि गेल अछि। घरे-घर भए गेल छैक । हमरा लगैत
अछि जे एहिबातसँ अहाँ बहुत प्रसन्न होएब । मुदा आब जौँ अहाँ गाम अएबो करब आ ओहिठाम
तकबो करब तँ अहाँक कोनो आन बेटा ओतए नहि भेटताह।
संभवतः इएह नियति छल ।
चिठ्ठी लिखैत-लिखैत
कैकबेर हम भावनाक अन्हरमे सुन्नभए
जाइत छी। कलम रुकि जाइत अछि । आँखिसँ नोर बहब रुकिते नहि अछि । तेँ तँ हम अहाँकेँ चिठ्ठी लिखबासँ बचैत छलहुँ।
कहीं एहि चिठ्ठीक चर्च सुनि कए अपने लोकसभ
अहाँक शांति ने भंग कए देथि ? कहीं आबो अहाँपर पक्षपातक आरोप नहि लगा देथि ? कहीं इहो ने कहि
देथि जे मरलाक बादो ई बुढ़िआ जेठके बेटेक पक्ष लए रहल अछि । मुदा तै सभक डरे कतेक
दिन गुम्म रहितहुँ । ओहुना तँ बातसभ मोनमे घुरआइते रहैत अछि । फेर अहाँसँ मोनक बात
नहि कहब तँ कहबैक ककरा? अहाँ हमर माए,जन्मदात्री तँ छीहे,गुरु सेहो छी ।
अहाँकेँ नीकसँ बूझल अछि जे हम आओर ककरो गुरु नहि बना सकलहुँ । एहि संसारक प्रपंचसँ
मुक्त करबाक भारो हम अहींकेँ दए देलहुँ। अपना भरि अहाँ हमर बहुत संग देलहुँ। हम
दिल्लीमे रहैत छलहुँ आ अहाँ गाममे -एक हजार
किलोमीटरसँ बेसिए दूर । तथापि सदति अहाँ न्यायार्थ हमर पक्ष लैत रहलहुँ जाहि
कारणसँ अहाँकेँ ओतेक तंग कएल गेल । से सभ सोचि हमरा मोनमे बहुत क्षोभ होइत छल । अहाँ
किएक हमर बात रखैत छलहुँ? किएक ने ओकरासभकेँ हमरा खिलाफ बाजए दिऐक,जतेक मोन होतैक
हमरा श्राप दैत,जे करैत । मुदा
अहाँ तँ चैनसँ रहितहुँ ।
“हम से कोना करितहुँ । हम तँ
माए छलहुँ । अहूँक आओर ओकरोसभक । सही बात किएक नहि बजितहुँ ।”
हम जनैत छी जे अहाँ इएहसभ
कहितहुँ ।
चिठ्ठी बड़ीटा भए
गेल । असलमे पुरान घावकेँ ई चिठ्ठी जेना फेरसँ हरिआ देलक । रहि-रहि कए हाथ ठाढ़ भए
जाइत अछि। हमरा होइत रहैत अछि जे अहाँकेँ अपना लगसँ गाम नहि लए जेबाक छल । दरभंगाक
डाक्टरक बात नहि मानक छल । दिल्ली आनि शल्यक्रिया कए अहाँक हड्डी जोड़ेबाक छल ।
मुदा दरभंगाक डाक्टरक बात सुगम बुझाएल छल । सभक सएह
इच्छा रहैक । परिणाम जे भेल से जनिते छी । सभ -सभक मुँह तकैत रहल ।
अंततोगत्वा, अहाँ चलि जाइत रहलहुँ । तकर बाद हम बहुत दिनधरि दुखी
रही। रहि-रहि कए अहींक बारेमे सोचैत रही । फेर गीता पढ़नाइ शुरु केलहुँ जे आइधरि
नियमित चलि रहल अछि। ओहीसँ मोनमे शांति भेल । जकरा जखन जतए मरबाक होइत छैक तखने
मरैत अछि , से बात बुझलहुँ ।
हम नहि बूझि
सकलहुँ जे अहाँकेँ श्राद्धमे एतेक खर्चा भेलासँ किछुओ फएदा भेल कि नहि? स्वर्ग भेटल कि
नहि?
अगिला
जन्म नीकठाम हेबामे किछुओ मदति केलक कि नहि ? भए सकैत अछि जे अहाँक जबाब प्राप्त
भेलाक बाद एहि बातसभक किछु निराकरण होअए ।
ओना अहाँ तँ जीवन
भरि तपस्या केने छी । दिन-राति परिश्रम कए एतेकटा परिवारक रक्षा केने छी । कोनो
व्रत-उपवास नहि छल जे अहाँ नहि करैत रही । एकादशी,चतुर्दशी ,रवि,मंगल आ कहि ने
की-की । अपन नओ संतानक पालन तँ केनहि रही,अपन नाति,नातिन,पौत्र-पौत्रीसभक
सालों पालन-पोषण केने छी। गाम-घरमे जकरा जे पार लागल से मदति करैत रहलहुँ । एहन
पवित्र आत्माकेँ मरणोपरांत कर्मकाण्डक
मदतिक काज नहि भए सकैत अछि । आशा अछि जे हमर अनुमान सही होएत आ अहाँकेँ नीक सँ नीक
स्वर्ग भेटल होएत ।
अहाँकेँ आब की हाल
अछि,अगिला जन्म केहन
की भेल? की मुक्ति भए गेल?स्वर्गक की हिसाब
रहल?कहीं हमरासभक मोह
अहाँकेँ अखनो तंग तँ नहि केने अछि?ई बातसभ जानबाक जिज्ञासा हमरा मोनमे बनल अछि । आशा अछि
जे चिठ्ठीक जबाब दैत काल एहि बातसभक ध्यान राखब।
एकराति सपनामे
देखलहुँ जे अहाँ खूब संपन्न घरमे जन्म लेलहुँ । अहाँक पिता अहाँकेँ बहुत मानैत छथि
। अहाँकेँ बहुत नीक इसकूल-कालेजमे पढ़ओलथि । पढ़ि-लिखि कए अहाँ बहुत पैघ विद्वान
भए गेल छी । मिथिलाक नारीसभकेँ सम्मान आ
अधिकारक हेतु अहाँ आगु भए काज कए रहल छी ।
जँ से सभ ठीके होइक तँ सेहो अपन चिठ्ठीमे जरूरसँ लिखि देब ।
ऐकटा आओर बात ।
अहाँक पिता अहाँक जन्मसँ किछु दिन पूर्वे मरि गेल रहथि । अहाँ हुनकर मुँहो नहि
देखि सकल रही,ने ओ अपन पहिल
संतानकेँ देखि सकल रहथि । भए सकैत अछि जे स्वर्गलोकमे अहाँकेँ अपन पितासँ भेंट भेल
होअए । जँ से भेल होइक तँ अपन चिठ्ठीमे सभबात फरिछा कए लिखब । ओ केहन छथि ? अहाँकेँ देखितहि
ओ केना की कहलथि? भए सकैत अछि जे पिताक पहिल
बेर भेल भेंटसँ अहाँ ततेक अह्लादित भेल
होइ जे हमरा सन-सन अज्ञानी ,मूर्ख पुत्रक अपराधसभ बिसरा गेल होअए। से भेल होअए तँ
बुझू हमरा मुक्ति भेटि गेल । मुदा हम से सभ बुझबैक कोना? ओ तँ अहाँ चिठ्ठी लिखब तखने
ने । तेँ बिसरब नहि, चिठ्ठी जल्दिए लिखब ।
एकटा बात तँ
बिसरले जाइत छलहुँ । बाबूसँ भेंट भेल कि नहि ? ओ तँ अहाँ सँ २६साल पहिने चलि
गेल रहथि । जँ भेल तँ हुनकर समाचार जरूर लिखब ।
चिठ्ठी कनी पैघ भए गेल । मुदा रोकने नहि रोकाइत छल।
संकोचवश, अखनो बहुत रास
बातसभ लिखब छुटि गेल । अस्तु, क्षमा करब।
पत्रोत्रक अभिलाषी,
अहाँक पुत्र,
रबीन्द्र
12.7.2020