मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

सोमवार, 13 मार्च 2017

दृष्‍टान्‍त  











 


दृष्‍टान्‍त  


१. दशरथ माँझी-

पृथ्‍वीपर एकसँ एक आश्चर्यजनक घटना घटैत रहैत अछि। मनुखक पुरुषार्थक परिणाम थिक जे लोक चन्‍द्रमापर पहुँच गेल, तरह-तरहक यंत्रक निर्माण करैत सौंसे दुनियाँक स्‍वरूपकेँ बदैल देलक। घरे-बैसल लोक अमेरिका, इग्‍लैंडक लोकसँ गप कए सकैत अछि, ओकरा देख सकैत अछि। किछु दिन पूर्व तक शायद जइ बातक कल्‍पनो ने केने हएत से सभ साकार भऽ रहल अछि। एहेन बहुत रास लोक भेला अछि जे अपन संकल्‍प-शक्‍तिसँ प्रतिकुल-सँ-प्रतिकुल परिस्‍थितिमे अद्भुत काज कऽ गेला। एहने किछु बेकतीक चर्चा हम एतए कऽ रहल छी।

बिहारक गेहलौर पहाड़ी क्षेत्रमे रहनिहार  दशरथ माँझीक पत्नीकेँ पहाड़ीपर चढ़ैतकाल चोट लागि गेलैन। डाक्‍टरसँ देखेबाक हेतु दशरथ माँझीकेँ ७० किलोमीटर पहाड़ीक चारूकात चलए पड़लैक। ऐ बातसँ क्षुब्‍ध भऽ ओ संकल्‍प केलैथ जे पहाड़ीकेँ आर-पार सीधा आवागमन हेतु रास्‍ता बनौल जाए। हुनका लगमे तीनटा बकड़ी छल। तेकरा बेचि कऽ छोट-मोट औजार कीनलाह आ असगरे पहाड़ीपर रास्‍ता बनबैमे लागि गेला। १९६० इस्‍वीसँ १९८२ वाइस सालक निरन्‍तर प्रयासक बाद ओ ऐ काजमे सफल भेला। भोरकऽ खेतमे हरवाही करैथ,आ तेकर बाद दुपहर राति धरि पहाड़ीकेँ तोड़ि कऽ रास्‍ता बनाबक प्रयास करैथ। पहाड़ीक चट्टानपर लकड़ी जरा कऽ ओकरा गरमा दैत छला। फेर ओइपर पानि ढारि दैत रहथिन जइसँ चट्टानमे टूटन भऽ जाइतछल। तेकर बाद ओ अपन छोट-मोट औजार सबहक सहायतासँ रास्‍ता बनाबैथ।


बिहार सरकार हुनका राजकीय सम्‍मानक संग अन्‍तिम संस्‍कार केलक। आब ओ पूरा दुनियाँमे पहाड़ी बाबाक रूपमे विख्‍यात भऽ गेल छैथ।

शुरूमे सभ दसरथ माँझीकेँ पागल कहइ। मना करै जे ओ काज होमए-बला नहि अछि, मुदा ओ अड़ल रहला आ मात्र हथौरी आ छेनीसँ पहाड़ी काटि कऽ एतेकटा रास्‍ता बनाबैमे सफल भेला। ◌



२. श्री लक्ष्‍मण राव-

दिल्‍लीक आइ.टी.ओ.क पास चाह बेचनिहार श्री लक्ष्‍मण रावक कथा केकरो हेतु प्रेरणादायी अछि।

श्री रावक जन्‍म २२ जुलाई १९५४क महाराष्‍ट्रक अमरावतीमे एक साधारण किसान परिवारमे भेल। १९६३ इस्‍वीमे मुम्‍बईसँ ओ हिन्‍दी माध्‍यममे मैट्रिक पास केलाह। बचपनमे श्री राव एकबेर पानिमे डुबि गेला। ओइ घटनाक दर्दनाक अनुभवकेँ लिपिवद्ध करबाक हुनका जबरदस्‍त इच्‍छा भेलैन आ ओ लिखए लगला। परिस्‍थितिवश ओ मैट्रिकसँ आगाँ नहि पढ़ि सकला। किछु दिन स्‍थानीय कपड़ा मीलमे काज केलाह। तेकर बाद ४० रूपैआक संग सन्‍ १९६५ इस्‍वीमे भोपाल चल गेला, जेतए किछु दिन मजदूरी केलाह मुदा मोनमे किछु करबाक छटपटाहट हुनका भोपाल छोड़ि दिल्‍ली लऽ अनलक। ३० जुलाई १९६५ क ओ दिल्‍ली आबि गेला।

रवि दिनकेँ दिल्‍लीक दरियागंज जा कऽ ओ पुस्‍तक आनैथ महात्‍मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, कार्ल मार्क्‍स, सेक्‍सपियर आदिक पुस्‍तक ओ अध्‍ययन केलाह। क्रमश: ओ दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय पत्राचार पाठशालासँ बी.ए. पास केलाह। राव अपन प्रथम उपन्‍यास नयी दुनियाँ की नयी कहानी १९६९ इस्‍वीमे लिखला मुदा कियो प्रकाशक ओकरा प्रकाशित करबाक हेतु तैयार नहि भेल। अन्‍ततोगत्‍वा ओ स्‍वयं अपन पुस्‍तकक प्रकाशन करए लगला।

लक्ष्‍मण रावजी तेकर बाद एक-सँ-एक पुस्‍तक लिखैत गेला। हुनक लेखनीसँ प्रभावित भऽ इन्‍दिरा गाँधीजी एवं भूतपूर्व राष्‍ट्रपति प्रतिभा पाटिलजी हुनकासँ भेँट केलकैन। हुनका इन्‍द्रप्रस्‍थ साहित्‍य अकादेमी पुरस्‍कार सेहो भेट चूकल अछि।

लक्ष्‍मण रावजीक पोथी सभ दिल्‍लीक पुस्‍तकालय एवं स्‍कूल सभमे भेटैत अछि।

अखन धरि ओ बीसटा पुस्‍तक लिखि चूकल छैथ। तैयो गुजाराक हेतु ओ चाह-पानक दोकान ओहिना कऽ रहल छैथ। हुनक ई दशा समाजमे रचनात्‍मकताक अवमूल्‍यन दिस इंगित करैत अछि।◌


३. श्री हरेकला हजब्वा :

मंगलुरूसँ २५ किलोमीटर दूरीपर अवस्‍थित नया पण्‍डु गामक रहनिहार हरेकला हजब्वाक तियाग ओ उपलब्‍धिक खिस्‍सा सुनि कियो सोचबाक हेतु विवश भऽ जाएत। ओ अनपढ़ छला। फल बेचि कऽ गुजर करैत छला। एक दिन एकटा विदेशी हुनकासँ फलक दाम अंग्रेजीमे पुछलक। ओ पढ़ल नहि छल। अंगरेजीमे पुछल गेल प्रश्‍नक उत्तर नहि दऽ सकल। आ ओ ग्राहक चलि गेलैक। ऐ बातक ओकरा मोनमे बहुत कचोट भेलइ। ओ ठानि लेलक जे अपन गाममे स्‍कूल स्‍थापित करत जइसँ कियो गामक बच्‍चा ओकरा सन अनपढ़ नहि रहि जाए...।

फलक बेचबासँ ओकरा रोजाना लगभग १५० रूपैआ आमदनी होइत छल। ओइमे सँ किछु पाइ बँचा कऽ तथा किछु कर्जा लऽ कऽ स्‍कूलक हेतु जमीन कीनलक आ क्रमश: ओइपर मकान बना कऽ स्‍कूलक स्‍थापना भेल। शुरूमे प्राइमरी स्‍कूल छल जेकरा बादमे बढ़ा कऽ हाई स्‍कूल बनाओल गेल।

क्रमश: ओकर ऐ उपलब्‍धिक चर्चा बढ़ए लगलै। सरकार, समाजिक संगठन आ केतेके दानी लोकनि ओकरा मदैत करबाक हेतु आगू एलाह। अखबारमे हजब्‍वाक काजक समाचार छपल। तेकर बाद सरकार एक लाख रूपैआक अनुदान ओइ विद्यालयकेँ घर हेतु देलक। स्‍थानीय समाचार पत्र कन्नद प्रभा हुनका वर्ष पुरुष घोषित केलक एवं एक लाख रूपैआक पुरस्‍कार देलक।

तेकर बाद कतेको लोक दान देबए लगलाह। सी.एन.एन. आइ.बी.एन. टेलीवीजन चैनल हुनका रियल हिरो पुरस्‍कार देलक। हजब्‍वा ओइ स्‍कूलक विकास समितिक उपाध्‍यक्ष छैथ परन्‍तु कुर्सीपर नहि बैसै छैथ एवं स्‍कूलमे स्‍वयं सफाइ करै छैथ।

हजब्‍वा आब अपन गाममे एकटा कौलेजक स्‍थापना करय चाहै छैथ। अखन गामक बच्‍चाकेँ कौलेजमे पढ़ैले सात किलोमीटर दूर स्थित सरकारी कौलेजमे जाए पड़ै छइ। बहुत गोटेकेँ प्राइभेट कौलेजमे खर्चा करि कऽ पढ़ए पड़ै छइ। ऐसँ बँचैले ओ गामेमे कौलेजक निर्माणमे लागल छैथ।◌



४. श्री पोपतराव पवार-

पोपतराव पवारक नाओं, सुनने छी की? ५५ वर्षीय श्री पवार त्रियारे पवाह (अहमदनगर, महाराष्ट्र)क सरपंज थिकाह। ओ असगरे सुखार ग्रस्‍त गामकेँ पानि, बिजली, शिक्षा आ बेहतर स्‍वास्थ्‍य सेवासँ हटल-छुटल केतेको गाममे बदैल देला। ई गाम आत्‍मवेत्ता एवं स्‍वशासनक सिद्धान्‍तरपर काज करैत अछि।

सन्‍ १९७२ मे ओ शहरसँ स्नातकक परीक्षा पास कऽ गाम एलाह। गाममे ओ सभसँ शिक्षित बेकती छला। ग्रामीणक आग्रहपर ओ सरपंचक चुनाव लड़ला आ जीति गेला। तेकर बाद ओ नाना प्रकारक विकास काज कऽ कऽ गामक भविस बदलै पाछू लागि गेला।

सभसँ पहिने ओ गामक स्‍कूलमे मैट्रिक तकक पढ़ाइक बेवस्‍था केलैन जइसँ गामक धिया-पुताकेँ शिक्षाक स्‍तरमे सुधार भेल। तेकर बाद ओ गाममे पानिक सुविधा हेतु ४००० खधिया खुनि कऽ जल संरक्षणक बेवस्‍था केलैन। गाममे नल-कूपक जगह इनारक उपयोगपर जोड़ देलैन, जइसँ भूजलक स्‍तर बनल रहए। एहेन फसल सभ अपनाबक प्रयास भेल जइमे अधिक-सँ-अधिक पैसाक आमदनी होइक आ कम-सँ-कम पानिक प्रयोजन।

१० सालक अवधिमे ओ करीब १० लाख वृक्ष लगबौला जइसँ गामक आबो-हवा बदैल गेल।

सन्‍ १९९५ इस्‍वीमे आदर्श ग्राम योजना लागू भेलापर रन्‍हू गामकेँ आदर्श ग्राममे विकसित करबाक हेतु चुनाव भेल। आई हिवारे बजार गाम प्राय: देशक सभसँ विकसित गाममेसँ अछि। एकर श्रेय कोनो सरकारी प्रयत्‍नकेँ नहि, अपितु ग्रामसभाककेँ अछि जे ग्राम संसदक नामसँ जानल जाइत अछि, आ जेकरा गामक विषयमे समस्‍त निर्णय लेबाक अधिकार छइ।

बेहतर शिक्षा, सुद्धृढ आर्थिक स्‍थितिक संग निरन्‍तर विकास कए ई गाम एकटा उदाहरण भऽ समाजक सम्मुख प्रस्‍तुत अछि। ऐ गाममे महिला पुरुखसँ अधिक छैथ। परिवार नियोजन एवं अन्‍य प्रकारक आधुनिक चिकित्‍सा सुविधा सहज सुलभ अछि।

१९९५ इस्‍वीमे प्रतिदिन १५० लीटर दूधक उत्‍पादनक तुलनामे २०१२ मे ४००० लीटर दूध प्रतिदिन उत्‍पादन होइत अछि। १९९५ मे गाममे ९० टा इनार छल, जखन कि २०१२ मे २९४. ओइ अवधिक दौरान प्रति बेकतीक आमदनी ८३० रूपैआसँ बढ़ि कऽ ३०००० रूपैआ भऽ गेल। ऐ गामकेँ १९९५ इस्‍वीमे आदर्श ग्राम पुरस्‍कार, २०००मे यशवंत गाम पुरस्‍कार, २००७ इस्‍वीमे निर्मल ग्राम पुरस्‍कार, २००७ मे वनग्राम पुरस्‍कार, एवं २००७ मे राष्‍ट्रीय जल पुरस्‍कार भेटल।

गामक विकास एवं सुविधा देख गामसँ पलायन कऽ चूकल लोक सभ पुनश्च गाममे आपस आबि बसि रहल छैथ।

एक बेकतीक तियाग आ कर्मठतासँ केतेक परिवर्तन भऽ सकैत अछि, तेकर पोपतराव पवार एकटा ज्‍वलन्‍त उदाहरण भऽ चूकल छैथ। जे गाम दुर्भिक्ष आ दरिद्रतामे डुमल छल, तइमे साठिटा करोड़पति रहि रहल छैथ।◌


५. श्री आलोक सागर-

आइ.आइ.टी. दिल्‍लीसँ इन्जिनियर (एम.टेक) श्री आलोक सागर अमेरिकाक हाउसटन विश्वविद्यालयसँ टेक्‍साससँ पी.एच-डी. केला पछाइत आइ.आइ.टी. दिल्‍लीमे प्राध्‍यापकक काज प्रारम्‍भ केलाह। रिजर्व बैंक ऑफ इन्‍डिया (आर.बी.आई.) क भूतपूर्व गवरनर श्री रघुरमन राजन हुनकर विद्यार्थी छेलखिन।

१९८२ इस्‍वीमे सागरजी नौकरी छोड़ि जमीनी स्‍तरपर समाज सेवा करबाक उद्देश्‍यसँ मध्‍यप्रेदेशक वेतुल एवं होसंगावाद जिलामे स्‍थानीय आदिवासीक सेवामे लागि गेला। ऐ लेल ओ आदिवासीक  अधिकारक हेतु संघर्षरत समाजिक संगठन- श्रमिक आदिवासी संगठनसँ जुड़ि गेला।

पैछला ३५ वर्षसँ ओ लगातार आदिवासी लोकनिक सेवा कए रहल छैथ, मुदा केकरो कहियो अपन परिचए नहि देलखिन। पैछला विधान सभा चुनावक समय जिला प्रशासन हुनका जिला छोड़बाक आदेश देलक तखन हारि कऽ हुनका अपन परिचए देबए पड़ल।

सागरजी आदिवासी सभकेँ कम मूल्‍यपर बीआ देल करैथ जइसँ श्रृष्‍टिक रचनात्‍मकताक प्रचार, विकास होइक। ओ मध्‍य प्रदेशक पेतुल जिलामे पचास हजार वृक्ष लागैलाह। सागरजी समाजसेवक एकटा सही पहचान छैथ। ऐ देशमे राजनीतिक सभ समाज सेवोक नाओंपर झूठ-मूठक क्रिया-कलाप करैत रहै छैथ। जिनका योग्‍यता नहि अछि सेहो झूठ डिग्री बना कऽ समाजमे प्रचार करैत रहै छैथ जे ओ केतेक विद्वान छैथ। मुदा सागरजीकेँ देखू। अद्भुत शैक्षणिक उपलब्‍धि एवं उच्‍च स्‍तरीय नौकरीकेँ तिलांजलि दए आइ केतेको वर्षसँ समाजक निम्नतम्‍ स्‍तरक लोक सबहक कल्‍याणक हेतु काज कऽ रहल छैथ।

आलोक सागरजी कोचमू गाममे रहै छैथ। ओइ गाममे ७५० आदिवासी रहै छैथ। कोचमू गाम दूर-दराजमे अवस्‍थित अछि। ओइ गाममे बिजली नहि अछि। ओ सरल, साधारण जीवन जीबै छैथ। हुनका लगमे तीनटा कुर्ता रहै छैन आ साइकिलपर गामे-गाम घुमैत रहै छैथ। ओ स्‍थानीय भाषा सहित अनेको भाषाक जानकार छैथ। हुनकर कहब अछि जे भारतीय समाजमे लोक सीभकेँ केतेको गंभीर समस्‍या सभ घेरने अछि। मुदा लोक सभ तेकर समाधान करबाक बजाय अपन मेधाक प्रर्दशन अपन डिग्रीसँ करैत रहै छैथ। तियाग ओ तपस्‍याक एहेन प्रतिमूर्ति ऐ युगमे भेटब असंभव नहि तँ बहुत कठिन अवश्‍य अछि।◌



६. श्री जादव पायंग-

१६ सालक उम्रमे जादव पायंग (मोलाइ) धियान आस-पास मरि रहल साँप सभपर गेल जे जंगलक अभावमे ऐ दुर्दशामे छल। चिड़ै-चुनमुनीक घटैत संख्‍या एवम्‍ अन्‍य जंगली जीव-जन्‍तुक पराभवसँ ओ बहुत दुखी भऽ गेल। ई गप सन्‍ १९७९क थिक। ऐ विषयपर ओ अपन आस-पासक लोक सभसँ गप केलाह मुदा कियो धियान नइ देलक। मुदा हुनका चैन नहि भेलैन। ओ ठानि लेल जे ओइ क्षेत्रमे नवीन जंगलक निर्माण करता।

ब्रह्मपुत्र नदीक कछेरमे तथा बीरान क्षेत्रमे नित्‍य नव गाछ रोपए लगला। नित्‍य प्रति ओ ई काज करए लगला। क्रमश: गाछक संख्‍या बढ़ए लगल आ ओइमे पानि देब एकटा गंभीर समस्‍या भेल जाइत छल। तेकर उपाय ओ ई केलैन जे प्रत्‍येक गाछक ऊपर पानिसँ भरल डाबा टाँगि कए ओइमे भूर कए दैथ, जइसँ निरन्‍तर टिपिर-टिपिर पानि खसि ओइ गाछकेँ सिंचित करैत छल।

सन्‍ १९८० मे गोलाघाट जिला जोरहाट अवस्‍थित अरूना चपोरीक २५० एकड़ क्षेत्रमे वन विभागक वृक्षारोपण योजनामे शामिल भऽ गेला आ पाँच वर्ष धरि ओइमे काज करैत रहला।

पछाइत ओ ओहीमे आर गाछ सभ लगबैत रहला जइसँ ओइ क्षेत्रमे एकटा नीक जंगलक निर्माण भऽ सकए।

आसामक मिसिंग जनजातिक श्री पायंग जंगलमे अपन पत्‍नी ओ तीनटा बच्‍चाक संग एकटा झोपड़ीमे रहैत छैथ। हुनकर मित्र सभ नीक-नीक स्‍थानपर शहरमे चलि गेला। उत्तम शिक्षा आ उत्तम पद प्राप्‍त केलाह। परन्‍तु ओ जंगलमे वृक्षारोपणमे मगन रहला। हुनकर कहब जे पुरस्‍कार ओ प्रतिष्‍ठा ओ अर्जित केला वएह हुनक सम्‍पैत अछि आ ओहीसँ हुनका आनन्‍द भेटैत रहै छैन।

२२ अप्रैल २०१२ क जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालयक पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा पुरस्‍कृत भेला। ओइ विश्वविद्यालयक उपकुलपति हुनक नाओं भारतक फोरेस्‍टमैन रखि देल। तथा अक्‍टूबर २०१३ मे भारतीय वन प्रवन्‍धन संस्‍थान द्वारा आयोजित वार्षिकोत्‍सवमे सेहो हुनका पुरस्‍कृत कएल गेल।

ऐ आदमीक इच्‍छा शक्‍ति देख कऽ कियो बेकती गुम पड़ि सकै छैथ। असगरे तीस सालक अविरल साधना द्वारा एक बीरान १३६० एकर क्षेत्रमे जंगल निर्माण कए देलक। ऐ जंगलकेँ ओकर उपनामपर मोलाइ कहल जाइत अछि।

मोलाइ जंगलमे वंगालक बाझ, भारतीय हरिण, गेड़ा तथा सैकड़ो हाथी रहैत अछि। एकर ३०० एकड़ क्षेत्रमे बाँस लागल अछि। एक आदमीक अविरल साधनासँ धारक कछेरपर दुनियाँक सभसँ पैघ जंगलक निर्माण संभव भेल।

अस्‍तु संसार एक-सँ-एक वीर पुरुषसँ भरल अछि जे तमाम कष्‍ट ओ अभावक अछैत किछुक गुजरला आ आबए बला पीढ़ीक हेतु एकटा दृष्‍टान्‍त ठाढ़ कऽ देला। कठिनाइ एवम्‍ संघर्ष हुनकर प्रयत्नकेँ कखनो कमजोर नहि कऽ सकल। आइ वएह सभ समाजक सामने एकटा दृष्‍टान्‍त बनि चूकल छैथ। मानव सभ्‍यताक इतिहासमे प्रकाश स्रंम्‍भ जकाँ ओ सदिखन जगमगाइत रहता, स्‍मरणीय रहता।◌   






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