जीवन यात्रामे जीवन संगिनी क महत्व तँ
सभगोटे जनिते छी । हम मूलतः अड़ेर सन देहातमे शुरुक पचीस-छबीस वर्ष बितओलहुँ । हमर
बिआहो ओही समयमे पण्डौलगाममे स्वर्गीय गणेश झाजीक दोसर संतान श्रीमती आशा मिश्रसँ
४ जून १९७५क भेल छल । हमरा ओहिना मोन अछि जे हम सतरहटा बरिआतीक संगे रातिक दसबजे
पण्डौल पहुँचल रही । बरिआतीमे बाबूक अतिरिक्त हमर तीनू भाइ,हमर मित्र
लालबच्चा(विष्णुकान्त मिश्र) ,हुनकर पिता स्वर्गीय चंद्रधर
मिश्र ,हमर बहिनोइ स्वर्गीय सुखदेव झा आ किछु आओर लोक रहथि ।
बरिआती पण्डौलपर हमर ससुरक दरबाजापर पहुँचि गेल रहए । आङनमे गीत-नाद शुरु भए गेल
रहए । थोड़बे कालमे हमर परिछन शुरु भए गेल । पण्डौल पुरबारि टोलक पंडितजी बिआह
करओलनि । हुनकर आकर्षक स्वभाव अखनो मोन पड़ि रहल अछि । हमर जेठसरि रेणु मिश्र
बिधकरी रहथि । बरिआतीक खाइत कालक ठहाका अखनो हमर कानमे गुंजित होइत रहैत अछि ।
सुनलिऐक जे किछु बरिआती आम खेबामे नाम कए गेलाह ।
बिआहक बाद चतुर्थी धरि नित्य मौहक कालक गीतक मधुर स्वर
मोन पड़ैत रहैत अछि । मोन पड़ैत रहैत अछि चतुर्थी रातिमे आङनमे ओसारापर बहुत रास
लोकसभ आएल रहथि । गीत-नाद भए रहल छल । हमहु हरमुनिआपर गीत गएबाक प्रयास केने रही ।
ओहिमे गड़बड़ी भए गेल रहैक आ हमर ससुर बहुत परेसान भए गेल रहथि । ताबते नुनु
काका(स्वर्गीय ) दौड़ल अएलाह आ कहैत
छथि-“मिसरक गीत सुनि कए हमर गाय बिआ गेल ।” तकर बाद जे
ठहाका पड़ल से की कहू । असलमे हमरा हरमुनिआ नीकसँ नहि अबैत छल । मुदा जोशमे होश नहि रहल ।
बिआहक समयमे हम दरभंगामे टेलीफोन इन्सपेक्टरक काज करैत
रही । ओहिठामसँ सासुर अबरजात बनल रहैत छल । बिआहक बाद हमर ससुर मुंगेर नौकरी करए
चलि गेलाह । किछुदिनक बाद हमर सासु सेहो ओतहि चलि गेलीह । तखन रहि गेलीह विधकरी
रेणु बहिन । जखन-कखनो हम बिआहक बाद दरभंगासँ पण्डौल जाइ तँ ओएह स्वागतमे लागि जाथि
। हमर ज्येष्ठ साढू स्वर्गीय इंद्रानंद मिश्र(गुर्महा -पचाढ़ी) सेहो
अबैत-जाइत रहथि । एहि तरहे सासुरक माहौल बहुत रमनगर रहैत छल ।
हमर ससुर स्वर्गीय गणेश झा भारत सरकारक सेवामे लेखा अधिकारीक पदसँ सेवानिवृत्तिक बाद गामेमे घर बना
कए रहैत छलाह । मधुबनीमे सेहो ओ घर बनओने रहथि । मुदा बादमे ओहिठाम मोन उबिआ गेलनि
तँ भगला गाम दिस । गाममे बहुत भव्य मकान बनओलथि जे अखनो फटकिएसँ देखल जा सकैत अछि
। पण्डौलक बाध बहुत उँच छैक । रेलवे लाइनसँ लए कए पण्डौल बजार धरि सभटा जमीन बासक
हेतु उपयुक्त अछि । एहन बास बहुत कम गाममे होइत छैक । ताहुमे हमर ससुरक घर तँ एकदम
फराकमे रहबाक कारण बहुत हवादार अछि । चारूकातसँ हवा रौद सोझे मकानमे पहुँचि जाइत
अछि । मकान बनेलाक तीन सालक भीतरे हमर ससुरजी देहावसान भए गेलनि । तकर बाद लगभग
उन्नैस साल हमर सासु जीलथि आ ओहि मकानक उपयोग केलथि । बहुत बादमे ओ साल-दूसाल
गाममे नहि रहि सकलीह , हमर सार श्री संतोष कुमार झाक इन्दिरापुरम स्थित डेरापर
रहथि । मुदा सदिखन इच्छा रहनि जे गामे रही । पछिला साल १८ दिसंबरक अकस्मात हुनकर
देहावसान भए गेलनि । हुनकर मृत्युक बाद
एकटा महत्वपूर्ण अध्याय पूर्ण भए गेल । हमर सासु भागलपुर जिलाक भ्रमरपुर
गामक रहथि । बहुत व्यवहारिक आ मितव्ययी रहथि । हुनके सहयोगसँ हमर ससुर अपन आर्थिक परिस्थिति मजगूत कए सकल रहथि ।
पण्डौलमे नीक संपत्तिक अर्जित केने रहथि । चारिटा बेटी आ एकटा बेटाक खूब नीकसँ
पालन-पोषण केने रहथि । ततबे नहि ,संयुक्त परिवारक कतेको
जिम्मेबारीक मर्यादापूर्वक बाहन केने रहथि ।
पण्डौलक भौगोलिक स्थिति देखि कए हमरा कैकबेर मोन होअए जे
किछु जमीन ओतए कीनि ली । बादमे ओकर उपयोगपर सोचल जेतैक । मुदा हमर श्रीमतीजीकेँ ई
बात एकदम पसिंद नहि भेलनि । नैहरमे जा कए जमीन कीनब उचित नहि बुझानि । आब तँ ओ
जमीनसभक दाम आकास ठेकि गेल अछि ।
पण्डौलमे साबिक जमानासँ रेलवे टीसन अछि । पण्डौल बजार
सेहो बहुत बढ़ि गेल अछि । ओहिठामसँ मधुबनी आ दरभंगाक हेतु बस,टेकर आसानीसँ
भेटि जाइत अछि । आब तँ दरभंगामे हवाइ जहाजक आगमन भए गेलाक बाद पण्डौल आ आसपासक
इलाकाक महत्व आओर बढ़ि गेल अछि । ओहिठामसँ पैंतालीस मिनटमे हवाइ हड्डा दरभंगा
पहुँचि सकैत छी । ओतएसँ दिल्ली.मुम्बई,बंगलोर उड़ि जाउ ।
सुनैत छी जे किछु आओर सहरसभक हेतु हवाइ जहाज शीघ्रे शुरु भए जाएत । तेँ
पण्डौलमे आ आसपासमे रहलासँ एकहिसाबे दिनिआसँ
जुड़ल छी ।
४ जून १९७५क सत्तरह वर्षक बएसमे हमर श्रीमतीजी(आशा
मिश्र)क बिआह हमरासँ भेल रहनि । ओहि समयमे हमर बएस २३ छल आ हम दरभंगामे टेलीफोन
इन्सपेक्टरक काज करैत रही । हमर ससुरक एकमात्र ध्येय रहैत छलनि जे बर सरकारी
नौकरीबला होइ । से हमरामे भेटलनि । हमरा सरकारी नौकरी रहए जरूर मुदा ताहिपरसँ
पारिवारिक बोझ लादल रहए । माता-पिताक अतिरिक्त तीन छोट भाइक आशाकेन्द्र हमही रही ।
एतेक आदमीक गुजर एकटा छोटसन नौकरीक बान्हल दरमाहासँ कोना होइत? तेँ निरंतर धक्कमधुक्का
होइत रहल । हमरासँ छोट भाइ,सुरेन्द्र, सेहो
जल्दी बिआह कए लेलाह । ताबे हुनका कोनो नौकरी नहि रहनि । बादमे मिथिला क्षेत्रीय
ग्रामीण बैंकमे काज भेटलनि । तकरबाद तुरंते ओ भिन्न भए गेलाह । तखन रहि गेलाह
चारिगोटे-माए-बाबू आ दूटा भाइ । ओहिमे सत्येन्द्र (सभसँ छोट) हमरा संगे बहुत दिन
(लगभग बारह वर्ष) रहलाह । ओ बीच-बीचमे तमसा कए गाम भगैत रहलाह आ नौकरी भेलाक बाद
बिआह कए राँचीमे रहए लगलाह । मुदा धीरेन्द्रक कोनो हिसाब नहि बनि सकल । हुनको
बैंकसँ कर्ज दिआ कए भवन निर्माण सामग्रीक दोकान गामेमे खोलल गेल । मुदा सालभरिक
भीतरे ओ चौपट भए गेल । कर्जा ठामहि रहि गेल । हमरा बैंकक नोटिस आबि गेल जे कर्जा
चुकाउ । हम तँ परेसान भए गेलहुँ । रच्छ भेल जे हम गारंटी नहि देने रहिऐक । तेँ
बँचि गेलहुँ । नहि तँ ओ सभटा कर्ज हमरे सधबए पड़ैत । धीरेन्द्रकेँ मदति करबाक हेतु
सत्येन्द्रक बिआहक बाद हमर बहिनोइ(स्वर्गीय विद्यापति झाजी क सहयोगसँ एकटा पुरान
जीप पानागढ़सँ कीनल गेल । हम शुरुएमे तकर पक्षधर नहि रही । मुदा सत्येन्द्र आ ओझाजीक
जोर देखैत सहमति देबए पड़ल । ओहो प्रयास पाँच-छ मासमे असफल रहल । तकरबाद धीरेन्द्र
एमहर-ओमहरमे लागल रहि गेलाह । हम दिल्ली आ तकरबाद इलाहाबाद चलि आएल रही । संगमे श्रीमतीजी आ पुत्र भास्कर रहथि । एतेक
लेध-गेदक संगे सीमित आमदनीसँ परिवार नीकसँ चलबे नहि कएल,दौड़ैत
रहल । निरंतर गाम-घरसँ केओ-ने-केओ अबते रहैत छल । ऐहन परिस्थितिमे हमर गृहस्थीकेँ
नीकसँ चला लेबाक संपूर्ण श्रेय हमर श्रीमतीजीक छनि । ओ तँ हमर परिवारक लेल साक्षात अन्नपूर्णा छथि । जेना
हुनकर हाथमे अक्षयघट हो । जखन जतबे आमदनी रहनि ततबेमे परिवारकेँ बाइज्जत चलबैत
रहलीह आ हमरा कहिओ ने ककरोसँ माङए पड़ल ने कर्ज लेबए पड़ल ।असलमे ओ अपन माता-पिताक
संगे रहि नौकरीबला परिवारकेँ सीमित आमदनीमे कोना चलाओल जाए ताहिमे निपुणता प्राप्त
केने रहथि ।हमर भाइसभ तँ अपन-अपन जोगार केलाह आ कात होइत गेलाह । रहि गेलाह हमर
बाबू आ माए जे गामपर निरंतर हमरा दिस तकैत रहथि । सन् १९८९क फरबरी मासमे पिताक
चौहत्तरिम वर्षमे देहामत भए गेलनि । तकरबाद रहि गेलीह हमर माए । गामपर हुनकर अतिरिक्त
हमर छोट भाइ धीरेन्द्रक परिवार रहैत छल । माए आ हुनका लोकनिक भानस-बात फराक होनि ।
हमर माए सभदिन फराक रहए चाहथि । अपन घरसँ कतहु नहि जाथि आ डीहकेँ कटकटा कए पकड़ने
रहलीह । हम निरंतर मनीआर्डर पठा कए हुनकर ओहि संकल्पकेँ मजगूत करैत रहलहुँ । मुदा
नब्बे वर्षक आयु पार करैत-करैत ओ काज नहि कए सकथि आ तैओ फराक रहए चाहथि । तखनसँ
हुनकर जीवन नर्क भए गेल । हमर मनीआर्डर काज केनाइ बंद भए गेल कारण अपन देहमे ताकति
नहि रहलनि,काजमे सक नहि लागनि । जे से समय बीतैत रहल । जीवनक
अंतिम अध्याय शुरु भए गेल । तथापि घरक माहौल ओहिना रहि गेल । मुदा हमर श्रीमतीजीक
बुद्धिमत्तापूर्ण सहयोगसँ जीवनक पहिआ आगु बढ़ैत रहल । निश्चय ओ मिथिलाक नारीक ओहि गुणसभक
प्रतिनिधित्व करैत छथि जाहि हेतु अपनसभक माटि-पानि प्रशंसित रहल अछि ।
घरक काजक अतिरिक्त हमर समस्त साहित्यिक गतिविधिमे हमर
श्रीमतीजी सक्रिय सहयोग करैत रहलीह अछि । ओ हमर समस्त साहित्यिक कृतिक प्रथम पाठक
रहलीह अछि आ अपन अमूल्य परामर्श दए ओहिसभमे गुणात्मक सुधार करैत रहलीह अछि । सही
मानेमे ओ हमर जिनगीकेँ सुगमे नहि केने रहलीह ,अपितु एकरा पल्लवित,पुष्पित करबामे महान योगदान करैत रहलीह ।
हमर बिआहक समयमे आङनक माहौल बहुत रमनगर रहैत छल । कोनो
अवसर भेलापर चारूकातसँ लोकसभ जमा भए जइतथि । हँसी ठठ्ठा होबए लगैत । पूब दिससँ
लालकाका,उत्तरसँ डाक्टर काका ,दक्षिणसँ नूनू काका आ
दरबाजापरसँ रमेश काका दौड़ल अबितथि । डाक्टर काका तरह-तरहक चमत्कार करबाक ढोंग
करबामे माहित छलाह । हुनकर करतबसभ पर ठहाका लगैत रहैत छल । एकबेर अमेरिकाक
राष्ट्रपतिक चुनाव होइत रहए । रेडिओमे चुनावक चर्चा चलैत रहैक । जीतत के? एहि विषयमे आङनमे लोकसभमे वाद-विवाद भए रहल छल ।सभकेँ इएह उत्सुकता जे के
जीतत? डाक्टर काका अपन रेडिओसंगे कोठरीसँ बाहर भेलाह । अपन
चमत्कारिक भाव-भंगिमामे घोषणा केलनि- हे इएह लएह । हम निक्सनकेँ मचोरि देलिऐक । आब
ओ हारिए कए रहत। बाह रे डाक्टर काका आ हुनकर भविष्यवाणी । आङनमे सभ हतप्रभ छल ।
एहिना किछु-ने-किछु ओ करिते रहैत छलाह । ओ कलना बाबाक परम भक्त छलाह । गाहे-बगाहे
कलना जाइते रहैत छलाह । बाबा सेहो हुनका ओहिठाम अबैत रहैत छलखिन । हुनका अपन संतान
नहि रहथिन । बाबकेँ गोहरओला तँ ओ कहलखिन-सभकुछ तोरे न न होइ । बादमे बाबाक
आशीर्वादसँ हुनका स्वतमत्रता सम्मान पेंशन भेटि गेलनि जाहिसँ दुनू बेकतीकेँ आर्थिक
परेसानी नहि रहलनि । हुनकर छोट भाइ चलखिन लाल काका । ओहो ककरोसँ कम नहि,बेस कलामी लोक । एक डेग मधुबनी कोर्टेमे रहैत छलनि । कैक कित्ता केस लड़ैत
छलाह । मुदा ओ बहुत मजगूत आजीबट बला लोक रहथि आ अपना बले समाजमे बहुत नीक स्थान
बनओने रहथि ।
समय साल बदललैक । आब ने ओ रामा ने ओ कोठोला । हमर ससुर
अपन अलग घरारीपर मकान बना लेलाह । कालक्रममे आोर दिआदसभ सेहो अपन-अपन फराक घर बना
लेलाह । आब जँपुरना आङन जाएब तँ सुन्न लागत । केओ टोकनाहरो नहि भेटत । मुदा सभसँ
काबिले तारिफ ई बात जे सभ दिआदसभ घरारीक बटबाराक विवाद आपसेमे सहयोगसँ निपटा लेलाह
जाहिसँ चारूकात विकास भेल । नव-नव मकानसभ बनल आ आपसी सौहार्दय सेहो थोड़-बहुत
बाँचल रहि गेल ।
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