मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017

पियासल


 

 


पियासल


ओ निम्न मध्यवर्गीय परिवारमे पालल-पोसल गेल छल। मुदा सभ दिनसँ ओकर महत्वाकांक्षा पैघ छलै। गाममे मिडिल स्कूल रहै। महींस चरा कए आबय आ फटलाही अंगा पहीरि कए फक्का फँकैत स्कूल विदा भए जाइत छल। सातमामे जहन वो फस्ट आयल छल तँ  मास्टर सभ ओकर पीठ ठोकि देने रहथिन।

पीठ ठोकैत प्रधानाध्यापजी सेहो कहलखिन-

बाह रे बेटा, अहिना आगू करैत रह..!”

सौंसे गाममे ओकर नाम तेजस्वी, सुशील ओ प्रतिभाशाली बच्चाक रूपमे ख्यात भऽ गेल छलै। आ लोकक लेल धरि ई सभ धनिसन। ओकरा पढ़बाक धुन लागि गेल छलै। किताब लऽ लैत, महींसपर चढ़ि जाइत आ पढ़ैत रहैत। खेबा-पीबाक  कोनो सुधि नहि । मैट्रिकक परीक्षामे ओ जिला भरिमे प्रथम स्थान प्राप्त कएलक। सरकारक दिसिसँ ओकरा ३०० रूपया प्रति मासक छात्रवृति सेहो भेटलैक आ ओ गामसँ दूर बहुत दूर पढ़क लेल चल गेल। कलकत्ता विश्वविद्यालयक ओ सम्मानित छात्र भए गेल छल। एवम् प्रकारेण ओ पढ़िते गेल, बढ़िते गेल।

कलकत्तामे ओकरा रहए जोगर कोनो नीक स्थान नहि भेटि रहल छलै। मास दिन भए गेल रहैक कलकत्ता अएला। मुदा कोनो ठौर-ठेकान नहि भेल छलै। कहियो ककरो ओहिठाम, कहियो कतौ। एहिना मास दिन बीति गेलै।एक दिन विश्वविद्यालयक कॉमन रूममे एसगरे बैसल छल। गुमसुम। एतबेमे ओकरे क्लासक एकटा छात्रा मालतीअएलै आ ओकरा एकटा हल्लुक सन चाटी मारलकै आ एकसुरे बजैत रहि गेलै-

एना कियेक गुमसुम रहैत छेँ? कखनो कऽ  बाज, खेल-कूद। गुम-सुम रहैत-रहैत बिमारे पड़ि जेबेँ।

आलोककेँ ओकर सभटा बातसँ जेना छगुन्ता लागि गेलै। ओ मालती दिश एकटक तकैत रहल। मुदा किछुए कालमे ओ  आत्मलीन भए गेल।

मालतीकेँ ओकर एहि अन्तर्मुखी आकृतिसँ बड़ असमंजस भए गेलै। कनीकाल ओहो गुम्हरल आ फेर ओहि ठामसँ चोट्टे घुमि गेल। आलोक किछु नहि कहलकै। चुप-चाप कहि नहि की की सोचैत रहि गेल? साँझक समय नजदीक छलै। कॉमनरूमक चपरासी कहलकै-

बाबूजी। आब समय समाप्त छैक। रूममे ताला लगतैक।

आलोक चुप्पे ओहि ठामसँ विदा भेल। 

आलोकक जिनगी अहिना अन्हरियामे बीतैत रहल छलै। इजोरियाक प्रत्याशामे जीवि रहल छल। एक-एक डेग संघर्षक पृष्ठभूमिमे कहि नहि ओकरा केमहर लय जाइत छलै। मुदा ओ चलिते रहल छल। नेनासँ अखन धरि कष्ठ कटैत-कटैत ओकर संवेदनशीलता शीथिल भए रहल छलै। प्रकृतिक सौन्दर्यसँ दृष्टि हटल जा रहल छलै। ओहि समयमे मालतीक संग ओकर भेँट जेना ओकर दृष्टिकेँ एकदम बदलि देबाक हेतु तत्पर भए गेल होइक। यद्यपि ओ मालतीसँ भरि पोख गप्पो नहि केने छल, मुदा कहि नहि ओकरासँ किएक एहन आत्मीयता बुझाइत छलै।

मालती सौन्दर्यक प्रतिमूर्ति छल। ओकर स्वभावक संतुलन, एवम् दृष्टिक मार्मिकता एक-एक शब्दसँ अन्दाजल जा सकैत छल। ओ कोनो बहकल लोक नहि छल। मुदा ओकरा आलोकक प्रति एकटा स्वत: स्फूर्त, स्नेह उभरैत छलै। संभवत: ओ आलोकक संघर्षक प्रति अधिक संवेदनशील भए गेल छल। आलोककेँ कलकत्ता नगरमे अएला डेढ़ माससँ ऊपर भऽ गेल छलै। मुदा ओकरा अखन धरि रहए जोगर मकान नहि भेटि सकल छलै।

मालतीक मकानमे बहुत रास जगह छलै। आसानीसँ ओ एकटा कमरा आलोककेँ दए सकैत छल। मुदा आलोकसँ किछु कहबाक ओकरा साहस नहि होइत छलै। आलोकक गंभीर मौन ओ तजस्वी व्यक्तित्व जखन कखनो ओकरा सामने पड़ैत छलै ओ ओहिनाक ओहिना रहि जाइत छल।

एही क्रमे मास दिन आर बीति गेल। कॉमन रूममे एकबेर फेर आलोक भेट गेलै। बेश दुखी बुझाइत रहैक। मालतीकेँ नहि रहल गेलै। पुछलकै-

की बात छै? आइ बड़ उदास लागि रहल छेँ?”

आलोक चोट्टे कहलकै-

गाम घुरि रहल छी। लगैत अछि आब आगा पढ़ब भागमे नहि लिखल अछि।

मालती पुछलकै-

किएक?”

आलोक गुम्म रहि गेलै। मालती कहलकै-

चल हमरा संगे।

आलोक ओकरा पाछू-पाछू विदा भेल।

मालतीक बाप पुलिसक एकटा वरिष्ठ अधिकारी छलखिन आ पश्चिम बंगाल कैडरमे काज कए रहल छलखिन। मात्र दूटा लड़की छलनि। शीला ओ मालती। शीलाक वियाह, द्विरागमन सभ किछु सम्पन्न भए गेल छलै। मालती कलकत्ता विश्वविद्यालयक आइ.ए.क. छात्रा छल। बड़ीटा मकान खाली खाली रहैत छलै। डी.आइ.जी साहैब आलोककेँ देखिते प्रभावित भए गेलाह। गंभीर, तेजमय व्यक्तित्व। संघर्षक समयमे आलोक व्यक्तित्व आर तेजस्वी भए गेल छल। मालती ओकर गुम्मी, ओकर प्रतिभा आ सभसँ बेशी ओकर सौम्यतापर मंत्रमुग्ध छल। डी.आ.जी. साहेब तेज लोक छला। आलोकक प्रतिभाकेँ ओ एकदम तारि गेलाह। आलोकक सभ वृतान्त मालतीक मुहेँ सुनने छलाह। कहलखिन-

आलोक। ई अहींक घर अछि। निश्चिन्त भए रहू। कोनो बातक प्रयोजन हो तँ नि:संकोच बता देल करब। संगहि मालतीकेँ कखनोक पढ़ा देल करबै। गणित कमजोर छैक। सुनैत छी अहाँ गणितमे वेश मजगूत छी।

अपना बारेमे एकटा अतिचर्चित व्यक्तिसँ एतेक रास गप्प सुनि कए आलोक गुम रहि गेल। मालती अपन पिताक गप्प-सप्पसँ बेश प्रसन्न छल। ओकरा सैह उमीदो छलै।

आलोक आ मलती आब संगे संग रहैत दल। संगे पढ़ैत छल, कालेज जाइत छल आ कहि नहि कतेक काल धरि संगे गप्प-सप्प करैत रहैत छल। आलोक निश्छल भावसँ कहि नहि ओकरा की की कहि जाइत छल। मुदा मालती लेल धनसन। ओ सभ चुप्पे सहि जाइत छल।

आइ.ए.क परीक्षा नजदीक छलै। दुनू गोटे परीक्षाक तैयारीमे भिड़ल छल। आलोकक सहारा भेट गेलासँ मालती सेहो नीक पढ़ाइ कए रहल छल। दुनू गोटे परीक्षा देलक आ नीकसँ परीक्षा पास कए गेल। आलोक विश्वविद्यालयमे प्रथम स्थान प्राप्त केने छल।

मालती प्रथम श्रेणीमे नीक नम्बर अनलक। डी.आइ.जी. साहेब आलोकसँ बड़ प्रशन्न छलखिन। मुदा आलोक लेल धनसन। जाहि आदमी लऽ कऽ शहर भरिमे धूम मचल छल, सैह आदमी गुमसुम कोठाक ऊपरी मंजिलपर कहि नहि की की सोचबामे व्यस्त छल।

डी.आइ.जी. साहेब मालती सहित हुनकर पूरा परिवार आलोककेँ मदति करबामे जान लगा देने छल। मुदा आलोककेँ ई सभ कोना दनि लगै। ओकरा आवश्यकतानुसार सभ किछु भेट गेल रहैक मुदा तैयो वो कहि नहि किएक दुखी रहैत छल। ओकर मोन कखनहुँ कशमशा उठैत छलै। मुदा करय की? अभावक असीम समुद्रमे कतेको काल धरि हेलैत-हेलैत एकटा सहारा भेटल छलै। मुदा लागि रहल छलै जे समुद्रसँ तँ उवरि गेल मुदा ओहि टापूक कोनो गहींर कूपमे डुबि जाएत जाहिसँ फेर वो नहि निकलि सकत।

आखिर डी.आइ.जी. साहेब आ हुनकर परिवार ओकरा एतेक मदति किएक करैत छैक? मुदा करितै की? कोनो दोसर विकल्पो नहि छलै। आगू बढ़य, सहारा छोड़ि दियै तँ फेर वैह असीम समुद्र देखाइत छलै- अभाव, कष्ट ओ संघर्षक चरमोत्कर्ष। कतय जाय? की करय? असमंजसमे जी रहल छल। यैह सभ सोचैत छल की मालती ऊपर आबि गेलै।

मौन एकाएक भंग भेलै। ओकरा एना गुम्म देखि मालती कहि उठलै-

चल, चल नीचा चल। आइयो एहिना गलफुल्ली रखबैं की? तोरे कारण तँ हम एतेक नीक नम्बर लऽ कऽ पास भेलहुँ अछि। चल, तोरा भरि पेट मिठाई खुएबौ।

आलोक हँसल आ मालतीक पछोर धय लेलक। नीचामे डी.आइ.जी. साहेब आ ओकर परिवारक सभ लोक आलोकक प्रतीक्षामे छलाह। ओ सभ आलोकक स्वभावसँ परिचित भए गेल छलाह आ तेँ किछु कहलखिन नहि मुदा ओकर अन्यमनस्कताकेँ तँ ओ निश्चित रूपसँ तारि गेलाह। डी.आइ.जी. साहेब बात बदलैत कहलखिन-

बी.एस-सी.मे केतय नाम लिखैब आलोक। अखन किछु सोचलियैक नहि? हमर विचार तँ अछि जे एहीठाम कलकत्ता विश्वविद्यालयमे नाम लिखाउ। कारण ई नीक विश्वविद्यालय अछि।

आलोक चुप्पे रहि गेल। फेर आन-आन बात होमय लगलैक। ताबतेमे टेलीफोनक घन्टी बजलैक आ डी.आइ.जी. साहेब जरूरी काजसँ ऑफिस विदा भए गेलाह।

मालतीक माए सेहो कतहु उठि कए चलि गेलै। आब मात्र मालती आ आलोक ओतय रहि गेल छल। मालती गप्प शुरू करैत कहलकै-

आलोक। तूँ बड़ नीक लोक छेँ।

आलोक एहि बातपर हँसि देलकै। कहलकै-

नीक तँ छी मुदा...।

मुदा, मुदा किछु नहि! जे कहि रहल छियौ से सुन। एहीठाम रह आ संगे संग दुनू गोटे बी.एस-सी. करब। कोनो बातक चिन्ता नहि कर।

आलोक कहि नहि कोना- हँ कहि देलकै।

मालतीक खुशीक ठेकान नहि छलै। ओ दौड़ल घर गेल आ एक बाकुट मिठाई आनि कऽ आलोकक मुँहमे ठुसि देलकै। आलोक मधुर खाइत चल गेल।

मालती आ आलोक एकटा नामक दू अंश भए गेल छल। भावुकताक संग परिस्थितिक सामंजस्य कऽ लेले छल आलोक। मुदा भावनाक तरंगमे बहि जायब सेहो ओकरा पसिन नहि छलै। ओ अपन लक्ष्यपर अडिग छल। जीवनमे ओकरा बढ़बाक छलै। एही कारण ओ बहुत किछु स्वीकार कए लेने छल। मुदा वो अपनहिसँ लगाओल लत्तीमे ओझराय नहि चाहैत छल। ओमहर मालतीक भावत्मकता सीमोल्लंघन करबाक हेतु उफान केने छल। आलोक एही कशमकशसँ परेशान छल। मुदा बीचमे संग्रामसँ भागि जायब ओकरा मंजूर नहि छलै। ओ मालतीकेँ पढ़य-लिखयमे भरिसक मदति करैक। गप्पो-सप्प कए लैक मुदा ओहिसँ बेशी किछु नहि।

मालतीक मोन ओहिसँ भरैक नहि। असंतोषक रेखा ओकर चेहरापर स्पष्ट देखार भए जाइत छलै। संतुलन बनएवाक दृष्टिसँ आलोक कहियो काल डाँटिओ दैक। मुदा मालतीकेँ ओकर डाँटो मीठे लगै।

आलोकक स्वभासँ मालतीक पूरा परिवार प्रभावित छल। मुदा ओकरा लेल धनसन। ओकर पूरा ध्यान पढ़ाइमे लागल छलै। जे किछु समय बाँचल रहैक से मालतीकेँ पढ़बऽमे लगा दैक। बश आर किछु नहि।

मालती ओ आलोकक प्रगाढ़ अन्तरंग सम्बन्ध ओकर माए-बापकेँ छलै मुदा ओ सभ आलोकक स्वभावसँ परिचित छलाह। मालती भलेँ बड़ भावुक छल, मुदा आलोकक संतुलित, संयत ओ अन्तर्मुखी व्यक्तित्व अपेक्षाकृत अधिक विश्वसनीय छलै। ओमहर आलोकक अन्तर्मन ओकरा प्रति कएल गेल उपकारक भारसँ दबल छलै। ओकर किछुओ सहारा सधि जाइक ताहि हेतु ओ मालतीकेँ पढ़बैत रहैत छल।

बी.एस-सी. परीक्षाक मात्र दू मास शेष रहि गेल छलै। प्रतिदिन १०-१२ घन्टा वो स्वयं पढ़ैत छल आ शेष समयमे मालतीकेँ पढ़बैत रहैत छल।

परीक्षाक समय ज्योँ-ज्योँ निकट अएलै, ओ मालतीक पढ़ाइक प्रति अपेक्षाकृत अधिक सचेष्ट होमय लागल। ओकर एहि परिश्रमक परिणाम भेलै जे मालती पुनश्च प्रथम श्रेणीमे पास केलक, संगे आलोक विश्वविद्यालयमे प्रथम स्थान प्राप्त केलक। एकबेर फेर ओकर घरक वातावरण आनन्दमय भए गेलै।

ओहि राति मालतीकेँ निन्न नहि भेलै। कहि नहि की की सोचैत रहि गेल। भोर भए गेल रहैक चारू कात लोक काजमे लागि गेल रहैक। मुदा आलोकक कतहु पता नहि रहैक। किएक भेलै एतेक अबेर उठबामे? से सोचैत ओ आलोकक घर दिश बढ़ल। घरक केबाड़ी खूजल छलै। चौकीपर एकटा चिट्ठी राखल छलै। आर किछु नहि।

मालती ई देखि अवाक् रहि गेल। चिट्ठी खोलि कए पढ़य लगल-

 

प्रिय मालती!

बहुत रास गप्प करबाक मोन छल। मुदा कहि नहि कियै किछु बजाइत नहि छल। तोरो बहुत रास गप्प करबाक इच्छा रहल होयतैक सेहो हमरा बूझल अछि। तोरा लोकनिक उपकारक भारसँ हम ततेक दबि गेल छी जे आब एको घड़ी एहिठाम नहि रहि सकब। कहि नहि तोहर सभहक कर्जा किछुओ सधा सकबौक की नहि। माफ करिहेँ।

तोहर

आलोक।

मालती आकाश दिश शून्य भावसँ देखैत रहि गेल। जेना इनार लग रहितो पियासल रहि गेल हो….। 

रविवार, 22 अक्टूबर 2017

पंचैती




 


पंचैती


जमाना कतय चल गेल मुदा गाम-घरक लोक अखनहुँ दू सौ वर्ष पाछा अछि। गामक लोककेँ अखनहुँ चन्द्रमामे एकटा बुढ़िया चर्खा कटैत देखाइत छैक। गामक लोक अखनहुँ ग्रहण लगिते स्नान करय चल जाइत अछि। कियेक तँ ओकरा छुति भए जाइत छैक। एहने आवोहवामे गामक संस्कार-संस्कृति सेहो आधुनिक ओ पुरातनक द्वंदक बीच चलि रहल अछि।

पुरना पीढ़ी आ आधुनिक लोकमे अखनहुँ बड़ अन्तर छैक। तेँ एकटा स्वत: सर्वत्र विद्यमान तनाव जे कोनो क्षण झगड़ाक रूप लऽ लैत अछि। एही कारणसँ गाम-घरमे पंचैतीक जबरदस्त गुंज़ाइश छैक।

मुरली पाँच भॉंइ छलाह। घरक हिसाव-किताव श्याम रखैत छलखिन्ह। मैट्रिक तक पढ़ल छलखिन्ह। बेस चलाक-चुस्त। लगानीक असूल करबामे पारंगत। हुनकासँ छोट तीन भाए- मोहन, रूदल आ लखन। लखन कमे वयसमे दिवंगत भए गेला। हुनकर एक मात्र पुत्र जीवनकेँ पित्ती सभ पहिनहि फराक कय देलकन्हि। पाँच बीघा जमीन हिस्सामे पड़लनि। लगानी-भिरानी जे किछु छलन्हि, सभटा श्याम बैमानी कऽ लेलखिन। शेष चारू भाँइमे शुरूमे तँ खूब भेल छलनि मुदा किछु दिनक बाद रूदलक स्वर्ग बास भए गेलनि। हुनका मात्र तीनिटा लड़की छलनि। तीनूक बियाह पित्ती सभ केलखिन। मुदा वियाह करयबाक क्रममे सभटा जमीन तीनू भाँइ अपना-अपना नामे करा लेलनि। मसोमातकेँ किछु नहि रहि गेल छलैक।

गामक किछु फनैत सभ ई गप्प मसोमातक कानमे दऽ देलकन्हि। मसोमात तँ ओहि दिनसँ अगिआ-बेताल छथि। एको दिन एहन नहि भेल जे हंगामा नहि भेल। अन्ततोगत्वा बुध दिन रहैक। गाममे हाट लगैत छलैक। गाम-गामक लोक हाटपर जमा छल। सरपंच साहेब उर्फ पलटू बाबू चिकरि-चिकरि कऽ सैकड़ो लोककेँ जमा कऽ  लेलन्हि। सभ गोटेतय कएल जे मसोमातक संगे बड़ भारी अन्याय भेलैक अछि परिणामत: दोसर दिन तीन बजे सरपंच साहेबक दलानपर पंचैती करबाक निर्णय भेल। 

दोसर दिन दुपहरियेसँ सौंसे गामक लोक सह-सह करए लागल। सरपंचक ओहिठाम बैसारी रहैक।बेर खसैत-खसैत सौंसे दरबाजा लोकसँ भरि गेल। अगल-बगलक गामक प्रमुख-प्रमुख लोक सभ सेहो बजौल गेल छलाह। मुखियाजी एखन धरि नहि आएल छलाह तेँ ओहि टोलपर आदमी पठाओल गेल। चारि बजैत-बजैत लोकक करमान लागि गेल।

सरपंच साहेब अपन स्वागत भाषण कही या जे कही, प्रारम्भ केलन्हि। मसोमात सेहो कोनटा लागल ठाढ़ छलीह। चारू भाएकेँ कोनो फज्झति बाँकी नहि रहल। गाम-गामक पंच सभ सेहो छिया-छिया कहय लगलखिन। मुदा श्याम बेस चलाक लोक छलाह। ओ मुखियाकेँ रातियेमे पाँच साए टाका दऽ अपना गुटमे कऽ लेने छलखिन। मुखियाजी सरपंचपर कड़कि उठलाह-

ई अन्याय नहि चलत। आखिर तीनटा जे कन्यादान पित्ती सभ केलखिन ताहिमे खर्चा तँ अवश्ये भेल हेतैक। फेर मसोमात तँ असगर छथि। जमीन लऽ कऽ करतीह की? बारह मोन खोरिश हिनका अवश्य भेटक चाही । बाजू यौ श्याम बाबू, अपने एहिपर तैयार छी?”

श्याम बाबू स्वीकृतिमे अपन मुड़ी हिला देलखिन।

ई बात सरपंचकेँ एकदम नहि रूचलैक। ओ बमकय लागल। संगे जे ओकर चारि-पाँचटा लठैत सभ छलैक सेहो सभ बमकय लागल। जबाबी कार्यवाइमे चारू भाए सेहो भोकरय लागल। सरपंचक दरबाजापर बेस हंगामा बजड़ि गेल। अन्ततोगत्वा ई निर्णय भेल जे दुनू गोटे एकादशी दिन पाँच प्रमुख-प्रमुख व्यक्तिक समक्ष हरिवंशक पोथी उठा कऽ सप्पत खाथि आ ओहीसँ बात परिछा जायत।

प्रात:काल सरपंच साहेबक ओहिठाम गायक गोबरसँ ठाँव कयल गेल। ओहिपर हरिवंशक पोथी राखल गेल। पाँचो पंच अगल-बगलमे बैसल रहथि। श्याम मोने-मोन खुश छलाह। पता नहि, कतेक बेर ओ एहिना हरिवंशक पोथी उठाय लोक सम्पति संग घर-घड़ारी घोंटि गेल रहथिन्ह। हनहनाइत, फनफनाइत रहला आ हरिवंशक पोथी उठा लेलाह। पंच सभ तकैत रहि गेला आ मसोमात ओहीठाम अचेत खसि पड़लीह। मसोमातकेँ बारह मोन सामान खोड़िसक अधिकार मात्रक घोषणा पंच समुदाय कय देलक। पंचैती समाप्त भए गेल।

बुधन गामक मानल लठैत छलाह। परमा बाबू बी.डी.ओ. साहेबसँ एकटा चापा कलक व्यवस्था करौने छलाह। कलक तीन-चौथाइ खर्चा सरकारी मदतिसँ भरल जयतैक। बुधन ओ परमा बाबूक घर सटले छल। कल कतय गाड़ल जाय ताहि हेतु जबरदस्त झगड़ा बजरि गेलैक। तय भेलै जे हीरा बाबूकेँ पंच मानि लेल जाए आ ओ जे फैसला कए देथिन से मानि लेल जाए।

हीरा बाबू प्रतिष्ठित, पढ़ल-लिखल एवम् ओजस्वी लोक छलाह। सम्पतिक नीक संगह कएने छलाह। प्रात: काल ओ घटना स्थलक निरीक्षण कयलाह। बुधन लठैत छल। कखनो ककरो गरिया सकैत छल। बेर-कुबेर ओ लाठी लऽ कऽ ठाढ़ो भए सकैत छल। परमा बाबू पढ़ल-लिखल सभ्य ओ शान्त स्वभावक लोक छलाह। परिणामत: हीरा बाबू फैसला कऽ देलनि जे कल बुधनक घर लगक खाली स्थानपर गाड़ल जाय। बुधन खुश भए गेलाह। परमा बाबू चुप, समाजक लोक चुप।

सोमन बाबू कामरेड छथि। गाममे कतहु क्यो कोनो गड़बड़ी करैत तँ ओ अवश्य ओहिठाम पहुँचि जाइत छलाह। गरीब लोक हुनका अपन नेता मानैत छल। अमत टोलीक एकटा स्त्रीगण अपन घरबलाकेँ छोड़ि कय निपत्ता भए गेल छल। चारि-पाँच दिनुका बाद सौंसे गाममे जबरदस्त हंगामा भए गेल। शोभा बाबू ओहि मौगीक संग निपत्ता। मुदा एहिबेर कोनो पंचैती नहि भेलैक। जे जतहि सुनलक ओ ओतहि गुम्मी लादि देलक। समरथकेँ नहि दोष गोसाई सद्य: चरितार्थ भऽ गेल।

जीबछ भाइक अबाजमे बेश टीस छन्हि। लोक कहैत अछि जे हिनकर बाप बड़ सुखी-सम्पन्न छलखिन। मुदा देखिते-देखिते ओहने दरिद्र भए गेलखिन। ओहि घटनाक पाछू सेहो एकटा पंचैतीक हाथ छलैक। जीबछ भाइक बापक श्राद्ध छलन्हि। गामक प्रमुख-प्रमुख लोकक बैसार भेलैक। जीबछ बाबू सन प्रसिद्ध ओ धनीक लोकक श्राद्धमे कमसँ कम जबार तँ खेबेक चाहैक छलैक। सैह भेलैक। चारि दिन धरि भोज होइते रहलैक। जीबछ भाइ एहि काजमे बीस हजार टका घरसँ निकाललाह। दस हजार टका कर्ज लेबए पड़लन्हि। अमरू भाइ दियादे छलखिन। धरदए बिना कोनो हिचकसँ हुनका पैसा दए देलक । काजक बाद कहलक-

कोनो बात ने । जखन पैसाहो तखनहि दय देब।

दू साल बीति गेल। जीबछ भाइक हालत दिन-दिन बत्तर होइत गेल। तीन सालक बाद अमरू एकाएक चढ़ाइ कय देलक। ओकरा हिसाबे सूद सहित ३५००० रूपया कर्ज भए गेल छलैक। अमरू भाइ अपन लठैत सभक सहायतासँ ओकर सभटा जमीन जोति लेलखिन। गाममे बेश बबंडर भेल। पंचैती बैसल। सौंसे गामक नीक लोक सभ जमा भेलाह। अमरू भाइक विजय भेल। सभ पंच अमरूक पक्षमे हाथ उठा देलखिन्ह। अमरू सभ जमीन जोति लेलाह। सैह भेल पंचैती। जीबछ भाइ ओही पंचैतीक परातसँ फक्कर भए गेलाह।

कहबी छैक जे पति-पत्नीक पंचैती नहि करी। कारण कहि नहि, ओ कखन झगड़ा करत आ कखन एक भए जैत। मुदा आई-काल्हि एहनो कलाकार सभहक कमी नहि अछि जे बड़े आफियतसँ दुनू व्यक्तिमे झगड़ा लगा कऽ मटरगस्ती करैत रहैत छथि। बेरपर पंचैती सेहो कय दैत छथि। बतहु मिसर एहने व्यक्ति थिकाह। पुवारि गामवाली बेश हराहि छलीह। दुनू व्यक्तिमे खटपट होइते रहैत छनि ।

ओहि दिन पुरवारि गामवाली कतहु हकार पुरय गेल छलीह, घुरैत-घुरैत अबेर भए गेल रहनि । घुमैत-फिरैत बतहु बाबू पहुँचलाह। पुरवारि गामवालीक घरबलाकेँ लोक खलीफा कहैत छल। खलीफा दरबाजापर गरमायल छलाह। बतहु मिसर  पुछलखिन्ह-

की बात छैक भाइ। आइ बड़ गरमायल लागि रहल छी?”

एतबा ओ पुछलखिन्ह की खलीफा अपन घरवालीकेँ एक हजार फज्झति करय लगलखिन। ताहिपर बतहु मिसर दीप देलाह-

हँ बेश कहैत छी भाइ। आइ-काल्हिक स्त्रीगण सभ तँ एहने होइत छैक। हुनका तँ हम जट्टाक घरमे गप्प हकैत देखलियनि अछि।

एतबा गप्प बाजि ओ ओतयसँ हटि गेलाह।

थोड़ेक कालक बाद पुरवारि गामवाली लौटलीह। दुनू व्यक्तिमे महाभारत जे भेल से देखयबला छल। चारूकातसँ लेाक सभ दौड़ल आयल। पुरवारि गामवालीकेँ ब्रेके नहि लेल होइत छल। अन्ततोगत्वा खलीफेकेँ लोक उठा कऽ दोसरठाम लऽ गेल। दुनू व्यक्ति ओहि दिनसँ फराक-फराक रहए लगलाह। घरमे खान-पान बन्द। बतहु मिसर फेर उपस्थित भेलाह आ खलीफाकेँ कहलखिन-

भाइ, एहि तरहेँ केते दिन चलत। आपसमे बैसार कय लिए आ मेल-जोलसँ समए गुजारू।

तय भेल जे काल्हि आठ बजे बैसार होएत। दोसर दिन  बैसार भेल ।बतहु मिसर धरि आठ बजे पहुँच गेलाह। दुनू व्यक्ति अपन-अपन पक्ष कहए लगलखिन। बहुत रास गप्प-सप भेलाक बाद बतहु मिसर ई तय कऽ देलखिन जे आइ दिनसँ खलीफा अपन घरवालीक गंजन नहि करताह।

ताहिपर पुरवारि गामवाली कनखी मारलखिन्ह। खलीफा मुँह तकैत रहि गेलाह। बतहु मिसर तमाकुल चुनबैत-चुनबैत थपरी मारलाह आ ओहिठामसँ घसकि गेलाह।

गाम-घरमे पंचैती एहिना होइत अछि। जकर लाठी तकर महिष।

मुखियाक चुनाव




 


मुखियाक चुनाव


साँझ कऽ गाममे समाचार-पत्र आर्यावर्त अबैत छलैक। गाम भरिक लोक चौकपर एकट्ठा भए जाइत छलैक। चाहक दू-तीन दोकानपर लोक भन्न-भन्न करैत रहैत छल भादो जकाँ। अखबार अबैक कि गामक पढ़ुआ सभ ओहिपर टुटि पड़य। ओहि दिन अखबारक ऊपरेमे सरकारक एकटा सूचना बहरायल रहैक जे राज्य भरिमे मुखियाक चुनाव एक मासक भीतर सम्पन्न भऽ जाएत। औ बाबू! ई समाचार कि आयल जे सौंसे गाममे जेना करेन्ट लागि गेल। ओहि गाममे एकसँ एक सरगना लोक छलाह। धने-जने परिपूर्ण। मोहन बाबू, पलटन बाबू, हीरा बाबू, झगड़ू बाबू आदि-आदि। कैटा गुट, कैटा नेता। मुखिया के बनय, सरपंच के बनय। विभिन्न गुटमे यैह घोल-फचक्का शुरू भए गेल। सौंसे गाम खण्डमे बँटल छल।

पुबाइ टोलक सरगना मोहन बाबू छलाह। पलटन बाबू ओ हीरा बाबू दक्षिणवाइ टोलक प्रभावी लोक छलाह आ झगड़ू पछबाइ टोलक मानल लठैतमेसँ एक छलाह। उत्तरवाइ टोलक क्यो नेता नहि छल, कारण ओतय बेसी जन-बोनिहार रहैत छल आ अपनेमे ताड़ी पीब कऽ कटा-कटी करैत रहैत छल। ओकरा सभहक भगबान रोटिये छलैक। मालिक सभहक ओहिठाम जाय, जखन जे काज भेटैक से करय आ बोनि लऽ कऽ चल आबय। एमहर जहियासँ एलेक्सन सभ होमय लगलैक अछि ओहो सभ किछु सुगबुगायल जरूर अछि, मुदा कोनो खास नहि। कहियोकाल बाहरसँ नेता सभ अबैत छैक तँ ओहू टोलमे चहल-पहल रहैत छैक। मुदा चारू टोलमे झगड़ू बाबूकेँ बेश चलाचलती छैक। लाठीक बल छैक। पाँचटा बेटा छन्हि। सभकेँ पहलमानीमे एक्सपर्ट करौल गेल। बेस लठैत सभ छल पाँचू बेटा। ओकरा सभहक डरे इलाका शान्त भए जाइत छल। तँए केहनो पढ़ल-लिखल लोककेँ झगड़ू बाबकेँ नमस्कार करय पड़ैत छलैक।

एलेक्सनक समाचार पबिते झगड़ू बाबू बमकय लगलाह। प्रात भेने हुनका टोलक सभ लठैत अपनामे बैसार केलक। मुखिया आ सरपंचक नामक फैसला तँ नहि भए सकलैक मुदा एतबा तय भए गेल जे वर्तमान मुखिया आ सरपंचकेँ कोनो कीमतपर अबश्य हराबक अछि।

झगड़ू बाबू भोरे सात बजे नहा-सोना कऽ चौकपर पहुँचलाह आ बमकय लगलाह-

सभ चोर है, मुखिय चोर है। सरपंच चोर है, सभ को ठीक करेगा। आदि आदि...।

चारूकात भन्न-भन्न करैत लोक सभ जमा होमय लागल।

की बात छैक झगड़ू बाबू?” -कियो ओहीमे सँ पुछलखिन्ह।

की बात छै से तोरा सभकेँ कोना बुझेतह? एहन बैमान सरपंच आ मुखिया आइ धरि एहि इलाकामे नहि भेल। कहियो गामबलाकेँ कोटाक चीनी ठीकसँ भेटलैक? एहिबेरक एलेक्सनमे एहि बैमान सभकेँ हरेबाक अछि..!”

लोक अबैक, लोक जाइक मुदा झगड़ू बाबू भाषण ओहिना अनबरत चलिते रहनि। रेलगाड़ीक पहिया जकाँ घुरा-फिरा कऽ ओतहि पहुँचि जाइत छला जे इस बैमान सभको हराना है।

झगड़ू बाबूक भाषण चलि रहल छलनि कि ताबतेमे सरपंच साहेब घुमैत-फिरैत आबि गेलाह। चारूकातक लोक हुनका दिस तकैत छल। मुदा झगड़ूक भाषण यथावते चलि रहल छल।

सरपंच साहेब एक-दू बेर झगड़ूकेँ बुझाबक कोशिश केलथि। ताबतेमे सरपंचक भातिज मुनमा पहुँच गेल। हाथमे बेस मोटगर एकटा लाठी छलैक। ओ ने आब देखलक ने ताव आ धराम-धराम दू लाठी मारलक झगड़ूकेँ।

झगड़ू बाबू असगर पड़ि गेलाह। गरियबैत गाम दिस दौड़लाह आ पाँचो बेटाकेँ हॉंकि देलखिन। सौंसे चौकपर गरमा-गरमी भए गेल छलैक। झगड़ू बाबू मारि बिसरि फेरसँ गरजय लगलाह-

कहाँ भागा। आए सामने तो जानें।

झगड़ू बाबूक पाँचो बेटा सेहो फराके गरजैत एवम् प्रकारेण चुनाव अभियान शुरू भेल।

नामिनेशन फाइल करबाक समय करीब आबि रहल छल। घरे-घर गुटपैंची शुरू भए गेल। वर्तमान मुखिया आ सरपंच बेस पाइबला लोक छलाह। कोनो कीमतपर इलेक्सन जीतबाक हेतु कृतसंकल्प छलाह। मुदा नवतुरिआ सभ हुनकर विरोधी छल। गामक आरो लोक सभ सेहो हुनका सभसँ सन्तुष्ट नहि छल। अन्ततोगत्वा नोमिनेशन फाइल करबाक अन्तिम दिन धरि मुखिया आ सरपंचक हेतु छह-छहटा उम्मीदवार नामिनेशन फाइल केलनि । ओहिमेसँ मुखियाक हेतु तीन आ सरपंचक हेतु दू गोटाक नामिनेशन सही पाओल गेल। नवतुरिआक उम्मीदवार पलटू बाबू आ मोहन बाबू भेलाह। वर्तमान मुखिया ओ सरपंच सेहो एकबेर फेर मैदानमे अड़ल छलाह। ओकर अलाबा उत्तरवाइ टोलसँ बैकवार्ड किलासक उम्मीदवार बलचनमा सेहो अखाड़ामे उतरल छल।

मुखियाक चुनाव गाममे तूफान अनलक से कोनो नब बात नहि छल। सभ बेर एहिना होइत छलैक। जहिया कहियो चुनाव होइक तऽ लोक सभ एहिना घोल-फचक्का करय लागय। मुदा एहि बेरक चुनावमे विशेषता ई छलैक जे उत्तरवाइ टोलक बैकवार्ड किलासक लोक सभ सेहो फॉंर बन्हने छलैक। बाहर-बाहरसँ नेता सभ अबैत दलैक। रोज ककरोने ककरो ओहिठाम बैसार अबश्य होइतै। भोँटक हिसाबे आधासँ अधिक भोँट बैकवार्डक छलैक आ जँ वो सभ एक भऽ जाय तँ बलचनमाकेँ मुखिया बनबासँ कियो नहि रोकि सकैत छल। एहि बातक प्रतिक्रिया आन तीनू टोलमे सेहो भेलैक। मुदा कोनो हालतमे वर्तमान मुखिया चुनाव दंगलसँ हटए नहि चाहैत छलाह आ नवतुरिआ सभ हुनका अपन नेता मानबाक लेल तैयार नहि छल। एवम् प्रकारेण फोरवार्डक भोँट दूठाम बँटब स्वाभाविक भए गेल छलैक। मुदा बलचनमाक प्रचार जोर पकड़ने छलैक।

झगड़ू बाबूक हेतु हेतु स्वर्णिम अवसर छल। खने बलचनमाक संगे घुमितथि तऽ खने पलटन बाबूक ओहिठाम आ खने वर्तमान मुखियाक ओतए । नामिनेशन फाइल केलाक बाद चुनाव दिन धरि झगड़ू बाबूक हेतु अगहन रहैत छलन्हि। हुनका ईहो कोनो ठेकान नहि छलनि जे कखन कोन पार्टीक संग भए जेताह।

बभनटोली सभहक भोँट दू ठाम बटबासँ रोकबाक हेतु साँझमे पुवाइटोलमे बैसार भेल। क्यो किछु बजितथि ताहिसँ पहिने झगड़ू बाबू बमकय लगलाह। वर्तमान मुखियाकेँ एक हजार फज्झति कयल।

अन्ततोगत्वा ई निर्णय लेल गेल जे नवतुरिआक उम्मीदवार पलटन बाबूक समर्थन करताह। सरपंचक पदक हेतु मात्र दूटा उम्मीदवार छलाह- मोहन बाबू आ वर्तमान सरपंच नवत राय। नवत राय कमे पढ़ल-लिखल मुदा बेस फनैत लोक छलाह। कतहु किछु होइतैक कि भदवरिया बेंग जकाँ टर्र-टर्र बाजय लगितथि। घर-घर झगड़ा लगेबामे ओस्ताद छलाह। जँ किछु खर्च-बर्च कए दियैक तँ पंचयतीमे फैसला अहाँक पक्षमे सुनिश्चित कयल जा सकैत छल। जँ नीक-निकुत भेटि जान्हि तँ कोनो जातिक घरमे खा सकैत छलाह अन्यथा बेस नेम-टेमसँ रहैत छलाह।

एहि सभ कारणसँ गामक लोक ओकरासँ एकदम ना-खुश छलैक। मुदा क्यो ओकरा नाराज नहि करए चाहैत छलैक कारण ओ बेस फचाँरि छल आ ककरहुँ कतहु बईज्जत कऽ सकैत छल।

झगड़ू बाबू गरजैत-गरजैत नवतुरिओपर बरषय लगलाह। नवतुरिआ सभ सरपंचक हेतु मोहन बाबूकेँ समर्थन देबाक आश्वासन देलखिन। प्रात भेने नवतुरिआ सभ इन्नकिलाब, जिन्दाबादक नारा दैत गाम भरिमे पलटन-मोहन जिन्दाबादक स्वर गुंजित कय देलक। 

एमहर वैकवार्ड किलासक लोक सभ एकदम एक भऽ गेल छल। लाठी लऽ कऽ सभ करे कमान छल। एवम् प्रकारेण सपष्ट लगइत छल जे मुखिया पदक हेतु बलचनमा आ सरपंचक हेतु मोहन बाबू चुनाव जीतताह। वर्तमान मुखिया ओ सरपंचजी बेचैन छलाह। रातिक बारह बजे झगड़ू बाबूक घर पहुँचलाह। दुनू गोटे झगड़ू बाबूक पैर पकड़लखिन।

झगड़ू बाबू, अपने हमरा सपोट करू।

कियेक नहि। हमर सपोट तँ सभदिन अहींक संगे रहल अछि।

से तँ ठीके मुदा एहि बेर हालत बेसी गड़बड़ छैक।

फेर कहि नहि, दुनू गोटे की फुस-फुसेलाह। २००० रूपया पर सौदा भए गेल। प्राते भेने झगड़ू बाबू चौकपर फेर गरजय लगलाह-

मुखियाजीक जे विरोध करत से हमर दुश्मन। एहन मुखिया सरपंच तँ ने कहियो भेल छल आ ने होयत।

आदि आदि। सुननाहर सभ गुम्म।

काल्हि एलेक्शन होयत। राति भरि गाममे धोल-फचक्का होइत रहल। दरबजे-दरबजे काना-फुसी बेस जोर पकड़ने छल। पुस्तकालयपर एलेक्शन पार्टी आबि गेल छल। चारिटा पुलिस लाठीलेने सेहो गश्त लगाबऽ लागल। पहिलुका चुनावमे उत्तरवाइ टोलपर चुनावक बूथ नहि होइत छलैक। मुदा एहि बेर वैकवार्ड किलासक लोक सभ बी.डी.ओ. साहेबक ओहिठाम धरनाधय देलक। एहि बेर उत्तरवाइ टोलमे सेहो बूथ बनल छलैक। झगड़ू बाबू आ हुनक बेटा सभ बेस मजगुतगर लाठी फनैत एलेक्शन बूथ सभपर चक्कर लगा रहल छलाह। पुवाइटोलक बूथपर नवतुरिआ सभ कैप्चर कऽ लेने छल। कसिकऽ वोगस पोलिंग भए रहल छलैक। ई खबरि झगड़ू बाबूकेँ जहाँ भेटल कि वो अपन लठैत बेटा सभकेँ संग कय ओतय पहुँचला आ पलटन एवम् मोहन बाबूकेँ धराम-धराम दू-दू लाठी लगाओल। पीठासीन पदाधिकारी अकबका गेलाह। चारू दिस हरविर्रो मचि गेल।

ओहि बीचमे झगड़ूक दूटा बेटा आगा बढ़ल आ सभटा बैलेट छीनि जबरदस्ती मोहर मारि खसा कऽ खसकि गेल। मुदा एकर जबरदस्त प्रतिक्रिया उत्तरवाइटोलक बूथपर भेल। एक-एकटा बैलेटपर बलचनमा अपने मोहर मारि कऽ खसौलक। कोनो दोसर उम्मीदवारक पोलिंग एजेन्ट ओहिठाम नहि टिकि सकल। बलचनमाक जीतब निश्चित प्राय छलैक ओही बूथक, कारण आधासँ अधिक भोँट ओही टोलक छलैक। सरपंचक सभटा भोँट नवत रायकेँ भेटलैक। आन बूथ सभपर सामान्य रूपसँ पोलिंग भेल आ कने-मने भोँट सभकेँभेटलै।

साँझमे काउन्टिंग प्रारम्भ भेल। बारह बजे रातिमे जा कऽ एलेक्सनक रिजल्ट बहार भेलै। बलचनमा ओ नवत राय चुनाव जीति गेलाह। बैकवार्ड किलासक लोक विजयक खुशीमे मत्त छल। नारा बुलन्द होमय लागल-

जीत गया जी जीत गया, बलचन महतो जीत गया। आदि-आदि।

पुबारि टोलसँ लऽ कऽ पछबारि टोलक सभ लोक सन्न छल।      

शनिवार, 21 अक्टूबर 2017

अगरतलाक यात्रा




 



अगरतलाक यात्रा


उत्तरपूर्व भारतमे कोनोठाम जेबाक छल। ताहिमे अगरतलाक जेबाक चुनाव बहुत सोच-विचारक बाद कयल, कारण ओहि समय आस-पासक आन राज्य सभमे अशान्ति छल। सिक्किम जा सकैत छलहुँ। ओहिठाम जोगारो छल मुदा कनी दुरुह बुझायल। अन्ततोगत्वा हम श्रीमतीजीक संग कलकत्ता होइत अगरतला विदा भेलहुँ। बीचमे कलकत्ता हवाइ अड्डापर जहाजक बदली रहैक। करीब २-३ घन्टाक समय लागि गेल। तखन बोर्डीग शुरू भेल। ओहि बीच कलकत्ता हवाइ अड्डापर बैसल रहलहुँ। गप्प-सप्प करैत रहलहुँ। अखबारक पन्ना उनटबैत रहलहुँ। ओतबे कम समयमे हवाइ अड्डासँ बाहर जायब, कतहुँ भेँट-घाँट करब सम्भव नहि बुझायल। तँए ओहीठाम टाइमपास कयल। थोड़बे कालक बाद हम सभ जहाजमे बैस गेल रही आ देखिते-देखिते जहाज उड़ि गेल।

अगरतला हवाइ अड्डा अगरतला शहरसँ १२ किलोमीटर दूरीपर अवस्थित अछि। अखन ओहीठामसँ मात्र अन्तरर्देशीय उड़ानक व्यवस्था अछि। एहिठामसँ अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानक हेतु काज चलि रहल अछि। एयर इण्डियाक अलावा इन्डीगो एवम् स्पाइस जेटक विमान अगरतलासँ दिल्ली सहित देशक अन्य भागक हेतु नित्य उड़ैत अछि। आगा एकटा अन्तर्राष्ट्रीय उड़ान हेतु विकसित करबाक योजना अछि।

अगरतला हवाइ अड्डासँ बाहर निकलिते हमरा लोकनिक स्वागत हेतु स्थानीय सरकारी अधिकारी ठाढ़ छलाह। हुनका संगे ओहिठामसँ सोझे अतिथि गृहमे पहुँचलहुँ जाहिठाम हमरा सबहक ठहराबाक व्यवस्था कयल गेल छल। हमरा लोकनिकेँ राजकीय अतिथिक सुबिधा देल गेल छल। अस्तु ठहरबाक अतिरिक्त घूमबाक हेतु गाड़ी, घुमाबक हेतु स्थानीय अधिकारी उपलब्ध छलाह। बीच-बीचमे वरिष्ठ अधिकारी सेहो हाल-चाल लैत छलाह।

अगरतला वा आस-पासक क्षेत्र कोनो देहात सन लगैत छल। कतहु-कतहु तऽ बहुत फटेहाल लोक सभ देखबामे आबथि। केरल जकाँ ओहिठाम यूनियन सभक दबदबा छल। तथापि उत्तर-पूर्वक आन राज्यक अपेक्षा एहिठाम महौल शान्त छल।

त्रिपुराक घूमबाक क्रममे हम सभ भारत बंगलादेश

सीमापर पहुँचलहुँ। ओहिठाम चेकपोस्टपर भारतीय वो बंगला देशक सीमाबलक अधिकारी सभ तैनात छलाह। तय व्यवस्थानुसार किछु समय तक व्यापारी सभ हेतु सीमामे प्रेवेशक सुबिधा देल जाइत छल जाहिसँ बांगलादेशसँ प्रचूर मात्रामे माछ, आर-आर समान सभ अगरतलाक बजारमे अबैत छल।

हम सभ एकदम सीमासँ सटल अन्तिम स्थानपर बनल बैसक तक गेलहुँ। हमरा सभक नीक आब-भगत भेल आ आसपासक स्थितिक बारेमे विस्तृतसँ जानकारी सीमा सुरक्षावलक अधिकारी दैत रहलाह। कनीकालक बाद हम सभ सीमाक कातेकाते किछु दूर धरि टहलैत-टहलैत गेलहुँ। सीमापर तारक घेराबा देल अछि। कतहु-कतहु जबान सभ हथियार लेने मुस्तैद रहैत छथि। हुनका सभसँ गप्प-सप्पक क्रममे बुझायल जे किछुकाल कऽ गेटकेँ खोलि देल जाइत अछि जाहिसँ बंगलादेशी सभ भारतीय हिस्सामे किंवा नोमैन्स लैन्डमे पड़ल अपन जमीनमे खेत-बाड़ी करैत छथि आ साँझमे किंवा काज खतम होइते आपस चलि जाइत छथि। ओही क्रममे एकटा जवान ईहो कहलक जे ओकरा सभकेँ बंगलादेशी फौज वा सीमावलपर जबाबी कार्यवाइमे कोताही करय पड़ैत अछि जाहि कारण सीमापर स्थिति कैबेर प्रतिकूल भय जाइत अछि। किछुए दिन पूर्व भारतीय सीमा सुरक्षावलक किछु जवानकेँ बंगलादेशी फौज क्षत-विक्षत कय देने रहैक जाहिसँ ओ सभ उद्वेलित बुझेलाह।

अगरतलासँ ५५ किलोमीटर दूरीपर भगवती त्रिपुर सुन्दरीक मन्दिर अछि। ओहि इलाकाक ई प्रसिद्ध मन्दिर अछि। अहिठाम सतीक दहीन पैर खसल छल। मन्दिरक निर्माण महाराजा धन्य मापिक्य द्वारा सन् १५०१ ई.मे कयल गेल छल। किछु साल पूर्व सम्पूर्ण मन्दिर परिसरक जीर्णोद्धार कयल गेल छल।

एहिठाम भगवतीक मन्दिरक आकार-प्रकार कछुआ जकाँ अछि जाहि कारणसँ एकरा कूर्मा पीठ सेहो कहल जाइत अछि। एहिठाम प्रसादक रूपमे शुद्ध दूधक बनाओल पेड़ा होइत अछि जे खाइते बनैत अछि। परिसमे प्रसादक कैटा दोकान अछि। ओहिमे छात्रास्वरि पेड़ा भण्डार बहुत लोककेँ पसन्द अछि। दीयाबातीक समय अहिठाम जबरदस्त मेला लगैत अछि जाहिमे दूर-दूरसँ लाखो लोक एहिमे भाग लैत छथि। बंगलादेशसँ बहुत रास हिन्दू परिवार सेहो एहि अवसरपर अबैत छथि।

हमरा लोकनि एहि मन्दिरक बारेमे पहिने नहि जनैत रही। स्थानीय लोक सभक मादे एकर गुणगान सुनि हम सभ एतय पहुँचलहुँ। एहिठाम अयलाक बाद मोन आनन्द भय गेल। चारूकात स्वच्छ वातावरणमे माताक आराधना करबाक हमरा लोकनिकेँ परम सौभाग्य भेटल।

मन्दिरमे बहुत अधिक मात्रामे बलि प्रदानक परम्परा अछि। मन्दिरमे साढ़े छह एकड़मे कल्याण सागर सरोवर अछि। एकर निर्माण महाराजा कल्याणमल माणिक देव वर्मा सन् १५०१ ई.मे करौने रहथि।

कहल जाइत अछि जे मन्दिरमे पूजाक हेतु त्रिपुराक राजा कन्नौजसँ पुजारी बजबौने रहथि। लक्ष्मी नारायण पाण्डेय ओ गदाधर पाण्डेय नामक दूटा पुजारी परिवार सहित ओहीठाम बसि गेलाह। आब ओहि परिवारक कुनबा बड़ीटा भय गेल अछि आ अखनो वैह सभ एहि मन्दिरमे पूजा-पाठ करैत छथि यद्यपि एहि मन्दिर एवम् ओकर परिसरक व्यवस्था आब त्रिपुरा सरकारक हाथमे आबि गेल अछि। त्रिपुरा सरकार एहि हेतु आर्थिक योगदान सेहो दैत अछि। यात्रीक ठहरबाक हेतु त्रिपुरा सरकार द्वारा गुनावती यात्री निवासक निर्माण कराओल गेल अछि।

अगरतलाक आस-पास एकटा अबश्य दर्शनीय स्थानमे सँ अछि नीरमहल। ई अगरतलासँ ५५ किलोमीटरक दूर अवस्थित अछि। ई महल राजा वीर विक्रम किशोर माणिक्य बहादुर द्वारा १९३०-३८ ई.मे बनाओल गेल छल। नीरमहल रूद्रसागर तालसँ घेराएल अछि। एहि महल तक जेबाक हेतु तालक कछारमे नाव भेटैत अछि। त्रिपुरा सरकारक ओहिठाम होटल अछि जाहिमे यात्रीगण रहि सकैत छथि। एहि तालमे तरह-तरह केल जलपक्षी सभ देखबामे अबैत अछि। दिनमे ९ बजेसँ ५ बजे साँझ धरि ई महल यात्रीक हेतु खूजल रहैत अछि। मुदा दुपहरियाक बाद गेनाइ बेसी नीक, कारण ताबे समस्त सुविधा सक्रिय भय जाइत अछि।

सम्पूर्ण भारतमे एहि तरहक मात्र दूटा जलमहल अछि। एकटा यैह आ दोसर राजस्थानक जलमहल। नीरमहलमे२४ टा कोठरी अछि। ई दू भागमे बँटल अछि। एक भागकेँ अन्दरमहल कहल जाइत अछि जाहिमे पारिवारिक सदस्य एवम् रानी रहैत छलीह आ दोसर पूवक भागमे नाचगान हेतु रंगशाला अछि। महलक अन्दरेसँ तालमे राजपरिवारकेँ जेबाक रस्ता छल। एहि महलकेँ बनेबाक उद्देश्य गर्मी समयमे सुखद वातावरणमे रहबाक व्यवस्था करब छल। महलक अन्दर घुमैत-घुमैत भवन निर्माणमे प्रवीणताक अनुभव होइत अछि। एतेक खर्च ओ परिश्रमसँ बनाओल गेल एहि महलकेँ वर्तमानमे दशा दायनीय अछि, कारण एकर रखरखावक उचित व्यवस्थाक अभाव सुनियैक जे त्रिपुरा सरकार एकरा अधिग्रहण करबापर विचार कय रहल अछि जाहिसँ एकरा सुरक्षित राखल जा सकय। 

नीरमहलसँ आपस अयलाक बाद हम सभ ओहीठाम सरकारी अतिथि गृहमे विश्राम कयलहुँ। भोजन-भातक उत्तम व्यवस्था तऽ छलहे। तकर बाद आपस हम सभ अगरतला अपना बासापर आबि गेलहुँ। प्रात भेने अगरतला शहरक प्रमुख-प्रमुख स्थान सभ देखबाक कार्यक्रम छल।

अगरतला शहर शान्त ओ स्थिर लगैत रहैत अछि। कैटा छोट-मोट सभ सेहो देखबामे आयल। अबैत-जाइत चाहक बगान सेहो देखबामे आयल। भूतपूर्व राजा सभहक राजमहल विजयन्त पैलेस आब एक आकर्षक संग्रहालय अछि। एहिमे भूतपूर्व राज परिवारसँ जुड़ल अनेको चीज वस्तु देखबाक अवसर भेटत। ई महल त्रिपुराक महाराजा राधा किशेर माणिक्य द्वारा १८९९ सँ १९०१ ई.क बीच बनाओल गेल छल। विजयन्त पैलेससँ सटल एकटा सुन्दर तल अछि जकर काते-काते मुगल गार्डेन अछि। ई भवन त्रिपुरा सरकार द्वारा १९७२-७३ ई.मे राज परिवारसँ कीनल गेल।

एकर बाद अगरतलाक जगन्नाथ मन्दिरमे दर्शन कयलहुँ। एहि मन्दिरक भव्यता अवर्णनीय अछि। त्रिपुराक राज परिवार द्वारा बनाओेल गेल ई मन्दिरक वस्तुकला अद्भुत अछि। मन्दिरमे प्रसादक उत्तम व्यवस्था अछि। सायंकालक आरतीक दृश्य बहुत मनमोहक होइत अछि।  एहिठाम हम सभ कनीकाल बैसि डेरा आपस आबि दिल्लीक हेतु वायुयानसँ विदा भय गेलहुँ। रस्तापर ओहिठाम कयल गेल अतिशय एवम् सुविधा पूर्वक भ्रमण मोन पड़ैत रहल।



हम बौक छी




 


हम बौक छी


पाकड़ी गाछ तर ओ पसीना पोछि रहल छल। आगा-पाछा ओकर क्यो नहि छलैक। अगसरे छल। रोज भोरे उठैत छल आ साँझ धरि परिश्रम करैत छल। बदलामे किछु अन्न-पानि भेटि जाइ छेलैक। दुपहरियामे जहन कनेक उसास होइक तँ गामक जे पूव दिस पाकरिक गाछ छेलैक ओकरे छाहरिमे बैसि पसीना पोछय लगैत छल। दस साल उम्र ओकर हेतैक। पता नहि, कहिया ओकर माए-बाप मरि गेलैक। ओकरे संगतुरिया सभ कैटा छैक जे स्कूल जाइत रहैत छैक। माए-बाप सभ ओकरा रंग-बिरंगक कपड़ा कीनि दैत छैक। किताब कीनि दैत छैक। केहन भागबंत छैक ओकर संगी सभ। सैह सभ अर्र-दर्र ओ सोचैत रहि जाइत अछि।

पता नहि अखन धरि कतेक मालिक ओहिठाम ओ काज केने अछि। जतहि गेल ओतहि लात-जुत्तासँ स्वागत भेलैक। मुदा ओ की कय सकैत छल? पेटक सबाल छलैक। जाधरि सहि सकैत छल, सहैत छल। आ कहियो चुप्पे भागि जाइक। पाछू लागल मालिक गरजैत उठैत छलैक। जेना-तेना कऽ ओ अपन पेट पोसैत गेल। आगा बढ़ैत गेल। जीबनक एक-एक दिन एकटा उपलब्धि जकाँ बीतैत गेलैक। क्रमश: ओ जवान भय गेल। एमहर सरकार नया-नया स्कीम सभ लागू केलक अछि। गाम-गाममे बैंक सभ खुजि गेलैक अछि। एक दिन ओहो बैंक गेल आ मनेजर साहेबक आगू उचिती-विनती केलक। मनेजर साहेब ओकरा एकटा रिक्सा कीनि देलखिन्ह।

ओकरो नाम मनेजरे छलैक मुदा गामक लोक मनेजरा कहैत छलैक। मनेजरा रिक्सा चलबय लागल।रोज दससँ पन्द्रह रूपया आमदनी भय जाइत छलैक। ठाठसँ जिनगीक गाड़ी सरकय लगलैक।

मनेजर राय लिखल रहैक रिक्सापर। भोरे उठय मनेजरा आ घण्टी बजबैत दनादन निकलि पड़य। मनेजराक प्रतिष्ठा अमतटोलीमे बढ़य लगलैक। कैटा कथा सेहो ओकरा बियाहक लेल आबय लगलैक। आ अन्ततोगत्वा मनेजरा बियाह कय लेलक। गामसँ पाँच कोस पच्छिम सासुर छलैक। अमन-चैन भऽ गेल रहैक ओकर जिनगीमे। भोरे छह बजे रिक्सा लऽ कऽ विदा भऽ जाइत आ साँझमे सात बजे एक ढेरी कैंचा लेने आपस होइत। मुदा ओकर ई जिनगी बेसी दिन नहि चलि सकलैक।

सात-आठ बर्ष पहिने ओ फूल बाबूसँ दसटा टका पैंच लेने छलैक। संयोगसँ वो पैसा आइ धरि आपस नहि भय सकल छलैक। ओकर हालतमे सुधार देखि गौवा-घरूआ सभ अनेरे ओकरासँ जरय  लागल छलैक। ओहि दिन साँझमे लौटल छल। बेस आमदनी भेल रहैक। घर पहुँचले छल कि फूल बाबूक गर्जन सुनेलैक-

मनेजरा छेँ, मनेजरा छेँ?”

की है मालिक।

तों अपन हिसाव-किताव किएक नहि फड़िछा रहल छेँ।

कोन हिसाब?”

कोन हिसाब! केना बजैत अछि जेना एकरा किछु बुझले ने होइक। दस बर्ख भऽ गेलौ ओहि रूपयाकेँ। कहियो देबाक सुधि अयलौक? सुदि समेत ओकर आब पाँच सौ रूपया भऽ गेल अछि! काल्हि भोर तक रूपया चूका दे नहि तँ...।

मनेजरा तामसे बुत्त भऽ गेल। नहि सहि भेलैक ई सरासर अन्याय ओ बैमानी। तामसमे ओहो गरजय लागल-

होशमे बात करू मालिक..! बुझलौं जे बड़ रूपयाबला छी।

एतबा ओ बाजल कि फूल बाबू गरियायब शुरू केलखिन्ह। मनेजराकेँ सेहो पाइक गरमी रहबे करैक। ओ अत्याचारक प्रतिकार करब कर्तव्य बुझि गेल छल।

एहले-वैहले फूल बाबूकेँ गट्टा पकड़लक आ गर्दनियाँ दैत अपना दरबाजापर सँ भगा देलक।

फूल बाबू बेस तावमे आबि गेल छलाह। मैथिली छोड़ि हिन्दीमे गरजय लगलाह-

कल देख लेंगे। ऐसे-ऐसे कितने पाजी को मैंने ठीक किया हूँ।

जबरदस्त हल्ला गाममे बजरि गेलैक। चारूकातसँ लोक सभ दौड़लैक आ दुनू गोटेकेँ फराक कऽ देलक। फूल बाबू अर्ड़-बर्ड़ बजैत आपस अयलाह।

प्रात भेने मनेजरा पूर्व जकाँ रिक्सा निकललक। ठाठसँ ओकर सीटपर बैसल आ घण्टी टनटनबैत घरसँ विदा भेल। गामसँ बहरायल कि रिक्साक चालिकें तेज कए देलक । रिक्सा हवामे उड़य लगलैक। किछु दूर आगा बढ़लापर रस्तापर  जारनि राखल भेटलैक। मनेजरा रिक्सा रोकलक आ जारनिकेँ हटबय लागल। एतबेमे चारि-पाँचटा लठैत दन-दन कऽ दुनू कातसँ धानक खेतसँ बहरेलैक। दन-दन-दन। मनेजराक कपारपर लाठी पड़य लगलैक।

मनेजरा ठामहि खसि पड़ल। ओ लठैत सभ रिक्सा पकड़लक आ ओकरा मारि लाठीसँ, मारि लाठीसँ ओतहि खण्ड-खण्ड कय देलकैक। फेर पता नहि, ओ लंठ सभ केतय निपत्ता भऽ गेलैक। बहुत काल धरि मनेजरा एहिना अचेत बीच रस्तापर पड़ल रहल आ ओकर रिक्सा टुकड़ी-टुकड़ी भऽ कऽ बगलमे राखल रहैक। माथपर सँ खुन टपकैत रहैक आ मारिसँ सौंसे देह भुजरी-भुजरी भय गेल रहैक। धण्टा भरिक बाद एकटा रिक्साबला ओही रस्तासँ गुजरलैक।

मनेजराकेँ ओतय पड़ल देखि ओ सन्न रहि गेल। ओकरा रिक्सापर दूटा पसिंजर छलैक हुनका सभकेँ रिक्सेपर छोड़ि ओ उतरल। मनेजरा रिक्सा चलबैमे ओस्ताद भय गेल छल आ तेँ रिक्साबला ओकरा 'गुरु' कहि कऽ बजबैत छलैक। 'गुरु'क ई दशा के केलक? किछु काल धरि ओ रिक्साबला क्षुब्ध रहल। आ तकर बाद जेना ओकरा अकिलमे समटा फुराय लगलैक। धराक दय मनेजराकेँ रिक्सापर लदलक आ आपस अस्पताल दिसि रिक्साकेँ तेजीसँ लबय लागल।

मनेजरा तीनि दिन धरि लगातार अस्पतालमे पड़ल रहल। ऑक्सीजन देल गेलैक। बहुत रास दवाइ-दारू करय पड़लैक। चारिम दिन साँझमे ओ आँखि खोललक। होश अबिते अपन रिक्साकेँ खोजय लागल। मुदा क्यो किछु नहि कहलकै। मनेजरा फेर चुप्प भऽ गेल। अस्पतालमे ओकरा एक मास समय लागि गेलैक। गामपर बच्चा सभ अन्न-पानिक अभावमे मरइमान रहैक। घरवाली मालिक सभबहक आंगनमे काज कऽ कऽ गुजर करैक। मुदा जाहि दिन मनेजरा आपस अस्पतालसँ अयलैक तँ ओकर घरवाली खुशीसँ दौड़ए लगलैक।

मनेजरा घुरि तँ आयल मुदा ओकर वाया पैर नेंगराय लाल छलैक। रिक्सा थकूचल गेल रहैक। तेँ आगा कि करय से नहि फुरा रहल छलैक। घरमे दूटा बच्चा सेहो भय गेल छलैक। सभ अन्न बिना रोगा रहल छलैक। मनेजराकेँ डाक्टर मास दिन आराम करबाक परामर्श देने छलैक। मुदा घरक परिस्‍थिति देखिकय ओकरा बैसल नहि गेलैक।

मनेजरा साहस केलक आ आंगनसँ निकलल। नेरकम करय गेल रहैक। मुदा जाए तँ कतय ? टांग टुटि गेल छलैक। रिक्सा थकुचायल राखल छलैक। गाममे मात्र फूले बाबू लहनाक कारोबार करैत छलाह। की  करए? झख मारि कय फूल बाबूक ओहिठाम पहुँच गेल।

ओकरा अखन धरि नहि बुझल छलैक जे ओकर घरवाली फूले बाबूक ओतए काज करैत छैक। फूल बाबू ओकरा बेश ख्याल करैत छलखिन्ह।

ओकर घरवालीक नाम सुनरी छलैक। तेहने गुणो छलैक। मुदा सौन्दर्य गरीबीसँ दागल छलैक। फूल बाबूक कहि ने कहियासँ ओकरापर नजरि गरि गेल रहन्हि। 

मनेजरा पहुँचते फूल बाबूकेँ सुनरीसँ असगरेमे हँसी-ठठा करैत देखि लेलक। ओ कतहुँ दोगमे नुका गेल आ तमासा देखए लागल। सुनरी नै नै करैत रहलैक। मुदा फूल बाबूक आक्रमकता बढ़ले गेलन्हि। एहिसँ आगू मनेजराकेँ देखबाक शक्ति नहि रहि गेल रहैक। प्रत्याक्रमणक सामर्थ्य नहि रहैक। तेँ ओ चोट्टे घुरि गेल आ घरमे आबि कऽ धराम दऽ खसल। किछु बाजल नहि होइक।ओ बौक भए गेल।

२५.१०.१९८४