राँची चारि दसक बाद
अगस्त १९७३ इस्वीमे दूरभाष
निरीक्षक पदक प्रशिक्षण कार्यक्रमक हेतु हम पहिल बेर राँची गेल रही। ओइ समय डॉ.
शुभद्र झाक संगे योगदा सतसंग मठमे हम एक मास रही। शुभद्र बाबू योगदा महाविद्यालयक
प्राचार्य रहैथ। प्राचार्यक निवासमे ओ एकटा नोकरक संग असगरे रहैथ। तीनटा कोठरी, भानसक घर, स्नान गृह आदि
सुविधाक सहित आवासीय दृष्टिसँ उत्तम स्थान छल। आस-पासमे आमक गाछ सभ छल। गाछक
आस-पासमे कुटी जकाँ कक्षा सभ चलैत छल। अन्दरमे योगदा सतसंग मठ छल। ओइ आश्रमक
सात्विक वातावरण अत्यन्त मनोरम छल आ हमरा ओइठाम मोन लागि गेल।
पहिल बेर राँची गेल रही तहिया
हमर उमेर २१ वर्ष छल। जीवनक अनुभव नहि छल। विद्यार्थी रही। तेकर बाद नोकरी भेट गेल
रहए। नोकरी करबाक इच्छा नहि रहए। आगू पढ़ाइ करए चाहैत रही। परन्तु परिवारमे सबहक
विचार भेलै जे नोकरी पकैड़ लेबाक चाही, किएक तँ नोकरी जल्दी नइ भेटै छइ। पहिल नोकरीकेँ नहि
छोड़क चाही,आएल लक्ष्मीकेँ लात
नहि मारी इत्यादि...।
ओहुना ओइ साल एम.एस-सी.क
नामांकन भऽ गेल रहइ। हमर सबहक परीक्षाकाल बिलम्बसँ आएल रहइ। तँए ई निर्णय भेल
हम नोकरी पकैड़ ली।
बससँ राँची पहुँचल रही। रस्तामे
पहाड़ीक बीचमे खतरनाक रस्ता छल। ड्राइभरक ऊपर सबहक जीवन निर्भर छल। तँए ओ अपना
लगक सीटपर एहने लोककेँ बैसबैत छल जे राति भरि जागि सकैथ। औंघाइत बेकतीकेँ लगमे
बैसलासँ ड्राइभरोकेँ औंघी लागि सकै छल, अस्तु ई प्रयास कएल जाइत छल।
राँची पहुँचते पिताजीक पत्रक
संग शुभद्र बाबूक डेरापर पहुँचलौं। ओ पत्र पढ़ला आ हमरा अपन सामान सभ रखबाक हेतु
कहलैन।
शुभद्र बाबूकेँ एकाध बेर
पहिनौं देखने रहिऐन, मुदा
गप-सप्प नहि रहए। राँची हुनक डेरापर सामान सहित बिना पूर्व सूचनाक हम पहुँच गेल
रही। ताहि हिसाबे ओ बहुत सहयोग केलाह। डेरामे ओ असगर रहैत छला, एकटा नोकर रहैन जे
घरक सभटा काज करैत छल। भानस ओ स्वयं करैत छला। एक्के साँझ। रातिमे खेबाक बेवस्था
सेहो भोरुके भानसक संग कऽ लैत छला। चूँकि ओ अपने दिन भरि व्यस्त रहैत छला, तँए हुनकासँ
भेँट-घाँट सामान्यत: साँझेमे होइत छल। रातिमे सुतबासँ पूर्व ओ स्वाध्याय करैत
छला। हमरा रात-बिराति पढ़ैत देख ओ बहुत प्रसन्न होइत छला। कखनो काल हम नोकरीसँ त्यागपत्रक
गप करी तँ ओ कहैथ जे बापसँ पुछि कऽ किछु करियह। नहि तँ ओ कहता जे मनो नहि केलखिन।
ओइ डेरापर हम करीब एक मास
रहलौं। मोन लागि गेल रहए। कएटा मैथिल सभसँ ओइठाम भेँट-घाँट होइत रहैत छल। मुदा
ओइठाम केतेक दिन रहितौं? अपन बेवस्था तँ करबाके छल। तँए डेरा तकैमे लागि गेलौं।
योगदा सत्संगमे दयामाताक
आगमन भेल छल। हम डाक्टर साहैबक संगे दर्शनक हेतु गेल रही। गौर वर्ण एवम् अति
तेजस्वी दयामाताक दुलर्भ दर्शन होइते मोन आनन्दित भऽ गेल। ओ कोनो प्रवचन नहि
देलीह। किछु काल सभ गोट धियान केलक आ सभा समाप्त भऽ गेल।
गप-सप्पक क्रममे शुभद्र बाबू
एक दिन कहला जे ओ सिड़डीक साई बाबासँ बहुत प्रभावित भेल रहैथ। हुनकर आश्रममे
शुभद्र बाबू गेल रहैथ। कहला जे हुनका मोनक बात सभ ओ अपने बाजए लागल रहैथ। कएक तरहक चमत्कार
सेहो ओ देखला। चूँकि हुनकर डेरा छोट छल, आ परिवारक अन्य सदस्य लोकनि सभ आबि गेल रहथिन, अस्तु हम अपन डेरा
ताकि लेलौं आ करीब एक मास रहला पछाइत ओतए-सँ प्रस्थान केलौं।
पहिरन-ओढ़नमे शुभद्र बाबू
चुस्त-दुरुस्त ओ आधुनिक वस्त्रक पक्षधर रहैथ। हमरा ऐ बातक हेतु ओ कएक बेर
टोकियो दथि। कहैथ जे ओ एकठाम साक्षात्कारमे भेष-भूषाक कारण छाँटि देल गेला।
राँचीक संस्कृत कौलेजक पास
हमर नव डेरा छल। एकटा कोठरी छल, जेकर किराया २० रूपैआ मासिक छल। भोजन स्वयं बनाबी।
पानि इनारसँ निकालए पड़इ। बहुत गहींर इनार छल जइसँ पानि निकालबाक हेतु यथेष्ट
प्रयास करए पड़ैत छल। बगलमे एकटा पैघ कोठरीमे चारिटा हमर सहकर्मी सभ मिलि कऽ रहै
छला। ओहो सभ अपन भेाजन स्वयं बनाबैथ। ओइठामसँ एच.इ.सी. आसानीसँ देखाइ छल। ओइ
छोटसन कोठरीमे हम पाँच मास धरि रहलौं। टेलीफोन एक्सचेंजमे प्रशिक्षण कार्यक्रम
छल। प्रशिक्षणक वातावरण स्कूले जकाँ छल। ज्यादातर किताबी विषय पढ़ौल जाइत छल।
प्रशिक्षणक दौरान रबि दिनक
छुट्टी रहै छल। ओइ समयक उपयोग हम सभ आसपासक वस्तु सभ घुमै-फिरैमे करी। कहियो काल
बी.आइ.टी. मिसरा जाइ। ओइठाम हमर स्कूलिया संगी इन्जिनियरिंगक पढ़ाइ कए रहल छला।
छात्रावासमे रहबाक आ खेबाक-पिबाक उत्तम बेवसथा छल। चारूकात जंगलनुमा वातावरणमे
रचल-बसल ओइ कौलेज परिसर अत्यन्त सुखदायी छल। सभसँ आनन्द होइत छल अपन स्कूलिया
संगीसँ भेँट केलापर। हम सभ एक्के संग मैट्रिक केने रही। प्री यूनिभरसिटीमे आर.के.
कौलेज मधुबनीमे संगे रही। तेकर बाद हम सी.एम. कौलेज- दरभंगामे नाओं लिखेलौं आ ओ
बी.आइ.टी. मिसरामे। बेहतर परीक्षा परिणामक बाबजूद हम इन्जिनियरिंगमे नाओं नहि
लिखा सकलौं। यद्यपि मोतीलाल नेहरू इन्जिनियरिंग कौलेजमे हमर नामांकन निश्चित भऽ
जाइत, कारण ओइ समय नामांकन
डिग्रीवन साईसक प्राप्तांकक आधारपर होइत छल, आ हमरासँ बहुत कम प्राप्तांक
बला सबहक नामांकन भऽ गेल रहइ। मुदा आब ऐ विषयपर सोचब व्यर्थ। परिश्रम कखनो व्यर्थ
नहि जाइत अछि। ओही प्राप्तांकक आधारपर हमरा दूरभाष निरीक्षकक नोकरी भेल जेकर
प्रशिक्षणक क्रममे हम राँचीमे रही।
प्रशिक्षणक दौरान एक दिन घटल
दुर्घटना अखनो तक मोनमे कचोटैत रहैए। हमर सबहक बगलबला कोठरीमे टेलीफोन ऑपरेटरक
प्रशिक्षण चलैत छल। ओइमे एकटा प्रशिक्षु राजस्थानक छला। जाड़क मास छल। रातिमे अपन
डेरामे अंगेठी जरा कऽ सुति गेल रहैथ। प्रात भेने ओ जखन नहि उठला तँ अगल-बगलक लोक
सभ कोठरी खोललक तँ ओ मृत छला। अंगेठीसँ निकलल कार्वनमोनोक्साइड हुनकर मृत्युक
कारण भेल। गामसँ हुनकर पिता ई समाचार सुनि आएल रहैथ आ एक्सचेंजक एक कोणमे राखल
युवा पुत्रक लाश देख ठोह पाड़ि कऽ कनैत रहैथ। ऐ प्रकारेण जीवन-यापनक जिज्ञासामे
निकलल एकटा युवकक असामयिक , दुखद अन्त भऽ गेल।
नित्य प्रति चारूकात एहेन
केतेको घटना सभ घटित होइत रहैत अछि जे देख-सुनि मोनमे चिन्ता हएब सोभाविक। जीवन यात्रामे
ऐ तरहक घटना झकझोरि कऽ राखि दैत अछि, तथापि जीवनमे विश्वास एवम् नियतिक अकाट्यता मानि आगू
बढ़बे जीवन थिक। नीक काज करैत आगू चलैत चली, आगूक रस्ता अपने बनि जाइत
अछि।
एक दिन घुमैत-फिरैत हम सभ
राँचीक कॉंके स्थित पागलखाना देखए गेलौं। ओइठामक दृश्य भयावह छल। माथक गड़बड़ीसँ
मनुखक दुर्दशाक वर्णन असंभव छल। तरह-तरहक इशारा करैत, बड़बड़ाइत अपनेमे तल्लीन, सुखाएल, जीविते मरि गेल लोक
सबहक दृश्य देख हृदय करुणासँ भरि आएल छल। केतेको विक्षिप्त लोक सभ ठीक भऽ गेल छल, मुदा हुनक परिजन
कोनो खोज-पुछारि नहि कए रहल छल। ठीक-ठाक लोक सभ पागलखानामे पड़ल छल। आसपास विक्षिप्त
लोकक समुहकेँ देखैत-सुनैत केकरो माथा भसकियो सकैत छल।
ओइठामसँ गुजरैत मोनमे मानसिक
स्वास्थ्यक महत्व बुझाइत छल। व्यर्थ चिन्ता कए, किंवा परिस्थितिसँ सामंजस्यक
आभावमे केतेको लोक विक्षिप्त भऽ जाइ छैथ। शरीर व्यर्थ भऽ जाइत अछि। उचित देख-भालक
अभावमे स्वस्थो लोक क्रमश: रुग्ण भऽ जाइत अछि। कएक गोटा असमयमे मानसिक चिकित्सालयेमे
मरि जाइत अछि। मोनपर बेसी भार दऽ अपन दुर्गति कराएबसँ बँचब केतेक जरूरी अछि, से ओइठाम जा कऽ बुझाइत
छल। ओना,
आस-पासक
मनोरम पहाड़ी दृष्य मोनकेँ सुखद अनुभव दैत छल, मुदा ओइठामक मानसिक बिमारीसँ
ग्रस्त लोक सबहक दुर्दशा देख मोन खिन्न भऽ गेल छल। तँए जल्दिये हम सभ अपन डेरा
आपस आबि गेल रही।
टैगोर हिल राँटीक प्रसिद्ध स्थानमेसँ
अछि। ऐ स्थानक अपन ऐतिहासिक महत्व अछि। रबीन्द्रनाथ टैगोरकेँ के नहि जनैत अछि।
हुनक कविता संग्रह ‘गीतांजलि’क हेतु हुनका साहित्यक
नोवेल पुरस्कार भेटल छल। मुदा ई बात कमे लोक जनैत अछि जे कवि, गायक एवम् चित्रकारक
रूपमे रबीन्द्रनाथक बेकतीत्वक निर्माणमे हुनकर अग्रज ज्योतिन्द्रनाथ टैगोरक
बहुत योगदान अछि। ज्योतिन्द्रनाथ शान्ति ओ ध्यानक हेतु ‘मोहरावादी हिल’ राँचीक चुनाव केलाह
जे आब ‘टैगोर हिल’क नाओंसँ जानल जाइत
अछि।
१९१० इस्वीसँ १९२५ इस्वी धरि
असगरे रहि कऽ ओ शान्ति धामक स्थापना केलाह। ओइ समयमे राँची एकटा छोट-छीन गाम छल।
ज्योतिन्द्रनाथ अपन जापानी रिक्सासँ सायंकाल सभ दिन राँची घुमैत छला। ब्रिटिश
भारतक प्रथम आइ.ए.एस. सत्येन्द्रनाथ टैगोर पहाड़क जड़िमे छोट-छीन घरो बनौने रहैथ
जे सत्य धामक नाओंसँ जानल जाइत छल। वर्तमानमे ऐ स्थानक देखभाल राज्य पर्यटन
निगम द्वारा कएल जाइत अछि।
४३ बर्खक बाद भातिजक विवाहक
बरियातीमे शामिल हेबाक हेतु सपरिवार दिल्लीसँ राँची वायुयान द्वारा पहुँचलौं। २३
फरबरी २०१७ केँ ७:३५ बजे प्रात:काल वायुयानक उड़ानक समय छल। तीन बजे भोरेसँ तैयारी
प्रारंभ कएल। प्रात:कालीन दिनचर्या समाप्त कए पौने पाँच बजे भोरे हवाइ अड्डा हेतु
प्रस्थान कएल। साढ़े पाँच बजे हवाइ अड्डापर पहुँच सुरक्षात्मक जॉंच-पड़ताल ओ
सामानक ठेकान लागि गेलाक बादो हमरा लोकनिकेँ १ घन्टा समय छल। तेकर उपयोग
चाह-पीबैमे कएल गेल। हवाइ अड्डापर सभ वस्तुक दाम अतत: रहैत अछि। तैयो भोरक चाहक
प्रयोजन छल। घरसँ भोरे विदा भऽ गेल रही। तँए जे दाम लेलक से दऽ कऽ दूटा चाह कीनि
दुनू बेकती चाह पीबैत गप-सप्प करैत समय कटलौं।
राँचीमे वायुयान नियत समय
अर्थात् ९ बजे भोरे उतैर गेल। हम सभ कनिको थाकल नहि रही। सामान निकालैमे थोड़ेक
समय लागल आ बाहर होइते हमर अनुज हमरा लोकनिक स्वागत हेतु मुस्तैद छला। हुनका संगे
लाल गाड़ीपर बैस १५ मिनटमे हुनकर पटेल चौक, हरमू हॉउसिंग कालोनी स्थित
आवासपर पहुँच गेलौं।
ओइठाम पाहुन सबहक हुजुम छल।
हमर भाय सभ सपरिवार पहिनहि पहुँच गेल रहैथ। बरक मामा गामसँ तँ केके ने आबि गेल छल।
हुनकर नाना-नानीकेँ देख अतिशय प्रसन्नता भेल। ८२ वर्षक होइतो नाना थेहगर छथिन। ओ
दड़िभंगाक कादिरावाद स्थित उच्चविद्यालयमे प्रधानाध्यापकक पदसँ सेवा निवृत भेल
छैथ एवम् बहुत नफीस एवम् बेवहार कुशल बेकती छैथ। मुदा बरक नानीक स्वास्थ गड़बड़ाएल रहै छैन। किछु
मास पूर्व दड़िभंगामे बहुत जोर बेमार पड़ि गेल रहैथ, कहुना कऽ जान बँचलैन। अखनो
धरि वाकर पकैड़ किछु-किछु चलि पबै छैथ। नातिक बिआह देखबाक अति उत्साहमे सभटा
बिसैर ओ राँची आबि सकलीह से अद्भुत बात...। यद्यपि डेरामे लोक सभ खचाखच भरल छल, तथापि हमरा हेतु
रहबाक बहुत नीक बेवस्था छल।
राँची हवाइ अड्डासँ घर
अबैतकाल प्रसिद्ध क्रिकेट खेलाड़ी धोनीक आवाससँ गुजरलौं। कोनो बहुत विशिष्ट नहि
बुझाएल तथापि धोनीक घर हेबाक कारणे लोकमे ओकरा देखबाक उत्सुकता बनल रहैत अछि।
संगे रस्तामे बनल नव-नव कालोनी, आवासीय फलैट सभ देखाइत छल जेकर ४३ साल पूर्व
नामो-निशान नहि छल। ओइ समयमे जेतए जंगल छल, तैठाम महल सभ ठाढ़ देखलौं।
परिवर्तन एवम् विकास जीवनक परिभाषा थिक। मनुखक सोभाव अछि जे ओ निरन्तर आगाँ
बढ़ैमे लागल रहैत अछि। ओ गाछ जकाँ ठाढ़ नहि रहि सकैत अछि। मनुख चल प्राणी अछि। सोभावश
निरन्तर किछु-ने-किछुमे लागल रहैत अछि। यएह थिक ओकर विकास यात्राक अन्तर्रहस्य।
सोचियौ जे हमरा लोकनिक पूर्वजजँ यथास्थितिसँ संतुष्ट भऽ गेल रहितैथ तँ आइ हम सभ
रेल, हवाइ जहाज, कारमे चलि सकितौं? कदापि नहि।
संघर्षेसँ स्वर्णिम भविष्यक आवाहन होइत अछि। संघर्षे जीवन थिक।
कहबी छै जे ‘सफलता टीकासन चढ़ि कऽ
बजै छइ। वएह हाल धोनीक छइ। राँचीमे जेतै देखू, जेकरे देखू धोनीक नाओंसँ, ओकरासँ जुड़ल वस्तु
सभसँ अतिशय प्रभावित अछि। धोनी जइ स्कूलमे पढ़ला से प्रसिद्ध भऽ गेल। जइ घरमे छैथ
से प्रसिद्ध भऽ गेल। राँचीसँ ६० किलोमीटर दूरपर भगवतीक मन्दिर प्रसिद्ध भऽ गेल
अछि। सभ कहैत अछि जे धोनी राँची एलापर किंवा कोनो मैच खेलेबाक हेतु प्रस्थानसँ
पूर्व ऐ भगवतीक दर्शन अबस्स करै छैथ। तँए सभ ओइ भगवतीक दर्शनक हेतु उत्सुक रहै
छैथ। राँचीसँ हमरा लोकनिक ओइठामसँ सेहो किछु गोटे ओइ भगवतीक दर्शन करए गेला। हम सभ
नहि जा सकलौं मुदा मोनमे इच्छा तँ रहबे करए। ओना, जमशेदपुरसँ आपस अबैतकाल कियो
कहलक जे वएह ओ मन्दिर अछि जा दूरेसँ सही, भगवतीकेँ मोने-मोन प्रणाम
केने रही।
जमशेदपुरसँ आएल पाहुनक स्वागतमे
सभ मुस्तैद भेलैथ। बरक चुमौन भेल दुर्वाक्षत हेतु दुर्वाक्षतमंत्रक हम उच्चारण
कएल। बरक हाथ उठबए लेल कनियाँक पित्ती आएल रहैथ। बरक हाथ उठौला पछाइत सभ गोटे
बेराबेरी जमशेदपुर हेतु कारमे बैस प्रस्थान केलौं।
लगभग साढ़े तीन घन्टाक
यात्राक बाद हम सभ जमशेदपुरमे प्रवेश कए रहल छेलौं। जमशेदपुर हम पहिनौं रहल छी। मई
१९७४ सँ मार्च १९७५ धरि, दूरभाष निरीक्षक हम
ओहीठाम रही। बिस्टुपुरक मैदानमे जय प्रकाश नारायणजीक भाषण भेल रहइ। वर्षाक बाबजूद
सम्पूर्ण मैदान लोकसँ खचाखच भरल छल। जय प्रकाशजी राष्ट्र भरिमे आन्दोलन कए रहल
छला। ओही क्रममे जमशेदपुरक यात्रा छल।
जमशेदपुर पहुँच कऽ हमसभ
होटलमे विश्राम केलौं। सभ बरियातीक हेतु उत्तम बेवस्था छल। थोड़बे कालमे जलखै देल
गेल। पाकेट बन्द डिब्बामे नाना प्रकारक जलखैक वस्तु सभ राखल छल। पानिक बोतल
राखल छल। कोठरी सभमे टेलीवीजन, ए.सी. आदि-आदि सभटा सुविधा छल।
लगभग तीन घन्टा विश्रामक बाद
बरियातीक काफिला विवाह स्थली दिस विदा भेल। अद्भुत, रोमांचकारी दृश्य छल।
फटाकासँ अकास ओ धरती एक भऽ गेल छल। युवक सभ मनोहारी नृत्य कऽ रहल छला। थोड़बे
कालमे हम सभ विवाह स्थल पहुँच गेलौं।
मैथिल परंपराक अनुसार बरियाती
सबहक हार्दिक स्वागत कएल गेल। फेर बरियाती सभ अपन-अपन स्थान ग्रहण केलाह। मंचपर
बर कनियाँक माल्यार्पणक दृश्यक आनन्दक वर्णन करब शब्दक बसक बात नहि। तदुपरान्त
आज्ञाडाला आएल,
विवाहक
अनुमति प्रदान करक विध भेल। थोड़ेकालक बाद बर परिछन हेतु विदा भऽ गेला आ हम सभ
भोजनक हेतु...।
भोजनक उत्तम बेवस्था छल।
शकाहारी बहुत कम लोक छला। माछ सहित अन्यान्य आमिष वस्तुक भरमार छल।
विवाहमे बरियातीक हेतु एहेन उत्तम बेवस्था कम ठाम देखैमे आएल छल। भोजनोपरान्त
बहुत रास बरियाती विश्राम हेतु होटल आपस चलि गेला। हम अनुज सहित राति भरि विवाह स्थलीमे रहि गेलौं। कएटा विध सभ करक रहइ।
विवाहोपरान्त दुवोक्षत मंत्रक हेतु पुनश्च हम सभ उपस्थित रही। विवाह भऽ गेल।
लगभग पाँच बजे हम आपस होटल एलौं।
सरियातीक तरफसँ बहुत रास लोक
आएल छला। स्थानीय महत्वपूर्ण बेकती–एम.एल.ए.–आदि सभ सेहो आएल छला। दोसर दिन पुनश्च
बरियातीक भोजनक बेवस्था छल। अद्भुत बेवस्था छल।आमिष भोजी सबहक पाँव बारह छल।
शाकाहारी कम लोक छला। आ ओइठाम अलग-थलग पड़ि गेल रही। सभ तरहेँ सन्तुष्ट भऽ हम सभ
आपस जमशेदपुरसँ राँची विदा भेलौं। लगभग सात बजे हम सभ राँची डेरापर पहुँचलौं तँ
साँझक गीत भऽ रहल छल।
घरमे पाहुन सभ गजगज करैत छल।
लगभग दस दिन यएह हाल रहल। मुदा बेवस्थामे कोनो चूक नहि छल। केतेको कार्य कर्ता सभ
दिन राति चाह-पान,
भोजन, जलखै सबहक बेवस्थामे
लागल रहैत छला। द्विरागमन, चारिदिन बाद भेल। आ तेकर बाद स्वागत भोज। स्वागत
भोजोपरान्त तेतेक लोक छला जे गनब कठिन। नाना प्रकारक वस्तु खाइत रहू। चलैत रहू।
गप करैत रहू। बर-कनिया संगे फोटो खिचाउ,आ आगू बढ़ि जाउ। १२ बजे तक ई कार्यक्रम चलल।
विवाहोपरान्त बाँचल समयमे आस-पासक
प्रमुख स्थान सभकेँ देखबाक इच्छा भेल। तइ क्रममे ४३ सालक बाद दोबारा टैगोर हिल
देखए गेल रही। पहाड़ीपर चढ़ैले सीढ़ीमे किछु परिवर्तन बुझाएल। आस-पासक दोकान-दौरीक
संख्यामे वृद्धि बुझाएल मुदा ओइ स्थानमे कोनो गुणात्मक परिवर्तन नहि बुझाएल।
पहाड़ीपर ऊपर चढ़ि गेलाक बाद समूचा राँची शहरक परिदृश्य निश्चाय मनोरम लगैत अछि।
गाहे-बगाहे कियो-कियो देखए आबि जाइत छल। मुदा एतेक पैघ साहित्यकार, कलाकारक नाओंसँ
जुड़ल ऐ स्थानकेँ बेहतर स्थितक कामना छल।
ओइठामसँ लौटैत काल सड़कक काते-काते
तरह-तरहक दोकान सभ देखाएल। मुख्यमंत्री, राज्यपालक आवास देखाएल, मुदा हम सभ रूकलौं राक
गार्डेन लग। ओइ गार्डेनकेँ देख मोन प्रसन्न भऽ गेल। लगैत छल जेना बसन्त ऋृत
साक्षात्प्रकट भऽ गेल छैथ। तालाब किनार पहाड़ीक कछेरमे तरह-तरह केर सजावट प्रकृति
स्वयं कऽ देने छल।
गोंडा हिलक पासमे बनल राक
गार्डेन जयपुरक राक गोर्डेनक प्रतिकृति कहल जाइत अछि। एकर निर्माण गोंडा हिलक पाथर
सभसँ भेल अछि। मानव निर्मित जल प्रपात, चट्टान एवं शिम्पकल प्रकृतिक सौन्दर्यमे मानव
पुरुषार्थक समावेशक प्रमाण प्रस्तुत करैत अछि। राक गोर्डेन मात्र दर्शनीय स्थान
नहि अछि अपितु एकर सुरम्य ओ शान्त वातावरणमे आत्माकेँ एकटा सकून भेटैत अछि जे
आनठाम सुलभ नहि अछि। कॉके डैमक समीप हेबाक कारण एकर सौंदर्य अनायासे बढ़ि जाइत
अछि। धिया-पुताक संगे कखनो काल ऐठाम जा कऽ नीक समय व्यतीत कएल जा सकैत अछि। असगरो
जा कऽ आत्म चिन्तन एवम् शान्तिक अन्वेषण करबाक ई एकटा उपयुक्त स्थान अछि।
राक गोर्डेनमे हम सभ सपरिवार
वर्तमान यात्रामे गेल रही। अद्भुत आनन्दक अनुभूति भेल। यत्र-तत्र हरियर कंचन, रंग-विरंगी फूल, पाथर काटि-काटि कऽ
बनौल गेल तरह-तरह केर आकृति देख बहुत नीक लागल। किछुकाल बैस ओइठामक शान्ति ओ
प्राकृतिक सौंदर्यक आनन्द लऽ हम सभ आगू बढ़ि गेलौं।
राँची अपन आवो-हवाक हेतु
प्रसिद्ध छल। लोक स्वास्थ्य लाभ करबाक हेतु ओइठाम जाइत छल। मनोरोगी सबहक
प्रसिद्ध चिकित्सालय कॉके, राँचीमे अछि जेतए राँचीक सुरम्य वातावरणमे मनोरोगी
सभ मानसिक स्वास्थ्य लाभ करैत छल। आध्यात्मिक दृष्टिमे योगदा सत्संग केर
मुख्यालय राँचीमे अछि जैठाम गेलापर अखनो शान्तिक अनुभव होइत अछि। यद्यपि योगदा
सत्संग मंठ आब शहरक बीचमे भऽ गेल अछि, तथापि अखनौं आश्रमक अन्दर गेलासँ आनन्द होइत छइ।
योगदा आश्रमक स्थापना सन्
१९१६ मे परमहंस योगानन्द द्वारा भेल। ओ ऐठाम आश्रमक आलावा बालक सबहक हेतु जीवन
निर्माण विद्यालय एवम् क्रिया योगक प्रशिक्षणक बेवस्था केलैथ। योगदा आश्रममे ४३
सालक बाद फेरसँ पहुँच बहुत सन्तोष ओ आनन्दक अनुभव भेल। ओइठाम सभसँ पहिने योगानन्द
परमहंसक कक्ष देखलौं। ओइमे गुरुजीक किछु सामान सभ राखल अछि। हुनकर हाथ तथा पैरक निशान
अछि एवम् हुनकर महासमाधिपर सँ आनल गुलावक फूल राखल अछि। गुरुजीक आवासक समीप एकटा
लिचीक पैघ गाछ अछि जैठाम ओ बैस अपन विद्यार्थी सभकेँ प्रवचन करैत रहै छला। अखनो ओइ
गाछकक जड़िमे गुरुजीक चित्र राखल अछि। आगन्तुक सभ ओइठाम बैस धियान कऽ आत्मशान्तिक
अनुभव करै छैथ।
राँची आश्रमक विद्यालयक स्टोर
रूममे बैस गुरुजी कएक बेर आत्म चिन्तन करैत रहै छला।ओइठाम आइ-काल्हि स्मृति
मन्दिर बनल अछि। षटकोणीय उज्जर संगमरमरसँ बनल ऐ स्मारकक मुकुटपर सुन्दर कमल
बनल अछि।आश्रममे ध्यान केन्द्र अछि, जैठाम बैस लोक भोर-साँझ घन्टो धियान करैत अछि। अगल-बगलक तरह-तरहक वृक्ष सभ वातावरणकेँ अत्यन्त सुरम्य एवम् आकर्षक केने अछि।
तकैत-तकैत प्राचार्य निवास पहुँचलौं–जेतए ४३ बर्ष
पूर्व हम डॉ. शुभद्र झाक संगे एक मास रहल रही। ओ छोट सन भवन बन्द छल मुदा ओकर छबि
ओहिना छल। देख कऽ भूतकालक दृश्य फेरसँ आँखिक सोझमे आबि गेल। ओइठाम बरामदापर बैस
साँझ-के शुभद्र बाबू अध्ययन ओ चर्चा करैत छला।
आश्रमक एकभागमे प्रशासकीय भवन
अछि, जेकर नाओं शिवालय
थिक। ओतए जा कऽ किछु पोथी किनलौं, किछु जानकारी इकट्ठा केलौं। आ घुमैत-फिरैत हरमू हॉउसिंग
कालोनी स्थित अपन डेरा आपस आबि गेलौं।
एक दिन अहिना घुमैत-फिरैत
रामकृष्ण मिशन मठ पहुँच गेलौं। ओइ दिन रामकृष्ण परमहंसक जयन्ती मनौल जा रहल छल।
सत्संग भवन खचाखच भरल छल। अधिकांश बंगाली लोकनि गाहे-बगाहे मैथिली भाषी सेहो
देखेलाह। होमक बाद फूलसँ अर्चना भेल। भक्त सबहक हाथमे फूल देल गेल आ पूजोपरान्त
एकएक बेकतीक हाथक फूल एकटा अढ़ियामे एकट्ठा कएल गेल जइसँ केतौ मैलि नहि भेल। थोड़े
कालक बाद सभ कियो भंडारामे गेला जैठाम पुरनिक पातपर खिचड़ि देल जा रहल छल मुदा
मंगलक उपासक कारण हम फरिक्केसँ प्रणाम कए पुस्तकालय चलि गेलौं।
रामकृष्ण मिशन मठ, टैगोर हिलसँ लगे
अछि। सन् १९१३ इस्वीमे श्रीरामकृष्ण परमहंसक अनन्य हुनकर शिष्यमे सँ एक स्वामी सुबोधानन्द (खोका महाराज) क राँची
शुभागमन भेल। ओ किछु भक्तक संग टैगोर हिल पहुँचला। भोजनादिक उपरान्त पेयजलक
खोजमे वर्तमानमे रामकृष्ण मठ स्थित इनारपर पहुँचला आ ओकर पानिसँ अपन पियास
बुझौलैथ। ओइ इनारकेँ अखनो स्मारकक रूपमे बँचा कऽ राखल गेल अछि। ओइठाम किछुकाल ठाढ़ भऽ सोचैत रहि गेलौं जे करीब साए
साल पूर्व ई स्थान केहेन छल जे पानिक हेतु स्वामीजीकेँ एतए आबए पड़ल आ ऐगला सौ
सालक बाद पता नहि की रहत, की नहि रहत...।
राँचीक नवनिर्मित खेलगॉव सेहो
दर्शनीय अछि। तरह-तरहक खेलक हेतु प्रशिक्षणक बेवस्था ओइठाम अछि। ओइमे अनेकानेक
प्रकारक इन्डोर स्टेडियम अछि जेकरा देखैत बनैत अछि। स्वच्छ ओ रमणीय वातावरणमे
बनल ई खेल परिसर देखबामे बहुत आकर्षक अछि। मोन हएत जे घुमिते रही।
राँची शहरसँ आध घन्टामे हमरा
लोकनि विरसा जैविक उद्यान पहुँचलौं। उद्यानक अन्दर घुमबाक हेतु गाड़ी भेटै छै, मुदा जखन हम सभ
पहुँचलौं तँ सभ गाड़ी खुजि गेल रहइ। एक घन्टाक बाद गाड़ी भेटैत तँए हम सभ पएरे
उद्यानमे घुमबाक हेतु विदा भेलौं। तरह-तरह केर जीव-जन्तुसँ भरल उद्यानक हरियरी
देखैत बनैत अछि। सभसँ पहने हम सभ शुतुरमुर्ग देखलौं, तेकर बाद गरूड़। गरूड़ देख
आश्चर्य भेल जे विष्णु भगवान केना एकरा अपन वाहन बनौलथिन। क्रमश: हम सभ जाईट
हेरोन, परिया चील आ तेकर
बाद भारतीय बाघ देखलौं। बाघ ओइ बारक अन्दर लगातार घुमि रहल छल जेना कोनो शिकार
करबाक हेतु आतुर हो। कनी कालक बाद तेंद्दुआ, हरिण, भाउल, शाहिल, कोटरा, नील गाए अनेकानेक जीवजन्तु आ अन्तमे हाथी
देखलौं। हाथीकेँ महथवार शिक्षित कए देने रहइ आ ओ दर्शक द्वारा फेकल गेल रूपैआकेँ
शूरसँ उठा लैत छल। घुमैत-फिरैत अनेकानेक जीव-जन्तु देख सकलौं जे आइ तक नामो नहि
सुनने रही मुदा मोनमे ई सोचि दुख भेल जे स्वतंत्र रहैबला ऐ प्राणी सभकेँ मनुख
केना बान्हि देने अछि..!
स्वार्थक हेतु मनुख संतति स्वतंत्र
रहएबला जीव सबहक जिनगी नर्क कऽ देने अछि..! जंगलमे उन्मुक्त सदैत गरजैत-फरजैत रहएबला बाघ, चीता, भाउल इत्यादि सभ
जीव मनुखक आत्याचारक कारणेँ बेवस अछि। बाघकेँ बेवस ओइ वारमे घुमैत-फिरैत देख हम
अतिशय दुखी भऽ गेल रही।
“हे मनुक्ख! अहाँ अत्याचार, अहंकारपर विराम किएक
ने दऽ रहल छी? केतबा दिन एतए रहब? चलि जाएब दुनियासँ
तँ की छोड़ि जाएब? अत्याचारक मूक कथा? जे प्राणी प्रतिकार
नहि कऽ सकल, जे बाजि नहि सकल किंवा जेकर चित्कारक भाषा अहाँ बुझि नहि सकलौं आ
निर्दोष प्राणी सभकेँ सदा-सर्वदाक हेतु कारावासोसँ कठोर जीवन जीवाक हेतु विवस कए
देलौं? केना शान्ति हएत, एहेन अत्याचारी आत्मा
सभ?
“
अस्तु मानव समाजकेँ सोचबाक
चाही जे प्रकृति प्रदत्त सौन्दर्यक आनन्दक निवोध आनन्दक प्रयासमे ओकरा नष्ट
किएक कऽ रहल अछि??
लगभग चारि घन्टा धरि लगातार
चलैत रहलाक बाद हमसभ थाकि गेल रही, सुस्ताएब जरूरी बुझाएल। अस्तु वोटींग स्थान लग बनल
दोकानसँ पानि कीनलौं,
किछु खेबाक सामान सेहो लेलौं आ खाइत-पीबैत किछुकाल विश्राम करैत पुन: विदा भेलौं।
फेर नौका विहार हेतु टिकट लेलौं। नौका विहारक एहेन विचित्र बेवस्था आइ तक नहि
देखलौं। छोट सन एकटा नाव दऽ देलक आ कहलक जे एकरा अपने चलाएब। कोनो नाविकक बेवस्था नहि
अछि। परेशान भऽ गेलौं। नाव चलेबाक कोनो अनुभव हमरा नहि छल। चारि गोटे नावपर बैसल रही। बेवस्थापक सभ
बहुत हिम्मत देलक। तरह-तरहसँ प्रशिक्षित करबाक, बेझेबाक प्रयास केलक। मुदा
हमरा हिम्मत नहि होइत छल। मनमे होइत छल जे जँ कहीं नाव डुबि जाएत, चाहे किछु गड़बड़ भऽ
जेतै तखन तँ लेनीक-देनी पड़ि जाएत। तथापि बहुत हिम्मत कऽ ५-६ मीटर नाव खेबलौं। आगू बढ़बाक
हिम्मत नहि भेल आ बहुत प्रयासक बाद आपस आबि नावसँ उतैर गेलौं। उतैरते जेना
जान-मे-जान आएल। सभ कियो थाकि गेल रही। अस्तु बाहर आबि गाड़ीमे बैस कऽ आगू बढ़ि
गेलौं।
राँचीक जगर्न्नाथ मन्दिर
परिसरमे पहुँच आध्यात्मिक सुख भेटल। मंत्रोच्चार तथा भजनसँ वातावरण सुगन्धित
छल। मन्दिरक गर्भग्रिहमे बाहरे पण्डीजी
छला। रूपैआ देखैत हुनक अन्दर भाव बढ़ि गेल अन्यथा ओसोझ मुहेँ गपो करबाक हेतु
तैयार नहि रहैथ। किछु मंत्र पढ़ि हमरा लोकनिकेँ जगर्न्नाथजीकेँ पुष्पांजलि
दियौलैथ। तद्दुपरान्त मन्दिरक किछु जानकारी सेहो भेटल। भोज खेबाक हेतु ३० प्रति
बेकती एक दिन पूर्व जमा कराबए पड़ैत अछि तखने दोसर दिन बारह बजे भोग भेटैत अछि।
पूरीक जगर्न्नाथ मन्दिरक भोगक स्मरण भऽ गेल। मुदा ओइठामक भोग तँ उम्दा होइत अछि
जे खेलाक बाद आर किछु खेबाक इच्छा नहि होइत अछि- कहक माने जे भरिपेट्टा रहै छइ।
देखबा योग्य राँचीक आसपास
कएकटा डैम सभ अछि। आओर कएकटा ऐतिहासिक वस्तु सभ अछि, मुदा मोटा-मोटी हम खहरक
परिभ्रमण कऽ लेने रही। टेलीफोन एक्सचें, कचहरी, शहीद चौक, रातु रोड विश्वविद्यालय आदि-आदि मुख्य स्थान सभसँ
एकाधिक बेर भऽ आएल रही। ४३ साल बाद राँचीक स्मृति फेरसँ नूतन भऽ गेल आ एकटा अत्यन्त
संतुष्टिक भाव मोनमे भेल।
२ मार्च २०१७ इस्वीक भोरे
हमर सबहक दिल्लीक हेतु वायुयान छल। साढ़े सात बजे भोरे डेरासँ हवाइ अड्डा प्रस्थान
कएल। साढ़े नौ बजे दिल्लीक हेतु जहाज उड़ि गेल। एकटा मधुर स्मृतिक संग हम सभ
राँचीसँ दिल्लीक यात्रा सम्पन्न कए एक बजे घर आपस आबि गेलौं।
राँचीक एक सप्ताहक यात्रामे
भातिजक बिआह तँ देखबे केलौं संगे बहुत रास आनो-आनो चीज सभ देख सकलौं। एकबेर फेर
राँचीक स्मरण नवीन भऽ गेल छल।
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