मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

बुधवार, 1 अप्रैल 2020

कमाल चौक,अड़ेर


कमाल चौक,अड़ेर

कोनो पैघसँ छोट घरक नीव केओ नहि देखैत अछि,देखिओ नहि सकैत अछि । नीव होइते अछि तपस्या करबाक लेल । अपन समस्त शक्तिसँ सभक सभटा भार बिना कोनो प्रतिवादकेँ सहि लेबाक हेतु । ओकरा इहो नहि बूझल रहैत छैक जे जकर ओ भार सहि रहल अछि से खोपरी अछि की महल? ओ तँ बस अपन कर्तव्य कए निश्चिंत भए जाइत अछि । कोनो पुरस्कार,कोनो मान-सम्मानक अभिलाषा नहि । सएह हाल छलनि अड़ेर पुरबारिटोलक कमालजीकेँ जे नित्य भोरसँ साँझ धरि अड़ेर चौकपर एकटा मचानपर टिनहा पेटी लेने बैसल रहैत छलाह । ओहि टिनहा पेटीसँ निकलैत छल पानक पात आ ओहिमे देल जाए जोगर रंग-विरंगक सचार जेना चून,कत्थ,जार्दा,किमाम । सुपारि आ कखनो काल इलाइचीक सेहो ओरिआन रहैत छल । कमाल देखबामे गोर-नार,बेस नमगर आ बगए बानि पातर छितर छलनि । हमरा अखनो कथसँ रङल हुनकर हाथ ध्यानमे आबि रहल अछि । डीह टोल,पुरबारिटोल ,बेलौंजा,सिनुआरा,विष्णुपुरक युवकसभ अड़ेर चौकपर अबिते रहैत छलाह । लग-पासक गामक लोकसभ सेहो कोनो-ने-कोनो काजे ओतए देखल जैतथि । ओ सभ गाहे-वगाहे कमालजीक पानक दोकानपर अवश्य अबितति । पान खैतथि आ जीह लाल केने आगा बढ़ि जैतथि । एहिक्रममे कमालजी युवकसभक संगे हँसी ठठ्ठा सेहो करैत रहैत छलाह । ओहन गरिबिओमे ओ निरंतर प्रसन्न रहैत छलाह । एहि तरहे सालक-साल ओ अपन काजमे लागल रहलाह । कोनो भारी बात नहि जे बहुतदिन धरि अड़ेर चौककेँ कमाल चौकक नामसँ लोक सुमार करैत छल ।

कहबी छैक -जे ननुआ से गर्भहि ननुआ । ओएह हाल कमाल चौक ,अड़ेरोक छल । यद्यपि किछुसालक बाद कमालक मृत्य भए गेलनि । ताबे ओहि लग-पासमे कठघरामे दूटा दोकान खुजि गेल छल । एकटा कठघरा सड़कक बामा दिस तँ दोसर दहिना दिस रहैक । दुनू दोकानमे एकहि तरहक समानसभ रहैत छल । लटगेनाक समानक अतिरिक्त पान सेहो ओतए भेटैत छल । बामाकात बला कठघरापर रेडिओ बजैत रहैत छल । रेडिओ सिलोनसँ पुरनका गीत भोरमे साढ़े सात बजेसँ नित्य बजैत छल । आधघंटाक एहि कार्यक्रमक अंतमे सहगलक कोनो गीत बजैत छल । रेडिओ सीलोन बहुत मोसकिलसँ पकड़ैत छल । सड़कक बामा कात स्वर्गीय रामधनी साहुक मधुरक दोकान छल । ओतए लग-पासक गामसँ लोक लोकसभ आबि चाह पीबैत गप्प-सप्प करैत रहैत छलाह । एक हिसाबे ओ ग्रामीण क्लब छल । हुनकर दुनूपुत्र स्वर्गीय सुखदेव साहु आ स्वर्गीय जगदेव साहु ओहि दोकानकेँ चलबैत छलाह । थोड़बे दूर पश्चिम दिस हटि कए एकटा दोकान छल जतए चाह-पान -जलखैक जोगार रहैत छल । बुनिआ, सेओ ,घीमे तरल चूरा आ खोआक पेराक हेतु ओ दोकान प्रसिद्ध छल । भोर-साँझ ओतहु लोकसभक बैसार होइत छल । मूलतः समय बितेबाक उद्देश्यसँ ओतए लोकसभ अबैत छलाह आ तरह-तरहक गप्प-सप्प करैत राति कए लैत छलाह ।

फटकिएसँ जहाँ उजरीबस देखाइत की यात्रीसभ सतर्क भए जइतथि। बस कनीक आगू बढ़ैत तँ ओकर छतपर जेना-तेना बैसल हिलैत-डोलैत यात्रीसभ सेहो देखैतथि । ओ कनीक आओर आगू बढ़ैत तँ दृश्य कनीक आओर फरिछाइत । बसक गेट आ पछुअतिसँ लटकल यात्रीसभ सेहो देखाइत । से सभ मिलिकए बसक से भयावह दृश्य लगैत जे बसक घंटोसँ प्रतीक्षा कए रहल यात्रीगण परेसान भए जइतथि । एकाध गोटे जिनकर जेबीमे टाका छलनि से तँ रिक्सा खए आगू बढ़ जइतथि। शेष यात्री उजरी बसक प्रतीक्षा करितथि । बस आबिओ जाइत । ठाढ़ो होइत मुदा ओहिमे चढ़ब केना? एहि समस्याक अंत कैकबेर सहयात्रीक संगे झंझटसँ होइत । कैकबेर बसक परिचालक संगे मुँहाठुठी होइत । केओ कहुना कए बसमे घुसिआ सकितथि आ कैकगोटे बाटे तकैत रहि जइतथि आ बस खुजि जाइत । कैकबेर तँ बस ओतए ठाढ़े नहि होइत । किछु आगा बढ़ि कए यात्रीकेँ उतारबाक हेतु ठाढ़ होइत आ जाबे आगू गेनिहार यात्रीसभ दौरि ओतए पहुँचितथि ताबे बस खुजि जाइत । ई दृश्य नित्य भोरे कमाल चौक अड़ेरपर देखल जा सकैत छल । बसमे चढ़बाक हेतु एतेक मारामारीक मूल कारण छलैक बसक कमी । ओहि समयमे  मात्र दूटा बस अड़ेरबाटे मधुबनी धरि जाइत छल । एकटा उजरीबस छल-जे साहरघाटसँ खुजि मधुबनी जाइत छल। दोसर बस कनीक पैघ छल । ओ बस बेनीपट्टीसँ अबैत छल । एहि दुनू बसक अतिरिक्त यातायातक साधन मानवचालित रिक्सा छल । जँ बस नहि भेटल तँ किछुगोटे तँ पैरे आगू बढ़ि जाइत छलाह । जिनका जेबीमे  टाका रहनि से रिक्सा कए रहिका चलि जइतथि । एकटा रिक्सापर दूसँ तीनटा यात्री बैसि जाथि । एहिसँ किराया कम भए जाइत छल । एहि झंझटसँसँ बँचबाक हेतु लोकसभ बस पकड़बाक प्रयास करैत छलाह । ताहि हेतु नगवास,परजुआरि,एकतारा,जमुआरी,बेलौजा,कतेकोगामक लोकसभ भोरेसँ मुस्तैद रहैत छलाह । कहक माने जे ओहू समयमे अड़ेर चौक पर भोरेसँ आबा-जाही बनल रहैत छल

एकबेर हमहु एहिना चौकपर बसक प्रतीक्षा करैत रही । हमरा दरभंगा जेबाक रहए । बस आएल तँ ठसाठस भरल छल । हम बसक पछिलका बोनेटपर लटकि गेलहुँ । बस खुजलैक तँतते क जोरसँ झटका लागल जे हम बससँ नीचा फेका गेलहुँ। हाथ-पैर सौंसे चिला गेल । कैकठामसँ खुन बहए लागल । चौकपर गप्प-सप्प करैत कैकगोटे हमरा खसल देखि दौरलाह । जेना-तेना हम ठाढ़ भेलहुँ आ लङराइत चौकपर वापस अएलहुँ ।  हमरा ओहि समय जे चोटक निसान बनल से अद्यावधि अछिए

अड़ेर चौकक महत्व एहूलेल विशेष छल जे एहिठामसँ थोड़बे  दूरउतरबारिकात रबि आ बुध दिन कए हाट लगैत छल । ओतए गाम-गामसँ आबि कए लोकसभ अपन जरुरतक चीज-वस्तुसभ कीनैत छलाह । कहिओ काल कए हाटपर बीड़ीक प्रचारक हेतु नटुआ अपन मंडलीक संग नचैत छल आ रहि-रहि कए बीड़ी फेकैत रहैत छल । चारूकात नाच देखैत लोकसभ बीड़ी लुटबाक हेतु झपट्टा मारैत छल । एहि तरहे लोककेँ बीड़ी मंगनीमे बाटि कए बीड़ी पीबाक हेतु अभ्यस्त कएल जाइत छल । चौकपर दाड़ी बढ़ौने एकटा बृद्ध गाजाक सोंटा लगबितो छलाह आ गाजा बेचितो छलाह । कैकगोटे गाहे-वगाहे ओहिठाम चोरा-नुकाकए एहि काजमे संलिप्त रहैत छलाह । ओ बुढ़ा अपना आगुमे भगवानसभक फोटो सेहो रखने रहैत छलाह जाहिमे एकटा फोटोमे लिखल रहैत छल-“\सभ तीरथ बार-बार,गंगा सागर एकबार ।

चौकपर एकटा बड़ीटा पाकड़िक गाछ छल जकर छाहरिमे यात्री लोकनि विश्राम करैत छल । कहिओ काल मुंसीजी एकटा पथिआमे नेना-भुटकामे लोकप्रिय बंबइ मिठाइ सहित कैकटा चुसनासभ रहैत छल । मुंसीजी हमरसभ मिडिल इसकूलपर सेहो कहिओ काल ओएह वस्तुसभ  बेचबाक हेतु जाइत छलाह । हमसभ बहुत प्रयास कए ओसभ कीनबाक हेतु पाइ अनैत छलहुँ । एक पाइ,दू पाइ सँ लए कए एक आना ,दू आना इसकूल जाइत काल जोगार  कएल जाइत छल । एतबेमे काज चलि जाइत छल । जौं पाइक जोगार नहि भए सकल तँ उधारिओ चलि जाइत छल ।

चौकपर सटले पूबदिस कमला नहरिपर बनल पुल छल । कैकटा युवकसभ साँझमे ओहिठाम गप्प-सप्प करैत देखल जा सकैत छलाह । जखन धारमे पानि भरल रहैक तँ धीया-पुतासभ ओहि पुलपर सँ नीचा कुदि जाइत  छल । एकाध बेर हमहु ई काज केने रही । एकटा कुदल,दोसर कुदल तकरा देखाउँसे तेसर कुदल । एहि तरहें ई खेल चलैत छल । असलमे गाम-घरमे नेनासभकेँ खेलेबाक हेतु एहने जोगारसभ करए पड़ैत छलैक । ओहि समयमे रेडिओ,टेलेवीजन तँ रहैक नहि । तखन तँ इएह सभ होइक । कबड्डी,चिक्का,तास सभसँ जौँ मोन भरि गेल तँ नेनासभ कहिओ काल गेनखेली देखबाक हेतु सेहो चलि जाइत छल । ओना हमर गामक गेनखेली बहुत प्रसिद्ध रहैक । ओकरे बदौलत कैकटा खेलाड़ीसभकेँ रैयाम चिनी मीलमे नौकरी लागि गेल रहनि ।

कालान्तरमे अड़ेर चौकपर गतिविधि बढ़ैत गेल । हम नौकरीक दौरान जखन कखनो गाम जाइ तँ सभबेर ओतए किछु-ने-किछु नव देखाइत । जेना एकबेर गाम गेलहुँ तँ चौकसँ सटले डीहटोल जेबाक हेतु ग्रामद्वार बनल देखाएल जाहिमे श्री राज किशोर मिश्र(सेवानिवृत्त मुख्य महाप्रवंधक,बीएसएनएल) आ ग्रामीण लोकनिक योगदानक चर्च अछि ।

हमसभ जखन  सात-आठ वर्षक रही तँ अड़ेर चौकसँ सटले दछिनबारि दिस मीना बजार लागल छल । हमरा कनी-कनी अखनो ओ मोन पड़ैत अछि । बड़ीटा हाताक गेटपर बड़का-बड़का रंगल-ढंगल घैलसभसँ स्वागत द्वार सजाओल गेल छल । अंदरमे बहुत रास वस्तुसभक प्रदर्शनी लागल छल । ओही साल हमर दोसर बहिनक बिआह भेल छल । हमर बहिनोइ स्वर्गीय सुखदेव झा (ग्राम-करहरा,मधेपुरा,मधुबनी) ओहि प्रदर्शनीक आयोजकमे सँ छलाह । ओ राज्य सरकारक अधीन काज करैत छलाह ।

कालक्रमसँ अड़ेर चौकपर टेलीफोन एक्सचेंज,बैंक,एटीएम खुजल । अड़ेर थाना सेहो बनि गेल । ओकर कार्यालय सोसाइटी आफिसमे स्थापित भेल । चौकपर पूबसँ पश्चिम दूसएसँ बेसी दोकानसभ खुजि गेल ।  दबाइक एगारहटा दोकान खुजि गेल । आब जखन कहिओ गाम जाइत छी तँ चौकपर हेराएले रहैत छी । लोकसभक रंग-ढंग सेहो सहरुआ भए गेल । केओ ओतबे बाजत जतबा पुछबैक । जँ किछु भइओ गेल,कोनो तहरक प्रतिवादक बिना लोकसभ सहटि जाएत ।  मुदा भरिदिन लोकसभ चौकपर भरल देखाएत । आब तँ ई हाल अछि जे अड़ेर चौकपर आन-आन गामसँ आबिकए लोकसभ दोकान खोले लेने छथि ।

अड़ेर होइत बेनीपट्टी ,पुपरी जाएबला रोड बेस चाकर भए गेल अछि ।  बसक संख्यासभमे जबरदस्त इजाफा भेल अछि । रहि-रहि कए मधुबनी,दरभंगा,पटनाक बस चलैत रहैत अछि । टेकर आ छोटकाबस(मिनी बस)सभक तँ हाल पुछु नहि । दू सँ तीन मिनटक भीतर कोनो-ने-कोनो सबारी भेटिए जाएत । एतेक चलता रोड भए गेल अछि जे जँ कनिको ध्यान एमहर-ओमहर गेल तँ दुर्घटना भेनहि अछि । कैकगोटे एहनमे जान गमा चुकल छथि । बात एतबेपर नहि ठहरल अछि । आब तँ सुनैत छिऐक जे अड़ेरक लग-पास होइत ट्रेन लाइनक सेहो सर्वे भए गेल अछि । कुलमिला कए अड़ेर चौकपर एकटा छोट सहरक धमक देखबामे आबि जाइत अछि । सुनबामे अबैत अछि जे अड़ेर चौकक लग-पासमे चालीस लाख रुपया कठ्ठा जमीन बिकाएल अछि । ई तँ सहरोकेँ कान काटि रहल अछि ।

आजुक अड़ेर चौक आ पचास साल पूर्वक अड़ेर चौकमे आकास-पातालक फर्क आबि गेल अछि । अएबेक चाही । संभवतः पहिने केओ नहि सोचने होएत जे गामक एकटा चौक एतेक विकास कए लेत । हमरा तँ लगैत अछि जे किछु दिनमे ई मधुबनी सहरकेँ टक्कर दए सकत । मुदा किछु बात ककरो कचोटि सकैत अछि । जहिना ओहिठाम व्यापार बढ़ल   अछि तहिना मानवीय मूल्यक ह्रास सेहो होइत गेल । ओहिठाम लोकसभक  भीड़ बेसक बढ़ि गेल अछि,दोकानक संख्यामे बहुत इजाफा भेल अछि मुदा लोकक आपसी अपनैती विलुप्त  भए गेल । छोट-छोट बात लए कए कैकबेर  ओतए झंझट होइत देखल जाइत अछि । आशा करक चाही जे चौकक समृद्धिक संगहि लोकक आपसी बंधुत्व आ सिनेह सेहो बढ़ि सकत । से जँ भए सकल तँ सोनामे सुगंध ।



लेखकःरबीन्द्र नारायण मिश्र

Email:mishrarn@gmail.com

1/4/2020

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