जय सोमनाथ
!
बहुत दिनसँ सोमनाथ
महादेवक दर्शन करबाक इच्छा छल। द्वारकाधीश जेबाक सेहो इच्छा छल। सन्२०१२मे हम
सरकारी यात्रापर अहमदाबाद गेलो रही। हम गुजरात सरकारक राजकीय अतिथि छलहुँ । बहुत
स्वागत भेल रहए। गुजरात सरकारक अधिकारीलोकनि अहमदाबाद आ लगपासक प्रमुख स्थानसभ
देखओने रहथि। ओहि समयमे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनल नहि रहैक। ओकर स्थान जरूर
निर्धारित कएल गेल रहैक। नर्मदानदीपर बनल बांध हम देखने रही। मुदा सोमनाथ आ
द्वारकाधीश नहि जा सकल रही। कारण ओ स्थानसभ अहमदाबादसँ बेसी फटकी अछि। श्रीमतीजी
से संगमे नहि रहथि। भेल जे बादमे दुनूगोटे
संगे ओहि स्थानसभपर जाएब ।
ई बात सन् २०१२क
थिक। तकर एगारह सालक बाद १८अक्टुबर २०२३क हमदुनूगोटे हबाइ जहाजसँ अहमदाबाद बिदा
भेलहुँ। ताहि हेतु दूमास पहिनेसँ सभटा
योजना बनओने रही। गुगलपर बहुत जानकारी उपलव्ध भेल । अहमदाबादमे रहि रहल हमर एकटा
मित्र सेहो किछु जानकारी देलनि। हमरासभकेँ सोमनाथ आ द्वारकाधीश जेबाक मूल
कार्यक्रम छल। से कोना जाइ?
दिल्लीसँ द्वारकाक हेतु सप्ताहमे मात्र एकटा रेलगाड़ी अछि। ओ ट्रेन पहिनेसँ
भरल छल। बहुत दिन आगूओक टिकट नहि भेटि रहल छल। सोमनाथ वा द्वारकाधीशसँ सटले हबाइ
अड्डा नहि अछि। जामनगर,राजकोट वा अहमदाबाद तीनू हबाइ अड्डा द्वारकासँ
क्रमशः १४० किलोमीटर,२२५किलोमीटर,३८६किलोमीटर
फटकी अछि। तकर बाद ट्रेन,बस वा टैक्सीसँ जाए पड़त । बहुत
सोच-विचारक बाद हमसभ अहमदाबाद होइत जेबाक निर्णय केलहुँ। तकर एकटा कारण ईहो छल जे अहमदाबादमे केन्द्र
सरकारक अतिथिगृहमे रहबाक हेतु कोठरी भेटि जेबाक संभावना छल। हमसभ दिल्लीसँ
अहमदाबाद जेबाक १८ अक्टुबर २०२३क टिकट लए
लेलहुँ। वापसी सेहो अहमदाबादेसँ २८अक्टुबर २०२३क टिकट लए लेलहुँ । अहमदाबादसँ
सोमनाथ आ सोमनाथसँ द्वारकाधीश जेबाक योजना छल। तदनुसर हमसभ ओहिसभठाम पहुँचबाक हेतु
रेलक टिकट लेलहुँ । अहमदाबादसँ सोमनाथ जेबाक हेतु बहुत नीक ट्रेन ( सोमनाथ
एक्सप्रेस ) छैक । अहमदाबादमे मे ट्रेनमे
चढ़लाक बाद भोरे हमसभ सोमनाथ पहुँचि सकैत
छलहुँ । तहिना सोमनाथसँ द्वारकाधीशक हेतु ट्रेनक टिकट भेटि गेल। द्वारकाधीशसँ
अहमदाबाद जेबाक हेतु सेहो रेलमे आरक्षण करबा लेलहुँ । बस वा टैक्सी यात्रा करब
हमरा लोकनिकेँ पसिंद नहि भेल । ट्रेन बेसी
सुविधाजनक बुझाएल ।
रेल ,हबाइ
जहाजक टिकटक ओरिआन भए गेलाक बाद हमसभ ओहि स्थानसभपर रहबाक व्यवस्थामे लागि गेलहुँ।
अहमदाबादमे केन्द्र सरकारक होलीडे होम छैक। हमरा उम्मीद रहए जे ओहिमे जगह भेटि
जाएत। नियमानुसार सेवानिवृत्त लोकनि ४५दिन पहिने ओहिमे आनलाइन आरक्षण करबा सकैत
छथि। मुदा से भेल नहि। जहिए ओ खुजल ताहिसँ
पहिने ओ भरि चुकल छल। आब की कएल जाए? होटलसभ महग बुझाएल।
बारह साल पहिने सन्२०१२मे जे हम अहमदाबाद गेल रही तखन गुजरात सरकारक एकटा वरिष्ठ
अधिकारीसँ परिचय भेल रहए। हुनके अपन समस्या कहलिअनि। यद्यपि ओ पछिला साल
सेवानिवृत्त भए गेल छथि तथापि अहमदाबादक राजकीय अतिथिगृहमे हमरासभक रहबाक जोगार
करबा देलनि। अस्तु,अहमदाबादमे रहबाक समस्याक समाधान तँ भए
गेल। आब सोमनाथ आ द्वारकाधीशक व्यवस्था करबाक छल। गुगलपर बहुत खोज केलहुँ । ताहि
आधारपर सोमनाथमे सोमनाथ मंदिर ट्रस्टक वेब साइटक जनतब भेल । ओतहिसँ ट्रस्ट द्वारा
संचालित धर्मशालाक आनलाइन आरक्षणक जानकारी सेहो भेटल। हम तुरंत माहेश्वरी
धर्मशालामे तीनदिनक हेतु एकटा सूट ६००० रुपया भुगतान कए आरक्षित करबा लेलहुँ।
एहिमेसँ लगभग तेरहसँ रुपया बादमे वापसी काल हमरा वापस कए देल गेल ।
आब रहि गेल द्वारकाधीशमे
रहबाक समस्या। ओहिठामक मंदिर ट्रस्टक धर्मशालामे आनलाइन आरक्षण नहि होइत छैक। ओतए
पहुँचलाक बादे खाली रहलापर डेरा भेटि सकैत अछि। आर धर्मशालासभ आनलाइन देखाएल। मुदा
हमर एकटा मित्र इस्कान मंदिरक आवासमे जोगार करबाक परामर्श देलनि। गुगलक माध्यमसँ
ओहिठामक मोबाइल नंबर भेटल । मोबाइल नंबरपर फोन केलहुँ । फोन लागि गेल । ओ
जेना-जेना कहलाह से सभ करैत आनलाइन तीनदिनक ४५०० टाका जमा करा देलिऐक। तकर बाद
तीनदिनक हेतु एकटा कोठरी हमरासभक हेतु आरक्षित करबा देलनि आ ह्वाट्सप तकर पुष्टिओ
केलनि । एहि तरहेँ अहमदाबाद,सोमनाथ आ द्वारका तीनूठाम रहबाक
व्योंत सेहो भए गेल । आब ईश्वरसँ एतबे प्रार्थना रहए जे हमसभ शुभ-शुभ कए यात्रा
संपन्न कए ली,कोनो विघ्न-वाधा नहि
होअए। समय नीकसँ कटि जाए ।
१८ अक्टुबर
२०२३क भोरे पाँच बजे हम दुनू बेकती टैक्सीसँ दिल्ली हबाइ अड्डाक टर्मिनल तीन हेतु
बिदा भेलहुँ । एकदिन पहिने आनलाइन चेक इन करा चुकल रही। तकर प्रिंट आउट संगमे राखि
लेने रही। आधार कार्ड सेहो संगमे छलहे । भोरुका समय ,रोड
एकदम खालीए रहैक। हमसभ छओ बजे हबाइ अड्डा पहुँचि गेल रही। तकर बाद जल्दीए आवश्यक
जाँच-पड़तालक बाद हमरासभकेँ बत्तीस नंबर द्वारि लग जेबाक अनुमति भेटि गेल। हबाइ
जहाजकेँ उड़बामे अखन बहुत समय बाँचल रहैक। हमसभ चैनसँ ओतए चाह पीलहुँ आ प्रतीक्षा
करए लगलहुँ हबाइ जहाजमे बैसबाक । करीब घंटा भरि बैसलाक बाद लोकसभकेँ पाँतिमे आगू
ससरैत देखि हमहूँसभ ठाढ़ भए गेलहुँ । थोड़बे कालमे हम दुनू बेकती हबाइ जहाजमे
अपन-अपन सीटपर बैसि गेल रही। देखिते-देखिते जहाज भरि गेलैक। थोड़े कालक बाद ओ
गुड़गुड़ाए लगलैक। क्रमशः हबाइ जहाजक पहिआसभ पहिने अस्थिरे,फेर
तेजीसँ आगू बढ़ि रहल छल। हम बाहर देखैत रही कि ताबतेमे जहाज जमीन छोड़ि देलक,हुर्र दए अकासमे उड़ए लागल। दू सँ
तीन मिनटक भीतरे ओ ततेक ऊपर चलि गेल जे नीचाँक सभ किछु बहुत छोट-छोट देखाए लागल।
यात्रीसभ अपना-अपनामे मगन छलाह। हमहूँसभ आपसमे किछु-किछु बतिआइत रहलहुँ।
थोड़बे कालक बाद
जलखै परसल गेल,पानिक बोतल देल गेल। जलखै खतम कए हमसभ
पानि पीबिए रहल छलहुँ कि उद्घोषणा होमए लागल-
“हमसभ
दस मिनटमे अहमदाबाद पहुँचि रहल छी। ओहिठामक मौसम सामान्य अछि।”
आश्चर्यो भेल जे
कनीके काल पहिने तँ दिल्लीमे हबाइ जहाजपर चढ़ल रही । आब अहमदाबाद पहुँचिओ रहल छी।
इएह छैक हबाइ जहाजमे यात्रा करबाक फएदा। अहमदाबाद दिल्लीक तुलनामे बहुत छोट हबाइ
अड्डा छैक। हबाइ जहाजसँ उतरि हमसभ बसमे चढ़ि कनीके कालमे बेल्ट संख्या छओ लग
पहुँचि अपन-अपन बैग लेलहुँ आ हबाइ अड्डासँ शुभ-शुभ बाहर भए गेलहुँ । ओहिठामसँ ओलाक
टैक्सी आरक्षित केलहुँ आ आधा घंटासँ पहिने राजकीय अतिथि गृह पहुँचि गेलहुँ । हमरासभ
लेल कोठरी संख्या २०५ आरक्षित छल। ओहि कोठरीमे पहुँचि हमसभ बहुत आश्वस्त छलहुँ ,निश्चिन्तो
। कारण यात्राक पहिल चरण सफलतापूर्वक पूर्ण भेल आ हमसभ दिल्लीसँ अहमदाबाद अतिथिगृह
पहुँचि गेल रही। अतिथिगृहमे पहुँचितहि चारिकप चाहक आदेश फोनपर देलिऐक। ओ दोबारा
पुछलक-
“चारि
कप।”
हम कहलिऐक-
“हँ,हँ चारि कप।”
बात ई छैक जे
हमसभ दिनभरिमे एक्के बेर चाह पीबैत छी,भोरमे ,मुदा सामान्य चाहक कपक तुलनामे कैकगुणा बेसी चाह रहैत अछि। तेँ हम चारि कप
चाहक आदेश देलिऐक जाहिसँ कम सँ कम दोबर चाह तँ रहबे करत । अतिथिगृहमे चाह,जलखै आ भोजनक उत्तम
प्रबंध छल। बस समयपर आदेश दए दिऔक। से यदि नहि देबैक तखन चुकि जाएब । बड़काटा
छिपलीमे चाहसँ भरल चाहक केतली आ चारिटा खाली कप संगमे फराकसँ राखल चिन्नी। ईश्वरक
कृपासँ हमसभ चिन्नी सहित चाह पीबैत छी। तेँ आगूसँ चिन्नी पहिने मिला कए आनबाक हेतु
कहलिऐक । तेहन चाहक स्वाद बेसी नीक रहैत छैक । चाह पीलाक बाद हमसभ जलखैओ केलहुँ।
भोजनक आदेश सेहो दए देलिऐक आ निचेन भए शायिकापर पड़ि गेलहुँ , थोड़े काल विश्राम केलहुँ ।
एकबजेक आसपास
भोजन बनि जेबाक सूचना भेटल। ओ पुछलक-
“अपनेक
आज्ञा होअए तँ कोठरीएमे लेने आबी।”
“ठीक
छैक।”
थोड़बे कालमे
बड़का-बड़का थारमे भोजन लेने एकगोटे आबि गेल। थारीक आकार आ प्रकार तँ देखैत बनैत
छल। पर्याप्त मात्रामे भात,सोहारी ,कैकटा तरकारी राखल छल। संगमे छाछ तँ छलहे।
सौंसे गुजरातमे भोजनमे दूटा बात देखबामे आएल-एक तँ सभकिछुमे कनीमनी मिठ्ठ अबस्स
मिलाएल भेटत,दोसर छाछ अबस्स परसल जाएत । हमसभ कहबो केलिऐक –
“एतेक
तँ नहि खा सकब।”
“कोनो
बात नहि। जतबे खाएल होअए ततबे खाएब ।”
भोजन कए हमसभ
थोड़े काल विश्रामो केलहुँ । बाहर रौद बहुत करगर बुझाएल ।
“आब
की करी? अजुका दिन केमहर घुमी?”
“थोड़े
काल आर ठहरि जाइत छी। रौद कनी आर कमि जाइक।”-ओ कहलनि।
“ठीके
कहलहुँ।”
कनी कालक बाद
ओलाक टैक्सी आरक्षित कए हमसभ साबरमती आश्रम पहुँचलहुँ । साबरमती आश्रम हम एकबेर
पहिनहुँ गेल छी। तकर बहुत दिन भए गेलैक। तथापि बहुत किछु मोने छल। मुदा आश्रमक भितर
किछु-किछु बदलिओ गेल छल। मुख्यद्वारिसँ भितर होइते करीब पचास गोटे एक्केठाम ठाढ़
छलाह। एकटा गाइड हुनकासभकेँ अंग्रेजीमे किछु-किछु बता रहल छल। हम पता करबाक प्रयास
केलहुँ जे आखिर ओ छथि के?
आश्रम परिसरमे पुलिस से पर्याप्त मात्रामे छल । बादमे पता लागल जे
अहमदाबादमे जी ट्वेन्टी देशक प्रतिनिधिसभक बैसार आयोजित छैक। ओहीमेसँ कोनो देशक
प्रतिनिधि गांधी आश्रम देखबाक हेतु आएल छथि। हुनका संगे बहुत रास ताम-झाम छलनि ।
हमसभ ताबे दोसर दिस घुमबाक प्रयास केलहुँ । महात्मा गांधीक जीवनपर आधारित म्युजिअम
देखलहुँ । तरह-तरहक फोटोसभ बहुत व्यवस्थापूर्वक राखल छल। महात्मा गांधीक कोठरी,हुनकर पत्नीक कोठरी आ अतिथिलोकनिक हेतु एकटा कोठरी अगले-बगल अछि। बहुत
साधारण सुविधा ओहिमे छल। कनीके फटकी नान्हिटा कोठरी अछि जाहिमे संत विनोबा भावे दू
साल धरि रहैत छलाह । ई आश्रम साबरमती नदीसँ सटले अछि। आब तँ बीचमे देबाल बना देल
गेल अछि। अन्यथा पहिने ओहि नदीमे नीचाँ धरि गेल जा सकैत छल। आश्रम परिसरमे कान,मुँह,आ आँखि मुनने महात्मा गांधीक प्रसिद्ध बानरक तीनटा
मूर्ति से राखल छल। करीब एकघंटा धरि हमसभ ओतए रहलहुँ । विदेशी अतिथिसभ आब ऊपर आबि गेल रहथि आ हमसभ
बाहर द्वारि लग । साबरमती आश्रमसँ हमसभ साबरमती रीभर फ्रान्टपर बनल अटल ब्रिज देखबाक हेतु बिदा
भेलहुँ ।
साबरमती आश्रमक
हातासँ साबरमती नदीक हरिअर कंचन पानि देखैत बनैत अछि। पानिक हिलकोरसँ नदीक सुदंरता अनुपम भए जाइत छल।
हम बड़ीकाल धरि सोचैत रहि गेलहुँ जे किएक ने आर नदीसभक जल एहने पवित्र आ स्वच्छ
रहि पबैत अछि?जखन की सरकार एहि हेतु निरंतर प्रयत्नशील अछि। गंगा नदीक जे हालति अछि से
सभ जनैत छी। जमुना नदीक हालति सेहो तेहने अछि। सहरसभक सभटा नाला नदीएमे मिलैत अछि।
लोकसभ लास नदीमे फेकि दैत अछि। दुर्गापूजा,काली पूजा ,गणेश पूजाक बाद लाखोंक संख्यामे मूर्तिसभ नदीमे भसा देल जाइत अछि। परिणाम
सामने अछि। नदीसभक पानि विषाक्त भए गेल अछि।
अहमदाबादक
साबरमती नदीपर कतेको पुल बनल अछि जाहिमे अटल ब्रिज नामसँ प्रख्यात पुल वस्तुतः
बहुत मनोरम आ आकर्षक अछि। तीन सए मीटर नमगर ई पुल सहरक पूब आ पश्चिमी भागकेँ
जोड़ैत अछि। पुलक बीचमे भोजनक खोका बनल
अछि। पुलक बीच-बीचमे बैसबाक प्रबंध अछि। ओतए
बैसलाक बाद मधुर संगीत सुनाइत रहैत अछि। नीचाँ नदीक कलकल बहैत जल आ चारूकात पसरल
नदीक विस्तार देखि मोन होइत रहैत अछि जे ओतहि रहि जाइ। ओहिठाम फोटो खिचओलहुँ,अमुलक दोकानसँ कीनल गेल
लस्सी पीलहुँ । थोड़े काल ओहिपर घुमैत रहलहुँ । कैकटा नवविवाहित जोड़ासभ ओतए आबि रहल छलाह। क्रमशः भीड़ बढ़िते जा रहल
छल। आब हमसभ ओहिठामसँ निकलि पुलक पश्चिमी भागमे फ्लावर पार्क पहुँचलहुँ । नदीक
काते-काते बहुत दूर धरि बनल फ्लावर पार्कमे हजारों तरहक फूल देखबामे आएल । जतबा
घुमि सकलहुँ आगू बढ़ैत गेलहुँ । फेर ओही रस्ता बाटे वापसो भेलहुँ । फ्लावर पार्कसँ
निकलि हमसभ थोड़े काल सुस्तेलहुँ । तकर बाद टैक्सीसँ वापस अपन डेरा आबि गेलहुँ ।
काल्हि ओलासँ
टैक्सी आरक्षित कए हमसभ रिभरफ्रान्ट जाइत रही । टैक्सी बला लोकेसन देखि कए
हमरासभकेँ उतारि देलक। हम कहबो केलिऐक जे हमरासभकेँ तँ रिभर फ्रान्ट जेबाक छल।
“मुदा
अहाँक लोकेसन तँ एतुके आबि रहल अछि। कनीके फटकी रिभर फ्रान्ट छैक।”- हाथसँ इसारा कए देखओलक। हम ओकरा कहबो केलिऐक जे हमरासभकेँ ओहिठाम धरि
छोड़ि दिअए। मुदा ओ नहि मानलक। हमसभ की करितहुँ?टैक्सीसँ
उतरि गेलहुँ। भेल जे कनीके दूर छैक तँ पैरे-पैरे चलि जाइत छी। रिभर फ्रान्ट तँ नदीक
काते-काते बड़ी दूर धरि पसरल अछि। ओहिमे थोड़ेक-थोड़ेक दूरपर कैकटा पुल छैक। ओहीमे
सँ एकटा अटल ब्रिजक नामसँ जानल जाइत अछि। ओहिठाम जेबाक हेतु टिकट लेबए पड़ैत छैक।
लगेमे फ्लाबर पार्क सेहो छैक। तकरो टिकट लेबए पड़ैत छैक। टिकट घर धरि पैरे-पैरे जाइत-जाइत
हमसभ नीकसँ थाकि गेलहुँ। टिकट लेला बाद
हमसभ जखन अटल ब्रिजपर पहुँचि गेलहुँ तखन तँ सभ दुख बिला गेल। ओहिठामसँ हटबाक मोने
नहि होअए। साँझ पड़ि रहल छलैक। हमरासभकेँ फ्लाबर पार्क सेहो घुमबाक छल। तेँ
अछता-पछता कए अटल ब्रिजसँ ससरलहुँ । थोड़े काल फ्लाबर पार्कमे घुमलहुँ । तकर बाद
फेर ओलाक मारफत टैक्सी आरक्षित करओलहुँ । मुदा ओहिमे बहुत समय लागि गेल। अस्तु,निर्णय केलहुँ जे काल्हि भरिदिना टैक्सी राखब जाहिसँ बीच-बीचमे स्थान
परिवर्तनमे सुविधा रहत आ बेर-बेर टैक्सी आरक्षित करबाक आ तकर आगमनक प्रतीक्षा नहि
करए पड़त।
आइ अहमदाबादमे
हमरसभक दोसर दिन छल। हम आठ घंटाक हेतु उबेरक टैक्सी आरक्षित केने रही। लगभग नओ बजे
ओ आबि गेल। हमहूँसभ जलखै कए तैयारे रही। सभसँ पहिने गांधी नगर स्थित स्वामी नारायण मंदिर जेबाक विचार बनल। अहमदाबादसँ गांधी
नगार पचीस किलोमीटर फटकी अछि। रस्तामे तरह-तरहक चीज-वस्तुसभ देखबामे आएल। अदानी
समूहक मुख्यालय सेहो ओही मार्गमे देखाइत छल। ओना अहमदाबाद सहरमे कोनो बहुत आकर्षक स्थिति नहि बुझाएल। ओएह
पुरान-पुरान मकान आ दोकान,चारूकात गंदगी भरल । हमरा मोनमे रहए जे एतेक दिनक बाद अहमदाबाद दोबारा जा
रहल छी। बहुत किछु परिवर्तन भए गेल होएत। मुदा से सभ किछु नहि बुझाएल। गांधी नगर
पहुँचलाक बाद जरूर किछु बदललसन बुझाएल। साफ,स्वच्छ आ चाकर
रस्तासभ देखाएल। स्वामी नारायण मंदिर हमसभ
पहुँचलहुँ तखन ओ बाहरसँ बंदे छल। थोड़े काल प्रतीक्षा केलाक बाद मोबाइल जमा करबाक
हेतु गेलहुँ । संबंधित खिड़कीपर कैमरा दिस ताकू आ अहाँक आकृतिकेँ कैमरामे सुरक्षित
कए लेल जाएत। तकर बाद अहाँकेँ एकटा टोकन देल जाएत। टोकन लए कए ओएह आदमी वापसीमे
जाएत जाहिसँ कैमरा ओकरा चिन्हतैक आ तखने मोबाइल वापस कएल जाएत। एवम् प्रकारेण
मोबाइल बहुत सुरक्षित तरीकसँ राखल जाइत छल। आनो कैकठाम मोबाइल जमा करए पड़ल
छल.मुदा ककरो व्यवस्था एतेक नीक नहि रहैक।
स्वामी नारायण मंदिर गेलाक बाद हमसभ बहुत नीक जकाँ
मंदिरमे आरती होइत देखलहुँ । मंदिरक परिक्रमा केलहुँ ,लगीचेमे
मंदिर द्वारा संचालित दोकानमे किछु-किछु कीनलहुँ आ वापस फेर ओही खिड़कीपर आबि
गेलहुँ जतए मोबाइल जमा केने रही। बिना कोनो परेसानीकेँ मोबाइल वापस भेटि गेल। ओहिठामक
स्वामी नारायण मंदिर दिल्लीक अक्षरधाम मंदिरसँ
बहुत मिलैत अछि। अपितु,दिल्लीक अक्षरधाम बेसीए पैघ अछि। तेँ
हमरा लोकनिकेँ एहिठाम कोनो ततेक नबीनता नहि बुझाएल । हँ,
दर्शन जरूर बहुत सुविधासँ भए गेल। माहौल एकदम शांतिपूर्ण छल। कोनो प्रकारक असौकर्य
नहि छल।
स्वामी नारायण मंदिरसँ निकलि हमसभ वैष्णव देबीक
प्रतिकृत मंदिर पहुँचलहुँ । पता लागल जे बारह बजेसँ दर्शन प्रारंभ होएत। हमसभ
थोड़ेकाल ओतहि प्रतीक्षा केलहुँ । ओहिठाम कार्यरत प्रहरी तरह-तरहक कबाइत करैत रहैत
छल। हमरा लग आब कए कहैत अछि-
“कहने
छलहुँ जे पैताबा निकालि लिअ। एनामे अहाँ भितर नहि जा सकब। निकालू पैताबा ।” ककरो किछु ककरो किछु ओ बजिते रहैत छल। कैकगोटेसँ तँ झगड़ा सेहो करैत रहल।
लगैत छलैक जे सौंसे मंदिरक छार-भार ओकरे कप्पारपर छैक। बारह बजे लोकसभ पाँतिमे
लागि गेल। देखिते-देखिते लोक कतएसँ कतए पहुँचि गेल। हमसभ देखिते रहि गेलहुँ । ताबे
बेगुसरायक एकटा महिला मैथिलीमे बजैत देखेलीह। ओएह हमरा दुनू बेकतीकेँ अपना आगू
ठाढ़ होमए देलनि जाहिसँ हमसभ जल्दीए मंदिर लग पहुँचि सकलहुँ । मंदिरमे तँ ततेक
सुरंग बनल छल जे भेल जे जाने चलि जाएत। मुदा आब तँ ओहिमे पैसि गेल रही। वापसो नहि
भए सकैत छलहुँ। हमर श्रीमतीजी हमरासँ आगूए रहथि। जेना-तेना दर्शन कए हमसभ बाहर
निकललहुँ तखन जानमे जान आएल। केओ कहलक जे बूढ़सभक हेतु फराक रस्ता छैक। मुदा से
हमसभ नहि देखि सकलहुँ । ओहि सुरंगेमे गेलाक बाद हमर श्रीमतीजीक ठेहुन कचकि गेलनि,की भेलनि की नहि जे पछिला एक माससँ परेसानीमे छथि। अखनो इलाज चलिए रहल छनि।
एहिठामसँ निकलि
हमसभ पहुँचलहुँ कांकरिया ताल। ई अहमदाबादक
दोसर सभसँ पैघ ताल मानल जाइत अछि। एकर चारूकात
मनोरंजनक तरह-तरहक साधनसभ उपलव्ध अछि। एहिसँ सटले चिड़याखाना सेहो अछि।
एकटा आटोरिक्सामे हमसभ चिड़िया घर घुमलहुँ । संगे-संग तालक चारूकात सेहो घुमा
देलक। धिआ-पुतासभक हेतु तरह-तरहक खेलक सामग्रीसभ सेहो ओतए उपलव्ध अछि। एहिठामसँ
हमसभ रुड़ाबाइक बाबरी पहुँचलहुँ । कहल जाइत अछि जे बाघेला वंशक राजाराणा वीर सिंह छोटसन
हिंदू देश दंडई देश पर शासन करैत छलाह । ओ जनताक सुविधाक हेतु एकटा बाबरीक निर्माण
शुरु केलथि। मुदा किछु दिनक बाद हुनकर पड़ोसी मुसलमान राजा मोहम्मद बेगदा हुनकापर
आक्रमण कए देलक। ओ युद्धमे मारल गेलाह। हुनकर पत्नी रुडाबाइ बहुत सुंदर छलीह ।
मुसलमान राजा मोहम्मद बेगदा हुनकर
सुंदरतासँ मोहित भए बिआहक प्रस्ताव देलक । रानी रुडाबाइ कहलखिन जे यदि मोहम्मद
बेगदा बाबरीक काज पूरा करबा देथि तखन ओ हुनकासँ बिआह कए लेतीह। मोहम्मद बेगदा
तुरंत हुनकर बात मानि लेलनि । मुदा जखन ओ बाबरी तैयार भए गेल तँ रुडाबाइ ओकर
परिक्रमा केलनि आ ओहीमे कुदि कए प्राण दए देलथि। आब तँ ओ स्थान एकदम उजरल लगैत
अछि। भितरमे बहुत गंध करैत रहैत अछि । तेँ हमसभ बाहरे-बाहर देखलहुँ ,थोड़ेकाल
ओकर सीढ़ीपर बैसलहुँ आ बिदा भए गेलहुँ ।
अहमदाबादक स्थानीय
भ्रमण करबाक क्रममे हमसभ साइंस सीटी सेहो गेलहुँ । ओहिठाम फराक-फराक मंडपमे
वैज्ञानिक विषय वस्तुसभपर कार्यक्रम देखाएल जाइत अछि। द्वारिएपर टिकट भेटैत अछि।
टिकट लेलाक बाद ओ कार्यक्रम देखल जा सकैत अछि। साइंस सीटीमे भितरमे घुमबाक हेतु
वाहनक व्यवस्था अछि। ताहि हेतु फराकसँ टिकट लेबाक होइत अछि।
अहमदाबाद
प्रवासक दौरान हमसभ इसकानक मंदिर सेहो
गेलहुँ । ओतए छोटसन परिसरमे बहुत किछु देखल जा सकैत अछि। जलखै,भोजनक
उत्तम किंतु महग व्यवस्था अछि। भितरमे
प्रसाद कीनल जा सकैत अछि । बाहरसँ दुन्नासँ बेसी दामपर मधुर ओतए बेचल जाइत अछि।
बच्चाक लेल छोटसन खेलौना सेहो कीनलहुँ । भगवान कृष्णक वालरुपक छोटसन मूर्ति
कीनलहुँ । ओतए विदेशी भक्तसभ निरंतर कीर्तन करैत छलाह । एकदम भारतीय परिधान पहिरने
,पैरमे खराउँ धेने ओ सभ बहुत नीक लगैत छलाह। हमसभ ओतहि भोजन
केलहुँ । बहुत स्वादिष्ट मुदा महग भोजन छल । ओहिठामसँ हमसभ वापस अपन आवास आबि
गेलहुँ ।
साँझमे
हमरालोकनि सोमनाथ एक्सप्रेससँ अहमदाबादसँ सोमनाथ बिदा भेलहुँ । हमसभ वेरावल टीसनपर
भोरे पहुँचि गेल रही। ओहिठाम उतरितहि हमरासभकेँ एकटा कुली भेटि गेल। ओ बहुत आत्मीय
व्यवहार केलक । ओ लोको तेहने नीक छल। समान लए कए जखन ओ जा रहल छल तखन ओकर
प्रसन्नताक अन्ते नहि छल। जे केओ बीचमे भेटैत गेलैक,सभकेँ कहैत गेल जे
भगवान ओकर चाह-पानक जोगार कए देलनि। हमसभ ओकर प्रसन्नता आ संतोष देखि अभिभूत छलहुँ
। ओ अद्भुत आदमी छल, निरंतर प्रसन्न। उचित किराया लेलक आ
आरामसँ हमरासभकेँ आटो/टैक्सी स्टैंड धरि पहुँचा देलक । वेरावल
टीसनसँ बाहर होइतहि एकटा आटो ठीक भए गेल। दू सए टाकामे हमरासभकेँ सोमनाथ मंदिर
ट्रष्टक धर्मशाला पहुँचा देलक। बीचमे माछक दुर्गन्धसँ हुनका बहुत परेसानी भेलनि।
वेरावलमे माछक बहुत रास कारखाना अछि। समुद्रसँ पकड़ल गेल माछसभकेँ बाहर पठेबाक
हेतु ओतहि तैयार कएल जाइत अछि। नाक मुनैत-मुनैत आफद भए गेल छल। रस्तामे यत्र-तत्र
तरह-तरहक नाओसभ देखाइत रहल,अधिकांश टुटल-फुटल छल।
सात बजे भोरे
हमसभ माहेश्वरी धर्मशाला पहुँचि गेल रही। स्वागत खिड़कीपर बैसल एकगोटे आगन्तुकसभक
कागज-पत्तर देखैत छलाह। बहीमे नाम लिखैत छलाह। तकर बाद प्रतीक्षा करबाक हेतु कहि
दैत छलाह । ई बुझा गेल जे दस बजेसँ पहिने कोठरी नहि भेटत। ताबे प्रतीक्षा करबाक
हेतु आस-पासमे सोफासभ राखल छल। शौचालयक सुविधा सेहो छल। नीचाँ भोजनालयसँ चाह आनि
कए हमसभ चाह पीलहुँ। थोड़े काल ओतहि बैसल रहलहुँ । लोकसभ निरंतर अबैत-जाइत रहैत
छल। करीब एकघंटाक बाद हमरासभकेँ एकटा पुरजी भेटल। से लए कए मुख्यस्वागतकक्ष जेबाक
छल। ओहिठाम आवश्यक खानापुरीक बाद हमसभ वापस माहेश्वरी धर्मशालाक स्वागत कक्ष
पहुँचलहुँ । हमरासभकेँ कोठरी संख्या २०१ देल गेल। ओ स्वागत कक्षसँ सटले भूतलपर
अवस्थित छल। हमसभ ओहि कोठरीमे पहुँचि नित्यकर्मसँ निवृत्त भए सोमनाथ महादेवक दर्शन हेतु बिदा भेलहुँ ।
माहेश्वरी धर्मशालासँ सोमनाथ मंदिर लगीचे अछि। पैरे जा सकैत छलहुँ । मुदा धर्मशालाक
सामने आटो लागल छल। हमसभ ओहीसँ मंदिर दिस बिदा भेलहुँ । अहिल्याबाइ द्वारा निर्मित महादेवक मंदिर पहिने
आएल। हमसभ ओहिठाम बहुत आरामसँ दर्शन केलहुँ । महादेवपर दूध चढ़ओलहुँ । ओहि परिसरक
बीचमे अहिल्याबाइक मूर्ति स्थापित अछि। मुख्य सोमनाथ मंदिरकेँ ध्वस्त केलाक बहुत
सालक बाद अहिल्याबाइ एहि मंदिरक निर्माण करओने छलीह। एहिठाम नीकसँ महादेवक दर्शन
भए गेलाक बाद हमसभ सोमनाथक मुख्य मंदिर
दिस बिदा भेलहुँ ।
सोमनाथ मंदिरमे
दर्शनक ई विशेषता अछि जे ओ भोरे छओ बजे शुरु भए जाइत अछि आ रातिमे साढ़े नओबजे धरि
अनवरत चलैत रहैत अछि। सामान्यतः मंदिरसभ दुपहरिआमे बंद भए जाइत अछि तँ साँझमे पाँच
बजेक लगपासमे खुजैत अछि। मुदा से एहिठाम नहि होइत अछि। भोरे सात बजे,दुपहरिआमे
बारह बजे आ साँझमे सात बजे सोमनाथ महादेवक आरती होइत अछि। रातिमे पौने आठ बजे प्रकाश
एवम् ध्वनि कार्यक्रम सोमनाथ मंदिर परिसरमे होइत अछि।
सोमनाथ मंदिरक
परिसर बहुत पैघ अछि। बाहर सुरक्षाक बहुत उत्तम प्रबंध कएल गेल अछि। परिसरमे प्रवेश
करितहि फोटोग्राफरसभ घुमैत रहैत छथि। हमहूँसभ अपन फोटो घिचओलहुँ । तकर बाद मंदिर
दिस बढ़लहुँ । भितर जाइतहि जूता रखबाक उत्तम व्यवस्था कएल गेल अछि। जूता-चप्पल
दिऔक,एकटा टोकन भेटत । ओकरा सम्हारि कए राखि लिअ। वापसीमे टोकन देलापर तुरंत ओ
झोरा भेटि जाएत जाहिमे अहाँक जूता-चप्पल
राखल गेल छल। ई सेवा पूर्णतः निःशुल्क अछि। मुदा अहाँ स्वेच्छासँ चाही तँ किछु दैओ
सकैत छिअनि,से ओहिठाम कार्यरत कर्मचारी बेर-बेर बजितो रहैत
अछि।
ओहि दिन मंदिरमे
बेसी भीड़ नहि छल। भितर जेबासँ पूर्व पुरुष आ महिलाक फराक-फराक पाँति लगैत अछि। हम तँ भितर गेलहुँ ,दर्शन
केलहुँ आ तुरंते बाहर भए गेलहुँ । मुदा ओ कतहु देखेबे नहि करथि। थोड़े काल
एमहर-ओमहर तकैत रहलहुँ । कतहु नहि देखाथि । मंदिरक देबालसँ सटले समुद्र अछि। थोड़े
काल सएह देखैत रहलहुँ । तखनो ओ नहि भेटलथि। आब कनी चिंतो होमए लागल। की करी?
किछु फुरेबे नहि करए। कनी जोरसँ अबाज देलिऐक-
“केमहर
छी ऐ!”
ओ हमर अबाज
सुनलथि। असलमे ओ मंदिरेमे बैसि गेल रहथि। हमर अबाज सुनि बाहर अएलीह। हुनका देखि
बहुत निचेन भेलहुँ । प्रसाद खिड़कीसँ पर्याप्त मात्रामे प्रसाद लेलहुँ आ हमसभ वापस
आबि गेलहुँ । ताबे फोटोबला हमरसभक फोटो बना लेने छल। ओकरासँ फोटो लए हमसभ वापस अपन
डेरा दिस बिदा भेलहुँ। एतेक आरामसँ आ एतेक नीकसँ महादेवक दर्शन भए सकत से कल्पनो
नहि केने छलहुँ । मुदा से भेल। ताहि हेतु महादेवकेँ वारंवार धन्यवाद दैत रहलिअनि।
मंदिर परिसरसँ
सटले समुद्र आ ओहिमे उठैत पानिक तरंग दर्शनीय दृश्य उत्पन्न करैत छल। दूर-दूर धरि
कतहु किछु नहि देखाइत छल। बस पानिए-पानि। एकदिस समुद्रक विशालताक स्वाभाविक दर्शन आ
दोसर दिस हर हर महादेव! सँ निरंतर गुंजित भए रहल सोमनाथ महादेवक मंदिर। एहिसँ नीक स्वर्ग की भए
सकैत अछि?
सोमनाथ मंदिर
ट्रष्ट द्वारा संचालित माहेश्वरी धर्मशालामे कोठरी भेटि गेलाक बाद हमसभ बहुत
आश्वस्थ भेलहुँ । लगीचेमे बनल तहखानामे भोजनालय छल । ओहिठाम चाह,जलखै,आ भोजनक उत्तम प्रबंध छल। टाका दिऔ,चाह पीबु। तहिना
जलखै आ भोजनोक व्यवस्था छल। सोमनाथ महादेवक दर्शन भए गेलाक बाद हमसभ जलखै केलहुँ। तकर
बाद थोड़े काल आराम केलहुँ । बड़ीकालधरि सोमनाथक वारंबार भेल विध्वंश आ पुनर्निर्माणक गाथा मोनमे अबैत रहल । माहेश्वरी
धर्मशालाक सामनेमे मंदिर ट्रष्ट द्वारा स्थापित कएल गेल म्युजिअम अछि। ओहिमे पुरना
सोमनाथ मंदिरक भग्नावशेषसभ राखल अछि। किछु भग्नावशेष ओहि भवनक बाहर चहरदिबारीक
संगे राखल अछि। एहि भग्नावशेषकेँ देखि कए केओ दुखी भए सकैत अछि। कतेक निर्ममतासँ
अनेक बेर सोमनाथ मंदिरकेँ आक्रान्तासभ द्वारा तोड़ल गेल। तकर बाद फेर नव मंदिर
बनाओल गेल। एहि शृंखलामे ई सातम सोमनाथ मंदिर थिक । १२ नबंबर १९४७क दिन भारतक
तत्कालीन गृह मंत्री लौहपुरुष वल्लभभाइ पटेल अनेक गणमान्यलोकसभक संगे समुद्रजल
हाथमे लए संकल्प केलनि जे सोमनाथ मंदिरक पुनर्निर्माण कराओल जाएत । ताहि हेतु
सोमनाथ ट्रष्टक स्थापना कएल गेल। ८ मइ १९५०क महाराजा जामसाहेब श्री दिग्विजय संहजी
नव मंदिरक शिलान्यास केलथि। भारतक तत्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय राजेन्द्र प्रसाद
११ मइ १९५१क सोमनाथ महादेवक शिवलिंगक प्राणप्रतिष्ठा कएल गेल । जखन स्वर्गीय
मोरारजी भाइ देसाइ भारतक भूतपूर्वप्रधानमंत्री एहि ट्र्ष्टक अध्यक्ष रहथि तखन सोमनाथ
मंदिरक सभामंडप लग एकटा नृत्यमंदिरक निर्माण करेबाक निर्णय कएल गेल। आखिर
नृत्यमंडप बनि गेल। एहिमे १५५ फीट ऊँच सप्तभौम शिखर अछि। ओहिपर ३१फी१ ऊँच ध्वजदंड
अछि जाहिमे ५२ गजक कौशयध्वज फहराइत रहैत अछि। स्वर्गीय राजेन्द्र प्रसादजी
शिवलिंगक प्राणप्रतिष्ठा करैत काल कहने रहथि-
सोमनाथ मंदिर
डंकाक चोटपर कहैत अछि - “जकरा लेल
लोककक हृदयमे प्रेम भरल अछि तकरा दुनिआक कोनो शक्ति नष्ट नहि कए सकैत अछि। ई मंदिर
स्पष्ट संदेश दैत अछि जे संहार शक्तिसँ सर्जनात्मक शक्ति अधिक वलवान होइत अछि।”
कहल जाइत अछि जे
१०२५ई.मे जखन महमुद गजनी सोमनाथ मंदिरपर आक्रमण केलक आ एकरा नीकसँ ध्वस्त कए देलक
तखन भगवान सोमनाथ सौराठबासी भगीरथ दत्त शर्मा आ गंगादत्तशर्माकेँ सपना देलथि जे
ओसभ सोमनाथक लिंगकेँ लए जाथि। तकर बाद दुनू भाइ सोमनाथ गेलाह आ सोमनाथ महादेवक
लिंगकेँ उठा अनलनि । बहुत दिन धरि ओ सभ ओकरा नुका कए रखने रहलथि। बादमे ओकरा
स्थापित कएल गेल आ ओहिठाम आइ-काल्हि भव्य मंदिर बनल अछि।
दुपहरिआमे भोजनक
बाद चारि बजेसँ स्थानीय प्रमुख स्थानसभ घुमबाक इच्छा भेल । संयोगसँ बाहर निकलितहि
बाबूभाइ नामक आटोबला भेटि गेल। ओकरा संगे साढ़े सातसएपर लगपासक प्रमुख स्थानसभ
घुमबाक बात तय भेल। ओकरा लगमे एकटा स्थानसभक सूची रहैक । से देखओलक आ ओसभटा
स्थानसभ घुमाओत ,से कहलक। हमसभ ओकर बात मानि बिदा भेलहुँ । बाबूभाइ बहुत नीक व्यक्ति छल। ओकरा स्थानीय वस्तुसभक
बहुत जनतब छलैक। हमरासभकेँ एहिसँ बहुत मदति भेल। ओ एकटा गाइड जकाँ काज केलक । कतहु
पहुँचतहि हमरासभकेँ ओहिठामक इतिहास आ महत्वक बारेमे बतबैत। तकर बादे हमसभ आगू बढ़ितहुँ।
भगवान कृष्ण आ
महाभारतसँ जुड़ल बहुत रास घटनासभ सोमनाथ आ आसपासक स्थानमे देखबाक अवसर भेटैत अछि।
भगवान कृष्णकेँ जतए व्याधाक तीर लगलनि,जाहिठाम हुनकर अंतिम
संस्कार भेलनि,जतएसँ व्याधा हुनका तीर मारलक सभ ओहीठाम अछि।
बलरामक गुफा सेहो दर्शनीय अछि। कहल जाइत अछि जे बलराम एतहि शरीर त्याग केलथि। सोमनाथ
मंदिरसँ चारि किलोमिटर फटकी वेरावलमे
भालका तीर्थ नामसँ प्रख्यात मंदिर अछि। जरा नामक व्याधा हुनका हरिण बुझि कए
पैरमे तीर मारि देने छल। ओही तीरसँ हुनकर मृत्यु भए गेलनि। भगवान कृष्ण व्याधाक
तीर लगलाक बाद थोड़ेक फटकी जा कए अपन देह त्याग केलनि। कहल जाइत अछि जे भगवान
कृष्ण एतहि अंतिम साँस लेलथि।हिरण्या नदीक कातमे स्थित ओहि स्थानपर अर्जुन भगवान कृष्णक अंतिम संस्कार केने रहथि। भगवान
कृष्णक चरणपादुका ओतए राखल अछि। ओ स्थान गोलोक धामक नामसँ जानल जाइत अछि। समुद्रक
कछारपर भालका तीर्थसँ दू-तीन किलोमिटर
फटकी वाणगंगा अछि। ओहिठाम महादेवक दूटा लिंग स्थापित अछि। समुद्रमे जखन कम पानि
रहैत अछि तखन लोकसभ ओहि लिंग धरि जा सकैत अछि। अन्यथा फटकीएसँ महादेवकेँ गोर लागि
लैत अछि। कहल जाइत अछि जे जरा नामक व्याधा एहीठामसँ भगवान कृष्णक पैरक अंगुठाकेँ
मृग बुझि कए तीर चला देने छल। बादमे जखन ओ देखलक जे तीर भगवान कृष्णकेँ लागि गेलनि
अछि तखन तँ ओ बहुत अफसोच केलक,भगवानसँ क्षमा मांगलक। भगवान
कहलखिन-“ ई सभ हमर इच्छानुसारे भेल अछि। तेँ तूँ व्यर्थ
परेसान नहि रहह।”
सोमनाथ मंदिरसँ
चारि-पाँच किलोमीटर फटकी हिरन,कपिला आ सरस्वती नदीक संगम अछि। ई तीनू
नदी ओहिठाम अरब सागरमे मिलि जाइत अछि। ओ स्थान बहुत पवित्र मानल जाइत अछि। हमसभ
जखन ओहिठाम पहुँचलहुँ तखन एकटा बहुत पुरान
सहकर्मी देखेलथि। हमरा होअए जे हुनका देखने छिअनि। ओहो सएह सोचैत रहथि। आखिर ओएह टोकलथि
–“मिश्रा सर ।” हुनकर पति सेहो संगे
रहथिन। ओ सभ मूलतः केरलक बासी छथि। गृह मंत्रालयमे हमरासभक डेस्कमे काज केने रहथि।
हम जखन ओहिठाम पदस्थापित भेल रही तखन हुनकर बदली भए गेल रहनि । मुदा बीच-बीचमे
हुनका जरूरी काजसँ बजाओल जानि। हमसभ चारूगोटे संगे फोटो घिचओलहुँ । ओ सभ एकटा समूहमे घुमि रहल
छलाह । कैकठामसँ घुमैत-फिरैत सोमनाथो आएल रहथि। हम दुनू बेकती हुनकासभसँ बिदा लए
आगू बढ़लहुँ । तकर बाद राम मंदिर,गीता मंदिर,शारदा मठ,जगदगुरु शंकराचार्यक गद्दी,सूर्य मंदिर,हिंगलाज माताक गुफा,भिडभंजन महादेवक दर्शन सेहो बेरा-बेरी केलहुँ । रातिक शाढ़े सात बाजि रहल
छलैक। हमसभ थाकि गेल रही । आजुक घुमनाइओ पूर्ण भए चुकल छल। हमसभ वापस अपन डेरा आबि
गेलहुँ ।
आइ हमरसभक
सोमनाथमे तेसर दिन छल। रातिमे ट्रेनसँ द्वारकाक हेतु प्रस्थान करबाक छल। हमसभ
बाबूभाइ आटोबलासँ काल्हिए गप्प कए लेने रही । ओ हमरासभकेँ प्राची तीर्थस्थान लए
जेबाक हेतु नओ बजे आबि गेल। ओहिसँ पहिने हमसभ अहिल्याबाइक स्थापित शिवलिंगक फेर
दर्शन बहुत नीकसँ कए लेने रही। नित्य महादेवक दर्शनसँ हमसभ बहुत संतुष्ट रही । हमरासभ
लग समय छल। तेँ सोचलहुँ जे प्राचीतीर्थ घुमि आबि। कहल जाइत अछि जे एक बेर प्राची
सए बेर काशीक बरोबरि होइत अछि। सोमनाथसँ प्राची पचीस किलोमीटर अछि। आटोसँ जेबामे घंटा
भरि समय लागल होएत। रस्तामे कोनो एहन विशेष वस्तु नहि देखाएल। हमसभ प्राची पहुँचि
कए पिंडदान केलहुँ । पंडासभ बहुत नीक लोक बुझेलथि। जतबे देबनि से लए लेताह। कोनो
झंझटि नहि करताह। सरस्वती नदीक तीरपर अवस्थित प्राची तीर्थमे लगपासक लोकसभ अपन
पूर्वजक पिंडदान करैत छथि। कहल जाइत अछि जे भगवान कृष्ण सेहो अपन यदुवंशीसभक पिंडदान
एतहि केने रहथि। एहिठाम पूजा केलाक बाद लगीचेमे पीपड़ गाछलग बनल द्वारकाधीशक
प्रतिमाक दर्शन केलहुँ । तकर बाद ओहिठामसँ कनीक फटकी लक्ष्मीनारायण मंदिर गेलहुँ ।
वापसी यात्रामे थोड़ेकालक बाद नाथ संप्रदायक मंदिर आ धर्मशाला देखाएल। ओकर हालति
बहुत दयनीय छल। मकानसभ ढहि रहल छल। ओहिठाम रहि रहल मठाधीश जरूर अपना लेल बहुत नीक
पक्का घर बना लेने छलाह । ओहिठाम गेलाक बाद मोनमे कष्टे भए जाइत छैक जे एहन
ऐतिहासिक स्थानक एहन दुर्गति किएक भेल अछि? हमसभ ओहिठामसँ बिदा
भेलहुँ । फेर ओएह रस्ता ,ओएह खेत पथार। घंटा भरिक बाद भोजनक
समयमे हमसभ सोमनाथ मंदिरक माहेश्वरी धर्मशाला पहुँचि गेलहुँ ।
रातिमे एगारह
बजे वेरावल टीसनसँ हमरासभकेँ द्वारकाक हेतु प्रस्थान करबाक छल। साँझमे हमसभ अपन
चीज-वस्तुसभकेँ सरिआ लेलहुँ । धर्मशालाक भोजनालयमे भोजन कए लेलहुँ । धर्मशालाक
स्वागतीसँ एकटा टैक्सीबलाक फोन नंबर लेलहुँ । ओना बाबूभाइ आटोबला कहने रहए जे हमरा
फोन कए देब। हम वेरावल लए चलब। मुदा आटोसँ हमसभ जाए नहि चाही। कारण आटोमे माछक
दुर्गंध लगैत। ओ दर्गंध कैकबेर ततेक तीक्ष्ण होइत अछि जे रद्द भए सकैत अछि। ताहिसँ
बचबाक हेतु टैक्सीसँ जेबाक निर्णय केलहुँ। टैक्सीबला चारिसएमे टीसन पहुँचा देत ।
धर्मशालाक कोठरीक कुंजी स्वागतीकेँ सुंझा कए हमसभ दस बजेक आसपास टैक्सीसँ वेरावल
बिदा भेलहुँ। आधाघंटा बाद साढ़ेदस बजे हमसभ वेरावल टीसनपर पहुँचलहुँ। तुरंत एकटा
कुलीसँ दू सएमे बात ठीक भए गेल। हम सभ आब टीसन जेबाक हेतु तैयार रही कि देखैत छी
सामान ओएह कुली उठा रहल अछि जे हमरासभकेँ आबए काल भेटल रहए। असलमे हमरासभसँ जे बात
केलक से मात्र दलाल छल। ओ बादमे कुलीकेँ बजा अनलक। ओएह कुली हमरासभकेँ चिन्हलक।
मुदा एहिबेर पैसा केओ आर ठीक केने रहए। हमसभ ट्रेनमे पहुँचि कुलीकेँ दूसए टाका
देलिऐक । ओ बहुत नीकसँ हमरासभकेँ अभिवादन केलक, टाका लेलक आ चलि गेल ।
हमसभ अपन
स्थानपर बैसि गेल रही। थोड़बे कालमे ट्रेन खुजि गेल। भोरे सात बजे हमसभ द्वारका
टीसन पहुँचि गेल रही। टीसनपर ट्रेनसँ उतरैत काल एकटा बच्चा बड़ी जोर-जोरसँ चिकरि
रहल छल-“छुटि गेलथि,छुटि गेलथि।” सभक
ध्यान ओकरा दिस गेलैक। असलमे ओकर पिताजी ट्रेनेमे रहि गेल रहथि। ताबे ट्रेन खुजि
गेलैक। मुदा लोकसभ ट्रेनक गार्डकेँ इसारा केलक। ट्रेन प्लेटफार्मेपर रहए। गार्डक
आदेशपर ट्रेन रोकि देल गेल। ओकर पिताजी सामानसभक संगे उतरि सकलाह। हमहूँसभ
निश्चिन्त भए आगू बढ़लहुँ ।
द्वारका टीसनसँ
बाहर भेलाक बाद आटो /टैक्सी बलासभकेँ ताकि रहल छलहुँ । सभटा आटो धराधर भरि गेल। थोड़े कालक बाद
एकटा आटो बला आएल। हम ओकरा इसकान मंदिर चलबाक हेतु कहलिऐक। ओ तीनसए रुपया मंगलक।
हम तुरंत हँ कहि देलिऐक । हमरा ओहिठामक आटोक किरायाक सही अनुमान नहि रहए। बादमे
पता लागल जे टीसनसँ इसकान मंदिर किराया
पचास टाका मात्र हेबाक चाही,बहुत तँ एकसए। हमसभ इसकान
मंदिर पहुँचि गेल रही। ओहीठाम हमरसभक रहबाक आरक्षण रहए। बहुत कम जगहमे ओ मंदिर
परिसर अछि। मुदा ओहिठामसँ द्वारकाधीशक मंदिर मोसकिलसँ पाँच मिनटक रस्ता होएत।
आर-आर प्रमुख स्थानसभ सेहो लगीचे अछि। बजार सेहो लगीचेमे अछि। ताहि हिसाबे ओ स्थान
उत्तम अछि। हमसभ इसकानक स्वागत कक्ष लग गेलहुँ । अपन परिचय देलिऐक आ कोठरीक
आरक्षणक विवरण देलिऐक। तुरंत हमरा प्रथम तलपर कोठरी भेटि गेल। अपेक्षाकृत छोटसन
कोठरीमे एसी लागल छल,आर सुविधासभ सेहो छल। मुदा ओ कोठरी आ
मंदिरक देबाल एक्के छल। चारिबजे भोरे मंदिरमे आरती होइत छल,घड़ी-घंटा
बजैत छल। ताहि कारण हमरोसभक निन्न वाधित भए जाइत छल। तथापि हमसभ अनठा कए पड़ल रही।
ओतेक जल्दी उठिए कए की करितहुँ?थोड़बे कालक बाद केओ केबार
खटखटा रहल छल। आखिर केबार खोललहुँ। हमरा
देखिते ओ बाजल-
“अहाँ
उड़िआ नहि छी?”
“नहि, नहि।”
“गलती
भए गेल।”
एहिना दोसरो
राति भेल। असलमे बहुत रास उड़िआ तीर्थयात्रीसभ समूहमे आएल रहथि। ओ सभ भोरे
उठि-सुठि एक संगे कतहु बिदा होइत रहथि। हमरो ओ सभ उड़िआ बुझबाक गलती करथि। बगलमे
एकटा बड़ीटा धर्मशालामे लोकक हुजुम छल। महिलासभक हाथमे छोटसन झोरा आ पुरुखसभकेँ
पट्टी बान्हल छल। दुपहरिआमे ओ सभ भोजन कए रहल छल। हम पुछलिऐक-
“भंडारा
भए रहल छैक की?”
“नहि, नहि। ई तँ समूहमे घुमि रहल तीर्थयात्रीसभक हेतु अछि।”
“तकर
की पहिचान छैक?
“देखैत
नहि छिऐक? महिलासभक हाथमे झोरा आ पुरुषसभकेँ पट्टी बान्हल
छैक। इएह ओकरसभक पासपोर्ट बुझू । हमरा बड़ी जोरसँ हँसा गेल। बातो सही रहैक । सएसँ
बेसीए पुरुष-महिला ओहिठाम एहि पहिचानक संगे भोजन कए रहल छलाह। जाबे हमसभ इसकान
मंदिर परिसरमे रहलहुँ ताबे ई दृश्य देखबाक मौका भेटल। ओकरासभक रहबाक आ भोजनादिक व्यवस्था पहिनेसँ
इसकानक माध्यमसँ कएल गेल रहैक। एहि तरहेँ बहुत कम खर्चमे सएसँ बेसीए
तीर्थयात्रीसभ घुमि रहल छल।
हमसभ
नित्यकर्मसँ निवृत्त भए द्वारकाधीश मंदिर बिदा भेलहुँ । जकरे पुछिऐक सभ इएह कहए जे
मंदिर सटले अछि। एनाक जाउ,ओतए घुमि जाउ,तकर बाद कनीक बामा फेर दहिना दिस मुड़ि
जाएब ,बस मंदिरे लग पहुँचि जाएब। मुदा हमरा ई जिलेबी बला
रस्ताक अनुमान नहि लागए। कनीकाल चललाक बाद एकटा आटो भेटि गेल। ओ मंदिरक सामने धरि
पहुँचा देलक। मंदिर रहैक लगीचेमे । मुदा रस्ता टेढ़-मेढ़ । तेँ अनभुआरक हेतु
मोसकिल छल। मंदिर पहुँचलाक बाद हमसभ अपन जूता-चप्पल जमा केलहुँ । दर्शन नीकसँ आ
जल्दी भए जाए ताहि हेतु प्रयासरत रही कि एकटा बूढ़ पंडितजी भेटलाह । हम पुछलिअनि-
“अपने
कतेक लेबैक?”
“ओना
पाँच सए होइत छैक। मुदा अहाँ जे दए दी।”
“ठीक
छैक।”
हमसभ हुनका
पाछू-पाछू बिदा भेलहुँ । कनी काल आगू गेलाक बाद पुरुष आ महिलाक पाँति फराक-फराक भए
जाइत अछि। पंडितजी हमरा एकठाम ठाढ़ कए देलाह आ हमर श्रीमतीजीकेँ लेने गेलखिन। ओ
अपन जोगारसँ थोड़बे कालमे हुनका बहुत नीकसँ दर्शन करा देलखिन। तकर बाद ओ एकठाम
बैसि गेलीह। हम पंडितजीक संगे बिदा भेलहुँ । ओ पुलिसकेँ इसारा देलथि। बस काज भए
गेल। हमरा केओ नहि टोकलक आ तुरंत गर्भगृहक आगूमे पहुँचि गेलहुँ । बहुत नीकसँ दर्शन
केलहुँ । कोनो असुविधा नहि भेल। थोड़ेकालक बाद हम बाहर भेलहुँ। पंडितजी हमर
प्रतीक्षा कए रहल छलाह। तकर बाद हम दुनू बेकती एकठाम बैसलहुँ आ पंडितजी ओहि
मंदिरसँ जुड़ल बहुत रास खिस्सासभ सुनबैत रहलाह। चारूकात बनल छोट-छोट अनेक
मंदिरसभमे घुमओलाह। हुनकर व्यवहारसँ हमसभ बहुत प्रसन्न रही। हुनकर संगे रहलासँ
हमसभ द्वारकाधीशक दर्शन तँ केबे केलहुँ,ओहिठामसँ जुड़ल बहुत रास
जानकारी सेहो भेटल। मंदिरक ऊपर ध्वाजा दिनमे सात बेर बदलल जाइत अछि,तकरा हेतु लोकसभ मनता केने रहैत अछि,ओसभ ताहि हेतु लाखो
टाका खर्चा करैत अछि। असलमे हमसभ जखन ओहि परिसरेमे रही तखने मंदिरक धाजा बदलल जा
रहल छल। नीचाँ बहुत रास लोकसभ एक्के रंगक वस्त्र पहिरने ठाढ़ छलाह । ढोल-पिपही
बाजि रहल छल। भितरसँ पुजारीजी चिकरैत अएलाह-
“अहाँसभ
भितर चलू। समय भए गेल अछि।”
सभकेँ हकारि कए
ओ मंदिरमे लए गेलाह। कहाँ गेल पाँति आ लोकक भीड़?पंडितजीक अनुसार
द्वारकाधीशक मंदिर कृष्णक वंशज बनबओने रहथि।
एहि बातक सत्यताक बारेमे तँ किछु नहि कहल जा सकैत अछि मुदा ई तय अछि जे ई
मंदिर बहुत पुरान अछि। चारूधाममेसँ एकटा द्वारकाधीश सेहो मानल जाइत अछि। अनन्त
कालसँ लोकक श्रद्धाक केन्द्र रहल ई मंदिर निश्चित रूपसँ दर्शनीय अछि। मुदा एहिठाम
बहुत भीड़ रहैत अछि। विशेष दर्शनक किछु व्यवस्था अछि जरूर । मुदा ओ कतेक प्रभावी
अछि से नहि कहल जा सकैत अछि। मुदा हमरा पंडितजीक सहयोगसँ बहुत नीकसँ दर्शनो भेल आ
मंदिरसँ जुड़ल बहुत रास जनतब सेहो भेटल। हमसभ बिदा होइत काल हुनका पाँचसएक स्थानपर
एक हजार टाका देलिअनि। कहलिअनि-“ब्राह्मण भोजनोक हेतु दए रहल
छी।” ओ बहुत प्रसन्न भेलथि। फेर कहैत छथि-
“एहिमेसँ
दू सए टाका प्रहरीक हिस्सा देबए पड़त। हमरासभकेँ तँ नित्य ओकरासभसँ काज लेबाक रहैत
अछि।”
हम हुनका दूसए
टाका आर देलिअनि। हुनकर प्रसन्नताक अंते नहि छल। ओ हमरासभकेँ बाहर धरि अरिआति
देलाह। बीचमे हमसभ फोटो सेहो खिचओलहुँ। थोड़बे कालमे फोटो बनि कए आबि गेल। तकर बाद
हमसभ अपन डेरा वापस आबि गेलहुँ । डेरा वापस अएलाक बाद पता लागल जे हमरसभ जे फोटो
घिचओने छलहुँ से कतहु खसि पड़ल। आब की करितहुँ? अछता-पछता कए रहि गेलहुँ
। दुपहर बाद हमसभ एकटा टैक्सी केलहुँ जे हमरासभकेँ बेटद्वारका आ बीच-बीचमे पड़ैत
महत्वपूर्ण स्थानसभ लए जाएत । द्वारकासभ बेटद्वारका पचीस किलोमीटर फटकी अछि। बीचमे
हमसभ नागेन्द्र महादेव(जे द्वादश ज्योतिर्लिंगमे मानल जाइत छथि) दर्शन केलहुँ। हमसभ मंदिरक गर्भगृहमे जा कए पूजा-पाठ कए सकलहुँ। ताहि
हेतु धोती पहिरब अनिवार्य अछि। ओतहि बगलमे बहुत रास धोती राखल रहैत अछि। हमहूँ
ओतहि धोती पहिरलहुँ । तकर बाद ओहिठाम उपस्थित पंडितजीक सहयोगसँ पूजा केलहुँ ।
मंदिरमे भितरेमे प्रसाद बिकाइत रहैत अछि। सेहो कीनलहुँ ।
थोड़े कालक बाद हमसभ
गोपी तलाव पहुँचलहुँ। द्वारकासँ बीस किलोमीटर दूर बेटद्वारकासँ पहिने गोपी तलाव
अबैत अछि। कहल जाइत अछि जे भगवानक कृष्णक वृंदावनसँ द्वारका आबि गेलाक बाद गोपीसभ
एकबेर एतहि भगवानक दर्शन केलथि आ एतुके माटिमे समाहित भए गेलथि। तेँ एहिठामक माटि
बहुत पवित्र मानल जाइत अछि आ गोपी चंदनक नामसँ जानल जाइत अछि। गोपी तलावसँ जल्दीए
निकलि कए हमसभ बेट द्वारका दिस आगू बढ़लहुँ । बेटद्वारका समुद्रमे एकटा छोटसन टापू
अछि। कहल जाइत अछि जे द्वारकाधीशक राजधानी एतहि छल जे बादमे समुद्रमे मिलि गेल।
बेटद्वारका जेबाक हेतु लगभग बीस मिनट अरब सागरमे जहाजपर जेबाक होइत छैक। हमसभ
वापसी टिकट सेहो लए लेने रही। जहाजपर बैसले छलहुँ कि ओ खुजि गेल। समुद्रक मनोरम
दृश्य देखैत,ओकर मोबाइलसँ फोटो घिचैत हमसभ थोड़बे कालमे बेटद्वारका पहुँचि गेलहुँ। पुल
पार होइतहि एकटा आटोबलासँ भेंट भेल। ओ हमरासभकेँ बेट द्वारकाक प्रमुख स्थानसभ घुमा
देत। से तय भेलाक बाद सभसँ पहिने हमसभ बेटद्वारका मंदिर गेलहुँ । ओहिठाम एकटा
पंडितजीक सहयोग लेलहुँ जाहिसँ बहुत आसानीसँ दर्शन भए गेल। संगे मंदिरसँ जुड़ल बहुत रास जानकारी ओ हमरा देलाह। सुदामा मंदिरमे दर्शन केलाक बाद खुद्दी प्रसादक रुपमे
भेटैत छैक। कृष्ण-सुदामाक भेंट कहाँदनि ओतहि भेल रहनि।
द्वारकाधीशक मंदिरसँ निकलि हमसभ आटोसँ ओहि
टापूपर बहुत दूर धरि गेलहुँ । तखन किछु मंदिरसभ भेटल। हनुमानजीक पुत्र मकरध्वजक
नामपर ओतए मंदिर अछि,ताहिमे दर्शन केलहुँ। एकटा आर मंदिरमे गेलहुँ । तकर बाद साँझ पड़ल जा रहल
छल। हमसभ जल्दीए वापस भए गेलहुँ । बेटद्वारकामे जहाज लागले छल। जल्दीए जहाजपर चढ़ि
गेलहुँ जाहिसँ बहुत समय बाँचि गेल। बीस मिनटक बाद हमसभ जहाजसँ ओहिपार पहुँचि गेल
रही । फेर टैक्सीसँ वापस द्वारका बिदा भेलहुँ । बीचमे रुक्मिणी मंदिरमे सेहो दस
मिनट ठहरलहुँ । ओतए आरती भए रहल छल। कनीके आर देरी होइत तखन ओहिठाम दर्शन नहि भए
पबैत। मंदिर बहुत भव्य अछि। ओहिठामसँ सोझे अपन डेरापर पहुँचि गेलहुँ । हमसभ लगभग दू बजे द्वारकासँ टैक्सीसँ बेटद्वारका
बिदा भेल रही। साढ़े छओ घंटाक बाद ई यात्रा पूर्ण कए हमसभ वापस अपन डेरा आएल रही। भरिदिनक दौरा-दौरीमे हमसभ नीकसँ थाकि गेल रही।
तेँ शीघ्र भोजन कए विश्राममे चलि गेलहुँ।
आइ हमरसभक
द्वारकामे दोसर दिन छल। काल्हि हमसभ बेटद्वारका आ अन्य प्रमुख स्थानसभ देखि आएल
रही। प्रातभेने हमसभ जल्दीसँ तैयार भए
आटोसँ स्थानीय प्रमुख स्थानसभ देखबाक हेतु बिदा भेलहुँ । लगपासमे प्रमुख स्थानसभ
देखबाक हेतु एकटा आटो ठीक केलहुँ । घुमैत-घुमैत हमसभ नर्मदा घाट पहुँचलहुँ। एतहि
नर्मदा नदी आरब सागरमे मिलैत छथि। नर्मदा नदीक छप्पनटा घाट टपलाक बाद द्वारकाधीश
मंदिर पड़ैत अछि । एतए स्नान केलाक बाद तीर्थयात्री द्वारकाधीश मंदिरमे दर्शन करैत
छथि । एहि नदीमे नहाएब बहुत पुण्यक बात मानल जाइत अछि । बिरला परिवार द्वारा निर्मित गीता मंदिर हालति
बहुत खराप बुझाएल। एतबा धरि जे ओकर बीचमे एकटा कुकुर सुतल रहए। केओ देखनाहर नहि।
ओहिठाम यात्री रहबाक हेतु धर्मशाला सेहो बनल अछि। धर्मशालामे तँ लोकसभ बुझाएल।
मुदा गीतामंदिरक एहन हालति किएक अछि से नहि कहि सकैत छी? आटो चालक कहैत रहए जे किछुसाल पूर्वधरि एहिठामक स्थिति बहुत नीक छल। हमसभ
एहिठामसँ निकलि ब्रह्मकुमारीक मंदिर गेलहुँ । बहुत नीक व्यवस्था बुझाएल । रहबाक
हेतु धर्मशाला सेहो छल। एहिठामसँ निकलि हमसभ आटोमे बैसए जा रहल छलहुँ । हमर
श्रीमतीजी आगू छलीह। ओ आगू बढ़लीह कि माथ आटोक लोहाक छरसँ टकरा गेलनि। अनचोकेमे
बहुत जोर चोट लागि गेलनि। हम पाछूए रही। मुदा किछु नहि कए सकलहुँ। सोचिए नहि
सकलिऐक जे एहनो भए जेतैक। थोड़े काल धरि एहीबातपर अफसोच करैत रहलहुँ । क्रमशः हुनकर
चोटक दर्द कम होइत गेलनि। तकर बाद हमसभ पहुँचलहुँ बड़केश्वर महादेव। समुद्रक कातमे
स्थापित विशालकाय शिवलिंगक दर्शन केलहुँ । समुद्रमे पानि बढ़ि गेलाक बाद ई शिवलिंग
डुबि जाइत अछि। कहल जाइत अछि जे समुद्रेक पानिसँ हुनकर जलाभिषेक होइत छनि। तकर बाद
हमसभ गायत्री मंदिर पहुँचलहुँ। समुद्रक कातमे स्थापित ई मंदिर बहुत स्वच्छ बुझाएल।
लगीचेमे गायत्री ट्रष्ट द्वारा संचालित धर्मशाला सेहो अछि। हमसभ भद्रकालीमाता
मंदिर,स्वामी नारायण मंदिर आ सिद्धेश्वर महादेव मंदिर सेहो
गेलहुँ आ बहुत नीकसँ दर्शन कए सकलहुँ। एहि तरहेँ लगपासक प्रमुख मंदिरसभमे दर्शन
केलाक बाद हमसभ अपन बासापर इसकान मंदिर परिसरमे पहुँचि गेलहुँ । भोजनक बाद थोड़े
काल विश्राम केलहुँ ।
हमरासभ लग किछु
समय बाँचल छल। विचार भेल जे एकबेर फेर द्वारकाधीशक दर्शन कएल जाए। हमसभ पंडितजीकेँ
फोन केलिअनि। ओ साढ़ेपाँच बजे अएबाक हेतु कहलाह। हमसभ किछु एहिने ओतए पहुँचि गेल
रही। मोन भेल जे किएक ने फोटोक खोज कएल जाए। कनीके फटकी एकटा दोकानमे हमसभ अपन
सामानसभ सरिऔने रही। ओहिठाम पहुँचि जहाँ फोटोक चर्चा केलहुँ कि ओ धर दए फोटो आगूमे
राखि देलक। कहलक-“हम काल्हिएसँ अहाँक बाट ताकि रहल छलहुँ। फोटो एतहि नीचाँमे खसि गेल रहए।” कहि नहि सकैत छी जे हमसभ फोटो पाबि कतेक प्रसन्न भेल रही। लागल रहए जेना
बहुत मूल्यवान वस्तु वापस भेटि गेल होअए। पंडितजी आबि गेल रहथि। फेर हुनके जोगारसँ
हमसभ जल्दीए दर्शन कए लेलहुँ । हुनका पाँचसए टाका देलिअनि। ओ सहर्ष टाका राखि लेलाह । हमरासभकेँ बहुत आशीर्वाद
देलाह। हमसभ दर्शनक बाद वापस अपन डेरापर आबि गेलहुँ । मोनमे बहुत संतुष्टिक भाव
छल। सभसँ नीक बात ई भेल जे हमसभ बहुत नीकसँ द्वारकाधीश भगवानक दर्शन दू-दू बेर कए
सकलहुँ । एहि हेतु भगवान द्वारकाधीशकेँ असीम कृपा कहबाक चाही।
अगिला दिन एगारह
बजे हमरासभकेँ वापसी ट्रेन अहमदाबादक हेतु पकड़बाक छल। तदनुसार हमसभ अपन सामानसभ
व्यवस्थित कए लेलहुँ । प्रातभेने लगभग दसबजे हमसभ इस्कान मंदिर अतिथिगृहकेँ छोड़ि
आटोसँ द्वारका टीसन बिदा भए गेलहुँ । ओहिठामसँ टीसन लगीचे अछि । तेँ थोड़बे कालमे
हमसभ टीसन पहुँचि गेलहुँ । सही समयपर ट्रेन आबि गेल आ हमसभ मोने-मोन भगवान
द्वारकाधीशकेँ गोहरबैत अहमदाबादक वापसी यात्रापर बिदा भेलहुँ । दिनक यात्रा छलैक।
तेँ ट्रेनक बाहरक दृश्य देखैत रहलहुँ,ट्रेन आगू बढ़ैत रहल।
आखिर साढ़े आठ बजे रातिमे हमसभ अहमदाबाद वापस आबि गेलहुँ ।
हमसभ एकबेर फेर
सरकारी अतिथिगृह पहुँचि गेलहुँ । ओहिठाम एकदिन पूर्ण विश्रामक बाद दोसरदिन भोरे
पाँचबजे हबाइ अड्डा बिदा भेलहुँ । दस बजैत-बजैत तँ हमसभ दिल्ली हबाइ हड्डापर
जहाजसँ उतरैत रही। एवम् प्रकारेँ अहमदाबाद,सोमनाथ
आ द्वारकाधीशक दस दिनक हमरासभक यात्रा नीकसँ संपन्न भेल।
रबीन्द्र
नारायण मिश्र
1.12.2023
m-9968502767
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विस्तृत वर्णन। कोन ठाम यात्रा मे केहन पराभव होछ, इहो बुझब आवश्यक। भीड़, संकीर्ण आ लंबा प्रवेश मार्ग मे बहुतो सिनियर सिटिजनक प्राण अवग्रह भ जाइत छनि। ई सूचना अत्यंत उपयोगी।
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