गाम चलब?
बाल जीवनक तँ बाते अलग होइत
अछि। जखन लाउडस्पीकरसँ प्रचारित कएल जाइ जे आइ दड़िभंगा वा मधुबनीमे कोनो बड़का
आदमीक अबाइ छै, तँ मोनमे भाव उठैत छल जे ओकरा अबस्स देखक चाही। पता नहि, ओ बड़का आदमी
१० हाथक हएत कि बीस हाथक...? अहिना एकबेर
बिनोबा भावे मधुबनी आएल छला। वाटसन स्कूल- मधुबनीमे बच्चा
सबहक बीचमे प्रवचन केने रहैथ। हुनका देख आश्चर्यमे पड़ि गेलौं जे आखिर ई बड़का
आदमी केना भेला? कद-काठीमे तँ छोटे रहैथ। तहिना एकबेर गुलजारी लाल नन्दाकेँ देखबाक हेतु
मधुबनी सुरी स्कूलपर गेल रही। फेर वएह बात...। आखिर एकरा
लोक बड़का आदमी किए कहै छइ? हमरे गामक लोक जकाँ पाँच फीटक आदमी तँ ईहो अछि। तखन पैघ कथीक भेल? ऐ प्रश्नक
उत्तर ताकए-मे जिनगी निकैल गेल। पैघ के अछि? पैघत्वक परियासमे
तँ सौंसे दुनियाँ लागल अछि, मुदा सबहक अकार-प्रकार तँ ओहिना-क-ओहिना रहि
जाइत अछि।
गाममे चौराहा सभपर घन्टो गप
करैत लोकक दृश्य सामान्य बात छल। एमहरसँ एक गोटे आएल, ओमहरसँ कियो
आएल आ गप शुरू भऽ गेल। हमहूँ सभ अपन दोस्त सभसँ अहिना गप करैत रहि जाइ छेलौं। कएक
बेर हम अरियाति कऽ हुनका ओइठाम दऽ अबिऐन आ कएक बेर ओ हमरा। हाटपर, चौकपर तँ गपक
गोष्ठी चलिते रहै छल। रास्तामे कियो भेट गेल तँ गप केने बिना केना चलि जाएत? आश्चर्य ई
लगैत अछि जे आखिर लोक सबहक काज धन्धा केना चलइ। असलमे लोकक जीबाक अन्दाज दोसर
रहइ। सभ वस्तुमे, गप-सप्पमे, गरीबीमे, जीवन-संघर्षमे आनन्द ताकि लैत छल। जँ से नहि रहितैक तँ बोनि कऽ कऽ एकसंझू
खाइबला बोनिहार सभ निचैन भऽ कऽ खेतमे गीत नहि गबैत, भोरे उठि कऽ
लोक परातीकेँ स्वर नहि दऽ सकैत आ आठ बजिते चैनसँ सुति नहि जाइत।
शहरक आपाधापी, प्रतिस्पर्धात्मक
जीवन-शैली गाम तक नहि पहुँचल छल। लोक स्वत: स्फूर्त
नैसर्गिकतासँ ओत्-प्रोत् छल। धन, एश्वर्य लोकक अवचेतन मोनपर तेते हाबी नहि छल जे श्रेष्ठताक प्रयत्नमे
वर्तमानकेँ नर्क कऽ लिअए। परिवर्तन जीवनक संकेत थिक। जे काल्हि बच्चा छल ओ आइ जबान भऽ गेल, तहिना जबान
प्रोढ आ क्रमश: बुढ़ भऽ गेल। ई प्रक्रिया तेहेन निरन्तर ओ सतत अछि जे हरषट्ठे किनको बुझए-मे नहि आबि
सकैत अछि, जे की भऽ रहल छै, केना भऽ जाइ छइ। सेहो तेहेन जे जँ पाछू उनैट ताकब तँ तकिते रहि जाएब। आइसँ
चालीस वा तीस साल पूर्व जे सभ गाममे कहबैका छला, धन-सम्पैत, प्रतिष्ठासँ
ओत्-प्रोत् छला, आइ तिनकर नामो निशान नहि अछि। गाम वएह अछि, जगह वएह अछि, घरो वएह अछि, मुदा लोक गायब
अछि।
केकरा लग बैसब, केकरासँ कहबै
मोनक गप, केकरासँ सहानुभूतिक अपेक्षा करब, केकरा उपलब्धिक
समाचार लऽ कऽ जाएब। तकलोपर कियो नहि भेटत। एक-एक-केँ सभ गुजैर
गेल, आ गुजरलो जा
रहल अछि। तथापि वातावरणमे दम्भ, अहंकार आ प्रतिशोधादिक वृति ओहिना देखल जा सकैत अछि।
फल्लाँ बाबूजी हमर पुरखाक अहित केलाह, अपमानित
केलाह, आब हमहूँ
देखा देबइ...। ऐहन चक्करमे पुश्त-दर-पुश्त लोक
अपसियाँत अछि। आधुनिकताक प्रचण्ड बिहाड़िमे पूरातनक वैमनस्यताकेँ हिलाइये ने सकल
आ लोक छोट-छोट बातपर गोलबन्द भऽ जाइत अछि।
पतझड़ अबिते गाछसँ पात सभ
खसि पड़ैत अछि। गाछ सुन्न भऽ जाइत अछि। ठूठ गाछकेँ देख कऽ छगुन्ता लागि जाइ छइ।
लोक ठिठैक जाइत अछि। परन्तु प्रकृति आगू बढ़ैत अछि। क्रमश: एक-एक डारिमे
हजारो नव पम्ही निकलै छइ। हरियरी फेरसँ ओइ गाछकेँ आवृत कए लैत अछि। हरियर कंचन नव-नव पल्लवसँ
सम्पूर्ण नव कनियाँ जकाँ प्रकृति ओइ गाछकेँ एश्वर्यमयी कए लैत अछि। गामोमे सएह
होइत अछि। पुरान-पुरान लोक सभ क्रमश: गुजैर गेल। नव-नव लोक घरे-घर पसैर गेल।
प्रवासी लोक जखन गाम जाइ छैथ तँ अपने गाममे अनचिन्हार भऽ गेल छैथ। मुदा ई समयक
प्रभाव अछि। जइ एकपेरियापर चलैत बच्चामे दोस्त सभसँ झगड़ा भऽ जाइत छल, जैठाम बैस
घन्टो गप करैत रहै छेलौं, जैठाम जाइते अपनत्वक बोध होइत छल ओ सबटा आइ लुप्त भऽ गेल। रहि गेल अछि
मोनमे ओइ सबहक एकटा सुखद स्मृति।
गाममे कामरेड
सभ तूफान केने रहैत छला। गामक आन्दोलनके ने जरि छल ने फुनगी। बेकतीगत ईर्ष्या-द्वेषकेँ
ठेकाना लगेबाक एकटा साधन छल ओ आन्दोलन। किछु युवक सभ अपने टोलक सुखी परिवारक
जमीनपर तरह-तरह केर फसाद करैत रहै छला। ओ नीक छला, खराप छला, जे छला मुदा
ओइ आन्दोलनक किछु परिणाम नहि भेल, सिवाय ई जे
लोक तंग भेल। जमीनमे उपजावारी कम भेल, गामक वातावरण
दुषित भेल। आ अन्तमे ढाकक तीन पात। ओ युवक सभ अन्तत: गाम छोड़ि
रोजी-रोटीक परियासमे बाहर चलि गेला। गाम फेरसँ शान्त भऽ गेल, पुरनका रस्तापर
चलए लगल।
बात-बातमे दुगोला
कऽ लेब, खएन-पीन बन्द कऽ लेब आम बात छल। हम सभ जखन बच्चा रही तँ आधा गामसँ बेसी
दुगोला रहइ। कहि नहि, कखन कोन बातपर मतान्तर भेल आ भऽ गेल दुगोला। बहुत दिनक बाज जा कऽ केना-ने-केना आपसी
सहमति भेल। किछु युवक सबहक परियाससँ गाममे एकगोला भेल। सभ कियो एक-दोसरक ओइठाम
नौत-पेहानी शुरू केलक। कमो-बेसी अखनो
एकगोला चलि रहल अछि।
दुगोलाक तेतेक प्रभाव रहै जे
लोक सभ एक्के गाममे फराक-फराक रहैत छल। हमर सबहक घरक पछुआरमे किछु घर अछि, मुदा बच्चामे
कहियो आपसी आवागमन नहि देखए-मे आएल। ओइठाम
एकटा इनार रहइ जेकर पानि बहुत स्वादिष्ट छेलइ। पानि भरए लोक ओतए जाइ छल, हमहूँ कएबेर
गेल रही, मुदा आन सम्पर्क नहि छेलइ। ऐ तरहक स्वत: घोषित
प्रतिवन्धित क्षेत्रक यथार्थमे मनुखक अहंकार, ईष्या-द्वेष, प्रतिशोध रहैत
अछि। ऐ तरहक
निषेधात्मकताक कोनो सुखद परिणाम केतए होइत? गाममे रहितो
छी आ नहियोँ छी। मुदा आब तँ एकगोलाक अछैतो गामक परिदृश्य बदैल गेल अछि। आपसी सम्पर्क
कम भऽ गेल अछि। लोक शहरे जकाँ चुप्पा-चुप्पी अछि।
एक दिन हम अपन घरक ओसरापर
बैसल रही कि अवाज भेल ‘तर्राक तर्राक..!’
एक वृद्ध बेकतीपर एक पहलवान
टाइपक बेकती तर्रातर लाठी बरसा रहल छल। हे राम! कियो ओकरा
रोकै नहि छल। की भऽ गेलै ऐ गामकेँ........?
कहैले सभ गौवें अछि। कोनो-ने-कोनो तरहेँ एक-दोसरसँ जुड़ल
अछि, एक-दोसरक सम्बन्धी
अछि, तखन एहेन
दृश्य। भऽ सकैए ओइ वृद्धसँ किछु गलती भऽ गेल होइक, मुदा तेकर
प्रतिफल एहेन हिंसात्मक तँ नहि हेबाक चाही। मुदा की हेबाक चाही आ की भऽ रहल अछि? देखैत रहू, चुप रहू नहि
तँ ई लाठी छिटैक कऽ अहूँपर लागि सकैत अछि….। आठ-दस लाठी खेलाक
बाद केना-ने-केना ओ भागि सकला कि लोक बँचा देलकैन से तँ आब मोन नहि अछि, मुदा ऐ
घटनाकेँ बिसरलो नहि भऽ रहल अछि। लाठी चलौनिहार बेकती आब दुनियाँमे नहि छैथ, लाठी खेनिहार
सेहो नहि छैथ, मुदा ओ दृश्य पता नहि केतए-केतए आ केकरा-केकरा दिमागपर
अंकित अछि। कम-सँ-कम हम तँ नहियेँ बिसैर सकलौं। ३५-४० वर्ष
पूर्वक ई घटना थिक।
जइ गाममे हम बच्चा रही, युवक भेलौं आ
पढ़लौं-लिखलौं । रोजी-रोटीक जोगारमे लोक गामसँ बहराएल। तैयो लोक अबै-जाइत तँ रहबे
करए। मुदा क्रमश: ई रफ्तार कम भेल। गामक परिवेश बदलैत रहल। गामक गाम परदेशी (प्रवासी)क एकटा जबरदस्त
हुजुम भऽ गेल। आब गाम जा कऽ ओ सभ किंकर्तव्यविमूढ़ भऽ जाइत अछि। जे गाममे रहि
गेला से बाबा वैद्यनाथ जकाँ तेहन कऽ जमि गेल छैथ जे हुनका उखाड़ब कोनो रावणक बसक
नहि रहि गेल अछि। तमसा कऽ औंठा गाड़ि देबै तँ गाड़ि दियौं, ओ धँसि जेता
मुदा उखड़ता नहि। अपनाकेँ अहाँ केतए ठाढ़ करब? अहाँ लग के
रहत? अहाँसँ केकरा
की लाभ हेतइ? अहाँ तँ चलि जाएब। फेर तँ हमरा ऐठामक लोकसँ निपटक अछि, अही
अन्तर्द्वन्दसँ अभिभूत गामसँ अपनो लोक बहरियासँ कात भऽ जाइत अछि।
ऐ प्रसंगमे किछु दिन पूर्व
एकटा खिस्सा पढ़ए-मे आएल जे बहुत प्रासंगिक लगैत अछि। एकटा हंसक जोड़ा राति भेलापर एकटा
गाछपर टीक गेल। ओइ गाछक खोदमे एकटा उल्लू रहैत छल। रहि-रहि कऽ ओ अवाज
देबए लगइ। हंसक जोड़ा राति भरि ओइ कर्कस अवाजकेँ सुनैत-सुनैत तंग भऽ
गेल। ओकरा बुझेबे नहि करै जे ई उल्लू एतेक अवाज किएक कऽ रहल अछि। भोर भेने हंसक
जोड़ा गाछपर सँ विदा होइत छल कि उल्लू आगू आबि कऽ रस्ता छेकि लेलकै आ कहलकै-
“खबरदार जँ
आगाँ बढ़लह! ई हंसिनी हमर अछि। ई हमरे संगे रहत।”
हंसकेँ ठकविदोर लागि गेल।
जोरसँ चिचिया उठल। उल्लूकेँ चेतौलक। मुदा उल्लू टस-सँ-मस नहि भेल।
कहलकै जे पंचैती करा लएह। हंस ऐ बातसँ सहमत भऽ गेल। पंचायतमे सभ पंच सर्व सम्मतिसँ
फैसला कऽ देलक जे हंसिनी, उल्लूक पत्नी अछि आ ओकरे संगे रहत। हंस अवाक् ..।
अन्तमे ओकरा उल्लू बुझौलकै-
“देखलहक केहेन
गाम छइ? ऐठामक पंच वएह कहतै जे हम चाहबै। कारण हम ऐठाम रहै छी। तूँ परदेशी छह।
कनीकालमे उड़ि जेबह। तँए तोहर के संग देतह। जायज-नजायजक
चक्करमे के पड़त? अही दुआरे हम तोरा राति भरि चिकैर-चिकैर कऽ कहैत
छेलियह जे ऐ गामसँ दूर चलि जाह। ऐठाम तोहर कियो नहि हएत। मुदा तूँ नहि बुझलह। आबो
भागि जाह।” ई कहि उल्लू हंसिनीकेँ मुक्त कऽ देलक आ हंस हंसिनीकेँ लऽ ओतए-सँ तेना भागल
जे फेर उलैट कऽ नहि तकलक।
गाम घरमे दियादीमे कोनो
मतान्तर भेल कि दियादनीकेँ डाइन घोषित कऽ देल जाइत अछि। तेकर बाद तँ एकर तेहेन
चक्रव्यूह बनैत अछि जे ओइ तथाकथित डाइनक जीवन नर्क भऽ जाइत अछि। अपनो लोक सभ
ओकरासँ कन्नी काटए लगैत अछि। ओकरा हाथे चाहो-पानि पीबैमे
संकोच होमए लगैत अछि। जेतइ बैसू ऐ बातक कानाफुसी हएत। तरह-तरह केर अबलट
सभ सुनैमे औत। अरे, फँल्लीं तँ गाछ हँकैत अछि! राति-के नँगटे नचै
छइ। ओकरा तँ ब्रह्म-पिचास पोस छै, इत्यादि।
तरह-तरह केर अफवाह निरन्तर चलैत श्रृँखलाक ने आदि होइत अछि आ ने अन्त।
ऐ तरहक अफवाह ओ दोषारोपणक
कोनो अन्त नहि अछि। केकरो पेटमे दर्द भेलै तँ डाइन कऽ देलकै, केकरो बच्चा
बेमार भेलै तँ डाइन अगिनवान फेक देलकै। माने जेतेक जे कष्ट भेलै से वएह कऽ देलकै।
ऐ वैज्ञानिक युगमे लोक केतए-सँ-केतए चल गेल
मुदा अपन ग्रामीण समाज अखनो सैकड़ो साल पूर्वक
मानसिकतासँ मुक्त नहि भऽ सकल। गाममे केकरो घरमे चोरी भऽ गेल रहइ। चोरकेँ पकड़बाक
हेतु बट्टा चलौल गेल। मूसक बिलसँ निकालल गेल माटिकेँ मंत्रा कऽ बट्टापर फेकल जाइक,आ ओझा-गुनी ओइ
बट्टाकेँ कटकटा कऽ धेने रहइ। मंत्रोक प्रभावसँ बट्टा शुर्र-दे चलए लगइ, चोरक दिशामे।
लोक सभ, खास कऽ बच्चा सभ पाछाँ-पाछाँ भागैत।
बट्टाक दिशा देख अनुमान लगौल जाइत जे चोर केमहर गेल। गाममे सबहक माथा अपना-अपना तरीकाक
होइत अछि। जेकरे कहबै जे ई सभ फुसि थिक, अहींक उपहास
करए लागत। बट्टा चला कऽ चोर पकड़ब आ झाड़-फूक कऽ साँपक
बीख उतारब आम बात छल। एकबेर हमहूँ अपन अनुजक संग दस बजे रातिमे साँपक बीख झाड़ैबला
केँ–चटिवाह कहल
जाइए–बजबए कलमे-कलम तकने
फीरी। बाबूजीकेँ साँप काटि लेने रहैन। बहुत परियासक बाद ओ भेटला, उलटन्त बेग
पलटन्त बेग..., किदैन-किदैन कऽ कऽ साँपक मंत्र पढ़ि-पढ़ि बाबूजीक
टाँगपर चाटी-पर-चाटी पड़ल ओ बँचि गेलाह। असलमे ओ साँप ढोढ़ रहइ, तर्थात्
विषहीन साँप।
हाइस्कूलक कोठरीमे तीन
गोटेकेँ पुलिस पकैड़ कऽ बन्द कऽ देने रहइ। गाम-गामसँ लेाक
करमान लागि गेल छल। जेना-तेना केबाड़सँ लटैक कऽ, खिड़की बाटे, देबालक
फट्ठाक भूरसँ ओकरा सभकेँ लोक एक बेर देखए चाहैत छल। असलमे बात ई भेल छल जे तीनू
मिलि कऽ एकटा युवतीक बलात्कारक बाद हत्या कऽ देने छल। ओ युवती आसेपासक छल। घास
काटैले घरसँ खुरपी ओ छिट्टा लऽ निकलल छल। रातियो भेलापर घर आपस नहि गेल, तँ खोज-पुछारि शुरू
भेल। प्रात:काल महींस चरबैबलाकेँ ओकर लाश कलममे भेटलै। गर्द पड़ि गेल। पुलिस-थाना भेल आ
शीघ्रे तीनू अपराधी पकड़ल गेल। ओइमे दूटा तँ ओइ महिलाक टोलेक छल आ तेसर अधवयसू कण्ठीधारी
पड़ोसी टोलक छल जे घटनाक समय ओतए आबि गेल छल आ दुर्भाग्यवश ओइ अपराधमे सहयोगी भऽ
गेल । तीनूकेँ आजन्म कारावास भेल। साले-साल ई दृश्य
हमरा मोनमे उभरैत रहल, कचोटैत रहल जे केना एकटा मेहनतकश महिलाक अकाल मृत्यु भऽ गेल। ओइ महिलाक
पिता मजदूर छल। हमरा गाममे बरोबरि मजदूरी करए अबैत छल। अपन कन्याँक हत्या दुखसँ
सालो ओ शोक-संतप्त रहल। ग्रामीण परिवेशमे ओइ तरहक घटना कमे सुनबामे अबैत छल। मुदा
मनुखक प्रवृतिक कोन ठेकान? कखन ओकरापर पैशाचिक पशुवृत्ति हाबी भऽ जाएत..?
आजन्म कारावास काटि कऽ ओ सभ
फेर घुरि आएल। फेरसँ अपन रोजी-रोटीमे लागि
गेल मुदा ओइ बापकेँ बेटी आपस नहि आएल। ई घटना आइसँ पचास साल पूर्वक अछि, मुदा लगैत
अछि जे ओकर माए-बाप अखनो ओइ स्कूलपर ओहिना छाती पीट रहल हो, ओकर करुणामय
चीत्कार जेना परोपट्टामे ओहिना पसैर गेल हो।
हम सभ मैट्रिकक परीक्षा देबए
गेल रही तँ एक्के संगे कएगोटा डेरा लेने रही। ओइमे एक गोटे रहिका उच्च विद्यालयक
छात्र हमरे सबहक संगे रहैथ। कारी, सुगठित शरीर, मझौल कद-काठी। जहन
नौकरी करैत इलाहावादमे रही तँ छुट्टीमे गाम आएल रही। बहुत दिन बाद फेर हुनकासँ
भेँट भेल रहए। आसेपासक गाममे ओ प्राइमरी स्कूलमे शिक्षक रहैथ। कोनो बात लऽ कऽ
गौंआँ सभसँ मतभेद भऽ गेलैन। गौआँ सभ हुनका स्कूलेमे घेर लेलकैन। अपन जान बँचबए
हेतु ओ कोठरीकेँ अन्दरसँ बन्द कए लेलाह। मुदा भीड़ बढ़िते गेल। हुनका ओ सभ मारि
देत,ऐ डरसँ ओ एकटा
बच्चाक गरदैनपर छुरी धऽ कऽ लोककेँ डराबए लगलखिन। लोक सभ पुलिसकेँ बजौलक। पुलिस
आबि कऽ हुनका कोठरी खोलबाक लेल कहलकै आ आश्वासन देलकै जे हुनका किछु अहित नहि
हएत।पुलिसक आश्वासनक बाद ओ कोठरी खोलि देलखिन। कोठरी खुजिते यए-ले, वए-ले सैकड़ो लोक
पुलिसक सामने हुनका पीटए लागल आ तेतेक पीटलक जे ओ ओहीठाम बेहोश भऽ कऽ खसि पड़लाह आ
अस्पताल जाइत-जाइत हुनकर देहावसान भऽ गेल। सम्भवत: ग्रामीण सभसँ
हुनकर विवाद पढ़ाइ-लिखाइ किंवा धिया-पुताकेँ डाँट-डपट लऽ कऽ भेल
रहए,मुदा ओ विवाद
बहुत आगू बढ़ि गेल आ असमयमे हुनकर जान चलि गेल।
कहुना कऽ जीवन-यापन करबाक परियासमे
तत्पर एकटा युवकक एहेन दुखद अन्त मनुखतापर प्रश्नचिन्ह अछि। निश्चित रूपसँ ओ
अपराधी प्रवृतक लोक नहि छल। अनुशासनमे विद्यार्थी सभकेँ राखए चाहैत छल। गलत सही
किछु विवाद भऽ गेलइ। ओकरासँ घबराहटमे गलती भेलै जे बच्चाक गारापर छुरी रखि कऽ आत्मरक्षा
करबाक व्योँत तकलक मुदा बच्चाकेँ कोनो क्षति नहि केलकै। मुदा भीड़ तँ आशानीसँ उभैर
जाइत अछि आ एहेन घटित भऽ जाइत अछि जेकर कल्पनो असंभव।
किछु दिन पूर्व गाममे रही तँ
बरियाती आएल रहइ। हमरा जेबाक इच्छा भेल मुदा हमर अनुज कहला जे हकार नहि अएलैक अछि।
एवम् प्रकारेण सम्पर्ककेँ सीमित कए शान्ति स्थापनाक परियास गामक मौलिकतापर
आधुनिकताक जबरदस्त आधात अछि। जीवन-यापन फिराकमे
गाम-घर छोड़ि सालक-साल परदेश रहए पड़ल। पहिने गाम जेबाक क्रम बेसी रहैत
छल जे क्रमश: कम होइत चल गेल। गाम जाइतकाल केतेक मनोरथ रहैत छल। अपन गाम जा रहल छेलौं।
महिनोसँ ओकर तैयारी होइत छल। मुदा गाम जाइते होइत जे कखन आपस चली। गामक लेखे ओझा
बताह आ ओझा लेखे गाम बताह। गाम जाइते तरह-तरह केर
अपेक्षा, उपेक्षाक संग सामंजस्यक अन्तर्विरोध बढ़ैत गेल। अपनत्वपर अपेक्षा भारी
होइत गेल। सभ किछु होइते पू. माएकेँ हँसैत, आनन्दित ओ
भावनापूर्ण दर्शनक संग यात्राक संतुष्टिवोध होइत छल मुदा आब तँ ओहो नहि रहली! ने हमर दोस्त सभ
रहला। एकटा घनिष्ट मित्र सालो पूर्व गुजैर गेला। किछु गोटा हमरे जकाँ प्रवासी भऽ
गेला। किछु गोटे जे बाँचल छैथ, सेहो गुम्म पड़ि गेल छैथ..!
क्रमश: असगर होइत
जीवन यात्रामे गामकेँ बिसैर जाएब आसान नहि अछि, मुदा समयक
तेतेक पैघ अनतराल बीचमे गुजैर गेल जे अपने गाम ‘अनचिन्हार’ भऽ गेल। युवक
सबहक परिचय हेतु ओकर बाबाक नाओं पूछए पड़ैत अछि। परिवेशक जटिलताक संगहि अपनत्वक
परिभाषा बदैल गेल अछि। सही बात बजनिहार नहि रहि गेल अछि। ऐ सबहक अछैत हम गाम अबैत-जाइत रहै छी।
मुदा आन-आन लेाक जेकरा अपेक्षा कम वा नहियेँ रहैत छइ, ओ भेँट
भेलापर कएक बेर अद्भुत आनन्द कए दैत अछि। एहने उदाहरण एकबेर गाम अबिते भेल। गाममे
प्रवेश केनहि रही की एकटा गामक हलुआइ भेटल। मिठाइ बना कऽ जाइत रहए। तर्र-दे मिठाइ
निकालि कऽ आग्रह करए लागल, हाल-चाल पूछए लागल। ओकर सद्भावना सदिखन मोन पड़ैत रहैत अछि।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें