५
हमर
मामा ककरा की बिगारने छलथिन जे हुनकर ई हाल कएलक?दिन-राति
ओ अपन काजमे लागल रहैत छलाह। ककरोसँ कोनो मतलब नहि। एसगर छलाह। बिआह नहि केने
रहथि। हमरे अपन संतान बूझि पालन-पोषण कए रहल छलाह। एहन निर्दोष आदमीकेँ के मारलक आ
किएक? ई प्रश्न
सभक माथामे घुमि रहल छल। पुलिस तँ दोसरे झंझटिमे फँसि गेल। लुच्चा-लफंगासभ थाना
जरा देलक। ओकरसभक पुलिससँ कोनो कुन्नह रहल हेतैक मुदा फल भोगलक सौंसे गौँआ? तेहन-तेहन
धारा लगा देने रहैक जे जमानति हेबाक बाटे नहि रहैक। अनेरे लोकसभ जहलमे बंद छल। कतेकोकेँ
घर उजरए पर छलैक, कतेककेँ उजरि गेलैक कारण कमासुतसभ जहलमे
सड़ि रहल छलैक। के-ककरा देखितैक? गरीबक टोल छल। नेतासभ
अबैक,बोल
भरोस दैक आ घसकि जाइक। केओ कोनो ठोस काज नहि कए सकल। एहन हालतिमे सौंसेगाम
परेसानीमे पड़ि गेल छल। जे गाममे बाँचल छल से सभ अबाक छल, माथ-कपार
नोचि रहल छल। समाधान किछु नहि फुराइत छल। एतेक गोटे जहलमे छल मुदा असली अपराधी के
कोनो पता नहि छल। मास्टर साहेबकेँ के मारलक आ कथी लेल से अखन धरि पता नहि चलि सकल।
प्रायः पुलिसोकेँ एहिसँ कोनो खास मतलब नहि रहैक। ओकरा तँ लोकसभसँ ओलि चुकेबाक रहैक
आ तकर व्योंत सेहो भइए गेल छल। थाना जराएब बहुत महग पड़ल। एक-एक परिवारसँ कतेको
गोटे बंद भए गेल छल। एकगोटेक तँ तीनपुस्त संगे जहलमे खिच्चरि खा रहल छल। समाधान ने
पुलिसकेँ किछु फुराइक ने जहलमे बंद निर्दोष कैदीसभकेँ। कारण जखन एक बेर पुलिस
लोकसभक विरुद्ध झुठो केस कए देलक तँ ओकरा वापस कोन आधार पर लैत? अपने
आफत भए जइतैक। नौकरी बचेबाक फिराकमे कतेको निर्दोष प्राणी सालभरिसँ जहलमे सड़ि रहल
छल।
कालू
भगते किछु करत। सभक आश ओएह रहि गेल छल। जहलमे बंद सभ गौंवासभ ओकरा गोहरबैत रहैत
छलैक। मुदा ओ तँ अपनेमे मस्त छल। जेलरकेँ डरा कए काबू कए लेने छल। दिन-राति रंग- रभस
करैत बीति रहल छल। एहन आनंद तँ ओकरा गामोमे नहि छलैक। भगतै चलि रहल छलैक। कारनीसभकेँ
फूँकि रहल छल आ सभसँ बड़का बात जे जेलरकेँ काबू कए लेने छल। जहाँ जेलर एमहर-ओमहर
केलक कि ओकर घरबालीकेँ केना-ने-केना तेहन कए डरबैत छल जे जेलर उल्टे पैरे कालू लग
दोड़ैत छल। खुसामद करए लगैत छल। बाह रे जेलर बाबू!
ऊपरका
अधिकारी सभकेँ किछु- किछु पता लगैक मुदा ओसभ काजमे ततेक व्यस्त रहैत छल जे एकटा
जेलक समस्या लए बैसि तँ नहि सकैत छल। मासिक बैसारमे जेलर केँ फज्झति कए दैक। जेलर
सभ सुनि लिअए आ बात फेर ओतहि रहि जाए।
मुदा
ई हालति कतेक दिन धरि चलितैक? विचाराधीन
कैदीसभकेँ ऊपर न्यायालयमे सुनबाइ साल भरिसँ टलि रहल छल। मामिलामे कोनो प्रगति नहि
होइक। अंतमे तंग भए जजसाहेब एसपीकेँ नोटिस कए देलथि। अगिला तारिखपर ओकरा
न्यायालयमे अएबाक आदेश भेल। आब तँ जेलर बाबूक हालति बहुत खराब भए गेल ।। घर पहुँचि
कए चौकीपर धराम दए खसलाह।
रघु
आ निशा कलकत्तामे एकहि कालेजमे पढ़ैत छल। निशाक रूप-रंग देखि कए रघु प्रभावित होइत
गेल। निशाकेँ सेहो रघु पसिंद रहैक। दुनूगोटे बिआह करए चाहए मुदा परिवारक लोक नहि
मानै। ताबते रघुकेँ राजपुरामे जेलरक नौकरी लागि गेलैक। ओ निशाकेँ लेने ओतए चलि आएल
आ कालीमंदिरमे बिआह कए लेलक। निशाक पढ़ाइ-लिखाइक संगे संगीतमे बहुत महारत रहैक।
कहिओ-कहिओ राजपुरामे आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रममे ओ गबैत छलीह। हुनकर गायनक
प्रशंसक महराजो छलाह। कैक बेर महराजक संगीत सभामे सेहो ओ आमंत्रित भेलीह। महराज
तहिएसँ हुनकर प्रशंसक रहथि। ओ चाहथि जे कहुना निशाकेँ राजेक हातामे राखि ली मुदा
ताहि हेतु रघु तैयार नहि होथि। अपना भरि जेलर बाबू निशापर बहुत ध्यान दैक मुदा
जहिआसँ ई कांड भेलैक ओकर सुधि-बुधि हराएल रहैक।
ओमहर
कैदीसभ अपने तंग छल। मुदा असली मजा तँ कालू भगता लए रहल छल। मजेदार गप्प तँ तखन भेल
जखन साँझमे कारनीक पाँतिमे जेलर स्वयं आबि कए ठाढ़ भए गेल। जेलरकेँ एना एकटंग्गा
देने ठाढ़ देखि जहलक पुलिससभ गुम छल। मुदा बाजति की? अपन
अधिकारीक हाल पर गुम छल।
साँझमे
भगतै होइत रहैक। जेलर बाबूकेँ एकटंगा देने देखि सभसँ पहिने ओकरे गोहार लगओलक।
पुछलकैक- “की भेलौक?
"हमर
जान खतरामे अछि। किछु करिऔक, नहि तँ हमर
घरबाली बिलटि जाएत।"
"भेलौ
की?
-भगता
बाजल।
“अहाँसँ
की छिपल अछि?
हमरा बचा लिअ।"
कालू
भगता छाउर छिटलकैक आ कहलकै जे तोहर समस्या बहुत गंभीर छौक। असगरमे झड़बए पड़तौक। बहुत खतरनाक जोगिन
पाछू पड़ि गेल छौक।
जेलर
सष्टांग दंडबत भए गेल। सौंसे जेलमे हरकंप मचि गेल। जहलक पुलिससभ जेलरकेँ मोने- मोन
गरिआबैत छल। कैदीसभक सेहो चकबिदरो लागल छल। सभ मोने मोन कहैत छल- “एहन
तमासा नहि देखलिऐक। धन कहीं कालू भगताकेँ जे जेलरोकेँ हबा निकालि देलक।"
जेलरक
हेतु अलगसँ भगतै करबाक ओरिआन ओकरे घरमे दूपहर रातिक भेलैक। जहलसँ जेलरक कारसँ कालू
भगता जेलरक सरकारी डेरा पहुँचल। ओतए जेलरक घरबालीकेँ देखितहि छगुन्तामे पड़ि गेल। एहन
सुन्दरि..!
जेलरक
घरबाली छलहो हजारमे एक। गोर-नार ,६
फुट नाम,
हरिअर-हरिअर
आँखि,चाकर
माथ, सभ
मिलि लगैक जेना स्वर्गक परी होइक। कालू एकटक ओकरे देखैत रहि गेल। जेलर भगतैक
समानसभक जोगारमे लागल छल आ कालू भगता दोसरे दुनिआमे मगन छल। जेलर पूजाकसभ वस्तु लए
आएल। ओकरा देखिते कालू भगल शुरु केलक।
"मोसकिल
छौक एकरा बचेनाइ। पिशाच लागि गेल छैक।"
"जे
करबै से अहीं करबैक। हम तँ अहाँक शरणमे छी।"
"पहिने
की करैत रहलह? आब तँ
मामिला हाथसँ निकलि गेल अछि।"
"की
भेलैक?"
"हम
की कहबौक, इएह
ले,
अपने बकतौक।"
आओर
ओ बकए लगलीह-
"हमरा
केओ आओर नहि बचा सकैत अछि। भगते हमर जान बचाओत...।"
ई
बाजि कए ओ बेहोस भए गेलि। भगता की केलकै, कोन मंत्र
पढ़लकैक जे ओकर बाद निशा ओकरे बात बूझैक। जेलर बहुत चिकरल- “निशा!
निशा!
"
कोनो
उत्तर नहि आएल। निशा निःशब्द ओहीठाम भूलंठित भए गेलि। जेलर बाबूक परेसानीक अंते
नहि छल। एमहर घरबाली बेहोस छलैक ओमहर केओ एसपी साहेबकेँ सिकाइत कए देलकैक जे जेलसँ
कालू भगत बिला गेल। जेलमे छापा पड़ि गेल। “आब
की होएत?”-से
सोचि-सोचि कए जेलर परेसान छल, ताबे एसपी
साहेबक फोन आबि गेलैक। जेलर इएह-ले ओएह-ले ओतएसँ जेल बिदा भए गेल। आ भगता...?
जेलरकेँ
देखिते एसपी साहेब चिचिआ उठलैक- “रघु। ई की भए
रहल अछि?तूँ
जेलक माहौलकेँ चौपट कए देलह अछि। आब तोहर नौकरी भगवानो नहि बचा सकैत अछि।"
"माफ
कएल जाए सरकार!"
"तोहर
गलती अक्षम्य छह। तोरा जेलर राखि कए हम अपन नौकरी अपने खा जाउ। ई नहि भए सकैत अछि।
तोरा वारंबार चेतौनी दैत रहलिअह, मुदा तूँ
सुधरबाक बजाए उल्टे रस्ता धेने छह। तखन जे हेबाक से हेबे करत। भए सकैत अछि तोरा
जहलो जाए पड़ए।"
जेलरक
हालति देखए जोकर छल। ओकरा मुँहसँ बकार नहि निकलि रहल छल। तथापि प्रयास कए ओ बाजल- “सरकार
देखि नहि रहल छिऐक?"
" कथी
देखबैक?
एहिठाम की छैक जे देखबैक।"एसपी साहेब एतबा बाजल छलाह कि जेलर बेहोस भए ठामहि
खसल। ऐसपीक सामने कालू भगता सद्यः ठाढ़ छल।
"तूँ
कतए चलि गेल रही? -एसपी साहेब बजलाह।
"हम
तँ सदरिकाल एतहि छी सरकार।"
"झूठ,
झूठ।" -एसपी साहेब चिचिआ उठलाह।
"अहाँकेँ
जकरेपर विश्वास होअए तकरे सँ पुछारी कए सकैत छी,
मुदा एहि हेतु जेलर बाबूकेँ प्रताड़ित नहि कएल जाए। ओ एकदम निर्दोष छथि। जाने
भगवान।" -कालू भगता एसपी साहेबकेँ गोहरबैत बाजल। एसपी साहेब सौंसे जेल घुमि
अएलाह,
एकटा कैदी कालूक विरुद्ध नहि बाजल। एसपीकेँ ठकबिदरो लागि गेलनि। सोचए लगलाह- “आखिर
सिकाइत के केलक?
जौं
सिकाइत झूठ छल तैओ किछु तँ कारण रहल हेतैक।“मुदा
किछु प्रमाण नहि भेटि रहल छलैक। हारि मानि कए एसपी साहेब ओतएसँ अपन डेरापर आबि
गेलाह।
जेलरकेँ
कालू भगताकेँ जेलमे देखि छगुन्ता लागि गेलैक। सोचए लागल- “ई
कोना एतए आबि गेल?" कालू ओकर मोनक बातकेँ तारि गेल आ
जोरसँ ठहाका पाड़लक। जेलरक मुँह देखए वला छल।
ओ
जहलसँ डेरा पहुँचल तँ कालू भगताकेँ बाहर निकलैत देखलक। ओकर माथामे किछु नहि सन्हिआ
रहल छलैक। सत्य की अछि?जे ओ जहलमे
देखलक से आ कि जे ओ अखन देखि रहल अछि? दुनू घटना
प्रत्यक्ष देखलक। अचानक ओकरा चिचिआ गेलैक- “निशा!निशा!"
"की
बात?”-
निशा हँसि रहल छलि।
“कालू
कतए छल?"
"जतए
अहाँ छोड़ि गेल रहिऐक।"
निशाक
मुँहे ई सुनि जेना ओकरा बकोर लागि गेलैक। मुदा आब की?
जेलर बाबू निशा दिस टुकुर-टुकुर देखैत रहि गेलाह। जेलर
केँ ओहि राति निन्न नहि भेलैक। भरि राति टुकुर-टुकुर तकैत रहि गेल। एहि करोटसँ
ओहि करोट करैत रहल। मुदा निशा फोंफ काटि रहल छलि। एतेक गहीर निन्नमे ओ कैक दिनक
बाद देखाइत छलीह। ताहि बातसँ रघुकेँ खने चिंता होइक,खने
मोनमे चैनो लगैक। ओ सोचए लागल- “किछु बात तँ छैक
एहि भगतामे जकर असरि सद्यः देखा रहल अछि। आइ कतेको दिनपर निशा चैन छथि, अन्यथा
रातिभरि कछमछ करैत बीति जाइत छलनि। अपने तँ परेसान रहिते छलीह, हमरो
बेचैन केने रहथि।“
भोर
भेलैक। अखबार वला अखबार फेकलकैक। दूध वला दूध दए गेल,
काजबाली काज करए आबि गेलि, मुदा निशाक
निन्न नहि टुटलनि। बेचारे जेलर बाबूकेँ ड्युटी जेबाक रहनि। ऊपरसँ राति भरिक जगरना
छलनि। अपने चाह बनेलाह। निशाकेँ पड़ले देखि नहि रहल भेलनि। बाजि उठलाह-
“ऐ
सुनैत छी। हम आफिस जा रहल छी। घर बन्द कए लिअ।"
निशा
करोट बदललीह,
मुदा
उठि नहि सकलीह। जेलरबाबू फेर किछु बजलाह। केबारकेँ अपनेसँ सटा देलखिन आ आगू बढ़ि
गेलाह।
जहल
जाइत काल जेलर बाबू केँ जेलसँ फोन आएल। कैदीसभकेँ आइ न्यायालयमे पेशी छलैक। अखन
धरि पुलिसक गाड़ी नहि आएल छलैक। पछिलो तारिखपर देरीसँ न्यायालय पहुँचबाक कारण
जेलरकेँ जज बहुत फज्झति केने रहैक। मुदा ओ की करैत?बिना
पुलिस सुरक्षाकेँ कैदीसभकेँ जेलसँ बाहर तँ नहि लए जा सकैत छल। खैर!कनी
कालमे पुलिस सदल-बल पहुँचि गेलैक।
थाना
जरेबाक कांडक बिचाराधीन कैदीसभक जमानति अर्जीपर सुनबाइ भेलैक। सरकारी ओकील जमानतिक
बिरोध करैत रहलक मुदा जज ककरो नहि सुनलकैक। एगारहो
विचाराधीन कैदीकेँ जमानति दए देलक। कैदीसभक प्रसन्नताक ठेकान नहि छल। सालभरिसँ
एहि दिनक प्रतीक्षा कए रहल छल। अनेरे जेलमे सड़ि रहल छल। कहबी छैक जे खसी मारि
घरबैया खाए आ हत्या लेने वाभन जाए। सएह भए रहल छल। पुलिस प्रशासनपर उच्च
अधिकारीसभक दवाव पड़ल रहैक आ ओसभ अपना-आपकेँ बचेबाक हेतु जे जतए जाहि हालतिमे
भेटलैक तकरा पकड़ने चलि गेल। सभ चकित रहि गेल। ककरो कोनो सुनबाइ नहि भेलैक। थानाकेँ
जराएब भारी परलैक। केलक केओ,भरलक केओ।
सालभरिक
बाद सभगोटे गाम पहुँचल तँ सौंसेगाममे प्रसन्नताक वातावरण पसरि
गेल। सभ नाच-गान करए लागल। सत्य नारायण भगवानक पूजा राखल गेल। ढ़ोल, हरमुनिआ, झालि, मृदंग
समेत तमाम लोकसभ भगवानक भजन गाबैत पूजा-पाठ संपन्न केलाह। एतेक दिनक बाद लोटन
साँझमे जखन पोखरि दिस गेल तँ संयोगसँ हमरे गाछीमे पहुँचि गेल। पुरनाबात सभ बिसरा
गेल रहैक। पोखरि दिस बैसले छल कि गाछक फुनगीपरसँ ओहिना ककरो
कानबाक अबाज सुनएमे अएलैक। लोटन इएह-ले ओएह-ले भागल। ढ़ेको बान्हबाक होस नहि
रहलैक। लोटा कतए खसलैक सेहो नहि बूझि सकल।
लोटन
बेसुध पड़ल छल। ओसारापर ओकरा लोकसभ घेरने छल। जकरा जे उपाय फुराइक से करैत छल। मुदा
ओ टस सँ मस नहि होइत छल। देह बोखारसँ जरि रहल छल। मुँहसँ लार खसि रहल छल। ककरो
किछु नहि बुझा रहल छलैक जे आखिर ओकरा भेलैक की? एहन
परिस्थितिमे गाममे एकमात्र समाधान छल-कालू भगता। मुदा ओ गाममे नहि छल। ओहि दिन
जमानति भेलाक बाद सभगोटे वापस आबि गेल। कालू
कहलकैक जे ओ सिमरिआ जा रहल अछि। गंगास्नान केलाक बादे गाममे टपत। तकरो आइ तीन दिन
भए गेल मुदा ओ गाम नहि पहुँचल।
लोटनक
हालति खराब भेल जा रहल छल। आङनमे लोक करमान लागल छल कि कतहुँसँ ढेपक वर्षा होमए
लागल। की-कहाँ सभ खसए लागल। लोकसभ इएह-ले ओएह-ले भागल। सभक मुँहमे एकेटा गप्प
रहैक- “भूतक
प्रकोप छैक।" कनीकालमे जखन भीड़ कम भेल आ आङनमे हबा सिहकल तँ लोटन आँखि
खोललक।
घरक
ऊपरसँ मखना जा रहल छल। लोटनकेँ देखि कए हँसल आ मोने-मोने बड़बड़ाइत आगू बड़ि गेल-
"बँचि
गेलह।"
ओहि
दिन मखना यमलोक खाली हाथ लौटि गेल। यमराजक ओतए पेसी भेलैक। मखना
थर-थर कपैत ठाढ़ छल कि यम महराज बमकलाह-
"
लोटन लग जेबाक की औचित्य छल?"
"गलती
भए गेलैक सरकार!"
“की
सरकार,
सरकार कए रहल छैं? एहि तरहेँ तोहर काज नहि चलि सकैत छौक। सावधान
भए जो।" यमराजक एहन सख्त रुखि देखि मखना काँपि गेल।
यमराज
खतिआओन मंगओलाह तँ स्पष्ट भेल जे एखन तँ निशाक प्राण खिचबाक रहैक। एहन भारी गलती
आखिर भेल कोना? ई सभ
विचार-विमर्श चलिए रहल छल कि मखना भागल-भागल यमराजक दोसर पत्नी रेखा लग चलि गेल।
ओकरा एना अफसिआँत देखि ओ पुछलखिन- “बात की अछि? एना
किएक हाँफि रहल छह?"
मखना
हाथ जोरि यमराज दिस इसारा केलक। ताबते यमराजजी ओतहि आबि गेल छलाह।q
Maharaaj
is a Maithili Novel dealing with the social and economic exploitation of the
have-nots by the affluent headed by the local heads of that time. However, the
have-nots ultimately succeed in controlling the resources and regain their lost
assets by sustained struggle. Even the dead persons join together to fight
against the Maharaaj and ensure that the poor gets their due.
महराज उपन्यास कीनबाक हेतु
क्लिक करू-
https://pothi.com/pothi/node/195795
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें