लेडी हार्डींग
संघ लोक सेवा आयोग- दिल्लीमे साक्षात्कार
छल। लेडी हार्डींग मेडिकल कौलेज- दिल्लीक मुख्य प्रशासनिक अधिकारी पदक हेतु हमर
कागज-पत्तर सही पौलाक बाद ओइ
साक्षात्कार हेतु देशक विभिन्न भागसँ तकरीवन दस गोटे आएल रहैथ। गृहमंत्रालयमे
एक्केठाम एक्के काज आ एक्के पदपर सालो काज करैत-करैत मन उचैट गेल रहए, तँए प्रतिनियुक्तिपर
निकलल कएटा पद सबहक लेल आवेदन कएल। लेडी हार्डींग मेडिकल कौलेजक पद ओइमे सँ एक छल।
असलमे ई साक्षात्कार कम आ बेकतीगत गप-सप्प बेसी छल। भारत सरकारक अधीन प्रथम
वर्गक पद हेबाक कारण संघ लोक सेवा आयोगक संस्तुति जरूरी छल।
साक्षात्कारक क्रममे
बेरा-बेरी लोक सभकेँ बजौल गेल। कएटा उमेदवार तँ तेतेक सुटेड-बुटेड रहैथ जे हमर हबे
बुझू गुम्म रहए..!
साक्षात्कार समितिक अध्यक्ष छला- फौजी जेनरल। केना-ने-केना हमर गप-सप्प हुनका
पसिन्न पड़ि गेलैन आ हमरा ऐ पद हेतु चयन भऽ गेल।
संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयन
हएब निश्चय प्रसन्नताक गप छल। किछुए दिनक बाद संघ लोक सेवा आयोग द्वारा हमरा
एम.आर.टी.पी. आयोगक प्रशासनिक अधिकारी हेतु सेहो चयन भऽ गेल। दुविधा छल जे केतए
जाइ। हमर ससुर इलाजक क्रममे दिल्लीए-मे माने हमरे ऐठाम रहैथ। हुनकासँ ऐ विषयमे
परामर्श कएल। प्रश्न सुनि ओ किछु काल गुम्म भऽ गेला। थोड़ेकालक बाद एकाएक कहलैन-
“लेडी हार्डींग मेडिकल
कौलेजबला पदपर चलि जाउ।”
हुनकर परामर्श स्वीकार करैत
१३ सितम्बर १९९७ ई.केँ हम ओइ संस्थानक प्रमुख प्रशासनिक पदाधिकारीक पदभार ग्रहण
कएल।
पदभार ग्रहण करबासँ पूर्व हम
कहियो लेडी हार्डींग मेडिकल कौलेजक परिसरमे नहि गेल रही। ओकर क्रिया-कलापक कोनो
जानकारी हमरा नहि रहए। यद्यपि ई संस्थान राष्ट्रीय स्तरक अछि, आ दिल्लीक कनाट प्लेससँ
सटले अछि। तथापि एकरा बारेमे हमरा जानकारी नहि रहए। ऐ पदपर चयन हेइते संस्थानक
किछु महत्पवूर्ण बेकती सभ हमरासँ सम्पर्क साधने रहैथ, आग्रह करैथ जे जल्दीए आबि
जाउ। ऐसँ बुझि पड़ए जे ई पद जरूर महत्वपूर्ण अछि।
लेडी हार्डींग मेडिकल कौलेजक
प्रचार्य एवम् सहयोगी अस्पतालक सबहक अधीक्षकक कक्षमे पहुँच कऽ हमरा बहुत नीक
लागल। पैघ सन सजल रूम, बड़काटा टेबुलक
चारूकात तरह-तरह केर चीज-वौस सभ राखल छल। आगूमे, बामा भाग एवम् दहिना भाग
कुर्सी सभ। ओइ रूमसँ सटल एकटा मीटिंग रूम। ओइमे अण्डाकार पैघसन टेबुल राखल छल।
कएबेर बेकतीगत वा गोपनीय मंत्रणाक हेतु प्रचार्य ओही कक्षमे ससैर जाइत छला।
प्राचार्यक आप्त सचीवकेँ हम
अपन परिचय देलिऐन। ओ हमरा तुरन्त अन्दर प्राचार्य महोदया लग लऽ गेला। हम पदभार
ग्रहण हेतु आएल रही से जानि ओ बहुत प्रसन्न भेली। हम बैसले रही कि निर्वतमान मुख्य
प्रशासनिक अधिकारीजी एला। कनी-मनी गप-सप्प भेल आ सामान्य लिखा-पढ़ीक बाद हम ओइ
दिन तत्काल प्रभावसँ मुख्य प्रशासनिक अधिकारीक पद भार ग्रहण कएल। तदनुकूल सरकारी
आदेश जारी भऽ गेल। ओइ दिनक बाद सरकारक विभिन्न विभागमे विभिन्न पदपर लगभग १६ साल
हम क्लास वन (वर्ग एक) अधिकारी रहलौं। ओइसँ पूर्व ७ फरबरी १९८४ सँ हम क्लास टू (वर्ग
दू) केर राजपत्रित अधिकारी रहलौं। कुल मिला कऽ २९ वर्षसँ हम राजपत्रित अधिकारी
रहलौं।
लेडी हार्डींग मेडिकल कौलेजमे
काज पहिल दिन परिचय पाटीमे बीति गेल। जइ डॉक्टर सभसँ भेँट करबाक हेतु सोचियो ने
सकैत रही से सभ आबि-आबि भेँट करक हेतु समय
माँगए लगला। फोन-पर-फोन अबैत रहल। कए गोटे अपना-अपना तरहक परामर्श सेहो देबए लगला।
स्थानीय क्लास फोर क्लासकी यूनियनक नेता सभसँ झुण्ड बान्हि अबैत गेला।
विपक्षी नेता मौका ताकि कऽ भेँट करैत आश्वासन दैत रहला-
‘सर! हम हमेशा आपके साथ हैं...।’
हम तँ गुम्म रही जे आखिर बात की अछि..? कहाँ सचिवालयक मौन
वातावरण, कहाँ लेडी हार्डींग
धूम धराका...।
लेडी हार्डींग मेडिकल कौलेजक
आधारशिला लेडी हार्डींग द्वारा १७ मार्च १९१४ ई.केँ राखल गेल। ७ फरबरी १९१६क ऐ
कौलेजक उद्घाटन भेल। शुरूमे मात्र १६ टा विद्यार्थीक नामांकन ऐठाम होइत छल। आब ई
संख्या बढ़ि कऽ २०० तक पहुँच गेल अछि। ऐ संस्थानक–माने मेडिकलमे स्नातकक शिक्षा
देबएबला संस्थानक–एशिया भरिमे असगर स्थान प्राप्त अछि। शिक्षा, रोगी सेवा, अनुसंधान एवम्
समाजिक संवादक क्षेत्रमे ऐ संस्थानक अद्भुत योगदान रहल अछि। राष्ट्रीय महत्वक ऐ
संस्थानक प्रशासन सोझे केन्द्र सरकारक अधीन अछि। शिक्षणक दृष्टिसँ ई संस्थान
दिल्ली विश्वविद्यालयसँ समवद्ध अछि।
लेडी हार्डींग मेडिकल कौलेजसँ
जुड़ल अस्पताल अछि-
कलावती सरण बच्चा अस्पताल ओ सुचेता कृपालनी अस्पताल। राम मनोहर लोहिया अस्पतालक
किछु विभाग सेहो ऐठामसँ जुड़ल अछि।
लेडी हार्डींग दिल्लीमे
सामान्यत: जच्चा-बच्चाक अस्पतालक रूपमे जानल जाइत अछि। पहिने पुरुषक इलाजक
अनुभव प्राप्त करबाक हेतु ऐठामक विद्यार्थी सभकेँ राम मनोहर लोहिया अस्पताल जाए
पड़ैत छेलइ। ओइठामक अस्थि विभाग, मेडिसीन विभाग आ शल्य चिकित्सा विभागमे लेडी हार्डींगक
किछु डॉक्टर संवद्ध रहैत छला मुदा आब ओ बात नहि छइ। लेडी हार्डींगक सभ विभाग
पुरुष मरीजक हेतु उपलब्ध अछि, ओना महिला रोग विभागक अति विशिष्टता तँ अछिए।
लेडी हार्डींगक ठीक सामने
शिवाजी स्टेडियम अछि आ तेकर बगलमे शिवाजी बस टर्मीनल। दिल्लीक विभिन्न भागक हेतु
बस ऐठामसँ बनि कऽ चलैत अछि। कनाट प्लेसक प्रसिद्ध हनुमान मन्दिर ऐठाम अछि।
घुमै-फिड़ैले आवश्यक दोकान-दौरीक हेतु कनाट प्लेसक प्रसिद्ध दोकान सभ असा-पास
अछि। रीगल सीनेमा तँ अछिए, ई बात अलग अछि जे हम ओइ सीनेमामे ओतए रहितो कहियो नहि
जा सकलौं। हम तरह-तरह केर कार्यालयमे अनेकानेक परिस्थितिमे काज केलौं मुदा लेडी
हार्डींग अपना आपमे अजूबा छल। रोज किछु-ने-किछु नया घटित भऽ जाइक जइमे दिनभरि ओझराएल
रही। शुरूमे तँ तेतेक लोक अपन गप कहक हेतु आबए जे सुनैत-सुनैत कान पाकि जाइत रहए।
लोक सभसँ गप करैत-करैत लोलमे दर्द होमए लगैत छल। घर जा कऽ चुपचाप बैस जाइ। आर काजक, गप-सप्प करबाक हिम्मत
नहि रहए।
असलमे तीन हजारसँ अधिके
तरह-तरह केर लोक सभ ओइ संस्थानमे काज करैत छल। एते लोकक बेकतीगत समस्या, सरकारी समस्याक
निदानक एकमात्र केन्द्र छल- मुख्य प्रशासनिक अधिकारी माने हम।
असगर देखते कियो आबि कानमे
फुस-फुसा कऽ चेतबैत-
“हे! फल्लाँ सभसँ बँचि कऽ रहब...।”
थोड़ेकालक बाद दोसर कियो आबि
ठीक ओकर उल्टा बात कहि जाइत। डॉक्टर, नर्स, टेक्नीसीयन, सफाई कर्मचारी एवम् अन्य
चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी- सभ गुटबन्दीसँ ओत-प्रोत् छल। आपसी दुश्मनीक ई हद छल जे
पदभार ग्रहणसँ पूर्वहि कएटा वरिष्ठ डॉक्टर नॉर्थ ब्लॉक पहुँच हमर कान भरब शुरू
कऽ देने रहैथ। आखिर मनुखक तँ मनुखे होइत अछि। केतबो निष्पक्ष रहबाक प्रयास करब, मुदा कनफुक्कीक
किछु-ने-किछु प्रभाव बेवहारमे फलित भाइए जाइत अछि।
चारि बजेक आस-पास मेडिकल
कॉलेजमे पढ़ाइ समाप्त होइत छल। प्राध्यापक लोकनिक संग आरो-आरो स्टाफ सभकेँ फारकति
होइत छेलइ। ऐ समयमे हमरा कक्षमे लोकक आबाजाही बढ़ि जाइत छल। केकर-केकर सुनब! केकर बात सही अछि, के विश्वस्त अछि, ऐ बातकेँ बुझबामे
किछु समय तँ लगबेक रहइ। क्रमश: लोक सभकेँ चिन्ह, बुझए लगलिऐक।
एक दिन ऑफिसमे बैसल रही कि
हल्ला-गुल्ला बुझाएल। हमर चपरासी ‘भूटे’ कहलक-
“सर! यूनियन बाले आ रहे हैं।”
कनीकालमे देखलिऐ जे पचासोटा
महिला हाथमे बाढ़ैन लेने नारा लगा रहल छैथ आ आगा-आगा यूनियनक नेता।
“मिश्रा मुर्दाबाद! सीओ मुर्दाबाद! मर गया मिश्रा
हाय-हाय!
तानाशाही नहि चलेगी...।”
आदि-आदि...।
अस्पताल प्रशासनमे नारेबाजीक
ई पहिल अनुभव छल। यूनियनक नेताक मुँह लाल भेल रहइ। पता नहि ओ की बुझाबए चाहैत छल।
प्राय: हमरा प्रारम्भेमे डरा देबए चाहैत छल जइसँ आगा सुगा जकाँ हम यूनियनक सिखौल
भाखा बजैत रही। मुदा भेल एकर उल्टा। यूनियनक एकाध आर एहेन घटनासँ हम तय कऽ लेलौं
जे गलत, बेवहारक आगू नहि
झूकब, परिणाम जे हौउ...।
जे गलत बेवहार करए, किंवा अनुचित दवाब
बना कऽ संस्थानक प्रशासनकेँ पंगु करए चाहए, तेकर एकटा काज नहि करबाक
दृढ़ निश्चय कएल। यूनियनकेँ हारल नेता रहि-रहि कऽ कान फूकि जाए-
“सर! घबराना मत। हम इस यूनियन को
सिखंडी सावित कर देंगे………..। आप हमारी बात माना करो। हम आपके साथ हैं। हमारे साथ
अभी भी
बहुत
लोक हैं...।”
कहाँ सचिवालयक शान्त
वातावरणमे रहएबला हम आ कहाँ लेडी हार्डींगक तूफानी वातावरणकेँ शान्त रखबाक जिम्मा
लऽ कऽ चलि रहल छेलौं! ऐ
तरहक काजक हमरा कोनो अनुभव नहि छल। Trial and error प्रयास करू, गलतीसँ सिखू आ आगा
बढ़ू। गलत काज ने करू आ ने गलत आदमीक बात मानू। ई कहब सुनब जेतेक असान होइ मुदा
बेवहारमे, लेडी हार्डींग सन
जगहमे एकर अनुपालन असान नहि छल।
क्लास थ्री/फोर्थ (वर्ग तीन
एवम् चारि)क कर्मचारी यूनियन बेसी हस्तक्षेप करैत छल। ओकर सबहक तौर-तरीका सेहो
जनतांत्रिक नहि छल आ अस्पतालम/कॉलेजक प्रशासनक प्रमुख-प्राचार्यकेँ सेहो ओकरासँ
टकरेबाक साहस नहि छल,
ओ चाहै छेली जे सी.ई.ओ. (माने हम) ओकरा सम्हारि दिऐ आ ओ स्वयं चैनसँ रहैथ। ओकरा
सभकेँ आपसी गुटवाजी छेलै, तँए संतुलन बनाबक प्रयास कएल जाइ मुदा अधिकांश कर्मचारीकेँ
कम पढ़ल-लिखल वा अशिक्षित हेबाक कारण ओ सभ भेड़ीक चालि चलैत छल। जे नेता कहलक, जे उल्टा-पुल्टा
बुझेलक, ओ सभ ओकरा
सिरोधार्ये नहि करैत छल अपितु आक्रमकताक संग ओकर क्रियान्वयन करैत छल। यूनियनबला
सभकेँ तकिया कलाम छेलइ-
“जब से मिश्रा आया है, अस्पताल बिगड़ गया
है…………………।”
असल मानेमे ओकरा सभकेँ ने
कोनो काजसँ मतलब रहइ आ ने सस्थानक विकाससँ। अपन स्वार्थ साधन परम धर्म छल।
एक दिन गृहमंत्रालयसँ हमर
मित्र लेडी हार्डींग किछु काजे आएल रहैथ। हमरा देख आश्चर्यचकित भेला। हुनका नहि
बुझल रहैन जे हम आइ-काल्हि ओतहि छी। हम हुनका अपन कक्षमे प्रतीक्षा करक हेतु
कहलिऐन। तेतबेमे यूनियनक नेता सबहक नारेबाजी प्रारम्भ भऽ गेल। नारामे हमरे नाम
मुखर छल-
“मिश्रा मुर्दाबाद! इनकिलाब जिन्दाबाद..!!”
नाराकेँ जोड़ पकड़ैत देख हमर
मित्र तेतेक घबरा गेला जे बिना हमरासँ भेँट केनहि घसैक गेला। हम प्राचार्यक कक्षसँ
नारा सुनि कऽ बाहर भेलौं तँ देखलौं जे ओ तँ गायब छैथ। बादमे फोनपर हाल-चाल लेलिऐन
तँ कहए लगला-
“अहाँ बड़ पैघ आदमी भऽ गेलौं।
नारा तँ बड़के लोककेँ लगैत अछि।”
असलमे नारा नॉर्थ ब्लॉकमे
सेहो लगैत छइ, मुदा मंत्रीक। लेडी
हार्डींगक बाते दोसर...।
अस्पताल प्रशासनकेँ पंगु
रखबाक उद्देश्यसँ एवम् मनमानी करबाक हेतु अस्पतालक यूनियन तमाम हथकण्डा अपनाबैमे
माहिर छल। ओना अस्पतालमे नर्स यूनियन, जुनियर रेजिडेन्ट डॉक्टर यूनियन सिनीयर रेजीडेन्ट डॉक्टर
यूनियनक अलाबा मेडिकल कौलेजक शिक्षक डॉक्टर (फैकल्टी) सबहक अलग-अलग यूनियन छल
मुदा चतुर्थ एवम् तृतीय वर्गीय कर्मचारी यूनियन सभसँ अलग रूतबा रखैत छल। यूनियनक
अध्यक्ष अपना आपकेँ कौलेजक प्राचार्यसँ कनिक्को कम दर्जाक नहि बुझैत छल। यूनियनक
समस्या तेतेक जड़ियाएल छल जे एकरासँ लोहा लेब एकटा चुनौती छल। केकरो बदली भेलै, केकरो प्रोन्नति
भेलै, केकरो मकान भेटलै, सभ बातक जानकारी
ओकरा रहैत छल। असलमे अस्पतालमे नेता बनि जाएब, काज करबासँ छुट्टीक लाइसेंस
भेट जाएब होइत छल। तँए एहेन लोकक भरमार छल जे नेता बनैले व्याकुल छल।
संस्थानमे किछु गोटे अद्भुते
नीक छला मुदा ओ सभ हटल-हटल रहैत छला। संस्थानक नित्य प्रतिक जिम्मेदारी या तँ
प्राचार्यक छल वा हमर। एतेक भारी संस्थान छल जइमे नित्य किछु-ने-किछु नव घटित होइत रहैत छल। कियो कानि रहल अछि, कियो चिकैर रहल अछि, कहियो नर्सक हड़ताल अछि तँ कहियो जुनियर रेजीडेन्ट डॉक्टरक। ‘हाथी चलए बजार, कुत्ता भुकए हजार।’ जे जरूरी सार्थक बात अछि तैपर धियान दैत अपन रस्ता चलैत रहू...।
आपसी तालमेल बना कऽ राखब अस्पताल
प्रशासनक हेतु दुरुह काज छल। किछु डॉक्टर तँ यूनियनसँ तेतेक मिलल रहै छला वा
डेराएल रहै छला जे एमहर प्राचार्यक संग बैसक होइत आ ओमहर यूनियनकेँ पता लागि जाइत। परिणाम
तुरन्त नारेबाजी शुरू...। ओना, मुखविरी केनिहार लोकक अनुमान लागि जाइत, मुदा की कएल जा सकैत
छल।
सभसँ मनोरंजक प्रसंग तखन होइत
जखन प्राचार्य अस्पतालक एकटा अतिरिक्त मेडिकल सुपरीन्टेन्डेन्टकेँ डाँटै
छेली-
“आप तो HSG ग्रेडके डॉक्टर हैं! आपसे यह उम्मीद
नहीं थी..!”
प्राचार्याकेँ शक रहैन जे वएह
डॉक्टर मुखविरी करैत छल। सही मानेमे अधिकांश वरिष्ठ डॉक्टर सभ प्राचार्याक
खिलाफमे महौल बनबैले यूनियनकेँ एकटा हथियारक रूपमे इस्तेमाल करैत छल। परिणाम
सामने छल। अस्पताल निरंतर अस्तव्यस्त रहैत छल-
“किसे दोष दें जब माली ही,
अपना चमन उजाड़े।”
अस्पताल एवम् मेडिकल कौलेज
प्रशासनक जिम्मा रहबाक दौरान नीकसँ अनुभव भेल जे यूनियन सभ केतेक हाबी छल, आ जनहितक प्रतिकूल
काज करितो शेर बनल घुमि रहल छल। मुदा ओकरा नियंत्रित करक बाघक सवारी
करब छल।
एकबेर दिल्लीक समस्त अस्पतालमे
वेतन एवम् भत्ताक मुद्दापर हड़ताल भेल। पहिने वर्ग तीन-चारिक यूनियनआ तेकर पाछाँ
नर्सक यूनियन, रेजिडेन्ट डॉक्टक
यूनियन सभ हड़तालपर चलि गेल। अस्पताल नर्क बनि गेल छल। सफलाइक काज ठप भऽ गेल छल।
मरीज सभ त्राहिमाम कऽ रहल छल। रोज मंत्रालयमे बैसार होइत छल, मुदा यूनियन सबहक
मांग तुरन्त मानि लेब सम्भव नहि छल आ तेकर बिना यूनियन हड़ताल तोड़ैले तैयार नहि
छल। ‘काज नहि तँ वेतन नहि’ केर सिद्धान्तक
आधारपर कर्मचारी सबहक हड़तालक अवधिक वेतन रोकि देल गेल छल। कर्मचारी सभ वेतनय
भूगतान चाहै छल जैपर सरकार अड़ि गेल छल।
अस्पताल तथा कौलेजक शीर्ष
अधिकारी प्राचार्या एवम् मेडिकल सुपरीन्टेन्डेन्ट होइत छला जे विदेशमे रहैथ।
हुनका एवजमे कार्यकारी प्राचार्य अपनाकेँ बहुत लोकप्रिय बुझैथ। मुदा हड़तालक दौरान
अस्पतालक निरीक्षण करैत काल हुनका ऊपर आक्रमण भेल। यूनियनक नेता सभ गारि पढ़लक, नारा लगौलक आ कादो
सेहो फेक देलक।
ऐ प्रकारक फज्झैतक कल्पना
हुनका सपनोमे नहि छल। ओ अपनाकेँ कर्मचारी सभमे लोकप्रिय बुझैत छला, यूनियनक नेता हुनका
इज्जत करैत छल। मुदा यूनियनक विरोध शासनसँ छेलइ। ओ सभ कुर्सीपर विराजमान बेकतीकेँ
लक्ष्य कय विरोध प्रकट करैत छल। तँए ऐबेर वएह फँसि गेल रहैथ।
प्राचार्याक कक्षमे अबिते ओ
हमरा बजा कहलैथ जे यूनियनक नेता सभपर न्यायालयक
आदेशक उल्लंघनक आधार बना तुरन्त केस कऽ देल जाए।
हमरा ऐमे मामलाकेँ आर बिगैड़
जेबाक डर भेल। हम हुनका बुझबैक प्रयास कएल मुदा ओ अपन निर्णयपर अडिग रहैथ। चूँकि प्राचार्या
काल्हि भने आबएबला रहैथ, तँए हम एक दिन रूकि कऽ निर्णयक पक्षधर रही। हम टाइप
करेबाक बहाना बना कनाट प्लेस दिस चलि गेलौं।
कार्यकारी प्राचार्याजीकेँ दम
फुलैत रहैन। हमरा ओ जोर-सोरसँ तकैत रहैथ। हम करीब अढ़ाइ बजे घुमि-फिर कऽ आपस एलौं।
अबिते देखलौं ओ वेहद नाराज छैथ। किछु-किछु बाजौ लगला, हमरो तामस भेल। कहलिऐन जे
टाइपीस्ट नहि भेट सकल तँ हम की करू..?
कहुना-कहुना कऽ टाइप करैत
चारि बाजि गेल आ ओइ दिन मुकदमा नहि कएल जा सकल।
दोसर दिन प्राचार्य काजपर
एली। ओहो मोकदमाक पक्षधर नहि छेली मुदा मंत्रालयक हस्तक्षेपसँ हमरा लोकनिकेँ
यूनियनक समस्त नेता सभपर मोकदमा दायर करए पड़ल।
दोसर दिन काजपर अबिते
प्राचार्या मंत्रालयक मिटिंगमे चल गेली। एमर कौलेजमे हालत बिगैड़ रहल छल। कर्मचारी
सभ वेतन भूगतानपर अड़ल छल। मंत्रालयसँ बारंबार फोन अबैत छल जे वेतन भूगतान हएत
मुदा हड़तालक अवधिकेँ काटि कऽ। कौलेजमे उपप्रचार्य सहित उपलब्ध आर-आर अधिकारी सभ
हमरापर बात बजारि देथि-
“जे जे करता से यएह करता।”
फोनपर मंत्रालयसँ बारंबार
हिदायत आबए जे यूनियनक दबाबमे नहि आबक छइ। यूनियनक बबाब बढ़ल जाइक। यूनियनक प्रधान
गारा-गारी करए लगला। फोनक रिसिभर खुजल रहबाक कारण सभ बात सचिव, स्वास्थ
मंत्रालयकेँ सुनबामे एलैन। एकर बाद तँ संस्थानक परिसर एकटा छाबनीमे तब्दील भऽ
गेल।
यूनियनक नेतासबहक दबाब बढ़ि रहल छल। प्राचार्य मंत्रालयमे मिटिंगमे लागल रहैथ आ फोनपर आदेश पठबैत रहैथ। थानासँ पुलिस टस-सँ-मस नहि होइत छल। तँए मौका पाबि कऽ हम थाना हेतु कौलेज गेटसँ बाहर भऽ स्कूटर ठीक करैत रही कि एकटा नेता देखलक। ओकरा भेलै जे हम भागि रहल छी। एह-ले वए-ले सैकड़ो हड़ताली हमरा घेरि लेलक आ नारा लगबए लागल। हम आपस अपन कार्यालयमे बैसले रही कि मंत्रालयक आदेशपर सैकड़ो पुलिस टूक भरिक कौलेजमे आएल आ हड़ताली सभकेँ घेरि लेलक। ओकरा बाद प्राचार्या महोदया कौलेजमे अपन कक्षमे पहुँचली।
सरकार हड़तालक अवधिक दरमाहा काटबाक हेतु प्रतिबद्ध छल आ नेता सभ ठीक एकर उल्टा।
जइ तरहेँ हम असगरे सरकारक आदेशपर यूनियनक नेतासँ लोहा लैत रहलौं, तइ बातसँ प्राचार्याकेँ हमरा प्रति सम्मान बहुत बढ़ि गेलैन। जे बादक हुनकर बेवहारमे देखाए लगल।
किछु दिनक बाद मंत्रालयमे
सरकार ओ यूनियनक प्रतिनिधि सभमे समझौता भेल आ हड़ताल टुटलाक बाद वस्तु-स्थिति
दोबारा सामान्य भेल। सरकार ओकरा सबहक प्राय: सभ मांग मानि लेलक। हड़ताल टुटि गेल आ काज पुन: चलए लागल।
कौलेज आ अस्पताल यद्यपि
एक्के संस्थाक अभिन्न अंग छल, ओकरा आपसमे कोनो तालमेल नहि रहइ। संस्थानक हरेक अंग
अलग-थलग रहैत छल। डॉक्टर, नर्स, टेकनीसीयन, सफाई-कर्मचारी एवम् अन्य चतुर्थ वर्गीय कर्मचारीमे
आपसी संवादक घोर अभाव छल। अधिकांश डॉक्टरक प्रशासकीय समस्यासँ कोनो रूचि नहि छल।
ओ सभ अपना आपमे निरन्तर व्यस्त रहैत छला। प्रशासनिक क्षमता सेहो कमे डॉक्टरमे
छल। परिणाम होइत छल जे रहि-रहि कऽ मानवीय समस्या सभ उत्पन्न भऽ जाइत छल।
छोटो-छोटो बात बिना प्राचार्यक हस्तक्षेपक नहि सोझराइत छल। असलमे यूनियनक नेता
सभकेँ कर्मचारीक हित/अहितसँ कोनो मतलब नहि रहइ। ओ सभ तरहेँ कर्मचारी सबहक शोषण
करैत छला। चूँकि अधिकांश चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी अशिक्षित छल, आ आर्थिक रूपे बहुत
कमजोर छल, तँए ओकरा सभकेँ ठकब
आसान छल। दिन-राति यूनियनक नेता सभ एतबेपर लागल रहैत छल। वाजिबो काजक हेतु
कर्मचारी सबहक शोषण होइत छल। सहर्ष ओ सभ तइले प्रस्तुतो रहैत छल। प्रशासनमे
डेग-डेगपर ओकर सबहक जासूस लागल रहैत छल। जहाँ कोनो आदेश निकलल कि सभसँ पहिने
यूनियनक नेताकेँ पता चलि जाइत छल। जहाँ केकरो मकानक आबंटन अबै कि ओ चिट्ठी लऽ
कर्मचारीक घर चल जाइत। अपन यशगान करैत जेना वएह सभटा करौलक अछि। किछु दछिना लैत आ
चम्पत। आ जौं से हाथ नहि लागल तँ प्रशासनपर आदेश निरस्त करबाक चेष्टामे लागि
जाइत।
लेडी हार्डींग सेवा/विकास
करबाक अद्भुत अवसर छल। हम ओइ दिशामे यथा सम्भव प्रयासो कएल मुदा दिक्कत ई रहैक जे
यूनियन जहाँ-तहाँ टाँग अड़ा दइ। विवाद कम-सँ-कम हो, तइ चक्करमे केतेको तरहक
योजना खटाइमे पड़ि जाइत छल।
कौलेजमे देश-विदेशसँ
विद्यार्थी आबि कऽ पढ़ैत छल। विद्यार्थी सभ उचित भोजनक अभावमे अस्वस्थ भऽ जाइत
छल। छात्रावासमे सभसँ भोजन सामाग्रीक चोरीक शिकायत अबैत रहैत छल। हम सभ ऐ प्रश्नपर
विचार कय निर्णय कएल जे छात्रावासक भोजन बेवस्था विद्यार्थीक समितिकेँ हाथमे दऽ
देल जाए जइसँ ओ सभ मन-पसन्द एवम् स्वस्थकर भोजनक बेवस्था स्वयं करैथ।
विद्यार्थी सभ ऐ बातसँ बहुत प्रसन्न भेल मुदा यूनियन हंगामा कऽ देलक, ओना से चललै नहि। ऐ
परिवर्तनक सकारात्मक परिणाम भेल।
संस्थानमे तरह-तरह केर लोक
सबहक समावेश छल। एक आदमी पीने बुत्त निरन्तर एमहर-ओमहर घुमैत रहै छल। अपना आपकेँ
प्राचार्यक सिपह सलार घोषित केने छल। अन्ट-सन्ट बजलौं, अधिकारी सभकेँ डरेबाक प्रयास
केलौं आ बिना काज केने दरमाहा तँ उठेबे केलौं, अपितु अतिरिक्त आमदनीक
जोगारमे दिन-राति लागल रहलौं। एकाध बेर हमरो ओ उपद्रव केने रहए। असलमे ओ सभ
यूनियनक नेता सबहक हथियार छल जेकर ओ जरूरतक हिसाबसँ इस्तेमाल करैत छल मुदा कएक
बेर ओ हथियार बेकाबू सेहो भऽ जाइत छेलइ।
सभसँ मनोरंजक दृश्य तखन होइत
छल जखन एकटा प्रोफेसर गड़जैत-फड़जैत प्राचार्यक कक्ष दिस आबि कहैत जे ओ
सीजोफ्रेनियाक मरीच छला। आँखि लाल-लाल कऽ कऽ प्राचार्य दिस घुरि ताकए लगैत। एक दिन
तँ ओ प्राचार्याकेँ खिहारने फिरैथ आ ओ भागल-भागल अन्तर्कक्ष तक चलि गेलैथ। तथापि
ओ डॉक्टर पछोर करिते रहल। बड़ा मुश्किलसँ ओकरा बाहर कएल जा सकल।
ओइ डॉक्टरक कौलेज प्रशासनसँ
पुरान झगड़ा रहइ। ओकरा किछु काज नहि देल जाइ। घरे बैसल ओकरा पूरा दरमाहा पठा देल
जाइ। जँ कोनो तरहक समस्या भेल तँ राक्षस जकाँ गड़जैत-फड़जैत ओ अबैत आ चेहरा-मोहरा
तेहन भयानक बनौने रहैत जे केहनो लोककेँ पैखाना भऽ जाइत। कौलेजक प्रशासनपर कएकटा
केस केने छल। एक दिन कैट (केन्द्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण)मे कोनो केसक सुनवाईक
दौरान ब्रेंचपर बैसल रही तँ ओ लगमे आबि कऽ कहलक-
“अहाँसँ हमरा कोनो लड़ाइ नहि
अछि। अहाँ तँ हमर गुरु भाय छी।” (ऐ दुआरे जे ओ दरभंगा मेडिकल कालैजसँ पीजी केने छला)
तेतेक तरहक भावुक आ तर्कसंगत
गप करैत जे बिसवासे नहि होइत जे ई वएह आदमी अछि।
एक दिन लेखा अधिकारीक कक्षमे
बैसल रही कि ओ कोठरीकेँ बन्द कऽ कऽ चिकरए-भोकरए लगल। हल्ला सुनि कऽ कए गोटाक हस्तक्षेपसँ
कहुना कऽ जान बाँचल।
एक दिन एकटा अधिकारीक सेवा
निवृत्तिक अवसरपर विदाइ समारोहक आयोजन भेल छल। ३०-३५ गोटे बैसल रहैथ। संस्थानक
उप प्राचार्य मुख्य अतिथि छला। जलखै चलि रहल छल कि ओ डॉक्टर गारि पढ़ैत, गड़जैत ओइठाम घुसि
गेल, केबाड़ बन्द कऽ
देलक। कए गोटे डरे खेनाइ छोड़ि कऽ भागि गेला। कनीकालमे ओ ओइठामसँ चल गेल, तखन लोककेँ
जान-मे-जान आएल।
चारि सालक बाद जखन हम दोबारा
लेडी हार्डींग गेलौं तँ पता लागल जे ओ डॉक्टर आब स्वेच्छासँ सेवा निवृत्ति लऽ
कोनो प्राइभेट मेडिकल कौलेजमे पढ़ा रहल छैथ आ ठीक-ठाक छैथ।
ऐ चार्चाक क्रममे मेडिसिन
विभागमे कार्यरत एकटा महिला प्रोफेसरक अकस्मात स्मरण भऽ गेल। ओ बेहद कंजूस छेली।
चाहो अनके खर्चापर पीबि ली तँ कोनो हर्जा नहि। बससँ चलैत छेली। विवाह नहि केने
रहैथ आ बढ़ैत-बढ़ैत अपन विभागक अध्यक्षा भऽ गेल रहैथ। झगड़ा करएमे हुनकर नाम
अग्रगामी रहए। कएक बेर आक्रमक रूखि लेने हमरा कक्षमे अबितैथ आ अन्ट-सन्ट बकए
लगितैथ। हुनका हिसाबे सभ गड़बड़ी करैत छल आ सभकेँ ओ ठेकाना लगा सकै छैथ। विभागक सभ
प्राध्यापक, कर्मचारी, रोगी हुनकासँ तंग
रहए। मुदा करैत की..?
किछु सालक बाद सुनबामे आएल जे
कियो अज्ञात बेकती हुनकर हत्या कऽ देलक। हत्याक कानूनी प्रतिकार केनिहार कियो
नहि रहए। केकरोसँ ओ बना कऽ नहि रहैथ। कोनो सम्बन्धीकेँ घर टपए नहि देथि।
दिल्लीमे कएकठाम हुनकर सम्पैत छल। कियो-कियो बाजए जे वएह सम्पैत हुनकर काल भऽ
गेल। पता नहि, सत्य की रहल, मुदा ओ किछु नहि
भोगि सकली। एकरा की कहबै? भाग्यक दोख?
उपरोक्त घटना-क्रमसँ स्पष्ट
अछि जे सुख हएब, जीवनमे संतुष्टिक
बोध हएब आ यश उपार्जित करब, सबहक भागमे नहि होइत अछि। विद्या, धन, पद इत्यादि सभ किछु
ओइ महिला डॉक्टरमे उपलब्ध छेलैन। पद्म भूषण पुरस्कार सेहो भेटल रहैन, मुदा किछु काज नहि
आएल। सभ किछु छोड़ि अकाल मृत्युक शिकार भऽ गेली...।
गीतामे कहल अछि-
“अशान्तस्य कुतो सुखम्।”
शान्तिसँ जीवन जीयब एकटा कला
थिक।
‘रूखा-सुखा खा कऽ ठंढा पानि
पीब,
देख पड़ाइ चुपरी मत ललचाबे जीभ...।’
जीवन सुखी हो तइले अत्यावश्यक
अछि जे अनकर देखौंस नहि करी। अनकासँ अपन तुलना नहि करी। बेसी लोक दोसरक सुखसँ दुखी
रहै छैथ। आ एहेन दुखक तँ कोनो इलाजो नहि अछि।
मेडिकल कौलेजक किछु आचार्यगण
अद्भुत बेकतीत्वक लोक छला। संभवत: मनुखक रूपमे ओ सभ ईश्वरक प्रारूप कहल जाथि तँ
अनुचित नहि हएत। ओइमे प्रो. डॉ. ए.के. दत्त केर नाओं अबस्स स्मरणीय अछि। उच्च
कोटिक बाल रोग विशेषज्ञ तँ ओ छैथे संगे
अद्भुत मानवीय गुणसँ ओतप्रोत् छैथ। हमरासँ हुनक अंतरंग सम्बन्ध छल आ अइछो। जखन
कखनो कोनो प्रकारक मदैतक काज भेल ओ ठाढ़े भेटला। बहुत साधारण परिवेशसँ बढ़ि कऽ ओ ऐ
मोकाम तँ पहुँचला। कहैत रहैथ जे शुरूमे कोनो कुटुम्ब हालो-चालो नहि पुछैत छल।
क्रमश: ज्योँ-ज्योँ हुनकर पद, रूतबा बढ़ल ज्योँ-त्योँ ताकि-ताकि कऽ कुटुम सभ आबए
लगलैन। हुनकर पत्नी ओही संस्थानक माइक्रोवायोलॉजी विभागमे विभागाध्यक्ष भऽ सेवा
निवृत्त भेली। दुनूमे अद्भुत तालमेल अछि। अहंकार तँ जेना दूर-दूर तक हुनका सभकेँ
छुनौं ने अछि।
अही क्रममे प्रो. डॉ. एस.के.
प्रधान विभागाध्यक्ष पी.एस.एम. विभाग, प्रो. जी.के. शर्मा निदेशक, प्रो. (डॉ.) डिसूजा विभागाध्यक्ष
नेत्र विभाग स्वत: स्मरणीय छैथ।
नीक ओ बेजाइक अद्भुत मिश्रण
लेडी हार्डींगमे देखबामे आएल। असलमे अधिकांश लोक नीके होइत छैथ। मुदा किछुए अधला, चण्ठ आ बदमाश लोक
समाजपर हाबी हेबाक कुचेष्टा करैत अछि। समाजक कर्तव्य थिक जे नीक लोकक समर्थन करए, सही आबाजक संग दिए, नहि तँ अधला लोक
हाबी भऽ जाएत, नीक नष्ट भऽ जाएत
जेकर कुपरिणाम सभकेँ भोगए पड़त।
तत्कालीन प्राचार्या सेहो
भावुक आ योग्य छेली मुदा हुनका आस-पास विश्वस्त लोकक एकटा आवृत छल जइमे प्रवेश
कठिन छल। कएक बेर ओ सभ गलत राय दैत छेलैन मुदा प्राचार्याजीकेँ हुनका सभपर अटूट
बिसवास रहैन। हड़तालक क्रममे हमर दृढ़तासँ ओ प्रभावित भेली आ हमरासँ सोझे सम्पर्क
राखए लगलीह।
मेडिकल शिक्षाक क्षेत्रमे
लेडी हार्डींगक अपन पहिचान अछि। एकर विशिष्टताकेँ बनौने रहक हेतु एवम् आगाँ
बढ़ेबाक हेतु विश्व भरिमे पसरल ऐठामक छात्र सभ सेहो प्रयत्नशील रहैत छैथ। सालमे
एकबेर आयोजि दीक्षान्त समारेाह अद्भुत अवसर होइत अछि जखन प्राचार्य सहित समस्त
विभागाध्यक्ष विशिष्ट परिधानमे सुसज्जित भऽ मंचासीन होइ छैथ। कोनो विशिष्ट
गणमान्यक हाथेँ विभिन्न विधामे सफल छात्रकेँ पारितोषिक एवम् डिग्रीक वितरण कएल
जाइत अछि। पाँच सालक कठोर तपस्रूाक बाद स्नातकक डिग्री प्राप्त कए जखन
विद्यार्थी सभ आनन्दोत्मादमे ‘हिप हिप हुर्रे’ करै छैथ तँ समस्त वातावरण
आनन्दमय भऽ जाइत अछि।
सालमे दूबेर विद्यार्थी सभ
अपन उत्सव मनबै छैथ जे कएक दिन तक चलैत रहैत अछि। नाच-गान आ तरहक-तरहक सांस्कृतिक
कार्यक्रममे दिल्लीक विभिन्न कौलेजसँ विद्यार्थी सभ भाग लइ छैथ। लेडी हार्डींग
मेडिकल कौलेजमे हमर लगभग दू साल समय पूरा होइपर छल। ओही समय अपन विभाग, गृह मंत्रालयमे हमर
प्रोन्नति अवर सचिवपर हेबाक आदेश आबि गेल। हमरा अधीनस्थ प्रशासकीय अधिकारीक सेहो
प्रोन्नतिक आदेश आबि गेल रहैन। हमर लेडी हार्डींगमे प्रतिनियुक्तिक एक साल बाँचल
छल (जे आगाँ बढ़ियो सकै छल।) तरह-तरहसँ विचार कए हम आपस अपन विभाग माने
गृहमंत्रालयमे जेबाक निर्णय कएल आ तदनुकूल आग्रह प्राचार्यसँ कएल मुदा ओ पदमुक्त
करक हेतु तैयार नहि होथि। हुनकर कहब जे एकहि बेर दुनू अधिकारीकेँ केना छोड़ल जाएत।
हमर अधीनस्थ् अधिकारीकेँ तँ छोड़ि देल गेल मुदा हम एक मास तक लटकल रहलौं। अन्ततोगत्वा
२३ सितम्बर १९९९ ई.केँ हम ओहिठामसँ पदमुक्त भऽ गृहमंत्रालयक दिल्ली डिवीजनमे पदभार
ग्रहण कएल।
लेडी हार्डींगसँ कार्यमुक्त
भऽ गृहमंत्रालयमे कार्यभार ग्रहण केलाक बाद हम फेर पुरने स्थान- दिल्ली डेस्कपर
पहुँच गेलौं। संयुक्त सचिव वएह छला। निदेशकक पदपर अतिशय नीक लोक अमिताभ कुमार
आइ.ए. आर.एस. छला। मुदा ऐबेर
संयुक्त सचिवसँ हमर पटरी नहि बैसल। हुनकर बेवहार हमरेसँ नहि अपितु एकाध गोटे
छोड़ि सभसँ रूक्ष ओ अनसोहाँत रहैत छल। अस्तु हमर मन ओतए नहि लगैत छल। अही
बीचमेलेडी हार्डींगक ओही पदक हेतु विज्ञापन एलइ, पदनाम मुख्य प्रशासनिक
अधिकारीसँ बदैल कऽ उप निदेशक (प्रशासन) भऽ गेल छल, शेष वएह।
संघ लोक सेवा आयोगक माध्यमसँ
चयन हेबाक रहइ, तँए उमेद रहए जे हमर चयन हएत।
फेर हमरा तँ ओइठामक अनुभवो छल। हम दर्खास्त पठा देलिऐ। मुदा चयन प्रक्रियाकेँ तेना
कऽ ओझरौल गेल जे ओइमे सालो लागि गेल। आनो-आनो पद सबहक हेतु आवेदन कऽ देलिऐ। दिल्ली
डेस्कमे दू साल काज केलाक बाद बहुत चेष्टा कऽ कऽ हम एनई (North East) डिवीजनमे पदस्थापित
भेलौं। ऐठाम बेहतर महौल भेटल। अधिकारी सभ नीक छला आ काजोक सहुलियत रहइ। हमरा गेलाक
बाद यद्यपि ओइ डेस्कपर नित्य नव काज आबए लागल, मुदा हमरा मन लगैत छल। ऐ
उठा-पटकक बीच एम.आर.टी.पी.सी.मे प्रशासनिक अधिकारीक पदपर हमर नियुक्ति भऽ गेल आ
हम ओइ पदपर प्रतिनियुक्तिक आधारपर १ मार्च २००२ ई.केँ पदभार ग्रहण कएल।
एक समयमे एम.आर.टी.पी. कमीशनक
बहुत चलती छल मुदा उदारीकरणक युगमे एकर महत्व क्रमश: कम होइत गेल। तैपर सँ कम्पीटीशन
कमीशन बनबाक हेतु कानूनी प्रक्रिया चलि रहल छल जे एम.आर.टी.पी.सी.क स्थान लैत।
तँए ओइ कार्यालयमे काज कम भऽ गेल छल।
एम.आर.टी.पी. कमीशनमे काज कम
आ राजनीति बेसी छल। अधिकारी/कर्मचारी सभ गप मारि कऽ समय बितबैत छला। नित्य समाचार
अबै जे आइ ऑफिस बन्द हएत तँ काल्हि। कर्मचारी/अधिकारी सभ अपन-अपन भविष्य लऽ कऽ
चिन्तित रहैत छला जे ऑफिस टुटि गेलाक बाद हुनकर की हएत।
एम.आर.टी.पी.सी.क अध्यक्ष
दिल्ली उच्च न्यायालयक न्यायाधीश छला। केना-ने-केना हुनका हमरापर बहुत बिसवास
भऽ गेलैन जे आन अधिकारी सबहक हेतु ईष्याक कारण बनि गेल। एक दिन अध्यक्ष महोदय
सचिवकेँ हमरा सामनेमे हिदायत देलखिन जे हमरा कोनो तरहेँ तंग नहि कएल जाए। मुदा उच्चपदस्थ
अधिकारी सभकेँ ई बात नहि पचैत छेलैन जे हम अध्यक्षक एतेक बिसवासपात्र सही, मुदा ओ सभ कइए की
सकैत छला।
एम.आर.टी.पी. कमीशनक अध्यक्षकेँ
हमरा प्रति सिनेहसँ पूरा कार्यालयमे हमर प्रभाव बढ़ि गेल। कए गोटा अपन बेकतीगत
समस्या हेतु हमरा सिफारिश करैथ। मुदा आयोजक सविच सहज नहि भऽ पाबैथ। आराम करक हेतु
एवम् समय काटक हेतु एम.आर.टी.पी. कमीशनक ऑफिस उत्तम छल मुदा हम बैसल-बैसल तंग
होमए लगलौं।
किछु दिनक बाद लेडी हार्डींग
मेडिकल कौलेजमे उपनिदेशक (प्रशासन) केर पदपर प्रतिनियुक्तिक हेतु साक्षात्कार हेतु
संघ लोक सेवा आयोगसँ पत्र भेटल। शाहजहाँ रोडपर हमर ऑफिसक बगलेमे संघ लोक सेवा आयोग
छल। हम ओइ साक्षात्कारमे पहुँचलौं। आठ-दस गोटा साक्षात्कार हेतु उपस्थित रहैथ, तइमे लेडी
हार्डींगमे तदर्थ आधारपर कार्यरत उपनिदेशक (प्रशासन) सेहो उमेदवार रहैथ। हमर
साक्षात्कार सभसँ अन्तमे भेल। पूर्वमे हम दू साल लेडी हार्डींगमे ओही पदपर काज
कए चूकल रही। तहू बातक हमरा लाभ भेल। हमर साक्षात्कार नीक भेल आ किछुए दिनमे
नियुक्ति पत्र सेहो भेटल।
किछु दिनमे लेडी हार्डींगमे
प्रतिनियुक्तिक आधारपर उप निदेशक (प्रशासन)क पदपर नियुक्ति हेतु पत्र
गृहमंत्रालयक माध्यमसँ एम.आर.टी.पी.सी. पहुँच गेल। सोच-विचारक कोनो प्रयोजन नहि
छल। हम ओतए जेबाक हेतु निर्णय कए लेने रही। अस्तु अध्यक्षजीसँ भेँट कए कार्यमुक्त करबाक आग्रह कएल। ओ दुपहरियामे भोजनोपरान्त हमर आग्रहकेँ मानि लेलाह आ हमरा कार्यमुक्त करबाक आदेश जारी कऽ देलैथ।
३ दिसम्बर २००३ मंगल दिन हम
दोबारा लेडी हार्डींग पहुँच गेल रही। पदनाम बदैल गेल रहए मुदा पद वएह रहइ।
प्रचार्य बदैल गेल रहैथ। ओहमरा देख बहुत प्रसन्न भेला आ आशा व्यक्त केला जे अस्पताल
एवम् कौलेजक प्रशासन आब सुचारू रूपसँ चलि सकत।
लेडी हार्डींगक इतिहासमे हम
पहिल बेकती छेलौं जे मुख्य प्रशासनिक अधिकारी। उप निदेशकक पदपर दोबारा गेल रही।
दुनू बेर हमर चयन संघ लोक सेवा आयोग द्वारा भेल रहए। असलमे पहिल बेर तीन सालक समयावधि
पूर्ण हेबासँ पहिने हम अपन काडर, गृह मंत्रालय, आपस चल गेल रही। सभ कहए, बेकारे चलि एलौं। ओहन
पमदार पदकेँ नहि छोड़बाक छल आदि-आदि। अपनो ओइ बातमे ओजन बुझाइत छल। यद्यपि ओइठाम
झंझट छल, मुदा इज्जतो बहुत
भेटैत देलइ। लोकक खास कऽ बेमार लोककेँ मदैत करबाक अद्भुत अवसर भेटैत छल। नित्य
२-३ मरीजकेँ हमरा तरफसँ मदैत भऽ जाइत रहइ। ऐकाज हेतु एकटा स्टाफ अलगसँ रखने रही
जे आगन्तुक मरीजक हमर सिफारिपर बढ़ियाँ डॉक्टर सभसँ इलाज करबा दइक।
लगभग चारि सालक बाद हम दोबारा
लेडी हार्डींग पहुँचल रही। बीचमे बेकतीगत काजसँ एकाध बेर गेल हएब मुदा पुनश्च ओतइ
पदासीन हएब से हमरो उमेद नहि छल। दोसर बेर गेलापर कएक परिवर्तन देखबामे आएल।
प्राचार्यक पदपर प्रो. (डॉ.) जी.के.शर्माजी छला। प्रो. (डॉ.) ए.के. दत्ता उप प्राचार्यक पदपर
रहैथ। सभसँ आश्चर्यजनक परिवर्तन हमर आप्त सचिवमे देखबामे आएल। सुनबामे आएल जे ओ
आब खूब नमहर पीयाक भऽ गेला अछि। किछु अधीनस्थ अधिकारीक संग साँझे-साँझ पीबाक
कार्यक्रम चलैत छल। कए गोटासँ जखन ऐ तरहक शिकायत सुनबामे आएल तँ एक साँझ प्राचार्य
महोदय औचक निरीक्षण केलाह। ओही क्रममे चारि-पाँच गोटे पीबैत पकड़ल गेला। आब तँ जे दृश्य
गेल तेकर की वर्णय करू...। पीबाक सभ भूलंठित छला। अबिते-अबिते कुहर्रम मचि गेल।
ओइमे यूनियनक एकटा नेता सेहो छल। प्रात: काल किछु गोटेक विरुद्ध कार्रवाई भेल।
यूनियनक नेताकेँ प्रशासनिक खण्डसँ हटा देल गेल। ओइमे सँ किछु गोटे माफीनामा लगौला
आ आगा नीक बेवहारक प्रतिज्ञा केलाह। आब तँ ओइठामक फिजा बदैल गेल छल। प्रात: काल ‘ओम जय जगदीश हरे...’ केर भजन सुनाइत छल।
साँझ होइते सभ अपन घर चल जाइत छल। एकटा सम्बन्धित अधिकारीक पत्नी धन्यवाद सहित
समाद पठौलक जे हमरा एलाक बाद हुनक पीयाक घरबला सुधैर गेला आ घरक वातावरण एकदम बदैल
गेल। आश्चर्यक बात थिक जे राष्ट्रीय स्तरक एहेन महत्वपूर्ण संस्थानमे ऐ तरहक
गतिविधि चलि रहल छल।
उपरोक्त काण्डमे फँसल
यूनियनक नेताक प्रशासनिक खण्डसँ स्थानान्तरण भऽ गेला बाद ओ चुप नहि बैसल। स्थानान्तरणक आदेशके निरस्त करबाक आग्रह
करैत रहल। जखन ओ निराश भऽ गेल तँ एक दिन चिकरैत-भोकरैत आएल आ हमर टेबुलपर जोड़सँ
मुक्का मारलक। टेबुलपर सीसा लागल रहइ। मुक्काक प्रहारसँ सीसा चूर-चूर भऽ गेलइ।
सीसाक नोक ओकरा गड़बो केलइ। कएक ठामसँ खून बलबला कऽ निकलय लगलइ। ओ चिकरैत-भोकरैत
ऊपर दिस भागल।
“छूरा मार दिया..! सीऔ ने छूरा मार
दिया..!”
छर्र-छर्र खून बहैत फेर ओ
बाहर निकलल आ कैम्पसमे खसि पड़ल। प्राय: गहींर घाव भऽ गेल रहइ।
एतबामे यूनियनक प्रधान किछु
गोटाक संग ओकरा अस्पताल लऽ गेल, कएकटा टाँका लगलै। हम तुरन्त ओकरा ससपेंड कऽ देल।
तेकर बाद प्राचार्यकेँ सभ बातक सूचना देल गेल।
ऐसँ पूर्व कएक बेर गड़बड़
बेवहार कऽ चूकल छल। ऐ सभक पाछाँ यूनियन द्वारा हमरा डेरा देब छल। ओइ कर्मचारीक
बारंवार ड्यूटीसँ अनुपस्थितिक शिकायत अबैत रहै छल। तइले ओकरा सुधरबाक हेतु चेतावनी
पत्र जारी हम केने रही। हे भगवान! प्रात: काल जखन कार्यालय एलौ तँ पहिल समाचार यएह भेटल
जे ओ आत्महत्या कऽ लेलक। घरमे फाँसी
लगा कऽ मरि गेल। सुनबामे आएल जे ओ एकटा चिट्ठी लिखि गेल अछि। मुदा ओइ चिट्ठीक
विषय-वस्तु बेकतीगत ओ परिवारिक छल। ओ केकरोसँ कर्जा लेने छल, कर्जा आपस करबाक
हेतु ओ दबाब बनबैत छेलइ। घरमे से पीबि कऽ हंगामा करैत रहै छेलइ। घरक लोक ओकरासँ
तंग छल। कएक बेर पहिनौं ओ आत्महत्याक धमकी घरक लोककेँ दैत रहै छेलइ, मुदा ने ओ सुधरल आ
ने घरक लोक ओकर बातकेँ गंभीरतासँ लेलक। ऐबेर ओ सचमुचमे झूलि गेल रहए, मुदा कियो ओकरापर
धियान नहि देलकै। बगलक घरमे परिवारक अन्य लोक सभ रहइ। प्रात भेने ओ मरल, झूलि रहल छल।
लेडी हार्डींगक एकटा विशिष्टता
छल जे कोनो प्रकारक समस्या भेल कि एकटा कमिटी बना देल जाइत छल। कमिटीक सदस्य सामान्यत:
ओहन-ओहन लोक रहै छला जिनका प्राचार्य संगे ३६ केर आँकड़ा छल। तात्पर्य ई छल जे
विवादास्पद विषय सभमे हुनका सभकेँ शामिल राखल जाए जइसँ जरूरत पड़लापर कहल जा सकैत
छल जे प्रशासन कमिटीक रायक अनुसार काज केलक। असलमे ई एक प्रकारसँ जिम्मेदारी सरकायब भेल। कमिटीक दुष्परिणाम
निर्णयमे विलम्ब होइत छल। एक संस्थानमे एतेक रास कमिटी कमेठाम भेटत। फेर कमिटीक
निर्णय वाध्यकारी नहि होइत छल। लोक अपन बात अपना हिसाबे कहि देबाक हेतु स्वतंत्रो
नहि रहैत छल। अधिकांश मामलामे प्रचार्यसँ राय मशविरा कैये कऽ कमिटी अपन प्रतिवेदन तैयार
करैत छल।
गृहमंत्रालयमे हमर एकटा
भूतपूर्व अधिकारीक पत्नी लेडी हार्डींगमे वरिष्ठ प्रोफेसर छेलखिन। ओ इमानदार ओ कर्मठ
मुदा झगड़ाउ छेली। परिणाम स्वरूप केतेको डॉक्टर सभ हुनकर विरोधी छल। मुदा हमरा
प्रति ओ सकारात्मक रूखि रखै छेली। बेर-कुबेर हमर पक्षमे बात सेहो रखै छेली। हुनका
नामे संस्थानक एकटा बंगला छल जइमे ओ सपरिवार रहै छेली। बंगला तेतेकटा छल जे
मंत्रीक बंगला सभकेँ टक्कर दऽ सकैत छल। सेवा निवृत्तिक बादो ओ ओइ बंगलाकेँ खाली
नहि करैत छेली,
परिणामस्वरुप
बंगला खाली करेबाक कानूनी प्रक्रिया कएल गेल। संस्थानक एस्टेट ऑफिसर हेबाक कारण
ओइ प्रक्रियाक निपटान हमरा ओइठाम हेबाक रहइ। हमर भूतपूर्व अधिकारीक वकीलकेँ बिसवास
रहै जे हम तँ ओकरे पक्षमे निर्णय देब। ई वएह अधिकारी छला जे गृह मंत्रालयमे हमरा
साढ़ूक बेमारीक दौरान छुट्टी नहि देने रहैथ, एलएलबी परीक्षाक रातियोमे ९
बजे बैसोने रहि गेल रहैथ। तथापि हुनका सभकेँ आशा रहैन। हम हुनकर वकीलकेँ बारंबार
कहिऐक जे अहाँ चाही तँ अपन मामलाकेँ कोनो आन एस्टेट ऑफिसर लग स्थानान्तरित कऽ
लिअ। मुदा ओ कहैथ जे हमरा सभकेँ अहाँपर पूर्ण बिसवास अछि।
ऐ मामलाक हिसाब-किताब साफ
रहइ। ओ सरकारी मकानमे नियमक उल्लंघन कऽ सेवा निवृत्तिक बादो बेसी दिन रहि गेल
रहैथ तँए हुनका जुर्माना तँ देबाक रहैन। अपना भरि ओ सरकारमे उच्चस्थ स्तर तक
प्रतिवेदन देने रहैथ मुदा सुनबाइ नहि भेलैन। हमरा ऐ मामलामे धर्म संकट तँ रहबे
करए। तथापि काफी सोच-विचार कऽ हम साढ़े सात लाख जुर्माना/हर्जानाक निर्णय देल।
निर्णय सुनि हुनकर वकीलक चेहरा देखैबला रहइ। ओ गरमाए लगला।
“हम तो हाई कोर्ट तक
लड़ेंगे...।” इत्यादि
यएह-वएह...।
हम किछु नहि कहलिऐक। चुप-चाप
फैसला सुना कऽ खसैक गेलौं।
हमर पूर्व अधिकारीजी बहुत
नाराज भेल रहैथ। सम्पर्क तोड़ि लेला। कएक वर्षक बाद ओ हमरा एक दिन फोन केलैथ ई
कहक हेतु जे “हमर फैसला सही छल। हम
एकर अलाबा आर किछु फैसला नहि दऽ सकैत छेलौं।” देर आये दुरुस्त आये...।
ओ कएटा वरिष्ठ अधिकारी सभसँ
राय लेलाह आ सभ हमरे पक्षमे राय देने रहैन।
लेडी हार्डींगमे हमर पहिल
पोस्टिंगक दौरान कैम्पस ओ बाहर अतिक्रमण हटाबक अभियान कएक बेर चलल। ओइ समयमे जम्मू
काशमीरक भूतपूर्व राज्यपाल श्री जगमोहन भारत सरकारक शहरी विकास मंत्री छला। हुनकर
कार्यालयमे अतिक्रमण हटाबए हेतु बैसक भेल जइमे संस्थानक प्राचार्यक अतिरिक्त हमरो बजौल गेल। ऐ बातक स्पष्ट
आदेश भेल जे लेडी हार्डीगक अन्दर जे अतिक्रमण अछि ओकरा हटौल जाए। तद्दनुकूल
कार्रवाइ प्रारम्भ भेल। अतिक्रमण हटाबक समस्त विधि विधान पूरा कएल गेल। नियत
तिथि ओ समयपर भारी पुलिस बन्दोवस्तक संग अतिक्रमण तोड़बाक तथा हटेबाक कार्यक्रम
प्रारम्भ भेल। ऐसँ प्रभावित लोक सभ काग्रेसक वरिष्ठ नेता आर.के. धवनजीकें बजा अनलक। ओ हमरा
बजौलैथ। नियमानुकूल अतिक्रमण हटाबक देल गेल आदेशकेँ रोकबाक हेतु तूफान ठाढ़ कऽ
देलाह आ अन्ततोगत्वा ओ अभियान स्थगित भऽ गेल।
सरोजिनीनगरमे लगभग १० साल
रहलाक बाद रामकृष्णपुरम सेक्टर-३ केर सरकारी आवास हमरा भेटल। हमर छोट पुत्रकेँ
सरोजिनी नगरमे मन लागि गेल रहइ। अहीठाम ओ पैघ भेल रहैथ। खेल-धूप करथि। स्कूलो लगेमे रहैन।
तँए सरोजिनीनगर छुटि गेलासँ दुखी रहैथ। ऐठाम दोस्त सभ संगे खेलाइत छला।
रामकृष्णपुरम गेलापर हुनकर
खेल लगभग छुटिये गेल। ओइठामसँ आइ.आइ.टी. दिल्ली सटले रहै आ प्रात: काल टहलाक हेतु
हम कए दिन ओतए कैम्पसमे चलि जाइ। स्वच्छ वातावरण, तरह-तरह केर वागवानी सबहक
फूल,
संस्थानक
प्राध्यापक सबहक आवास, ओ विद्यार्थी सबहक छात्रावास देख मन प्रसन्न भऽ जाइत
छल। आस-पासमे कएटा कैन्टीन छेलै जेतए कहियो काल जलखै होइत छेलइ।
आइ.आइ.टी. छात्रावाससँ सटले
वेर सराय छल जेतए हम बरोबरि जाइत छेलौं। वेर सरायक दोकान सभपर जे.एन.यू.क
विद्यार्थी सबहक मेला लागल रहैत छल। विद्यार्थी सबहक सुविधाक चीज जेना पुस्तक स्टेशनरी, कम्प्यूटर छपाई, जलखै, भोजन, ए.टी.एम. ईसभ सुविधा
ओतए उपलब्ध छल। ओइठामक गरम-गरम जिलेबी मोन पड़िते जीहसँ पानि आबि जाइत अछि।
आइ.आइ.टी. पास हेबाक एकटा फैदा
ई भेल जे हमर छोट पुत्र (क्षितिज) केँ हेतु आइ.आइ.टी.क छात्र सभ पढ़ाबए हेतु भेट जाइत
छला। हुनकर सबहक विषयपर पकड़ बढ़ियाँ छल आ क्षितिजकेँ एकर लाभो भेलैन। रसायन शास्त्र
पढ़बए एकटा पी.एच.डी. करैत विद्यार्थी अबैत छला। ओकर विषयपर पकड़ एवम् पढ़ेबाक
तौर-तरीका अद्भुत छल। मुदा एक दिन ओ एकाएक गायब भऽ गेलाह। प्राय: आगूक पढ़ाइ हेतु
विदेश चलि गेला।
रामकृष्णपुरम, संक्षेपमे
आर.के.पुरम सरकारी कर्मचारी तथा अधिकारीक बड़ पैघ आवासीय कालोनी अछि। ऐमे केतेको
सेक्टर अछि। ऐठाम हमर पड़ोसी फोकन साहैब छला। ओ सेना मुख्यालयमे असैनिक अधिकारी
रहैथ।अतिशय मिलनसार प्रकृतिक लोक छला। कनी दूर हटि कऽ राज्य सभामे कार्यरत
अधिकारी गांगुली साहैब छला। ओ प्रात: काल सामनेक पार्कमे घोड़ा जकाँ टाप लगबैत
छला। चलैसँ जखन मन नहि भरैन तँ दोड़ए लगैथ। सभसँ कोणपर भारतीय सूचना सेवा (Indian
information Service) केर अधिकारी त्रिपाठीजी छला। ओ बड़ा रमनगर ओ गप-सप्पमे माहिर छला।
यदा-कदा अबैत रहैथ। तरह-तरह केर अनुभव सभसँ भरल बेकतीत्व छला। पत्रकारिताक काजक
दौरान कएटा पैघ-पैघ राजनेता सभसँ सम्पर्क भऽ गेल रहैन। जे धिया-पुता सभ योग्य
एवम् कर्मठक संगे-संग माता-पिताक प्रति श्रद्धावान सभ छैन। तँए ओ बहुत भाग्यवान
बेकती छैथ।
हमर पड़ोसी, फोकन साहैबकेँ बच्चा
सभकेँ ट्यूशन पढ़ेबाक हेतु शिक्षकक काज रहइ। हमर जान पहचानक एकटा ट्यूशनियाँ छला।
ओ अवर सचिव रहैथ मुदा सालोसँ पार्ट टाइम ट्यूशन करैत छला। हम हुनका बारेमे फोकन
साहैबकेँ कहलिऐन। ओ तुरन्त हुनका काजपर बजा लेलखिन। ट्यूशन प्रारम्भ भऽ गेल। बच्चा
सबहक परीक्षाफल बढ़ियाँ होमए लगलै। ऐ बातसँ फोकन साहैब दुनू बेकती बहुत प्रसन्न
रहै छला। ट्यूशनियाँक खूब मान-दान होइक। एक दिन केना-ने-केना फोकन साहैबकेँ पता
लागि गेलै जे ओ ट्यूशनियाँ तँ शिक्षक नहि, अपितु सरकारी अधिकारी छैथ। ऐ
बातसँ कुपित भऽ ओ हुनकर ट्यूशन बन्न करा देलखिन। हमरा हिसाबे ओ सही निर्णय नहि छल।
जखन ओसही पढ़ा रहल छला आ बच्चा सबहक प्रगति संतोषजनक छल तँ ट्यूशनियॉंकेँ ओकर
नौकरीक कारण हटाएब उचित नहि लगैत अछि। किछु आर कारण होइ तखन तँ कोनो बात नहि।
आर.के.पुरम सेक्टर- ३ सँ
लेडी हार्डींगक लेल सीधे बस नम्बर ६२० भेटै छल। वएह बस नॉर्थ ब्लॉक जेबाक हेतु सेहो
उपयुक्त छल। कृषि भवन बस स्टॉपपर उतैर जाउ आ ओइठामसँ विजय चौक होइत नॉर्थ ब्लॉक
चलि जाउ। पैदल ७-८ मिनटक रस्ता छेलइ।
कएक दिन जखन यूनियनक आक्रमण
जोड़ पकैड़ लइ छल तँ कनाट प्लेसक हनुमान मन्दिर चलि जाइ आ हनुमानजीकेँ गोहराबी
(गोढ़ियाबी) जे ऐ दूत-भूतसँ जान बँचाउ।
कनाट प्लेसक हनुमान मन्दिर बहुत
सिद्ध मन्दिर मानल जाइत अछि। मंगल दिन-के ओइ मन्दिरमे भक्त सबहक अपार भीड़ रहैत
अछि। ओइठाम शुद्ध घीमे बनल प्रसाद–लड्डू, गुलाब जामुन, बुनिया, पेरा इत्यादि–उपलब्ध
रहैत अछि।
लेडी हार्डींगमे काजक दौरान आ
ओकर बादो सालो तक हम मंगले-मंगल हनुमानजीक दर्शन करए जाइत रहलौं। ओइठामक प्रसादक
स्वाद अद्भुत होइत अछि। ओतए गेलापर बगलमे लस्सी ओ मारिक कुल्हड़मे पड़ोसल चाह
हम अबस्स पीबैत छी। ओकर आनन्दक वर्णन नहि।
मंगल दिनक हनुमान मन्दिरक
चहचही देखैबला होइत अछि। कियो लड्डू बाँटि रहल अछि, कियो हनुमान चलिसा बाँटि रहल
अछि तँ कियो हत्थाक-हत्था केरा। कियो-कियो तँ रूपैआ सेहो बाँटै छैथ आ भीखमंगा
सभमे मारि-पीटक परिस्थिति उत्पन्न भऽ जाइत अछि। कएक बेर एहेन बँटनाहर सबहक से
पराभव होइत अछि जे डिब्बा सभ फेक गाड़ीमे नुकाए पड़ैत अछि।
कनाट प्लेस दिल्लीक हनुमान
मन्दिर महाभारत कालमे दिल्ली (इन्द्रप्रस्थ) मे पाण्डव द्वारा निर्मित पाँचटा
महत्वपूर्ण मन्दिरमे सँ एक अछि। पाण्डव द्वारा निर्मित आर चारिटा मन्दिर अछि-
काली मन्दिर कालकाजी,
योगमाया मन्दिर,
कुतुव मिनार, भैरव मन्दिर पुरना
किला शिव मन्दिर, निगमवोध
घाट (नीला छतर महादेव) अछि।
कहल जाइत अछि जे तुलसी दास ऐ
मन्दिरमे दर्शन केने रहैथ। महाराजा मान सिंह (प्रथम, १५४०-१६१४) अकबरक शासन कालमे
ऐ मन्दिरक निर्माण केलैथ। महाराजा जय सिंह (१६८८-१७४३) १७२४ मे एकर पुननिर्माण
केलाह। तेकर बाद ऐ मन्दिरक केतेको बेर जीर्णोद्धार कएल गेल। आइ-काल्हि ई मन्दिर
दिल्लीक प्रमुख सांस्कृतिक:/आध्यात्मिक स्थानमे गनल जाइत अछि।
ऐ मन्दिरमे १ अगस्त १९२४ सँ
चौबीसो घन्टा राम नाम संकीर्तन होइत रहैत अछि। ई कहल जाइत अछि जे ऐ अखण्ड
संकीर्तनक गाइनीज बूक ऑफ वर्ल्ड रेकर्डमे स्थान देल गेल अछि।
कहल जाइत अछि जे मुगल शासक
सन्तान नहि हेबाक कारण बहुत परेशान रहैथ। तखन ओ ऐ मन्दिरमे आबि कऽ प्रार्थना
केलाह आ हुनका सलीमक रूपमे मनोकामना पूर्ण भेल। सौहार्दक उदाहरणस्वरूप मन्दिरक
विभागपर ओम अथबा कलशक स्थानपर चन्द्रमाक चेन्ह अवस्थित अछि। ऐ मन्दिरक एकटा
ईहो विशेषता अछि जे ई हनुमानक वाल्यकालक रूपबला देशक प्रमुख मन्दिरमे सँ अछि।
हनुमानजीक एक हाथमे खिलौना ओ दोसर हाथ हुनकर छातीपर अछि।
देश निदेशक केतेको महापुरुष ऐ
मन्दिरमे आबि कऽ हनुमानजीक दर्शन प्राप्त करै छैथ। आधुनिक कालमे अमेरिकाक
भूतपूर्व राष्ट्रपतिक बराक ओवामाक नाम सेहो ऐमे सुमार होइत अछि।
जखन कखनो हमर मन लेडी
हार्डींगक दाव-पेंचसँ परेशान भऽ जाइत छल तँ हम ऐठाम आबि जाइत छेलौं।
दुपहरियामे भोजनावकासक समयमे
बेसी काल कनाट प्लेस घुमए चलि जाइत रही। ओइठामक तरह-तरह केर दोकान, रंग-बिरंगी लोक
देखैत-सुनैत समय नीकसँ कटि जाइत छल।
कनाट प्लेस पहिने जंगल रहइ।
ओतए नढ़िया भूकैत छल। लगमे हनुमान मन्दिरटा छल जेतए दर्शन हेतु लोक दिन-दहारे
अबैत छल आ साँझसँ पहिने घर घुमि जेबाक व्योँतमे रहै छल। कनाट प्लेसक निर्माणक
हेतु ओइठामक तीनटा गाम–माधोगंज, जयसिंहपुरा आ राजाक बजार–केँ उजारि देल गेल। ऐ गामक
बसिन्दा सभकेँ कैरोलवागक आसपास बसौल गेल। कनाट प्लेसक निर्माण १९२९-३१क बीचमे
भेल। ऐमे दू-महला मकान सभ अछि जेकर निच्चॉंमे दोकान आ ऊपरमे आवास होइत छल। कनाट
प्लेसमे प्लाजा, रीगल, ओडिमन, रीमोली, चारिटा सीनेमा टाकीज
अछि। सन् १९६१मे कनाट प्लेसक अन्दरूनी भागमे जमीनक निच्चाँ पालिका बजार बनौल
गेल। पालिका बाजार पूर्णत: वतानुकुलित अछि। देश-विदेशसँ आनल गेल तरह-तरह केर वस्तु
सभ एतए बेचल जाइत अछि। मुदा ठामक मामलामे एतए बहुत सावधानीक काज अछि। जबरदस्त मोल
मोलाइ होइत अछि। नव आगन्तुककेँ ठगा जेबाक पूरा सम्भावना अछि। कोनो-कोनो दोकानमे
सही दामपर चीज भेट जाइत छै मुदा नव बेकतीकेँ तेकर जानकारी असान नहि अछि।
वर्तमान समयमे दुनियाँमे सभसँ
पैघ (आब दोसर स्थानपर) राष्ट्रीय ध्वज कनाट प्लेसक सेन्ट्रल पार्कमे फहरौल
गेल अछि। कनाट प्लेसक कॉफी हाउस अखनो लोकक बैसार आ गप-सप्प हेतु प्रसिद्ध अछि।
लेडी हार्डींगसँ सटले गोल
मार्केटक ऐतिहासिक दोकान सभ अछि। सन् १९२१ ईस्वीमे अंग्रेज सभ एकर निर्माण केने
छल। ऐठाम गाली स्वीट आ कलेबा प्रसिद्ध मिठाइक दोकान अछि। कहियो काल ऐठाम आबि कऽ
चाट खेबाक मौका भेटैत छल। आवश्यक भेलापर भोजनोक दोकान ओतए उपलब्ध अछि। गोल
मार्केटक एकटा पानक दोकान बहुत प्रसिद्ध अछि। मीठका पान खाइत काल हएत जे रसगुल्ला
खा रहल छी।
गोल मार्केटक दोकान सबहक हालत
क्रमश: जरजर भऽ रहल छल मुदा दोकान सभ एकटा किनौं खाली नहि करए चाहैत छला। हाइ
कोर्ट/सुप्रीम कोर्ट तक मोकदमाबाजी भेल। दोकानदार सभ हारि गेलाह। एन.डी.एम.सी.क
एकरा म्यूजियम बनाबक योजना कोर्ट मानि लेलक।
लेडी हार्डींगक हमर दोसर
कार्यालय लगभग पाँच सालक छल। ऐ दौरान प्रो. (डॉ.) जी.के. शर्मा निदेशक (प्रर्चायक
परिवर्तित पदनाम) छला। ओ अद्भुत शान्त बेकती छैथ। कोनो परिस्थितिमे तनाव नहि उत्पन्न
करै छैथ। हमरा प्रति ओबहुत सहृदय एवम् सहयोगपूर्ण रूखि रखैत छला। तँए हमरा
विरोधमे जँ कियो किछु प्रयासो करैथ तँ ओ निराशे होथि।
लेडी हार्डींग सन पैघ संस्थानक
प्रशासन चलाबक हेतु शीर्षस्थ अधिकारी सभमे आपसी समन्वय बहुत जरूरी छल। संयोगवश
ओइ समयमे एहेन परिस्थिति स्वत: बनि गेल छल। यूनियनक वर्चस्व नष्टप्राय छल।
प्रशासन शसक्त भऽ गेल छल। तेकर सुखद परिणाम अस्पताल, कौलेज सहित सम्पूर्ण संकायपर पड़ल।
अन्ततोगत्वा परिश्रम ओ आपसी
तालमेल तेहेन प्रभाव छोड़लक जे सालक साल कोनो हड़ताल नहि भेल। कर्मचारीक वाजिब काज
जँ स्वत: भऽ जाइक तँ कियो किएक एमहर-ओमहर जाइत।
सन् २००६ ई.मे रामकृष्णपुरम
सेक्टर- ३ केर सरकारी मकानसँ हम सभ ब्लॉक २१ लोदी कालोनी आबि गेलौं। ओइठाम मकान
भेटबामे लगभग आठ साल प्रतीक्षा करए पड़ल। मकान बेहद पैघ छल। ऊपरमे बरसाती ओ नौकरक
हेतु कोठरी एवम् बड़ीटा छत छल। दुनू कात बड़ी-बड़ीटा बरामदा छल। मकानक देवाल सभ
बेहद मोट-मोट छल। छत पुरना जमानाक मकान जकाँ बहुत ऊँच-ऊँच छल। मकानक बनाबट एहेन छल
जे ओकर तापक्रम बाहरसँ सदैत ५-७°C कम रहैत छल। असलमे ई फ्लैट सभ अंग्रेज फौजी अफसर सबहक
हेतु द्वितीय विश्व युद्धक दौरान बनौल गेल छल। अंग्रेजक गेलाक बाद आब ऐ सभमे केन्द्र
सरकारक अधिकारी रहै छैथ।
लोदी कालोनीमे एलाक बाद सभसँ
महत्वपूर्ण उपलब्धि रहल लोदी गार्डेन। लोदी गार्डेनक लाभ हम भरपूर उठेलौं। लगभग
आठ बर्ख धरि ऐ डेरामे हम रहलौं। घरसँ मुश्किलसँ पाँच मिनटमे लोदी गार्डेन आबि जाइत छल।
लोदी गार्डेनमे पैसते लगैत छल जेना आनन्दक वर्षा भऽ रहल अछि। हरियर कंचन
गाछ-बिरीछ, नाना प्रकारक
लोक-बेद सभसँ अनायासे भेँट-घाँट भऽ जाइत छल। प्रात:कालक सुरम्य वातावरणमे एक सवा
घन्टाक समय देखते-देखते बीति जाइत छल। लोदी गार्डेनक एक चक्करमे २.२ किलोमीटर चलए
पड़ैत छल जइमे हमरा २५ मिनट समय लगैत छल। हमर पत्नी हमरासँ तेज चलै छेली। लोदी
कार्डेनमे हमर मित्र लोकनि ऐसँ आनन्दित होइत व्यंगो कए दैत छला। सामान्यत: हम
दू चक्कर लगबैत रही आ घरसँ आबए-जाइक समय जोड़ि देबै तँ १० मिनट आर।
सालक साल ई कार्यक्रम अवाध
रूपसँ चलैत रहल। ओइ क्रममे कएटा पैघ-पैघ लोक सभसँ परिचय सेहो भेल। केतेको गोटे
लोदी गार्डेन एहेन भक्त छला जे कोनो हालतमे, वर्षा हो वा अन्हड़ ओ लोदी
गार्डेन अबस्स औताह। लोदी गार्डेनक एक चक्कर हम सायं काल सेहो लगबैत छेलौं।
परिणाम स्वरूप कार्यालयक थकान, तनाव फुर्र भऽ जाइत छल। सायं काल हम मन्द-मन्द गतिये
चलैत रही।
लोदी गार्डेनक दोस्ती सामान्यत:
चलनिहार बेकतीक गतिपर होइत छल कारण तेजसँ चलएबला हल्लुक चलएबलाक संग केतेक काल
दितैथ? भारतीय प्रशासनिक
सेवाक सचिव स्तरसँ सेवा निवृत्त डॉ. भुरेलालक संग केतेको गोटे भोरे-भोर लोदी गोर्डेनमे
भ्रमण ओ व्यायाम करैत छला। हुनकर ठाकुर द्वारा ट्रस्ट कहियो काल विशेष कार्यक्रम
सेहो आयोजित करैत छल। प्रत्येक वरस्पैत दिन भोरे नि:शुल्क चाहक प्रबन्ध रहैत
छल। चाह पीबू, गप-सप्प करू, व्यायाम करू, घर जाउ। केतेक नीक ई
माहौल छल, एकर वर्णन आसान नहि।
एकर बिसैर जाएब सम्भव नहि। यद्यपि लोदी कालोनी छोड़ला तीन वर्ष भऽ गेल, तथापि अखनो कहियो
काल हम ओतए भोरे जाइ छी आ अपन स्मरणकेँ फेरसँ नूतन कए लैत छी। केतेको गोटे लोदी
गार्डेनसँ ऐ हद तक जुड़ल छैथ जे गुड़गाँव किंवा मयूर विहार, नोएडासँ घुमक हेतु ऐठाम
नियमित आबि जाइत छैथ।
हमर एकटा मित्र तँ २५-३०
सालसँ लोदी गार्डेनसँ जुड़ल छला। ओ कहैथ जे जखन ओ मरैथ तँ हुनका एक बेर लोदी
गार्डेनक चक्कर लगौलाक बादे अन्तिम संस्कार कएल जाए।
लेडी हार्डींगमे काज करबाक
सभसँ लाभ स्वास्थ्यक प्रति हमर चेष्टा बढ़ि गेनाइ छल। केतेको नीक-नीक डॉक्टर
सभ मित्र भऽ गेला आ अखनो ओ सभ पूरा तत्परतासँ हमर ओ हमर परिवारक स्वास्थ्य सम्बन्धी
समस्यापर बरीयतासँ ध्याने नहि दैत छैथ अपितु विशेष समय निकालि कऽ ओकर निदानक
उपायो कऽ दैत छैथ। ऐ क्रममे प्रो. (डॉ.) एस.के.जैन, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन विभाग, प्रो. (डॉ.) आर.के.
धमीजा, डायरेक्टर प्रोफेसर
एवम् विभागाध्यक्ष,
न्यूरोलॉजी विभाग,
प्रो. (डॉ.) रामचन्द्र डाइरेक्टर प्रोफेसर एवम् विभागाध्यक्ष चर्मरोग विभाग आर
आर केतेको डॉक्टर सबहक नाम अविस्मरणीय अछि। प्रो. (डॉ.) ए.के. दत्ता, शिशुरोग विशेषज्ञक
हमरा प्रति सिनेहक तँ वर्णन कठिन अछि। असलमे हिनका सभमे देवत्व कूटि-कूटि कऽ भरल
अछि।
लेडी हार्डींगक लगभग सात
वर्षक सेवाक क्रममे हमरा बहुत किछु सीखबाक मौका भेटल। बहुत रास लोकक संग मील-जुलि
रहब, दोसरक दुख-बुझब तेकर
निदान करब आ सभसँ बेसी सहनशील हएब, ई गुण सभमे हमरामे ओतए विकास भेल।
एतेक भारी संस्थामे जेतए तीन
हजार विभिन्न स्तरक लोक काज करैत छल आ हजारो रोगी नित्य प्रति अबैत छल, सभकेँ खुश रखनाइ सम्भव
नहि छल। केतेको लोककेँ सख्त अनुशासनक चेष्टामे कष्टो भेल हेतैन। मुदा कुल मिला
कऽ ई एकटा सुखद अनुभव छल। जीवनक एहेन क्षेत्र जइसँ हम एकदम अनजान रही, बहुत किछु सीखक, सीखाबक अवसर प्रदान
केलक। सारांशमे ई एकटा अभिनव प्रयास छल संघर्ष ओ सहनशीलताक समन्वयक उत्तम
प्रयोगशाला छल लेडी हार्डींग।
२२ अगस्त २००८ ई.केँ हमर
विदाइ समारोहक अवसर निदेशक, उप प्राचार्य सहित अनेकानेक विभागक अध्यक्ष एवम्
प्रशासनक विभिन्न अधिकारी मौजूद रहैथ। पी.एम.एस. विभागक प्राध्यापक स्व. ए.के.
शर्माजी अपन भावुक भाषणमे प्रशासनक अनेकानेक प्रसंगक वर्णन केलाह। जेबा काल तँ
प्रशंसा कऽ देब अपना देशक संस्कृति छइ। मुदा एतबा तँ सही जे ऐ संस्थासँ एकर
हित-अहितसँ, ऐठामक लोक सभसँ एकटा
जुड़ाव तँ भाइए गेल छल। असलमे एहेन-एहेन संस्थानमे सेवा करबाक अद्भुत अवसर रहैत
अछि। मुदा अवरोधो बहुत। तेकर अनेको कारण/सरकारक अपन एकटा बेवस्था छइ। लीकसँ हटि कऽ
नहि चलि सकैत छी।
कुल मिला कऽ लेडी हार्डींगक
एकटा मधुर स्मृति चीर कालतक हमर मनमे बनल अछि, तँ एकर कारण ओइठामक बहुआयामी
हेबाक संगहि मनमे सेवाक अद्भुत स्थान हएब थिक आ से उचिते।◌
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