अष्टयाम आ नबाह
सन्१९६२ भारत चीनक युद्धक
हेतु प्रसिद्ध अछि । ओहि समयमे हमसभ मिडिल इसकूलसँ सातमा पास कए हाइ इसकूल
इकतारामे आठमामे नाम लिखओने रही । सौंसे देश चीनक खिलाफ सनसन करैत छल । अपन देशक
सामरिक आ आर्थिक सामर्थ्य सीमित छल । चीनक सेना बढ़िते जा रहल छल। गाम-गाम लोक
रेडिओक समाचार सुनबा हेतु आतुर रहैत छल । मुदा समाचार सुनि लोकसभक लोलपर फुफरी
पड़ैत छल। ओही समयमे गाम-गाम ई हवा बहि गेल जे प्रलय होबए बला अछि । एहि बातक
चीनसंगे भेल युद्धसँ किछु लेना-देना नहि
रहैक । मुदा ई घटना ओही लग-पासक हेबाक कारण तकर चर्च होएब स्वभाविक ।
गामक-गाम नबाह,अष्टयाम, यज्ञ होबए लागल ।
नाना-प्रकारक अनुष्ठान होइत रहल। तात्पर्य इएह छल जे प्रलयक भविष्यवाणी फेल भए
जाइक । हमसभ तँ नेना रही । ओतेक बात नहि बुझिऐक । मुदा लोकसभक मोन आशंकित देखि
चिंता तँ हेबे करए जे कहि नहि की होएत,किओ बचत की सभ
दहि-बहि जाएत। कहि नहि एहन भविष्यवाणी केनहार के छलाह आ हुनकर की उद्येश्य छलनि? जे छलाह मुदा समाजमे हरकंप तँ भइए गेल छल ।
कोनो आसन्न महान संकटसँ निजात
पएबाक हेतु गामक-गाममे अष्टयाम आ नबाहक प्रकारक कीर्तन करबाक उजाहि उठि गेल छल । हमरा गाममे तँ अष्टयाम आ नबाहक जेना बाढ़ि
आबि गेल छल । साइते कोनो घर रहल होएत जतए अष्टयाम नहि भेल । व्रह्मस्थानमे नबाह
भेल छल । गाम-गामसँ कीर्तनिआँसभ झुंड बना-बना अपन समयपर रंग-विरंगक सुर-तान दैत
कीर्तन करैत छलाह । हमरा मोन पड़ैत अछि जे जमुआरी,बिचखाना,पौना, झोंझी आ कहि नहि
कुन-कुन गामक लोकसभ ढ़ोलक,झालि, हरमुनिआ लेने अबैत छलाह आ दू-तीन घंटाक अपन
पारमे अनेकानेक सुर-तान दैत निर्धारित
मंत्रकेँ गबैत रहैत छलाह । बाल्टीक-बाल्टी
सरबत घोरल जाइत छल आ कीर्तनिआँसभकेँ कीर्तन समाप्तिक बाद पिआओल जाइत छल । एकटा
मंडलीक समय समाप्त हेबासँ पहिने दोसर मंडली तैयार रहैत छल जाहिसँ नवाह संकीर्तन
अवाध्य चलैत रहए,खंडित नहि होअए।
संकीर्तनक मंत्रकेँ फिल्मी
गानाक तर्जपर गेनाइ आ कीर्तनमे घुमैत काल अनेकानेक प्रकारक नृत्य भंगिमा सेहो कैटा
मंडली द्वारा कएल जाइत छल । एकटा झालि बजओनिहार सामनेक दोसर झालि बजओनिहारक झालिपर
झालि रखबाक हेतु उनटि जाइत छलाह । झालिपर- झालि बजाकए फेर पूर्वबत भए जाइत छलाह । धीया-पूतासभ
एहि दृष्यसभसँ बहुत प्रभावित रहैत छलाह आ घंटो
कार्यक्रमकेँ देखैत रहैत छलाह । जमुआरीक मंडली एहि हेतु नामी छल । एहि मंडलीमे हमर
पिताजीक एकटा कर्मचारी स्वर्गीय कीर्तन सिंहकेँ कीर्तन करैत देखि हमरा बहुत नीक लगैत
छल । कहि नहि सकैत छी जे गाम-गामसँ अनेकानेक कीर्तन मंडलीकेँ अबैत-जाइत देखि नेनासभकेँ
कतेक प्रशन्नता होइत छल। नबाह एक हिसाबे ग्रामोत्सव होइत छल ।
एहन माहौल भए गेल रहैक जे
हमसभ चारि-पाँचटा नेनासभ मिलि कए अपने ओसारापर अष्टयाम शुरु कए देने रही । बादमे जखन
बाबूजीकेँ पता चललनि तँ ओ बहुत असमंजसमे रहथि । हमसभ कोनो खराप काज तँ नहि करैत रही
जे सोझे रोकि देल जाइत,मुदा समस्या रहैक
जे दूपहर रातिमे ओकरा कोना आगू ससराओल जाएत । लग-पासक धीया-पूतासभकेँ हम जा-जा कए बजाबी
मुदा सभठाम लोकसभ किछु -ने-किछु दिक्कतिबला गप्प करथि कारण राति बढ़ल जाइत छल,लोकसभ नीन्नसँ मातल छल । ऊपरसँ जाढ़क मास छलैक
। सीरक छोड़ि कए कीर्तन करए के अबैत?
हारि
कए आधा रातिमे कीर्तन बंद करए पड़ल । मोसकिलसँ तीन-चारिटा छौंड़ासभ मिलि कए एकटा टेबुलक चारूकात घुमि-घुमि कए अष्टयाम
करए चलल रही । टेबुलक बीचमे भगवानसभक फोटो राखि देने रहिऐक । एक हिसाबे ई धीया-पूतासभक
खेल छल । असलमे किछुदिनसँ लगातार गाममे यत्र-तत्र
एहन कीर्तनसभ होइते रहल छल जकर प्रभाव नेनासभक माथापर पड़ल हेतैक ,सएह बुझा रहल अछि। अष्टयामक संकल्प अधूरा रहि
गेल । एहिबातक दुख कैगोटेकेँ भेलनि आ थोड़ेक दिनक बाद फेरसँ विध-विधानसँ अष्टयामक आयोजन
हमरसभक दरबाजापर भेल । कहि नहि सकैत छी जे हम आ हमर संगीसभ एहि बातसँ कतेक खुश भेल
रही ।
अष्टयामक प्रभाव भेल कि नहि
भेल से तँ नहि कहब मुदा ओहि साल कोनो तेहन आफद नहि आएल जकर आशंकासँ गामक-गाम लोकसभ
अष्टयाम,नवाह,यज्ञसभ करए लागल रहथि। हँ,ओहिसाल एकटा बात जरूर भेल। की भेल? मोन पड़ि रहल अछि की? नहि,
तँ सुनू
। गामक-गाम आम खूब फड़ल रहए । कलमसभमे आमक पथार लागि गेल रहए । आम खाइत-खाइत लोकसभ जहन थाकि गेलाह तँ धरिआक -धरिआ अमोट
पाड़ल गेल । अखनो मोन पड़ैत अछि जे कलमसभमे कतेक चुहचुही रहैत छल ।
नेनाक बाते किछु आओर होइत
छैक । कलममे आमक रखबारी करबाक हेतु मचान बनाओल गेल छल । हमहु अपन संगीसभक संगे आमक रखबारीक बहाना बनाकए कलममे
रातिभरि रहि जेबाक जोगारमे रही । मुदा बाबूजीकेँ बहुत चिंता भेलनि आ राति बढ़ैत देखि
लालटेन लेने कलम पहुँचि गेलाह । हारि कए हमसभ घर आपस भए गेलहुँ।
गाम-गाममे अष्टयाम आ नवाह
अखनो होइते अछि । हमरा गाममे तँ नियमित रूपसँ सालमे एकबेर नवाह होइते अछि । मुदा जे
उजाहि सन् १९६२मे उठल रहए से फेर कहिओ देखबा-सुनबामे नहि आएल । आब तँ ओ बात बहुत पुरान भए
गेल । मुदा अखनो कीर्तनसभक प्रतिध्वनि माथक कोनो कोनमे ओहिना होइत रहैत अछि जेना की
ई कल्हुके गप्प होइक ।
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