लोधी गार्डेन
लोधी गार्डेन आधुनिक दिल्लीक एकटा महत्वपूर्ण स्थान अछि । एहिठाम सभसँ पहिने १४१४ ई०मे सैय्यद राजवंशक दोसर शासक मोहम्मद शाहक मकबरा अलाउद्दीन आलम द्वारा बनाओल गेल छल । तकर बाद वर्ष 1517 में सिकंदर लोधीक मकबरा हुनकर पुत्र इब्राहिम लोधी (लोधीवंशक अंतिम शासक )द्वारा बनाओल गेल छल । मुगलवंशक तेसर शासक अकबर एहि स्थानक उपयोग वेधशालाक रूपमे केलथि। अंग्रेज सेहो एहि स्थानकक जीर्णोद्धार करबैत रहलाह । ९ अप्रैल १९३६क एहि पार्कक नाम लेडी वेलींगटन पार्क राखल गेल जे स्वतंत्रताक बाद बदलि कए लोधी गार्डेन राखि देल गेल । ९० एकड़मे पसरल लोधी गार्डेनमे २१० प्रकारक करीब ५४०० वृक्ष लागल अछि । एहिठाम लागल वृक्षसभमे प्रमुख अछि- अर्जुन,चंपा,अमलतास,नीम,जामुन,मौलश्री,पीपड़,कचनार,किसुम,अशोक,पाकड़ि ..। करीब दू एकड़ जमीनमे बनल रोज गार्डेनमे ५००० गुलाबक फूल लागल अछि । एकहिठाम एतेक प्रकारक गाछ-बृक्ष हेबाक कारण वनस्पतिशास्त्रक विद्यार्थीकेँ ओहिठाम बहुत जानकारी भेटि सकैत अछि । लोधी गार्डेनमे कैकटा दुर्लभ पक्षीसभ देखबामे आएत जेना सुग्गा,देशी मैना,कोइली,उल्लू,सातभाइ,बुलबुल,कौआ, कठफोरा आदि,आदि ।
लोधी गार्डेनमे लोधीरोडसँ सटले आमक गाछी अछि । ऐहिमे टिकुलासँ लए कए आमक पकबाक समय धरि लोकसभ आम बिछैत रहैत अछि । कैकगोटे तँ झोड़ाक -झोड़ा काँच आम अँचार बनेबाक हेतु लए जाइत छथि । मुदा नीक आमसभ नहि अछि । तथापि जे-से ओकरापर झटहा फेकैत रहैत अछि आ पकबाक दिन धरि मोसकिलसँ कतहु-कतहु आम बाँचल रहि पबैत अछि । लोधीगार्डेनक बीचमे सेहो आमक गाछसभ अछि । आमक अतिरिक्त रोडसँ सटले कोनपर बाँसक तरह-तरहक प्रकारसभ रोपल अछि । संभवतः ओ बाँस सभक म्युजिअम थिक । आइ-काल्हि एहि स्थानक देख-भाल एनडीएमसी द्वारा कएल जाइत अछि । दिन-राति सताधिक कर्मचारी एहिमे लागल रहैत छथि । तकर परिणाम थिक जे एतेकटा परिसर कोनो आंङनसँ बेसी स्वच्छ आ सुंदर लगैत रहैत अछि । चारूकात हरल- भरल गाछ,फूलसभ मिलिकए तेहन मनोरम दृश्य बनओने रहैत अछि जे होएत जे घुमिते रहि जाइ । जँ कनीको काल एतए बैसि जाएब वा टहलि लेब तँ मोन अतिशय प्रसन्न आ प्रफुल्लित भए जाइत अछि । सभ दुख-चिंता हरा जाइत अछि। लगैत अछि जेना सरिपहु स्वर्गमे आबि गेलहुँ ।
रातिक दस बाजि रहल हो वा भोरक चारि, ओ स्थान कखनो खाली नहि भेटत । केओ-ने-केओ ओतए चलैत-फिरैत भेटिए जाएत। जँ केओ नहिए भेटल तइओ कोनो बात नहि । असगरो अहाँ सुरक्षित रहि सकैत छी । कोनो डरक बाते नहि । एक चक्कर जँ लगा लेलहुँ तँ सवा दू किलोमीटर पुरि गेल । एहि तरहे कैक गोटे सात-आठ चक्कर लगा लैत छलाह । केओ एक्के चक्करमे थाकि कए बैसि जाइत छलाह। सामान्यतः लोक दू वा तीन चक्कर लगबैत भेटि जेताह । ताहूमे सभक गति भिन्न होइत अछि । केओ बहुत तेज चलैत छथि तँ केओ नहु-नहु। साउथ एक्सटेंसनसँ एकटा सेवानिवृत्त फौजी लोधी गार्डेनमे नित्य टहलए अबैत छलाह । ओ अपन घरेसँ पैरे बिदा होइतथि आ लोधी गार्डेनमे सात चक्कर लगबैत छलाह । टहलैत काल ओ जोर-सोरसँ अपन मुरी हिलबैत रहैत छलाह । हुनकर टहलबाक गति सेहो बहुत अधिक रहैत छल । लोधी गार्डेनमे टहललाक बाद ओ फेर पैरे अपन घर वापस होइत छलाह । कैक साल धरि हुनकर टहलबाक ई क्रम चलैत रहल । मुदा बादमे पता नहि हुनका की भए गेलनि जे टहलनाइ तँ कम भइए गेलनि अपितु मुरीक जोर-सोरसँ हिलेनाइ सेहो चलि जाइत रहलनि । कहुना कए एकटा ठेंगा पकड़ि कए थोड़ बहुत टहलि लैत छलाह-ओहो बहुत दिनक बाद । संभवतः हुनका कोनो स्वास्थ्य संबंधी समस्या भए गेलनि ।
जौं-जौं समय बितैत अछि लोधी गार्डेनमे लोकक संख्या बढ़ैत जाइत अछि । सात बजे भोर होइत-होइत तँ ओहिठाम टहलनिहारक मेला लागि जाइत अछि । कैकगोटे टहललाक बाद अपन मित्रसभक संगे चाह पीबैत भेटि जेताह । किछुगोटे कहिओ काल ओतए जलखैक ओरिआन सेहो केने रहैत छथि । कहिओ-कहिओ तँ लोकसभकेँ ताकि-ताकि कए जलखै कराओल जाइत अछि । गुरुपर्व क दिन किछु गोटे लंगर करबैत छथि । एहिसभ तरहक दृश्य लोधी गार्डेनमे कोनो-ने-कोनो रूपमे सालभरि चलैत रहैत अछि ।
लोधी गार्डेनमे प्रातः वा सायंकाल भ्रमण केनिहार लोकक आपसी दोस्ती हुनकर टहलबाक समय आ गतिपर निर्भर करैत अछि। एकदिनक बात होइक तहन तँ लोक ठहरि जाएत,दूटप्पी कए लेत । मुदा नित्यप्रति टहलएबलासभक हेतु से संभव नहि थिक । किछुगोटे तँ झुंड बनाकए चलैत छथि । ओसभ टहलैत कम गप्प बेसी करैत छथि । ओहिठाम भोर-साँझ टहलनिहार लोकसभमे एक सँ एक गणमान्य लोक रहैत छथि । असलमे लोधी गार्डेनक लग-पासमे उच्च सरकारी अधिकारी लोकनिक आवास अछि । तेँ हुनका लोकनिक हेतु लोधी गार्डेनमे टहलनाइ बहुत सुगम होइत छनि । अपन फ्लैटसँ निकलु आ पाँच-सात मिनटमे लोधी गार्डेनमे चलि आउ । ओहिमे पैर रखिते हवाक स्वाद बदलि जाइत छैक । जौं अहाँ लोधी हार्डेन लगीचसँ गुजरैत छी तखनहि अहाँकेँ हवाक बदलल रुखिक अंदाज लागि जाएत । लोधी गार्डेनमे विद्यमान वृक्षसभक एहिमे बहुत योगदान अछि । गार्डेनक भीतर टहलबाक हेतु छोट-पैघ कैकटा ट्रैक अछि। लोक अपन सुविधानुसार रस्ताक चुनाव करैत छथि । कैकगोटे भीतरे-भीतर चलबाक इच्छुक रहैत छथि । तिनका चलैत काल कमेगोटेसँ भेंट हेबाक संभावना रहैत छनि । अस्तु,असगर टहलबाक आनंद एहि रस्ते भेटि सकैत अछि । जँ अपने मुख्यट्रैकपर चलब आ फरीछ भए गेल अछि तखन तँ लोकक हुजुम देखबामे आबि सकैत अछि । कैकठाम गाछतरमे लोकसभ सुस्ताइत देखेताह । किछुगोटे चाह-पानोक ओरिआन रखने रहैत छथि । कहक माने जे ओहिठाम टहलबाक संगे पिकनिकक आनंद लैत छथि । भोरे-भोर टहलैत काल शरीरकेँ नवीन उर्जा भेटैत छैक । अंग-अंगमे उत्साह भरल रहैत अछि । लोक सभकिछु बिसरि एक-दोसरकेँ प्रातः अभिवादन करैत छथि। लगैत रहैत अछि जेना सभ केओ उर्जासँ भरल छथि ।
लोधी गार्डेनमे भोर-साँझ टहलनिहारसभक हेतु ओ जीवनक एकटा महत्वपूर्ण अंग थिक । कैकगोटेक तँ आपसी संवध ततेक प्रगाढ़ छनि जे ओ अपन दुख-सुख बिना कोनो संकोचकेँ बाँटैत छथि । कैकगोटेकेँ तँ ओ जीवनदायी सिद्ध भेल अछि । जीवनमे घटित दुर्भाग्यपूर्ण स्थितिमे लोधी गार्डेनक हुनकर मित्रलोकनि बहुत मदति केलखिन आ ओ सबटा दुख बिसरि फेरसँ ठाढ़ भए गेलाह । जँ हुनका लोधी गार्डेनक समाजक सहयोग नहि भेटल रहैत तँ कहि नहि आइ हुनकर की हाल भेल रहैत ?
लोधी गार्डेनमे सालोंसँ घुमैत-घुमैत कएगोटेकेँ आपसमे बहुत भावुक सिनेह भए गेल छनि । हमर एकटा संगी तँ बाजल करथि जे जँ हम मरी तँ अंतिम संस्कारसँ पूर्व हमरा लोधी गार्डेनमे एकबेर अवश्य घुमा देल जाए । आब ओ सेवानिवृत्तिक बाद लोधी कालोनीसँ चलि गेल छथि आ लोधी गार्डेनसँ सेहो फटकी भए गेल छथि । मुदा लोधी गार्डेनसँ हुनका ओहिना सिनेह बनल छनि । अखनो ओ कहिओ काल ओतए अबैत छथि आ अपन पुरानसंगीसभसँ भेंट कए बहुत तृप्तिक अनुभव करैत छथि ।
लोधी गार्डेनक पुरान सिनेहीमेसँ छथि सरदार अजीत सिंह । ओ टैक्सी स्टैंडक इंचार्ज छथि । पचासोटा टैक्सी रखने छथि आ ताहिसँ बहुत नीक आमदनी केने छथि । लोधी गार्डेनक लगीचेमे घर छनि । भोर-साँझ-दुपहरिआ जखन देखू ओ लोधी गार्डेनमे घुमैत भेटि जेताह । ओहिठामक गाछ-बृक्ष,फूल-पातसभसँ हुनका बहुत सिनेह छनि । एकबेर केओ भोरे टहलैत काल बेलीक फूल तोरैत रहथि। सरदारजी हुनका फूल तोड़ैत देखि लेलखिन । औ बाबू! तकर बाद जे हंगामा भेल से की कहू । बात बढ़ैत-बढ़ैत दुनूगोटेमे मारि-पीट होबए लागल । सरदारजीक हाथमे चोट लागि गेलनि । ओ अस्पताल जाए पलस्तर करओलनि आ पुलिसमे केस सेहो कए देलनि । आब तँ ओ सरदारजीक निहोरा करए जे कहुना पुलिस केस हटा लेथि । बहुत दिन धरि ई झंझटि चलैत रहल । आखिर ओ घटी मानलाह आ जेना-तेना मामिला शांत भेल ।
लोधी कालोनीमे सरकारी आवास आवंटित भेलाक बाद हमहु नित्य लोधी गार्डेनमे घुमए लागल रही । एकदिन पूजाक हेतु किछु फूल तोड़ैत रही कि सरदारजीक नजरि हमरापर पड़लनि । ओ फटकिएसँ चिकरब शुरु केलाह । हम इएह-ले ओएह-ले भागलहुँ । बादमे अपन मित्र सरदार वलदेव सिंहसँ एहि घटनाक चर्चा केलहुँ । हुनकेसँ सरदार अजीत सिंहक बारेमे पता लागल । असलमे ओ लोधी गार्डेनक स्वयंभु रक्षक बनि गेल छथि आ जे केओ कोनो अनट काज करैत देखाइत छनि तकरासँ लड़बामे कोनो संकोच नहि करैत छथि। बादमे सुनलिऐक जे एनडीएमसी हुनका लोधी गार्डेनक संरक्षक बना देने छनि । कालक्रमे सरदार अजीत सिंह हमर नीक मित्र बनि गेलाह आ जखन कखनो मोन होइतनि तँ ओहि घटनाक चर्च कए आनंद उठबितथि ।
दिल्लीक प्रसिद्ध इन्डिआ इन्टरनेसनल सेंटर लोधी गार्डेनसँ सटले अछि । अपितु,ओ लोदिए गार्डेनक एक भाग लगैत अछि । ओहिठाम बेसीकाल गीत-नाद होइत रहैत अछि । एक सँ एक कलाकार ओहिमे सामिल होइत छथि । लोधी गार्डेनमे टहलैत काल साँझमे ओ मधुर- मधुर गीत जँ कानमे पड़ितए तँ मोन होइत जे कनी काल ठाढ़ भए जाइ ,गीत सुनि ली । असलमे ओहिठाम लगीचेमे कैकटा महत्वपूर्ण संस्थानसभ छलैक जतए एहन-एहन कार्यक्रमसभ होइते रहैत छल । चिन्मयानंद मिसन,इस्लामिक सेंटर,इन्डिआ हैबिटाट सेंटर मे निरंतर किछु-ने-किछु एहि तरहक कार्यक्रम होइते रहैत छल । यद्यपि हम लोधी कालोनीमे आठसाल रहलहुँ मुदा एहिसभ कार्यक्रममे बेसी नहि जाइत छलहुँ । अंतिम सालमे किछुदिन एकर आनंद उठा सकलहुँ । तखन तँ बहुत अफसोच होइत छल जे पहिने किएक नहि एहिमे सामिल भेलहुँ ।
लोधी गार्डेनक चारूकात एक सँ एक महत्वपूर्ण स्थानसभ अछि । लगीचेमे विश्वप्रसिद्ध खान मार्केट अछि । ओहिठाम देश-विदेशक संभ्रांत लोकसभ बजारमे बौआइति भेटि जेताह । खानमार्केटसँ सटले मेट्रोक टीसन बनि गेलासँ ओहिठाम आबा-जाही सुगम भए गेल अछि । ओही इलाकामे साइ मंदिर सेहो अछि । वृहस्पति दिन कए ओतए भक्तलोकनिक जबरदस्त भीड़ होइत अछि । अहलभोरेसँ भक्तलोकनि पाँति बना कए दर्शनक उत्सुक रहैत छलाह । लोधीगार्डेनसँ सटले वरिष्ठ सरकारी अधिकारी लोकनिक सरकारी आवास अछि। हुनकासभक हेतु लोधी गार्डेन तँ जेना दनान अछि । सफदरजंग मदरसा सेहो लोधी गार्डेनसँ सटले अछि । ओ दिल्लीक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थानमेसँ अछि । जँ अहाँ प्रायोजित दिल्ली दर्शनक हेतु बिदा होएब तँ ओतए जेबे करब । अहाँक बस ओतए ठाढ़ हेबे करत । असलमे ई सभ स्थान दिल्लीक इतिहाससँ जुड़ल अछि । एकसमयमे ओहिठाम की चुहचुही रहल होएत से सोचल जा सकैत अछि।
लोधी गार्डेनमे लगभग आठसाल हम भोर-साँझ टहलि सकलहुँ । ब्लाक २१,लोधी कालोनीक सरकारी आवास जून २०१४मे छुटि गेल आ तकर बाद लोधी गार्डेन सेहो छुटि गेल । मुदा ओकरासँ जुड़ल बहुत रास घटनासभ अखनो स्मृतिमे ओहिना बनल अछि । भोरे जखन लोधी गार्डेनमे टहलबाक हेतु जाइत छलहुँ तँ ओहिमे जाइते देरी अकटा अलग दुनिामे पहुँचि जाइत छलहुँ । ओतए कतेको लोकसभसँ परिचय भेल । ओहिमे महत्वपूर्ण व्यक्तिमे सँ छलाह सेवानिवृत्त आइएएस श्री भुरेलालजी । ओ उत्तरप्रदेश काडरक अधिकारी छलाह । स्वर्गीय विश्वनाथ प्रताप सिंह जखन भारतक प्रधानमंत्री रहथि तँ भुरेलालजी हुनकर प्रमुख सचिव रहथि । एकसमयमे देशक सभसँ शक्तिमान सरकारी अधिकारी रहल श्री भुरेलालजी समय संगे केहन तालमेल केने छथि से लोधी गार्डेनमे हुनका देखि कए पता लगैत अछि । अहंकार जेना हुनका अछिए नहि । सभसँ बेस अपनत्वसँ गप्प-सप्प करताह,आगु बढ़ि कए भोरे हरिओम कहि कए स्वागत करताह आ संगे-संह घुमैत रहताह । लगबे नहि करत जे एहन पैघपदपर रहल लोकक संगे छी । ततबे नहि,ओ ठाकुरद्वारा ट्रस्ट बनओने छथि जे बहुत तरहक सामाजिक काजसभ करैत अछि । ओसभ लोधी गार्डेनमे एकटा बैसारक स्थान बनओने छथि आ नित्यभोरे पचास-साठिगोटे ओतए बैसैत छथि,योग-व्यायाम करैत छथि,चाह-पान करैत छथि,कहिओ-कहिओ तँ जलसा सेहो होइत अछि । एहिसभसँ हुनका एकटा बहुत जीवंत समाज भेटि गेल छनि जकरा संगे सेवानिवृत्तिक बाद बहुत नीक समय बिता रहल छथि । लोधी गार्डेनमे एहन-एहन कैकटा गुट अछि । समय-समयपर ओसभ उत्सव मनबैत छथि,भोजन करैत छथि आ वापस अपन-अपन घर चलि जाइत छथि ।
लोधी गार्डेनमे प्रातःकाल दसबजेसँ रातिमे आठ-नओ बजेधरि प्रेमी जोड़ासभक बाढ़ि रहैत अछि । ओसभ दोगमे कतहु करोट धेने रहैत छथि । मुदा किछु दर्शकसभ हुनकासभक पछोड़ केने रहैत छथि । केओ आबओ,केओ जाओ हुनकासभक भाव-भंगिमापर कोनो प्रभाव नहि पड़ैत अछि कारण ओसभ तँ अपनेमे मस्त रहैत छथि,बेहोश रहैत छथि । लोधी गार्डेनमे दिन-देखार ईसभ होइत रहैत अछि मुदा पुलिस आ प्रशासन के जेना कोनो मतलबे नहि । जे होइत छैक से होऊ । कखनो काल जखन कुकांडभए जाइत अछि तखन जरूर पुलिस डंडा हिला दैत अछि । अन्यथा ककरो कोनो मतलब नहि । लोक आबि रहल अछि,जा रहल अछि मुदा प्रेमी जोड़ासभ अपन दुनिआमे मस्त रहैत छथि । मुदा ओहिठाम सुच्चा टहलनिहार लोकसभकेँ एहि फसादसभसँ कोनो मतलब नहि रहैत छनि । ओ तँ प्रकृतिक आनंद लैत अपन स्वास्थ बनबएमे लागल रहैत छथि ।
एकबेर दियाबातीक प्रात अन्हरोखे हम दुनू बेकती ओतए टहलए चलि गेल रही । फटक्का प्रदूषणक कारण एकडेग नहि देखाइत छल । अन्हार गुज्ज,भयावह वातावरणमे ओतए एकडेग ससरब मोसकिल छल । लगैत छल जे सौंसे लोधी गार्डेनमे हमही दुनूगोटे आएल छी । तथापि साहस कए हमसभ आगु बढ़ैत रहलहुँ । किछु फटकी मनुक्खक आबाज सुनाएल तखन जान मे जान आएल । कहुना कए एक चक्कर लगओलहुँ । दोसर चक्कर लगेबाक साहस नहि भेल आ डेरा वापस आबि गेलहुँ ।
एकदिनहम छुट्टीक दिनमे दस बजे लोधी गार्डेन टहलए गेल रही । गेटसँ थोड़बे अंदर गेलाक बाद एकटा अधबएसू बहुत भावबिभोर भए गबैत छलाह- ओ दूर के मुसाफिर हमको भी साथ ले ले..हम रह गए अकेले....ओकर गीत सुनिकए हम ठामहि ठाढ़ भए गेलहुँ । गीतक स्वरमे ततेक दर्द भरल छल जे लागल जेना लकबा मारि देलक । ओ किछुकाल धरि अहिना गबैत रहल आ कहि नहि कतए बिला गेल । बादमे फेर ओ कहिओ नहि देखाएल । बहुत दिन धरि ओ गीत फेरसँ सुनबाक मोन होइत रहल । संभवतः ओ व्यक्ति सेहो छुट्टीक मूडमे अपन मनोव्यथा संगीतक रूपमे अभिव्यक्त कए रहल छलाह। एहने एकटा दृश्य एकदिन लोधी गार्डेनक बीचमे देखलहुँ। एकटा ओकील साहेब पाथरपर बैसि कए तरह-तरहक शास्त्रीय संगीत गाबि रहल छलाह । हुनकर गेबाक भाव-भंगिमासँ लगैत छल जेना ओ अंदरसँ हिलि गेल छथि । गबैत-गबैत ओ नाचए लागथि । चारूकात तमासा देखनिहारक भीड़ लागि गेल छल । ओना ओ गीतो नीक गबैत छलाह मुदा ओहूसँ बेसी हुनकर आकृतिसँ निकलैत संकेत छल जे कोनो गंभीर आंतरिक दुखक दिस इसारा करैत छल । एहि तरहें कतेको तरहक दृश्य लोधी गार्डेनमे देखबाक अवसर भेटैत छल । छुट्टी दिन कए तँ ओतए मेला लागल रहैत छल । लोकसभ सपरिवार आबि ओतए आनंद मनबैत छलाह । जेम्हरे जाउ नेना,युवक आ बूढ़सभ नाना प्रकारक मनोरंजन करैत देखेताह । साँझ होइत-होइत लोकसभक भीड़ ससरि जाइत छल ,रहि जाइत छल नियमित टहलएबलासभ जे सामान्यत: लगीचक सरकारी आवाससभसँ अबैत छलाह । ई क्रम बारहो मास आ तीसो दिन ओतए चलैत रहैत छल ।
लोधी गार्डेनक लगीचमे रहि हमसभ ओकर बहुत फएदा उटओलहुँ । आठ वर्षसँ बेसी समय धरि मगनीमे स्वस्थ मनोरंजन होइत रहल । लोकसभ महग होटल वा कल्वमे जा कए जे उसासक अनुभव करैत हेताह से हमसभ मगनीमे लोधी गार्डेनमे उठओलहुँ । सभसँ फएदा तँ ई भेल जे नीक लोकसभक संगति भेटल । एक सँ एक विद्वान लोक ओहिठाम टहलैत भेटलाह । ओहिमेसँ कैकगोटे दोस्तो बनि गेलाह । स्वास्थकेँ तँ जेना असीर दबाइ छल ओ स्थान । हमर श्रीमतीजीकेँ पैरमे दर्द होइत रहैत छलनि । कतेको डाक्टरसँ देखेलहुँ । कहि ने कोन-कोन एक्सरे करओलहुँ । मुदा ठीक भेल लोधीगार्डेनमे चललासँ । शुरुमे तँ हुनका चलबामे परेसानी बुझाइनि मुदा क्रमशः ओ फुर्तीसँ चलए लगलीह आ कालक्रमे तँ ओ हमर कोन कथा कैकटा तेज टहलएबलासभकेँ पछुआ दैत छलीह । लोकसभ एहिबातसँ बहुत प्रसन्न होइत छलाह । मुदा अंतिम दूसाल ओ लोधी गार्डेनमे भोरक टहलनाइ छोड़ि देलीह । बहुतदिन धरि लोकसभ हुनकर हाल-चाल पुछैत रहलाह ।
जून २०१४मे लोधी कालोनीक सरकारी आवास छोड़ि देलाक बाद हमहु लोधी गार्डेन घुमबाक सुखसँ बंचित भए गेलहुँ । आब तँ तकर कतेको साल बिति गेल । तथापि,लोधी गार्डेनक स्मरण अबिते रहैत अछि । ओहिठाम भोरसाँझ टहलैत लोकसभ मोन पड़िते रहैत छथि । मुदा ई जीवन थिक । सभ नीक-बेजाए वस्तुक अंत होइते अछि । लगैत अछि जेना लोधी गार्डेनक स्मृति कोनो बहुत नीक सिनेमाक एकटा सुखद अंश छल । आशा करैत छी जे कहिओ फेर एहन समय अएतैक जे हमसभ लोधी गार्डेन पहिने जकाँ भोर-साँझ टहलि सकब आ जीवनमे ओएह स्फ्रुति ,ओएह आनंद फेरसँ भेटि सकत ।
26.6.2020
Fantastic - very lively narration. Can't understand Maithli but feelings endorsed everything. Much more has to be retorted - looking like a dream. I feel I motivated your.Madam to start walking when I had shifted in 21 Block and her speed of walking inspired so many. You have mentioned names of so many of our camaraderie who have been walking since decades and their face imprint in our mind. I had once aspired that before taking me to cremation ground, take me a round of Lodi Garden where I walked continuously for five decades. Really I was weeping while shifting to Hari Nagar because of Lodi Garden. I saw walking in Lodi Garden big luminaries of every walk of life whose life is now read in the books and prestigious magazines. Fortunately still going Lodi Garden from Hari Nagar at least 12 times in a year and this give a great solace when meet old walkers. Many have left for heavenly abode but their faces are in mind. Much more has to be narrated but one thing - Mishraji, you have opened your heart and this will be first description about Lodi Garden in Maithili script in the history of this Boli. Mind is telling - narrate more and more. Thanking you very much Mishraji - really fantastic.
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