तिरुअनन्तपुरम
दिल्लीसँ ९ बजे रातिमे हम सभ
वायुयानसँ त्रिवेन्द्रम हवाइ अड्डापर उतरलौं। ऐ यात्रामे लगभग तीन घन्टा समय लागल।
बेस पैघ जहाज रहइ जइमे तीन साएसँ बेसी यात्री एकसंग सवार रहैथ। बीचमे कोचीमे सेहो
जहाज उतरल छल। बहुत रास यात्री ओहूठाम उतरला, मुदा काफी मात्रामे सवारो
भेला,
थोड़बे
कालक यात्राक पछाइत त्रिवेन्द्रम पहुँच गेला। त्रिवेद्रम हवाइ अड्डापर उतरैत जहाज
समुद्रक ऊपर जे भ्रमण करैत रहल, ओ दृष्य बहुत विहंगम छल..!
त्रिवेन्द्रम हवाइ अड्डापर
उतरलापर देखलौं जे ओइ जहाजसँ कएटा वीआइपी सेहो उतरलैथ। हुनका लोकनिक स्वागतक
नाराक बीच हम सभ अपन गन्तव्य स्थानपर अर्थात् केरल सरकारक अतिथि गृह विदा भऽ
गेलौं।
केरल भारतक एकटा प्रान्त
अछि। एकर राजधानी तिरुवनन्तपुरम अर्थात् त्रिवेन्द्रम अछि। मलयालम एकर मुख्य
भाषा थिक। हिन्दू,
मुसलमानक अलाबा ईसाइ सेहो काफी मात्रामे एतए रहै छैथ। अपन सांस्कृतिक ओ भाषा
वैशिष्ट्यक कारण दक्षिणक चारि राज्यमे एकर फराक पहिचान अछि।
पौराणिक कथाक अनुसार परशुराम
अपन फरसा समुद्रमे फेकि देला, जइसँ ओही अकारक भूमि समुद्रसँ बाहर निकैल गेल ओ केरलक
प्रादुर्भाव भेल। कहल जाइत अछि जे ‘चेट स्थल: कीचड़ ओ अलम प्रदेश’ शब्दक योगसँ ‘चेरलम’ शब्द बनल जे बादमे ‘केरल’ बनि गेल। बहुत दिन
तक ई भू-भाग चेरा राजाक अधीन छल, ओहू कारणसँ एकरा चेरलम आ बादमे केरलम नाम पड़ल।
केरलक प्राकृतिक सौन्दर्य
अद्भुत अछि। तँए एकरा ईश्वरक अपन घर सेहो कहल जाइत अछि। समशीतोष्ण मौसम प्रचूर
वर्षा, प्राकृतिक सौन्दर्य, सघन वन, समुद्र घट ओ चालीससँ
अधिक नदी, सभ मिलि एकरा सचमुच
पृथ्वीपर स्वर्गक रूप देने अछि।
केरल भारतक दक्षिणी छोरपर अरब
सागर ओ पच्छिमी घाटीक ५००-२७०० मीटर ऊँचाइपर अवस्थित अछि। केरलकेँ तीन भागमे
विभाजित कएल गेल अछि- तटीय निचला इलाका, उपजाउ मिडलैण्ड आ हाइलैण्ड्स। केरलक निचला भागमे
अन्तहीन वैकवाटर ओ चौआलिसटा नदी अछि। मिडलैण्ड्स काजू, नारियल, अकीका अखरोट, केरा, चाउर, अदरक, कारी मिर्च, कुसिआरक संग-संग
आर-आर बहुत रास वनस्पतिक हेतु प्रसिद्ध अछि। जंगली हाइलैण्ड्स चाय, कॉफी, रबर, मसाला सबहक बगान ओ
वन्यजीव सबहक लेल प्रसिद्ध अछि।
केरलक शान्त समुद्र तट, नाना प्रकारक वन्यजीव, आकर्षक वैकवाटर, एवम् आनन्ददायक
वैकवाटर सभ जगत प्रसिद्ध अछि। सड़क मार्गसँ यात्रा केलापर केरलक मनोरम प्राकृतिक
छटाक बेहतर आनन्द लेल जा सकैत अछि।
दक्षिनी केरल अलेप्पीक
वैकवाटरसँ तमिलनाडूसँ सटल दक्षिनी सीमाक तटीय क्षेत्र शामिल अछि। केरलक राजधानी
त्रिवेन्द्रम, कोवलम ओ वरकला
समुद्रीय तट एवम् प्रतिष्ठित वैकवाटर ऐ क्षेत्रमे पड़ैत अछि।
१९८० ईस्वीसँ पूर्व केरलमे
बहुत कम पर्यटक अबैत छल। ओकर बाद स्थानीय सरकार लोकक भागीदारीसँ जबरदस्त
प्रचार-प्रसार केलक जइसँ पर्यटक लोकनिक आवागमन बढ़ल। बहुत रास पर्यटक स्थल सबहक
बेवस्था छोट-मोट कारोबारी सबहक हाथमे देल गेल जेना कि केरलक प्रसिद्ध वैकवाटर
सभमे ९० प्रतिशत भागीदारी छोट-मोट कोरोबारी सबहक अछि। पहाड़सँ लऽ कऽ समुद्र तट तक
पर्यटकक आराम ओ सुविधाक निरन्तर चेष्टा कएल गेल। परिणामत: केरलमे पर्यटकक आकर्षण
बढ़िते गेल।
केरलक राजधानी त्रिवेन्द्रम
हम कएक बेर गेल छी। त्रिवेन्द्रममे कम खर्चमे सुरूचि पूर्ण ओ स्वादिष्ट भोजन
उपलब्ध अछि। राज्य पर्यटन निगमक अतिथि गृहमे भोजन, जलखै आ चाह-पानक सुविधा तँ अछिए, आस-पासक केतेको ठाम
इडली, बारा,कॉफी ओ चाह उपलब्ध
रहैत अछि। भाषाक समस्या ओतेक जटिल नहि जेतेक की तामिलनाडूमे। अधिकांश लोक हिन्दी
बुझैत अछि।
हमर रहबाक बेवस्था केरल
सरकारक अतिथि गृहमे छल जेकर जेतेक प्रशंसा कएल जाए से कम होएत। सभ सुविधासँ
परिपूर्ण अतिथि गृहक शुल्क सेहो कमे अछि। कएकटा पैघ राजनेता सभ ओइठाम अबैत-जाइत
रहैत छैथ, तॅँए कएक बेर ओतए स्थल
भेटब आसान नहि रहैत अछि।
यात्राक क्रममे हम ओइ
ठामक प्रसिद्ध पद्मनाम मन्दिर पहुँचलौं। पद्मनाम मन्दिर दुनियाँक कोनो धर्मक
कोनो मन्दिरसँ धनिक अछि। बेसुमार सोना, चानी, जवाहरात ओइठाम सैंकड़ो सालसँ राखल अछि। कहल जाइत अछि
जे ओइ सम्पैतमे अधिकांश ओइठामक राजा सबहक योगदान छैन जे अपनाकेँ पद्मनाम भगवानक
दास बुझैत छला। दोसर बात जे सुनबामे आएल ओ ई जे स्थानीय राजा आक्रमणमे लूट-पाटसँ
बँचेबाक हेतु अपन समस्त मूल्यवान वस्तु मन्दिरक तहखानामे रखबा देलखिन। जे जेना
भेल होइ मुदा ओइ मन्दिरमे अकूट सम्पैत भरल अछि, जे राखल-राखल व्यर्थ भेल
अछि। लोककेँ तँ तखन बुझबामे एलै जखन उच्चतम न्यायालयक आदेशपर पाँचटा तहखाना खोलल
गेल ओ ओइमे राखल गेल अमूल्य वस्तु सबहक गणना होमए लागल। जेतेक वस्तु
हिसाव-किताव भेल तेकरे मूल्य लाखो कड़ोरमे भऽ जेबाक अनुमान अछि। छठम तहखाना
धार्मिक किम्ववंतीक कारण नहि खोलल गेल। कहबी छै जे ओकरा जे खोलत से जीवित नहि
रहत। हम जखन ओइ मन्दिरमे गेल रही तँ उपरोक्त समाचार सभ आबि गेल रहैक मुदा केतौ
किछु बाहरसँ सुनबामे नहि आएल, आ नहियेँ किछु देखाएल।
पद्मनाम मन्दिरमे पहुँचलाक
बाद सभसँ पहिने सर्ट-पैन्ट निकालि कऽ धोती पहिरए पड़ल। धोती ओहीठाम मन्दिर
प्रबन्धक द्वारा उपलब्ध करौल जाइत अछि। तेकर बाद पक्तिवद्ध भऽ दर्शन होइत अछि। चूँकि
हमरा जोगार छल, अस्तु भीआइपी दर्शन
करबाक मौका भेटल । सभसँ आगू एकदम गर्भ गृहमे जा कऽ पद्मनाम भगवानक दर्शनक सौभाग्य
हमरा भेटल।
संयोगसँ भारत सरकारक सेवा
निवृत सचिव सेहो दर्शन करए गेल छेली। हम हुनका संगे काज केने रही। चूँकि ओ पाछाँ
रहैथ, तँए हम हुनका नहि
देख सकलयैन। ओहो केरल सरकारक अतिथि गृहमे ठहरल रहैथ। ओइठाम स्वागत कक्षमे हुनकासँ
भेँट भेल। ओ कहली जे पद्मनाम मन्दिरमे हमरा देखने छेली। त्रिवेन्द्रम यात्राक
सन्दर्भमे गप-सप्पक बाद हम सभ अपन-अपन कक्षमे चलि गेलौं।
पद्मनाम मन्दिरमे विष्णु
भगवान आनन्द सयनम मुद्रामे आदि शेष नागपर पड़ल छैथ। ओ ओइठामक राजवंशक कुल देवता
मानल जाइत छैथ।
३ जनवरी १७५०क त्रावणकोरक
महाराजा महाराज श्री अनीझुम थिरूनाल त्रावणकोर राज्यकेँ भगवान पद्मनाम स्वामीकेँ
समर्पित कए स्वयंकेँ हुनकर दासक रूपमे घोषित कए देला। तेकर बादे ओ स्वयं ओ हुनकर
उत्तराधिकारी श्री पद्मनाम दासक उपाधि ग्रहण कए लेलैथ। ऐ प्रकारेण त्रावणकोर सम्पूर्ण
राज्य भगवान पद्मनाम स्वामीक समर्पित भऽ गेल। श्री पद्मनाम दासक उपाधि प्राप्त
करक हेतु राजकुलक नवजात शिशुकेँ प्रथम जन्म दिवसपर श्री पद्मनाम मन्दिरक
मोटक्कालमण्डपमपर राखि कऽ जलाभिषेक कएल जाइत अछि। तेकर बादे ओ श्री पद्मनाम दासक
उपाधि रखबाक पात्र मानल जाइ छैथ।
त्रावणकोरक अन्तिम महाराजा
मार्तण्ड वर्माक जन्म २२
मार्च १९२२ केँ भेलैन। हुनकर पिताक नाओं रवि वर्मा ओ माता संथु पारवथी वयी (कनिष्ठ
महारानी) छेलैन। ९१ वर्षक उमेरमे १६ दिसम्बर २०१३ केँ हुनकर मृत्यु भऽ गेल।
हुनकर मृत्युक बाद ओइ राजवंशक प्रतीकात्मक उपस्थिति समाप्त भऽ गेल। सन् १९७१क
संविधान संशोधनक बाद राजा/महाराजा सबहक उपाधि समाप्त भऽ गेल। तँए त्रावणकोरक
कानूनी शासक तँ केरल सरकार भऽ गेल आ महाराजाकेँ मन्दिरक देख-भालक कानूनी अधिकारपर
प्रश्नचिन्ह लागि गेल। केरल उच्च न्यायालय ऐ विवादमे अही तरहक बेवस्था देलक।
महाराजा मार्तण्ड वर्मा सन्
१९४७ मे स्वतंत्रताक समयमे त्रावणकोरक भारतमे विलयक अन्तिम गवाह छला। कहल जाइत
अछि जे त्रावणकोरक राज परिवार ओकरा स्वतंत्र राष्ट्र रखबाक पूरजोर प्रयास केलक, जे अन्ततोगत्वा
सफल नहि भेल आ त्रावणकोर भारतक हिस्सा बनि गेल।
स्वतंत्राक बाद बदलल महौलमे
राज परिवारक अनेको सदस्य राज्यसँ बाहर जाए सामान्य नागरिक जकाँ जीवन-यापन करए
लगलाह। महाराजा मार्तण्ड वर्मा सेहो सपरिवार बंगलोर चलि गेला। सन् १९९१मे महाराजा
चिथिर लरुनलक मृत्युक समय जनतामे जवरदस्त सहानुभूति देखल गेल। तेकर बादे मार्तण्ड
वर्माकेँ लोक महाराजा कहए लागल।
पद्मनाम मन्दिरक सामने बनल
राज महलक चोटीपर घड़ी मेघान मणिक नामसँ जानल जाइत अछि। ई करीब साए साल पुरान अछि।
ई प्राचीन समयक अभियांत्रिक चमतकारक नमूना अछि। घड़ीक आकर्षण ओइमे राक्षसक मुखैटाक
संगे-संग दुनू कात विद्यमान बकरा अछि। जहाँ घन्टा पुरैत अछि, राक्षस अपन मुँह
खोलैत अछि। आ दुनू बकरा ओकर गालपर चाटी मारैत अछि, जइसँ घण्टाक जोरदार स्वर
निकलैत अछि आ राक्षस अपन मुँह बन्न कऽ लैत अछि। जेतेक बाजल रहैत अछि तेतेक बेर ओ
क्रिया दोहराइत अछि। कहक माने जँ चारि बजतै तँ चारि चमेटा ओइमे राक्षसकेँ दुनू
बकरा मारतै आ चारि बेर घण्टाक अबाज सुनैमे औत। अछि ने चमतकारी यन्त्र? मुदा आब ओ घड़ी
केतेको सालसँ खराप पड़ल अछि।
पद्मनाम स्वामी मन्दिरक
सामने कुथीरमलिका पैलेश म्युजियम अछि। ऐ महलक निर्माता त्रावणकोरक महाराजा स्वाथी थीरुनल बलराम वर्मा छला। ओ महान
कवि, समाज सुधारक, गायक एवम् राजनेता
छला। ऐ संग्रहालयमे नाना प्रकारक अमूल्य पेंटिंग सभ राखल अछि। ऐ संग्रहालयकेँ सोम
दिन छोड़ि कऽ कोनो दिन प्रात: साढ़े आठ बजेसँ एक बजे आ तीन बजेसँ साढ़े पाँच बजेक
बीचमे देखल जा सकैत अछि। प्रति वर्ष ४ सँ १३ जनवरीक बीचमे ओइठाम महाराजा स्वाथी
थीरुलक स्मृतिमे संगीत उत्सव मनौल जाइत अछि।
महलसँ मन्दिर जएबाक गुप्त
मार्ग अछि जइ बोटे महाराजा नित्य पद्मनाम मन्दिरमे पूजा अर्चना करैत छलाह। अखनो
भोरक एक घन्टा समय भगवानक पूजाक हेतु महाराजाक हेतु आरक्षित अछि। महाराजा पूजा कऽ
लइ छैथ तखने आम जनताकेँ मन्दिरमे प्रवेशक अनुमति भेटैत अछि।
राजमहलमे तरह-तरह केर वस्तु
सभ (जे महाराजाकेँ भेँटमे देल जाइत छल) राखल अछि। महलक अधिकांश हिस्सा बन्द पड़ल
अछि। कहल जाइत अछि जे ऐ महलक निर्माणक थोड़बे दिनक बाद महाराजाक मृत्यु भऽ गेल।
तँए एकरा अशुभ बुझि महलकेँ छोड़ि राज परिवार आनठाम रहए लागल।
सायं काल हमरा लोकनि त्रिवेन्द्रमक
कोवलम समुद्र तटपर गेलौं। दूर-दूर तक देखाइत स्वच्छ जल, दीर्घ समुद्र तट ओ दूरगामी
क्षितिजक अद्भुत दृश्य उत्पन्न करैत अछि। समुद्र तटपर प्रकाश स्तम्भ दूरेसँ
देखल जा सकैत अछि।
सूर्यास्तक छटा ओ अकासक
मनमोहक रंग समुद्रतट प्रेमीकेँ सबहक आनन्दकेँ पराकाष्ठा (Climex) पर पहुँचा दैत अछि।
केतेको बेकती समुद्रतट पर साइकिल चलेबाक आनन्द लैत देखबामे एला।
प्रात भेने हमरा लोकनि वर्कला
समुद्र तटपर गेलौं। ओइठामसँ अरब सागरक अद्भुत दृष्य देखलौं। ओही क्रममे
त्रिवेद्रमक दछिनबरिया भागमे अवस्थित पूवार नामक गाम सेहो देखए गेलौं। ओइठाम
वैकवाटर ओ टापूक संगम स्थल हेबाक कारण पर्यटककेँ अद्भुत आनन्दक अवसर प्रदान करैत
अछि।
त्रिवेन्द्रमसँ कन्याकुमारी
रोडसँ जेबाक रस्तामे पद्मनाम पैलेश दर्शनीय थिक। ई वस्तुत: आजुक तामिलनाडूमे
पड़ैत अछि, मुदा ऐ महलक बेवस्था
एवम् शासन केरल सरकारक अधीन अछि।
पद्मनामपुरम पैलेश १६ मी
शताब्दीक शानदार लकड़ीक महल थिक। १५५० सँ ई १७५० तक रहल त्रावणकोरक राजा लोकनिक ई
महल छल। ई वस्तु कलाक केरलक स्वदेशी शैलीक उत्कृष्ट नमूना अछि। प्राचीन आंतरिक
अंदरुनी रोझवेड नक्काशी ओ मुर्तिकला सजाबटसँ भरल अछि। महलमे १७म ओ १८म शदीक
भित्ति चित्र शामिल अछि। महोगनीमे संगीत धनुष, रंगीन अभ्रकक संग खिड़की, चीनी नक्काशीक संग
शाही कुर्सी, अद्भुत आकर्षण उत्पन्न
करैत अछि। राजमाताक महलमे ९० अलग-अलग प्रकारक पुष्प डिजाइनक संग लकड़ी ओ सौगानक
नक्काशीदार छत आकर्षणक केन्द्र अछि।
पर्यटककेँ पद्मनाम पैलेश देख
कऽ आनन्द तँ होइते छैन जे तत्कालिन राज घरानाक वैभवक पराकाष्ठाक सद्य: प्रमाण
सेहो देखबामे अबैत अछि। महलक विभिन्न भागमे घुमैत-घुमैत हम सभ थाकि गेलौं। बाहर
आबि कऽ थोड़ेकाल धरि छाहैरमे सुस्तेलौं आ तेकर पछाइत कन्याकुमारी दिस विदा भेलौं।
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