गया गेल रही
बहुत
दिन सँ माएक वारंबार सपना अबैत रहैत छल।एहि सपना सभक
रहस्य नहि बुझा रहल छल।तथापि मोनमे भेल जे गया चली,पिण्डदानक
बड़ महत्व सुनैत छी।ओहिठाम पिण्डदान
केला पर पितरसभ मुक्त भए जाइत छथि।मुक्त भेल पितरसभ अपन वंशजकें आशीर्वाद दैत छथि
जाहिसँ सभक कल्याण होइत अछि।पंडितजीसँ गप्प कए गया जेबाक दिन तकओलहुँ। विचार-विमर्षक
बाद फरबरीक अन्तमे ,२५ फरबरी २०१८केँ
जेबाक कार्यक्रम बनल,वापसी २८ फरबरीक। तीन
मास पूर्बे रेल टिकटक आरक्षण करओलहुँ।
क्रमशः
गया जेबाक समय लगीच आबि रहल छल। चिन्ता रहए जे कोना की करी। कखनो काल होइत जे एखन
स्थगित कए दी। फेर भेल जे जखन कार्यक्रम बना लेने छी तँ ई काज कइए लेल जाए।
पण्डितजीसँ परामर्श कए चीज-वस्तुक ओरिआनमे लागि गेलहुँ। मुदा सभसँ चिन्ता छल
पणडासभसँ कोना निपटल जाएत ?
सुनैत रही जे ओहिठाम टीसनेपर सँ पणडाक
आदमीसभ घेर-बार शुरू कए दैत अछि। गयामे रहबाक चिंता सेहो
होइत छल। संयोगसँ ओहि दिन हमर मित्र मिसरजी भेटि गेलाह । ओ पहिने गया पिण्डदान हेतु गेल रहथि। हुनकर परिचित
पंडा आ एकटा महापात्रजीक फोन नंबर भेटल। ओ अपनो स्तरसँ पंडाजीसँ आ महापात्रजीसँ गप्प कए हमर काज हल्लुक कए देलाह।
महापात्रजीसँ
गप्प भेल तँ सभसँ पहिने ओ कहलाह जे दिन उपयुक्त नहि अछि,पितृपक्षक समय फगुआक बाद हेतैक,तकरबाद कोनो
दिनक टिकट लए सुचित करु। हम कहलिअनि जे हम तँ चारि माससँ दिन तकओने छी।
"के दिन तकलाह अछि? हमरा गप्प कराउ।“
आब
कि करी?
दिन तकनिहार पंडितजी विद्वान छथि,समय दए
दिन तकलथि,ताहि हिसाबे टिकट लेने छी।आब जखन जेबाक समय
लगीच आबि गेल तँ दोसरे बात सुनि रहल छी। पंडितजीसँ फेर गप्प कए सभ बात कहलिअनि। ओ
अपन निर्णय पर दृढ़ छलाह,दिन सही अछि, महापात्र की कहताह। हमरा हुनकर बातमे दम बुझाएल।
ओ निश्चय सही दिन तकने हेताह। महापात्रजीकेँ फोन कए कहलिअनि जे हमर कार्यक्रम तय
अछि,दिन सही छैक,अपने ओहि दिनक हिसाबसँ उपलब्ध भए सकब कि नहि से कहू। असलमे हुनका
पहिने सँ किछु काज गछल रहनि, ओ ई अवसर सेहो नहि जाए देवए
चाहथि। जखन बुझा गेलनि जे हम अपन कार्यक्रम पर अड़ि गेल छी,तँ ओ तैयार भए गेलाह। कहलाह जे हुनका २६ फरबरीक उपनयन करेबाक छनि,तें २६क रातिमे गयेमे रहताह आ सभटा काज नीकसँ करा देताह। कहलाह :
“चिन्ता नहि करु।सभटा भए जेतैक । “
सामान
सभक सूची ओ लिखा देलाह। ओहि सूचीमे ततेक तरहक अंट-बंट सभ चीज-वस्तुक नाम छल
जे ओकरासभकेँ एकट्ठा करब बहुत कठिन बूझाएल। तैँ सामानसभ आनबाक भार हुनके दए हम निश्चिन्त
भेलहुँ। सामान सभक उचित
दाम देबाक आश्वासन हम देलिहनि।ओ सहर्ष ताहि हेतु तैयार भए गेलाह। तकरबाद हम अपन
तैयारीक अनुसार बिदा भए गेलहुँ। ओहिसँ पहिने महापात्रजी कैक बेर फोन कए आश्वस्त होइत रहलाह जे हमर कार्यक्रम
पक्का अछि, ओहिमे कोनो परिवर्तन नहि भेल अछि,जे निश्चित
तिथिक हमसभ ओतए पहुँचि रहल छी,जे हुनकासँ भोरे भेँट होएत।
गयासँ
पंडाजीक सेहो फोन आएल। ओ हमर कार्यक्रमक बारेमे आश्वस्त होमए चाहैत छलाह। हम कतए
ठहरब सेहो जानए चाहैत छलाह। ईहो
कहलाह जे रहबाक व्यवस्था हुनके ओहिठम भए सकैत अछि। मुदा जखन ओ एहि बातसँ आश्वस्त
भए गेलाहजे हम हुनकेसँ संपर्क करब तखन निश्चिन्त भए गेलाह। संगहि कहलाह जे टीसनपर पहुँचिते
हुनकासँ संपर्क कएल जाएत जाहिसँ कोनो आओर पंडाक आदमी तंग नहि करत आओर हुनकर आदमी
ओतहिसँ हमरा होटल लए आनत। हम अपन रहबाक व्यवस्था होटलमे केने रही। ताहि हेतु
पहिनहिसँ आनलाइन आरक्षण करओने रही। हम पंडाजी ओहिठाम नहि रहए
चाहैत रही कारण ओतए पता ने केहन की होएत,से मोनमे शङ्का रहए।
२५
फरबरी २०१८क साँझमे भुवनेश्वर राजधानीसँ
हम आ हमर श्रीमतीजी गया बिदा
भेलहुँ।ओहिसँ पूर्व होटलमे फोन कए
सूचना दए देल जे हमसभ भोरे पाँच बजे होटल पहुँचब। तदनुकूल हमरा सभ लेल व्यवस्था कएल जाए। रस्ता भरि खाइत-पिबैत हमसभ
यात्राक आनंन्द लैत रहलहुँ। सासारामक लगमे ट्रेन छलैक कि एकटा सहयात्री चिचिआ उठलाह जे गया आबयबला अछि। कैकटा यात्री हुनक डाक सुनि उठि कए सामान लए द्वारि
पर आबि गेलाह। रातिक समय छलैक,केओ
जोखिम नहि उठाबए चाहए, कारण गयामे ट्रेन चारि बाजि कए बीस मिनटपर पहुँचक छल,आ जौँ राति मे सुता गेल,सुतले रहि गेलहुँ,तहन तँ गेल महिष पानिेमे परड़ु समेत। एहि चक्करमे चारि-पाँचबेर द्वारि धरि गेलहुँ आ वापस
सीट पर अएलहुँ।अन्ततोगत्वा लगभग एक घंटा बाद ट्रेन गया टीसनपर
पहुँचल।
हम
सभ भोरे गया टीसनपर पहुँचि
गेल रही। होटल ग्रैंड पैलेस टीसनसँ
सटले छल। ततबे लग रहैक जे टीसनपर
होइत उद्घोषणा होटलमे सुनाइत छल। होटलमे पहुँचि हमरा लोकनि थोरेकाल विश्राम कएल ।
नित्यक्रमसँ निवृत्त भए बैसले छलहुँ कि पंडाजीक फोन आएल।
होटलक पता पुछलाह। थोरे कालक बाद ओ होटल पहुँचि हमरसभक हाल-चाल लेलाह,आ सभ तरहे निश्चिंत रहबाक हेतु कहलाह। महापात्रजीके रातिमे अएबाक
कार्यक्रम रहनि ।महापात्रजी वारंबार
फोनपर कहैत रहलाह जे एकभुक्त कए लेब। केस कटा
लेब। हमसभ सामान लए रातिए पहुँचि
जाएब। काल्हिसँ पिण्डदान होएत।
ओहिदिन,माने २६ फरबरीक उपयोग हमरा लोकनि वोधगया देखएमे केलहुँ। गयासँ बोधगया
जेबाक हेतु टेम्पू 200 टाकामे भेटल। गयासँ बोधगयाक दूरी
करीब-करीब १३ किलोमीटर अछि। रस्ताक हालति बहुत खराप अछि। लगबे नहि करत जे अंतरराष्ट्रीय महत्वक तीर्थस्थान जा रहल
छी। गया शहरक हाल मधुबनी,दरभंगे जकाँ
अछि। नाला सभ नरकक प्रतिरूप भेल,वातावरण दुर्गंधसँ भरल। होइत जे कतए आबि गेलहुँ। करीब आधाघंटामे टेम्पु
बोधगया मंदिर लग पहुँचि
गेल। कनिके काल पैरे चलि हमसभ मंदिर लग बनल मालखानामे पहुँचि
गेलहुँ। ओहिठाम मोबाइल फोन सभ जमा करब अनिवार्य,कारण से सभ
लए मंदिरक भीतर नहि जा सकैत छी। मोबाइल फोन जमा कए
हम सभ कनिके आगू बढ़लहुँ कि एकटा टेम्पूबला सौंसे बोधगया घूमाबक प्रस्ताव देलक,२०० टाकामे। हम सभ मानि गेलहुँ आ ओहि टेम्पूसँ आस-पासक वोध मंदिर सभ
देखए निकललहुँ।
भूटान,तिब्बत,चीन,बर्मा,श्रीलंका,वियतनाम,थाइलैंड,जापान,थाइलैण्ड आदि अनेक देश,बुद्धक
अनुयायी संगठन सभ अपन-अपन बुद्धक मठ बनओने छथि। ओहिमे भव्य बुद्धक प्रतिमा
स्थापित अछि। कैकटा
मंदिर तँ अत्यंत शोभनीय थिक।
मुदा बाहर ढाकक तीन पात। सड़क सभ खण्डहर भए रहल अछि। लगबे नहि करत जे एतेक प्रमुख
स्थानमे घुमि रहल छी। आश्चर्यक बात जे एतेक महत्वक स्थानक एहन उपेक्षा भेल अछि ? टेम्पोबला काते-काते सभठाम घुमा-फिरा हमरासभकेँ महाबोधि मंदिर लग उतारि
देलक। मोबाइल पहिने जमा कए देने रहिऐक,तेँ फोटो नहि खीचि
सकलहुँ।
महाबोधि
मंदिरमे जाइत काल हाथक झोराक
जाँच भेल। ओहिमे चार्जर,हेडफोन छलैक। कतबो कहलिऐक जे ओकरा सभकेँ रहए दैक,मुदा नहि मानलक,द्वारि
पर असबार सिपाही अड़ि गेल। हारि कए दोबारा ई वस्तुसभ
जमा करए गेलहुँ। तकरबादे मंदिरक परिसरमे प्रवेश भए सकलहुँ । मंदिरक मुहथर लग एक
गोटा नवका दसटकही,बीसटकही,नोटसभक गड्डी बेसी पैसा लए कए विदेशी
सभके दैत देखलहुँ। आगू
बढ़ला पर विदेशी तीर्थयात्री सभक भरमार देखाएल। आगन्तुक वौद्धसभक हेतु प्रसाद
भिक्षापात्रमे देबाक ओरिआन भए रहल छल। भीतर
मंदिर मे ठाम -ठाम विदेशी वौद्धसभ ध्यान कए रहल छलाह। मंदिरमे अपूर्व शांति छल।
एकटा गोर-नार विदेशी महिला सुतल
वा ध्यानस्थ छलीह। लगैत छल जेना कोनो मुरूत पड़ल अछि। गर्भगृहमे अपार शान्ति छल।
अगल-बगलमे वौद्धसभ माला फेरि रहल छलाह। ओहिठाम दर्शनकए हमसभ वापस
आबि गेलहुँ। मोबाइल छोड़ओलहुँ
। फेर टेम्पो पकड़लहुँ,आ वापस
गया टीसन लग स्थित होटलमे आबि गेलहुँ।
प्रातःकाल
नित्यकर्मसँ निवृत्त भए महापात्रजीकेँ फोन लगाओल। हमरा उम्मीद छल
जे ओ रातिएमे आबि कए पंडाजी ओतए ठहरल हेताह,जेना कि
पहिने कहने रहथि। मुदा ओ तँ ट्रेनेमे छलाह।
"जहनाबाद पहुँचि गेल छी। ट्रेन विलंब
भए गेलैक, नहि तँ पहुँचि गेल रहितहुँ। दू घंटामे आबि जाएब। चिंता नहि करब। हम सभ सामान लए कए आबि रहल छी।"
महापात्रजीकेँ
विलंब होइत देखि दू-तीनबेर
फोन केलिअनि। ओ तँ ट्रेनमे बैसल रहथि,बेर-बेर कहथि:
“आब लगे अछि। सभटा
भए जेतैक। चिंता नहि
करब। दू दिनमे सभटा काज भए जेतैक। "
आखिर
ओ दूटा झोरामे सामान सभ लए ९ बजे सोझे हमर होटल पहुँचि गेलाह। मोन आश्वस्त भेल जे आब काज
भए जाएत। नित्यकर्मसँ निवृत्त
भए महापात्रजी हमरासभक संगे पंडाजीक ओतए बिदा भेलाह। पंडाजीक ओतए हेतु टेम्पु कएल।
सड़कपर उतरि पाँच मिनट पैरे चललाक बाद हुनकर घर आएल। मधुबनी,दरभंगा जिलाक लोकसभक इएह पंडा छथि,से ओ कहलाह। निसान झंडापर माछक,दरभंगा
महराजक देल। गलीक एक तरफ पुरना घर छैक,जे दरभंगा महाराज बनओने
रहथि। तकर ठीक सामने नव पक्का घर बनल अछि,जाहि मे यात्री
लोकनिक ठहरबाक ओरिआन
अछि। नीकसँ बनल ओ सुविधापूर्ण कोठरीसभ अछि। से देखि भेल जे एतहुँ रहि सकैत छलहुँ।
मुदा मुख्य रस्तासँ बहुत चलए पड़ैत छैक,फेर ओही वातावरणमे
दिन-राति रहू। होटलमे चलि गेलाक बाद एकटा नवीनताक अनुभव होइत छल।
सभसँ
पहिने पंडाजीसँ आज्ञा लेल गेल। ताहि हेतु हुनकर पैर पूजल जाइत अछि। किछु संकल्प
कएल जाइत अछि,जे एतेक ने एतेक दान,दक्षिणा करब। तखन ओ
आशीर्वाद दैत काज करबाक स्वीकृति दैत छथि। हमसभ आगू
बढ़ैत छी। पंडाजी बएसमे हमरासँ बहुत छोट छलाह,तेँ कनी कोनादनि
लागल। बादमे महापात्रजीकेँ ई गप्प कहलिअनि। कहलाह जे एहिठामक अधिकारी इएह थिकाह,हिनके चलत,आदि,आदि।
पंडाजीसँ
आज्ञा लए हमरा लोकनि फल्गु नदीक कछारपर पहुँचैत छी। ओतए छोटसन महादवक मंदिर छल।
सामनेमे खाली स्थान देखि कर्म शुरू
भेल। पिण्डदान हेतु हमर श्रीमतीजी गोल- गोल पिण्ड बनओलथि जतेक पुरखासभ ज्ञात,अज्ञात मोन पड़ैत गेलाह सभकेँ लेल पिण्डदान देलहुँ। जतेक काल हम
पिण्डदान करैत रहलहुँ ततेक काल एकटा बुढ़िया आ दूटा छौड़ा मिलि ओतए हल्ला करैत
रहल। ओकरा लेल धनि-सन। ततेक हल्ला करैत गेल जे मंत्रो सुनब पराभव रहैत छल। महापात्रजी कहलाह :
“अहि सभपर ध्यान नहि दिऔक, काजमे लागल रहू। ई सभ एहीठामक वासी छैक।
“
पिण्डदानक बाद पिण्डकेँ फल्गु
नदीमे पानि देखि कए फेखबाक हेतु हमर श्रीमतीजी आगू
बढ़लीह। कहल गेलनि जे फल्गु नदी मे चलल एक-एक डेग अश्वमेध
यज्ञक बरोबरि होइत आछि। फल्गु नदी तँ रेतसँ भरल अछि। कहि नहि एकरा नदी किएक कहल जा
रहल अछि। कोनो समयमे भए सकैत अछि
ई नदी रहल होएत,मुदा आब तँ निट्ठाह रेतसँ भरल अछि। बहुत आगू
गेलाक बाद कनिक पानि छल जे बालुमे खधिआ कए निकलल छल,ओतहि पिण्ड
फेकि ओ लौटि गेलीह। अगल-बगल ठाढ़ छौड़ासभ आओर ओ बुढ़िआ पैसा मांगए लागल आ जाबत
लेलक नहि चुप्प नहि भेल। महापात्रजी अपना
छोड़ि ककरो पैसा देल जाए ताहि हेतु तैयार
नहि छलाह,मुदा कोनो उपाय नहि छल,ओकरा सभकेँ किछु-किछु
देलाक बादे हमसभ ओतएसँ आगू
बढ़ि सकलहुँ।
ओहिठामसँ
आगू जएबाक हेतु भरिदिनक लेल २५० टाकामे एकटा टेम्पू महापात्रजी
ठीक केलाह। टेम्पूबला बेस उत्साही
आदमी छल। बीच-बीचमे बेस मनोरंजक मुद्रा
बनाए तरह-तरहक गप्प-सप्प करैत बढ़ैत रहल। कनीकालमे हमसभ प्रेतशिला पर आबि गेल रही।
ओतए पहिने घाटपर पिण्डदान भेल।ओहिसँ सटल पोखरि कही,ताल कही ,जे कही, छल जे नरकक
दोसर रूप लगैत छल। ओहिमे सँ जल लए पिण्डदान होएत से सोचिएक रोँआ ठाढ़ भए गेल। खैर! जे करबाक छल से छल । ओहिमे सँ जल आनल गेल। कतेको गोटे आस-पास पिण्डदान करैत छलाह। हुनका स्थानीय लोकसभ पैसा
लेल कोनो कर्म बाँकी नहि रखने छल। टाका
नहि देबै आ पिण्डदान करब,भए नहि सकैत अछि। हमसभ जखन ओतए पिण्डदान कए लेलहुँ तँ एकटा बेस मजगूतगर,कारी भुसुंड लोक आबि पैसा देबाक आग्रह करए लागल जे महापात्रजीकेँ पसिंद नहि रहनि। ओहिबातसँ ओ व्यक्ति
महापात्रजीकेँ गरिआबए लागल,बात बढ़ए लागल,महापात्रजी सेहो किछु
कहलखिन।ओहो चुप्प नहि रहल।महापात्रजीक गट्टा धेलक आ गरजए लागलः
"आब तूँ अबिअह झाजी! अगिलाबेर सँ टपए नहि देबह।
“
बात
बिगड़ैत देखि हमसभ जल्दीसँ ओकरा एकसए टाका दए जान छोड़ओलहुँ।
हमसभ तँ पहिनेसँ ओकरा पैसा देबए हेतु मोन बनओने
रही,कारण ओकरा दोसर सभक संगे फसाद
करैत हम देखैत रही मुदा महापात्रजी रोकैत रहलाह,तकर फलो ओ
भोगलाह। कनी-मनी धक्का-मुक्की तँ भेबे केलनि।ओहो पाछू
नहि रहल रहथि।
तकरबाद
हम सभ प्रेत शिला दिस बढ़लहुँ। चारि सए सीढ़ी चढ़ए पड़त,ताहि हेतु पालकी सेहो उपलब्ध
छल। दोसर विकल्प छल जे बीस सीढ़ीक बाद एकटा छोटसन स्थान छल। ओतए महादेवक मंदिर
सेहो बनल छल। ओतए कैक गोटा पिण्डदान करैत छल। महापात्रजीक
सलाहपर हमसभ दोसर विकल्प चुनि ओतहिँ पिण्डदान करबाक निर्णय कएल। जगह साफ छल। बैसबाक हेतु आसनी सेहो भेटि गेल।
ओहिठामक पण्डाजी सरल व्यक्ति बुझेलाह। चैनसँ पिण्डदान भेल। कनिके हटि कए एकटा परिवारकेँ हवन करैत देखलहुँ।
महापात्रजी कहलाह जे ओहि महिलाकेँ प्रेतबाधासँ मुक्ति दिआबक हेतु होम भए रहल छल़ ।
पिण्डकेँ
फेकबाक हेतु निर्धारित स्थानपर पहिने सँ एकटा बंगाली अधबएसू लोक अपन
बेटाक अकाल मृत्युक बाद ओकर फोटोकेँ
ओतए राखि किछु- किछु कए रहल छलाह। पण्डाजी दूसए टाका देबाक आग्रह पर अड़ल छलाह,जकर बाद ओहि मृत व्यक्तिकेँ प्रेतयोनिसँ
मुक्ति भए जएतेक। ओ अपन गरीबीक वारंबार
हबाला दैत एकसए टाकासँ आगू
नहि बढ़ि रहल छलाह,अन्तमे डेढ़सए टाकामे बात तए भेल।
मंत्र पढ़ि ओहि फोटो पर फूल चढ़ओलथि।
कतेक क्रूड़ छल ओ दृश्य,की कहू ? तकर बादे हमसभ ओतए पिण्ड रखलहुँ।
टाका दए जल्दीए ओतएसँ खसकलहुँ। लगेमे पीपड़क गाछक जड़िमे
बहुत रास मृत व्यक्तिसभक फोटो टांगल छल। महापात्रजी चिकरलाहः
"जल्दी बिना पाछू
तकने आगू निकलि जाउ “ ।
सएह
कएल। प्रेतशिलासँ उतरि हमरा लोकनि नीचाँमे
भोजनालयमे बैसलहुँ। महापात्रजीकेँ भूख लागि गेल छलनि । ओ भोजन करताह। हमसभ राबरी
खाएब। सभगोटे चाह पीब। से सभ बिचारि हमसभ ओतए बैसलहुँ। महापात्रजी भरिपोख भोजन
केलाह,फेर पावभरि खोआ सेहो देलखिन। हमहुँसभ खोआ खेबामे पाछू नहि रहलहुँ,कारण भूख जोर मारि रहल छल। भोजन तँ नहि कए सकैत छलहुँ कारण अखन आओर ठाम
पिण्डदान देबाक छल। महापात्रजीकेँ
गया महात्म्यपर एकटा पोथी किनबाक हेतु एकटा बच्चा कतेक गोहरओलक,मुदा ओ नहि मानथि। हारि कए
ओ एकसएसँ दाम घटबैत-घतबैत बीसटका पर आनि देलक , तैओ ओ अपन बातपर
अड़ल रहथि।
" धुर्र, ई की लेब,
बेकार थिक।"
अन्तमे
हमरे दया आबि गेल आ हुनकासँ नुका कए
बीसटकामे गया महात्म्य कीनि लेलहुँ। भोजन करितहिँ महापात्रजीकेँ फुरती आबि गेलनि।
हमसभ तुरंत टेम्पूसँ रामशिलाक हेतु बिदा
भए गेलहुँ। पहिने रामशिला घाटपर आ तकरबाद ऊपरमे
बनल मंदिरमे पिण्डदान भेल। पोखरिक
हालति पर नहिए चर्च करी सएह नीक। ऊपर मंदिरपर कनिके चढ़लाक बाद
पिण्डदेबाक स्थान भेटि गेल आ ओतहिँ पिन्डदान देल गेल।
एकरबाद
काकबलिकेँ पिण्ड दैत हमसभ गोटे टीसन
रोड स्थित होटल पहुँचि गेलहुँ। महापात्रजी संगमे छलाह। ओ
जे सामानसभ अनने रहथि तकर गोट-गोटक दाम जोड़ि दए हुनकासँ ओहि दिनक हेतु छुट्टी लेल। ओ पंडाजी ओहिठाम
रहए हेतु चलि गेलाह। काल्हि अंतमे ब्राह्मण भोजन हेतु पंडाजीकेँ कहलिअनि। कहल जाइत
अछि जे गयामे एकटा ब्राह्मण भोजन करओलापर
एक हजारक फल होइत आछि। हम एगारहटा ब्राह्मण भोजनक व्यवस्था
करबाक भार हुनका देलहुँ,तकर खर्चा प्रात भेने हम हुनका
देलिअनि।
प्रेतशिला
लगक होटलमे जे खोआ खेने रही,से डेरा अएलाक बाद रंग देखबए
लागल। ताबरतोर पेट झड़ए लागल। संगमे दबाइ
छल,से खेलहुँ। कहुनाक मामिला
सम्हरल। दिनभरिक धमाचौकड़ीक बाद आब आराम जरूरी छल,से कएल।
प्रातभेने
हमसभ विष्णुपाद मंदिर बिदा
भेलहुँ। महापात्रजी ओतए पहिने पहुँचि गेल रहथि।
“पहिने घाटपर पिण्ड पड़त, तकर बादे विष्णुपाद
मंदिरमे” ।
महापात्रजी
बजलाह।हमसभ ओतए पहुँचलहुँ। पोखरिक कातमे बैसि पिण्डदानक काज शुरू
भेल। एक-दूटा युवक ओतए ठाढ़ रहथि। जखन
पोखरिमे पिण्ड फेकि हमसभ जेबाक हेतु उठलहुँ कि ओ तीन गोटे भए गेल रहथि आ पैसाक मांग केलथि।
” ओकरासभकेँ किछु नहि देबाक छैक"
महापात्रजी
कहैत रहलाह। से सुनि ओ सभ हुनका गरिआबए लागल,मारि करए पर उतारू
भए गेल। महापात्रजी सेहो तमसा गेलाह
। ताबत एकटा केओ
स्थानीय व्यक्ति अएलाह। ओ हमरासभकेँ ओतएसँ घसकबामे मदति केलाह। ओ युवकसभ
महापात्रकेँ गाढ़ि पढ़ैत रहल।
तकरबाद
पैरे-पैरे हमसभ विष्णुपाद मंदिर पहुँचलहुँ। ओतए बेस गहमा-गहमी छल। बड़काटा मंदिर,ततबे पैघ ओकर प्रांगण।
नीचाँ उतरब तँ बालुसँ भरल फल्गु नदी। बालुए-बालुए हमसभ फल्गु
नदीकेँ टपि गेलहुँ। ओकर दोसर छोड़पर सीताकुंड थिक।
कहबी छैक जे भगवान राम अपन पिता दसरथकेँ पिण्डदान हेतु ओतहि आएल रहथि। पिण्डदानक
चीज-वस्तुक ओरिआओन हेतु गेल रहथि कि सीताजी मंत्र पढ़ि दसरथकेँ बजा लेलखिन। सीताजी
की करितथि?
कहलखिन जे राम तँ पिण्डदानक चीज-वस्तुक ओरिआओन हेतु गेल छथि।
मुदा दसरथ कहलखिन जे आब तँ
हम आबि गेल छी। तखन सीताजी स्वयं बालुएसँ पिण्डदान केलीह। ओहिठाम सीताजीक नाम पर
छोटसन मंदिर अछि जाहिमे दसरथक हाथ बनल अछि। फल्गु नदीमे ओहिठाम कैकगोटे पिण्डदान करैत रहथि। ओतए दूटा
पंडितमे दक्षिणा हेतु झगड़ा होइत रहलनि। हमसभ पिण्डदानमे लागल रहलहुँ। महापात्रजी
हमर श्रीमतीजीकेँ चीज-वस्तु,गहना,टाका
दान करबाक हेतु प्ररित केलाह। से सभ
यथासाध्य भेलनि। हुनकर कहबाक हिसाबे हमसभ सामान
सभ लए गेल रही। पिन्डदानक बाद ऊपर
मंदिरमे दर्शन कए ,पिण्ड चढ़ाए
हमसभ फेर बालुए- बालुए विष्णुपाद मंदिर लग पहुँचि गेलहुँ।
फल्गु
नदीमे पानि नहि अछि। मुदा जँ तीन-चारि हाथ गहीँर कएल जाए तँ पानि भेटि जाइत छैक।
तेहन कूप दू-तीन ठाम बनाओल देखाएल। यत्र-तत्र लोकसभ पिण्डदान करैत छलाह। ऊपर अएलाक बाद महापात्रजीकेँ चाहक तलब
अएलनि। चाह आनए हमसभ ऊपर
गेलहुँ। ताबते एकटा मुरदाकेँ"राम
नाम सत्य है" कहैत लोकसभ ओहिठाम
रखलक। किछु विध-विधान सभ केलक। तकरबाद ओकरा अन्तिम संस्कार हेतु फल्गुक कछारपर लए
गेल। हमसभ चाह पिबैत ई सभ देखैत रहलहुँ। तकरबाद एक कप चाह महापात्रजीक हेतु
अनलहुँ। चाह पीवि ओ टनगर भेलाह। हमसभ आगूक
काज हेतु विष्णुपाद मंदिरमे पहुँचलहुँ।
विष्णुपाद
मंदिरमे देशक विभिन्न भागसँ तीर्थयात्रीसभ
आएल रहथि। करीब पचास गोटे तँ आंध्र प्रदेशक रहथि। ओहिना बहुत रास बंगालीसभ सेहो देखेलाह। सभ गोटे पिण्डदानमे
लागल रहथि। स्थानीय पंडा जोर-सोरसँ मंत्र पढ़बएमे लागल रहथि। आंध्रप्रदेशसँ आएल तीर्थयात्रीसभ बहुत अनुशासित
रहथि। मंदिरमे ओकर द्वारि
पर ठाढ़भए बड़ीकाल हुनकासभकेँ
मंदिरक पंडाजी मंत्र पढ़बैत रहलनि,ओसभ पढ़ैत रहलाह।
तकरबाद सभ दस-दस टका दैत गेलाह आ पंडाजी बेरा-बेरी सभकेँ मंदिरमे प्रवेश करबैत
रहलाह। बिना टाका देने एक्को गोटे भीतर
नहि जा सकैत छल। ओ मंदिरक मुहथर छेकने ठाढ़ छलाह। ओहिठाम ततेक हल्ला होइत रहल जे
हमरा महापात्रजीक कहल मंत्रसभ सुनबामे आ सुनि बजबामे बहुत दिक्कति होइत रहल
कहुना-कहुना कए पिण्डदान समाप्त भेल।
“मंदिर बंद भए जाएत, जल्दी करू।"
महापात्रजी
वारंबार चेतौनी देथि । हमसभ धरफराइत मंदिरक गर्भगृहमे पहुँचलहुँ।
मंदिरक गर्भगृहमे बहुत लोक छल। भीतर
जाएब, आ मुर्तिक लगीच जाएब पराभव छल। कहुना कए ठेलमठेला
करैत ओतए पहुँचलहुँ। ओहिठाम एकटा पंडाजी पहिनेसँ एकगोटेसँ पैसा लए झंझटि कए रहल छलाह। ओकरासँ जखन बात
फरिछाएल तखन हमरा पर ध्यान गेलनि। ओ पींड चढ़एबाक हमर प्रयासपर हुंकार भरैत
महापात्रपर बिगड़लाह।
“एतए तोहर नहि चलतह। ई हमर जगह
अछि। “
ओ
पैसा निर्धारित करए चाहैत छलाह,महापात्र
किछु मामुली रकम देबाक हेतु कहैत छलाह। एहि बातसँ ओ बहुत तामसमे छलाह कि कोनो दोसर
जजमानक फोन आबि गेलनि, ओ एकदमसँ फोन करैत बाहर भगलाह,कारण ओहिठाम
ततेक हल्ला होइत रहैक जे किछु नहि सुनाइ पड़ि रहल छल। बाहर मंदिरक द्वारिपर ओ गप्प करैत रहलाह आ हमसभ पिण्ड चढ़ाए ओतएसँ,हुनका सामनेसँ,निकलि गेलहुँ। हुनका किछु नहि
हाथ लागल। ओहिठामसँ हमसभ दक्षिणाग्निपद पहुँचलहुँ। ओतए पिण्डदान दए हमसभ वैतरणी पहुँचलहुँ।
ओहिठामक पोखरि आने पोखरिसभ जेना नरक
लगैत छल। ओतहुँ ओहिना पिण्डदान
भेल। सभसँ अन्तमे पिण्डदान भेल अक्षयवटपर।
अक्षयबटपर पैघ बरक गाछ अछि।ओहि गाछक जड़िमे बहुतरास
लालडोरा,पीअर कपड़ा,सभक गेँठी कएल अछि। ओहि गाछक
छाहरिमे हम पिण्डदान केलहुँ। पिण्डकेँ गाछक जड़िमे फेकि ओहिठामसँ बिदा भेलहु।
पंडाजीकेँ पहिने फोन कए
देने रहिअनि जे आब हमसभ घंटाभरिमे पहुँचि रहल छी। ओहिठामसँ हमसभ मंगला भगवतीक
दर्शन कएल। तकरबाद ठोकले पंडाजीक ओतए पहुँचलहुँ। भरिदिन मंत्र पढैत,पढैत मुँहमे सपटी लगैत छल। भूख से लागि गेल छल। मुदा अखन एकटा
महत्वपूर्ण प्रकरण बाँचल छल। तकरा पूरा
करबाक हेतु हमसभ पंडाजीक ओतए पहुँचि गेल रही।
पंडाजीक
ओतए पहुँचैत छी। ओहिठाम पहिनेसँ सभटा ओरिआन
भेल अछि। सज्जादानक हेतु सभटा वस्तु
एकटा कोठरीमे राखल अछि। पंडाजी अपने एहि काजक हेतु अबैत छथि। हम पहिने गछल टाका
देबाक गप्प दोहरबैत छी। तकरबाद सज्जा दान कएल गेल। एहिठाम एकटा गप्प कहब जरुरी
बुझा रहल अछि जे सभ सामानकेँ
एकहि बेरमे मंत्र पढ़ि दान कए देल गेल।
श्राद्धमे एक-एक वस्तुक हेतु अलग-अलग मंत्र पढ़ाओल जाइत
छल। ओ बहुत श्रमसाध्य आ उबाउ तरीका छल। सज्जा दानक बाद पंडाजी कहलाह जे गयामे एकटा ब्राहमण आनठामक एक
हजारक बरोबरि फलदायी होइत अछि,से कहू कतेक ब्राहमणक भोजन
हेतु दान करब। एकटा ब्राहमण हेतु यथोचित टाका अलगसँ गछलिअनि। अन्तमे फूलक मालासँ
हमर दूनू बेकतीक हाथ बान्हैत कहलाह जे एकर तोड़ाइ हेतु किछु
अलगसँ कहिऔक,सेहो गछलिऐक,तखने ओहिठामक विधसभ पूरा भेल।
हुनका प्रणाम कए चैनसँ बैसलहुँ। पण्डाजीक ओहिठाम आगन्तुकसभक बहुत नीकसँ हिसाब राखल
जाइत अछि। सभक नाम-गाम,पता,गया
अएबाक तिथि लिखल जाइत अछि। गाम-गामक अलग-अलग पृष्ठ अछि। हमरा गाम पछिला सए सालमे
गया गेनिहारक सूची ओ देखेलाह। बहुत नीक लागल। ओहिमे
अपन गामक कतेको गोटेक नाम देखलहुँ।
ई अपना-आपमे एकटा इतिहास छल।
ताबत
ब्राहमणसभ आबि गेल छलाह। पंडाजी कहलाह जे संयोग
नीक अछि जे एगारहटा ब्राहमण पुरि गेल अन्यथा
एहिठाम से कठिन रहैत अछि। भोजनक सामग्री तैयार छल। भरिपोख ब्राहमणसभ भोजन केलाह।
तकरबाद सभ गोटेकेँ दक्षिणा देल गेल। एहि प्रकारे गयामे पिण्डदानक
कार्यक्रम विधिवत संपन्न भेल। पंडाजीकेँ
गछल टाका देलहुँ। ब्राहमण भोजनमे भेल खर्चाक हिसाब भेल,से गोट- गोट कए चुकता केलहुँ। महापात्रजीकेँ दक्षिणा देलहुँ। हुनकर वापसीक हेतु यात्रा व्यय अलगसँ देलहुँ।
ओसभ प्रसन्न देखेलाह।
मोनमे
बहुत संतोष भेल। मूलतः माताक स्वर्गवाससँ
व्याकुल हृदयकेँ तात्कालिक शान्ति भेटल। प्रेतशिलापर जखन
तरह-तरहसँ मातृऋणसँ उरिन हेबाक हेतु पिण्डदान देल जाइत छल तँ कानबाक मोन भए रहल
छल। की कोनो पिण्डदानसँ माताक ऋणसँ उरिन भए सकैत छी? नहि भए
सकैत छी। तथापि ई अपन धर्मक विधान छैक। गयामे पिण्डदानसँ
पूर्वजक आत्मा मुक्त भए जाइत छथि। एहि विश्वास ओ श्रद्धासँ हम ओतए गेल रही आ दू
दिन धरि ठाम- ठाम घुमि-घुमि पिण्डदान करैत रहलहुँ। प्रार्थना करैत रहलहुँ जे माता
सहित हमर सभ पूर्वजक आत्माकेँ मुक्ति होनि।
अपन
धर्ममे आस्था रखनिहार विश्व भरिसँ लोकसभ एतए पिण्डदान करए अबैत छथि। मुदा ओहिठामक
व्यवस्था खास कए पोखरिसभक खास्ता हाल देखि कए निराशा
होइत छैक। अंतरराष्ट्रीय महत्वक एहि स्थानक उचित देख-रेख नहि भए रहल अछि। ओहूसँ चिन्ताक बात थिक सभठाम
पैसाक वर्चस्व। जे से पैसाक लेल
तंग करैत अछि। शुरूसँ अन्त धरि
ई समस्या बनल रहल। एकर की समाधान होएत? एतबा जरूरी लगैत
अछि जे शान्तिपूर्ण माहौलमे
लोक श्रद्धापूर्वक अपन पूर्वजक आराधना कए सकथि,से व्यवस्था होइक
। मुदा बिलारिक गलामे
घण्टी बान्हत के?
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