इच्छा पत्र
मृत्यु अवश्यंभावी थिक।
एक-ने-एक दिन सभ बेकती ऐ दुनियासँ सभ किछु छोड़ि कऽ चल जाइत अछि। जीवन भरिक स्वअर्जित
एवम् पैत्रिक सम्पैत अहीठाम रहि जाइत अछि। सवाल अछि जे ऐ तरहेँ छोड़ल गेल सम्पतिक
की हएत? ओकर मलिकाना हक
केकरा भेटत..?
केतेक बेर ऐ प्रश्नक उत्तर
तकबामे वर्षो लागि जाइत अछि। लोक आपसेमे लड़ि जाइत अछि। भाइ-भाइक दुश्मन भऽ जाइत
अछि। आब तँ भाइक अलाबा बहिनो सभ ऐ युद्धमे कुदि जाइत अछि, खास कऽ तखन जखन सम्पतिक
मूल्य ज्यादा हो,
शहरी सम्पैत किंवा गामो-घरक सड़कक कातक सम्पैत सभ फसादक जड़ि भऽ रहल अछि। केतेको
ठाम छोट-छोट विवाद लऽ कऽ अहंक टकराव भऽ जाइत अछि। कोनो पक्ष सुनैले तैयार नहि। तखन
की हएत? जँ मृत्त बेकती इच्छा
पत्र (Will) कऽ गेल छैथ तँ
विवाद नहि हएत, नहि तँ सालक-साल
मोकदमा चलत, जइसँ कोट-कचहरीक चक्कर
लगबैत रहू एवम् वकीलकेँ फीस थम्बैत रहियौ...।
हमरा एकटा नामी वकील कहलैन जे
एकटा छोट सन जमीन–जेकर मूल्य ७-८ लाख हेतइ–तैपर दू भैयारीमे विवाद छइ, अहंकारवश कियो हटए
लेल तैयार नहि। जबकि एक भाँइ सात लाख टका फीसक रूपमे हमरा दऽ चूकल अछि। एतबे नहि, एक-आध लाख आरो भेटबे
करत।
...कहक माने जे सम्पतिक जेतेक
मूल्य होइत से वकील साहैब असूलि चूकल छैथ। तैयो लड़ाकू भैयारीमे सँ कियो पाछू
हटैले तैयार नहि अछि..! ऐ तरहक लड़ाइमे कएक टा पुस्तैनी मकान खण्डहर भऽ जाइत
अछि। अस्तु ई जरूरी ओ नितान्त आवश्यक अछि जे जिनका कोनो प्रकारक–माने चल वा अचल–सम्पैत
अछि, से मृत्युक पूर्व
इच्छा पत्र बना लेथि,
कारण मृत्युक तारिखकेँ के जनैत अछि?
जँ कोनो बेकती मृत्युसँ
पूर्व इच्छा पत्र (वसीयत) कऽ कऽ जाइ छैथ तँ हुनकर सम्पतिक हस्तान्तरण स्वत:
ओइ बेकतीकेँ भऽ जाएत जेकरा सम्बन्धित इच्छा पत्रमे सम्पतिक अधिकारी बनौल गेल
रहत। ओ बेकती माता,
पिता, पुत्र, पुत्री, भाए, बहिन, भातिज, मित्र वा कियो अन्य
भऽ सकैत छैथ। परन्तु जँ सम्पतिक मालिक बिना इच्छा पत्र बनौने मरि जाइ छैथ (Intestate) तखन ओइ सम्पतिक हस्तान्तरण
आकि बँटबारा कानूनक अनुसार कोर्ट द्वारा होइत अछि। ऐ प्रक्रियामे सालो लागि सकैत
अछि। खास कऽ जखन सम्बन्धित पक्ष परस्पतर विरोधी दाबा करैत हो। यदि सम्बन्धित
पक्ष समझदार हुअए,
आपसमे रजामन्दी होइक तखन ऐ तरह सम्पतिक निपटान असानीसँ भऽ जाएत। मुदा केतेको बेर
सम्पतिकेँ मूल्यवान होइक कारणे बहिन वा बेटीक हक नहि देबाक कारण किंवा अहंक
टकरावक कारण सम्पतिक बँटबारा/हस्तान्तरण परिवारिक कलह केर कारण भऽ जाइत अछि।
अस्तु उचित ओ आवश्यक थिक जे जँ अहाँकेँ सम्पैत अछि तँ तेकर मृत्योपरान्त निस्तारण
हेतु Will अबस्स करी।
वसीयत कोनो बेकती द्वारा मृत्युक
बाद ओकर स्वअर्जित सम्पतिक उत्तराधिकारीक बारेमे कानूनी घोषणा अछि जे ओइ बेकतीक
जीवनकालमे बदलल वा रद्द भऽ सकैत अछि। मृत्युक बाद ओ लागू भऽ जाइत अछि। पैतृक सम्पतिक
बारेमे वसीयत नहि कएल जा सकैत अछि। अस्तु वसीयत द्वारा स्वअर्जित सम्पतिक
उत्तराधिकारी तय कएल जा सकैत अछि।
भारतीय उत्तराधिकार कानून
१९२५क धारा-२ (एच) मे वसीयतक कानूनी व्याख्या कएल गेल अछि। उपरोक्त कानूनक धारा
५क अनुसार वसीयत वा बिना वसीयतक स्वअर्जित सम्पितक बेवस्था कएल गेल अछि।
वसीयत केनिहारक उमर कम-सँ-कम
२१ वर्ष हेबाक चाही। मानसिक रूपसँ स्वस्थ हेबाक चाही तथा बिना कोनो दबाबमे वसीयत
करक चाही,
ऐ सभ
बातकेँ ओइमे उल्लेख करक चाही।
इच्छा पत्र वसीयत केनिहारक
जीवन कालमे कखनो ओकरा द्वारा बदलल जा सकैत अछि, संशोधित कएल जा सकैत अछि।
मुदा वसीयतकर्त्ताक मृत्युक बाद ओ तुरन्त लागू भऽ जाइत अछि। वसीयतक हेतु जरूरी
अछि जे वसीयतकर्त्ता दबाबसँ नहि, अपितु स्वेच्छासँ वसीयतमे अपन सम्पतिक वितरण करए।
ओइ बेकतीकेँ मानसिक रूपसँ स्वस्थ होएब जरूरी अछि जइसँ ओ निर्णय लेबक स्थितिमे हो।
भारतमे इच्छा पत्र तैयार
करबाक विधि बहुत असान अछि। सादा कागजपर बिना कोनो स्टाम्प पेपरक इच्छा पत्र
टंकित कएल जा सकैत अछि। मुदा हस्तलिखित इच्छा पत्र केतेको कानूनी विवादमे
लाभकारी भऽ सकैत अछि। वसीयतकर्त्ताकेँ इच्छा पत्रक प्रथम पैरामे स्पष्ट करक
चाही जे ओ स्वेच्छासँ बिना कोनो दबाबक पूरा होशोहवासमे वसीयत कऽ रहल अछि। तेकर
बाद समस्त सम्पतिक एक-एक कऽ फराक-फराक वर्णन हेबाक चाही। सम्पैत सबहक तत्कालीन
मूल्य स्पष्टत: इच्छा पत्रमे लिखबाक चाही। तमाम बहुमूल्य कागजात रखबाक स्थान
ओइमे स्पष्टतासँ लिखल जाए जइसँ समयपर ओ सभ ताकल जा सकए।
वसीयतक भाषा सरल हेबाक चाही। वसीयतकर्त्ताक
पूरा नाम लिखबाक चाही। वसीयतक सम्पतिक स्पष्ट विवरण हेबाक चाही। प्रस्तावित
कानूनी उत्तराधिकारीक पूरा नाम हेबाक चाही। अन्तमे दूटा गवाहक नाम व पताक संग ओकर
हस्ताक्षर हेबाक चाही। गवाह सामान्यत: ओहन बेकतीकेँ बनाबक चाही जे
वसीयतकर्त्तासँ उम्रमे छोट होथि। यदि गवाहक मृत्यु पहिने भऽ जाइत अछि तँ फेरसँ
वसीयत बना कऽ नव गवाहक हस्ताक्षर कराबक चाही।
इच्छा पत्रमे हस्ताक्षरक
संग तारिख अबस्स लिखबाक चाही। जँ एकसँ अधिक बेर इच्छा पत्र बनौल गेल तँ अन्तिम
इच्छा पत्र लागू होइत अछि। बढ़िया हएत जे अन्तिम इच्छा पत्रमे पूर्व इच्छा
पत्र सभकेँ निरस्त करबाक चर्च होइक। इच्छा पत्रकेँ जस-के-तस लागू करबाक हेतु
बिसवासपात्र एवम् जानकार बेकतीकेँ निष्पादक (Executor of will) बनाबक चाही जइसँ
वसीयतकर्त्ताक मृत्युक बाद वसीयतकेँ बिना लाइ-लपटक अमलीजामा देल जा सकए।
वसीयतकर्त्ताकेँ चाही जे केकरो निष्पादक (Executor) नामित करैसँ पूर्व
ओकर सहमति लऽ लेल जाए।
वसीयतकर्त्ताकेँ दूटा गवाहक
समक्ष हस्ताक्षर करक चाही। गवाहक पूरा नाम, पता सहित ओकर हस्ताक्षर
जरूरी अछि। गवाह जँ चिकित्सक होइ तँ बढ़ियाँ जइसँ ओ स्पष्ट करत जे वसीयतकर्त्ता
दिमागी रूपसँ स्वस्थ अछि। गवाह ओ निष्पादक अलग-अलग बेकती हेबाक चाही। वसीयतमे
सम्पतिक हकदार गवाह नहि भऽ सकै छैथ। वसीयतक प्रत्येक पृष्ठपर संख्या लिखल
जेबाक चाही एवम् गवाह एवम् वसीयतकर्त्ताक स्पष्ट हस्ताक्षर हेबाक चाही। अन्तमे
कुल पृष्ठ संख्या लिखल हेबाक चाही।
ऐ प्रकारसँ तैयार वसीयतकेँ
राखी केतए? कारण वसीयतक काज तँ
ओइ बेकतीक मृत्युक बादे पड़ैत अछि आ तखन ओ ऐ विषयमे किछु कहक स्थितिमे नहि रहैत
अछि। अस्तु वसीयतक दूटा मूल ओ हस्ताक्षरित प्रति बनाबी तँ बढ़ियाँ। एकटा प्रति
बैंक लॉकरमे ओ दोसर प्रति निष्पादक वा तेहेन विश्वस्त बेकतीक संग रहक चाही।
असलमे चाही तँ ई जे तमाम चीज, वस्तु, वसीयत, पासवर्ड आदिक जानकारी एकटा डायरीमे लिखि कऽ छोड़ि दी
जइसँ मृत्युपरान्त अहाँक वारिसकेँ परेशानीसँ बँचौल जा सकए। एकबेर वसीयत केलाक
बाद आवश्यकता भेलापर पूरक वसीयत द्वारा मूल वसीयतमे संधोधन कएल जा सकैत अछि। मुदा
बेर-बेर एहेन केलासँ वसीयतकेँ बदैल कऽ नव वसीयत कऽ लेब ज्यादा बढ़ियाँ होइत अछि।
वसीयतकेँ निबन्धित कराबक आवश्यकता नहि अछि, मुदा जँ वसीयत द्वारा कोनो समाजसेवी
संस्था (Chariable
Organisation)
केँ धन देबाक हो तखन वसीयतकेँ निबन्धित कराएब जरूरी अछि।
जेना कि पहिने चर्च कऽ चूकल
छी, वसीयत सम्बन्धित
वसीयतकर्त्ताक मृत्युक बादे लागू होइत अछि। जँ ओइमे स्पष्टता नहि रहत तँ मृत
बेकती तेकर व्याख्या करक हेतु घुरि नहि औत। तँए वसीयतक भाषा सरल, स्पष्ट ओ बाध्यकारी
हेबाक चाही। किन्तु-परन्तुसँ
बँचबाक चाही। ओइ परिस्थितिक विचार हेबाक चाही जेकर घटित हेबाक संभावना जीवनमे बनल
रहैत अछि। वसीयत केलाक बादो सम्पतिक मालिककेँ मृत्युसँ पूर्व ओकर निपटान करबाक
अघिकार बनल रहैत अछि।
कोनो बेकती जे कानूनी रूपसँ
सम्पैत रखबाक अधिकारी अछि, वसीयतमे सम्पैत पाबक अधिकारी भऽ सकैत अछि। ओ नवालिग, भगवानक मूर्ति, कोनो तरहक कानूनी
बेकती (Junstic
person)
भऽ सकैत छैथ। यदि कोनो नवालिगकेँ वसीयत द्वारा सम्पतिक उत्तराधिकारी धोषित कएल
जाइत अछि तखन वसीयतकर्त्ता द्वारा अभिवावक नियुक्ति जरूरी अछि जे ऐ तरहेँ देल गेल
सम्पतिक ओकरा वालिग हेबाकाल धरि बवस्था करताह।
हिन्दू उत्तराधिकार कानून
१९५६ क धारा ३०क अनुसार स्वअर्जित चल वा अचल सम्पतिक वसीयत द्वारा उत्तराधिकारी
तय कएल जा सकैत अछि। वसीयतकर्त्ताक मृत्युक बाद वसीयतमे उल्लिखित उत्तराधिकारी
सम्बन्धित न्यायालय द्वारा प्रोवेटक हेतु प्रार्थना कएल जाएत। प्रोवेट न्यायालय
द्वारा आम प्रमाणित वसीयत थिक। प्रोवेट कोनो वसीयतक कानूनी रूपसँ पक्का हेबाक
निर्णायक प्रमाण थिक। यदि कोनो उत्तराधिकारी द्वारा वसीयतकेँ कानूनी चुनौती देल
जाइत अछि तँ सम्बन्धित पक्षकेँ नोटिस जारी हएत, सभ अपन पक्षमे न्यायालयमे
राखि सकैत अछि। आ सबहक बातक विचारक बादे न्यायालय प्रोवेट जारी करत।
न्यायालय प्रोवेट जारी
करबासँ पूर्व सुनिश्चित करैत अछि जे वसीयतपर दस्तखत वास्तवमे वसीयतकर्त्ताक अछि
ओ गवाह सभ वसीयतक समय मौजूद छल। वसीयत द्वारा हस्तान्तरित सम्पतिक मालिकाना
हकपर प्रोवेट कोर्ट विचार नहि करैत अछि। ओ तँ मात्र एतबे तय कऽ दैत अछि जे वसीयत
(इच्छा पत्र) सही अछि कि नहि। वसीयतमे प्राप्त सम्पतिक मालिकाना हकपर सिविल न्यायालयमे
सम्पतिक सम्बन्धित पक्षकार द्वारा चुनौती देल जा सकैत अछि। कहक माने जे जँ
वसीयतमे देल गेल सम्पैतपर वसीयतकर्त्ता पूर्ण अधिकार नहि अछि, ओ सम्पैत ओकर स्वअर्जित
नहि अछि आ तखनो ओकरा वसीयत द्वारा दऽ देल गेल अछि तखन ओकरा सम्बन्धित पक्षकार
द्वारा सिविल न्यायालयमे चुनौती देल जा सकैत अछि।
सारांश जे इच्छा पत्र द्वारा
सम्पतिक हस्तांतरण हेतु जरूरी अछि जे सम्बन्धित सम्पैत स्वअर्जित होइक। इच्छा
पत्रक भाषामे कोनो ओझर नहि होइक। तइ लेल बढ़ियाँ होएत जे इच्छा पत्र (वसीयत) कोनो
योग्य अधिवक्ता द्वारा तैयार करौल जाए, जइसँ इच्छाकर्त्ताक मृत्युक बाद ओइ सम्पतिक हस्तांतरणमे
कोनो विवाद नहि होइक। विवादसँ बँचैक लेल तँ इच्छा पत्र बनौले जाइत अछि। तँए ओकरा
स्पष्ट ओ कानूनी रूपसँ पक्का हएब बहुत जरूरी अछि।
समयक कोन ठेकान। भविसक झंझट
तय कऽ जाउ। अपन अर्जित सम्पतिक वसीयत (इच्छा पत्र) बना कऽ राखि दियौ आ चैनक बंशी
बजाउ।
◌
२३.०६.२०१७
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