क्रान्ति बिसर्जन
सौंसे गामक नवतुरिया
सभ एकटा मिटिंग केलक। वैकवाड किलासक लोकक तथाकथित आक्रमकताक पुरजोर विरोध करबाक
दृढ़ निश्चय कएल गेल।
नेमी बाबू गामक गामक नामी
लोक छलाह। चारू बेटा एक-सँ-एक पोस्टपर छलखिन। सभ कमासुत। वो बैसारमे बीचमे बमकि
उठलाह-
“जतेक जे जुलुम भए रहल
अछि ओहिमे बड़के लोकक हाथ अछि। छोटका लोकक ई साहस जे हमरा लोकनिक हरबाही छोड़ि दिए।
खबासिनी सभ आँगन एनाइ छोड़ि देलक। ई सभ छोटका लोकक करनामा नहि थिक अपितु एहि समस्त
काजमे सुधीर बाबूक प्रगतिशील बिचारक पुत्र बेचनक हाथ थिक। अमता सभकेँ भाषण दए-दए
सनका देलक अछि।
“जब तक भूखा इन्सान
रहेगा, धरती पर तूफान रहेगा
आदि-आदि नारा के सिखौलक?”
चारू कातसँ थपड़ी
पड़य लागल। तय भेल जे सुधीर बाबूकेँ उपराग देल जाए। संगे ईहो तय भेल जे गामक कोनो
खबासकेँ आर्थिक सहायता नहि नहि देल जाए।
सभ विसर्जित भेल।
सौंसे रास्ता लोक अर्र-बर्र बजैत चल जाइत रहल।
बेचन बेस फनैत छलाह।
मिटिंगक एक-एक बात घरे बैसल पता लगा लेलाह। एमहर मिटिंग खतम भेल ओ ओमहर फेर नारा
बुलन्द भेल-
“जब तक भूखा इन्सान
रहेगा, धरतीपर तूफान
रहेगा...।”
सौंसे गाम डोलि गेल।
कारण ओहि स्वरमे पर्याप्त शक्ति प्रस्फुटन भए रहल छलैक। चारू कातसँ एक्के बात जे ‘बभना सभकेँ रास्तापर
आनके है। जान रहे कि जाए।’
एहि जिनाइसँ मरबे
नीक। एवम्-प्रकारेण गाम एकटा सिभिल नाफरबानीक दृश्य देखि रहल छल। एक दिस गामक उच्च
वर्णक धनीक, सशक्त लोक सभ दोसर
दिस छोटका लोक सभ खाली देह, खाली पेट लेने बमकि रहल छल-
“…धरतीपर तूफान रहेगा।”
छोटका लोकमे आघात
प्रतिघातक सरिपहुँ शक्ति नहि छल। जहिआसँ वो सभ अवाज बुलन्द केलक तहिआसँ कतेको घरमे
डिविया नहि बरल। कतेको राति कोराक बच्चा भुखले सूतल। मुदा तैओ ओ सभ कोनो वाभनक खेत
जोतए नहि गेल...।
ओहि दिन हाट लागल
रहैक। दामोदर बाबू हाट करए जाइत छलाह। गामक सभसँ धनीक लोक दमोदर बाबू। हाटे-हाट
तरकारी उठौना अबैत छल। मुदा जहिआसँ छोटका लोक सभ हड़तालपर चल गेल छल तहिआसँ अपने
गमछामे तरकारी बान्हि कए दमोदर बाबू लबैत छलाह। तरकारी लए कए उठहिपर छलाह कि निरसमनापर
नजैर पड़लैन। मुदा टोकलकन्हि नहि। कए बेर बजौलखिन-
“निरसमना..? निरसमना..?”
मुदा ओ अन्ठिया कए चल
जाइत रहल।
दामोदर बाबूकेँ नहि
रहि भेलनि। झटकि कए आगू बढ़ि ओकर गट्टा पकड़ि लेलखिन।
एतबेमे औ बाबू जतेक
ओकर दियादवाद सभ छलैक सभ दमोदर बाबूकेँ घेरि लेलक। दामोदर बाबू जेना-तेना जान लए कए
भगलाह। रास्ता भरि प्रतिशोधक आगिसँ धधकैत रहलाह।
ओहि घटनाक १५ दिन भए
गेल छल। दामोदर बाबू इलाकाक १५टा नामी-गामी पहलवानकेँ जमा कए लेने छलाह। बारह बजे
रातिमे सभ पलहवान निरसमनाक घर घेरि लेलक ओ निरसमनाक घरसँ निकलैत देरी खाम्ही लगा
बान्हि ओकरा मुँहमे गोइठा ठुसि देलक। निरसनमा निस्सहाय, ओतएसँ देखैत रहल। ओकर आँखिक
समाने ओकर घरवाली चिकरैत रहल। मुदा निरसनमा हाथ-पैर पटकि कए रहि गेल। असगर वो १५टा
दैत्यक सामना नहि कए सकल। भोर भेलापर ओकर घरवाली बीच आँगनमे बेहोस पड़ल रहैक
निरसनमा धारक कातमे बेहोश छल।
सौंसे गाममे हल्ला भए
गेलैक। बेचन दौड़ल अएलाह। ओ गरजि उठलाह। मुदा जे हेबाक छल से भए गेल छल। अमतटोलीक
सभ लेाक एकट्ठा भए गेल। बेचन फेर नारा देलकै-
“धरती पर तूफान
रहेगा..!”
अहि नाराक कोनो
प्रतिकृया निरसनमा ओ ओकर घरवालीपर नहि पड़लैक। ओ दुनू गोटे ओहिना बेसुध ठामहि पड़ल
छल।
गामक बुढ़ सभ ओहि
घटनाक बारेमे सुनलक आ अनठिया देलक। गामक लेल ओ कोनो नव बात नहि छलैक। हँ, एतवा अवश्ये जे
वर्तमान परिपेक्ष्यमे ई घटना एकटा दुस्साहस सन लगैत छल। मुदा एकर बाद फेर नारा कहिओ
नहि सुनाइ पड़लैक।
‘धरती पर तूफान रहेगा।’ केर संकल्प जेना
केतहुँ दहा गेलैक। ओहि घटनाक बाद अमता सबहक बैसारी भेल रहैक। सभसँ सीनीयर माइन्जन
बमकि उठल छल नवतुरियापर। मालिक लोकनिक वो बेस चमचा छल। गरजि कए कहलक-
“तोरा लोकनिकेँ गिरगिटिआ
नचैत छौ। एतेटा जिनगी ईहे मालिक लोकनिक संग बिता देलिऐक। कहिओ कोनो झगड़ा-दन नहि
भेलैक। खबासिनी आँगन सभमे काज करैत रहलैक। कहिओ कोनो बातक शिकायत नहि केलक। मुदा ई
छौड़ा सभ अगिआ-बेताल बनल हेँ!”
कोनो नवतुरियाकेँ
साहस नहि भेलैक जे माइन्जनक विरोधमे किछु बाजए। सभ चुप्प भए एकदम गुम्मी लादि
देलक। मिटिंग खतम भेलैक। ओ दोसरे दिनसँ ई स्वर खुजए लगलैक। गामक बड़का लोकमे
हरिअरी अयलैक। सभ कियो दामोदर बाबूक प्रशंसा करैत छल। सरिपहुँ दामोदर बाबू बड़ नीक
लोक छथि। आदि-आदि...।
आ फेर ओहि दिनसँ
पनिभरनी सभ गिरहथक ओहिठाम काज केनाइ सेहो शुरू कए देलक। सौंसे गाममे फेर ओहिना
चहल-पहल रहए लागल...।
बेलाहीवालीकेँ तीनटा
बेटी छलैक। तीनू ३टा मालिकक अँगनामे काज करैत छलैक। सभ सासुर बसि आएल छलैक। मुदा
गरीबक की सासुर आ की नैहर? ककरो बास सासुरमे नहि भेलैक आ सभ कए वर्षसँ माइये लए कए
रहैक। कहि नहि कैटा धिया-पुता छलैक तीनू बहिनकेँ।
मुदा सबहक धिया-पुता
गोर-नार। देखैमे सुन्नर तँ छलैहे। बेस तेजो सभ छलैक। बेलाहीवालीकेँ लोक चुटकी मारै
जरूर मुदा ओकरा लेल धनसन। ओ अपनो तँ ओही रास्तासँ गुजरल छल। बेलाहीवाली अपना समयमे
सुन्दरि छल। ओकरापर दामोदर बाबूक नजैर गरि गेलनि। ओकर बिआह अपन खबाससँ करा देलनि।
खबास शुरूए-सँ नंगराइत छल।
एक दिन हल्ला भेलैक
जे तेतरि तर केदनि सभ ओकरापर आक्रमण कए देलकै जाहिमे ओ गम्भीर रूपसँ धायल भए गेल।
बादमे मास दिन जेना-तेना खेपि ओ स्वर्गवासी भए गेल। तहियेसँ बेलाहीवाली दामोदर
बाबूक क्षत्रछायामे पोसाइत रहल। बेलाहीवालीकेँ ओकर बादो कैटा धिया-पुता होइत
रहलैक। मुदा कैक बेर गाममे गुल्लर उठलैक।
दामोदर बाबूकेँ
चला-चलती रहनि। के बाजत हुनकर विरोधमे।
बेलाहीवालीक तीनू
बेटीकेँ ई गप्प बूझल छलैक। ओ सभ अपन आचरणोमे एहि बातकेँ पुष्टसँ स्पष्ट कए रहल छल।
दामोदर बाबूकेँ तीनटा पुत्र छलखिन। आ तीनू फराक। तीनू बहिन तीनू मालिकक घरमे काज करए।
काज तँ जे से ओहुना
ओकरा सभहक आयब-जायब रहिते छैक। मुदा बेलाहीवाली असगरे ओहि टोलमे हो से गप्प नहि।
सौंसे अमतीटोलीक एक-एक लोक एकटा अपन इतिहास छैक, एकटा खिस्सा सबहकनामक संगे
जुड़ल छैक। ओना ई सभ ततेक सामान्य घटना भए गेल छलैक जे ककरो विशेष ध्यान ओमहर
जेबाक प्रश्ने नहि छलैक।
ओहि दिन अमतटोलीमे
बेस हल्ला भेलैक।
ओना सामान्यत: ओहि
टोलमे हल्ला होइते रहैत छलैक। तेँ ककरो ध्यान ओहि हल्लापर नहि जाइक। पुरवारि
गामवाली उत्तरवरिया टोलक एकटा बभना छौड़ाक संगे कतहुँ रातिमे भागि गेल छलैक। ओना
काना-फुसी तँ होइते रहैत छलैक। मुदा गप्प एतबा धरि बढ़ि गेल अछि, तकर अन्दाज ककरो नहि
रहल होयतैक। भरि दिन टोलमे एही बातक चर्चा होइत रहलैक।
एवम्-प्रकारेण सौंसे
गाम पुरनका लोकपर फेर सरकए लागल। मुदा बेचनक आत्मा एहि सभ गप्पसँ दुखी छल। ओकर
मोनमे क्रान्तिक आगि सुनगि रहल छल। एम.ए. पास छल अर्थशास्त्र लए कए। आर्थिक
परिपेक्ष्यमे गरीब सबहक सामाजिक शोषण ओकरा बड़ पैघ जुलुम लगैत छलैक। मुदा वो लड़त
ककरा वास्ते। क्यो ओकर गप्प सुनबाक हेतु तैयार नहि छलैक।
गरीब सभ दाना-दानाक
मोहताज छल। ओकरा रोटी चाही से जेना हो। ने ओकरा हेतु कोनो सामाजिक मान्यताक कोनो
महत्व छलैक आ ने नैतिकताक ओकरा छुति छलैक। मात्र रोटीटा चाही। मुदा बेचन बुझैत
छलैक जे ओ सभ भूखक आवेशमे रोटीमे जहर मिला कए गिरि रहल अछि। समाजक नामी लोक सभ जे
प्रतिष्ठाक पात्र मानल जाइत छथि, तिनके लोकनिक आचरण देखि वो क्षुब्ध छल।
मुदा कइये की सकैत छल? असगर वृहस्पतियो
झूठ। जे शोषित वर्ग छलैक तकरा लेल धनसन। ओ सभ ओहीमे रमि गेल छल। मालिक सबहक नेकरम
करबमे। दूटा रोटी खाएब ओ मालिकक हबस पूरा करब। सभ एकटा सामान्य घटना भए गेल छल। ओकरा
सभ हेतु ने देशक आजादी कोनो रंग अनने छल आ ने बेर-बेर होमय बला चुनाव सभ।
अलबत्ता जखन चुनाव
होइत छलैक तँ लॉडस्पीकरक आवाजसँ ओसभ एक बेर चौंक जरूर जाइत छल। छोटका जातिक नेता
सभ माइन्जन लए कए घरे-घरे राति भरि घुमैक। सभकेँ पाँच-दसटा रूपैया दैक ओसभकेँ
नीकसँ सीखाबैक जे कतए भोँटक मोहर मारबाक छैक। साइकिल छाप, तराजू छाप, घोड़ा छाप आदि-आदि।
एकटा रोचक प्रसंग होइत छलैक चुनाव ओकरा सभ लेल। मुदा कैकबेर जाधरि अमतटोलीक लोक सभ
मतदान खसबए जाइत छलैक ताधरि ओकर सबहक भोँट खसि पड़ल रहैत छलैक। ओ सभ मतदान
केन्द्रपर जमा भीड़क तमासा देखि कए आपस भए जाइत छल। कोनो प्रतिकृया नहि।
स्त्रीगण सभ अपनामे गप्प
करैत-
“गे दाइ, हमरा तँ बड़ डर लगै
रहइ। कोना कए मोहर मारितिऐ। कहीं हाकिम पकड़ि लइत।”
किछु स्त्रीगण सभ
अहिना गप्प-सप्प करैत छलैक कि पैट्रोलींग करैत पुलिसक जीप भीड़क कारणे ओतहि ठाढ़ भए
गेलैक। सभ क्यो जान-बेजान भागल। बाह रे मतदाता! बेचन ई सभ देखि रहल छल्।
ओकर मोन कसमसा रहल छलैक। मुदा की करए। एहिना कहि नहि, कैक बेर चुनाव अयलैक, गेलैक। मुदा ओकरा
सबहक लेल धनसन।
एवम्-प्रकारेण सौंसे
गाम दू खण्डमे बँटल रहल। शोषक ओ शोषितक बीच एहन सौममस्य देखि बेचन क्षुब्ध छलाह। ओ
सोचलाह जे एकबेर फेर प्रयास कएल जाए।
रातिक ९ बाजल रहैक। ओ
अमता सबहक घरे-घर घुमि गोर-मिटी कए अपन घर लोटि रहल छलाह। बभनटोली ओ अमतटोलीक बीचमे
नान्हिटा कलम छलैक। धराम-धराम। चारू दिसिसँ बेचनक कपारपर लाठी बरसए लागल।
“आब बोलो बड़ा चला है
हीरो बनने। यह कालेज नहीं है। गाम है।”
पता नहि की की बजलै
वो। आ परिणामत: बेचन धारासाही भए गेलाह। सौंसे गाममे हल्ला भए गेल। अमता सभ नि:सहाय
भए ओहिना अपन-अपन मालिकक काजपर चलि गेल। बेचनक लाश ओहिना एसगर राति भरि पड़ल छलैक।
भोर भेने दामोदर बाबू थानामे रपट लिखा अएलाह।
मामला रफादफा भए गेल।
ओहि गामक क्रान्तिक स्वर सभ दिनक लेल गुम्म भए गेल।
२०.९.१९८३
२०.९.१९८३
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