समय
समय का
कोई मूल्य नहीं हो सकता है । आप चाहे जितना प्रयास कर लीजिए,किसी से
समय उधार नहीं ले सकते हैं । जो समय बीत चुका है ,वह वापस नहीं पाया जा सकता है ।
यह बात लगभग सभी जानते हैं । फिर भी हम अधिकांश लोगों को समय के प्रति बहुत ही
लापरबाह पाते हैं । वे कहते रहते हैं-
"क्या करें समझ ही नहीं आता है ।
समय बीतता ही नहीं है ।" याने जो सबसे अमुल्य बस्तु है, जिसका
कोई विकल्प नहीं है उसको हम कोड़ियों के भाव फेक रहे हैं । यह विडंबना नहीं तो
क्या है?
दिन-रात
के चौबीस घंटे सभी के लिए होते हैं । ऐसा नहीं होता है कि किसी के लिए यह छत्तीस घंटे
का होता है तो किसी के लिए दस घंटे का ही होता है । फिर फर्क किस बात से हो जाता है
? क्यों कोई उच्च कोटि का विद्वान हो जाता है और दिन-रात पुस्तकालय में रहनेवाला
मजदूर जस-के-तस रह जाता है?
इसका कारण स्पष्ट है । हम समय का उपयोग कैसे करते हैं वही हमारे
भविष्य का निर्माण करता है । समय का रचनात्मक
उपयोग ही हमारी उपलव्धियों में चार चांद लगा सकते हैं । इसका यह मतलब कदापि नहीं है
कि हम यंत्रवत काम करते रहें। काम के साथ-साथ स्वस्थ मनोरंजन के लिए भी समय निकालना
जरूरी है । इससे हमारी रचनात्मकता में वृद्धि होती है ।
किसी का
समय एक जैसा नहीं रहता है । राजा-रंक-फकीर सभी समय के प्रभाव में जीते हैं और मर जाते
हैं । ऐसा नहीं होता है कि गरीब ही बृद्ध या बिमार होते हैं । बड़े-बड़े उद्योगपति,मंत्री,अधिकारी
सभी प्रकृति के नियमों से प्रभावित होते हैं । इसलिए जिस का कोई समाधान है ही नहीं
उसको लेकर माथापच्ची करने का क्या औचित्य है? कुछ भी नहीं । अस्तु,समय के असीम
सामर्थ्य को स्वीकार करते हुए हमें उसका सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए ।
सही समय
में लिया गया सही निर्णय आदमी का भाग्य पलट सकता हे । महाभारत युद्ध में भगवान कृष्ण
पाण्डवों को विजय दिलाने में इसीलिए कामयाब हो सके क्यों के वह सही वक्त पर उचित निर्णय
लेने में माहिर थे । जो व्यक्ति निर्णय नहीं ले पाते और दुविधा में रहते हैं समय उनका
कभी साथ नहीं देता है । समय निकल जाने के बाद वे अफसोस करते रह जाते हैं । लेकिन तब
कुछ हो नहीं पाता है । जीवन में हमें हमेसा इस बात का धयान रखना चाहिए । अगर हम जीवन
संघर्ष में विजयी होना चाहते हैं तो हमें समय का महत्व समझना ही होगा । इसका कोई विकल्प
नहीं है,हो भी नहीं सकता है ।
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