मंगलवार, 3 जून 2025

जनकपुरक यात्रा

 

जनकपुर

२८ फरबरी २०२५क हमसभ जनकपुर जेबाक कार्यक्रम बनओलहुँ। ओना हम दू बेर पहिनहु जनकपुर गेल छी। मुदा हमर श्रीमतीजीकेँ ओतए जेबाक बहुत इच्छा छलनि। तेँ अवसर भेटितहि हम ओहिठाम जेबाक कार्यक्रम  बनओलहुँ। एक दिन पहिने चंदन टैक्सी ठीक कए देलनि।टैक्सी बला हमरे गामक छल । भोरे मधुबनी आबि कए हमरासभकेँ लए जाएत। निर्धारित कार्यक्रमक अनुसार भोरे सात बजे ओ आबि गेल। हमहूँ सभ तैयारे रही। सात बजैत-बजैत तँ हमसभ किशोरीलाल चौकसँ आगू बढ़ि गेल रही। भोरुका समय रहैक,सड़क एकदम खालीए छल। धराधर कार आगू बढ़ैत गेल। बीस मिनटमे हमर गाम आबि गेल। वाहन चालक पुछलक-

“रूकबै की?”

“अखन चलह।लौटतीमे देखल जेतैक।”

हमसभ बेनीपट्टी बाटे नेपालक सीमा धरि जेबाक लेल आगू बढ़ैत गेलहुँ।रस्तामे बहुत रास सुनल गामसभ अबैत गेल। नेपाल-भारतक सीमापर भारतीय सशस्त्र वलक जवानसभ चेकिंग कए रहल छलाह। हमसभ अपन परिचय पत्र देखओलिअनि। बिना कोनो परेसानीकेँ हमरासभकेँ आगू जेबाक अनुमति भेटि गेल। कनीके फटकी नेपाल दिस भनसार कटेबाक लेल वाहन चालक गेल। जनकपुरक लेल मात्र नेपाली पचास टाका देबाक होइत छैक। आन जिलामे जेबाक लेल चारि सए नेपाली देबाक होइत छैक। नेपालक सीमामे गेलाक बाद हमर मोबाइल फोनक  सीम काज केनाइ बंद कए देलक। हम अपन जनकपुर जेबाक कार्यक्रमक बारे मे नेपालमे मैथिलीक प्रख्यात साहित्यकार आदरणीय डाक्टर राम भोरस कापड़िजीकेँ कहने रहिअनि। हुनकासँ भेंट करबाक इच्छा छल। ओ अपन नेपाली नंबर सेहो देने रहथि। मुदा हमर मोबाइल नंबरसँ संपर्क होएबे नहि करैक।

जनकपुर पहुँचलाक बाद हमसभ ओहिठामक सभटा मंदिरसभमे बेरा-बेरी दर्शन केलहुँ। वाहन चालककेँ सभटा देखल-सुनल रहैक। ओ हमरा सभक संगे लागल रहल। मंदिरसभमे आ आसपास मैथिली भाषा बहुत नीकसँ बाजल जाइत छल। लागि रहल छल जेना सही माने मे मिथिलामे आबि गेल छी।अपना ओहि ठाम तँ मैथिलीमे बजनिहार लोकक सर्वथा अभाव अछि। दोकानसभमे बेसी लोकसभ हिन्दीएमे कारबार करैत अछि। मुदा जनकपुरमे से हाल नहि छल। ओहिठाम नेपाली नहि तँ मैथिलीमे गप्प केलापर बेसी नीकसँ बुझल जा सकैत अछि। कैक ठाम मैथिलीमे सूचनापट्ट देखाएल जे अपनासभ दिस साइते कतहु भेटत।

जनकपुरमे स्थानीय मंदिरसभमे दर्शन केलाक बाद हमसभ कापड़िजीकेँ ककरो फोनसँ संपर्क केलहुँ। एकटा बहुत नीक बात ई बुझाएल जे जकरा ककरो हुनकर फोन लगबए कहिऐक से मना नहि करए,अपितु तुरंत फोन लगा दैत।ई बात हम कापड़िजीकेँ सेहो कहलिअनि। से जानि ओ प्रसन्नता व्यक्त केलनि--

“हमरासभक ओहिठाम समाजवाद छैक। लोकसभ एक-दोसरक नीकसँ ध्यान रखैत अछि।”

जनकपुरमे कापड़िजीसँ भेंट करबाक इच्छा छल। ताहि लेल हम हुनका पहिने फोन केने रहिअनि। ओ सेहो उत्सुक बुझेलाह। मंदिरसभमे दर्शन केलाक बाद हम हुनका फेर ककोरो फोनसँ संपर्क केलअनि। ओ कतहु कार्यक्रममे छलाह। बीचमे हमरा धनुषा जेबाक सेहो इच्छा छल। तखन तय भेल जे धनुषासँ घुरलाक बाद हुनकासँ भेंट कएल जाएत। हम धनुषा जेबाक लेल उत्सुक भेलहुँ तँ वाहन चालक कहए लागल जे ताहि लेल बड़का भनसार कटेबाक छल। मुदा कापड़िजी तकर जरूरति नहि कहलनि ।कारण जनकपुर आ धनुषा एक्के जिलामे अछि। से बात हम वाहन चालककेँ कहलिऐक। तखन  बहुत अछता-पछता कए ओ  धनुषा बिदा भेल। रस्तामे अपने सभक ओहि ठाम जकाँ घर,खेत-पथारसभ देखाएल। बीचमे परशुराम तलाव सेहो देखाएल। मुदा वाहन चालक सोझे धनुषा जा कए रूकल। हमसभ ओहिठाम दर्शन करए गेलहुँ। धनुषक नामपर पाथरक किछु अवशेष राखल छल। लोकसभक कहब छैक जे ओ जानकी बिआहमे आयोजित स्वयंवरमे  श्री राम द्वारा तोड़ल गेल धनुषक अवशेष थिक। मुदा हमरा से कतहुसँ सही नहि बुझाएल।तखन तँ लोकमत आ आस्थाक अपन महत्व छैहे। लोकसभ अखनहु बहुत श्रद्धापुर्वक ओहि ठाम जाइत अछि,दर्शन करैत अछि,फोटो सेहो खिचबैत अछि।

थोड़ेकाल धनुषामे रूकलाक बाद हमसभ वापस जनकपुर बिदा भेलहुँ। कापड़िजीकेँ फेर ककरो फोनसँ संपर्क  केलिअनि। ओ कहलाह –

“जनकपुर टीसन लग आबि जाउ।हमहूँ ओतहि पहुँचि रहल छी।”

आब हमरासभकेँ बहुत भूख लागि गेल छल। रस्तामे हमसभ एकटा भोजनालयमे  भोजन केलहुँ। भोजन बहुत सस्ता आ स्वादिष्ट छल।प्रचूर मात्रामे तरुआसभ परसल गेल।हम खूब खेबो केलहुँ।( मुदा ओ पचल नहि। वापस मधुबनी पहुँचलाक बाद मोन  उकरू लागि रहल छल आ  रातिमे रद्द होमए लागल। ) भोजन केलाक बाद हमसभ जनकपुर रेलवे टीसन पहुँचलहुँ ।टीसने लग एकटा दोकानसँ रुद्राक्षक माला कीनलहुँ। ओहि दोकानक मालिककेँ  आग्रह केलिअनि जे कापड़िजीसँ गप्प करा देथि। ओ हुनका जनैत छलखिन,तुरंत फोन लगा देलनि। कापड़िजीसँ फोनसँ गप्प भेल।ओ कहलथि-

“हम पाँच मिनटमे पहुँचि रहल छी।

तकर बाद ओहि ठाम चाहक दोकानपर कनीके काल बैसल होएब कि कापड़ि जीक फोन आएल-

“केमहर छी?”

हम पाछू घुमलहुँ कि  हुनका कारसँ निकलैत देखि लेलिअनि। हुनका संगे एक गोटे आर केओ छलखिन। हमसभ संगे बैसलहुँ। गप्प-सप्प केलहुँ।पुस्तकक आदान-प्रदान भेल। नेपालमे मैथिली साहित्यक  गतिविधिपर ओ बहुत रास जानकारी देलनि। ओ कहलथि जे ओ दरभंगा मैथिलीक  बैसारसभमे ओ जाइत रहैत छथि।गप्प-सप्प होइते रहलैक ,संगे  चाह-पान सेहो भेलेक। कापड़िजी एकटा जरूरी मिटिंग छोड़ि कए हमरासँ भेंट करए आबि गेल रहथि। ई हुनकर महानता छलनि।हुनका एहि लेल हार्दिक धन्यवाद दैत हमसभ बिदा लेलहुँ।

जनकपुर हमसभ घुमि लेलहुँ। कापड़जीसँ भेंटो भए गेल। आब वापसी यात्रापर बिदा भेलहुँ। एक बेर फेर टैक्सी पुरने रस्तासँ तेजी सँ आगू बढ़ल जा रहल छल। थोड़बे कालमे हमसभ फेर भारत-नेपाल सीमापर पहुँचि गेल रही। मुदा कोनो दिक्कति नहि भेल। पाँच मिनटसँ पहिने हमसभ भारतक सीमामे पहुँचि अपन गंतव्य दिस बढ़ि गेलहुँ। कार ओहिना धराधर चलैत रहल। देखिते-देखिते हम सभ लगभग तीन बजे मधुबनी पहुँचि गेलहुँ।जनकपुरक यात्रासँ हमरा एहि बातसँ बहुत संतोष भेल जे मैथिली नेपालमे सुरक्षित छथि आ मिथिलाक संस्कृति अखनहु ओमहर बाँचल अछि।



















 

 

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