शनिवार, 21 अक्टूबर 2017

अगरतलाक यात्रा




 



अगरतलाक यात्रा


उत्तरपूर्व भारतमे कोनोठाम जेबाक छल। ताहिमे अगरतलाक जेबाक चुनाव बहुत सोच-विचारक बाद कयल, कारण ओहि समय आस-पासक आन राज्य सभमे अशान्ति छल। सिक्किम जा सकैत छलहुँ। ओहिठाम जोगारो छल मुदा कनी दुरुह बुझायल। अन्ततोगत्वा हम श्रीमतीजीक संग कलकत्ता होइत अगरतला विदा भेलहुँ। बीचमे कलकत्ता हवाइ अड्डापर जहाजक बदली रहैक। करीब २-३ घन्टाक समय लागि गेल। तखन बोर्डीग शुरू भेल। ओहि बीच कलकत्ता हवाइ अड्डापर बैसल रहलहुँ। गप्प-सप्प करैत रहलहुँ। अखबारक पन्ना उनटबैत रहलहुँ। ओतबे कम समयमे हवाइ अड्डासँ बाहर जायब, कतहुँ भेँट-घाँट करब सम्भव नहि बुझायल। तँए ओहीठाम टाइमपास कयल। थोड़बे कालक बाद हम सभ जहाजमे बैस गेल रही आ देखिते-देखिते जहाज उड़ि गेल।

अगरतला हवाइ अड्डा अगरतला शहरसँ १२ किलोमीटर दूरीपर अवस्थित अछि। अखन ओहीठामसँ मात्र अन्तरर्देशीय उड़ानक व्यवस्था अछि। एहिठामसँ अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानक हेतु काज चलि रहल अछि। एयर इण्डियाक अलावा इन्डीगो एवम् स्पाइस जेटक विमान अगरतलासँ दिल्ली सहित देशक अन्य भागक हेतु नित्य उड़ैत अछि। आगा एकटा अन्तर्राष्ट्रीय उड़ान हेतु विकसित करबाक योजना अछि।

अगरतला हवाइ अड्डासँ बाहर निकलिते हमरा लोकनिक स्वागत हेतु स्थानीय सरकारी अधिकारी ठाढ़ छलाह। हुनका संगे ओहिठामसँ सोझे अतिथि गृहमे पहुँचलहुँ जाहिठाम हमरा सबहक ठहराबाक व्यवस्था कयल गेल छल। हमरा लोकनिकेँ राजकीय अतिथिक सुबिधा देल गेल छल। अस्तु ठहरबाक अतिरिक्त घूमबाक हेतु गाड़ी, घुमाबक हेतु स्थानीय अधिकारी उपलब्ध छलाह। बीच-बीचमे वरिष्ठ अधिकारी सेहो हाल-चाल लैत छलाह।

अगरतला वा आस-पासक क्षेत्र कोनो देहात सन लगैत छल। कतहु-कतहु तऽ बहुत फटेहाल लोक सभ देखबामे आबथि। केरल जकाँ ओहिठाम यूनियन सभक दबदबा छल। तथापि उत्तर-पूर्वक आन राज्यक अपेक्षा एहिठाम महौल शान्त छल।

त्रिपुराक घूमबाक क्रममे हम सभ भारत बंगलादेश

सीमापर पहुँचलहुँ। ओहिठाम चेकपोस्टपर भारतीय वो बंगला देशक सीमाबलक अधिकारी सभ तैनात छलाह। तय व्यवस्थानुसार किछु समय तक व्यापारी सभ हेतु सीमामे प्रेवेशक सुबिधा देल जाइत छल जाहिसँ बांगलादेशसँ प्रचूर मात्रामे माछ, आर-आर समान सभ अगरतलाक बजारमे अबैत छल।

हम सभ एकदम सीमासँ सटल अन्तिम स्थानपर बनल बैसक तक गेलहुँ। हमरा सभक नीक आब-भगत भेल आ आसपासक स्थितिक बारेमे विस्तृतसँ जानकारी सीमा सुरक्षावलक अधिकारी दैत रहलाह। कनीकालक बाद हम सभ सीमाक कातेकाते किछु दूर धरि टहलैत-टहलैत गेलहुँ। सीमापर तारक घेराबा देल अछि। कतहु-कतहु जबान सभ हथियार लेने मुस्तैद रहैत छथि। हुनका सभसँ गप्प-सप्पक क्रममे बुझायल जे किछुकाल कऽ गेटकेँ खोलि देल जाइत अछि जाहिसँ बंगलादेशी सभ भारतीय हिस्सामे किंवा नोमैन्स लैन्डमे पड़ल अपन जमीनमे खेत-बाड़ी करैत छथि आ साँझमे किंवा काज खतम होइते आपस चलि जाइत छथि। ओही क्रममे एकटा जवान ईहो कहलक जे ओकरा सभकेँ बंगलादेशी फौज वा सीमावलपर जबाबी कार्यवाइमे कोताही करय पड़ैत अछि जाहि कारण सीमापर स्थिति कैबेर प्रतिकूल भय जाइत अछि। किछुए दिन पूर्व भारतीय सीमा सुरक्षावलक किछु जवानकेँ बंगलादेशी फौज क्षत-विक्षत कय देने रहैक जाहिसँ ओ सभ उद्वेलित बुझेलाह।

अगरतलासँ ५५ किलोमीटर दूरीपर भगवती त्रिपुर सुन्दरीक मन्दिर अछि। ओहि इलाकाक ई प्रसिद्ध मन्दिर अछि। अहिठाम सतीक दहीन पैर खसल छल। मन्दिरक निर्माण महाराजा धन्य मापिक्य द्वारा सन् १५०१ ई.मे कयल गेल छल। किछु साल पूर्व सम्पूर्ण मन्दिर परिसरक जीर्णोद्धार कयल गेल छल।

एहिठाम भगवतीक मन्दिरक आकार-प्रकार कछुआ जकाँ अछि जाहि कारणसँ एकरा कूर्मा पीठ सेहो कहल जाइत अछि। एहिठाम प्रसादक रूपमे शुद्ध दूधक बनाओल पेड़ा होइत अछि जे खाइते बनैत अछि। परिसमे प्रसादक कैटा दोकान अछि। ओहिमे छात्रास्वरि पेड़ा भण्डार बहुत लोककेँ पसन्द अछि। दीयाबातीक समय अहिठाम जबरदस्त मेला लगैत अछि जाहिमे दूर-दूरसँ लाखो लोक एहिमे भाग लैत छथि। बंगलादेशसँ बहुत रास हिन्दू परिवार सेहो एहि अवसरपर अबैत छथि।

हमरा लोकनि एहि मन्दिरक बारेमे पहिने नहि जनैत रही। स्थानीय लोक सभक मादे एकर गुणगान सुनि हम सभ एतय पहुँचलहुँ। एहिठाम अयलाक बाद मोन आनन्द भय गेल। चारूकात स्वच्छ वातावरणमे माताक आराधना करबाक हमरा लोकनिकेँ परम सौभाग्य भेटल।

मन्दिरमे बहुत अधिक मात्रामे बलि प्रदानक परम्परा अछि। मन्दिरमे साढ़े छह एकड़मे कल्याण सागर सरोवर अछि। एकर निर्माण महाराजा कल्याणमल माणिक देव वर्मा सन् १५०१ ई.मे करौने रहथि।

कहल जाइत अछि जे मन्दिरमे पूजाक हेतु त्रिपुराक राजा कन्नौजसँ पुजारी बजबौने रहथि। लक्ष्मी नारायण पाण्डेय ओ गदाधर पाण्डेय नामक दूटा पुजारी परिवार सहित ओहीठाम बसि गेलाह। आब ओहि परिवारक कुनबा बड़ीटा भय गेल अछि आ अखनो वैह सभ एहि मन्दिरमे पूजा-पाठ करैत छथि यद्यपि एहि मन्दिर एवम् ओकर परिसरक व्यवस्था आब त्रिपुरा सरकारक हाथमे आबि गेल अछि। त्रिपुरा सरकार एहि हेतु आर्थिक योगदान सेहो दैत अछि। यात्रीक ठहरबाक हेतु त्रिपुरा सरकार द्वारा गुनावती यात्री निवासक निर्माण कराओल गेल अछि।

अगरतलाक आस-पास एकटा अबश्य दर्शनीय स्थानमे सँ अछि नीरमहल। ई अगरतलासँ ५५ किलोमीटरक दूर अवस्थित अछि। ई महल राजा वीर विक्रम किशोर माणिक्य बहादुर द्वारा १९३०-३८ ई.मे बनाओल गेल छल। नीरमहल रूद्रसागर तालसँ घेराएल अछि। एहि महल तक जेबाक हेतु तालक कछारमे नाव भेटैत अछि। त्रिपुरा सरकारक ओहिठाम होटल अछि जाहिमे यात्रीगण रहि सकैत छथि। एहि तालमे तरह-तरह केल जलपक्षी सभ देखबामे अबैत अछि। दिनमे ९ बजेसँ ५ बजे साँझ धरि ई महल यात्रीक हेतु खूजल रहैत अछि। मुदा दुपहरियाक बाद गेनाइ बेसी नीक, कारण ताबे समस्त सुविधा सक्रिय भय जाइत अछि।

सम्पूर्ण भारतमे एहि तरहक मात्र दूटा जलमहल अछि। एकटा यैह आ दोसर राजस्थानक जलमहल। नीरमहलमे२४ टा कोठरी अछि। ई दू भागमे बँटल अछि। एक भागकेँ अन्दरमहल कहल जाइत अछि जाहिमे पारिवारिक सदस्य एवम् रानी रहैत छलीह आ दोसर पूवक भागमे नाचगान हेतु रंगशाला अछि। महलक अन्दरेसँ तालमे राजपरिवारकेँ जेबाक रस्ता छल। एहि महलकेँ बनेबाक उद्देश्य गर्मी समयमे सुखद वातावरणमे रहबाक व्यवस्था करब छल। महलक अन्दर घुमैत-घुमैत भवन निर्माणमे प्रवीणताक अनुभव होइत अछि। एतेक खर्च ओ परिश्रमसँ बनाओल गेल एहि महलकेँ वर्तमानमे दशा दायनीय अछि, कारण एकर रखरखावक उचित व्यवस्थाक अभाव सुनियैक जे त्रिपुरा सरकार एकरा अधिग्रहण करबापर विचार कय रहल अछि जाहिसँ एकरा सुरक्षित राखल जा सकय। 

नीरमहलसँ आपस अयलाक बाद हम सभ ओहीठाम सरकारी अतिथि गृहमे विश्राम कयलहुँ। भोजन-भातक उत्तम व्यवस्था तऽ छलहे। तकर बाद आपस हम सभ अगरतला अपना बासापर आबि गेलहुँ। प्रात भेने अगरतला शहरक प्रमुख-प्रमुख स्थान सभ देखबाक कार्यक्रम छल।

अगरतला शहर शान्त ओ स्थिर लगैत रहैत अछि। कैटा छोट-मोट सभ सेहो देखबामे आयल। अबैत-जाइत चाहक बगान सेहो देखबामे आयल। भूतपूर्व राजा सभहक राजमहल विजयन्त पैलेस आब एक आकर्षक संग्रहालय अछि। एहिमे भूतपूर्व राज परिवारसँ जुड़ल अनेको चीज वस्तु देखबाक अवसर भेटत। ई महल त्रिपुराक महाराजा राधा किशेर माणिक्य द्वारा १८९९ सँ १९०१ ई.क बीच बनाओल गेल छल। विजयन्त पैलेससँ सटल एकटा सुन्दर तल अछि जकर काते-काते मुगल गार्डेन अछि। ई भवन त्रिपुरा सरकार द्वारा १९७२-७३ ई.मे राज परिवारसँ कीनल गेल।

एकर बाद अगरतलाक जगन्नाथ मन्दिरमे दर्शन कयलहुँ। एहि मन्दिरक भव्यता अवर्णनीय अछि। त्रिपुराक राज परिवार द्वारा बनाओेल गेल ई मन्दिरक वस्तुकला अद्भुत अछि। मन्दिरमे प्रसादक उत्तम व्यवस्था अछि। सायंकालक आरतीक दृश्य बहुत मनमोहक होइत अछि।  एहिठाम हम सभ कनीकाल बैसि डेरा आपस आबि दिल्लीक हेतु वायुयानसँ विदा भय गेलहुँ। रस्तापर ओहिठाम कयल गेल अतिशय एवम् सुविधा पूर्वक भ्रमण मोन पड़ैत रहल।



हम बौक छी




 


हम बौक छी


पाकड़ी गाछ तर ओ पसीना पोछि रहल छल। आगा-पाछा ओकर क्यो नहि छलैक। अगसरे छल। रोज भोरे उठैत छल आ साँझ धरि परिश्रम करैत छल। बदलामे किछु अन्न-पानि भेटि जाइ छेलैक। दुपहरियामे जहन कनेक उसास होइक तँ गामक जे पूव दिस पाकरिक गाछ छेलैक ओकरे छाहरिमे बैसि पसीना पोछय लगैत छल। दस साल उम्र ओकर हेतैक। पता नहि, कहिया ओकर माए-बाप मरि गेलैक। ओकरे संगतुरिया सभ कैटा छैक जे स्कूल जाइत रहैत छैक। माए-बाप सभ ओकरा रंग-बिरंगक कपड़ा कीनि दैत छैक। किताब कीनि दैत छैक। केहन भागबंत छैक ओकर संगी सभ। सैह सभ अर्र-दर्र ओ सोचैत रहि जाइत अछि।

पता नहि अखन धरि कतेक मालिक ओहिठाम ओ काज केने अछि। जतहि गेल ओतहि लात-जुत्तासँ स्वागत भेलैक। मुदा ओ की कय सकैत छल? पेटक सबाल छलैक। जाधरि सहि सकैत छल, सहैत छल। आ कहियो चुप्पे भागि जाइक। पाछू लागल मालिक गरजैत उठैत छलैक। जेना-तेना कऽ ओ अपन पेट पोसैत गेल। आगा बढ़ैत गेल। जीबनक एक-एक दिन एकटा उपलब्धि जकाँ बीतैत गेलैक। क्रमश: ओ जवान भय गेल। एमहर सरकार नया-नया स्कीम सभ लागू केलक अछि। गाम-गाममे बैंक सभ खुजि गेलैक अछि। एक दिन ओहो बैंक गेल आ मनेजर साहेबक आगू उचिती-विनती केलक। मनेजर साहेब ओकरा एकटा रिक्सा कीनि देलखिन्ह।

ओकरो नाम मनेजरे छलैक मुदा गामक लोक मनेजरा कहैत छलैक। मनेजरा रिक्सा चलबय लागल।रोज दससँ पन्द्रह रूपया आमदनी भय जाइत छलैक। ठाठसँ जिनगीक गाड़ी सरकय लगलैक।

मनेजर राय लिखल रहैक रिक्सापर। भोरे उठय मनेजरा आ घण्टी बजबैत दनादन निकलि पड़य। मनेजराक प्रतिष्ठा अमतटोलीमे बढ़य लगलैक। कैटा कथा सेहो ओकरा बियाहक लेल आबय लगलैक। आ अन्ततोगत्वा मनेजरा बियाह कय लेलक। गामसँ पाँच कोस पच्छिम सासुर छलैक। अमन-चैन भऽ गेल रहैक ओकर जिनगीमे। भोरे छह बजे रिक्सा लऽ कऽ विदा भऽ जाइत आ साँझमे सात बजे एक ढेरी कैंचा लेने आपस होइत। मुदा ओकर ई जिनगी बेसी दिन नहि चलि सकलैक।

सात-आठ बर्ष पहिने ओ फूल बाबूसँ दसटा टका पैंच लेने छलैक। संयोगसँ वो पैसा आइ धरि आपस नहि भय सकल छलैक। ओकर हालतमे सुधार देखि गौवा-घरूआ सभ अनेरे ओकरासँ जरय  लागल छलैक। ओहि दिन साँझमे लौटल छल। बेस आमदनी भेल रहैक। घर पहुँचले छल कि फूल बाबूक गर्जन सुनेलैक-

मनेजरा छेँ, मनेजरा छेँ?”

की है मालिक।

तों अपन हिसाव-किताव किएक नहि फड़िछा रहल छेँ।

कोन हिसाब?”

कोन हिसाब! केना बजैत अछि जेना एकरा किछु बुझले ने होइक। दस बर्ख भऽ गेलौ ओहि रूपयाकेँ। कहियो देबाक सुधि अयलौक? सुदि समेत ओकर आब पाँच सौ रूपया भऽ गेल अछि! काल्हि भोर तक रूपया चूका दे नहि तँ...।

मनेजरा तामसे बुत्त भऽ गेल। नहि सहि भेलैक ई सरासर अन्याय ओ बैमानी। तामसमे ओहो गरजय लागल-

होशमे बात करू मालिक..! बुझलौं जे बड़ रूपयाबला छी।

एतबा ओ बाजल कि फूल बाबू गरियायब शुरू केलखिन्ह। मनेजराकेँ सेहो पाइक गरमी रहबे करैक। ओ अत्याचारक प्रतिकार करब कर्तव्य बुझि गेल छल।

एहले-वैहले फूल बाबूकेँ गट्टा पकड़लक आ गर्दनियाँ दैत अपना दरबाजापर सँ भगा देलक।

फूल बाबू बेस तावमे आबि गेल छलाह। मैथिली छोड़ि हिन्दीमे गरजय लगलाह-

कल देख लेंगे। ऐसे-ऐसे कितने पाजी को मैंने ठीक किया हूँ।

जबरदस्त हल्ला गाममे बजरि गेलैक। चारूकातसँ लोक सभ दौड़लैक आ दुनू गोटेकेँ फराक कऽ देलक। फूल बाबू अर्ड़-बर्ड़ बजैत आपस अयलाह।

प्रात भेने मनेजरा पूर्व जकाँ रिक्सा निकललक। ठाठसँ ओकर सीटपर बैसल आ घण्टी टनटनबैत घरसँ विदा भेल। गामसँ बहरायल कि रिक्साक चालिकें तेज कए देलक । रिक्सा हवामे उड़य लगलैक। किछु दूर आगा बढ़लापर रस्तापर  जारनि राखल भेटलैक। मनेजरा रिक्सा रोकलक आ जारनिकेँ हटबय लागल। एतबेमे चारि-पाँचटा लठैत दन-दन कऽ दुनू कातसँ धानक खेतसँ बहरेलैक। दन-दन-दन। मनेजराक कपारपर लाठी पड़य लगलैक।

मनेजरा ठामहि खसि पड़ल। ओ लठैत सभ रिक्सा पकड़लक आ ओकरा मारि लाठीसँ, मारि लाठीसँ ओतहि खण्ड-खण्ड कय देलकैक। फेर पता नहि, ओ लंठ सभ केतय निपत्ता भऽ गेलैक। बहुत काल धरि मनेजरा एहिना अचेत बीच रस्तापर पड़ल रहल आ ओकर रिक्सा टुकड़ी-टुकड़ी भऽ कऽ बगलमे राखल रहैक। माथपर सँ खुन टपकैत रहैक आ मारिसँ सौंसे देह भुजरी-भुजरी भय गेल रहैक। धण्टा भरिक बाद एकटा रिक्साबला ओही रस्तासँ गुजरलैक।

मनेजराकेँ ओतय पड़ल देखि ओ सन्न रहि गेल। ओकरा रिक्सापर दूटा पसिंजर छलैक हुनका सभकेँ रिक्सेपर छोड़ि ओ उतरल। मनेजरा रिक्सा चलबैमे ओस्ताद भय गेल छल आ तेँ रिक्साबला ओकरा 'गुरु' कहि कऽ बजबैत छलैक। 'गुरु'क ई दशा के केलक? किछु काल धरि ओ रिक्साबला क्षुब्ध रहल। आ तकर बाद जेना ओकरा अकिलमे समटा फुराय लगलैक। धराक दय मनेजराकेँ रिक्सापर लदलक आ आपस अस्पताल दिसि रिक्साकेँ तेजीसँ लबय लागल।

मनेजरा तीनि दिन धरि लगातार अस्पतालमे पड़ल रहल। ऑक्सीजन देल गेलैक। बहुत रास दवाइ-दारू करय पड़लैक। चारिम दिन साँझमे ओ आँखि खोललक। होश अबिते अपन रिक्साकेँ खोजय लागल। मुदा क्यो किछु नहि कहलकै। मनेजरा फेर चुप्प भऽ गेल। अस्पतालमे ओकरा एक मास समय लागि गेलैक। गामपर बच्चा सभ अन्न-पानिक अभावमे मरइमान रहैक। घरवाली मालिक सभबहक आंगनमे काज कऽ कऽ गुजर करैक। मुदा जाहि दिन मनेजरा आपस अस्पतालसँ अयलैक तँ ओकर घरवाली खुशीसँ दौड़ए लगलैक।

मनेजरा घुरि तँ आयल मुदा ओकर वाया पैर नेंगराय लाल छलैक। रिक्सा थकूचल गेल रहैक। तेँ आगा कि करय से नहि फुरा रहल छलैक। घरमे दूटा बच्चा सेहो भय गेल छलैक। सभ अन्न बिना रोगा रहल छलैक। मनेजराकेँ डाक्टर मास दिन आराम करबाक परामर्श देने छलैक। मुदा घरक परिस्‍थिति देखिकय ओकरा बैसल नहि गेलैक।

मनेजरा साहस केलक आ आंगनसँ निकलल। नेरकम करय गेल रहैक। मुदा जाए तँ कतय ? टांग टुटि गेल छलैक। रिक्सा थकुचायल राखल छलैक। गाममे मात्र फूले बाबू लहनाक कारोबार करैत छलाह। की  करए? झख मारि कय फूल बाबूक ओहिठाम पहुँच गेल।

ओकरा अखन धरि नहि बुझल छलैक जे ओकर घरवाली फूले बाबूक ओतए काज करैत छैक। फूल बाबू ओकरा बेश ख्याल करैत छलखिन्ह।

ओकर घरवालीक नाम सुनरी छलैक। तेहने गुणो छलैक। मुदा सौन्दर्य गरीबीसँ दागल छलैक। फूल बाबूक कहि ने कहियासँ ओकरापर नजरि गरि गेल रहन्हि। 

मनेजरा पहुँचते फूल बाबूकेँ सुनरीसँ असगरेमे हँसी-ठठा करैत देखि लेलक। ओ कतहुँ दोगमे नुका गेल आ तमासा देखए लागल। सुनरी नै नै करैत रहलैक। मुदा फूल बाबूक आक्रमकता बढ़ले गेलन्हि। एहिसँ आगू मनेजराकेँ देखबाक शक्ति नहि रहि गेल रहैक। प्रत्याक्रमणक सामर्थ्य नहि रहैक। तेँ ओ चोट्टे घुरि गेल आ घरमे आबि कऽ धराम दऽ खसल। किछु बाजल नहि होइक।ओ बौक भए गेल।

२५.१०.१९८४

गुरुवार, 24 अगस्त 2017

प्रतियोगिता परीक्षा




 


प्रतियोगिता परीक्षा


शुरूए-सँ हम बहुत महत्वाकांक्षी रही वा बनौल गेल रही। बाबूजीकेँ होनि जे हम की बनि जाइऐन की नहि। ऐ लेल ओ हमरा निरन्तर प्रेरित करैत रहै छला। जखन बच्चे रही तखने कहल करैथ जे लाट साहेब बनक अछि। अस्‍तु..।

लाट साहैब तँ हम नहि बनि सकलौं मुदा देशक सर्वोच्च मंत्रालय सभमे केन्द्रीय सचिवालय सेवाक अधिकारीक रूपे जरूर काजे केलौं। पिताजी द्वारा निरन्तर प्रेरित करैत रहलासँ हमरा मोनमे केतौ-ने-केतौ जरूर बसि गेल जे किछु-ने-किछु तँ करक अछि।

जखन हाइ स्कूलमे रही तँ विषय सभमे केना बेतहर-सँ-बेहतर नम्बर भेटत तइले प्रयत्नशील रही। हमर बाबूजी गणित लऽ कऽ बहुत सचेष्ट रहैथ। सदिखन हुनकर इच्छा रहैत छेलैनजे गणित विषयमे साए-मे-साए नम्बर आनी। जँ एक्को नम्बर कटि गेल तँ बात नहि बनल। जहाँ गणितमे नम्बर कम होइत कि ओ तरह-तरहक खिस्सा सभ सुनबए लगैथ।

..केना एकटा अभिभावक अपन बेटाकेँ गणितमे एक नम्बर कटि गेलापर एक चमेटा मारलखिन आदि आदि सुनबए लगैथ। मुदा मारि-पीट करब हुनकर सोभावमे नहि रहैन।

ऐ सबहक परिणाम भेल जे हमरा निरन्तर गणितमे नीक नम्बर अबैत रहल जइसँ हम अपन वर्गमे नीक स्थान प्राप्त करी। गणितक अलाबा प्रमुख विषय अंग्रेजी छल जे हमरा लेल बहुत समस्या जकाँ छल। अंग्रेजीमे अधिकांश विद्यार्थी फेल भऽ जाइत छल। अंग्रेजीक पढ़ाइ ५मा वर्गक बाद प्रारम्भ होइ। ताधैर विद्यार्थी सभ कहुना-कहुना कऽ अपन नाओं टा अंग्रेजीमे लिखि लथि।

एकबेर हम अपन नाम अंग्रेजीमे सिलेटपर लिखि सकल रही तँ केतेक चाबस्सी भेटल एकर वर्णन नहि। बी.एस-सी. पास भेला धरि अंग्रेजी भाषाक रूपमे हमरा लेल एकटा विकट समस्‍या छल। हलाँकि बी.एस-सी. प्रतिष्ठाक पढ़ाइ अंग्रेजीए-मे होइत रहइ मुदा ओइसँ अंग्रेजीक ज्ञान बढ़ि जाइत से नहि।

एक दिन हम सी.एम. कौलेजमे अंग्रेजी विभागक सामनेसँ गुजरैत काल अंग्रेजीक किछु व्याख्याताकेँ अंग्रेजीमे झुरझार बजैत सुनिलऐक। हमरो मोनमे सेहन्‍ता भेल जे काश हमहूँ अहिना अंग्रेजीमे बाजि सकितहुँ...।

तेकर बाद तँ हम अंग्रेजी पक्कीकरणक एकटा गहन अभियान चलौल। ओइ समयमे कम्पीटीशन मास्टर पत्रिका एक रूपैआमे भेटैत छेलइ। दड़िभंगासँ कहुना कऽ ओ पत्रिका गाममे मंगबैत रही। पुरा-कऽ–पुरा पत्रिका सालो-साल रट्टा मारैत रहलौं आ रटल वस्तुकेँ लिखि, फेर कितावसँ मिलान करी आ गलती सभकेँ सुधारक प्रयास करी। ऐ सबहक अतिरिक्त How to write correct English How to translate into English भारती भवन- पटनाक प्रकाशन, ऐ दुनू पोथीक लाइन-वाइ-लाइन रटि गेलौं।

..रोज दसटा अंग्रेजीक शब्द–अर्थ सहित–रटबाक नियम बनौलौं। केतेको बेर दड़िभंगा बस स्टेण्डपर बसक प्रतीक्षा करैत काल शब्द रटि कऽ समयक उपयोग करी। सालो-साल अंग्रेजी शब्द कोष रटबाक ई कार्यक्रम चलल।

हमर सबहक अंग्रेजी शिक्षक छला बेलौंचाक स्व. कृष्ण कुमार झा। हुनकर पिता स्व. सुन्दर बाबू, वाट्सन स्कूल- मधुबनीमे हमर बाबूजीक शिक्षक रहथिन। कृष्ण कुमार बाबू हमरा कहैथ-

अंग्रेजी नहि अयबाक माने थिक प्रतियोगिता परीक्षा-सभमे स्वयंकेँ हटा लेब।

हुनक ऐ बातकेँ धियानमे राखि हम स्कूलक सबकसँ  हटि कऽ केतेको दिन धरि अंग्रेजीमे किछु काज सभ कऽ कऽ दिऐन आ ओ दोसर दिन ओकरा सुधारि कऽ परामर्शक संग आपस कऽ दैथ। तइ लेल हुनका साइकिलमे एकटा झोरा लटकले रहैत छल। ओइ झोरामे अपन कॉपी राखि दिऔ। शेष अपने भऽ जाइक। हुनकर ई सेवा पूर्णत: निशुल्क छल। गाम-घरक वातावरण ओ देहाती स्कूल सभमे रहि, पढ़ि-लिखि अंग्रेजीमे कुशलता प्राप्त करब आसान काज नहि छल। हम शुरूए-सँ टाइम्स ऑफ इण्डिया मंगबैत रही। ओइ अखबारक संपादकीय नियमित पढ़ी। बाबूजी एकटा फकरा बरबैर पढ़ैत रहै छलाह-

रसरी आबत जात है, सिर पर पड़त निशान

करत करत अभ्यास ते जड़िमत होत सुजान।

सएह भेलैक। निरन्तर प्रयाससँ हमर अंग्रेजी सुधरैत गेल। ओही बले हम संघ लेाक सेवा आयोग द्वारा आयोजित असिसटेंट ग्रेडक परीक्षा प्रथमे प्रयासमे पास कऽ गेलौं। ओइ परीक्षामे गणितक एक पत्रक अलावा अंग्रेजीक एक पत्र होइत छल। गणितमे तँ हमर हाथ साफ रहिते छल। अंग्रेजी सेहो ठीक-ठाक भऽ गेल। परिणाम स्पष्ट छल। पूरा नौकरी केन्द्रीय सचिवालयमे कएल, जइ ठामक काजक भाषा अंग्रेजीए छल। कहियो असुविधा नहि भेल,अपितु अंग्रेजी पढ़ब-लिखब आरो सुगम लगैत रहल।

भौतिक शास्त्र (प्रतिष्ठा)क पूरा पढ़ाइ-लिखाइ अंग्रेजीए माध्यमसँ होइत छल। ओहूसँ अंग्रेजीमे बूझबा, लिखबामे आसानी भेल।

सभसँ पहिल प्रतियोगिता परीक्षा हम देने रही संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित स्पेशल क्लास रेलबे एप्रेन्टिसक १९७२ इस्वीमे। बी.एस-सी. परीक्षा देलाक बाद खाली गाममे बैसल रही। अखबारमे विज्ञप्ति देख हम आवेदन कए देने रही। लिखित परीक्षामे चारि-पाँच मासक समय छल। तइ हेतु दिन-राति एक कए देल। कोठरी बन्द कऽ तैयारी करी। परीक्षाक केन्द्र पटना लॉ कौलेजमे रहइ। हमर रहबाक हेतु स्वर्गीय मार्कण्येय भण्डारीजीक कुटुम–जे पटना विश्वविद्यालयमे इन्जीनियर छला–हुनके ओइठाम जोगार कएल गेल छल। हम जखन हुनका डेरापर पहुँचलौं तँ ओ अपने नहि रहैथ। तथापि हमर रहबाक बन्दोवस्त भऽ गेल मुदा परीक्षाक तनाव तेतेक रहए जे रातिमे निन्न नहि भेल। निन्न नहि हेबाक असर ऐगला दिन होमए-बला गणित प्रथम पत्रक परीक्षा पर पड़ल। जएह सवाल शुरू करी, सएह लटैक जाए। हम तेतेक अस्त-व्यस्‍त रही जे कौलेजक प्राचार्यक धियान हमरापर पड़लैन। हुनका भेलैन जे हम नकल करबाक प्रयास कऽ रहल छी। कोठरीक केबारे लगसँ ओ हमरापर चिचिआइत आगाँ बढ़ि हमरा लग आबि हमर तलाशी लेलैथ। हुनकर अनुमान मिथ्या सिद्ध भेलैन। हम कोनो गलत काज किएक करब। हम तँ अपने परेशान भऽ गेल रही जे हमर हाव-भावमे लक्षित भेल हएत।

दू घन्टाक परीक्षा रहइ।  एक घन्टाक बाद जखन मोन आश्वस्त भेल तँ सवाल सभ बनए लागल। मुदा समय समाप्तिक घन्‍टी सेहो बाजि चूकल छल। कॉपी सभ लऽ लेल गेल। हम ओइ दिनक प्रथम पत्र गणितक परीक्षासँ असंतुष्ट रही। तेकर बाद दोसर दिन इंजीनियर साहैब बाहर सँ घर वापस एला आ हमरा ठहरबाक बेहतर प्रबन्ध कऽ देलैन। दोसर दिन हम गणितक दोसर पत्रक सभ सबालक जवाब बहुत नीकसँ देलौं। जइसँ हम एससीआरए १९७२क परीक्षाक लिखित भागमे सफल घोषित भेलौं आ साक्षात्कार हेतु संघ लोक सेवा आयोग द्वारा दिल्ली बजौल गेलौं।

एससीआरएद्वारा रेलबेक इन्‍जीनियरिंक पढ़ाइ रेलबे कौलेजमे मुफ्तमे होइत छल आ पढ़ाइ समाप्त होइते क्लास-वन दर्जा सहित रेलबेमे इन्जीनियरक नौकरी लागि जाइत छल। आगू जा कऽ ओ सभ रेलबेक पैघ-सँ-पैघ पदपर पहुँच जाइत छैथ। एतेक भारी पदपर जाएबसे सभ तँ हम ओतेक नहि बुझै रहिऐ, मुदा एतबेसँ प्रसन्नता रहए जे हम मुफ्तमे रेलबे इन्‍जीनियरिंग पढ़ि लेब आ पढ़ाइक बाद नौकरी सेहो पक्का। ओइ समय हमर सरकारी उमेर १८ साल छल। दिल्ली कहियो नहि गेल रही। हमर गौंआँ दिल्लीमे पढ़ैत रहैथ। हुनके पत्र लय हुनकर एकटा मित्र (गंगा बाबू)क सप्रु हाउस स्थित छात्रावासमे रहलौं। ओइ समय जे.एन.यू. ओइठामसँ आइएसआइएस (Indian School of International Studies)क नाओंसँ चलैत छल। छात्रावासमे बहुत रास विदेशी छात्र सभ छल। कएक-टा विद्यार्थी चम्मच लऽ कऽ खाइत छला। हम तँ से सभ कहियो देखनौं ने रही। हाथसँ जेना खाइत छी, तेना खाइ। गंगा बाबू कएक बेर हिंट करैथ, मुदा हम की करितौं।

हमराओ साक्षात्‍कारक दिन स्कूटरसँ साहजहाँ रोड स्थित संघ लोक सेवा आयोग तक छोड़ि अबैत छला। एक एकदम नूतन बेकती एतेक मदैत केलाह, ई काबिले तारीफ थिक।

साक्षात्कार दू दिने भेलइ। एक दिन तँ तरह-तरह केर तकनीकी जाँच सभ भेल जे हमरा लेल एकदम नव छल। सीमित समयमे लक्ष्य पूरा करबाक रहैत छल। जाबे हम किछु बुझिऐ-बुझिऐ, समय बीति जाइत छल आ आगाँक टेस्ट प्रारम्भ भऽ जाइत छल। दिन भरि वएह क्षमाचौकरी होइत रहल। हम तँ थाकि गेल रही। झमारल डेरापर पहुँचलौं तँ गंगा बाबू बहुत उत्साहित केलाह। दोसर दिन बेकतीगत साक्षात्कार छल जे संघ लोक सेवा आयोगक सदस्य आर एन मट्टूजीक अघ्यक्षतामे सम्पन्न भेल। साक्षात्कार समितिमे आइआइटीक प्रोफेसर एवम्‍ इन्ट्रीगल कोच फैक्ट्रीक भूतपूर्व निदेशक सदस्य छला। एक आर कियो बेकती रहैथ। साक्षात्कारक हेतु विद्यार्थी सभ छोट-छोट गुटमे कएठाम बैसौल गेल रहैथ। साक्षात्कारक हेतु बेराबेरी बजौल गेल। हमर नम्बर जखन आएल तँ निश्चिन्त भावसँ अन्दर गेलौं। ओइ दिन बहुत स्थिर भऽ गेल रही। गंगा बाबू सेहो हिम्मत देलैन। केतेको सवालक सबहक उत्तर संतोषप्रद बुझाएल। हमरा बुझि पड़ए जे हमर साक्षात्कार नीक भेल। हम अति उत्साहमे बाबूजीकेँ गाममे तार केलिऐन जे हमर साक्षात्कार बहुत नीक भेल अछि। साक्षात्कार समाप्तिक बाद आपस गाम आबि गेलौं। तेकर थोड़बे दिनक पछाइत परीक्षाफल बाहर भेल आ हमरा ओइमे नहि भेल। ओइ समय मात्र दस गोटेकेँ देश भरिसँ ओइ पद हेतु चयन होइत छेलइ। आब तँ चयनित लोकक संख्या बेसी रहैत अछि। प्राय: गणित प्रथम पत्र गड़बड़ेबाक कारण एवम्‍ दिल्लीमे लेल तकनीकी जाँच सभमे हम पाछाँ रहि गेलौं। एकटा बहुत नीक अवसर अबैत-अबैत हाथसँ ससैर गेल।

अगिला साल हम इण्डियन मिलिट्री अकादमीमे फौजक लफ्टीनेन्टक भर्ती हेतु संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ओयोजित परीक्षा पटना जा कऽ देलौं। पटनामे हम आ हमर ग्रामीण ओ मित्र कमलाकान्तजीक छात्रावास स्थित कोठरीमे हुनके संगे ठहरल रही। ओही बेर नहि बादोमे कएक बेर हम पटना परीक्षा देबए जाइ तँ हुनके संगे छात्रावासेमे ठहरी। ओ अपना भरि पूरा बेवस्था करैथ आ तँए हम परीक्षा सभ दऽ सकी। हुनकर ऐ उपकार सभक प्रसंगवस चर्चा करैत अभिभूत छी।  

परीक्षा बहुत नीक भेल रहए। गणितक दुनू पत्रमे ९० प्रतिशतसँ बेसी नम्बर आएल छल। हमरा साक्षात्कारक हेतु पत्र आएल। मुदा हमर बाबूजीकेँ फौजीक नौकरी पसिन नहि रहैन। हमर साक्षात्कार-पत्र ओ बहुत दिन तक दाबि देने रहैथ, प्राय: ओ किंकर्तव्यविमूढ़ रहैथ। हुनकर कहब जे ज्येष्ठ पुत्रकेँ फौजमे जाएब नीक नहि।

हमरा जखन चिट्ठी भेटल, साक्षात्कारमे बहुत कम समय रहैक। ओइ समयमे हम राँचीमे टेलीफोन इन्सपेक्टरक काजक प्रशिक्षण करैत रही। सभटा बेवस्था स्वयं करए पड़ल। दुर्गापूरमे हमर बहिनोइ रहैथ, हम ओतए गेलौं। ओ पूरा सहयोग केलाह। साक्षात्कार चारि दिन धरि इलाहाबादमे हेबाक रहइ। तइ लेल जरूरी ड्रेस दुर्गापुरेमे बनबौलौं। ड्रेस आ किछु पैसाक संग हम इलाहाबाद जा सकलौं तइ लेल ओ सभ धन्यवादक पात्र छैथ। दुर्गापुरमे फौजी छाबनी छइ। हमर बहिनोइ हमरा ओइठामक कमाण्डेन्‍टसँ भेँट करौलैथ जे तरह-तरहक केर हमरा परामर्श देलाह।

इलाहाबादमे साक्षात्कार छल। फोजमे अधिकारीक भर्ती हेतु साक्षात्कारक अलग तरीका अछि। सभ उम्मीदवारक दिन-रातिक नियत फौजी आवासमे रहबाक बेवस्था होइत अछि। ओइ दौरान प्रत्येक दिनचार्यपर नजैर राखल जाइत अछि जे ओ की करैत अछि, केतए जाइत अछि, ओकर बोल-चाल केहेन छै इत्यादि। ऐ सबहक उद्देश्‍य उम्मीदवारमे अधिकारी योग्य गुणक जानकारी प्राप्त करब होइत छल। साक्षात्कारक दौरान तरह-तरह केर टेस्ट सभ भेल। बोल-चाल, साक्षात्कार आदिमे तँ हम ठीक कऽ सकलौं मुदा कूद-फान करब हमरा बसक छल नहि, आ ने हम तइले गहन परियासे कऽ सकलौं। हमरा तँ एक बेर चोट लगैत-लगैत बँचि गेल। गाछक बीचमे रस्सी बान्हल छल आ ओइपर घुटकनिया भरि कऽ अर्थात्‍ रेंग कऽ ऐपार-सँ-ओइपार हेबाक छल! हम तँ एहेन खतरनाक टेस्ट सबहक प्रयासो नहि कएल। साक्षात्कारक दौरान ओ सभ कहैथ जे हमरा आइएएसक परीक्षा देबाक चाही आदि आदि। हमर साक्षात्कार समाप्त भऽ गेल छल। तय प्रक्रियाक तहत ओही दिन साक्षात्कारक परिणाम आएल। १० उम्मीदवार मे हमर सबहक गुटसँ दूटा उम्मीदवारक चयन भेल। हम आपसीक टिकट ओ खानाक पैकेट लऽ ट्रेनमे चढ़ि राँची आपस विदा भऽ गेलौं।

सन १९८० इस्‍वीमे बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सम्मिलित सेवापरीक्षामे हम एकटा विषय मैथिली रखने रही। सुनने रहिऐक जे मैथिलीमे ढाकीक-ढाकी नम्बर अबै छै आ केतेको लोक मैथिली लऽ कऽ बीपीएससीक परीक्षा पास कऽ गेला अछि। हम सोचलौं जे तिरहुता लिपिमे मैथिली पत्रक जवाब लिखल जाएत तँ आर नम्बर औत। हमरा नाम मात्र जोग तिरहुता लिपि अबैत छल, ओहो ऐ लेल जे आइएससीक मैथिली पत्रमे तिरहुताक किछु नम्बर छल रहइ।

तिरहुतामे झुरझार सीखब प्रारम्भ कएल। दिन-रातिक अभ्याससँ कनेक-मनेक हाथ चलए लागल। केतेको गोटे बुझाबक प्रयास केलक मुदा हम टससँ मस नहि भेलौं आ तिरहुता लिपिमे मैथिली पत्रक उत्तर लिखबाक प्रयास केलौं। प्रश्न पत्र बहुत आसान रहइ, मुदा हाथे नहि ससरए। तिरहुतामे लिपिक चलैत कएटा विषय-वस्तुकेँ संक्षिप्त करए पड़ल। फेर अपनो नहि बुझाए जे आखर हम तिरहुतामे लिखि रहल छी से सही भेल कि नहि। परिणामत: मैथिलीमे अपेक्षाकृत कम नम्बर आएल जइसँ हम ओइ परीक्षामे पछुआ गेलौं। अपने बातपर अड़ल रहब कएक बेर घातक भऽ सकैत अछि।

टेलीफोन इन्सपेक्टरमे काज करबाक दौरान अधिकांश समय हम प्रतियोगिता परीक्षा सबहक तैयारीमे लागल रहै छेलौं। कए तरहक कएक-टा परीक्षा सभ दी, मुदा अनुकूल परिणाम नहि होइत छल। बिआह भऽ गेल छल। गाम-परहक चिन्ता सभ सेहो माथकेँ चटने रहिते छल। नौकरी से धऽ लेने रही। अस्‍तु...।

बादमे प्रतियोगिता परीक्षा सभमे ओ धार हम नहि दऽ सकलौं। मुदा संघ लोक सेवा आयोगक असिस्टेन्ट ग्रेडक परीक्षा हम एकहि प्रयासमे पास कऽ गेलौं। ओइ बेर हम करहीक एकटा स्कूलिया संगीक डेरापर पटनामे ठहैर परीक्षा देने रही। हमरा विश्वास रहए जे हम ऐ परीक्षामे सफल रहब से सएह भेल। ऐ परीक्षाक आधारपर हम पहिने दिल्ली ओ थोड़बे दिनक बाद इलाहाबाद आबि गेलौं तथापि प्रतियोगिता परीक्षा–खास कऽ आइएएस एवम्‍ बैंकक प्रोबेशनरी आफिसरक परीक्षा–कएक बेर देलौं। मुदा ढाकक तीन पात। परीक्षाक तैयारीक दौरान किताव हाथमे रहैत छल आ माथ गाममे माए-बाबू ओ भाए-भैयारीक चिन्तामे लागल रहैत छल। चिन्ता केतेक व्यर्थ होइत अछि तेकर हम नीक अनुभव कऽ चूकल छी। जेहो सफलता हम प्राप्त कऽ सकै छेलौं सेहो चिन्ता करबाक सोभावक कारणेँ आ किछु आनो-आन कारण सभसँ सम्भव नहि भेल। खाएर, नाना प्रकारक परीक्षा सभ देबाक लाभ तँ भेबे कएल। अनेकानेक विषयक ज्ञान बढ़ल। अंग्रेजीमे लिखबाक, पढ़बाक आ बजबाक क्षमता बढ़ल। मुदा जीवन यात्रा केन्द्रीय सचिवालय सेवासँ जुड़ि कऽ रहि गेल।

आब जखन पाछू-मुहेँ घुमि कऽ तकै छी तँ बुझि पड़ैत अछि जे व्यर्थ चिन्ता सभमे पड़ल रही। सबहक अपन-अपन भाग्य होइ छै आबेसी माथा-पच्चीसँ किछु लाभ नहि। एहेन कोनो गारंटी नहि अछि जे अति उच्च पद प्राप्त बेकती आर तरहेँ खुसी होथि। सुख एकटा अलग वस्तु थिक जे केतौ कोनो बेकतीकेँ भेटि सकैत अछि। कियो झोपड़ीए-मे चैनक बंशी बजबैत रहैत अछि तँ कियो महलक समस्त सुख-सुविधाक अछैतो राति भरि निन्नक बिना करोट बदलैत रहैत अछि।



शनिवार, 19 अगस्त 2017

आर.के.कौलेज- मधुबनी




 


आर.के.कौलेज- मधुबनी


सन्‍ १९६७ इस्‍वीमे उच्च विद्यालय एकतारासँ प्रथम श्रेणीमे उत्तीर्ण भेलाक बादो नामांकनक समस्या भऽ गेल, कारण हमर स्कूलक परीक्षाफल थोड़ेक बिलमसँ आएल छल। आ ताबे नीक-नीक कौलेजक नामांकन-अवधि सम्पन्न भऽ चुकल छल। चूकि हमरा नीक नम्बर छल तँए किछु परियास केलाक बाद आर.के.कौलेज- मधुबनीमे प्रीसाइंसमे नामांकन भऽ गेल। एकतारा स्कूलसँ तीनटा आर विद्यार्थी (नारायणजी- नवकरही, श्री नारायणजी नगवास आ श्री विजयजी नवकरही) प्रथम श्रेणीमे ओही साल हमरा संगे पास केलैन आ सभ गोटे आर.के.कौलेज- मधुबनीमे अपन-अपन नाओं लिखौलैथ। हम पहिल दिन कौलेज हाफ पैन्‍ट आ आफ शर्ट पहिरने चल गेल रही। (ओहि समय हमर  उमरसोलह साल छल)कौलेजमे ए.के. छटक प्रभारी प्राचार्य रहैथ। हुनका बड़ कम सुझैन्ह। बेंत नेने कहुना-कहुना थाहि-थाहि कऽ चलैत छला। ओइसँ पूर्व डॉ. ए.के. दत्त प्राचार्य रहैथ। कौलेजमे हुनकर बहुत धाक रहैन। गणितक ओ मानल विद्वान छला।

आर.के.कौलेज- मधुबनीक प्रतिष्ठा आस-पासक क्षेत्रमे नीक छेलइ। ऐ कौलेजक किछु विभाग सभ बड़ नामी छल। मुदा जखन महौल गड़बड़ेलै तँ ई कौलेज जातीय राजनीतिक अड्डा भऽ गेल। परीक्षामे नकल आम बात भऽ गेल रहइ।

पढ़ाइ-लिखाइ चौपट्ट छल। रोज किछु-ने-किछु वजह ताकि कऽ विद्यार्थी सभ हड़ताल कऽ दैत छला। एहेन परिस्थितिमे ओइठाम पढ़ब केतेक दुरुह काज रहल हएत ई सहजे अनुमान लगौल जा सकैत अछि। तथापि नामांकनक बाद हम आ हमर दूटा गौंआँ कौलेजक ठीक सामने एकटा प्राइभेट लॉजमे डेरा लेलौं। एक्के कोठरीमे तीनटा चौकी लागल छल। बीचमे थोड़बेक खाली जगह रहइ जइमे भानस-भात होइत छल। पाछूमे एकटा मन्दिर सेहो छल।

कोठरीक सामने खजूरक एकटा गाछ रहइ जइमे ताड़ी टपकौल जाइत छेलइ, सदिखन डाबा टँगले रहैत छल। हमर रूमेट सभ टटका नीर कहियो-काल चोरा कऽ उतारि लैत छला। हमर स्कलक दूटा संगी कौलेजक होस्टलक छसीट्टा कोठरीमे रहै छला। कौलेजमे पढ़ाइ-लिखाइ भऽ जाइ तँ बढ़ियाँ ,नहि तँ आर बढ़ियाँ। जहाँ छुट्टी भेल कि हम गाम घसैक जाइ छेलौं। गाम आ मधुबनी छइहे केतेक दूर। गाड़ीसँ पनरह-सँ-बीस मिनटक यात्रा।

किछु अध्यापक तँ बहुत तनमयतासँ पढ़बैत रहैथ। हुनकर क्लास खचाखच भड़ल रहैत छल। मुदा सभसँ दिक्कत किछु उपद्रवी विद्यार्थी नेता सभ लऽ कऽ होइत छल जे क्लासमे घुसि जाइत आ हंगाम करैत क्लासकेँ भंग कऽ दइत।

कौलेजमे प्रवेश करिते मेघा पटलपर अंकित नाममे सँ एकटा नाम छल- स्‍व. विभूति नारायण झा (मुन्नु बाबू)क जे बी.ए. मैथिली (प्रतिष्ठा)मे विश्वविद्यालयमे प्रथम आएल छला एवम्‍ गणितमे विशिष्टता प्राप्‍त केने रहैथ।ओ हमर ग्रामिण छला। हुनकर नाओं पटलपर अंकित देख बहुत प्रेरणा भेटैत छल।

प्रोसाइंसक क्लासमे कहियो काल जखन हल्ला-गुल्ला बढ़ि जाइ तँ तत्कालीन कार्यकारी प्राचार्य घटक साहैब आकि कऽ कहैत छला-

गरीबी भारतक आम बात अछि। तँए गरीबीमे ओकरे मदैत कएल जा सकै छै जेकरामे विशिष्टा हेतइ।

अपन बात कहि कऽ ओ चल जाइथ। पता नहि केतेक गोटाकेँ ओ असर करइ। कालैजसँ छुट्टीक बाद ओ (घटक साहैब) पएरे अपन डेरा जाइत छला। अर्थशास्त्राक विद्वान छला। सुनबामे आबए जे कनिक्को समान कीनबाक हेतु पूरा सर्वे करैत छला ,जइसँ एक्को पैसा फाजिल खर्चा नहि हो।

कौलेजक गणितक व्याख्याता श्री एम.पी.सिन्हाजी बहुत लोकप्रिय छला। हुनकर पढ़ेबाक स्टाइल सरल तथा सुगम छल जइसँ विद्यार्थी सभ विषय-वस्तुकेँ बुझि जाइत छल। सबाल बना कऽ ओ पुछबो करैथ जे बुझाया कि नहीं बुझाया। माने बुझलिऐ आकि नहि। एक-एकटा शंकाक समाधान करितैथ। बादमे सुनलिऐ जे ओ हरिद्वारमे रहए लगला।

साँझक टहलबाक क्रममे काली मन्दिर जाएब आम बात छल। भगवतीक भव्य स्वरुपक आराधना कए परीक्षा नीक हेबाक हेतु हमहूँ प्रार्थना करी। प्रीसाइंस परीक्षा आबि गेल छल। पढ़ाइ तइ हिसाबसँ भेल नहि रहए। मनमे अतिशय तनाव भऽ गेल छल। रातियोमे कौलेजक भवनमे जा कऽ पढ़ाइ करी, कारण ओइठाम एकान्तक संग मुफ्त बिजलीक सुविधा छल। अही तनावमे रही कि एक राति बुझाएल जेना सभ किछु हिल रहल छइ। हमरा भेल जे भुमकम भऽ रहल छइ। असलमे भेल किछु ने रहइ। पढ़ैत-पढ़ैत ओंघा गेल रही आ चिन्तासँ भ्रम जकाँ भऽ गेल रहए। अस्‍तु।

जेना-तेना परीक्षा सम्पन्न भेल। सभसँ सुखद आश्चार्य तखन भेल जखन ऐ परीक्षामे हमरा प्रथम श्रेणीसँ उत्तीर्ण हेबाक जानकारी अखबारमे प्रकाशित परीक्षाफलसँ भेटल।

काली मन्दिरसँ दर्शन कए डेरा अबैत काल मिथिला टाकीजमे लॉडस्पीकरपर प्रसारित होइत गीत जय जय हे जगदम्बे माता..। अखनो कानमे प्रतिध्वनित होइत रहैत अछि।

मधुबनी शहर यद्यपि बहुत पुरान अछि मुदा एकरामे गुणात्मक विकास एतबे भेलैए जे चारुकात आवासीय कालोनी सभ बनि गेल अछि। मुदा मूलभूत ढाचागत विकास नहि भऽ सकल। ओना, तेकर केतेको कारण भऽ सकैत अछि। रोड सभ अत्यन्त कृषकाय अछि। अतिक्रमणक पराभवक कारण निरन्तर जाम लगैत रहैत अछि। शहरक भीतर तथा शहरक आस-पास दुर्गन्ध पसरल रहैत अछि। सफाइक बेवस्था दयनीय अछि तथापि आस-पासक लोक ओतए गामपर सँ उबि घर बना रहल छैथ। जिला बनि गेलाक बाद सरकारी कार्यालयक संख्याक संग गतिविधिमे बढ़ोत्तरी अबस्स भेल अछि मुदा शिक्षा, चिकित्सा संतोषप्रद नहि हेबाक कारण मधुबनीक लोक आर पैघ शहर दिस मुँह तकबाक हेतु विवश छैथ।

हमर ससुर मधुबनीमे घर बनौने रहैथ। ओइठाम आवागमन बादोमे होइत रहल आ तइसँ प्रेरित भऽ हमहूँ मधुबनीमे घर बनौलौं। दिल्लीमे काज करी आ घर मधुबनीमे बनाबी से विचार बहुत लोककेँ नहि जँचतैन मुदा हमरा दृढ़ इच्छा छल आ अत्यन्त परिश्रम पूर्वक सालो लगा कऽ ऐ काजकेँ पूरा कएल, मुदा मधुबनीमे घर बनाएब उपयोगी साबित नहि भेल।

आर.के.कौलेज- मधुबनीक स्थिति डमाडोल रहैत छल। संयोगसँ प्रसाइंसमे नीक परीक्षा फल आबि गेल छल। तँए आगाँक पढ़ाइ हेतु सी.एम. कालैज- दड़िभंगामे नाओं लिखेलौं जे बहुत सही निर्णय रहल। कारण ओइठामक पढ़ाइ-लिखाइक महौल मधुबनीसँ बहुत बेहतर छल।


शब्द संख्या : ८२९

अमृतसर यात्रा




 


अमृतसर यात्रा


पंजावक पैघ शहरमे अमृतसरक गणना अछि। ऐठाम पहिने तुँग नामक गाम छल। सिखक चारिम गुरु रामदास १५७४ मे ७०० रूपैआमे तुँग गामक लोकसँ जमीन किनलैथ। ओइ साल गुरु रामदास ओतए घर बना कऽ रहए लगला। ओइ समयमे ओकरा गुरु दा चक्क कहल जाइत छल। बादमे एकर नाम चक्क राम दास भऽ गेल।

अमृतसर पहिने गुरुरामदासपुरक नाओंसँ जानल जाइत अछि। पंजावक राजधानी चण्‍डीगढ़सँ ई २१७ किलोमीटर दूरीपर एवम्‍ लाहौरसँ मात्र ५० किलोमीटर दूरीपर अवस्‍थित अछि। भारत-पाकिस्‍तानक वाधा  वोर्डर ऐठामसँ मात्र २८ किलोमीटर अछि।

कहल जाइत अछि वाल्‍मिकी ऋृषिक आश्रम अमृतसरक रामतीर्थमे छल। लवकुश अश्वमेघ यज्ञक घोड़ाकेँ ओतइ पकैड़ लेने छला आ हनुमानकेँ एकटा गाछसँ बान्‍हि देने रहैथ। ओही स्‍थानपर दुर्गिआना मन्‍दिर बनल अछि।

तेसर सिख गुरु अमरदास जीक परामर्शपर चारिम सिख गुरुरामदासजी अमृत सरोवरक खुनाइ प्रारम्‍भ केलाह। ऐमे चारूकात पजेबाक घाटक निर्माण पाँचम सिख गुरु अर्जन देवजी द्वारा १५ दिसम्‍बर १५८८ क पूरा कएल गेल। वएह हरमन्‍दर साहेबक निर्माण प्रारम्‍भ केलैथ। १६ अगस्‍त १६०४ क ओइमे गुरु ग्रन्‍थ साहेबक स्‍थापना भेल। सिख भक्‍त बाबा बुधाजी ओइ मन्‍दरक प्रथम पुजेगरी नियुक्‍त भेल रहैथ।

हरर्मान्‍दर साहेबक निर्माणमे सर्व धर्म सभ भावक विशेष धियान राखल गेल। सिख धर्मक ऐ भावनाक अनुरुप गुरु अर्जन देव मुस्‍लिम सूफी सन्‍त हजरत मिआँ मीरकेँ ऐ मन्‍दिरक शिलान्‍यासक हेतु आमंत्रित केने छला। सन्‍ १७६४ ई.मे जस्‍सा सिंह अहलुवालिया आन-आन लोक सबहक सहयोगसँ एकर जीर्णोद्धार केलाह। उन्‍तीसमी शताब्‍दीमे महाराजा रणजीत सिंह ७५० किलोग्राम सोनासँ ऐ मन्‍दिरक ऊपरी भागकेँ पाटि देलाह जैपर एकर नाओं स्‍वर्ण मन्‍दिर माने गोल्‍डेन टेम्‍पल पड़ि गेल।

हरमन्‍दि साहेबक स्‍वर्ण मन्‍दिरमे पएर रखैत गजब आनन्‍दक अनुभूति भेल। साफ-सुथरा चक-चक करैत परिसर। सुरम्‍य वातावरणमे भजन कीर्तनक संगीतमय मधुर ध्‍वनि। चारूकात पसरल सैंकड़ोक तादादमे सेवादारक जत्‍था सभकेँ देखैत बनैत छल।

समूहमे जीव, सेवा करब ओ समन्‍व्‍य पूर्वक सबहक स्‍वागत करब, ऐ वस्‍तुक प्रत्‍यक्ष उदाहरण हरमन्‍दर साहिवमे भेटैत अछि। मन्‍दरमे प्रवेशसँ पूर्व जूता निकालब आ माथ झाँपब अनिवार्य अछि। माथ झाँपबाक हेतु मन्‍दिर प्रवन्‍धक केर तरफसँ वस्‍त्र देल जाइत अछि।

विशाल तलाव स्‍वच्‍छ जलसँ भरल अछि। ऐ तालावक नाओं अमृत सरोवर अछि। सरोवरक चारूकात लोक परिभ्रमण करैत अछि। सरोवरसँ जुड़ल अछि हरमन्‍दिर साहेब।

मन्‍दिरमे निरन्‍तर गुणवाणीक पाठ होइत रहैत अछि। चारूकातसँ मन्‍दिरक दरबाजा खूजल अछि। तात्‍पर्य जे ओइठाम सबहक स्‍वागत अछि। हरमन्‍दिर साहेबमे कोनो धर्मक लोक जा सकैत अछि। ऐ मामलामे ई अद्भुत अछि। ऐठाम निरन्‍तर लंगर चलैत रहैत अछि। अनुमानत: प्रति दिन एक लाखसँ तीन लाख लोक तककेँ मुफ्तमे लंगर खुआबक बेवस्‍था ऐठाम रहैत अछि।

हरमन्‍दिर साहेब हम दू बेर गेल छी। एकबेर अधिकारीक प्रतिनिधि मण्‍डलक संग आ दोसर बेर श्रीमतीजीक संग। दुनू बेर नीकसँ दर्शन भेल। स्‍थानीय प्रशासनक सहयोग रहबाक कारण मन्‍दिरमे हमरा सभकेँ सरोपा देल गेल। सरोपा देबक माने बहुत इज्‍जत देब भेल।

अमृतसरक प्रसिद्ध स्‍वर्ण मन्‍दिरक दर्शनक बाद हमरा लोकनि ओइठामसँ सटले जालियावाला बाग गेलौं। ओइ वागक इतिहास ककरा नहि बुझल छइ। ब्रिटिश साम्राज्‍यक भारतमे कएल गेल ई क्रुड़तम घटना अछि। १३ अप्रैल १९१९ क ब्रिटिस हुकुमतक विरोधमे स्‍वर उठाबक हेतु जमा भेल हजारो लोकपर १० मिनट धरि धुँआधार गेली चलौल गेल, जइमे एक हजार लोक मारल गेला आ १५ साए लोक घायल भेला। सरकारी आँकड़ामे मृतक एवम्‍ घायलक संख्‍या बहुत कम क्रमश: ३६९ एवम्‍ २०० मात्र देखौल गेल मुदा ओ कोनो हिसावसँ सही नहि लगैत अछि। गोली काण्‍डक बाद ओइ मैदानमे लाश उठौनिहार कियो नहि छल। सैकड़ो आदमी जान बँचेबाक हेतु ओइठाम स्‍थित एकटा इनारमे कुदि गेल। बादमे १२० टा लाश ओइ इनारसँ निकालल गेल। धुँआधार चलल गोली सबहक निशान अखनौं ओइठामक देवाल सभपर देखल जा सकैत अछि।

ओइ दिन बारहे बजेसँ लोक सभ बैसारमे भाग लेबाक हेतु ओइ मैदानमे जमा होमए लागल छल। बहुत  रास निर्दोस लोक उत्‍सुकतावश सेहो ओइठाम जमा भऽ गेल छल। मुदा केकरो ई अन्‍दाज नइ छेलै जे ब्रिटिश हुकुमत एतेक वर्वरतापूर्ण काज करत! मुदा से भेल। ब्रिटिश हुकुमतक खिलाफ केतेको प्रकारक दुर्घटनाक पछाइत राज्‍यमे मार्शल लॉ लागू छल।

१३ अप्रैल १९१९ क भोरे ब्रिटिश हुकुमत घोषणा कए लोककेँ चेतौलक जे पाँच आदमीसँ बेसी लोकक एकठाम जमा होएब गैरकानूनी अछि। मुदा बहुत लोककेँ एकर जानकारी नहि भेलै आ जेकरा भेबो केलै से नहि सोचि सकल जे आदेशक उल्‍लंघनक एहेन विनासकारी हएत!

स्‍थानीय फौजी एवम्‍ असैनिक अधिकारीकेँ जालियावाला बागमे जमा होइत भीड़क जानकारी १२ बजे भऽ चूकल छल। ओ सभ चाहैत तँ ओइ बैसारक शुरूए-मे विरोध कए सकैत छल, मुदा एकटा सुनिश्चित योजनाक तहत भीड़केँ जमा होमए देल गेल आ बिना कोनो पूर्व उद्घोषणाक भीड़पर अन्‍धाधून गोली चलेबाक आदेश जनरल द्वारा दए देल गेल।

सभसँ दुखद तँ ई भेल जे गोलीक बौछारमे घायल लोक सभ तरपैत-तरपैत मरि गेल आ कियो ओकरा सभकेँ असपताल उठा कऽ नहि लऽ गेल। ऐ घटनाक अंजाम देनिहार जेनरल डायरेक्‍टरकेँ जखन हंटर कमीशन पुछलक जे अहॉं  घायल लोक सबहक इलाजक की बन्‍दोवस्‍त केलौं?’ तँ ओ निर्लज्‍ज भऽ कहलक जे अस्‍पताल सभ खूजल छल। सही स्‍थिति तँ ई छल जे बाहरमे कर्फ्यू लागल छल तँए कियो केतौ घुसकियो नहि सकैत छल। जनरल डायर उपरोक्‍त कमीशनक समक्ष स्‍वीकार केलक जे ओ सोचि-समैझ कऽ जालियावाला वागमे गोली चलबौलैथ। ओ चाहितैथ तँ डरा-धमका कऽ भीड़केँ भगा दितैथ, मुदा फेर ओ सभ एकत्र भऽ जाइत, आ ब्रिटिश हुकुमतक वर्चस्‍वपर हँसैत।

एहेन वर्वर घटनाक चश्‍मदीद गवाह देबाल सभपर पड़ल गेली सबहक निशान अखनौं देखल जा सकैत अछि।

हम सभ चारूकात देबाल सभपर पड़ल एहेन निशान सभकेँ सद्य: देखलौं।  गोलीक निशान सभकेँ चिन्‍हित कए देल गेल अछि। आ जइ इनारमे सैकड़ो आदमी कुदि गेला आ जानसँ हाथ धो लेलैथ, सेहो शहीदी कुआँक नाओंसँ स्‍मारक भऽ गेल अछि। ऐ काण्‍डमे शहीद भेल सैकड़ो लोकक यादगारमे ओतए स्‍मारक बनल अछि जेकर उद्घाटन भारक प्रथम राष्‍ट्रपति स्‍व. डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद सन् १९६३ मे केलाह।

अमृतसरक दर्शनीय स्‍थानमे दुर्गिआना मन्‍दिर प्रमुख स्‍थान रखैत अछि। मूलत: दुर्गामाताक मन्‍दिर हेबाक कारण एकर नाओं दुर्गियाना मन्‍दिर पड़ल मुदा ऐ मन्‍दिरमे आनो-आनो भगवान सबहक भव्‍य मूर्ति विराजित अछि। ई मन्‍दिर अपन भव्‍यता एवम्‍ अध्‍यात्‍मिक वातावरण हेतु सम्‍पूर्ण विश्वमे प्रसिद्ध अछि। देश-विदेशसँ हजारो तीर्थयात्री ऐठाम अबैत रहै छैथ। मन्‍दिर बहुत पुरान अछि। मूल मन्‍दिर सोलहम शताब्‍दीमे बनल छल। तेकर बाद सन्‍ १९२१ ई.मे स्‍थानीय लोकनिक मदैतसँ एकर जीर्णोद्धार कएल गेल। नव निर्मित मन्‍दिरक उद्घाटन सन्‍ १९२५ ई.मे पं. मदन मोहन मालवीय केने रहैथ। मन्‍दिरक द्वार चानीसँ बनल अछि।

पूरा मन्‍दिर चारूकातसँ सिमटल अछि। मूख्‍यत: मन्‍दिरक प्रागणमे पहुँचबाक हेतु पूल बनौल गेल अछि।

मन्‍दिरक बनाबट ओ साज-सज्‍जा स्‍वर्ण मन्‍दिरसँ मिलैत अछि।

मन्‍दिरक प्रागणमे सीतामाता ओ हनुमानजीक मन्‍दिर अछि। सन्‍ २०१३ सँ मन्‍दिर एवम्‍ मन्‍दिरक आसपासक परिसरक जीर्णोद्धारक कार्यक्रम चलि रहल अछि जेकर पूर्णतापर मन्‍दिरक भव्‍यता ओ सौन्‍दर्य पराकाष्‍ठापर पहुँच जाएत।

कहल जाइत अछि जे लवकुश हनुमानजीकेँ अहीठाम बान्‍हि देने रहैथ। अश्वमेध यज्ञक घोड़ाकेँ बान्‍हि देने रहैथ। लक्षमण, भरत, शत्रुध्‍न सभ एतइ पराजित भऽ गेल रहैथ। हुनका सभकेँ जीएबाक हेतु देवता सभ अमृत अनने रहैथ ओ शेष अमृतकेँ माटिमे गाड़ि देल गेल छल। जहूसँ ऐ शहरक नाओं अमृतसर पड़ल।

हम सभ अमृतसरक प्रसिद्ध दुर्गिआना मन्‍दिरमे घन्‍टो घुमैत रहलौं। पूजा-पाठ केलौं ओ एकर भव्‍यताक आनन्‍द उठेलौं। पं. मदन मोहन मालवीयजीक बारम्‍बार धियान अबैत रहल जे ऐ मन्‍दिरकेँ वर्तमान स्‍वरुपक नायक रहैथ।

घुमैत-घुमैत हम सभ थाकि गेल रही। रौद बहुत करगर रहइ। हमर श्रमतीजी सेहो बहुत थाकि गेल छेली। अस्‍तु हम सभ ओइठामसँ सोझे सीपीडब्‍ल्‍यूडी गेष्‍ट हाउस स्‍थित अपन डेरा पहुँच गेलौं।

घर घुमैत काल रस्‍ता भरि सोचैत रहलौं जे एतेक भारी तीर्थ स्‍थानमे जालियावाला वाग सन क्रूड़, वर्वर, नरसंहार केना भेल? सही कहल जाइत अछि जे सत्ताक नशामे मनुख पिशाच भऽ जाइत अछि। ओकर मानवीय संवेदना नष्‍ट भऽ जाइ छइ। मनुख ओकरा लेल मात्र एकटा मशीन रहि जाइत अछि जे आदेशक पालन करैत-करैत अपनहि बन्‍धु-बान्‍धवक खूनक धार बहा सकैत अछि। जेना कि जालियावाला वागमे अंग्रेजी हुकुमत केलक। हिन्‍दू, मुसलमान, सिख आदि सभ धर्मक लोक लोकक खून एक भऽ गेल छल, जालियावाला वाग चिकैर-चिकैर कऽ कहि रहल छल-

ऐ अत्‍याचारी निकृष्‍ट अंग्रेजी हुकुमत, आब बर्दास्‍त जोग नहि रहल। आब आर जुलुम नहि सहल जाएत..!”

जालियावाला वागक काण्‍ड सम्‍पूर्ण देशक आत्‍माकेँ झकझोरि देलक। एकर बदलामे उधम सिंह विलायत जा कऽ माइकल डायरक[1] हत्‍या कऽ देलक आ स्‍वयं फाँसी चढ़ि गेल।  (माइकल डायर ओहि काण्डकसमय मे पण्जाब प्रानतक लेफ्टीनेन्ट गभर्नर छला)

 

दोसर दिन साँझमे हमरा लोकनि बाधा वोर्डरपर होमएबला झण्डा उतारबाक कार्यक्रम देखए गेलौं। ओइ कार्यक्रमक आकर्षण अमृतसर गेनिहार प्रत्‍येक पर्यटककेँ रहैत छइ।

भारत ओ पाकिस्‍तानक सीमा सुरक्षा बलक जवान सभ नाना प्रकारक करतब करैत आगू-पाछू बढ़ैत रहै छैथ। कखनो टाँगकेँ धराम-दे आगाँ तँ कखनो हाथकेँ फरकबैत पाछाँ करैत ओ सभ एक-दोसरकेँ कखनेा सिनेह करैत तँ कखनो आक्रमण मुद्रामे आबि जाइ छैथ। अपना देशक लोक जेतेक बेर हिन्‍दूस्‍तान जिन्‍दावाद कहैत तेतेक बेर सटले सीमापर सँ ओइ देशक नारा सभ लगैत रहैत अछि। 

कुल मिला कऽ सम्‍पूर्ण वातावरण देश-भक्‍तिसँ भरल रहैत अछि। उत्तेजक ओ भावुक महौलक वावजूद सैनिक सभ संयत रहै छैथ आ क्रमश: अपन-अपन देशक झण्‍डा उतारि कऽ वधा बोर्डरक गेटकेँ बन्‍द कऽ लइ छैथ। 

विशेष अवसर जेना ईद, दिवाली आ दुनू देशक स्‍वतंत्रता दिवस आदिपर एक-दोसरकेँ मिठाइक डिब्‍बाक आदान-प्रदान सेहो होइत अछि। कुल मिला कऽ ई कार्यक्रम दुनू देशक नागरिकक वर्तमान परिस्‍थितिपर सोचबाक हेतु मजबूर कए दैत अछि।

दुनू देशक लोक हजारोक तादादमे आमने-सामने बैसए आ शान्‍तिपूर्ण महौलमे मनोरंजक कार्यक्रम देखए से अपना-आपमे एकटा मिसाल अछि। भऽ सकैए एकर सकारात्‍मक प्रभाव दुनू देशक जनता ओ सरकारपर पड़इ।

एवम्‍ प्रकारेण अमृतसरक संक्षिप्‍त प्रवासक अन्‍त भऽ रहल छल। हमरा लोकनि प्रात भेने अमृतसर दिल्‍ली शताब्‍दी एक्‍सप्रेस पकैड़ कऽ दिल्‍ली विदा भऽ गेल रही। सुविधा सम्‍पन्न द्रुतगामी ई गाड़ी जल्‍दीए घर पहुँच गेल आ हम सभ अपन यात्राक आनन्‍दक चर्च करैत केतेको दिन धरि आनन्‍दमे रहलौं।


तिथि : ०१ अगस्‍त २०१७, शब्‍द संख्‍या : १५१६



[1] माइकल डायर जालियावाला वाग काण्‍डक समय पंजावक लेफ्टिनेन्‍ट जेनरल छल।