लोधी गार्डेन
लोधी गार्डेन आधुनिक दिल्लीक एकटा महत्वपूर्ण स्थान अछि । एहिठाम सभसँ पहिने १४१४ ई०मे सैय्यद राजवंशक दोसर शासक मोहम्मद शाहक मकबरा अलाउद्दीन आलम द्वारा बनाओल गेल छल । तकर बाद वर्ष 1517 में सिकंदर लोधीक मकबरा हुनकर पुत्र इब्राहिम लोधी (लोधीवंशक अंतिम शासक )द्वारा बनाओल गेल छल । मुगलवंशक तेसर शासक अकबर एहि स्थानक उपयोग वेधशालाक रूपमे केलथि। अंग्रेज सेहो एहि स्थानकक जीर्णोद्धार करबैत रहलाह । ९ अप्रैल १९३६क एहि पार्कक नाम लेडी वेलींगटन पार्क राखल गेल जे स्वतंत्रताक बाद बदलि कए लोधी गार्डेन राखि देल गेल । ९० एकड़मे पसरल लोधी गार्डेनमे २१० प्रकारक करीब ५४०० वृक्ष लागल अछि । एहिठाम लागल वृक्षसभमे प्रमुख अछि- अर्जुन,चंपा,अमलतास,नीम,जामुन,मौलश्री,पीपड़,कचनार,किसुम,अशोक,पाकड़ि ..। करीब दू एकड़ जमीनमे बनल रोज गार्डेनमे ५००० गुलाबक फूल लागल अछि । एकहिठाम एतेक प्रकारक गाछ-बृक्ष हेबाक कारण वनस्पतिशास्त्रक विद्यार्थीकेँ ओहिठाम बहुत जानकारी भेटि सकैत अछि । लोधी गार्डेनमे कैकटा दुर्लभ पक्षीसभ देखबामे आएत जेना सुग्गा,देशी मैना,कोइली,उल्लू,सातभाइ,बुलबुल,कौआ, कठफोरा आदि,आदि ।
लोधी गार्डेनमे लोधीरोडसँ सटले आमक गाछी अछि । ऐहिमे टिकुलासँ लए कए आमक पकबाक समय धरि लोकसभ आम बिछैत रहैत अछि । कैकगोटे तँ झोड़ाक -झोड़ा काँच आम अँचार बनेबाक हेतु लए जाइत छथि । मुदा नीक आमसभ नहि अछि । तथापि जे-से ओकरापर झटहा फेकैत रहैत अछि आ पकबाक दिन धरि मोसकिलसँ कतहु-कतहु आम बाँचल रहि पबैत अछि । लोधीगार्डेनक बीचमे सेहो आमक गाछसभ अछि । आमक अतिरिक्त रोडसँ सटले कोनपर बाँसक तरह-तरहक प्रकारसभ रोपल अछि । संभवतः ओ बाँस सभक म्युजिअम थिक । आइ-काल्हि एहि स्थानक देख-भाल एनडीएमसी द्वारा कएल जाइत अछि । दिन-राति सताधिक कर्मचारी एहिमे लागल रहैत छथि । तकर परिणाम थिक जे एतेकटा परिसर कोनो आंङनसँ बेसी स्वच्छ आ सुंदर लगैत रहैत अछि । चारूकात हरल- भरल गाछ,फूलसभ मिलिकए तेहन मनोरम दृश्य बनओने रहैत अछि जे होएत जे घुमिते रहि जाइ । जँ कनीको काल एतए बैसि जाएब वा टहलि लेब तँ मोन अतिशय प्रसन्न आ प्रफुल्लित भए जाइत अछि । सभ दुख-चिंता हरा जाइत अछि। लगैत अछि जेना सरिपहु स्वर्गमे आबि गेलहुँ ।
रातिक दस बाजि रहल हो वा भोरक चारि, ओ स्थान कखनो खाली नहि भेटत । केओ-ने-केओ ओतए चलैत-फिरैत भेटिए जाएत। जँ केओ नहिए भेटल तइओ कोनो बात नहि । असगरो अहाँ सुरक्षित रहि सकैत छी । कोनो डरक बाते नहि । एक चक्कर जँ लगा लेलहुँ तँ सवा दू किलोमीटर पुरि गेल । एहि तरहे कैक गोटे सात-आठ चक्कर लगा लैत छलाह । केओ एक्के चक्करमे थाकि कए बैसि जाइत छलाह। सामान्यतः लोक दू वा तीन चक्कर लगबैत भेटि जेताह । ताहूमे सभक गति भिन्न होइत अछि । केओ बहुत तेज चलैत छथि तँ केओ नहु-नहु। साउथ एक्सटेंसनसँ एकटा सेवानिवृत्त फौजी लोधी गार्डेनमे नित्य टहलए अबैत छलाह । ओ अपन घरेसँ पैरे बिदा होइतथि आ लोधी गार्डेनमे सात चक्कर लगबैत छलाह । टहलैत काल ओ जोर-सोरसँ अपन मुरी हिलबैत रहैत छलाह । हुनकर टहलबाक गति सेहो बहुत अधिक रहैत छल । लोधी गार्डेनमे टहललाक बाद ओ फेर पैरे अपन घर वापस होइत छलाह । कैक साल धरि हुनकर टहलबाक ई क्रम चलैत रहल । मुदा बादमे पता नहि हुनका की भए गेलनि जे टहलनाइ तँ कम भइए गेलनि अपितु मुरीक जोर-सोरसँ हिलेनाइ सेहो चलि जाइत रहलनि । कहुना कए एकटा ठेंगा पकड़ि कए थोड़ बहुत टहलि लैत छलाह-ओहो बहुत दिनक बाद । संभवतः हुनका कोनो स्वास्थ्य संबंधी समस्या भए गेलनि ।
जौं-जौं समय बितैत अछि लोधी गार्डेनमे लोकक संख्या बढ़ैत जाइत अछि । सात बजे भोर होइत-होइत तँ ओहिठाम टहलनिहारक मेला लागि जाइत अछि । कैकगोटे टहललाक बाद अपन मित्रसभक संगे चाह पीबैत भेटि जेताह । किछुगोटे कहिओ काल ओतए जलखैक ओरिआन सेहो केने रहैत छथि । कहिओ-कहिओ तँ लोकसभकेँ ताकि-ताकि कए जलखै कराओल जाइत अछि । गुरुपर्व क दिन किछु गोटे लंगर करबैत छथि । एहिसभ तरहक दृश्य लोधी गार्डेनमे कोनो-ने-कोनो रूपमे सालभरि चलैत रहैत अछि ।
लोधी गार्डेनमे प्रातः वा सायंकाल भ्रमण केनिहार लोकक आपसी दोस्ती हुनकर टहलबाक समय आ गतिपर निर्भर करैत अछि। एकदिनक बात होइक तहन तँ लोक ठहरि जाएत,दूटप्पी कए लेत । मुदा नित्यप्रति टहलएबलासभक हेतु से संभव नहि थिक । किछुगोटे तँ झुंड बनाकए चलैत छथि । ओसभ टहलैत कम गप्प बेसी करैत छथि । ओहिठाम भोर-साँझ टहलनिहार लोकसभमे एक सँ एक गणमान्य लोक रहैत छथि । असलमे लोधी गार्डेनक लग-पासमे उच्च सरकारी अधिकारी लोकनिक आवास अछि । तेँ हुनका लोकनिक हेतु लोधी गार्डेनमे टहलनाइ बहुत सुगम होइत छनि । अपन फ्लैटसँ निकलु आ पाँच-सात मिनटमे लोधी गार्डेनमे चलि आउ । ओहिमे पैर रखिते हवाक स्वाद बदलि जाइत छैक । जौं अहाँ लोधी हार्डेन लगीचसँ गुजरैत छी तखनहि अहाँकेँ हवाक बदलल रुखिक अंदाज लागि जाएत । लोधी गार्डेनमे विद्यमान वृक्षसभक एहिमे बहुत योगदान अछि । गार्डेनक भीतर टहलबाक हेतु छोट-पैघ कैकटा ट्रैक अछि। लोक अपन सुविधानुसार रस्ताक चुनाव करैत छथि । कैकगोटे भीतरे-भीतर चलबाक इच्छुक रहैत छथि । तिनका चलैत काल कमेगोटेसँ भेंट हेबाक संभावना रहैत छनि । अस्तु,असगर टहलबाक आनंद एहि रस्ते भेटि सकैत अछि । जँ अपने मुख्यट्रैकपर चलब आ फरीछ भए गेल अछि तखन तँ लोकक हुजुम देखबामे आबि सकैत अछि । कैकठाम गाछतरमे लोकसभ सुस्ताइत देखेताह । किछुगोटे चाह-पानोक ओरिआन रखने रहैत छथि । कहक माने जे ओहिठाम टहलबाक संगे पिकनिकक आनंद लैत छथि । भोरे-भोर टहलैत काल शरीरकेँ नवीन उर्जा भेटैत छैक । अंग-अंगमे उत्साह भरल रहैत अछि । लोक सभकिछु बिसरि एक-दोसरकेँ प्रातः अभिवादन करैत छथि। लगैत रहैत अछि जेना सभ केओ उर्जासँ भरल छथि ।
लोधी गार्डेनमे भोर-साँझ टहलनिहारसभक हेतु ओ जीवनक एकटा महत्वपूर्ण अंग थिक । कैकगोटेक तँ आपसी संवध ततेक प्रगाढ़ छनि जे ओ अपन दुख-सुख बिना कोनो संकोचकेँ बाँटैत छथि । कैकगोटेकेँ तँ ओ जीवनदायी सिद्ध भेल अछि । जीवनमे घटित दुर्भाग्यपूर्ण स्थितिमे लोधी गार्डेनक हुनकर मित्रलोकनि बहुत मदति केलखिन आ ओ सबटा दुख बिसरि फेरसँ ठाढ़ भए गेलाह । जँ हुनका लोधी गार्डेनक समाजक सहयोग नहि भेटल रहैत तँ कहि नहि आइ हुनकर की हाल भेल रहैत ?
लोधी गार्डेनमे सालोंसँ घुमैत-घुमैत कएगोटेकेँ आपसमे बहुत भावुक सिनेह भए गेल छनि । हमर एकटा संगी तँ बाजल करथि जे जँ हम मरी तँ अंतिम संस्कारसँ पूर्व हमरा लोधी गार्डेनमे एकबेर अवश्य घुमा देल जाए । आब ओ सेवानिवृत्तिक बाद लोधी कालोनीसँ चलि गेल छथि आ लोधी गार्डेनसँ सेहो फटकी भए गेल छथि । मुदा लोधी गार्डेनसँ हुनका ओहिना सिनेह बनल छनि । अखनो ओ कहिओ काल ओतए अबैत छथि आ अपन पुरानसंगीसभसँ भेंट कए बहुत तृप्तिक अनुभव करैत छथि ।
लोधी गार्डेनक पुरान सिनेहीमेसँ छथि सरदार अजीत सिंह । ओ टैक्सी स्टैंडक इंचार्ज छथि । पचासोटा टैक्सी रखने छथि आ ताहिसँ बहुत नीक आमदनी केने छथि । लोधी गार्डेनक लगीचेमे घर छनि । भोर-साँझ-दुपहरिआ जखन देखू ओ लोधी गार्डेनमे घुमैत भेटि जेताह । ओहिठामक गाछ-बृक्ष,फूल-पातसभसँ हुनका बहुत सिनेह छनि । एकबेर केओ भोरे टहलैत काल बेलीक फूल तोरैत रहथि। सरदारजी हुनका फूल तोड़ैत देखि लेलखिन । औ बाबू! तकर बाद जे हंगामा भेल से की कहू । बात बढ़ैत-बढ़ैत दुनूगोटेमे मारि-पीट होबए लागल । सरदारजीक हाथमे चोट लागि गेलनि । ओ अस्पताल जाए पलस्तर करओलनि आ पुलिसमे केस सेहो कए देलनि । आब तँ ओ सरदारजीक निहोरा करए जे कहुना पुलिस केस हटा लेथि । बहुत दिन धरि ई झंझटि चलैत रहल । आखिर ओ घटी मानलाह आ जेना-तेना मामिला शांत भेल ।
लोधी कालोनीमे सरकारी आवास आवंटित भेलाक बाद हमहु नित्य लोधी गार्डेनमे घुमए लागल रही । एकदिन पूजाक हेतु किछु फूल तोड़ैत रही कि सरदारजीक नजरि हमरापर पड़लनि । ओ फटकिएसँ चिकरब शुरु केलाह । हम इएह-ले ओएह-ले भागलहुँ । बादमे अपन मित्र सरदार वलदेव सिंहसँ एहि घटनाक चर्चा केलहुँ । हुनकेसँ सरदार अजीत सिंहक बारेमे पता लागल । असलमे ओ लोधी गार्डेनक स्वयंभु रक्षक बनि गेल छथि आ जे केओ कोनो अनट काज करैत देखाइत छनि तकरासँ लड़बामे कोनो संकोच नहि करैत छथि। बादमे सुनलिऐक जे एनडीएमसी हुनका लोधी गार्डेनक संरक्षक बना देने छनि । कालक्रमे सरदार अजीत सिंह हमर नीक मित्र बनि गेलाह आ जखन कखनो मोन होइतनि तँ ओहि घटनाक चर्च कए आनंद उठबितथि ।
दिल्लीक प्रसिद्ध इन्डिआ इन्टरनेसनल सेंटर लोधी गार्डेनसँ सटले अछि । अपितु,ओ लोदिए गार्डेनक एक भाग लगैत अछि । ओहिठाम बेसीकाल गीत-नाद होइत रहैत अछि । एक सँ एक कलाकार ओहिमे सामिल होइत छथि । लोधी गार्डेनमे टहलैत काल साँझमे ओ मधुर- मधुर गीत जँ कानमे पड़ितए तँ मोन होइत जे कनी काल ठाढ़ भए जाइ ,गीत सुनि ली । असलमे ओहिठाम लगीचेमे कैकटा महत्वपूर्ण संस्थानसभ छलैक जतए एहन-एहन कार्यक्रमसभ होइते रहैत छल । चिन्मयानंद मिसन,इस्लामिक सेंटर,इन्डिआ हैबिटाट सेंटर मे निरंतर किछु-ने-किछु एहि तरहक कार्यक्रम होइते रहैत छल । यद्यपि हम लोधी कालोनीमे आठसाल रहलहुँ मुदा एहिसभ कार्यक्रममे बेसी नहि जाइत छलहुँ । अंतिम सालमे किछुदिन एकर आनंद उठा सकलहुँ । तखन तँ बहुत अफसोच होइत छल जे पहिने किएक नहि एहिमे सामिल भेलहुँ ।
लोधी गार्डेनक चारूकात एक सँ एक महत्वपूर्ण स्थानसभ अछि । लगीचेमे विश्वप्रसिद्ध खान मार्केट अछि । ओहिठाम देश-विदेशक संभ्रांत लोकसभ बजारमे बौआइति भेटि जेताह । खानमार्केटसँ सटले मेट्रोक टीसन बनि गेलासँ ओहिठाम आबा-जाही सुगम भए गेल अछि । ओही इलाकामे साइ मंदिर सेहो अछि । वृहस्पति दिन कए ओतए भक्तलोकनिक जबरदस्त भीड़ होइत अछि । अहलभोरेसँ भक्तलोकनि पाँति बना कए दर्शनक उत्सुक रहैत छलाह । लोधीगार्डेनसँ सटले वरिष्ठ सरकारी अधिकारी लोकनिक सरकारी आवास अछि। हुनकासभक हेतु लोधी गार्डेन तँ जेना दनान अछि । सफदरजंग मदरसा सेहो लोधी गार्डेनसँ सटले अछि । ओ दिल्लीक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थानमेसँ अछि । जँ अहाँ प्रायोजित दिल्ली दर्शनक हेतु बिदा होएब तँ ओतए जेबे करब । अहाँक बस ओतए ठाढ़ हेबे करत । असलमे ई सभ स्थान दिल्लीक इतिहाससँ जुड़ल अछि । एकसमयमे ओहिठाम की चुहचुही रहल होएत से सोचल जा सकैत अछि।
लोधी गार्डेनमे लगभग आठसाल हम भोर-साँझ टहलि सकलहुँ । ब्लाक २१,लोधी कालोनीक सरकारी आवास जून २०१४मे छुटि गेल आ तकर बाद लोधी गार्डेन सेहो छुटि गेल । मुदा ओकरासँ जुड़ल बहुत रास घटनासभ अखनो स्मृतिमे ओहिना बनल अछि । भोरे जखन लोधी गार्डेनमे टहलबाक हेतु जाइत छलहुँ तँ ओहिमे जाइते देरी अकटा अलग दुनिामे पहुँचि जाइत छलहुँ । ओतए कतेको लोकसभसँ परिचय भेल । ओहिमे महत्वपूर्ण व्यक्तिमे सँ छलाह सेवानिवृत्त आइएएस श्री भुरेलालजी । ओ उत्तरप्रदेश काडरक अधिकारी छलाह । स्वर्गीय विश्वनाथ प्रताप सिंह जखन भारतक प्रधानमंत्री रहथि तँ भुरेलालजी हुनकर प्रमुख सचिव रहथि । एकसमयमे देशक सभसँ शक्तिमान सरकारी अधिकारी रहल श्री भुरेलालजी समय संगे केहन तालमेल केने छथि से लोधी गार्डेनमे हुनका देखि कए पता लगैत अछि । अहंकार जेना हुनका अछिए नहि । सभसँ बेस अपनत्वसँ गप्प-सप्प करताह,आगु बढ़ि कए भोरे हरिओम कहि कए स्वागत करताह आ संगे-संह घुमैत रहताह । लगबे नहि करत जे एहन पैघपदपर रहल लोकक संगे छी । ततबे नहि,ओ ठाकुरद्वारा ट्रस्ट बनओने छथि जे बहुत तरहक सामाजिक काजसभ करैत अछि । ओसभ लोधी गार्डेनमे एकटा बैसारक स्थान बनओने छथि आ नित्यभोरे पचास-साठिगोटे ओतए बैसैत छथि,योग-व्यायाम करैत छथि,चाह-पान करैत छथि,कहिओ-कहिओ तँ जलसा सेहो होइत अछि । एहिसभसँ हुनका एकटा बहुत जीवंत समाज भेटि गेल छनि जकरा संगे सेवानिवृत्तिक बाद बहुत नीक समय बिता रहल छथि । लोधी गार्डेनमे एहन-एहन कैकटा गुट अछि । समय-समयपर ओसभ उत्सव मनबैत छथि,भोजन करैत छथि आ वापस अपन-अपन घर चलि जाइत छथि ।
लोधी गार्डेनमे प्रातःकाल दसबजेसँ रातिमे आठ-नओ बजेधरि प्रेमी जोड़ासभक बाढ़ि रहैत अछि । ओसभ दोगमे कतहु करोट धेने रहैत छथि । मुदा किछु दर्शकसभ हुनकासभक पछोड़ केने रहैत छथि । केओ आबओ,केओ जाओ हुनकासभक भाव-भंगिमापर कोनो प्रभाव नहि पड़ैत अछि कारण ओसभ तँ अपनेमे मस्त रहैत छथि,बेहोश रहैत छथि । लोधी गार्डेनमे दिन-देखार ईसभ होइत रहैत अछि मुदा पुलिस आ प्रशासन के जेना कोनो मतलबे नहि । जे होइत छैक से होऊ । कखनो काल जखन कुकांडभए जाइत अछि तखन जरूर पुलिस डंडा हिला दैत अछि । अन्यथा ककरो कोनो मतलब नहि । लोक आबि रहल अछि,जा रहल अछि मुदा प्रेमी जोड़ासभ अपन दुनिआमे मस्त रहैत छथि । मुदा ओहिठाम सुच्चा टहलनिहार लोकसभकेँ एहि फसादसभसँ कोनो मतलब नहि रहैत छनि । ओ तँ प्रकृतिक आनंद लैत अपन स्वास्थ बनबएमे लागल रहैत छथि ।
एकबेर दियाबातीक प्रात अन्हरोखे हम दुनू बेकती ओतए टहलए चलि गेल रही । फटक्का प्रदूषणक कारण एकडेग नहि देखाइत छल । अन्हार गुज्ज,भयावह वातावरणमे ओतए एकडेग ससरब मोसकिल छल । लगैत छल जे सौंसे लोधी गार्डेनमे हमही दुनूगोटे आएल छी । तथापि साहस कए हमसभ आगु बढ़ैत रहलहुँ । किछु फटकी मनुक्खक आबाज सुनाएल तखन जान मे जान आएल । कहुना कए एक चक्कर लगओलहुँ । दोसर चक्कर लगेबाक साहस नहि भेल आ डेरा वापस आबि गेलहुँ ।
एकदिनहम छुट्टीक दिनमे दस बजे लोधी गार्डेन टहलए गेल रही । गेटसँ थोड़बे अंदर गेलाक बाद एकटा अधबएसू बहुत भावबिभोर भए गबैत छलाह- ओ दूर के मुसाफिर हमको भी साथ ले ले..हम रह गए अकेले....ओकर गीत सुनिकए हम ठामहि ठाढ़ भए गेलहुँ । गीतक स्वरमे ततेक दर्द भरल छल जे लागल जेना लकबा मारि देलक । ओ किछुकाल धरि अहिना गबैत रहल आ कहि नहि कतए बिला गेल । बादमे फेर ओ कहिओ नहि देखाएल । बहुत दिन धरि ओ गीत फेरसँ सुनबाक मोन होइत रहल । संभवतः ओ व्यक्ति सेहो छुट्टीक मूडमे अपन मनोव्यथा संगीतक रूपमे अभिव्यक्त कए रहल छलाह। एहने एकटा दृश्य एकदिन लोधी गार्डेनक बीचमे देखलहुँ। एकटा ओकील साहेब पाथरपर बैसि कए तरह-तरहक शास्त्रीय संगीत गाबि रहल छलाह । हुनकर गेबाक भाव-भंगिमासँ लगैत छल जेना ओ अंदरसँ हिलि गेल छथि । गबैत-गबैत ओ नाचए लागथि । चारूकात तमासा देखनिहारक भीड़ लागि गेल छल । ओना ओ गीतो नीक गबैत छलाह मुदा ओहूसँ बेसी हुनकर आकृतिसँ निकलैत संकेत छल जे कोनो गंभीर आंतरिक दुखक दिस इसारा करैत छल । एहि तरहें कतेको तरहक दृश्य लोधी गार्डेनमे देखबाक अवसर भेटैत छल । छुट्टी दिन कए तँ ओतए मेला लागल रहैत छल । लोकसभ सपरिवार आबि ओतए आनंद मनबैत छलाह । जेम्हरे जाउ नेना,युवक आ बूढ़सभ नाना प्रकारक मनोरंजन करैत देखेताह । साँझ होइत-होइत लोकसभक भीड़ ससरि जाइत छल ,रहि जाइत छल नियमित टहलएबलासभ जे सामान्यत: लगीचक सरकारी आवाससभसँ अबैत छलाह । ई क्रम बारहो मास आ तीसो दिन ओतए चलैत रहैत छल ।
लोधी गार्डेनक लगीचमे रहि हमसभ ओकर बहुत फएदा उटओलहुँ । आठ वर्षसँ बेसी समय धरि मगनीमे स्वस्थ मनोरंजन होइत रहल । लोकसभ महग होटल वा कल्वमे जा कए जे उसासक अनुभव करैत हेताह से हमसभ मगनीमे लोधी गार्डेनमे उठओलहुँ । सभसँ फएदा तँ ई भेल जे नीक लोकसभक संगति भेटल । एक सँ एक विद्वान लोक ओहिठाम टहलैत भेटलाह । ओहिमेसँ कैकगोटे दोस्तो बनि गेलाह । स्वास्थकेँ तँ जेना असीर दबाइ छल ओ स्थान । हमर श्रीमतीजीकेँ पैरमे दर्द होइत रहैत छलनि । कतेको डाक्टरसँ देखेलहुँ । कहि ने कोन-कोन एक्सरे करओलहुँ । मुदा ठीक भेल लोधीगार्डेनमे चललासँ । शुरुमे तँ हुनका चलबामे परेसानी बुझाइनि मुदा क्रमशः ओ फुर्तीसँ चलए लगलीह आ कालक्रमे तँ ओ हमर कोन कथा कैकटा तेज टहलएबलासभकेँ पछुआ दैत छलीह । लोकसभ एहिबातसँ बहुत प्रसन्न होइत छलाह । मुदा अंतिम दूसाल ओ लोधी गार्डेनमे भोरक टहलनाइ छोड़ि देलीह । बहुतदिन धरि लोकसभ हुनकर हाल-चाल पुछैत रहलाह ।
जून २०१४मे लोधी कालोनीक सरकारी आवास छोड़ि देलाक बाद हमहु लोधी गार्डेन घुमबाक सुखसँ बंचित भए गेलहुँ । आब तँ तकर कतेको साल बिति गेल । तथापि,लोधी गार्डेनक स्मरण अबिते रहैत अछि । ओहिठाम भोरसाँझ टहलैत लोकसभ मोन पड़िते रहैत छथि । मुदा ई जीवन थिक । सभ नीक-बेजाए वस्तुक अंत होइते अछि । लगैत अछि जेना लोधी गार्डेनक स्मृति कोनो बहुत नीक सिनेमाक एकटा सुखद अंश छल । आशा करैत छी जे कहिओ फेर एहन समय अएतैक जे हमसभ लोधी गार्डेन पहिने जकाँ भोर-साँझ टहलि सकब आ जीवनमे ओएह स्फ्रुति ,ओएह आनंद फेरसँ भेटि सकत ।
26.6.2020