सोमवार, 11 मई 2020

कोरोना संकट


कोरोना संकट



आज-कल विश्व कोरोना की गंभीर समस्या से जूझ रहा है । पूरे दुनिया में एक साथ लाखों लोग कोरोना से संक्रमित हैं और लाखों लोग अपनी जान गमा चुके हैं । कुल मिलाकर सारी दुनिया कोरोना के आगे असहाय दिख रही है । इस विमारी का कोई निश्चित इलाज नहीं होने से वचाव ही एकमात्र समाधान लगता है । पर इस वैश्विक महामारी से वचाव भी इतना आसान दीखता नहीं है । क्यों कि अधिकांश संक्रमित लोगों में इसका  लक्षण होता ही नहीं है और लक्षण प्रकट होने से पहले ही वह अनगिनित लोगों को संक्रमित कर चुका होता है । अतएब सामाजिक दूरी बनाए रखना और अपने-अपने घरों में बंद रहना ही एकमात्र समाधान लगता है । यही कारण है कि आज लगभग पूरी दुनिया लाक डाउन की स्थिति में  है । लोग काम-काज छोड़कर जान बचाने के फिराक में अपने-अपने घरों में बंद हैं । स्थिति इतनी खराब है कि अगर सामने कोई व्यक्ति दिख जाता है तो मन में चिंता होने लगती है ।

कोरोना वायरस कैसे उतपन्न हुआ यह एक विवाद है । परंतु यह सभी मानते हैं कि सर्वप्रथम इसकी उत्पति चीन के ह्वुआन शहर में हुई । इसके बाद चीन के इस शहर के हजारों लोगों में इस वायरस का संक्रमण हो गया । देखते ही देखते यह इटली एवम् युरोप के अन्य देशों में तेजी से फैलने लगा । निश्चित रूप से अनुभव की कमी या तत्परता केअभाव में युरोप के देशों में यह विमारी बड़ी तेजी से फैल गया। इसके बाद जो भयावह स्थिति उतपन्न हुई वह सर्वविदित है । लाशों को ठिकाना लगाना मुश्किल हो गया । इलाज करने के लिए अस्पतालों में बेड की कमी हो गई । सुना तो यह भी जा रहा है कि इटली में बुजुर्ग लोगों को अस्पताल नहीं ले जाया जा सका और वे घर में पड़े-पड़े ही मर गए । इसके बाद अमेरिका सहित दुनिया के अन्य देशों में भी यह वायरस फैल गया । आज के दिन में अमेरिका में इस विमारी से मरने वालों की संख्या पचहत्तर हजार के आस-पास पहुँच गई है । शीघ्र ही यह संख्या एक लाख तक पहुँच सकती है ।

भारत में इस वायरस की उपस्थिति सब से पहले केरल में दर्ज हुई जहाँ चीन के ह्वान शहर से आए हुए भारतीय को कोरोना से संक्रमित पाया गया । इसके बाद आहिस्ता-आहिस्ता यह वायरस अपना पैर समुचे देश में फैल चुका है वह भी तब जब २४ मार्च से पूरे देश में लाक डाउन है । शुरु में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या एक से सौ तक पहुँचने में पैंतालिस दिन का समय लगा । परंतु अब तो नित्य हजारों में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या में इजाफा हो रहा है ।

कोरोना से लड़ने के लिए दुनिया भर के लोगों ने पूरी ताकत झोंक दी है । पर कोरोना नियंत्रण में नहीं आ रहा है । नित्य हजारों लोग कोरोना से मर रहे हैं । मरने वालों में अधिकांश वृद्ध लोग हैं परंतु कम उम्र के लोग भी मर रहे है । मृत्यु का इतना दर्दनाक दृश्य कदाचित सायद ही किसी ने देखा होगा । कुछ अस्पतालों में  लाशों के साथ ही मरीजों का इलाज हो रहा है क्यों कि शवगृह भर चुका है और परिजन अपनों का लाश नहीं ले जा रहे हैं ।

सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि इस महामारी के प्रसार को अपने देश में रोक दिया जाए । लोगों को कम से कम हानि हो । इसलिए ही अप्रैल महिने के चौवीस तारिख से ही पूर्ण लाक डाउन लागू है । सोचा जा सकता है कि एक सौ तीस कड़ोर के आवादी वाले इसदेश में लाक डाउन लागू करना कितना कठिन निर्णय रहा होगा । इसका अनुपालन करबाना तो और भी कठिन प्रयास सावित हुआ है। यह जानते हुए कि इस महामारी का कोइ सटीक इलाज नहीं है और जान बचाने का एकमात्र उपाय सामाजिक दूरी बनाए रखना है ,जहाँतक संभव हो घर से बाहर नहीं जाना है । वृद्ध,शिशु,विमार और गर्भिणी महिला को तो विल्कुल ही नहीं जाना है ,लोक वारंबार लाक डाउन का उल्लंघन करते नजर आए । चाहे दिल्ली का तबलीगी जमात में शामिल लोग हों या महानगरों से अपने पैतृक घर वापस जाने को आतुर प्रवासी मजदूर सबों ने लाक डाउन में अन्तर्निहित सामाजिक दूरी बनाए रखने के सिद्धांत का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन करके इस महामारी को पूरे भारत में फैलने में अहम् योगदान दिया है । अभी चंद दिन पहले शराब के दिबानों ने शराब की बिक्री शुरु होते ही जो भीड़ इकठ्ठा किया है उसका घातक परिणाम भी हम सबको भोगना पड़ सकता है । कारण चाहे जो भी हो किंतु कुल मिलाकर लाक डाउन का जितना फायदा हमें हो सकता था वह हो नहीं पाया । प्राप्त जानकारी के अनुसार ,मरीजों के संख्या में अनवरत  वृद्धि हो रही है । अगर यही हाल रहा तो अनुमान लगाना कठिन है कि महिने दिन बाद हम कहाँ खड़े होंगे?अभी एम्स दिल्लीके निदेशक के हबाले से समाचार आया है कि जुन-जुलाई में संक्रमण पराकाष्ठा पर होगी । भगवान जाने हम किस हाल में होंगे । जाहिर है कि इन समाचारों ने जीवन में अनिश्चितता का माहौल भर दिया है । परंतु ज्यादा सोचने से भी कोई लाभ नहीं होने वाला है । जो होना है सो होकर रहेगा । हम अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर खड़े हैं । यह किसी को नहीं पता है कि आगे क्या होना है या हमें किस तरफ जाना है ।

लाक डाउन से असंगठित क्षेत्र मे काम करने वाले मजदूर एवम् दैनिक आधार पर काम करने वाले मजदूरों की कमर तोड़ दी है। लाखों के तादाद में ऐसे लोग एकाएक बेरोजगार हो गए । इन लोगों के पास कोई बचत नहीं होता है । ये रोज कमाने और रोक खाने वाले लोग हैं । काम  छूटते ही इन्हें लगा कि अब वे कहाँ जाएं । मकान का किराया,रोज का भोजन ,वच्चों का परवरिश सब असंभव लगने लगे । वे बेतहाशा जहाँ-तहाँ ,जैसे-तैसे भागने लगे । कोई उपाय ढूढ़ने लगे जिस से वे अपने पैतृक गाँव वापस जा सकें । पर जाए कैसे? सारे रास्ते बंद थे । बस,ट्रेन सब बंद । कई दुस्साहसी मजदूर पैदल हजारों मिल अपने परिजनों के पास चल पड़े और रास्ते में ही या तो भूख से मर गए या प्रशासन द्वारा पकड़ लिए जाने के बाद एकांतबास में डाल दिए गए । कुछ तो अत्यंत मर्मांत घटनाओं के शिकार हो गए। अभी औरंगाबाद के पास सोलह मजदूर विश्राम करते हुए मालगाड़ी से कट  गए । उनमें से पाँच का अभी इलाज चल रहा है और शेष घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिए । इस घटना ने सारे देश को झकझोड़ दिया है । लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि लाक डाउन लागू करने से पहले इन चीजों का ध्यान क्यों महीं रखा जा सका ?

अब जबकि पूरी दुनिया करोना से त्रस्त है तो इस से बचने के तरह-तरह के उपाय लेकर अनेको प्रकार के संगठन और लोग सामने आ रहे हैं । कोई कहता है कि यह खाइए,कोई कहता हे वह खाइए,मधु खाइए,गर्म पानी पीजिए,काढ़ा पीजिए आदि,आदि । लोग घबराहट में तरह-तरह का प्रयोग करते भी जा रहे हैं । कुल मिला कर लोग कारोना वायरस से बुरी तरह डर गए हैं । निश्चित रूप से यह सही नहीं है । कहते हैं कि जो डर गया सो मर गया । किसी भी हालात में डरना तो समाधान हो ही नहीं सकता है । फिर क्या किया जाए? अभी तक दो बात बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है कि हमें एक-दूसरे से दो गज दूरी बना कर रखना है । दूसरा बाहर कम से कम निकलना है और अगर निकलना जरूरी हो ही गया है तो मास्क जरूर लगाना है । समय-समय पर हाथ साबुन या अन्य प्रकार के कीटनाशक से हाथ धोते रहना है ताकि वायरस का प्रसार में रुकावट हो ।

लाखों लोगों के प्राण जिस विमारी से चले गए हों उस महामारी से बचने का हर संभव प्रयास दुनिया के सारे देश कर रहे हैं । सुनने में यह भी आ रहा हे कि इजरायल और इटली इस दिसा में बहुत आगे निकल गए हैं । इस क्रममें दुनिया का ध्यान चीन पर वारंबार पहुँच जाता है कारण यह विमारी वहीं से शुरु हुई है । चीन इसका टीका बनाने में लगा हुआ है। अमेरिका भी बहुत तत्परता से इस काम में लगा हुआ है । देखना है कि सफलता किसके हाथ लगता है । चाहे जो भी प्रयास सफल हो लेकिन अगर ऐसा होता है तो निश्चित यह पूरी मानवता के लिए वरदान सावित होगा और पूरा विश्व प्रलय की आसन्न संभावना से बच जाएगा ।

दुनिया भर के वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना से निजात पाने का एकमात्र समाधान टीका अविष्कार होना है । यद्दपि इस कार्य में कई देश चेष्टा कर रहे है ,लेकिन इस में पूर्ण सफलता मिलने में समय लग सकती है । तबतक क्या किया जाए? लाकडाउन के बाबजूद विमारी फैलती जा रही है । अपने देश में भी लगातार लाकडाउन लागू है । फिर भी कोरोना से संक्रमित लोगों के संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है । अतएव स्पष्ट है कि खतराके बाबजूद हमें अभी कोरोना के साथ रहना होगा । जाहिर है कि इस में कुछ लोगों की जान जा सकती है परंतु ,अनंत काल तक सब कुछ बंद नहीं रखा जा सकता है । इसलिए संयम के साथ-साथ नित्यप्रति के गतिविधि को चालू करना ही होगा । देखते हैं कि यह सब कैसे हो सकता है ।

हर बुराई के साथ कुछ अच्छाई भी निहित होती है । कोरोना के साथ भी ऐसा कुछ लगता है । तमाम कष्टों,असुविधाओं और मानव जीवन पर मड़राते संकटों के बाबजूद कोरोना ने हमें अपने पुरातन संयमी संस्कृति का महत्व फिर से ताजा कर दिया है । सामाजिक दूरी और अन्य तरह की बातें जो अब की जा रही है वह सब हमारे यहाँ नया नहीं है । परंपरा से लोग वचाव द्वारा विमारियों से बचने की चेष्टा करते थे । दैनिक जीवन में व्रत,उपवास ,ध्यान, प्राणयाम आदि का महत्व दिया जाता था जिससे लोग दीर्घजीवी तो होते ही थे साथ ही उनके विचार भी सात्विक होते थे जिस से वसुधैव कुटुम्वकम् जैसी उच्च भावनाओं का प्रचार-प्रसार भी होता था । निश्चय यह विमारी हमे कुछ संदेश देकर जाएगा । सायद हम मानव जीवन को एक नए सिरे से समझने और जीने का प्रयत्न करने के लिए विवश हो जांए


रबीन्द्र नारायण मिश्र

११.५.२०२०

mishrarn@gmail.com






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