मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

शनिवार, 31 मार्च 2018

घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005




घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005







घरेलू हिंसा  की थिक ?



आम तौर पर घरेलू हिंसा मात्र घरमे मारि-पीट बूझल जाइत अछि।  सही मानेमे बालिका क अरमान केँ दबा देब ,घरक अंदर परिवारक सदस्‍य द्वारा रोज-रोज मानसिक प्रताड़ना  देब, तामसमे ओकर परसल भोजन फेँकि देब , ओकरा संगे गार-मारि करब, ओकर इच्छाक विरुद्ध ओकर पढ़ाइ रोकि देब , सेहो घरेलू हिंसाक रूप अछि। एकर अलावा यौन उत्‍पीड़न सेहो भारी हिंसा अछि, जाहि हेतु आम तौर पर दूरक रिश्‍तेदार वा पड़ोसक लोग जिम्‍मेदार होइत अछि। एहनमे जखन बालिका विरोध करैत अछि, तँ बदनामीक हवाला दए ओकर मुँह बंद कए देल जाइत अछि। एहि तरहक प्रतारणा नैहर,सासुर सभठाम होइत अछि। 

घरेलू हिंसा  पारिवारिक संवंधक परिपेक्ष्यमे एहन व्यवहार ओ संवंधसँ जुड़ल अछि जे अपन जीवन संगीपर अधिकार जताबए एवम् मनमाना नियंत्रण करबाक हेतु कएल जाइत अछि। प्रताड़ना मनोवैज्ञानिक,शारीरिक,भावात्मक,आर्थिक,किछु भए सकैत अछि। घरेलू हिंसा विवाहित किंवा आपसी सहमतिसँ प्रेम संवंधसँ जुड़ल जोड़ी, ककरो संगे भए सकैत अछि ।


घरेलू हिंसाक कारण की थिक ?

घरेलू हिंसाक प्रारंभ तखने होइत अछि जखन बालिका अपने माए-बापसँ खिलौना मांगैत अछि। हमर समाज ओकरा नेन्नेसँ  कमजोर बनबैत अछि। जखन बेटा छोट रहैत अछि, तँ हम ओकरा हाथमे बैट-बाल वा स्‍पोर्टस क सामान दैत छी, जाहिसँ ओ शारीरिक आओर मानसिक रूपसँ मजगूत बनैत अछि। मुदा बालिकाक खेलक हेतु गुड्डा-गुडि़या वा चूल्‍हा बर्तन बला खेलौना देल जाइत अछि जाहिसँ ओ शारीरिक आओर मानसिक रूपसँ कमजोर होइत चलि जाइत अछि। एकर संगे भावनामे भसिआएल चल झाइत अछि। अब बालिका  जेना- जेना पैघ होइत अछि घरक पाबंदी आओर समाजक यातना ओकरापर हावी होइत चलि जाइत अछि। दाम्पत्य जीवनमे घरेलू हिंसाक कारण हीन भावना,ईर्ष्या,क्रोधपर नियंत्रणक अभाव, जीवनसंगीसँ शिक्षा किंवा सामाजिक परिवेशमे न्योन होएब किछु भए सकैत अछि।

घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 किएक लागू करए पड़ल ?

घरेलू हिंसाक अनगिनत घटना हमर देशमे होइत अछि, मुदा महज सौ-पचास दर्ज होइत अछि, ओहो चरम पर पहुँचलाक  बाद। कतेकोठाम बालिकासभ साँझक बाद घरक अपेक्षा सड़कपर अंजान लोकसंग रहब ज्यादा सुरक्षित अछि कारण घरमे अपन लोक द्वारा बेसी दुर्घटना, हत्या आओर हिंसा करबाक संभावना रहैत अछि, बालिका जखन रस्ता पर बहराइत अछि, तँ ओकरा पता नहि होइछ कि शहरक  चकाचौंधमे ओकरा संगे कखन कोनठाम छेड़खानी भए जाएत । बात अगर गामक करी तँ बालिका सुन्न रस्ता पर जएबासँ डराइत अछि मुदा ओहि डरक की करी, जकर जड़ि घरक अंदर होइत अछि आओर बालिकाक संगे पैघ होइत अछि। ओहि डरक की करी जे ओकरा जनमिते ओकर माथामेमे बैसि जाइत अछि आओर आधा जिनगी धरि रहैत अछि।

घरेलू हिंसा क बात करैत काल ऑनर किलिंगक घटनासभकेँ फराक नहि कए सकैत छी। ऑनर किलिंगक बीज असलमे घरेलू हिंसा अछि। किएक तँ कोनो माए-बाप, भाए, काका कखनो सेहो अपनी बेटी वा बहिनके, सोझे मारि नहि देत, ओहिसँ पूर्व नाना प्रकारक यातना ओकरा देल जाइत अछि ।

एकटा सांख्यिकीय गणनाक अनुसार :

(i)नित्य चारिटा महिला, एकटा पुरुष, आओर पाँचटा बच्चा घरेलू हिंसाक कारण अकाल मृत्युक शिकार भए जाइत छथि।

(ii)अपन जीवन कालमे प्रत्येक चारिटामेसँ एकटा महिला घेरलू हिंसाक शिकार भए जाइत छथि।

(iii)२०-२४ बर्खक महिलाक उपर घरेलू हिंसाक सभसँ बेसी खतरा रहैत अछि।

(iv)२००५ ई०मे कएल गेल एकटा सर्वेक अनुसार ओहि सालमे ३८९१०० महिला आओर ७८१८० पुरुष अपन जीवनसंगी द्वारा कएल गेल घरेलू हिंसाक शिकार भेलथि।

 तदनुसार, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 स्त्री क सुरक्षा, ओ स्त्रीक अधिकारक अधिक प्रभावी ढंगसँ लागू करबाक हेतु आनल गेल ।


एहि अधिनियमकेँ पारित करएसँ पहिने कानूनी स्थिति की छल?

(i)             घरेलू हिंसा कानूनमे कोनो स्पष्ट मान्यता नहि छल,
(ii)           (आईपीसी की 498 ए) क तहत घरेलू हिंसाक संपूर्ण अवधारणा विवाहित स्त्रीपर कएल गेल क्रूरताक धरि सीमित छल,
(iii)         दुखसंतप्त बहिन, माए, बेटी वा अविवाहित स्त्री एहिमे सामिल नहि छल,

(iv)          प्रताड़ित भेलापर विवाहित स्त्रीकेँ सीमित विकल्प छल: तलाक लए लिअए वा  धारा 498 ए क अनुसार मोकदमा करए,

घरेलू हिंसा दू प्रकारक होइत अछिःआपराधिक आओर गैर-आपराधिक:

आपराधिक घरेलू हिंसा:

 बिना सहमतिकेँ शारीरिक संपर्क जेना यौन उत्पीड़न,लात मारब, अनावश्यक पछोड़कए भयभीत करब, कंप्यूटर हैकिंग, आपराधिक अलगाव

गैर-आपराधिक घरेलू हिंसा:

मित्र वा आन सामाजिक सरोकारीसँ संपर्क बाधित करब,टेलीफोनक संपर्क नहि होमए देब,

घरेलू हिंसा कानूनक तहत कोनो पीड़ित महिलाजे अपराधिक संगे रहैत छथि,एहि कानूनक अनुसार मोकदमा कए सकैत छथि।

घरेलू हिंसाक सबसँ खराब प्रभाव ओहि परिवारक छोट बच्चासभ पर होइत छैक।

 एकटा सर्वेक अनुसार:

प्रति घंटा ११५टा बच्चा घरेलू हिंसाक शिकार भए जाइत अछि।

कलहपूर्ण परिवारक ९०% बच्चा अपन माएकेँ बापक हाथे पिटैत देखैत अछि।

११सँ २० बर्खक बएसक हत्यारोपी  बच्चा ६० % मामलामे माएके पिटनाहर बापक हत्या कए दैत अछि।

कलहपूर्ण वातावरणमे रहएबला बच्चा १५०० गूना अधिक उपेक्षित वा प्रताड़ित रहैत हछि।

बच्चा वातावरणक उपज होइत छथि,एहने बच्चा बादमे जाकए घरेलू हिंसा करैत छथि वा ओकर शिकार भए जाइत छथि।

घरेलू हिंसा अधिनियमक धारा२(क्यु):

घरेलू हिंसा अधिनियमक धारा२(क्यु)क तहत मात्र पुरुष अपराधीक खिलाफ कार्रबाइक प्रावधानके असंबैधानिक घोषित करैत सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और रोहिंटन एफ नरीमन  पीठ निर्णय देलक जे एहि कानूनक तहत महिला अपराधीकक खिलाफ सेहो मोकदमा चलि सकैत अछि।माननीय न्यायाधिश लोकनिक कहब छनि:

स्त्रीगणक खिलाफ कतेकोबेर स्त्रिए साजिसक तहत काजकए घरेलू हिंसामे सामिल होइत छथि, तेँ एहि कानूनक उपरोक्त धारा कानूनक मूल उद्दयेश्यसँ भुतिआ गेल लगैत अछि, तेँ ओकरा कानूनसँ हटा देल जाइत अछि।

घरेलू हिंसा कानूनक तहत केना मदति लेल जा सकैत अछि?

(१) कोनो प्रकारक हिंसासँ वचाव हेतु आदेश प्राप्त करब,

(२) निवास करबाक अधिकारक हेतु आदेश प्राप्त करब,

(३) मौद्रिक राहत

(४) कस्टडी ऑर्डर

(५) क्षतिपूर्तिक हेतु आदेश

(६)अंतरिम आओर एकपक्षीय आदेश

सुरेश बनाम जयबीर(२००९):

सुरेश बनाम जयबीर(२००९)क मामलामे न्यायलय ई आदेश देलक जे घरेलू हिंसा कानूनक धारा 12  उपखंड (1)   तहत आवेदनक निपटारा करैत अंतरिम आदेशमे न्यायिक दंडाधिकारी गुजाराक हेतु अन्तरिम राहत दए सकैत अछि।

प्रथम श्रणी न्यायिक दंडाधिकारी वा महानगर दंडाधिकारीक ओतए सिकाइत कएल जा सकैत अछि:

(१) जतए दोषी व्यक्ति रहैत हो,

(२) जतए अपराध कएल गेल होइक,

(३) जतय प्रताड़ित व्यक्ति रहैत हो,

न्यायिक दंडाधिकारीक समक्ष सिकाइतक निपटान:

पीड़त व्यक्ति संरक्षण अधिकारी,पुलिस किंवा सेवा प्रदाता(कल्याण अधिकारी)क मदति लए सकैत छथि। हिनका लोकनिक कर्तव्य अछि जे पीड़त व्यक्तिक जरुरी मार्गदर्शन करथि एवम् न्यायलय द्वारा देल गेल मौद्रिक क्षतिपूर्तिक आदेशक पालन सुनिश्चित कराबथि। संरक्षण अधिकारीक दायित्व अछि जे वो प्रताड़ित व्यक्तिक सिकाइतक घरेलू हिंसा प्रतिवेदन(DIR) तैयार कए न्यायालयकेँ उपलव्ध कराबए। संगहिँ प्रताड़ित व्यक्तिकेँ सेवा प्रदाताक वारेमे उचित मार्गदर्शन दैक जाहिसँ ओ ओहि कानूनी सुविधाक लाभ उठा सकए। सेवा प्रदाता कोनो कंपनी, महिलाक कल्याण हेतु कार्यरत गैर सरकारी संगठन, भए सकैत अछि । सेवा प्रदाताक ई कर्तव्य थिक जे प्रताड़ित व्यक्तिकेँ कानूनमे निहित ओकर अधिकारक बारेमे जानकारी देथि एवम् कानूनी उपचार लेबाकक हेतु उचित व्वस्था करएमे ओकरा मदति करथि। पुलिसक कर्तव्य थिक जे ओ प्रताड़ित व्यक्तिकेँ संरक्षण अधिकारी एवम् सेवा प्रदाताक बारेमे जानकारी देथि।संगहिँ भारतीय दंड संहिताक अनुक्षेद ४९८() मे प्राप्त अधिकारक जानकारी सेहो देथि।

न्यायिक दंडाधिकारीक समक्ष पीड़िता द्वारा सिकाइत प्राप्त भेलाक तीनदिनक भीतर मामलामे सुनबाइक तारिख तय होएत। न्यायालयसँ समन भेटलाक दूदिनक भीतर संरक्षण अधिकारी तकर जानकारी प्रतिवादीकेँ देत। प्रतिवादीकेँ देल गेल समनक संग घरेलू हिंसा कानूनक धारा 12  उपखंड(३)क तहत सिकाइतक प्रतिलिपि सेहो देल जाएत। प्रतिवादी द्वारासे प्राप्त भेलाक बादे एकतरफा सुनबाइ भए सकैत अछि आ स्थाइ अन्तरिम आदेश कएल जा सकैत अछि। जरुरी बुझलापर न्यायलय एकतरफा सुनबाइ कए अन्तरिम आदेश दए सकैत छथि। न्यायिक दंडाधिकारी ६० दिनक भीतर एहन सिकाइतक निपटान करताह। हुनकर आदेशक खिलाफ संबंधित पक्ष ३० दिनक भीतर सेशन कोर्टमे अपील दाएर कए सकैत छथि।

प्रतिवादी द्वारा संरक्षण आदेश किंवा अंतरिम संरक्षण आदेशक पालन नहि करब संज्ञेय एवम् गैर जमनती अपराधक श्रणीमे अबैत अछि। हुनका ताहि कारणसँ एक साल धरि जेल किंवा बीस हजार रुपया जुर्माना भए सकैत अछि। जौं संरक्षण अधिकारी दंडाधिकारी द्वारा देल गेल आदेशक पालन करबामे बिना कोनो वाजिब कारणके आनाकानी करैत छथि तँ हुनको एहि तरहक दंड देल जा सकैत अछि मुदा ताहि हेतु विभागीय अधिकारीकेँ पूर्व अनुमति आवश्यक थिक। पीड़ित व्यक्तिकेँ संयुक्त परिवारक साझी निवासमे रहबाक हेतु न्यायलय निवास करबाक आदेश दए सकैत अछि भले ओहि घरमे  प्रतिवादीक हिस्सा होइक वा नहि होइक।

एस आर बतरा एवम् अन्य बनाम श्रीमती तरुना बतराक मामलामे उच्चतम न्यायालय ई फैसला देलक जे घरेलू हिंसा अधिनियमक धारा १७(१)क अनुसार प्रताड़ित महिला मात्र साझी आवासमे रहबाक हकदार  भए सकैत अछि। साझी आवासक माने पति द्वारा कीनल किंवा किरायापर लेलगेल घर अछि वा एहन साझी घर अछि जाहिमे पतिक हिस्सा होइक। कहक माने जे जाहि घरमे ओकर पतिकेँ कानूनी अधिकार नहि छैक ताहिमे प्रताड़ित व्यक्तिकेँ रहबाक अधिकार न्यायलय एहि कानूनक तहत नहि दए सकैत अछि।

घरेलू हिंसा रोकबाक समाधान :

घरेलू हिंसा रोकबाक एकटा समाधान ई भए सकैत अछि जे पति न्यायिक दंडाधिकारीक समक्ष सपथ-पत्र देथि जे ओ आगा अपन पत्नीक संग सम्मानपूर्ण व्यवहार करताह,एहन  किछु नहि करताह जाहिसँ ओकरा कोनो प्रकारक यंत्रणासँ फेर गुजरए पड़ैक,तकर संपूष्टिमे अपन संपत्तिकेँ गारंटी देथि जाहिसँ घरेलू हिंसाक पुनरावृति भेलापर ओकरा जब्त कए लेल जाएत।

उपसंहार

आपसी संबंध प्रेम,आदर,ईमान्दारी, एवम भावुक लगावसँ सराबोर हेबाक चाही। आपसी अविश्वाससँ हिंसा ओ  दुराचर बढै़त अछि,एहन दंपति निरंतर आशंकाग्रस्त रहैत छथि जाहिसँ जीवन नर्क भए जाइत अछि। जीवनक ई कटुसत्य अछि जे अहाँ दोसरकेँ नहि बदलि सकैत छी,हम अपनेटाकेँ बदलि सकैत छी। कमसँ कम एतबातँ कइए सकैत छी जे जाहि संबंधमे लज्जति नहि रहि गेल अछि,जतए अविश्वासक पराकाष्ठा पहुँचि गेल अछि, ओतए फसाद बढे़नाइ छोड़ि  कानून सम्मत तरीका अख्तिआर करी।

महिला संगठन सिर्फ जागरूकता पैदा कए सकैत अछि, पुलिस सिर्फ उत्‍पीड़न करएबलाकेँ जेल पठा सकैत अछि, कोर्ट सिर्फ न्‍याय दए सकैत अछि ,एहिमे सँ कोनो अहाँक घरक हालत ठिक नहि कए सकैत अछि,घरमे पैसि नित्य-प्रतिक समस्याक समाधान नहि कए सकैत अछि । अस्तु सिर्फ सोच बदलक जरूरत अछि ।



हम अपन भाग्यक मालिक छी, हम अपन आत्माक नायक छी


विलिअम हेलीक कविता “Invictus (अपराजेय)" सँ प्रेरणा लैत जीवनक दुखमय परिस्थितिसँ हारि नहि मानि नव ओ सुंदर जीवन जिबाक हेतु सचेष्ट रहैत पिड़ित व्यक्तिकेँ ई विश्वास बनौने रहक चाही जे सुंदर समय आवहिँबला अछि,अएबे करत।

§ Invictus



§ Out of the night that covers me,
Black as the pit from pole to pole,
I thank whatever Gods may be
For my unconquerable soul.

§ In the fell clutch of circumstance
I have not winced nor cried aloud.
Under the bludgeonings of chance
My head is bloody, but unbowed.

§ Beyond this place of wrath and tears
Looms but the Horror of the shade,
And yet the menace of the years
Finds and shall find me unafraid.

§ It matters not how strait the gate,
How charged with punishments the scroll,
I am the master of my fate:
I am the captain of my soul.



§ William Henley
























of the abuser.



abuse.


रविवार, 25 मार्च 2018

सूचनाक अधिकार






सूचनाक अधिकार

भारतक संविधानक अनुक्षेद १९ मे निहित मोौलिक अधिकारसँ भारतक नागरिककेँ सूचनाक अधिकार प्राप्त अछि। ताहि अधिकारकेँ प्राप्त करबाक व्यवस्था सूचनाक अधिकार अधिनियम, 2005 क अंतर्गत कएल गेल। सूचनाक अधिकार अधिनियम, 2005 प्रत्येक नागरिककेँ ई अधिकार दैत अछि जे ओ सरकारसँ ओकर काजक बारे मे जानकारी मांगि सकैत अछि। एहि तरहें आब भारत सेहो विश्वक ओहि ६० देशमे सामिल भए गेल अछि जे अपन नागरिककेँ सूचनाक अधिकार प्रदान कए पारदर्शी, जवाबदेह एवं सुशासन स्थापित करबाक  चाक -चौबंद व्यवस्था केने अछि।

केन्द्रीय सूचना आयोग

सूचनाक अधिकार अधिनियम, 2005 मे ई व्यवस्था कएल गेल अछि जे केन्द्र सरकार द्वारा एक केन्द्रीय सूचना आयोगक गठन कएल जाएत जाहिमे एक मुख्य सूचना आयुक्त एवम् अधिक सँ अधिक दसटा केन्द्रीय सूचना आयुक्त होएत। मुख्य सूचना आयुक्त एवम् अन्य सूचना  आयुक्तक नियुक्तिक हेतु एकटा समिति गठित होएत जकर अध्यक्ष प्रधानमंत्री एवम् लोकसभामे विपक्षक नेता एवम् प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत केन्द्रीय मंत्रीमंडलक एकटा मंत्री एकर सदस्य हेताह। एकर अतिरिक्त प्रत्येक राज्यमे राज्य सूचना आयोग अलगसँ गठित कएल जाइत अछि।

जौँ कोनो केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी बिना कोनो वाजिब कारणसँ सूचनाक हेतु आवेदन नहि लैत अछि,किंवा वाँछित सूचना देबएमे आना-कानी करैत अछि,किंवा जानि-बूझि कए गलत वा अधूरा जानकारी दैत अछि , वा सूचना नष्ट कए देल गेल अछि तँ केन्द्रीय सूचना आयोग सूचनाक अधिकार अधिनियम, 2005 क अनुक्षेद ७(१) अंतर्गत ओकरा खिलाफ संवंधित विभागकेँ अनुशासनात्मक कारवाई करबाक आदेश दए सकैत अछि । एहन परिस्थितिमे आयोग संवंधित दोषी अधिकारीकेँ सूचना देबाक दिन धरि २५० टाका प्रतिदिनक हिसाबसँ पचीस हजार टाका धरि जुर्माना लागा सकैत अछि।

आयोगक समक्ष सिकाइत सोझे दाखिल कएल जा सकैत अछि? जौं हँ, तँ कोन आधारपर ?

निम्नलिखित परिस्थितिमे सूचनाक अधिकार अधिनियम, 2005 क धारा १८ क अंतर्गत आयोगक समक्ष सोझे सिकाइत दाखिल कएल जा सकैत अछि:-

(क) जौं ओ ओहि कारणसँ अनुरोध प्रस्तुत करबाक हेतु असमर्थ रहल अछि, कि ओहि अधिनियमक अधीन एहन अधिकारीक नियुक्ति नहि कएल गेल अछि वा केन्द्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी ओहि अधिनियमक अधीन सूचना वा अपीलक हेतु धारा 19 क उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी वा ज्येष्ठ अधिकारीकेँ पठेबाक हेतु स्वीकार करबासँ मना कए देलक अछि;

(ख) जौं ओकरा ओहि अधिनियमक अधीन अनुरोध कएल गेल कोनो जानकारी धरि पहुंचएसँ मना कएल गेल अछि;

(ग) जौं ओकरा ओहि अधिनियमक अधीन विनिर्दिष्ट समय-सीमाक भीतर सूचनाक हेतु वा सूचना धरि पहुंचक हेतु अनुरोधक उत्तर नहि देल गेल अछि;

(घ) जौं ओकरासँ ओहन फ़ीसक रकमक संदाय करबाक हेतु अपेक्षा कएल गेल अछि, जे ओ अनुचित बूझैत अछि;

(ङ) जौं ओ विश्वास करैत अछि कि ओकरा ओहि अधिनियमक अधीन अपूर्ण, भ्रमित करएबला वा मिथ्या सूचना देल गेल अछि; आओर

(च) ओहि अधिनियमक अधीन अभिलेखक हेतु अनुरोध करबाक हेतु वा ओकरा प्राप्त करबासँ संबंधित कोनो अन्य विषयक संबंध मे।

सूचनाक अधिकारक तहत सरकारी विभाग,सरकारी सहायतासँ चलएबला गैर सरकारी संगठन,वा शिक्षण संस्थानसँ जानकारी प्राप्त कएल  जा सकैत अछि। सूचनाक अधिकार अधिनियम, 2005 धारा 2 (एच) क तहत लोक प्राधिकरण अथवा सार्वजनिक संस्थाक लग उपलब्ध सूचनाक मांग कए सकैत अछि । सार्वजनिक संस्थासभमे संविधान द्वारा स्थापित या गठित, संसद या कोनो राज्य विधायिकाक कानून द्वारा स्थापित वा गठित, केन्द्र वा राज्य सरकारक कोनो अधिसूचना वा आदेशक द्वारा स्थापित वा गठित, राज्य व केन्द्र सरकारक स्वामित्व बला, ओकरा द्वारा नियंत्रित वा पर्याप्त मात्रामे सरकारी धन पाबएबला निकाय सभ ,गैर सरकारी संगठन व निजी क्षेत्रक निकाय जे सरकारक द्वारा प्रत्यक्ष वा अप्रत्यक्ष रूपसँ वित्तपोषित अछि, सामिल अछि।

सूचनाक अधिकारक क्षेत्र मे आवएबला विभाग :

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल आओर मुख्यमंत्री कार्यालय
संसद आओर विधानमंडल
चुनाव आयोग
सभ अदालत
तमाम सरकारी कार्यालय
सभ सरकारी बैंक
सभ सरकारी अस्पताल
पुलिस महकमा
सेनाक तीनों अंग
पीएसयू
सरकारी बीमा कंपनी
सरकारी फोन कंपनी
सरकारसँ आर्थिक सहायता पाबएबला एनजीओ

सूचनाक अधिकारक क्षेत्रमे नहि आवएबला विभाग :

कोनो खुफिया एजेंसीक ओहन जानकारी, जकरा सार्वजनिक भेलासँ देशक सुरक्षा आओर अखंडताकेँ खतरा हो
दोसर देशक संग भारतसँ जुड़ल मामला
थर्ड पार्टी यानी निजी संस्थान संबंधी जानकारी जे सरकारक पास उपलब्ध अछि ओहि संस्थाक जानकारीकेँ संबंधित सरकारी विभागक मार्फत हासिल कएल जा सकैत अछि |

आवेदक द्वारा सूचनाक अधिकारक उपयोग करैत केहन जानकारी मांगल जा सकैत अछि ?

. कोनो सरकारी दस्ताबेजक प्रति मांगि सकैत छी।

.कोनो सरकारी दस्ताबेजक जाँच कए सकैत छी।

.कोनो सरकारी काजकेँ जाँचि सकैत छी।

.कोनो सरकारी काजमे प्रयुक्त बस्तुक प्रमाणित नमूना मांगि सकैत छी।

एहि कनूनक तहत अहाँ कोनो जानकारी हासिल कए सकैत छी जेनाकि : कोनो सड़क केँ बनाबएमे सरकार कतेक खर्च केलक,प्रधानमत्रीक रहन- सहन पर कएल गेल खर्च ,राष्ट्रपति भवनमे कएल गेल खर्च ,कोनो सरकारी योजना पर कएल गेल खर्च ,पंचायत द्वारा कोनो योजनामे कएल गेल व्यय वा कोनो प्रकारक अन्य जानकारी वा ओहिसँ संवंधित दस्तावेजक छायाप्रति मांगल जाए सकैत अछि सूचनाक अधिकार अधिनियम, 2005 क अनुक्षेद ६(२) अंतर्गत आवेदकसँ ई नहि पूछल जा सकैत अछि जे ओ सूचना किएक मांगि रहल छथि।

संगहि व्यक्तिगत विवरण, आय, पैन नंबर, विभिन्न पैरामीटरक तहत विशेषज्ञक व्यक्तिगत पैनल द्वारा देल गेल प्राप्तांक,संपत्ति की रिटर्न आओर संपत्तिक विवरण,आकलन रिपोर्ट,मेडिकल रिपोर्ट,बैंक खातोंका विवरण, प्राधिकरणसँ स्पष्टीकरणक मंगैत प्रश्न नहि पूछल जा सकैत अछि।


स्वेक्षासँ जानकारी प्रकाशित कएल जाएत:

सूचनाक अधिकार अधिनियम, 2005 क अनुक्षेद ४(बी) अंतर्गत प्रत्येक सरकारी विभाग अपन विभागसँ संवंधित अधिकसँ अधिक जानकारी स्वेक्षासँ विभागक वेवसाइटपर प्रकाशित करत । अन्यथा भारतक कोनो नागरिक सूचनाक अधिकारक तहत अनुक्षेद ६क तहत आवेदन दए सूचना प्राप्त कए सकैत छथि।

सूचनाक अधिकारक तहत आवेदन कोना कएल जाएत ?

सूचनाक अधिकारक तहत आवेदनक हेतु कोनो निश्चित प्रपत्र नहि अछि । सादा कागज पर अपन आवेदन लिखि कए वांछित जानकारी मांगल जा सकैत अछि

आवेदन शुल्कक भुगतान कोना कएल जाएत ?

सूचनाक अधिकारक तहत आवेदन करबाक हेतु केन्द्र सरकारक अधीन आबएबला मंत्रालय विभागसँ जानकारी प्राप्त करबाक हेतु दसटाकाक शुल्क लगैत अछि जकर भूगतान पोस्टल आर्डर,बैंक ड्राफ्ट,द्वारा कएल जा सकैत अछि। राज्य सरकार सभ अलग- अलग शुल्क रखने अछि।

आरटीआइ आन लाइन

आवेदक सूचनाक अधिकार अधिनियम, 2005 क अंतर्गत सूचना प्राप्त करबाक हेतु, सूचनाक अधिकार (आरटीआई) ऑनलाइन पोर्टलक माध्यम https://rtionline.gov.in.सँ केन्द्रीय मंत्रालय/   विभागसँ एवम् ऑनलाइन सूचनामे उल्लिखित अन्य केन्द्रीय लोक   प्राधिकरणकेँ अनुरोध कए सकैत छथि । आवेदनक विषयवस्तु सूचनाक अधिकार अनुरोध फॉर्मक निर्धारित कॉलममे लिखल जाएत। वर्तमानमे, आवेदनक विषयवस्तु मात्र  3000 अक्षर तक सीमित अछि। जौं आवेदनक विषयवस्तु 3000 अक्षरसँ अधिक हो, तँ फार्मकेँ सपोर्टिंग डोकूमेंटकॉलममे पीडीएफ संलग्नक (अटैचमेंट)क रूप में अपलोड कएल जा सकैत अछि । सूचनाकक अधिकार अनुरोध फॉर्मकेँ प्रथम पृष्ठकेँ भरबाकक पश्चात, गरीबी रेखासँ ऊपरक आवेदककेँ निर्धारित सूचनाक अधिकार शुल्कक भुगतान करबाक हेतु “"भुगतान करथि(मेकपेमेंट) पर क्लिक कड़ए पड़त ।

आवेदक निम्नलिखित माध्यमसँ निर्धारित सूचनाक अधिकार शुल्कक भुगतान कए सकैत छथि :

(i) एसबीआई एवं सहयोगी बैंकक माध्यमसँ इंटरनेट बैंकिग द्वारा।
(ii)
भारतीय स्टेट बैंकक एटीम/ डेबीट कार्ड द्वारा।

(iii) मास्टर डेबीट, विजा, क्रेडीट कार्ड द्वारा

आरटीआई नियम, 2012 क अनुसार गरीबी रेखासँ नीचाक लोककेँ आरटीआई शुल्कक भुगतान करबाक आवश्यकता नहि अछि । तथापि, बीपीएल आवेदककेँ अपन आवेदनक संग- संग एहि संबंधमे, उपयुक्त सरकार द्वारा जारी प्रमाण-पत्रक एक प्रति संलग्न  करब जरुरी अछि। प्रथम अपीलीय प्राधिकारीकेँ अपील करबाक हेतु, आवेदककेँ आरटीआई ऑनलाइन पोर्टलमे सबमिट फर्स्ट अपीलनामक विकल्पक चयन करए पड़त आओर सामने आबए बला फार्मकेँ भरए पड़त । प्रथम अपीलकेँ दायर करबाक हेतु मूल आवेदनक पंजीकरण संख्या आओर ई-मेल आईडीक आवश्यकता पड़ैत अछि। आरटीआई अधिनियमक अनुसार, प्रथम अपीलक हेतु कोनो शुल्क नहि देबाक अछि। ऑनलाइन दायर आरटीआई आवेदन या प्रथम अपीलक स्थिति/    जवाब "स्थिति" पर क्लिक कए आवेदक द्वारा देखल जाए सकैत अछि ।


सूचना के देत ?

प्रत्येक सरकारी विभागमे एकाधिक लोक सूचना अधिकारी/सहायक लोक सूचना अधिकारी नियुक्त कएल जाइत छथि जिनकर जानकारी संवंधित विभागक वेबसाइट किंबा सूचना पट्ट वा विभागमे पूछ-ताछ कए प्राप्त कएल जा सकैत अछि। लोक सूचना अधिकारी/सहायक लोक सूचना अधिकारी विभागक हेतु सूचनाक अधिकारक अधीन कएल गेल आवेदन प्राप्त करैत छथि,ओकरा संवंधित अधिकारीकेँ पठाए सूचना संकलित करैत छथि एवम् नियत समय( आवेदन केलाक वाद एक मासक अधीन,कोनो- कोनो मामलामे ४५ दिन) मे जानकारी आवेदक केँ पहुँचवैत छथि।

सूचनाक अधिकार अधिनियम, 2005 क अनुक्षेद ६(३)अंतर्गत  जौं मांगल गेल सूचना आंशिक वा पूर्ण रूपसँ कोनो दोसर लोक प्राधिकरणसँ संवंधित अछि तँ आवेदन प्राप्त केनिहार लोक प्राधिकरण ओकरा संविधित लोक प्राधिकरणकेँ पाँच दिनक भीतर स्थानान्तरित कए सकैत अछि। तकर सूचना आवेदककेँ सेहो देल जाएत।

प्रथम अपील



सूचनाक अधिकार अधिनियम, 2005 क अनुक्षेद १९(१) अंतर्गत प्रत्येक सरकारी विभाग ओहि अधिकारीक नाम अधिसूचित करत जकरा लग प्रथम अपील कएल जा सकैतअछि। जौँ आवेदककेँ तीस दिनक भीतर जबाब नहि भेटैत छैक,किंबा भेटल जबाब अपूर्ण वा भ्रामक छैक तँ आवेदक तीस दिनक भीतर प्रथम अपीलीए अधिकारीक ओतए अपील कए सकैत अछि। एहि हेतु ओकरा फेरसँ फीस नहि देबए पड़तैक।

द्वितीय अपील

प्रथम अपीलीय प्राधिकारीक द्वारा देल गेल निर्णयसँ  जौं आवेदक संतुष्ट नहि छथि तँ ओ द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी(राज्य सूचना आयोग किंवा केन्द्रीय सूचना आयोग)केँ द्वितीय अपील कए सकैत छथि। ध्यान रहए जे एजन कोनो अपीलक समय सीमा ९० दिन अछि।

सूचनाक अधिकार अधिनियम, 2005 क अनुक्षेद २३ अंतर्गत कोनो न्यायालय ताधरि कोनो मामला नहि सूनत जाधरि प्रथम अपील द्वितीय अपील/ क प्रकृया पूरा नहि भेल अछि।


उच्चतम न्यायलयक किछु महत्वपूर्ण निर्णय:

उच्चतम न्यायलय हालमे  सिवील अपील सणख्या ६१५९-६१६२(२०१३)मे संघ लोक सेवा आयोग बनाम अग्नेश कुमार एवम् अन्यक (CIVIL APPEAL NO.(s).6159-6162 OF 2013

UNION PUBLIC SERVICE COMMISSION ETC. Appellant(s)

VERSUS

ANGESH KUMAR & ORS. ETC. Respondent (s) मामलामे स्पष्ट केलक अछि जे अनर्गल, अनावस्यक एवम् अव्यवहारिक सूचनाक मांग कए सरकारी विभागकेँ एतेक परेशान नहि कएल जा सैत अछि जे सरकारक अधिकांश समय ओहि सूचना केँ उपलव्ध करेबामे एहि हद तक नष्ट भए जाइक जे रचनात्मक/सकारात्मक काज केनाइ पराभव भए जाए।

उच्चतम न्यायालयक न्यायमुर्ति आदर्श कुमार गोयल एवम् न्यायमुर्ति  उदय उमेश ललितक पीठ द्वारा २० मार्च २०१८क एनजीओ कॉमन कॉजक याचिकाक निस्तारण करैत फैसला देलक अछि जे कोनो हालतमे पचासटा टकासँ बेसी शुल्क नहि लेल जा सकैत अछि। एकर अतिरिक्त जौं कोनो दस्तावेजक प्रतिलिपिक मांग कएल जाइत अछि तँ प्रति पृष्ठ पाँच टका अतिरिक्त शुल्क लेल जा सकैत अछि। ई आदेश उच्च न्यायालय, विधान सभा आओर अन्य सरकारी आओर स्वायत्त निकाय सहित सभ संस्थापर बाध्यकारी होएत जे सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 क अन्तर्गत  अबैत अछि ।

उच्चतम न्यायलय हालमे  सिवील अपील सणख्या ९०१७(२०१३) थालप्पलम सहकारी बैंक एवम् अन्य बनाम् केराल राज्य एवम् अन्य(

CIVIL APPEAL NO. 9017 OF 2013 (Arising out of SLP (C) No.24290 of 2012) Thalappalam Ser. Coop. Bank Ltd. and others Appellants Versus State of Kerala and others Respondents WITH CIVIL APPEAL NOs.   9020, 9029 & 9023 OF 2013 (Arising out of SLP (C) No.24291 of 2012, 13796 and 13797 of 2013)

 मामलामे स्पष्ट केलक अछि जे सहकारी समिति सभ सूचनाक सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 क अन्तर्गत नहि अबैत अछि ।

सूचना  अधिकार कानून स्पष्टताक आवश्यकता:

सूचना  अधिकार कानूनक सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू लोक प्राधिकरणक मुद्दा पर स्पष्टताक आवश्यकता अछि । सूचनाक अधिकारमे अखनो कैटा त्रुटि अछि,जेना सरकारी अधिकारी द्वारा जबाब देबाक हेतु भारी भरकम फीसक मांग कए देब,आबेदानकेँ एहि विभागसँ ओहि विभाग स्थानान्तरिक करैत रहब,सामिल अछि। प्रथम अपील विभागेकक अधिकारीक समक्ष कएल जाइत अछि जाहिसँ मामलामे कोनो नव बात नहि भए पबैत अछि । समान्यतः ओ पहिने लेल गेल निर्णयक पुष्टि कए दैत छथि। तकर बाद दोसर आ अन्तिम अपील राज्य वा केन्द्रीय सूचना आयोगक समक्ष करबाक प्रावधान अछि। मुदा समस्या अछि जे ओहिठाम आवेदनक भरमार अछि आ निर्णय लेबामे बहुत समय लागि जाइत अछि जाहिसँ कैबेर गलत लोक बँचि जाइत अछि। सरकारकेँ बहुत रास मामलामे सूचना नहि देबाक छूट भेटि जाइत अछि। कानूनक एहि प्रावधानक कतेको मामलामे दुरूपयोग होइत अछि। कोनो-ने- कोनो बहाना बनाए सूचना नहि देबाक प्रयास होइत रहल अछि। हलाकि आयोग एहन मामलामे बहुत सख्त रुखि रखैत अछि आ दोषी अधिकारीकेँ जुर्माना सेहो लगबैत अछि ।मुदा तैँ की? विलंब तँ भैए जाइत अछि । फेरसभ लोक ओतेक धैर्य पूर्वक लागलो नहि रहि पबैत छथि।

जे होउ,सूचनाक अधिकार कानूनकेँ बनि गेलासँ भारतक नागरिककेँ  सरकारी काम-काजक जानकारी लेब आसान भए गेल अछि। कतेको तरहक जरूरी सेवामे निर्णयमे पारदर्शिता आएल अछि। बहुत तरहक कदाचारक मामला सभ पकड़ल गेल अछि। सरकारी अधिकारी गलत काज करबामे डराइत छथि। कतेको मंत्रीधरिकेँ इस्तिफा दबए पड़लनि अछि। निश्चय एहि कनूनसँ आम नागरिकक महत्व वढ़ल अछि। मुदा दिक्कति एहिबातक अछि जे एखनो बहुत रास नागरिक एहि कानूनक जानकारीसँ वंचित छथि। ताहि हेतु जरुरी अछि जे एकर पर्याप्त प्रचार होइक। सूचना लेबाक आ आवेदन करबाक प्रकृयाकेँ आओर सरल बनाओल जाइक।

रबीन्द्र नारायण मिश्र

२५.०३.२०१८

ग्रटर नोएडा

Email:mishrarn@gmail.com






नाम : रबीन्द्र नारायण मिश्र

पिताक नाम : स्वर्गीय सूर्य नारायण मिश्र

माताक नाम : स्वर्गीया दयाकाशी देवी

बएस : ६५ बर्ख

पैतृक ग्राम : अड़ेर डीह

मातृक : सिन्घिआ ड्योढ़ी

वृति : योजना आयोगक उप सचिवक पदसँ सेवा निवृत्त भेलाक बाद वर्तमानमे दिल्लीमे स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट

शिक्षा : चन्द्रधारी मिथिला महाविद्यालयसँ बी.एस-सी. भौतिकी विज्ञानमे प्रतिष्ठा : दिल्ली विश्वविद्यालयसँ विधि स्नातक

प्रकाशित कृति : . भोरसँ साँझ धरि’ (आत्म कथा),. प्रसंगवश (निवंध), . स्वर्ग एतहि अछि (यात्रा प्रसंग),. फसाद (कथा संग्रह)



सम्पर्क : फोन ०१२० २३४३५६३

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