अपने हाथे
भोँट देबैक?
गाममे कै बेर कै तरहक
चुनाव होइत रहल अछि। मुखियाक चुनाव, एमएलए-एमपीबला चुनाव कहि नहि कै बेर भेल। ज्योँ-ज्योँ
समय नजदीक अबैत अछि चुनावक धाही गाममे सद्यः भए जाइत अछि। सौंसे गोलबन्दी।
दरबज्जे-दरबज्जे काना-फूसी आ रहि-रहि कए भदबारिक मेघ जकाँ माइकपर घोषणा माने प्रचार-
“भाई लोकनि! एहि बेर नहि बिसरब।
सामाजिक क्रान्ति अनबाक हेतु विषमता मिटयबाक हेतु फल्लाँ पार्टीक फल्लाँ
उमेदबारकेँ अबश्य भोँट दी। तखने अहाँक राज होएत। आदि-आदि।”
लगैत रहैत अछि जेना
सौंसे देशक भविष्य ओही गाममे तय भए रहल अछि। एक भाई एमहर तँ दोसर भाई ओमहर।कतेक
ठाम तँ एकहि घरमे चारि-चारिटा पार्टी बनल अछि। रंग-बिरंगक पोस्टर, तगमा आ नाना प्रकारक
नारा सभ चारूकात देखबा-सुनबामे अबैत रहत। चौकपर कै पार्टीक आफिस खुजत। ओहिमे एकदम
चौपट आ बेकार लोक सभ पीठासीन अधिकारी हेताह। जे होइ, किछु मुँहगर आ चलता-पूर्जा
लोक सभकेँ चुनावक समयमे नीक आमदनी भए जाइत छनि आ प्राय: तेँ वो सभ प्राण प्रणसँ चुनाव-कार्यमे
भिरि जाइत छथि।
गाममे बहुत साल पूर्व
एकटा चुनाव भेल छल। मुखियाक चुनाव। लगैत छल जे उनटन भए जायत। भयानक तनाव भए गेल
छल। गाममे कैटा गुट अछि। जँ एकटा गुट एकटा उमेदवारक समर्थन होएत तँ निश्चय दोसर
गुट ओकर विरोधीक संग दए देत जातिबादक सेहो
प्रमुख महत्व रहैत अछि। मुदा ताहूसँ बेसी महत्व रहैत अछि आपसी रंजिस आ गुटबन्दीक।
ओहि समयमे हम बच्चा
रही। गाममे किछु गोटे तथाकथित क्रान्तिकारी कहबैत छला। ओइ ओहि क्रान्तिक भग्नावशेषो
नहि भेटत। मुदा ओहि समयमे ओ सभ युवक छलाह आ सौंसे गामकेँ अशान्त करबाक ठेका लऽ
लेने छलाह। सही मानेमे कहल जाय तँ गाममे धनीक अछिये के? मुदा ओ सभ क्रान्तिक नामे
व्यक्तिगत ईर्ष्या-द्वेष ओ आपसी दुश्मनीकेँ समाधान कए रहल छलाह। ओहि मुखियाक
चुनावमे सेहो हुनका लोकनिक बेस योगदान छल।
दुपहर रातिमे भयानक
गर्जना बुझायल। बहुत रास लोक सभ विरोधी सभकेँ नामसँ गारि पढ़ैत आगा बढ़ि रहल छलाह।
इन्नकिलाब, जिन्दाबादक नारा
बुलन्द भए रहल छल। मुखियाक चुनावक परिणाम बहार भए गेल छल। परिणामस्वरूप विजीत गुट
विजयोन्मादमे पराजित गुटक धज्जी उड़ा रहल छल। समाजक पतन कोन हदतक भए रहल छल से
सोचि अखनो गुम्म होमय पड़ि जाइत छी, कारण अपनहि लोकक विरूद्ध असभ्य ओ अपमानजनक भाषाक जनिक
प्रयोग भेल छल। चुनावक बादो कै दिन धरि गरमा-गरमी रहल। क्रमश: गाम सामान्य
स्थितिकेँ प्राप्त केलक।
परिवर्त्तनक ग्रामीण
अनुबाद जँ करए लागब तँ अर्थ लागत धोतीक
बदला लुँगी, फुलपैंट आ कमीज कहक
मानेजे ओहिमे कोनो गुणात्मकता नहि अछि। रूपात्मक परिवर्त्तन भने भेल होइक। जहिना
पहिने किछु गोटेक वर्चस्व रहैत छलैक ओहिना अखनो किछु गोटे दबंग अछि। शेष लोक
ढोलिया, पिपहीबला बनल अछि।
चुनावक अवसरपर किंवा एहने कोनो आन-आन अवसरपर यैह सभ बुझनामे आओत।
गाममे एमपीक चुनाव
होइत छल। चौकपर रंग-बिरंगक पोस्टर सभ लागल रहय। नेता सभक गरम-गरम भाषण होइत छल आ
सभ एक दोसरकेँ बुझाबक कोशिशमे लागि जाइत। चुनावक दिन पोलिंग बूथपर तीनटा पार्टीक
एजेन्ट बैसलाह। रहि-रहि चैलेन्ज भए जाइक। लगैक जे की भए रहल अछि की नहि। साँझ धरि
लोकक क्रम बनल रहल आ भरि दिनमे आधो मत नहि पड़ल । बोगस पोलिंग तँ एकहुटा नहि भए
सकल।
कै सालक बाद फेर हम
चुनावेक बीच गाम गेल रही। अधिकांश लोक एक दल विशेषक तरफ छल। गामक दूटा युवक लोकनि
पोलिंग बूथपर भोरेसँ मोस्तैद छलाह। बीचमे बोगस पोलिंग होमय लागल। कि दुनू गोटे जमि
कए विरोध केलक। पुलिस सभ हरकतमे आएल आ जनता जे बूथकेँ घेरि लेने छल, तेकरा खिहारलक। सभ
यैह-ले वैह-ले भागल। थोड़ेकालमे बूथपर पुलिसटा छल आ रहि गेल छल मतदान अधिकारी सभटा
भोँट मतदान अधिकारी सभ बोकस पोल करेलक। सेंट-परसेंट पोल।
तकर बाद फेर एक बेर
भोँट भेल। ओहिमे ककरो अन्दर-बाहर जयबाक परेशानी नहि छल। मतदाता सभ अपन-अपन घरमे
विश्राम कय रहल छलाह आ मतदान सत-प्रतिशत भए गेल। से कोना भेल? ताधरि ‘बूथ कैप्चरक’ कल्चर विकसित भए गेल
छल। नेता सभ गामक सिरगर पाँच-सातटा लंठ लोक सभकेँ पकड़ि लेने छल। बूथ कैप्चर भए
गेल छल। पोलिंग ऑफिसरसँ लऽ कए पीठासीन अधिकारी धरि सभ गोटे आराम कए रहल छलाह आ भोँटक काज चलि रहल
छल। तीनि-चारि गोटे धराधरि मोहर मारि रहल छल। दू गोटे बैलेटकेँ मोरि रहल छल आ एकटा
नमगर सन सज्जन बैलेटकेँ अन्दर कए दैत छलाह...।
हम साहस कए मतदान
केन्द्र तक गेलहुँ। बूथ कैप्चरींग स्क्वायडक एकटा युवक पूछलाह-
“अपने हाथे भोँट देबैक?”
हम चुपे रहलहुँ।
एताबत दूटा बैलेट पेपर एकटा सज्जन आनि कए देलाह। हम एकटा घुरा देलियनि। मोहर टुटि
गेल छल। कहुना कए रबरकेँ कागजसँ सटाओल। मतदान कएल। मुदा जे देखल ताहिसँ नहि बूझि सकलहुँ जे दस
वर्षक बाद ई कोन रूप लेत?
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