मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

सोमवार, 1 अगस्त 2022

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लेखक परिचयः https://mishrarn.blogspot.com/2020/04/blog-post_20.html ----------------------------------------------------------------------------------------------==== समय-समयपर खास कए पुस्तकक प्रकाशनक बाद फेसबुक/व्हाट्सएपपर चर्चा होइत रहल अछि । तकर किछु महत्वपूर्ण अंश संदर्भक हेतु पुनःप्रेषित कए जा रहल अछि । प्रकाशित पुस्तकःबदलि रहल अछि सभ किछु प्रसिद्ध विद्वान एवम् मैथिलीक महाकवि माननीय श्री बुद्धिनाथ झाजीक टिप्पणी (व्हाट्सएपक अरुणिमा साहत्यिक गोष्ठीसँ उद्धृत):- “मैथिली साहित्यक एहेन 'एकांत सेवक' इएह टा। हिनक पोथी सब‌ मात्र गनतीक लेल नहि, ओकर गुणवत्ताक संग आवरण, छपाइ, सफाइ, सब किछु उपरि -जुपरि। सभ कीर्ति संग्रहणीय/ पठनीय अछि। जय मैथिली” डाक्टर भीमनाथ झा नव उपहारक स्वागत । Lakshman Jha Sagar दू दर्जन सं बेसी मैथिलीक पोथी प्रकाशित छनि जकर कियो गोटे नोटिस नै लैत छथि।मैथिली साहित्य के अभगदशा लिखल छैक।जे समाज अपन साहित्य आ साहित्यकारक सुधि बुधि नै लेत।चर्चा धरि करबा मे कन्छी काटत तकर भगवाने मालिक। Dr Raman Jha रवीन्द्र नारायण मिश्रपर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालयसँ शोधकार्य भऽ रहल अछि। सूचनार्थ । Dr Umesh Mandal मैथिली साहित्यक उपन्यास विधा, जेकर भण्डार बहुत पैघ नहि अछि, ताहिमे अपनेक अनवरण लेखन बहुत किछु अछि। की अछि, केहेन अछि ओ तँ समीक्षक लोकनि कहता मुदा असाधारण ओ ह्लादकारी अछि, से तँ सबहक मुहसँ निकलिए सकैए। सादर हार्दिक बधाइ... https://www.facebook.com/photo/?fbid=3022436554698002&set=a.1388340294774311 प्रकाशित पुस्तकःबीति गेल समय https://www.facebook.com/photo/?fbid=2932602210348104&set=a.1388340294774311 भीमनाथ झा हम तँ एकरा उपन्यासक 'उपन्यासे' बुझै छी। कथा जा पूर्णताकेँ नहि प्राप्त क' लिऐ ताधरि बढैत रहय, अर्थात् वार्ता सय राउंड तँ चलबेक चाही । समर्थन आ शुभकामना अपनेक संग अछि । Dr Bibhuti Anand एहि ऊर्जा कें नमन डाक्टर Raman Jha बहुत-बहुत शुभकामना आ बधाइ ! डाक्टर Umesh Mandal ' बीति गेल समय' बहुत नीक शीर्षक..! हार्दिक बधाइ..! -------------------------------------------------------------------------------------- प्रकाशित पुस्तकःप्रलयक परात https://www.facebook.com/photo/?fbid=2831911753750484&set=a.1388340294774311 डाक्टर भीमनाथ झा अहाँक लेखन ऊर्जाक अभिनन्दन... हितनाथ झा संख्यात्मक दृष्टिएँ तँ हिनक पोथी डेढ़ दर्जन अछिये , गुणात्मक दृष्टिसँ सेहो हिनक लेखनी महत्वपूर्ण अछि । एकान्त साधक श्री रवीन्द्र नारायण मिश्रजी संप्रति लिखिए रहल छथि से अनवरत । स्वागत । Dr Sharad Purohit आप को तो कई भाषा पर भी कमान्ड है, सभी पर भी लिखे ,पता नही आपका यह हूनर हमे पहले पता क्यो नही चला ? छूपे रुस्तम| Sp Dey Your literary journey is at full spree. Let your creativity be immortal Hari Pal Really you have a great creative writing skill.Remsrkale work.Keep it up. Congratulations for new addition in your treasure of valuable writings. प्रकाशित पुस्तकःप्रतिबिम्ब https://www.facebook.com/photo/?fbid=3017902635151394&set=a.1388340294774311 डाक्टर भीमनाथ झा स्वागत Dr Gangesh Gunjan बहुत-बहुत बधाइ आ शुभकामना ! डाक्टर Dhanakar Thakur उत्तम कार्य Pritam Nishad सुस्वागतम्... सतत् सुमंगलम्... प्रकाशित पुस्तकःहम आबि रहल छी https://www.facebook.com/photo?fbid=2770012903273703&set=a.1388340294774311 डाक्टर भीमनाथ झा स्वागतम् हमर उपन्यास -"हम आबि रहल छी" पढ़लाक बाद मैथिलीक मूर्धन्य विद्वान प्रोफेसर(डाक्टर)भीमनाथ झा लिखैत छथि- अपनेक नव्यतम उपन्यास 'हम आबि रहल छी' हमरा लग आबि गेल अछि । पढ़बामे ततेक मन लागि गेल अछि जे आन बेगरता भागि गेल अछि । ठीके, रोचकता तँ अपनेक लेखनीक प्रमुख विशेषता थीके, जे एहूमे विद्यमान अछि-- एक तँ ई कारण । दोसर ई जे एहिमे बूढ़ लोकक गूढ़ व्यथाक आख्यानक उत्थान, प्रस्थान आ अवसान अत्यन्त आत्मीयता आ मार्मिकताक संग कयल गेल अछि । आजुक शिक्षित समाजक बहुलांश कोना अपसंस्कृतिक मोहजालमे फँसि नाग जकाँ अपन प्रतिपालकोकेँ डँसि लैत अछि आ अपनहुँ अन्तमे निराशाक नरकमे खसि आजीवन सिसकी भरैत रहैत अछि । परिवर्तनक एहि बिरड़ोक अछैतो सनातन कर्त्तव्यबोध (यथा-- मातृपितृभक्ति, स्वावलंबन, अपकारक बदला उपकार, तिरस्कारक उत्तर सत्कार प्रभृति)क ध्वजा उधिया नहि गेलैक अछि, अपितु फहरा रहलैके अछि । संयोग आ आकस्मिकता एकर कथानकक प्राण थिक । एक दिस पुत्र जत' प्रेमिकाक लौलमे अमेरिका धरि दौड़ मारैत छथि तैयो ओ हाथसँ पिछड़ि जाइत छनि आ ई हकन्न कनैत छथि तँ दोसर दिस मायक गंगोत्रीमे जलसमाधि लेलाक कारणे पितो सायास हुनक अनुसरण करैत छथि आ अटूट प्रेमक दृष्टान्त बनैत छथि । नाटकीयताकेँ सामान्य पाठकमे उत्सुकता जगयबाक लेखकक कौशल रूपमे देखबाक थिक । अपनेक साहित्य-सभाक ई औपन्यासिक नवरत्न मैथिली पाठकक चारू कात अपन चमक पसारैत रहय-- ताही शुभकामनाक संग हार्दिक अभिनन्दन । -- भीमनाथ झा. 25.6.2021 Rewati Raman Jha अद्भुत उपलब्धि आ योगदान ! साधुवाद। -------------------------------------------------------------------------------------------------------------- प्रकाशित पुस्तकःपाथेय https://www.facebook.com/photo/?fbid=2723986184543042&set=a.1388340294774311 Gangesh Gunjan आत्मिक बधाइ आ शुभकामना। Lakshman Jha Sagar अहां त पोथीक जांक लगा देलियै।समाज एहि पोथी सब परहथि।मूल्यांकन करथि। तखन दोसर पारी शुरु करी।ई हमर सुझाव। Ravindra Bhushan Joshi Pranam sahitya purush! CSS mein chipe rahe ? Phir jeevant ho uthe prabhuwar ? Dhanya, Dhanya Dhanya! Bandhuwar ! Sp Dey Let your literary career grow more and more Prakash Chandra Pandey Sir, we are really lucky to have such a memorable collection from you Shailendra Jha सोलहम पुस्तक बारे मे जानकारी प्राप्त कऽ अत्यधिक खुशी भेल। पुस्तक सोलहन्नी पाथेय हो,ई मंगल कामना। Krishan Dutt Sharma बहुत बहुत बधाई! अच्छा काम कर रहे हो। अपनी संस्कृति को जिवित रखना आने वाली पिढियो के लिए धरोहर हैं! ------------------------------------------------------------------------------------------------------------ प्रकाशित पुस्तकःसीमाक_ओहि_पार https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=4296014813758350&id=100000496204662 Ujjwal Kumar Jha Favorites · December 25, 2020 · पोथी-परिचय #सीमाक_ओहि_पार #मैथिली_उपन्यास श्रीमान रबीन्द्र नारायण मिश्र जीक उपन्यास "सीमाक ओहि पार" पढ़लहुँ, एखन धरिक पढल उपन्यासमे ई सभ सँ पृथक आ अदभुत लागल, हिनक रचना एकटा एहन लोकमे प्रवेश करबैत अछि जतय कल्पनाक चरम स्थितिक बोध होइत अछि, अदभुत लेखन शैलीमे लेखक, पाठककेँ सीमाक ओहि पार लऽ जाके जीवनक अनेको सत्यसँ अवगत करबैत छथि। भूत, वर्तमान आ भविष्य संगहि महाकाल, पूर्वजन्म आ पुनर्जन्म आदिकेँ माध्यमसँ लेखक पाठक वर्ग केँ पूर्ण जिज्ञासु बनल रहवाक लेल विवश करैत छथि। लेखक कहैत छथि जे ई संसार रहस्यमयी अछि, ककरो किछु तऽ ककरो किछु आर बूझल छैक, सम्पूर्ण ज्ञान ककरा छैक ? सीमाक ओहि पार उपन्यास, मनोज आ रागिनीक प्रेम प्रसंगके इर्द-गिर्द घुमैत अछि जाहिमे लेखक अन्य पात्रक प्रवेश एतेक सुंदर ढंगसँ कएने छथि जे पाठकवर्गकेँ अवश्य अचम्भित करतन्हि, कतयो-कतयो तऽ पाठक पाछुक पृष्ठ उनटा पुनः पढ़वा पर विवश भऽ जेताह। उपन्यासक नायक लग एकटा पिपही छन्हि जकर माध्यमसँ लेखक संदेश देवाक प्रयास कएलन्हि अछि जे पिपही हमर सभक निर्णयात्मक बुद्धि अछि। लेखक एहि उपन्यासक माध्यमसँ समाज आ व्यक्ति विशेष केँ संदेश देबामे सेहो पूर्णतः सफल भेल छथि। लेखक कहैत छथि जे जाधरि हमसभ अपनासँ हटि कए नहि सोचबैक ताधरि बौआइते रहब। लेखकक बताओल दिव्यलोक सकारात्मकताक आ परिचायक थिक जतय सुख, शांति आ आनंदक अनुभव होइत अछि आ अंधलोक नकारत्मकताक प्रतिरूप थिक जतय दुख, अशांति ओ तनाव भरल अछि। लेखक, भारत सरकार केँ उप- सचिव पद सँ सेवानिवृत छथि आ कतेको उपन्यास, निबंध- संग्रह आ संस्मरण लिखि अपन विशिष्ट योगदान समृद्ध मैथिली साहित्यकेँ निरंतर दऽ रहलाह अछि, हिनक लेखन शैलीक इ अदभुत विशेषता एहि उपन्यासक माध्यमसँ पाठक वर्गकेँ अबस्स रूचिगर लगतन्हि। पोथीक नाम- सीमाक ओहि पार (मैथिली उपन्यास) लेखक- श्री रबीन्द्र नारायण मिश्र Rabindra Narayan Mishra मूल्य 250 ------------------------------- #maithilibooks © Ujjwal Kumar Jha Kedar Kanan हिनक रचनाशीलता मोहित आ प्रेरित करैत अछि प्रकाशित पुस्तकः'ढहैत देबाल' https://www.facebook.com/photo?fbid=2615244298750565&set=a.1388340294774311 भीमनाथ झा 'ढहैत देबाल' भने नाम राखि लियौ अपने, हम तँ जोड़ाइत देबाल सैह मानब । तीन-चारि मासपर एक पोथी--- मैथिली साहित्यक देबाल अपने जोड़ि रहलहुँ अछि । बधाइ ! Gangesh Gunjan आत्मिक बधाइ आ शुभकामना ! Raman Jha गद्यमे उपन्यास आ पद्यमे महाकाव्य जँ केओ एकहुटा लिखि लैत छथि तऽ ओ यशस्वी साहित्यकार कहबैत छथि आ जे जतेक अधिक संख्या बढ़बैत छथि से ततेक----। मैथिलीमे हमरा जनैत विदितजी उपन्यासक संख्यामे सभसँ आगाँ छथि आ लगैए जेना अहीँ हुनका पकड़ि सकबनि। बहुत बहुत बधाई आ शुभकामना। Bibhuti Anand मैथिलीक सौभाग्य जे अहाँ सन ऊर्जावान लेखक प्राप्त भेलै... Kirtinath Jha बहुत-बहुत बधाई. एहिना लिखैत रही, Lakshman Jha Sagar अहिना लेखकिय उर्जा बनल रहय।साधुबाद! Bhawesh Chandra MishraRabindra Narayan Mishra बहुत बहुत बधाइ रविन्द्र जी।बहुत प्रसन्नताक बात। Vishnu Kant Mishra हीरा -मोतीसॅ मैथिली साहित्यक संगहि आनो साहित्य के अपने अहिना भरैत रही Kedar Kanan बहुत बहुत बधाइ Uday Chandra Jha Vinod बधाई। Pandit Raghvendra Jha १०+५=१५ दस इन्द्रिय मे पाँच ज्ञानेंद्रिय पाँच कर्मेंद्रिय सँ मज़बूत कऽरहल अछि :ढहैत दिवाल;। Sp Dey Congratulations! Mishra ji. Your penchant for literary activities will mark you with fame and laurels in Maithili Literature. Wish you a long life and a still longer literary career https://www.facebook.com/photo?fbid=2615244298750565&set=a.1388340294774311 -----------------------------------------------------------------------------------------------

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