मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

रविवार, 11 जून 2023

सन् २०१८मे प्रकाशित हमर मैथिली उपन्यास महराज(ISBN: 978-93-5321-395-4)क हमर ब्लाग स्वान्तः सुखायपर धारावाहिक पुनर्प्रकाशन (भाग छब्बीस सँ चौतीस धरि)


 

२६

 

आपसी विचार-विमर्षक वाद महराज अपन सिपहसलारसभक संगे इलाज करबाक हेतु लंदन जेबाक हेतु बिदा भेलाह। ताहि हेतु एकटा विशेष वायुयानक व्यवस्था कएल गेल। संगमे के के जेताह? एहि विषयमे कतेको दिन घमरथन होइत रहल। महराजक अनुपस्थितिमे केओ तँ चाही जे राज-काज चलैत रहए। ताहि हेतु रानी साहिबा एतहिं रहि गेलीह। हुनकर सहयाता हेतु राजमंत्रीकेँ रहब जरूरी छल, से ओहो रहि गेलाह।

महराजी भगताक ओहिठाम कोन काज?तखन जेताह के सभ? असलमे जेबाक मोन तँ सभके रहैक। इलाजक नामपर मोफतमे लंदन भ्रमण भए जाइत। राजवैद्य, राजपंडितक अतिरिक्त बीस गोटे आओर महराजक सहायताक हेतु बिदा भेलाह। हुनकासभकेँ लंदनमे रहबाक हेतु होटलमे व्यवस्था कएल गेल। महराज अपने खास-खास लोकक संगे अस्पतालेमे रहताह। राजपंडितसँ दिन तका कए सभगोटे शुभ-शुभ कए लंदन बिदा भेलाह। कनीके कालमे विशेष विमान राजपुरा हबाइअड्डासँ उड़ि गेल। सभगोटे बजलाह- जय गणेश!”

जहाजपर बैसि  अपन राज-पाटपर सँ उड़ैत काल महराजक मोनमे कतेको तरहक प्रश्न उठि रहल छल। पानिमे दहाइत फूसक घरसभ की हमरे लोकक अछि? बाढ़िसँ दहाएल कोशीकातक लोक बान्हपर बैसल चिड़ै सन लगैत छल। महराजक मोनमे कैक बेर आत्मग्लानि होइत छलनि। महराजी हातासँ बाहरक भयाओन दृश्य देखि ओ चिंतामग्न रहथि। हुनकर आत्मा कैक बेर पुछलक-

हे प्रजापालक! की देखि रहल छी? ई अहींक लोकवेद छथि, विपन्न, अशिक्षित,.. 'मोने-मोन कहलथि- हमर दुर्भाग्य, आओर की भए सकैत अछि?ताबतेमे कोनो गामसँ विद्यापतिक गीतक मधुर संगीतपर नचैत-गबैत लोकसभ देखेलनि। एहनो हालतिमे ई लोकनि अपन संस्कार-संस्कृतिसँ कतेक सिनेह करैत छथि? मोनमे बहुत बातसभ अएलनि। हमर लोकसभक जीवन यात्रा ठमकि गेल ताहि हेतु हमही जिम्मेवार छी। एहि तरहेँ महराजक आत्मा ओ देहमे जबरदस्त संघर्ष बजड़ि गेल। इएह सभ सोचैत-सोचैत आँखि लागि गेलनि। जहाज तेजीसँ मिथिलांचलसँ आगू वढ़ि गेल।

हबाइ जहाज राजपुराक सीमासँ वाहर भेले छल कि चमत्कार भेल। महराज अपनेसँ उठि कए जहाजमे लघुशङ्का करए गेलाह। ओतएसँ आवि कए अपनेसँ बैसिओ गेलाह। ई तँ कमाल भए गेल?" -महराजी बैद बजलाह।"

जे भेल से भेल बेसी हल्ला नहि करू। महराजक मोनक कोन ठेकान? कहीं उल्टे ने पड़ि जाए" -राजपंडित बजलाह। महराज तँ एकदम स्वस्थ लगैत छलाह। सभसँ गप्प-सप्प करए लगलाह। ईहो पुछलखिन-

"हमसभ कतए जा रहल छी?"

"लंदन जा रहल छी श्री मान !" -राजबैद बजलाह।

किएक?" -महराज पुछलखिन। आब के उत्तर देत? राजमंत्री छलाह नहि । आओर लोकसभ महराजसँ धखाइत छलाह।

ताबतेमे महराज ठहाका पाड़लाह। हुनका संग दैत तमाम सिपहसलारसभ सेहो हँसल।

"हमसभ कतए जा रहल छी?" -महराज फेर पुछलखिन।

"लंदन सरकार!" राजबैद बजलाह।

"किएक? ओतए कोनो बैसार अछि की?" -महराज पुछलखिन।

आब की होएत?सभ परेसान छलाह। ताबे रानीक फोन अएलनि। ओना जहाजपर फोन करब उचित नहि तथापि चालकदल एकर ओरिआन केलथि जाहिसँ मामिला सम्हरि जाए।

"कोना छी?-रानी पुछलखिन।

"किएक? हमरा की भेल अछि? हम तँ केहन बढ़िआ छी?"

"अच्छा, एहिसँ नीक की भए सकैत अछि?"

"तखन लंदन किएक जा रहल छी? घुरि आउ।"

"नहि, नहि किछु दिन रहिए कए लौटनाइ ठीक होएत। जहाज लंदन पहुँचए वला अछि।"

"बादमे गप्प करब।"- फोन कटि गेल।q

२७

 

ओमहर महराज इलाजक हेतु लंदन गेलाह आ एमहर रानी मौज-मस्तीमे लागि गेलीह। जहिआसँ हरि राजमंत्री बनलाह तहिआसँ हुनकर बेसी समय रनिबासेमे बितैत छल। करितथि की?रानीकेँ अवहेलना करक परिणाम जनैत छलाह। फेर ओहो कोनो लोहाक बनल तँ नहि छलाह। रानी देखबामे अद्भुत सुन्दरि रहथि। गोर-नार बेस नमहर।

तहिना राजमंत्री सेहो बेजोड़ छलाह। नमगर-पोरगर,गोर-नार, ककरो देखि कए मोन होइतैक जे देखितहि रही। तेँ पहिने दिनसँ रानीक ध्यान हुनकापर अटकि गेलनि। कोनो-ने-कोनो काजक बहन्ना बना हुनका अपन बासामे बजा लितथि। बहुत मोसकिलसँ राजमंत्री ओहिठामसँ निकलबाक जोगार करथि। मोनमे हरदम अदंक रहैत छलनि जे यदि महराजक जासूस उल्टा-पुल्टा हुनका कहि देलक तँ गेल महिस पानिमे पड़रू समेत। मुदा रानीकेँ कथुक डर-भर नहि रहनि। ओ निधोख राजमंत्रीक संग रंग-रभसमे लागल रहैत छलीह। ई समस्या क्रमशः बढ़िते गेल।

ओना एहन घटनासभ घटित होएत से ओ कहिओ नहि सोचने रहथि। मुदा से भए रहल छनि। रानीक राजमंत्रीक प्रति आकर्षण बढ़िते जा रहल छलनि। राजमंत्री कैक बेर गोहार लगओलथि जे हुनका बकसि देल जाए, मुदा रानी आओर जोर-सोरसँ हुनका धेने चलि गेलीह। राजमंत्री सोचथि जे हुनकर तँ भगवाने मालिक। जहिए महराजकेँ पता लगलनि तहिए हुनकर प्राणहन्त कए देताह। एक राति रानीसँ कहलखिन- आब हमरा एहिठामसँ छुट्टी देल जाए।"

रानी बिगड़ि गेलखिन। कैक दिन गप्प नहि केलखिन। राजमंत्री बेस मोसकिलमे पड़ि गेलाह। एहि कात खधिआ तँ ओहि कात खत्ता। केमहर जाथि। सोचलाह- जखन जान जेबेक अछि तँ एहिना भोग-विलासकरिते चलि जाइ, सएह नीक। फेर अपन हाथमे अछिए की?" जहिआसँ महराज लंदन गेलाह तहिआसँ रानी आओर बिरदावन भाजए लगलीह। राजमंत्रीक चौबीस घंटा रनिबासेमे रहए पड़नि। कनिको काल यदि एमहर-ओमहर भेलाह कि तुरंत बजाहटि भए जानि। कहबी छैक खैर खून खासी खसी, बैर प्रिति मधुपान

रहिमन ये सब ना छुपे जाने सकल जहान।।

गाहे-बगाहे ई बात गल-गलाए लागल। चौकीदारसभ साकंक्ष भए गेल। जासूससभमे सहो एहि बातक चर्च होमए लागल जे किछु-ने-किछु गड़बड़ अछि। मुदा रानीक बात छल। बिलाड़िक गलामे घंटी बान्हत के?फेर महराजो तँ छलाह सएह। अपने कतेको रानी-पटरानी आ की-की ने रखने छलाह। ऊपरसँ दिन-राति पीने बुत्त रहैत छलाह। होस रहितनि तखनने किछु केओ कानोमे दितनि। आ कानमे देने की होइतैक? भए सकैए उल्टे कहीं फाँसी ने चढ़ि जाए। तेँ जतहि जे देखलक, सुनलक तकरा ततहि झपने रहल।

रानीक प्रेम प्रसंग करमान चढ़ैत गेल। राजमंत्रीक रनिबासमे आवागमन बढ़िते गेल। एकराति राजमंत्री रानीकेँ कहलखिन- हमरा अपन भातिजसभक उपनयनमे गाम जेबाक अछि।"

"जेबाक कोन काज छैक, जे चीज-वस्तु पठेबाक मोन हो से पठा दिऔक।"

"एहनो कहीं भेलैक अछि? हमरासभ बारि देत। जेबै कोना नहि?"

"कहिआ छैक उपनयन?"

"एखन दस दिन बाँकी छैक। मुदा आर-आर विधसभ होइत रहैत छैक। तेँ हम सोचैत छी जे जतेक जल्दी होइक ओतए पहुँचि जाइ।"

रानी हँसए लगलखिन आ कहलखिन-लगैए अहाँकेँ हम पसिंद नहि छी।"

"एहनो कतहुँ भेलैक अछि। मुदा..."

"मुदा की? फरिछा कए बाजु।"

"यदि महराजकेँ पता लगलनि तँ हम गेल घर छी?"

एतेक नहि डराउ। गाम जाउ मुदा जल्दीए चलि आएब।"

"जे अहाँक आज्ञा।"

रानी राजमंत्रीकेँ नानाप्रकारक गहना, चीज वस्तुसँ भरि देलखिन। गाममे जखन ओ उपहार अपन भौजीकेँ देलखिन तँ ओ देखितहि रहि गेलीह।

२८

 

महाजक जहाज लंदन पहुँचए वला छल। जकर इलाज करेबाक हेतु एतेक  लोकसभ चलल छल सएह दन-दन कए रहल छलाह। से देखि सिपहसलारसभ उदास रहथि। मुदा राजबैद सम्हारलनि॒-

"महराजक हालतिमे सुधार अवश्य छनि मुदा ई जानब जरूरी अछि जे आखिर एना भेलैक किएक? आ की पता फेरो ने एहन भए जाए। कहीं हमसभ वापस राजपुरा चलि जाइ आ ओहिठाम फेर ओएह हाल ने भए जाइक। राजबैदक बातसभकेँ पसिंद पड़लनि। महराज स्वयं झट दए किछु निर्णय लेबाक अभ्यस्त नहि रहथि। हुनका तँ चाही राजमंत्रीक सलाह। से राजमंत्री लगमे रहथिन नहि। राजमंत्रीकेँ वारंबार फोन जाए लगलनि। ताबे ओ अपन गाम भातिजक उपनयनमे सामिल हेबाक हेतु चलि गेल छलाह। कैक बेर फोन लगबो नहि करैक मुदा महराजकेँ शङ्का होमए लगलनि जे राजमंत्री हुनकर फोनकेँ जानि कए टरका रहल छथि। किछु-किछु आओर शङ्का तँ पहिने सँ रहबे करनि।

महराजकेँ नीक अस्पतालमे भर्ती कराओल गेल। डाक्टरसभकेँ कतहु कोनो गड़बड़ी नहि भेटि रहल छलैक तथापि राजबैद कहलखिन जे किछु दिन हिनका जाँच-पड़तालमे राखल जाए जाहिसँ पता तँ लागैक जे एना भेलैक किएक?" सएह भेल। महराज अस्पतालमे भर्ती भए गेलाह। हुनकर सिपहसलारसभ होटलमे ठहरलथि। महराज रहितथि तँ कनी-मनी संकोचो रहितैक। सभ निश्चिन्त भए दिन-राति जे-जे मोन होइत छल करैत छल। महराज बेचारे छटपट करथि जे कखन अस्पतालसँ हटि कए होटलमे जाइ आ आनंद मनाबी।

भोरे जखन डाक्टरसभ हुनका देखए आएल तँ कहलखिन- "हमरा एहिठाम मोन नहि लागि रहल अछि।

की हम होटलेसँ इलाज करा सकैत छी?”

ओसभ तँ चाहिते रहए सएह। कहलक- किएक ने?" महराज ओहिठामसँ फारकती भेटितहि होटलक विशिष्ट कक्षमे पहुँचि गेलाह।q

 

२९

 

महराजक लंदन बिदा होइत काल हुनका संगे के जाएत आ के नहि जाएत तकर निर्णय महराज स्वयं केलथि। एहि कारणसँ ओ आब ककरो किछु कहिओ नहि सकैत छलाह। आब हुनका चिंता होनि रानीक। राजमंत्रीक सलाहक से प्रयोजन होनि। महराजकेँ तँ कोनो रोग रहनि तखन ने ओ जाँचमे पकड़ाइत। सभ ठीके रहैक। तखन सभगोटे मीलि कए रमन-चमनमे लागि गेलाह। महराजक हेतु तँ कैकटा सूट आरक्षित छल। कखनो एमहर कखनो ओमहर। एहि तरहेँ पन्द्रह दिन बीति गेल। होटलक खर्चा करोड़मे पहुँचि गेल। महराजक खजांचीकेँ फोन भेल जे ओ होटलकेँ भूगतान करथि। खर्चाक हिसाब सुनि हुनका अदंक लागि गेलनि। ओ भागल-भागल रानी लग पहुँचलाह। रानी की करितथि? खर्चा देखि कए गुम पड़ि गेलि। महराजकेँ फोन लगेलीह-

"अहाँ सभटा ओतहि नष्ट कए लेब की?"

"की भेलैक?"

"होटलक बिल देखलिऐक अछि?"

"ई हमर काज अछि की?"

से सुनितहि रानी तमसा कए फोन राखि देलीह।

महराजक संगे हुनकर सिपहसलारसभ खूब भोग-विलास केलक। आब बिल तँ देबैक रहैक, से महराज देलखिन। करोड़ोमे बिल भेलैक। आ सभटा महराजक इलाजक नामपर। प्रात भेने सभ गोटे वापस स्वदेश बिदा भेल। ताहि हेतु एकटा हबाइ जहाजमे एकहिठाम जगह आरक्षित कएल गेल जाहिसँ महराजक सेवामे कोनो त्रुटि नहि रहि जाए। सभगोटे अपना भरि सतर्क रहथि जे एतेक खर्चा केलाक बाद हुनका माथमे कतहुसँ चिंता नहि होनि।

जहाज उड़ि गेल। सभगोटे बहुत संतुष्ट रहथि। गप्प-सप्प होइत रहलैक। महराज कखन की मांगि देताह,ताहि हेतु सभगोटे बेरा-बेरी महराजेक लग-पास रहथि। जौं-जौं जहाज राजपुरा दिस भेल महराज किदनि-किदनि बकए लगलाह। आहि रे बा! ई की भेल?महराजक हालति क्रमशः गड़बड़ाइते चलि गेल।

राजपंडित आ राजबैद आपसमे मंत्रणा केलाह।

आब की उत्तर देबनि रानीकेँ?” -राजपंडित बजलाह।

"जे छैक, से छैक? एहिमे हम अहाँ की कए सकैत छी?जाहि बिमारीक इलाज हेतु गेल रहथि से तँ ठीक भए गेलनि ने?" राजबैद बजलाह।

राजपंडित गुम रहथि।

"जे भावी।" -राजपंडित बजलाह।

जेना-जेना जहाज मखनाक प्रभाव क्षेत्रमे आबि रहल छल, त्यों-त्यों महराजक नव उकबासभ भेल जा रहल छलनि । हुनकर सोचबाक,बुझबाक क्रम गड़बड़ा रहल छल। खने किछु बाजए लगितथि,खने किछु। बेसीकाल अपनेसँ प्रलाप करितथि। ओ अपनेसँ प्रश्न करथि आ अपने उत्तरो देथि । सिपहसलार सभ तँ छगुन्तामे छलाह जे ई कोन नव उकबा भेल। महराजकेँ कोनो ग्रहक फेरी लागि रहल अछि" -राजपंडित बजलाह।

"फेरी तँ अपनासभकेँ लागल अछि। -राजबैद बजलाह।

"हड़बड़ेबाक काज नहि छैक। जे हमरा अहाँक हाथमे अछि सएह ने करबैक। हम अहाँ कोनो भगवान छी जे सभटा हमरे अहाँक हिसाबे चलतैक।"

"से तँ बुझलहुँ। कहुना कए महराज अपन घर पहुँचि जाथि।"

महराज बड़बड़ाइते जा रहल छलाह-

कहल करिअह जे अपन लोकक संग अन्याय नहि करह मुदा तूँ सुनलह? नहि सुनलह। तँ आब कथी लेल परेसान छह? अपन कर्मक फल भोगए लेल तैयार रहह।"

"हम महराज छी। हमरा ऊपर ककरो अनुशासन नहि चलि सकैत अछि। फेर जनताकेँ अंकुश देब आ नियंत्रणमे राखब हमर कर्तव्य अछि।"

"कर्तव्य अछि तँ करैत रहू। अहाँक कारण कतेको लोक बरबाद भए गेल...।"

सभगोटे चिन्तित छलाह जे ई कोन नव समस्या भए गेल?

जहाज राजपुरा हबाइ अड्डा पर उतड़ि रहल छल। ओहीठाम लगेमे मखनाक मुख्यालय रहैक। महराजक उनुपस्थितिमे ओ अपना-आपकेँ सुव्यवस्थित कए लेने छल। यमराज तँ पहिने हाथ बारि देने छलाह। रेखा सेहो मनोयोगपूर्वक मखनाक मदति कए रहल छलीह। एमहर मखना आ कालू भगतामे मेल-जोल बढ़ि गेल। आखिर दुनू छल तँ सहोदरे। से बात मोनमे कतहुँ-ने-कतहुँ कचोटैक। फेर एक हिसाबे मखना तँ एहि संसारसँ जा चुकल छल। ई तँ मखनेक हूनर कहू जे ओ फेरसँ अपनाकेँ तेहन मजगूत कए लेलक जे महराजक कोन कथा यमराज धरि ओकरासँ पस्त छलाह।

हबाइ जहाज अपन गंतव्यपर उतरल। मुदा महराज चलबा-फिरबा जोग नहि रहथि। कहुना कए उठा-पुठा कए हुनका महल आनल गेल।q

 

३०

 

राजपुरा टीसनपर लोटना चाहक दोकान खूब चलैत चलैक। लग-पासक गामक जे केओ लोक ओकरा देखेतैक तकरा घेरि कए ओ चाह जरूर पिअबैत आ संगहि संगे गप्पो-सप्पो करैत। अपन बितल दिनक स्मरण कए-कए कैक बेर सोचमे पड़ि जाइत। ओना आब ओकरा गाम जेबाक पलखति नहि भेटैत छलैक। दिन-राति टीसनपर पाइ झहरैत रहैत छलैक। तकरा समेटैत की झुठे गाम जा-जा समय बरबाद करैत?

ओहि दिन हम चंपाक संगे कालेजसँ वापस होइतकाल ओकरा रेलपर चढ़ेबाक हेतु टीसन गेल रही। रेल बहुत देरीसँ अएतैक से वारंबार घोषणा भए रहल छल। हारि कए हमरा लोकनि प्लेटफार्मपर राखल बेंचपर बैसि गेलहुँ। पाछूएमे लोटनाक चाहक दोकान छल। लोटना हमरा धर दए चिन्हि गेल।

"श्री कान्त एतए की कए रहल छह?"

"एहीठाम पढ़ि रहल छी। एखन एकटा संगीकेँ रेलपर चढ़ेबाक हेतु आएल रही मुदा गाड़ी देरिसँ अएतैक।"

"! एतेक दिनसँ भेटो नहि भेल। डेरा कतए रखने छह?"

"राज छात्रावासमे।"

से सुनितहि ओकर कान ठाढ़ भए गेल। कारण ओ जनैत छल जे राज छात्रावासमे जगह भेटब सभक वशक बात नहि छैक। जरुर कोनो खास जोगारसँ ई काज भेल होएत। फेर ओ बाजल- राज छात्रावास तँ लगीचे अछि। आब भेंट-घाँट होइत रहत।"

"अवश्य।" से कहि हम आगू बढ़ले छलहुँ की रेल अएबाक सूचना प्रसारित होमए लागल। धर-धर करैत रेल प्लेटफार्म संख्या एकपर आबि गेल। हम चंपाकेँ ट्रेनमे बैसा कए अपन डेरा दिस संगे बिदा भेलहुँ।

चंपाकेँ जाइत काल हम गंतव्यक बारेमे पुछलिऐक। ओ कहलक जे अपन गाम जा रहल अछि आ जल्दीए लौटत। ओ ट्रेनमे बैसि गेलि। ट्रेन खुजि गेल। नहूँ-नहूँ ओ प्लेटफार्म छोड़ि देलक,तखनहु हम ओतहि ठाढ़े रही। कनीके हटि कए लोटन अपन चाहक दोकानपर बैसल हमरा टुकुर-टुकुर देखि रहल छल, मुदा किछु कहलक नहि। संयोगसँ पाछूसँ एकटा यात्री धड़फड़एल आबि रहल छल आ हमरासँ टकरा गेल। एहि अप्रत्याशित आवेगसँ हम मुँहे भरे खसलहुँ। लोटन चिकरि उठल- खसि पड़ल..खसि पड़ल.। आ हमरा दिस दौड़ल। हम दहिना हाथ आगू बढ़ा देलिऐक। तकर बाद  की भेलैक से नहि कहि?जखन होस आएल तँ अस्पतालक बेडपर पड़ल रही, हाथ आ पैरमे सौंसे प्लास्टर लागल छल। डाक्टर कहलक जे दहिना हाथ आ बामाँ पैरक हड्डी टुटि गेल अछि। मनुक्ख सोचैत अछि किछु आ होइत छैक किछु। किछुए दिनमे बीऐक परीक्षा हेबाक रहैक। आब की होएत, कहि नहि।

हमरा खसैत चंपा देखने रहए। ताबे ट्रेन खुजि गेल रहैक। ओ चिकड़बाक प्रयासो केलक मुदा ट्रेनक सीटीक आगू ओकर अबाज दबि गेल। ई बात हमरा लोटन कहैत रहए जे घटना कालसँ अखनधरि हमरे लगमे बैसल छल। ओएहटा हमर एहि संकटक समयमे संग रहए। मामा गाममे भातिजक उपनयनमे नोत पुरए गाम गेल रहथि। समाद गेलनि। ओहि दिन रातिम छलैक। ओ सभ काज छोड़ि तुरंत राजपुरा बिदा भए गेलाह।q

 

३१

 

राजपुराक अस्पतालक चर्चे बेकार। रोग किछु आ इलाज कथुक। एहन कतेको लोक गलत-सलत इलाजसँ परेसान भेल अस्पतालक चक्कर लगबैत रहैत छलाह। ककरो गलत-सलत दबाइक कारण किडनी खराब भए गेल छल। केओ दहिना आँखिक इलाज करबए आएल आ बामाँ आँखि सेहो खराब करा कए गेल। एकटा मरीजकेँ पेटमे गैस बनैत रहैक, इलाज हृदयक चलैत छलैक। सुइआपर सुइआ। हालति खराबे भेल जा रहल छल। ओ तँ रच्छ भेल जे ओकर कोनो डाक्टर संबंधी रहैक। संयोगसँ ओकरा पता लगलैल। ओ हाल-चाल लेबाक हेतु आएल। कागज-पत्तर पढ़ि-पढ़ि छगुन्तामे पड़ि गेल। ओकर कानमे कहलकैक- जान लए भागि जाउ। गलत इलाज भए रहल अछि।" औ बाबू! ओ बेचारा इएह-ले ओएह-ले भागल। ओ आगू-आगू भागि रहल छल आ एकटा जवान डाक्टर पछोड़ केने छल। ओकर हाथ-पैर जोड़ि रहल छल-हमर नौकरी चलि जाएत,एना नहि भागू।" मुदा ओ रोगी घुमि कए नहि तकलक।

ओहने अस्पतालमे हमर इलाज चलि रहल छल। जहिआसँ प्लास्टर भेल कोनो डाक्टर घुरिओ कए नहि आएल। कंपोटर कखनो कए अबैत आ इसारासँ कहैत

फलना डाक्टरक नर्सिंगहोममे भर्ती भए जाउ। बहुत जल्दीए ठीक भए जाएब। एहिठाम कोनो डाक्टर नहि अबैत छैक।"

हम बकर-बकर तकैत रहैत छलहुँ। मोने-मोन हनुमानजीकेँ गोहरबैत रहैत छलहुँ। आओर कोनो समाधानो नहि छल। डर होइत छल जे यदि हाथ-पैर बेकार भए गेल तँ जिनगी कोना चलत? के देखत?

जखन भोरे-भोर अस्पतालमे मामाकेँ देखलिअनि तँ जान-मे-जान आएल। ओ कि एलाह, हमरा कोठरीमे डाक्टरक पाँति लागि गेल। केओ आला लगा रहल अछि तँ केओ एक्सरेक विवरण पढ़ि रहल अछि। ताबतेमे एकटा बूढ़ डाक्टर ओकर हाथसँ एक्सरेक विवरण लए पढ़ए लगलैक। एक्सरे देखितहि ओ चिकरए लागल- ककरो एक्सरे ककरो फाइलमे लगा देने छहक । तोरासभकेँ तँ फाँसी हेबाक चाही ।"ओकर बात सुनि कए तँ हमर मोन ततेक घबड़ाएल जे भेल जे तुरंते ओतएसँ भागी। मामा कतेक काल हमरा लग रहताह? हुनका जाइतहि ई डाक्टरसभ निपत्ता भए जाएत। हमर टांग-हाथकेँ भगवाने मालिक।

कनी कालमे डाक्टरक हुजुम आगू बढ़ि गेल। मामाकेँ देखितहि हमरा कना गेल। कहलिअनि-

"कोनो उपायसँ हमरा एहिठामसँ निकालू,नहि तँ हमर जान नहि बाँचत।"

मामा बहुत बुझेबाक प्रयास केलाह। हुनका होनि जे हम भगल कए रहल छी। मुदा जखन अगल-बगलकेँ मरीजसभ अपन-अपन खिस्सा कहए लगलनि तखन तँ ओ बहुत परेसान भए गेलाह। तुरंत हमरा ओहिठामसँ निकालबाक हेतु आवेदन देलखिन आ लेने-लेने निजी नर्सीगहोममे चलि गेलाह। ओहिठाम हमर फेरसँ एक्सरे भेल। एक्सरे देखि कए डाक्टर कहलकनि॒-

"हिनकर तँ कोनो हड्डी टूटल नहि छनि। कनी-मनी मोच जरुर छैक, ताहि लेल पट्टी बन्हलासँ काज चलि जइतैक। पलास्टरक तँ कोनो प्रयोजन नहि छलैक।"

आब की कएल जाए?" -हमर मामा पुछलखिन।

"प्लास्टर हटबा दिऔक। कच्चापट्टीसँ दस दिनमे ठीक भए जेताह।"

सएह भेल। ओहि डाक्टरकेँ धन्यवाद दी जे हमर हाथ-पैर बाँचि गेल। जखन ककरो आनक एक्सरे देखि कए इलाज भेल रहैक तँ परिणाम सोचल जा सकैत छल। ओहि दिन हमर प्लास्टर काटल गेल आ कच्चापट्टी लगा देल गेल। दस दिनक बाद ओहो हटि गेल। हम एकदम पहिने जकाँ दुरुस्त भए गेलहुँ। लगबे नहि करए जे हमरे चोट लागि गेल छल।q

३२

 

अस्पतालसँ अएलाक बाद कालेजक चिंता धेलक। दस दिनक बाद बीए अन्तिम परीक्षा होबक रहैक। तैयारी किछु नहि भेल रहए। चंपा लगमे नोटसभ छलैक मुदा ओकर किछु थाहे-पता नहि लागि रहल छल। कालेज गेलहुँ तँ केओ संगतुरिआ नहि भेटल। सभ परीक्षाक तैयारीमे लागल छल। कालेजसँ वापस अबैत काल टीसन चलि गेलहुँ। इच्छा भेल जे लोटनकेँ भेंट कए धन्यवाद दए दिऐक। संकटक समयमे ओएह ठाढ़ भेल छल। टीसनपर गेलहुँ तँ लोटन नहि देखाएल। ओकर दोकान बंद छलैक। अगल-बगलक दोकान वलासँ पुछलिऐक तँ कहलक जे ओ गाम गेलाह अछि। गाममे किछु जरूरी काज छनि। एहिसँ बेसी ओकरासभकेँ किछु नहि बुझल रहैक।

अछता-पछताक अपन डेरा दिस बिदा भेलहुँ कि पाछूसँ केओ सोर पाड़लक। "ई तँ चंपा बुझा रहल अछि।" -मोने-मोन सोचाएल। जाबे किछु करी-करी ताबे चंपा डेगारि कए हमरा आगूमे ठाढ़ि भए गेलि।

"कोना छैं?" -चंपा बाजलि।

"हम तँ एकदम ठीक छी।-हम बजलहुँ।

 हम तँ किछु तैयारी नहि कए सकलहुँ।"

"हमर नोटसँ काज चला ले।"

"तोरो तँ परीक्षा देबाक छौक?"

"सभटा भए जेतैक। तोरा व्यर्थक चिंता करबाक हिस्सक छौक।"

सांझमे हमर डेरापर आबि कए नोटसभ लए अबिहैँ।"

चंपाक डेरा वालिकासभक छात्रावास रहैक। ओकर लग-पास सदरिकाल चौकीदारक पहरा रहैत छलैक। तखन ओ हमरा ओतए कोना बजओलक आ सेहो रातिमे, से हमरा नहि बुझाए। हमरा तँ परीक्षाक भय ततेक जोर केने छल जे आओर किछु सोचबाक समय नहि रहए। साँझ पड़ल आ हम ओमहर बिदा भए गेलहुँ। ओहि छात्रावासक लगीचमे पहुँचहि वला रहीके पेटमे बड़ी जोरसँ दर्द उठल। रातुक समय आ एकदम निर्जन स्थान छल। ककरा कहितिऐक? आगू बढ़बाक साहस नहि भेल। सड़कक कातमे चुक्कीमाली बैसि गेलहुँ। नहूँ-नहूँ पेटकेँ ससारैत रही कि चंपाक अबाज सुनाएल।

"श्रीकांत! श्रीकांत! मुदा हमर बाजल होअए तखन ने उत्तर दितिऐक। सड़कक ओहिपार छात्रावास छलैक। जखन हम किछु उत्तर नहि दए सकलिऐक तँ ओकरो चिंता भेलैक। सड़क दिस आगू बढ़लि। ताबे हमर पेटक दर्द आओर जोर भए गेल। हम ठामहि सड़कपर पड़ि गेलहुँ। हमरा सड़क पर देखि कए चंपा दौड़ि कए हमरा लग आएलि। ताबत एकटा रिक्सा वला जाइत रहैक। ओकरा रोकलक। ओहिपर कहुना कए रिक्सा वलाक मदतिसँ चढ़ओलक। ओहनो हालतिमे हमरा ओकरा संग बहुत नीक लागि रहल छल। हम बाजि नहि पाबी मुदा हमर मुखाकृतिसँ एहिबातक अनुमान ओकरो होइत रहैक। ओ हमरा छोड़िओ तँ नहि सकैत छलि। कनीके हटि कए एकटा डाक्टर रहैक। ओतए हमरा रिक्सासँ उतारलक।

डाक्टर बहुत ध्यानसँ देखलक। आला लगा-लगा कैक बेर एमहर-ओमहर केलक। मुदा कोनो खास गड़बड़ी नहि भेटलैक। तखन ओसभ बात पुछलक। फेर चंपा दिस तकैत बाजल- हिनका कोनो बिमारी नहि छनि। परीक्षाक कारण मानसिक तनाव भए गेल छनि। ई बेसी चिंता करैत छथि, से छोड़ब जरूरी थिक।"

डाक्टर बुझा-सुझा आ किछु दबाइ दए हमरा सभकेँ बिदा कए देलक। आश्चर्यक बात ई जे ओ किछु फीस नहि लेलक। फीसक चर्च होइतहि बाजए लागल॒-"अहाँसभ विद्यार्थी छी। जखन पैघ भए जाइ तँ एहिना ककरो मदति कए देबैक।"

ओहि रातिक पढ़ाइ ओहिना रहि गेल। चंपा कहलक जे काल्हि हम कालेज आएब, ओतहि तोरा लेल किछु नोट लेने आएब।"

"ठीक छैक" -से कहि हम अपन डेरा चलि अएलहुँ। रातिभरि मोनमे गुदगुदी उठैत रहल।q

 

३३

 

परीक्षाक समय लगीच छल। अस्तु, हम दुनू गोटे चाहिओक कखनो एमहर-ओमहरक गप्प नहि करी। दिन-राति एक कए पढ़ैत रहलहुँ। कोनो दिन एहन नहि बितल जहिआ हमसभ आठ-दस घंटा एकट्ठे नहि रही, मुदा पढ़ाइक भूत सबार छल। तकर फएदो भेल। तीन मासक बाद जखन परीक्षाक परिणाम आएल तँ सौंसे कालेज हमरेसभक चर्च रहए। कालेजक सूचनापट्टपर मोट-मोट आखरमे हमर दुनू गोटेक नामक आगू लिखल छल-प्रथम श्रेणीमे सभ विषयमे विशिष्टताक संग उत्तीर्ण। हम कैक बेर ओकरा पढ़लहुँ। जे देखि रहल छलहुँ ताहि पर विश्वासे नहि होअए।

मुदा सत्य सएह छल। कहाँ पास करए हेतु झखैत रही, कहाँ एहन नीक परीक्षाफल भेल। ई एकटा चमत्कार छल। मोन भेल जे चंपाकेँ फोन कए ई सुखद समाचार दी,फेर इच्छा भेल जे जाइए कए कहिऐक। तुरंत एकटा रिक्सा केलहुँ। भाड़ा के पुछैए? थोड़बे कालमे चंपाक डेरापर हम पँहुचि गेल रही। चंपा बाहरे द्वारपर भेटि गेलि। ओ दुध लए जाइत छलि। हमरा देखि ओकर मोन धुक-धुक करए लगलैक। कारण ओकरा बुझल रहैक जे आइ परीक्षाफल आएत। तेँ हमरा देखितहि पुछलक- की भेलैक?"

"हम दुनू गोटे प्रथम श्रेणीमे सभ विषयमे विशिष्टताक संग सफल भेलहुँ।” -ई सुनितहि ओ प्रसन्नतासँ आप्लावित भए हमरा भरिपाँज पकड़ि लेलीह। प्रसन्नतासँ ओकर आनन लाल भए गेल छल। देखनाहर देखिते रहि गेल, जे ई की भए रहल अछि? ओहिठामसँ सोझे हमसभ मिष्ठान्न भंडार गेलहुँ आ भरिपेट रसगुल्ला अपनो खेलहुँ आ चंपा सेहो खेलथि। मिठाइ खेलाक बाद  हमसभ फेर रिक्सापर चढ़लहुँ। कालेज जाइत रही कि कालू जोरसँ अबाज देलक।

"केमहर जाइत छह?"

"कालेज जा रहल छी।"

"हमहुँ ओमहरे जाएब।"

मुदा चंपा इसारा केलक जे बढ़ि चलू। रिक्सा वला आगू बढ़ि गेल। कालूकेँ ई बात बड़ खराब लगलैक। ओ सोझे हमर मामाक डेरापर चलि गेल आ नून-मिरचाइ मिला कए हमरा लोकनिक विरुद्ध हुनकर कान भरि देलक। कालेजसँ लौटलाक बाद हम जखन माम लग गेलहुँ तँ हुनकर मुँह फुलल छल। प्रणाम केलिअनि तैओ उत्तर नहि देलाह। बूझि गेलिऐक जे कालू अपन काज कए गेल। हम अपन समाचार दैत हुनका कहलिअनि –“रस्तामे कालू भेटल छल आ अपना संगे चलए कहने रहए मुदा हमरा लोकनिकेँ ओकरापर विश्वास नहि भेल। निश्चय ओएह अहाँक कान भरलक अछि।"

ई बात सुनितहि मामा भभा कए हँसए लगलाह। बाजि उठलाह- सत्ते कहलह। ओ बहुत दुष्ट अछि। तोहर परीक्षा परिणाम सुनि हम बहुत प्रसन्न छी। भगवती हमरा लोकनिक प्रार्थना सुनि लेलथि। हमरा लोकनि साँझमे महराजसँ भेंट करए चलब। ओहो बहुत मदति केलाह।"

"ठीक छैक। हम ओहि समयमे आबि जाएब।"

"चंपाकेँ सेहो लेने अबिअहक।"

ई बात सुनि बहुत नीक लागल।

हम चंपाकेँ फोन कए साँझक कार्यक्रमक बात ओकरा कहलिऐक मुदा ओ साफे मना कए देलक। ओ महराजक नाम लितहि जेना परेसान भए गेलि। हम आगू किछु नहि कहलिऐक आ बात बदलि कए किछु-किछु गप्प कनीकाल करैत रहलहुँ। हम नहि बूझि सकलिऐक जे महराजसँ ओकरा कथीक तामस छैक जखन कि हुनकासँ ओकरो गाहे-बगाहे मदति तँ भेटबे केलैक।

खैर! साँझमे हम कनी पहिने मामाक ओतए पहुँचि गेलहुँ। मामा पूछलाह-

"एसगरे अएलह?"

हमरा चुप देखि ओ बात बदलैत कहलाह जे महराज संयोगसँ आइ ठीक छथि। आशा करैत छी जे हमरा लोकनिकेँ भेँट भए सकत।"

"महराजकेँ की होइत छनि? अखने तँ विदेशसँ इलाज करबा कए अएलाह अछि?"

"छोड़ह ई गप्प-सप्प। बहुत तरहक बात छैक। राज-काजमे ई सभ होइते छैक।" -मामा बजलाह।

मामा महराजक राजमंत्री छलाह मुदा जेना-जेना ओ रानीक लगीच अबैत गेलाह, महराज हुनकासँ फटकी होइत गेलाह। मामाकेँ एहि बातक अनुमान रहनि मुदा ओ किछु नहि कए सकैत छलाह। महराजकेँ आपसेमे टनामनी रहनि। ओकर समाधान ओएह कए सकैत छलाह।

हमसभ महराजक मंत्रणाकक्ष लग ठाढ़ रही। मामा हमरा ओतहि ठहरबाक हेतु कहलाह। ओ भितर एसगरे गेलाह। कनीकालमे एकटा सिपहसलार हमरा बजबए आएल। हम पहिल बेर महराजक महलमे भितर धरि गेल रही। ओहि महलक शोभा अनुपम छल। चारूकात नाना प्रकारक नक्कासी कएल गेल छल। एक-सँ-एक तरहक साज-सज्जाक चीज-वस्तुसभ महलक महत्व बढ़ओने छल। महराज बीचमे विराजमान छलाह। दुनूकात प्रमुख लोकसभ कनीक हटि कए बैसल रहथि। ओहिमे राजमंत्री, राजपंडित, महराजी भगता, राजबैद प्रमुख छलाह। किछु आओर लोक छलाह जिनका हम नहि चिन्हि सकलिअनि।

हम भितर जाइते महराजकेँ विनम्रतापूर्वक प्रणाम केलिअनि। हमरा बारेमे मामा सभबात पहिने कहि देने रहथिन। तेँ हमरा देखितहि महराज बहुत प्रसन्न भेलाह। हमर हाल-चाल पुछलाह आ आगूक पढ़ाइ-लिखाइक हेतु सहायताक आश्वासन सेहो देलाह। हुनकासँ आशीर्वाद लए हम ओतएसँ बहार भइए रहल छलहुँ कि सौंसे महलमे बहुत जोरकेँ अबाज भेल। मामा हमरा जल्दीए निकलि जेबाक संकेत केलाह। हम ओतएसँ निकलले छलहुँ कि देखैत छी जे किछुगोटे महराजकेँ उठओने-पुठओने कारमे राखि रहल अछि।

"एतेक जल्दीमे की भए गेलनि हिनका?" -हम सोचैत रही।q

 

३४

 

जहिआसँ महराज विदेशसँ वापस अएलाह किछु-ने-किछु धमाचौकरी होइते रहल। जखन-तखन ओ अण्ट-सण्ट बाजए लगितथि। बेसीकाल आत्मालाप करैत रहितथि। हुनका ठीक करबाक जतेक प्रयास होइत गेल ततेक हुनकर हालति ओझराइते गेल। तरह-तरहक डाक्टर,बैद सभ अएलाह-गेलाह मुदा मामिला जस-के-तस। एहि विषयपर विचार विमर्ष हेतु राजक प्रमुख लोकनिक गुप्त बैसार भेल। एहिमे राजमंत्री, राजपंडित, राज बैद, राजभगताक अतिरिक्त राजक जासूसप्रमुख सेहो छलाह।

सभगोटे जासूसप्रमुखक बात सुनबाक हेतु उत्सुक भेलाह। महराजक पछिला तीनमासक गतिविधिक वीडियो गुपचुप बनाओल गेल छल जाहि आधारपर ओ कहलाह- “महराज अपना वशमे नहि छथि। ओ बेसीकाल अपने-आपसँ प्रश्नोत्तर करैत रहैत छथि। ओ एना किएक कए रहल छथि से हमरा नहि बुझा रहल अछि।"

महराजी भगता कहलखिन- "वीडियो चलाउ। हमसभ प्रत्यक्ष देखए चाहैत छी।"

"सही कहलाह" -राजमंत्री बजलाह। जासूसप्रमुख वीडियो चला देलाह।

ओहि जासूसी वीडियोक चलिते बैसारमे गुम्मी पसरि गेल। महराज कखनो हँसैत छलाह तँ कखनो अपने-आपपर तमसाइत छलाह। ई आत्मालाप विचित्र लागि रहल छल मुदा छल कटुसत्य।

"तूँ अपने लोकक शोषण करैत रहलह। गरीबसभक जथा-पात कनीमनी लगानक चलते नीलाम करैत रहलह। परिणाम की भेल? सौंसे इलाकामे दरिद्रता पसरि गेल। जाहिठामक माटि-पानि एतेक उर्वरा अछि ताहिठामक लोक अन्न बेगर प्राण दैत रहल आ तूँ व्यर्थक अहंकार प्रदर्शन हेतु बड़का-बड़का देबाल ठाढ़ करैत रहलह।"

"तूँ के हमरा टोकनाहर? हम छी महराज। जे मोन होएत से करब, जे मोन भेल से केलहुँ। तूँ दखल देनिहार केँ?"

"कथीक महराज? जा कए देखहक केरलमे। ओहो महराजे छल। सौंसे इलाकाकेँ स्वर्ग बना देलक। धीआ-पूतासभक पढ़इ-लिखाइक हेतु सभ सुविधा कए देलक। लोक ओकर दिन-राति जयगान करैत अछि।"

"की कहलह? हमरासँ बेसी जयगान ककर हेतैक?"

"ई तोहर भ्रम छह। किछु लोभी, लालची लोकसभ तोरा घेरने अछि आ झूट-मूठ चढ़ओने रहैत अछि, तँ तोरा होइत छह जे वाहरे हम!" से कहि महराजक आत्मा ओकरेपर हँसए लगैत अछि।

खबरदार! हम महराज छी। हमरा  संगे मर्यादासँ रहह,नहि तँ..।"

"नहि तँ की कए लेबह? हम तँ तोरा कहिआ ने संग छोड़ि देलिअह।"

"की अकर-बकर बाजि रहल छह। आत्मा कहीं जीविते फराक भेलैक अछि?"

"ई बात तँ तोरा स्वयं सोचबाक चाही, जे तोरे संगे से सभ किएक भए रहल अछि जे कतहु नहि होइत अछि।"

रोकू, रोकू महराजी भगता चिकरलाह। भीडिओ रोकि देल गेल।

की भेलैक?-राजमंत्री पुछलखिन।

"कोनो अपरिचित वस्तु लगीचमे बुझा रहल अछि।" -महराजी भगता बजलाह।

"के अछि? एकरा पकड़ल जाए। एना राजभवनमे निधोख के घुमि सकैत अछि?” -राजपंडित बजलाह।

"मुदा हमरा तँ किछु नहि देखा रहल अछि?" -जासूस बजलाह।

की देखबैक? जखन आँखिमे शक्ति रहत तखन ने देखबैक?"

-महराजी भगता बजलाह। सभ-सभक मुँह ताकए लागल।

महराजक स्थिति बहुत खराब बुझाइत अछि, ऊपरसँ एहिठाम किछु अदृश्य शक्ति सेहो काज कए रहल अछि। पता नहि ओकर एहिठाम घुरिएबाक की लक्ष्य छैक। जे छैक, मुदा हालति बहुत खराब बुझा रहल अछि।" -राजबैद बजलाह।

एतेकटा राज महल, अकूत संपदा अछैतो महराजक ई हाल किएक भेल?" एहि विषयमे मंत्रणा चलिऐ रहल छल कि हहाइत-फुहाइत मखना यमपाश फेकलक। बैसारमे हड़बिड़रोमँचि गेल। सभगोटे ठामहि पड़ि गेलाह। ककरो होस नहि रहैक, मुदा साँस चलि रहल छलैक। सिपहसलारसभकेँ किछु बुझएमे नहि अएलैक। सभ जान लए भागल।

मखनाक आक्रमणक तोड़ आब ने महराजी भगता लग छल ने महराजक कोनो आओर सिपहसलार लग। जखन यमराजो ओकरा संगे समझौता कए लेलनि तँ अनकर कथे कोन?महराजी भगता होस अबिते इएह सभ सोचि रहल छल कि कालू ओहिठाम पहुँचल।

"किछु बुझलहक?" -महराजी भगता पुछलखिन।

की बुझबै? मखना बेर-बेर हमरा समाद दैत अछि जे महराजकेँ कहुन चेत जाथि,नहि तँ..."

"नहि तँ की?"

"आब से तँ अहाँ स्वयं बुझनिक छी। आइ-काल्हि मखनाक तोड़ नहि अछि। महराजक ऊपर तँ तेना कए लागि गेल अछि जे हुनकर तँ माथे सुन्न जकाँ भए गेल अछि। राज-काज की चलओताह कपार?"

समाधान तँ कालू हमरे-तोरे निकालबाक अछि कारण ई सभ मामिला डाक्टर बैदक वशक नहि अछि।"

" कएल की जाए?

"देख कालू, किछु छैक, छौक तँ तोहर सहोदरे। कखनो-ने-कखनो दरेग अएबे करतैक तोहर। तूँ ओकरासँ गप्प करह आ पता तँ लगाबह जे आखिर ओ की चाहैत अछि?"

"हमरा तँ बहुत डर लागि रहल अछि। यदि हमरे पर बिगड़ि गेल तखन?"

"एतेक डरेलासँ काज नहि चलतह। आखिर मखनोकेँ किछु तँ मोनमे हेतैक। पता लगबही, गप्प कर। नहि करबह तँ महराज तँ छोड़तौ नहि।"

"आओर ई जासूस जे वीडियो बनओने अछि ताहिसँ किछु पता नहि चललैक?”

"ओ वीडियो बड़ीटा छैक। कनी-मनी देखलासँ जे अनुमान लगाओल जा सकैत छैक, ताही आधारपर ने तोरा चेता रहल छिअह। एखन बहुत देखनाइ बाँकिए छलैक कि मखना आक्रमण कए देलक।"

"मुदा मखनाक लक्ष्य की छैक? से जननाइ तँ बहुत जरूरी थिक।"

तेँ ने तोरा कहि रहल छिअह जे ओकरासँ सीधा-सीधी गप्प करह। मामिला आब हाथसँ बाहर जा रहल अछि।"

दुनू गोटे गप्प कइए रहल छलाह कि राजमंत्री ओहिठामसँ महराजी भगताकेँ बजाहटि आबि गेलैक। आओर ओ ओमहर बिदा भए गेल।q

 

रविवार, 4 जून 2023

सन् २०१८मे प्रकाशित हमर मैथिली उपन्यास महराज(ISBN: 978-93-5321-395-4)क हमर ब्लाग स्वान्तः सुखायपर धारावाहिक पुनर्प्रकाशन (भाग २१ -२५):

 


२१

 

महराजक दरबारमे हाहाकार मचि गेल। यमदूतसभ जाइत-जाइत जे चेतौनी देने गेल ताहिसँ महराजक निन्न उड़ि गेलनि। राजपंडित, महराजी भगता आ राजमंत्रीक समिति बनाओल गेल जे एहि विषयमे तीन दिनक भितरमे अपन विचार देत जे एहि संकटसँ कोना पार पाओल जाएत। कालू भगताकेँ बजाओल गेल आ ओकरा सख्त निदेष देल गेल जे कोनो हालतिमे यमपाश आ मखनाकेँ हाजिर करए। ताहि हेतु ओकरा चौबीस घंटा समय देल गेल। कालूक प्राणपर संकट छल से ओ नीकसँ बूझि रहल छल मुदा करए की?

समस्या बहुत गहींर भए गेल छल। महराजी भगता यमपाशकेँ ताकएमे लागि गेलाह। समस्त मंत्र-तंत्रक दिन-राति प्रयोग करए लगलाह। एकदिन एहिना महराजी श्मशानमे मंत्र फूकि रहल छलाह कि ध्यानमे लोटना अएलनि।

"ई के अछि?वारंबार किएक ध्यानमे आबि रहल अछि।"

-महराजी भगता सोचथि। जहन कोनो समाधान नहि फुरेलनि तँ ओ हमर मामा लग गेलाह। मामा आ हम आपसमे पढ़ाइ-लिखाइक बारेमे गप्प कए रहल छलहुँ। ओही क्रममे चंपाक गप्प सेहो उठि गेल। मामा कहलाह- तूँ चंपाक चिंता नहि करह। हम महराजसँ एहि विषयमे गप्प करब जाहिसँ ओकरा मदति भेटि जाइ" -हुनकर बातसँ बहुत प्रसन्नता भेल। चाह खतम नहि भेल छल। गप्पो चलिए रहल छल कि महराजी भगता पहुँचलाह। ओ बहुत चिंतित लगैत छलाह। मामा बजलाह- आउ, आउ। नीके छी ने?"

की नीके रहब?दिन-राति चिंतामे समय बीति रहल अछि।"

"से की?"

"मखना काबूमे नहि आबि रहल अछि। आइ पूजामे लागल रही कि एकटा युवक ध्यानमे देखाएल। ओकरा हम चिन्हि नहि सकलहुँ। पता नहि के अछि? किएक ध्यानमे आएल?" -महराजी भगता बजलाह। फेर अपन हाथसँ कागजपर ओहि व्यक्तिक फोटो बना देलथि। फोटो देखिते मामा बजलाह-

ई तँ लोटना अछि।"

"के लोटना?" -महराजी भगता बजलाह।

राजमंत्रीसँ लोटनाक हुलिआ भेटलाक बाद महराजी पुलिस ओकरा ताकएमे लागि गेल। ओ टीसनक प्लेटफार्मपर चाह-पानक दोकान करैत छल। एकदिन भोरे टहलैत रहए कि ओकरा दू हाथक एकटा बेस भरिगर ठेङा आकाशसँ खसैत देखेलैक। ओ तँ भागक तेज छल नहि तँ ओ ठेङा ओकर मुड़िएपर खसि पड़ितैक। ओ ठेङाकेँ अपन आलमीरामे राखि देलक, कारण ओहिमे किछु विचित्रता छलैक। राति कए चमकए लगैत छलैक। असगर भेलापर ओहिमेसँ विचित्र ध्वनि निकलैत छलैक। लोटनकेँ किछु नहि बुझेलैक जे आखिर ई की अछि?तेँ ओ ओकरा बंद कए राखि देलक।

महराजी पुलिस संगे सदल-वल महराजी भगता लोटनाक राजपुरा डेरापर रातिमे पहुँचल। ओ तँ सकपका गेल। महराजी भगता कहलखिन- तोरा लगमे यमपाश छौ, ओकरा लेने आबै नहि तँ तोहर मृत्यु निश्चित अछि।

हमरा एकटा ठेङा किछु दिन पहिने भेटल छल। ओ की अछि से हमरो नहि बूझल अछि। अहाँ कही तँ लेने आबी।"

"लेने आबह।"

ओ आलमारीमे राखल ठेङा लेने आएल। ठेङा देखिते महराजी भगता हँसए लगलाह। इएह यमपाश थिक। एकरा घरमे राखब अशुभ थिक। तेँ हम एकरा लेने जाइत छी ।"

"ठीक छैक।" -से कहि ओ यमपाश महराजी भगताक हाथमे थम्हा देलथि। मुदा ओकर मोनेमे गुन-धुन करैत रहलैक जे आखिर महराजी भगता एहि ठेङा लए की करताह? महराजी भगता ई बात तारि गेलाह आ ओकरा अपना संगे-संगे चलबाक हेतु कहलखिन।

यमदूतसँ कनिके दूर पर छल कि महराजी भगता हाक देलकैक आ अपन दहिना हाथमे यमपाश हिला-हिला कए देखाबैक मुदा यमदूतसभ घुरल नहि। ओ सभ गेल से गेल।आब की करी?" -महराजी भगता मोने-मोन सोचलाह। प्रश्न ई रहैक जे यमदूतकेँ केओ किएक बजाओत? भने फटकी चलि गेल।

प्रात भेने समितिक बैसारमे महराजी भगता यमपाश आ लोटनाक संगे उपस्थित भेलाह। यमपाश देखिते राजपंडितक हुलिआ खराब होमए लागल। डर भेलनि जे कहुँ ई यमपाश सक्रिय भए गेल तखन की होएत? हुनकर हाल देखि राजमंत्री पुछलखिन-

की बात छैक पंडितजी?"

पंडितजी गुम भेलाह से किछु बजबे नहि करथि। महराजी भगता लोटनाकेँ ठेङाक भेटबाक विज़यमे पुछलखिन। लोटनाकेँ राजमंत्री नीकसँ चिन्हि गेल रहथि मुदा ओ हुनका नहि चिन्हि सकलनि। खैर! जे भेल-से-भेल। समिति ई निर्णय केलक जे कालू भगता यमपाशकेँ यमलोक पहुँचेबाक जिम्मा लेथि तखने हुनकर जान बँचि सकैत अछि अन्यथा ओ जानथि आ हुनकर काज जानए। " आब कालू लग विकल्पे की छल? ओ यमपाश लए लेलक आ एहि प्रयासमे लागि गेल जे कहुना ओकरा यमलोक पहुँचा दिऐक।

प्रातः काल महराजी पोखरिक मोहारपर ओ बैसल छल। मोने-मोन मखनाकेँ आवाहन केलक। देखिते, देखिते मखना हाजिर भए गेल।

"की बात छैक कालू भाइ? किएक गोहरेलह?"

"ई यमपाश तोरे छह। एकरा लएह आ कोनो उपायसँ एकरा यमराजकेँ वापस कए दहक नहि तँ हमर जान गेले बूझह।"

से की?"

"जे कहैत छिअह से सुनह, खाली बहस केलासँ किछु नहि होएत। समय बहुत कम अछि।"

ठीक अछि। लाबह यमपाश।"मखना यमपाश लेलक आ ओकरा आगू-पाछू करए लागल। किछु-किछु कोडवर्ड दए ओकरा सक्रिय करबाक प्रयासमे लागि गेल। किछु, किछु करैत छल कि ओ एकहि बेर चिचिआ उठल-

"मोन पड़ि गेल। कोडवर्ड मोन पड़ि गेल।"मखनाक यमपाश सक्रिय भए गेल छल। आब की होएत? ई समाचार तुरंत यमराज केँ भेटलनि।

"मखनाक हाथमे यमपाश सक्रिय भए गेल। आब की करब?"-सभ सभासद गुम पड़ि गेलाह।q

२२

 

मखना सोचलक जे सभ झञ्झटिक जड़ि यमराजे थिक। किएक नहि, सभसँ पहिने एकरे साफ करी आ तकर बाद निश्चिन्तसँ यमलोकपर राज करी। बात तँ लाख टकाक रहैक। बहुत आगूक योजना बनओलक। दोसर बिचार मोनमे अएलैक जे राजपुरामे महराजक सभचीज बनले छनि, ओकरे कबजा कए लेल जाए। महराजक ऊपर यमपाश फेकि हुनके सुडाह कए देल जाए। बाह रे मखना! केहन अद्भुत माथा पओने अछि। मरिओक सभकेँ नचा रहल अछि।

मखना संगे समस्या रहैक जे ओ बेसी पढ़ल-लिखल नहि रहए। बेसी उठा-पठक कएल नहि होइक। रहल यमलोक से तँ ओतए यमराजक अधिपत्य छनि। हुनकर अपन सेना छनि,पुलिस छनि, अस्त्र-शस्त्र छनि। ओहिठाम जबरदस्त झञ्झटि भए सकैत अछि। इएह बात सभ ओ सोचैत रहलाह।

महराज तँ बेसी काल बेहोसे रहैत छलाह। छप्पन प्रकारक भोग लगैत छल। जे खेला से खेला नहि तँ हुनकर सिपहसलारसभ ओकरा राजप्रसाद बूझि बहुत आनन्दसँ पबैत छल। भोजन करितहि अपन महलमे टगि जाइत छलाह। एकटा-दुटा रानी रहनि तहन ने। कैकटा तँ बाटे तकैत रहि जाइत छलीह। महराज भोग-विलास नहि करताह तँ के करत? अहीँ कहू? से ओ कए रहल छलाह।

मुदा जहिआसँ यमदूत धमकी दए गेल हुनकर माथा बेचैन रहैत छलनि। जानक डर तँ सभकेँ होइत अछि। राजपंडितसँ लए कए राजमंत्री धरि सभ परेसान छलाह। आब की होएत?

देखैत-देखैत मासमे सँ पचीस दिन बीति गेल। मखना पकड़ल नहि जा सकल। महराजक हालति खराब भेल चलि जा रहल छल। मुदा असली संकट तँ मखनासँ आबि गेल छल जकरा हाथमे यमपाश फेरसँ सक्रिय भए गेल छल। आओर ओ आदमिओ छल खुराफाती। कहीं महराजेकेँ ने लए बैसए?

मास दिनमे आब एके दिन बाँचल छल। महराजक दरबारमे सभ परेसान छल। मखना काबूमे नहि आएल। यमलोकसँ फोन-पर-फोन आबए लागल। हालति तँ ई भए गेल जे महराजकेँ आब फोनो छुबामे डर होइत छलनि। महरानीक संगे भोरे चाह पीबि रहल छलाह कि आकाशवाणी भेल- मास दिनक अवधि आइ साँझमे समाप्त भए रहल अछि। मखनाकेँ यमलोक यदि नहि पठा सकब तखन अपनेकेँ ओतए जाए पड़त।"

एतबा कहि आकाशवाणी बंद भए गेल। महराज थर-थर काँपि रहल छलाह। महरानीकेँ किछु बूझेबे नहि करनि जे आखिर की बात भेलैक जे महराजक ई हाल भए गेलनि। महरानी चाह छोड़ि बाहर दौड़लीह। ओसारामे राजपंडित मंत्र पढ़ैत मंदिर दिस जा रहल छलाह। हुनका अपसिआँत देखि पुछलखिन- की बात?"

"महराजकेँ यमलोकसँ आकाशवाणी भेलनि अछि।"

"की कहलकनि?"

"अपने अन्दर आबि कए देखि लिअ। महराज बहुत परेसान छथि।"ताबतेमे चारूकात आपत्तिकालीन घंटी घना-घन बाजए लागल। यमलोकक दूतसभ अपन-अपन स्थान ग्रहण कए चुकल छल। महराजकेँ छातीमे भयानक दर्द उठलनि आ ओ बाप-बाप चिचिआए लगलाह। चारूकातसँ जे जतहि छल से पहुँचि गेल। महराजकेँ घेरि लेलक। महराजी भगता राजपंडितक संग किछु मंत्रणा करैत छलाह, ताबतेमे राजमंत्री सेहो ओतए पहुँचि गेल।

यमपाश भेटि गेलाक बाद मखनामे अद्भुत शक्तिक जागरण भए गेल। आब तँ यमदूतोसभ ओकरा लगीचमे अएबासँ डरा रहल छल आ महराजी भगताक तँ कथे कोन? ओ तँ अपन जान लेल प्रार्थना कए रहल छल। जोर-जोरसँ मृत्युंजय जप करए लागल।

मखनाक हाथमे यमपाश देखि कए यमराज बहुत परेसान भए गेलाह। सोचलाह जे किएक नहि एकरासँ सोझे हिसाब-किताब कए ली। पुछलखिन- मखना तूँ की चाहैत छह?"

"पहिने अपन नेत शुद्ध करबह तखने किछु गप्प करबाक फएदा छैक।"

""हम जे बाजब ओहि पर स्थिर रहब।"

"तकर की विश्वास?"

"तोरा जेना विश्वास हो सएह कएल जाए।"

"रेखाकेँ बजाउ। ओ कहतीह तखने हम मानब। अहाँक कोन ठेकान?"

यमराज रेखाकेँ मोबाइल फोनपर फोन केलाह।

"की बात छैक? जखन-तखन फोन कए दैत छी?" रेखा कहलखिन।

परिस्थिति तेहने भए गेल जे फोन करए पड़ल।

"की बात छैक?"

"मखना बजा रहल अछि।"

ओ कतए अछि?"

यमलोक आ मृत्युलोकक बीचमे। "

"ऐँ! से कोना भेल?"

ओ सभ छोड़ू। काजक गप्प करू" -से कहि यमराज मखनाकेँ रेखासँ सोझे गप्प करा देलथि। मखनाक प्रसन्नताक अंते नहि छल। ओ बाजल- यमराज अपने महान छी। यदि अपने हमर एकटा बात मानि ली तँ हम अहाँक जान बकसि देब।"

"खोलि कए बाजह जे की चाहैत छह?"

"रेखाकेँ हमरा सुंझा दिअ आ चैनक बंसी बजाउ।"

महराज तंग रहबे करथि। सोचलाह जे जान बाँचत तँ फेर कोनो ओरिआन भए जए जाएत। कहलखिन- एवमस्तु।"

एकटा बात आओर ।"

कहह।"

"यमदूतसभ हमर यमपाशसँ फराके रहथि।"

"तकर माने की?"

"माने साफ अछि जे हम जकरापर यमपाश चलाबी तकरासँ अहाँ लोकनि फराके रही।"

एहि तरहेँ तँ ब्रह्माक विधाने असफल भए जाएत। तूँ एना तँ नहि कए सकैत छह।"

"एकटा समाधान भए सकैत अछि।"

"की?"

"महराजक क्षेत्र हमरा सुंझा दिअ। एहि क्षेत्रक ब्रह्माक कागज-पत्तरसभ हमरे लग रहत। सारांश जे हिनका लोकनिक मृत्युक हिसाब-किताब सोझे राजपुरा मुख्यालयसँ नियंत्रित होएत।"

"की बात करैत छह? एकहुटा कागज सोझ रहत? एहिठाम तँ तोरा सन-सन कतेको विद्वान घूमि रहल छथि।"

"देखू, बातकेँ बतंगर नहि करू। यदि अहाँकेँ जान बचेबाक अछि तँ हमर बात मानहि पड़त, नहि तँ हम नहि जानी...।"

यमराज फेर बजलाह- एवमस्तु।"

मखना मोंछ पिजओलक आ यमपाश लहरबैत आगू बढ़ि गेल। यमराजोकेँ जान-मे-जान अएलनि।" केहन-केहन फेरल लोक होइत अछि औ बाबू! यमराज मोने- मोन सोचैत अपन महलमे विश्राम हेतु चलि गेलाह।q

२३

 

ओहि दिन हम मामा संगे गप्प करैत रही। ओ कहलाह जे चंपाक संबंधमे महराजसँ गप्प भेल रहनि। ओ ओकरा मदति करबाक हेतु तैयार छथि। पढ़ाइ-लिखाइक सभटा खर्चा महराजक तरफसँ होएत। ताहि हेतु जरूरी आदेश सेहो कए देल गेल अछि। हम तुरंत फोनसँ चंपाकेँ एकर जानकारी देबए चाहलहुँ। मुदा ओकर फोन लगबे नहि करैक। लगातार फोन बंद अछि ।" -बजैत रहैक। आब की भेल?

हमरा चिंता जोड़ पकड़लक। तुरंते ओकर घर दिस बिदा भेलहुँ। कोनो एक्का भेटबे नहि करए। पैरे चलैत-चलैत चौक धरि पहुँचि गेलहुँ। संयोगसँ एकटा तिपहिआमे एकटा जगह खाली रहैक। तुरंत ओहिमे बैसि गेलहुँ। रस्ते-रस्ते ओकर फोन लगेबाक सेहो प्रयास करैत रहलहुँ। कथी लेल फोन लागत। देखिते-देखिते गुमती लग पहुँचि गेलहुँ। तिपहिआ वला टाहि देलक- “गुमति, गुमति" तँ हमर ध्यान ओमहर गेल। तिपहिआ वलाकेँ किराया दए झपटि कए चंपाक घर दिस बिदा भेलहुँ। ओतए गेलहुँ तँ चंपाक कोनो अता-पता नहि छल। केओ-केओ कहलक जे महराजी भगता आएल छल आ ओकर खोपड़ीकेँ तोड़ि देलक। हम पुछलिऐक- आ चंपा कहाँ गेल?" केओ कोनो निजगुति बात नहि कहलक। तामसे मोन भेर भए गेल। मोन होइत छल जे महराजी भगताकेँ ओतहि नरेठी दावि दी। तुरंत मामाकेँ फोन लगेलहुँ। मामा हमर तामसकेँ तारि गेलाह। कहए लगलाह-

"एतेक परेसान किएक छह?"

'"महराजी भगता केहन जुलुम केलक अछि से नहि बुझा रहल अछि?"

"से तँ बूझि रहल छी मुदा तमसेलासँ तँ किछु नहि होएत। बनितो काज बिगड़ि जाएत। पहिने पता तँ कए ली जे बात की छैक? तूँ परेसान नहि होअ। एहिठाम आबि जाह। ताबे हम पता लगबैत छी जे बात की छैक।"

ठीक छैक। हम आबि रहल छी।" -से कहि हम फोन राखि देलहुँ आ तुरंत एकटा एक्कापर एसगरे मामाक घर दिस बिदा भए गेलहुँ।

महराजी भगता होउक,की महराजी पंडित-सभ तँ महराजेक इसारापर काज करैत अछि। ई सभ एहन व्यक्ति नहि छथि जे अपने मोने किछु करथि। तेँ राजमंत्रीकेँ अंदाज रहनि जे एहू मामिलामे कतहुँ-ने-कतहुँ महराजक घालमेल जरुर होएत आ यदि से बात अछि तँ ओहि लफड़ामे के पड़त? अड़रीक खेतमे प्राण के देत?बात खाली चंपेक नेने छलैक, ओकर माए लए कए सेहो हम बहुत परेसान रही। आखिर ओ कतए गेलीह,जीवितो छथि कि नहि? एतबा तँ अनुमान भए रहल छल जे चंपाक परेसानीक मूल कारण ओकर माए छथि। मामा एहि मामिलामे बेसी रुचि नहि लेबए चाहैत छलाह कारण यदि महराज तमसा गेलाह तँ भगवाने मालिक।

हम एक्का वलाकेँ पाइ देलिऐक आ दौरले मामा लग पहुँचि गेलहुँ। मामा जलखै कए रहल छलाह। हमरो आग्रह केलाह मुदा हमरा तँ भूख-पिआस सभ खतम छल। जाबे चंपाक हाल नहि बुझाइत अछि ताबे हमरा चैन कतएसँ होइत। ई बात मामा सेहो बूझि रहल छलाह। तेँ हमरा ओतए पहुँचितहि महराजी भगताकेँ फोन केलाह। महराजी भगता उत्तर देलकनि- हम अहीँ ओतए आबि रहल छी। सामना-सामनी बात होएत तँ बेसी नीकसँ बुझबैक। मामाकेँ अनुमान लागि गेलनि जे किछु गहींर बात छैक जे ओ सभ लग नहि बाजए चाहैत छथि।

महराजी भगता कनीके कालमे आबि गेलाह। ओ बेस चिंतित लागि रहल छलाह। अपने बाजए लगलाह- ई कालू भगताकेँ अपने एतए आनि नीक नहि केलहुँ। ओ तँ महाचौपट आदमी अछि। रनिबासक महिलासभकेँ डिठिऔने रहैत अछि। जासूससभ महराजकेँ सूचना दए देलकनि अछि। कखनो ओकर जान जा सकैत छैक। हम ओकरा बुझेबाक बहुत प्रयास केलहुँ मुदा ओ अपन चालिसँ लाचार अछि। आब अहीं कहु जे की कएल जाए? आइ-ने-काल्हि ई मामिला अहाँ लग अएबे करत? किएक ने पहिने अहाँक जानकारीमे दए दी। सएह सोचि कए हम अहाँकेँ सभ बात कहब उचित बुझलहुँ।"

"मुदा बात की छैक?"

"अरे एकटा-आधटा बात रहए तहन ने ओ कहि दी आ मामिला सलटि जाए। ई आदमी तँ महाघनचक्कर लागि रहल अछि, जतहि कोनो सुन्दर महिला देखैत अछि, एकर सुधि-बुधि खतम भए जाइत अछि।"

"ऐँ! एहन बात छैक?"

"आओर की, नहि तँ हमरा कुकुर कटने छल जे भोरे-भोर अहाँकेँ तंग करितहुँ।"

"ओ बात तँ बहुत गहींर बुझा रहल अछि। मुदा समाधान की होएत?"

"हम तँ एकरासँ तंग भए गेल छी। ऊपरसँ एकर भाए- मखना से बहुत शक्तिमान भए गेल अछि। ओ यमराजकेँ ततेक डरा देलक जे राजपुराक मृत्यक हिसाब-किताब सभटा ओकरे हाथमे सुन्झा देलखिन।"

"महराजकेँ एकर छिज्जाक जानकारी छनि कि नहि?"

"एहन कोन बात छैक जकर जानकारी हुनका नहि होनि। डेग-डेगपर तँ जासूस लागल अछि। ओहो रनिबासमे। ओहिठाम तँ महराजक खास जासूससभ दिन-राति लागल रहैत अछि।"

"तखन महराज एकरा बकसने कोना छथि?"

"महराजकेँ भांग पीबासँ होस होनि तखनने किछु आओर सोचताह? जहिए भक टुटलनि ई गेल घर अछि। अपने तँ जेबे करत, हमरो लए जाएत?"

"से कतहुँ भेलैक अछि?"

"देखैत रहबैक। एहिठाम कोनो हिसाब-किताब नहि रहैत छैक जे महराज ककरा पर बिगड़ि जेताह। तामस हेबाक काज।'

बड़ संकट बुझा रहल अछि।"

"तेँ ने हम दौड़ले अहाँ लग अएलहुँ जे अहाँ बुझनिक लोक छी, किछु समाधान निकालब। `'

"हम की समाधान निकालब? ओकरा अपन भगतैक बहुत दाबी छैक। ऊपरसँ मखना से सशक्त भए गेल अछि।"

से सभ सुनि मामा बहुत चिंतित भए गेलाह। फेर कहलखिन-

अखन टटका समस्या ई अछि जे श्रीकांतक कालेजक संगी चंपा कैक दिनसँ नहि भेटि रहल छनि। ओकर माए से निपत्ता छैक।"

मामा बाजिए रहल छलाह कि महराजी भगता लपकि लेलाह- चंपाक माए महराजक खास छैक। एमहर किछु दिनसँ ओ किछु चक्करमे पड़ि गेल छथि जे जानकारी महराजकेँ जासूस सभ देलक, तकरबादेसँ ओ निपत्ता अछि।"

आ चंपा कतए अछि?"

"कालू भगता चंपाकेँ तंग करैत छलैक। से जानकारी केना-ने-केना महराजकेँ भेलनि। ओ ओकरा महिला छात्रावासमे रखबा देलखिन अछि।"

हमरा नहि रहल गेल।

"एकर माने जे महराजकेँ सभबातक जानकारी छनि?" -ओ पुछलक।

तोरा की बुझाइत छह। राज-पाट ओहिना नहि चलैत छैक?”

"मुदा चंपा कोन छात्रावासमे छथि?"

"से महराजसँ के पुछत?"

"ककरो तँ बूझल हेतैक?"

"तोरा एतेक परेसानी कथीक छह?"

"ईहो कोनो बात भेलैक? हमर कालेजक संगी अछि। एकहि किलासमे पढ़ैत अछि। तखन चिंता कोना ने होएत?"

बाता-बाती बढ़ैत देखि मामा बीचमे पड़ि गेलाह।

"कतहुँ छैक, ठीक छैक ने। एतबे बहुत नीक बात।"

मामा बजलाह। हमहु चुप भए गेलहुँ।

ताबतेमे कालू भगता कतहुँ सँ घुमैत-फिरैत आबि गेल। महराजी भगता ओ राजमंत्रीजीकेँ प्रणाम केलक। आ पुछि बैसल-

"की हाल छैक श्री कान्त?"

हम किछु नहि बाजि सकलहुँ।q

 

२४

 

सभहक समय उदयास्त होइत अछि, सएह कालू भगताक संग सेहो भए रहल छल। एक समय महराज ततेक तमसा गेल रहथिन जे लागैक जे ओ गेल। मुदा आब? आब तँ ओकर भाए सर्वशक्तिमान भए गेल छैक। जानक भए ककरा ने होइत अछि? आ तकर कमान आबि गेल रहैक मखनाक हाथमे।

महराजी भगता होथि चाहे महराजी पंडित सभ चिंतित छलाह। महराजकेँ तँ बकोर लागल छल। बिना दंडक भयकेँ राज-काज चलत कोना? ककरो जे ओ फाँसीक दंड देथिन से चलत कोना। यमपाश तँ मखनाक हाथमे छल। एहि विषयपर मंत्रणा हेतु राजसभा बजाओल गेल। भोरे एगारह बजे महराजकेँ तैयार कराओल गेल। नहा-सोना कए राजकीय वस्त्र पहिर महराज सभामंडप बिदा छलाह कि तरमरा कए खसलाह। चारूकात हरकंप मचि गेल। सभ जहाँ-तहाँ दौड़ रहल छल।"की भेल,की भेल? सभ एक-दोसरकेँ पुछि रहल छल मुदा ककरो एतेक पलखति नहि रहैक जे दोसरकेँ उत्तर देत। चारूकात लगैत छल जेना बिड़रो मचि गेल।

मखना तँ राजक हातेमे अपन मुख्यालय बना लेलक। छोटसँ पैघ सभबातक ओकरा जानकारी भेटए लागल। जएह यमपाश देखए सएह डरा जाइत छल । हालति तँ ई भए गेल जे बिना कोन प्रयासकेँ मखना राजपुराकेँ हथिअओने जा रहल छल।

सिपहसलारसभ महराजकेँ उठा-पुठा कए अस्पताल लए गेल। ओहिठाम पहुँचितहि महराज चिकरए-भोकरए लगलाह। बैद अएलाह। उन्टा-पुन्टा कए देखलखिन, फेर कहैत छथि- महराजक तँ दहिना जांघक हड्डी टुटि गेल अछि। हिनकर हालति नाजुक अछि।'औ बाबू!ओ एतबे बाजल छलाह कि दूटा मुस्टंड ओहि बैदकेँ नरेठी पकड़लक आ लेने-लेने हातासँ बाहर लए गेल। आब बाजह- महराज ठीक हेताह कि तूँ अपन जान एतहि देबह?"

ताबतेमे मखना भभा कए हँसि देलक। ओ बाजल॒-

"आब तोहरसभक खेल खतम अछि। आब चाबुक मखनाक हाथमे अछि। बिसरि जाह ओ जमाना। महराजक जुलुम आब नहि चलत।"

से ओ बजले छल कि सिपहसलारसभ बैदकेँ ओतहि छोड़ि इएह-ले ओएह-ले भागल।

महराजक ओहिठाम नीति निर्धारक समितिक बैसार भेल। महराज अपने तँ रहथि नहि, तथापि राजमंत्रीजीक अध्यक्षतामे कार्यवाही प्रारंभ भेल। सभसँ पहिने सुरक्षासँ जुड़ल मामिलापर विचार भेल। ई कोन बात भेल जे महराजक हड्डी चूर-चूर भए गेलनि आ सभगोटे असहाय भए देखैत रहि गेल। महराजी भगता आ राज पंडित एक-दोसर दिस तकैत रहलाह। सुरक्षा अधिकारी बजलाह-

 "ई कोनो तरहेँ सुरक्षाक चूक नहि अछि। सभठाम चाक-चौबंद व्यवस्था अछि, रस्तोमे कोनो एहन पिच्छड़ वस्तु नहि अछि जे महराज एना भए कए खसि पड़ितथि। जरूर कोनो दैवी प्रकोप अछि।"

"यदि से अछि तँ महराजी भगता कए की रहल छथि? -राजमंत्री बजलाह।

"ई बड़का संकटक समय अछि। एखन आपसी वाद-विवाद उचित नहि।" -राजपंडित बजलाह।

मुदा समाधान तँ हमहीसभ करबैक। महराजक प्राण संकटमे देखितो हमसभ चुप तँ नहि रहि सकैत छी?-राजमंत्री बजलाह।q

 

२५

 

महराज दर्दसँ परेसान छलाह। बैदक औषधिक किछु असरि नहि भए रहल छल। अंग्रजी दबाइ देल जाए कि नहि से निर्णय राजपंडितसँ पुछि कए हेबाक रहैक। ताहि हेतु हुनकासँ राजमंत्री विचार-विमर्ष करबाक हेतु बजओलखिन। दुनूगोटे घंटो मंत्रणा करैत रहलाह मुदा किछु निकलि कए नहि आएल। पंडितजीकेँ सक रहनि जे महराजपर कोनो अदृश्य शक्तिक प्रकोप अछि। मुदा तकर निवारणक कोनो उपाय नहि बुझाइन।

एमहर गाम-गाम ई समाचार पसरि गेल। चारूकातसँ लोकसभ महराजक जिज्ञासामे आबए लगलाह। पुबारि गाम तँ राजपुरासँ सटले छल। एहि गामक वच्चा, युवक, बूढ़सभ बिदा भेल। ओकरसभक देखसीमे पछबारि गामक लोक बिदा भेल। रस्तामे जे जतए भेटैत गेल से संग लागि गेल। महराजक बिमारी नहि भेल,एकटा तमासा भए गेल।

लोकसभ रस्तामे गप्प करैक" महराज अपन पापक फल भोगि रहल अछि?"

से की?'-दोसर बाजल।

"गरीबसभक जमीन-जायदाद कौड़ीक भाव नीलाम करबा दैत छैक। कतेको घर उजड़ि गेल। कतेको लोक जिला-जबार छोड़ि परदेश चलि गेल। आखिर तकर पाप तँ लगबे करतैक।"

"बात तँ तूँ लाख टकाक कए रहल छह? महराजकेँ एतेक संपत्ति अएलैक कतएसँ? लोकेकेँ लुटलकैक ने?"

"हे बेसी फर-फर नहि करह। चारूकात जासूससभ पसरल अछि। व्यर्थमे मारल जेबह।"

"तेँ की? लोक उचित-अनुचित बजबो नहि करतैक। ई जे बड़का-बड़का महलसभ ठाढ़ छैक से कतए सँ बनलैक। हमरे-तोरे पसिनाक कमाइसँ ने?"

लोकक हुजुम आगू बढ़िते जा रहल छल। ताबतेमे कनीक हटि कए किछु हल्ला भेलैक।

ई कोनो उत्सव नहि छलैक जे गामक-गाम लोक उलटि जाए। मुदा लोककेँ की कहल जाए?सभकेँ महराजमे ततेक जिज्ञासा छलैक जे रोकने नहि रोकाएल। सुरक्षा अधिकारीसभ बैसार केलक आ राजक हातासँ पहिने सभकेँ रोकि देल गेल। ओहिमेसँ किछु गोटे सही मानेमे महराजक शुभचिंतक छलाह। ओ सभ काली!काली! सुमरए लगलाह। महराजपर संकट गहींर भेल जा रहल छल। कोनो इलाजसँ फएदा नहि भए रहल छल। ओमहर मखना निचैन छल। ओकर तँ दुनू हाथमे लड्डू छलैक। यदि महराज हारि मानि लेलाह तँ ओकर राजपुरा राजपर प्रच्छन्न अधिपत्य भए जाएत,यदि से नहि भेल तँ महराज ओहिना बेकार भए जाएत किंबा अकालमृत्युक सिकार भए जेताह ।s

मखनाक बढ़ैत प्रभुत्वसँ महराजे नहि यमराजो चिन्तित रहथि मुदा ओ तँ बाजी हारि गेल छलाह। ततेक तेजीसँ मखना अपन जाल-पोल बढ़ओलक जे यमराजकेँ कोनो उपाय नहि फुरेलनि। हुनका तँ अपने प्राण संकटमे छल। वाहरे बहादुर! तेहन-तेहन दिमाग अपना ओहिठाम भेल अछि जे राजपुरा के कहए,एहि लोककेँ के कहए, यमलोक धरि अपन लोहा मना कए रहल।

आब जखन राजपुराक सभगोटेक जीवन-मृत्यु मखनाक हाथमे आबि गेल छल तँ ओकरा एकटा अपन सचिवालयक आवश्यकता बुझेलैक। ताहि उपयुक्त समयक प्रतीक्षा कए रहल छल। ओहुना मखना काबिल लोक छल। ओकर उद्देश्य महराजकेँ मारब नहि रहैक, ओ तँ मात्र अपन प्रभुत्वसँ महराजकेँ अवगत करा देबए चाहए छल। ई तँ महराजक सिपहसलारसभक मूर्खता छल जाहि कारणसँ महराजकेँ एतेक जोर धक्का पड़ल। मुदा आबो केओ हुनका सही सलाह नहि दए रहल छलनि। महराजक सही इलाज तँ मखना लगमे छल।

मुदा मखना निश्चिन्त छल। ओ सोचलक- आखिर कतए जेताह? सभसँ गड़बड़ी ई भेल रहैक जे मखना राजेक हातामे अपन बासा बना लेने छल। यद्यपि मखनाकेँ कखनो कए महराजपर दया अबैक मुदा फेर सोचए लगैत छल जे ई आदमी लोककेँ बहुत परेसान केने अछि। गरीबसभक माल-जाल कनी-मनी बकिऔताक चक्करमे नीलाम करा कए कतेको लोकक घर उजारि देने अछि। से सभ सोचैत-सोचैत मखना ततेक जोरसँ भभा कए हँसल जे ओकर प्रतिध्वनि सौंसे राजक हातामे सुनाएल।

एतेक भयानक हँसी के हँसल?ई मनुक्खक अबाज तँ नहि लागि रहल अछि। मामा बजलाह।

"छलैक तँ ठीके भयानक।" -हम कहलिअनि।

महराजक ओहिठाम पता ने की-की भए रहल अछि?"

"कारण?"

की कहल जाए?सभ अपन-अपन चक्करमे लागल अछि। महराज तँ नाम मात्रक छथि। ऊपरसँ दिन-राति पीने बुत्त रहैत छथि।"

"तखन राज-काज केना चलैत अछि?"

"एकरा कहबहक राज-काज चलब? कहुनाकँ घिचा रहल अछि। जकरा जम्हरे देखू अपन सुतारमे लागल अछि। हमरा तँ कखनहुँ कए मोन उबिआइत अछि जे एहिसभसँ निकलि जाइ, मुदा महराजकेँ मनाओत के?"

मामा संगे चाहपर गप्प-सप्प भए रहल छल। ओहीक्रममे कहलाह जे चंपाक कालेज जेबाक सभटा बंदोवस्त ओ स्वयं कए देलाह अछि। आब ओ काल्हिसँ कालेज जाएत। एहि शुभ समाचारसँ हमर मोन गद-गद भए गेल। मामा छलाह पारखी लोक। ओ हमर मोनक बात बूझि गेलाह आ कहए लगलाह- सभ काज बिसरि अपन पढ़ाइ-लिखाइमे लागल रहह। एमहर-ओमहरमे समय नहि बिताबी।"

मामाक कहबाक तात्पर्य हम बुझलहुँ। मामासंग गप्प-सप्प चलिए रहल छल कि महराजी भगता राजपंडितक संग मामा लग पहुँचलाह। महराजक स्वास्थ्यक विषयमे चर्चा प्रारंभ भेल।

महराजक स्वास्थ्यमे किछु सुधार नहि अछि। महरानी लोकनि बहुत चिंतित छथि। यदि हुनका किछु भए गेल तँ हमरा लोकनिक भगवाने मालिक।" -राजपंडित बजलाह।

"बात एकदम सही अछि। सभ अपन-अपन चक्करमे लागल अछि आ ओमहर महराज दिन-राति अपन कक्षमे दहाड़ि पारि रहल छथि।"

-महराजी भगता बजलाह।

"बात जे होइक मुदा एतबा तँ बुझा रहल अछि जे एखन धरि कएल गेल प्रयास कारगर नहि भेल।" -राजमंत्री बजलाह।

"मुदा कएल की जाए? एनामे तँ हमसभगोटे नपा जाएब।"

-राजपंडित बजलाह। सभगोटे अपने जान हेतु झखि रहल छलाह। महराजसँ बेसी चिंता हुनकासभकेँ अपन रहनि। राजपंडित बजलाह- राजबैदकेँ बजाओल जाए।"

राजबैदकेँ समाद गेल। ओ धरफराएल ओतए पहुँचलाह।

"महराजक की हाल छनि?" -राजमंत्री बजलाह।

"किछु सुधार नहि अछि।"

"तखन?” -राजपंडित बजलाह।

"हमरा हिसाबे तँ हिनका इलाजक हेतु लंदने लए गेल जाए। ओहिठामक डाक्टर हिनकर कैक बेर पहिनहुँ इलाज केने अछि। की पता ओ एहू बेर सफल होथि?" -राजबैद बजलाह।

"सही राय दए रहल छथि। एकरा शीघ्र लागू कएल जाए"-राजमंत्री बजलाह।q

 

 

रबीन्द्र नारायण मिश्र