मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

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शुक्रवार, 15 जून 2018

सफलताक रहस्य


सफलताक रहस्य

एहि दुनियाँमे क्यो एहन लोक नहि भेटताह जे अपन अधलाह चाहैत होथि,अपितु सभ एही प्रयासमे लागल रहैत छथि जे संसारक अधिक सँ अधिक सुख-सुविधा हमरा भेटए,सभ मनोकामना पूरा होअए,बाल-बच्चा सुखी रहए। एही प्रयास मे हमसभ निरंतर लागल रहैत छी । एहिमे किछु गलत नहि छैक मुदा समस्या तखन होइत अछि जखन सभ प्रयास केलाक बादो मनोवाँछित फल नहि भेटैत अछि। एहि परिस्थितिमे कतेको गोटौ निराश भए जाइत छथि, प्रयास छोड़ि दैत छथि आ कतेकोबेर अनुचित रस्ता सेहो अख्तियार ए लैत छथि ।
कै बेर एहन होइत अछि जे हम कोनो काजमे बर्खोसँ लागल रहैत छी आ जखन लक्ष्य एकदम लगीच रहैत अछि तँ थाकि कए,निराश भए अपन प्रयासकेँ सिथिल कए दैत छी किंबा आधा-अधूरा  छोड़ि दैत छी । परिणाम अनुकूल कोना होएत ?से नहि होइत अछि, तँ विधाताकेँ दोख देबए लगैत छी । दुनियाँमे ज्यादातर असफल लोक आत्म-चिंतन करबाक बजाए अपन असफलताकेँ हेतु दोसर केँ जिम्मेदार ठहराबए लगैत छथि । मुदा ताहिसँ की होएत?  
कोनो प्रकारक काजक सफलताक हेतु जरूरी अछि जे हमर समस्त शक्तिक रचनात्मक उपयोग हो,एकहि संगे दसठाम हाथ देलासँ किछु नहि भए सकैत अछि। कखनो किछु,कखनो किछु जँ करैत रहब तँ बानर बला हाल भए जाएत जे जाही डारिपर जाइत अछि ओकरा दोसर डारि बेसि हरियर लागए लगैत अछि । एकरा लोक कहैत अछि-बनरकूद। कहबाक तात्पर्य अछि जे सबसँ पहिने अपन गंतव्यक निर्धारण करबाक चाही आ तकर बाद संपूर्ण शक्तिसँ ओकरा प्राप्त करबाक प्रयास करबाक चाही ।
एकटा बात तँ तय अछि जे सफलताक कोनो लघुपथ नहि भए सकैत अछि। आइ धरि जे क्यो व्यक्ति सफल आदमीमे सुमार कएल जाइत छथि तिनक जिनगीसँ ई बात बुझल जा सकैत अछि । अपना देशक भूतपूर्व राष्ट्रपति कलाम साहेब अखबार बेचि कए पेट भरैत छलाह। वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी महोदय नेन्नामे चाह बेचैत छलाह । एतेक विपन्नता अछैत ओ सभ अद्वितीय कोना भए गेलाह? ई सोचबाक विषय थिक ।एहन कम लोक होइत छथि जे सुविधाक अंबारमे जनमिओ कए पैघ- पैघ काज कए यशस्वी होइत छथि । पैघ उद्येश्य जँ रखने छी तँ ताहि प्राप्त करबाक हेतु तेहने सघन प्रयासो चाही। अर्जुन जकाँ सभकिछु बिसरि मात्र पंक्षीक आँखिपर ध्यान केंद्रित हेबाक चाही आ जँ भीम भाइ जकाँ एकहिबेर सभ किछु देखए लागब तखन की भेटत? फोकला!
महान उपलव्धिक हेतु तेहने कड़गर मेहनति करए पड़ैत अछि । तेहने दृढ़ संकल्पक संग दिन-राति एक करए पड़ैत छैक । एहन नहि भए सकैत अछि जे हल्लुक परिश्रमसँ उत्कृष्ट उपलव्धि भए जाइक। अंग्रेजीमे एकटा कहाबत छैक जे "If wish be the horses, poor ride the first" कहक माने जँ इच्छे केलासँ होइक तँ गरीबे सबसँ पहिने घोड़ा चढ़ए । इच्छाक संग-संग प्रयत्नो तेहने  घनघोर हेबाक चाही ।
जेठक दुपहरिआमे जखन रौदसँ मोन आकुल भए जाइत अछि तखन होइत छैक जे कहुना गाछक छाहड़िमे चली। जखन पिआससँ मोन बेकल भए जाइत अछि तखन इच्छा होइत छैक जे हे भगवान! कहुना कतहुँसँ पानि भेटए। तखन लोक ई नहि देखए लगैत अछि जे पानि डबड़ाक अछि कि गंगाजल । केहनो पानि अमृत लगैत अछि । तहिना जीवनक संघर्षक तपिससँ मोन जखन व्याकुल भए जाइत अछि तँ  लोक थाकल-ठेहिआएल कहि उठैत अछिः हे भगवान! आब अहीं पार लगाउ ! संघर्षक समयमे भगवानपर विश्वास बड़का शक्ति दैत अछि । काज करैत रहू आ फलक चिंता हुनका पर छोड़ि दिअ,इएह बात भगवान गीतामे बारंबार कहने छथि ।एहि काज करबाक शक्ति बढ़ैत अछि ।कने-मने असफलतासँ निराशा नहि होइत छैक आ अन्ततः सफलता तँ भेटिते अछि।
मनुक्खक मोनमे परमात्माक बास होइत अछि । तेँ जँ ओ सही प्रयास करए तँ किछु दुर्लभ नहि रहि सकैत अछि । ताहि हेति जरूरी थिक जे लक्षयक प्रति पूर्ण समर्पण होइक । आधा-अधुरा मोनसँ कएल गेल प्रयाससँ सिद्धि नहि भए सकैत अछि । ई बात अक्सर देखल गेल अछि जे हम  उत्तम सँ उत्तम फल चाहैत छी ,जकरा ककरो लग किछु  नीक छैक से हमरा लग किएक नहि रहत? हमसबसँ औअल किएक नहि रहब? से सभतँ ठीक,मुदा जखन प्रयास करबाक गप्प होइत अछि तँ हम पाछा रहि  जाइत  छी।
रामकृष्ण परमहंससँ एकबेर क्यो पुछलकनि जे भगवानक दर्शन कोना होएत? ओ ओहि व्यक्तिकेँ पानि मे डूबा देलखिन आ पुछलखिन जे आब की चाही? ओ चिचिआए लागल-किछु नहि चाही,बस हमरा पानिसँ निकालु । ओकरा तुरंत पानिसँ निकालल गेल । पानिसँ बाहर अबितहिँ ओकरा कहलखिन जे जहिना पानिमे डुबि गेलाक बाद तोरा खाली पानिसँ बाहर हेबाक इच्छा रहि गेलह आओर किछु नहि सुझाह तहिना जखन भगवान केँ प्राप्त करबाक हेतु एकाग्र हेबह तँ ओहो भेटि जेथुन। एहने खिस्सा एकलव्यक अछि । गुरु द्रोणाचार्य द्वारा शिक्षा नहि देबाक निर्णयसँ आहत ओ गुरुक प्रतिमा बैसाए दिन-राति साधना करए लगलाह आ अपन लक्ष्यकेँ पाबि तेहन निपुण धनुर्धर भए गेलाह जे द्रोणाचार्यो घबरा गेलाह आ ओकरासँ अंगूठा मांगबाक नीचता कए गेलाह।
सफलताक कुंजी थिक,आत्मविश्वास । स्वामी रामतीर्थ एकबेर घोर झंगलसँ जाइत रहथि कि एकटा बाघ हुनका सामने आबे गेल । मुदा ओ बिना बिचलित भेनहि ओहि बाघक आँखिमे घुरैत रहलाह आ बाघ अपन रस्ता बदलि लेलक।स्वामीजीक आत्मविश्वाससँ बाघोकेँ रस्ता बदलि लेबाक हेतु विवश कए देलक। जौँ हमरा विश्वास अछि जे हम ई काज  कए सकैत छी तँ बुझि लिअए काज हेबे करत । देर-सवेर भए सकैत अछि,मुदा होएत।
मानव जब जोर लगाता है,पत्थर पानी हो जाता है।

जीवनमे सफल आदमीमे एकटा गुण सभठाम देखबामे आएत जे एहन लोकक रुखि सकारात्मक होइत अछि,ओ दोसरकेँ टंगघिच्चु नहि करैत छथि ,अपितु अपन समस्त शक्तिसँ लक्ष्यकेँ प्रप्त करबाक हेतु लागल रहैत छथि । असफलतासँ ओ निराश भए बैसि नहि जाइत छथि अपितु आओर जोड़सँ काजमे लागि जाइत छथि । एहने दृढ़ संक्लपी व्यक्ति कठिन सँ कठिन काज केँ सरल बना लैत छथि आओर सफलताक पराकाष्ठाकेँ प्राप्त करैत छथि ।









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