पुनर्मुषिकोभव
“की करी किछु फुरा नहि
रहल अछि...! प्रेसबला सभ पाछू
पड़ि गेल अछि। जतए जाउ ओतहि ई सभ पहुँचि जाएत। आखिर हमरो निजी जिनगी अछि।” मुख्यमंत्रीजी बाजि
उठलाह। पुन: अपन प्रेस सचिवकेँ बजौलखिन-
“मिस्टर सिंह। अहाँ
एकटा विज्ञप्ति अखबारमे प्रकाशित करबा दियौक जे प्रेसक आदमी मुख्यमंत्रीसँ
सम्बन्धित ओही समाचारकेँ प्रकाशित कराबथि जे हुनकर सरकारी कारोबारसँ सम्बद्ध होइक
आ जकरा छापब जनताक हेतु नितान्त आवश्यक होइक। संगहि ईहो समाचार प्रकाशित करबाओल जाएजे
हमर व्यक्तिगत कृया कलाप छापए बला समाचार पत्र ओ सभ व्यक्तिक विरूद्ध कार्रवाई कएल
जाएत।”
उत्तरमे प्रेस सचिव
बाजि उठलाह-
“ठीक सर। ठीक। प्रेस
बला सभकेँ कहि नहि की भए गेल छैक। एकरा सभकेँ सबक सीखेनाइ बेस जरूरी थिक। हम आइए ई
विज्ञप्ति प्रकाशित करबा दैत छियैक।”
“हद भए गेल! कहि नहि, प्रेसबला सभकेँ की भए
गेलैक अछि।”
अहीं कहू अपना सभमे
बलिदान देबाक तँ पुरान प्रथा छैक आ ताहि बातकेँ लऽ कए प्रेसबला सभ छापि देलकै अछि
आ सौंसे देशमे हरविर्ड़ो मचि गेल। जे मुख्यमंत्री डॉ. तिवारीजी अपन कुर्सी
बचयबाक हेतु छागरक सोनितसँ स्नान कएलन्हि अछि। लगैत अछि जे प्रेसबला सभकेँ सबक
सीखबहि पड़त। मुदा कोना? अच्छा काल्हि एहि विषयपर बिस्तारसँ विचार- विमर्श कएल जयतैक।
“मैडम। प्रेस विल तँ
अहींक आज्ञासँ लगाओल गेल।”
मुदा जाहि तरहक विरोध
एकर भए रहल अछि से तँ अप्रत्याशित अछि। लगैत अछि हमरा नव मुख्यमंत्रीक नियुक्ति
करहि पड़त।”
“नहि, नहि। एना नहि करी।
हम तँ अहाँक शरणमे सदिखन रहलहुँ अछि। कही तँ एहि विलकेँ आपस लएली?”
“हँ, से भए सकैत अछि, मुदा एकर बादो हम ई आश्वासन
नहि दए सकैत छी। अच्छा, फेर गप्प कएल जेतैक।”
-क्यो महिला स्वर एतबा
कहि कए टेलीफोन काटि देने छल। एकर बादे माननीय भूतपूर्व मुख्यमंत्रीजीक निन्न उपटि
गेलनि। सभटा बीतल गप्प सीनेमाक रील जकाँ सपनामे देखार भए रहल छलनि। असलमे हुनकर
कुर्सीसँ हटब एकटा तेहन मार्मिक प्रसंग छल जे हुनका निरंतर ओझरौने रहैत छल।
ओना जहिआसँ ओ
मुख्यमंत्री भेलाह तहिएसँ हुनका भयावह स्वप्न सभ आबए लागल छलनि। विपक्षी दलक
नाकेबन्दी मजबूत भए गेल छलनि आ सत्तादलमे सेहो कै गूट भए गेल छल मुदा साहसक बले ओ
आगा बढ़ैत जाइत छलाह।अचानक गाड़ीक पहिया घसैत देखलनि तँ वो ओकरा उखारबाक कोनो कम
प्रयास केलनि से बात नहि मुदा भावी प्रवल।
कर्णोक रथ तँ एहिना धसि
गेल रहनि। बेस संक्रमण कालमे ओ जहाँ ने लड़ाइमे आगू बढ़लाह कि रथक पहिआ धसए लागल।
ठीक एकदम वैह हाल माननीय भूतपूर्व मुख्यमंत्रीजीकेँ भेलनि।
भए सकैय जे हमर गप्प
अहाँकेँ तीत लगैता हो आ जँ मैथिलवृन्द छी तँ हमर गप्प अनुचितो लागत जे एकटा मैथिल
मुख्यमंत्रीक प्रति सेहो जखन ओ सत्ताच्युत भए गेलाह एहि तरहक आरोप, प्रत्यारोप मिथिलाक
संस्कृतिक अनुकूल नहि थिक। मुदा मैथिलवृन्द, अपने लोकनि भावुक नहि होइ।
माननीय भू.पू. मुख्यमंत्रीजी कुर्सी बचयबाक हेतु कोन कुकर्म छोड़लाह। अपन नामक
नियोजन कराए एकटा आधुनिक परिवार सन छोट कए देल जा ऊर्दू भाषाकेँ कपारपर चढ़ा
गामे-गामे ऊर्दू भाषाक पढ़ौनीक हेतु किछु कसरि नहि उठा कए राखल आ ताहूसँ नहि मोन मानलकनि
तँ आकाशवाणी दरभंगासँ मैथिली-कार्यक्रममे हिन्दीकेँ सन्न्हिआ देल। एहिसँ बेसी
मैथिल प्रेमी सचमुच के भए सकैत अछि?
कहबी छैक जे ने दौड़
चली ने ठेसि खसी। मुदा मुख्यमंत्रीजीकेँ ई गप्प के बुझेतनि। ओहि दिन अखबार पढ़ैत
छलियैक तँ एकटा बेस नमगर अपील पढ़लहुँ। धूर्तताक चरमसीमा छल । मैथिलीमे समाचार पत्र
निकालताह।
यौ महामहोपाध्यायजी।
अपनेकेँ ई बुद्धि किछु दिन पूर्व किएक नहि भेल? की अहाँ मैथिल जनताकेँ ओतेक
मुर्ख बुझि रहल छियैक जे अहाँ ओकरा भुतिएने फिरिऐक। एकदम नहि। आब जमाना बदललै।
मुदा अहाँक निराशाक प्रति सहानुभूति तँ अछिए। खैर, देर अयलहुँ दुरुस्त अयलहुँ। मुदा
ई तँ कहू जे ओहि समाचार पत्रमे की की खबरि छपतैक? मुख्यमंत्री पदक पुन:
प्राप्तिक हेतु जँ अहाँ कोनो यज्ञ करबैक तँ ओकरा प्रमुखतासँ छपबैक वा नहि? उमेद अछि जे एहिबेर ओ
समाचार मैथिलीमे प्रकाशित समाचार पत्रक मुख्य पृष्ठपर अपने छापब।
ओहि दिन गाममे बैसार
रहैक। नवतुरिआ सभ मैथिलीक प्रचार-प्रसारक हेतु बेस आन्दोलन केने छलाह। माननीय
भू.पू. मुख्यमंत्रीजी प्रमुख वक्ता छलाह। वो बाजक लेल ठाढ़े छलाह कि क्यो दौड़ल आएल।
कहलक-
“दिल्लीसँ फोन आएल
अछि।”
ओ मंचपरसँ धड़फड़ाइत उतरए
लगलाह ओ एही क्रममे लूढ़कियो गेलाह। फेर वैह नारी स्वर। फेर वैह हतप्रभ भू.पू.
मुख्यमंत्री...।
एमहर बैसारीमे हल्ला
छलैकजे भू.पू. मुख्यमंत्रीजी मिथिला राज्यक घोषणा करताह। मुदा कहि नहि किएक, सम्भवत: ओहि
अप्रत्याशित फोनक कारणसँ मिटिंगक कर्यवाहीपर गम्भीर प्रभाव पड़ल आ मिटिंग साधारण
भाषणक बाद स्थगित भए गेल।
ओहि दिनुका मिटिंगक
बाद भू.पू. मुख्यमंत्रीजी बहुत दिन धरि चुप रहलाह। पछिला महिना साँझक एक दिन
समाचार पत्र पढ़ैत छलहुँ। मुख्य पृष्ठपर समाचार छपल छल। ओकर किछु महत्वपूर्ण अंश
प्रस्तुत अछि-
दिनांक २ मई सन् १९७६
आई मुकुल गाँधी पटना अयलाह।
परम सन्तोष अछि जे हम हुनका प्रशन्न कए सकलहुँ। वो प्रधानमंत्रीक दहिना हाथ छथि।
ओना हमर प्रतिद्वन्दी लोकनि हमरापर लागल छथि मुदा जाधरि मुकुल गॉंधी हमरापर नहि
विगरताह ताधरि क्यो किछु नहि कए सकैत छथि। तेँ हुनका प्रशन्न करबाक हेतु जान लगा
दो।
दिनांक १२ सिदम्बर
१९८१
किछु मैथिल आएल छलाह।
मैथिलीक अधिकार हेतु छलाह। आखिर मैथिलीक की महत्व अछि? हमरा ई सभ तँ एकदम नीक नहि
लगैत अछि, मुदा कएल की जाय।
व्यक्तिगत हमरा मैथिल,
मैथिलीसँ कोनो लगाव नहि अछि। हँ, जँ क्यो अपन सम्बन्धी होथि वा दोस्त-महिम होथि तँ
तिनका नीक-सँ-नीक पद दियावी आ मदतिओ करी। मैथिली, मैथिली चिचिएलासँ की होयत?
१४ अक्टुबर १९८२
बिहार बेस विवादास्पद
राज्य अछि। मोन तँ होइए जे एहि पदकेँ छोड़ि जा कए आराम करी, वा पुन: अपन पहिलुका
पेशामे लागि जाइ। मुदा एतेक आमदनी छैक एहि काजमे जे शिक्षकक काजमे सातो जन्ममे नहि
भए सकैत अछि। प्रेसबला सभ पाछू पड़ि गेल अछि। की करी बुझा नहि रहल अछि?
१ जनवरी १९८४
देखा चाही नवीन वर्ष
की की रंग लबैत अछि। मुख्यमंत्री पदसँ हटलाक बाद तीव्र वैराग्य भए रहल अछि। खने
मोन करैत अछि जे राजनीतिसँ सन्यास लऽ ली। खने मन करैत अछि जे ‘युद्वाय कृत निश्चय’क पुनरावृत्ति कए दी।
मिथलाराज्यक विचार मोनमे घुरिआ रहल अछि। मुदा मैथिलो सभ तँ हमरासँ उचटले छथि। एकटा
उपाय सुझि रहल अछि। मैथिलीक प्रचारमे पदयात्रा किछु सज्जन चला रहल छथि। हुनके संग
धरी। गामे-गाम मैथिलीक नामे हमरो प्रचार भइए जाएत। सुनबामे आएल अछि जे महिषीमे
एकटा बड़ सिद्ध तांत्रिक छथि। हुनकोसँ किछु परामर्श करब। आगा जगदम्बाक ईच्छा। देखा
चाही छुटल राज पलटैत अछि कि नहि...।
कै दिनसँ थाकल-झमारल
भू.पू. मुख्यमंत्रीजी ओहि दिन दुपहरियामे कनेके आँखि मुनने छलाह कि सपनाए लगलाह।
साक्षात् महिषासुर मर्दिनी कत्ता लए घुमि रहल छलीह। शत्रुक संहार करैत छलीह। नवका
मुख्यमंत्रीक नाशक हेतु षडयंत्र जोर-सोरसँ चलि रहल छल। मिथिलाराज्य दलक जनतामे
भारी प्रचार भए गेल छल। जतहि देखू ततहि भू.पू. मुख्यमंत्रीजीक स्वागतमे
स्वागतद्वार सभ बनल छल जाहिपर बड़का-बड़का बैनरमे लिखल छल-
“मिथिला नरेशक स्वागत
हो!”
मैथिलीक प्रचार खूब
भेलैक। भू.पू. मुख्यमंत्रीजीक नामक नागारा चारूकात बाजि रहल अछि। चुनाव घोषणा भए
गेलैक। बड़का-बड़का उद्योगपति सभ अपन भविष्यक उमेदपर पर्याप्त चन्दा दए रहल छथि। एहि
सबहक परिणामो बहरेलैक आ हम पुनश्च मुख्यमंत्री भए गेलहुँ। सपथ प्रहण समारोहमे किछु
मैथिल सभ उपद्रव करय चाहैत छलाह कि पुलिस लाठीचार्ज कए देलक...।
एतवहिमे भू्.पू.
मुख्यमंत्रीजी सपनेमे गरजए लगलाह कि हुनक नीन्न खुजि गेल। उठलाह तँ वैह रामा वैह
खटोला। पुनर्मुषिकोभव।
O
१६
अगस्त १९८४
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