जय
महाकाल
कोरोनाक आक्रमणक
बाद कैकसाल धरि हमरा लोकनि घरेमे बंद रहलहुँ । कोरोना कम भए गेलाक बादो ओकर भय बनल
रहल । ओकरा मोनसँ हटबामे सेहो किछु समय लागल। पछिला साल बहुत सोच-बिचारक बाद हम दुनू बेकती प्रयागराज गेल
रही। ओहिठामसँ चित्रकुट सेहो घुमल रही। प्रयागराजसँ सटले मेजा तहसीलमे एनटीपीसीक कारखानाक
आवासीय परिसरमे सेहो हमसभ रहल रही। तकर बादसँ घरेपर छलहुँ। अस्तु,मोन
बहुत दिनसँ कतहु घुमबाक हेतु व्यग्र छल। आखिर हमसभ महाकालेश्वर,ओमकारेश्वरक दर्शन करबाक मोन बनेलहुँ । ताहि हेतु इन्दौरमे रहबाक जोगार
सरकारी होलीडे होममे भए गेल। रेलक टिकट सेहो कटि गेल। एतेकक बादो चिंता भए जाए जे
जाइत-जाइत स्वास्थ्य अनुकूल रहि सकत कि नहि? आखिर ओ दिन आबिए
गेल। हमसभ बाइस जुलाइक चारि बजे टैक्सीसँ नईदिल्ली टीसन बिदा भए गेलहुँ । ट्रेन
छुटबाक समय पौने सात बजेसँ एकघंटा पहिने हम दुनू बेकती टीसन पहुँचि गेलहुँ ।
टीसनपर पहुँचलाक
बाद एकटा कुली ठीक केलहुँ । टीसनपर यदि कुलीकेँ पता लागि जाइत छैक जे यात्री
एसीफस्ट कोचसँ जेताह तँ ओकर दर दुगुन्ना तँ भइए जाइत छैक । तथापि दुसए टाकामे
हमरसभक बात बनि गेल। आगू-आगू सामानसभक संग कुली आ तकर पाछू-पाछू हम दुनू बेकती
बिदा भेलहुँ । अजमेरी द्वारि दिसक एस्कलेटरपर पहिने ओ आ तकरबाद हमसभ पैर रखलहुँ।
देखिते-देखिते कुली कतएसँ कतए चलि गेल। हम आ श्रीमतीजी संगे रही। एस्कलेटरपर हुनकर
पैर ठीकसँ नहि बैसि सकलनि। परिणाम भेल जे आधासँ ऊपर गेलाक बाद हुनकर पैर पिछड़ि
गेलनि। हम अकचका गेलहुँ । ओ एस्कलेटरपर भसिआइत बुझेलीह। रच्छ भेल जे कहुना कए ओ
ओकर रेलींगकेँ थामि लेलीह। यदि से नहि होइत तँ ओ पाछू भरे खसितथि आ पता नहि की
होइत?
साइत एकटा बड़का ग्रहसँ सस्तेमे छुटकारा भए गेल। हमसभ प्लेटफार्म
नंबर आठपर पहुँचि गेलहुँ ।
ट्रेन प्लेटफार्मपर
लागल छल । हमरा सामनेमे एसी वनक कोच संख्या एचवन छल। मुदा अखन ओहिमे पैसबाक अनुमति
नहि छलैक। ओकर सफाइ चलि रहल छलैक। बाहर बहुत गर्मी छलैक। तेँ हम प्रयास केलहुँ जे
जल्दीसँ ओहि डिब्बामे चलि जाइ। ताहि हेतु ओहिमे कार्यरत एकटा कर्मचारीकेँ आग्रह
केलिऐक । ओ सहमति दए देलक। हमदुनू बेकती ट्रेनक ओहि डिब्बामे पैसि गेलहुँ आ
अपनसीटपर चलिओ गेलहुँ । मुदा ताबते आरो यात्रीसभ सेहो ओहि डिब्बामे पैसि जेबाक
दुराग्रह करए लागल। ओहिठाम कार्यरत कर्मचारीसभ से मना कए देलकैक। तकर बाद हल्ला
शुरु भए गेल।
“अहाँ
हिनकासभकेँ तँ जाए देलिअनि। हमसभ किएक नहि जाएब? हमरो तँ
टिकट अछि।”
आखिर एकटा
कर्मचारी हमरा कहलक-
“अहाँसभ
बाहर चलि जाउ । दोसर यात्रीसभ परेसानी कए रहल अछि। जखन डिब्बा चलबाक हेतु तैयार भए
जेतैक तखन फेर चलि आएब।”
“एहनो
कतहु भेलेक अछि? हमसभ बूढ़ छी। बाहर दम फुलि रहल छल। तोरेसभक
कहलाक बाद हमसभ एहिठाम अएलहुँ अछि। हमरासभकेँ टिकट अछि,एही
डिब्बामे जेबाक अछि,तखन एतए बैसिओ गेल छी,फेर बाहर निकलबाक कोन बात भेलैक?”
मुदा ओ सभ अड़ि
गेल। तखन हमहूँ धमकी देलिऐक।
“बेस
तँ हम रेलमंत्रीकेँ सिकाइत करैत छी। आखिर हमरालोकनि वरिष्ठ नागरिक छी। उचित टिकट
लेने छी आ एही ट्रेनसँ एही डिब्बामे जेबोक अछि। तखन किएक उतरि जाउ?”
रेलमंत्रीक नाम
सुनितहि ओसभ सकदम भए गेल। हमरासभक आगूक परदा घिचि देलक। हमहुँसभ निचेनसँ बैसि
गेलहुँ ।
आखिर ट्रेनक
डिब्बा खुजल। यात्रीसभ धराधर अपन-अपन सीटपर बैसि गेलाह। हमसभ तँ पहिनहिसँ बैसिए
गेल रही। हमरा कोच संख्या एचवनमे शायिका संख्या सात आ नव रहए। दुनू निचुलके सीट
छल। ऊपरक एकटा यात्री आबि गेल रहथि। दोसर यात्री मथुरासँ ट्रेन पकड़ताह,से
बात टीटी बजलाह।
नियत समय सात बाजि कए पन्द्रह मिनटपर ट्रेन
खुजल। हमसभ बहुत प्रसन्न रही। ट्रेन थोड़बे कालमे अपन गतिसँ चलि रहल छल। टीटी
अएलाह। हमरसभक नाम पुछलथि । बस एतबे। किछु आर नहि । थोड़े कालक बाद भोजनक आदेश देल
गेल। एकटा यात्री तँ आनलाइन भोजनक आदेश देने रहथि। तेँ हुनकर भोजन मथुरामे ट्रेनमे
आबि सकलनि। ताबे तँ हमसभ भोजन कए निश्चिन्त भए गेल रही। रेल भोजनालयसँ देल गेल हमर सभक भोजन बहुत साधारण छल। हमरा
अफसोच होअए जे हमहूँ किएक ने आनलाइन भोजनक जोगार कए लेलहुँ?
राति भरि चललाक
बाद ट्रेन निश्चित समयसँ एक घंटा पहिने पौने छओ बजे इन्दौर पहुँचि गेल। पन्द्रह
मिनटमे आटोसँ हमसभ केन्द्र सरकारक होलीडे होम पहुँचि गेलहुँ। ओहिठाम मुख्यद्वारिपर
कार्यरत चौकीदार हमरासभकेँ भीतर आबए देलक। स्वागत कक्षमे केओ नहि छल। हम ओकरा
पुछलिऐक-
“एहिठाम
केओ आदमी नहि अछि की?”
ओ उत्तर दैत
अछि-
“हम
अहाँकेँ आदमी नहि बुझाइत छी की?”
ओकरा आब की
कहितिऐक?
हमरा चुप देखि ओ बाजल-
“सात
बजे मनेजर अएताह। अहाँ चाही तँ हुनका मोबाइलपर फोन कए दिअनु।
“हुनकर
मोबाइल नंबर आ नाम एकटा कागजपर लिखि कए स्वागत कक्षमे साटि देल गल छल। हम हुनका ओहि
मोबाइल नंबरपर फोन केलिअनि । ओहो ओएह बात कहलाह-
“सात
बजे धरि अहाँसभ ओतहि बैसू। तकर बादे हम आबि सकब। ओना कोठरी साढ़ेदस बजेसँ पहिने नहि
भेटि सकत। कारण ओ नओ बजे धरि खाली हेतैक आ तकर बाद ओकर सफाइ कएल जाएत।”
हम सामनेमे राखल
सोफापर बैसि गेलहुँ । ताबतेमे एकटा आर परिवार पहुँचि गेलाह। ओहोसभ दिल्लीएसँ आबि
रहल छलाह। थोड़ेकाल हुनकासभसँ गप्प-सप्प केलहुँ । नित्यकर्मसँ निवृत भेलहुँ।
ताबतमे कैंटिन खुजि गेलैक। हमसभ भोरुका चाह दू-दू कपक पीलहुँ । चाह पीलाक बाद मोन
कनीक आश्वस्त भेल। ताबे होलीडे होमक मनेजर आबि गेल रहथि। हुनकेसँ एकटा ट्रैभेल
एजेंटक मोबाइल नंबर लेलहुँ। हम ओकरा फोन करैत छी-
“हमरा
लोकनिकेँ दस बजेक आसपास महाकालेश्वर, उज्जैन जेबाक अछि।
टैक्सीक जोगार भए सकत की?”
“किएक
ने।”
“कतेक
टाका लगतैक?”
“एकतीस
सए । ओहिमे गेनाइ, ओहिठाम प्रमुख स्थानसभ घुमनाइ आ वापस
इन्दौर आएब सामिल अछि।”
हम कहलिऐक-
“ठीक
छैक। अहाँ टैक्सी बलाकेँ पठाउ।”
हमसभ एहि बातसँ
बहुत प्रसन्न रही जे एतेक आसानीसँ टैक्सीक जोगार भए गेल। थोड़बे कालक बाद टैक्सी
बलाक फोन आएल । ओ दस बजे पहुँचि जाएत । हम सभ सोचलहुँ जे उज्जैन पहुँचिए कए छिप्रा
नदीमे स्नान करब। दस बाजहि बला छल कि
मनेजर हमरासभकेँ कोठरी संख्या १०१मे पहुँचा देलाह। हमसभ अपन सामान ओतए राखि बाहर
निकलले छलहुँ कि टैक्सी बला सेहो पहुँचि गेल। एकटा झोरामे धोती,कुरता,अंगपोछा,सारी आदि राखि हमसभ टैक्सीमे बैसि गेलहुँ ।
टैक्सी अपन गंतव्य दिस बिदा भेल। वाहनचालक बहुत मधुर स्वरमे गबैत हनुमान चालीसा बजा
रहल छलाह। बाहर मौसम बहुत सुखद छल। मेघ लागल छल। कतहु कोनो परेसानी नहि छल। टैक्सी
तीव्र गतिसँ अपन गंतव्य महाकालक दरबार दिस बढ़ि रहल छल ।
महाकाल मंदिर
हमसभ बारह बजेक
आसपास उज्जैन पहुँचि गेलहुँ। सभसँ पहिने
छिप्रा नदीक घाटपर पहुँचलहुँ। चप्पल कारेमे राखि देने रहिऐक । कारसँ उतरि
नदीक घाट धरि जेबामे बहुत कष्ट भेल कारण
सौंसे पातर-पातर पाथरक टुकड़ीसभ पसरल छल जाहिपर पैर रखितहि गड़ैत छल । छिप्रा
नदीक पानि तँ जुड़सीतलक कादोसँ बेसी मैल छल। ओहि पानिमे नहा कए की शुद्ध होएब? अपना मोने सोचलहुँ। तथापि हम दुनू बेकती बेरा बेरी पानिमे कहुना कए डुबकी
लगओलहुँ । ओहिठाम आसपासमे बड़ी-बड़ीटा मरल माछसभ पड़ल छल जकर दुर्गन्धसँ ओतए रहब बहुत मोसकिल बुझाइत
छल। संभवतः नदीमे बेसी पानि बढ़ि गेलापर माछसभ बाहर खसि पड़ल आ ओतहि मरि गेल। जल्दीसँ स्नान कए
हमसभ कार लग पहुँचलहुँ । लगीचेमे महाकाल भैरवक मंदिर छल। हमसभ ओतए भैरवक दर्शन
करबाक हेतु पाँतिमे लागि गेलहुँ। मुदा ओ पाँति की छल बुझू लोकसभ जिलेबी जकाँ घुमि
रहल छल। पाँच सएसँ बेसीए लोक ओतए पाँतिमे लागल छलाह। बहुत नहू-नहू लोक आगू बढ़ैत
छल। थोड़े-थोड़े कालपर सेहो बंद भए जाइत छल। हालति देखि हमरा तँ बहुत चिंता होइत
छल।
“कहि
नहि कखन धरि दर्शन होएत?”-हम हुनका बेर-बेर कहिअनि।
“महाकालेश्वरक दर्शन सेहो
करबाक अछि। पता नहि कोना की होएत? एनामे केना दर्शन होएत?”-हम दुनू बेकती आपसमे गप्प करैत रही। मुदा आब कएले की जा सकैत छल? पाँतिक बीचसँ वापसो होएब संभव नहि छल। हमरा सभकें मैथिलीमे गप्प करैत सुनि सामनेमे भेटि गेलाह
समस्तीपुरक मैथिल परिवार। ई थिक अपन भाषाक चमत्कार ! हुनकासँ गप्प कए मोन कनी हल्लुक तँ भेबे कएल । आब हमसभ
मुख्यमंदिरपर आबि गेल रही। लगीचेमे मुर्दा धह- धह जरि रहल छल। सौंसे
ओकर धुआं पसरि रहल छल। भक्त लोकनिक जयकारा सेहो चलिए रहल छल,,,। जय श्रीकाल भैरव,,,! संभवतः ई दृश्य मोनमे ज्ञान
उत्पन्न कए सकैत छल। व्यर्थक लालसासँ मोनमे उचाट उत्पन्न कए सकैत छल। मुदा से होइत
कहाँ अछि? लोक ओतहु
भैरव बाबासँ अपन अनेक कामनाक प्राप्तिक हेतु प्रार्थना करैत रहैत अछि।
लगभग दू घंटा
पाँतिमे घुमैत रहि गेलाक बाद हमसभ भैरव मंदिरक गर्भगृह लग पहुँचलहुँ । मंदिरमे
भैरवक आगूमे मोसकिलसँ एकमिनट समय भेटल। मोने-मोन हुनका प्रणाम कए आगू बढ़ि गेलहुँ
। ताबे हमसभ बहुत थाकि गेल रही। वर्षासे जोर पकड़ि लेने छल। ओतए ठाढ़ प्रहरीकेँ हम
मदति करबाक गोहार लगेलहुँ । हमरासभपर ओ दया केलक । ओ हमरासभकेँ पाछू बाटे निकालि
देलक जाहिसँ वापसीमे फेरसँ पाँतिमे नहि लागए पड़ल। मुदा बाहर निकलितहि वर्षामे
फँसि गेलहुँ । ओहिठामसँ जूता स्टैंड धरि जाएब पराभव भए गेल छल। कहुना कए
भिजैत-तितैत हमसभ जूता स्टैंड पहुँचलहुँ । अपन-अपन जूता-चप्पल लेलहुँ । ओहिठामसँ
भिजिते आगू बढ़ि वाहनचालककेँ ताकि रहल छलहुँ कि छत्ता लेने ओ देखाएल । मुदा ताबे
तँ हमसभ नीकसँ भिजि गेल रही। ओही हालतिमे हमसभ टैक्सीमे बैसि महाकाल मंदिर दिस बढ़ि
गेलहुँ ।
महाकालक नित्य
भोरे ब्राह्मीमुहुर्तमे भस्म आरती कएल जाइत छनि। पहिने ऐहि लेल ओहिराति सभसँ पहिने
जरल मुर्दाक भस्मक उपयोग होइत छल। मुदा आब गोइठासँ बनाओल गेल भस्मसँ भस्म आरती
होइत अछि। एकरा देखबाक हेतु आननलाइन बुकिंग सेहो होइत अछि । मुदा साओन मासमे
दर्शनार्थीक भीड़केँ देखैत ई सुविधा बंद कए देल गेल अछि। अस्तु,
महाकालक दर्शनक हेतु हम शीघ्रदर्शनक आनलाइन टिकट कीनने रही। मंदिर परिसरमे द्वारि
संख्या चारिसँ हमरासभकेँ एहि टिकटक संगे आगू जेबाक छल। हमसभ एही द्वारिसँ आगू
बढ़ैत छी। कतहु कोनो परेसानी नहि,कोनो पाँति नहि । हमसभ
धराधर मंदिरमे भीतर धरि प्रवेश कए गेलहुँ। बहुत नीकसँ महाकाल महादेवक दर्शन केलहुँ
। तकर बाद मंदिरसँ बाहर अएलाक बाद हमसभ प्रसाद कीनबाक हेतु द्वारि संख्या एक लग
बनल खिड़कीपर गेलहुँ । सए रुपयाक दरसँ यथेष्ट लड्डूक पैकेट कीनलहुँ । हमसभ तकर बाद
अपन वाहनमे वापस जेबाक दिसामे बढ़लहुँ । एतेक आसानीसँ दर्शन भए जाएत से नहि सोचने रही।
जहिना भैरव मंदिरमे भीड़ छल तहिना एहिठाम एकदम सपाट रस्ता। लगैत अछि महाकाल
हमरालोकनिपर विशेष दया केलनि। संभवतः शीघ्रदर्शनक टिकट रहबाक कारण परेसानीसँ
बचलहुँ । महाकालक दर्शनक बाद हमसभ बहुत संतुष्ट छलहुँ। आब आर कतहु जेबाक प्रयोजन
नहि बुझा रहल छल । ओना वाहनचालक आर मंदिरसभक चर्च केलक । मुदा हमसभ आब कतहु नहि
गलहुँ । सोझे वापसी यात्रा हेतु टैक्सीमे बैसि गेलहुँ ।
इन्दौर
हमसभ अपन
यात्राक मुख्यालय इन्दौर बनओने रही। कतहु जाउ,किछु करू घुरि कए वापस तँ
घरे आएब। संयोगसँ एहि यात्रामे हमरा सरकारी होलीडे होममे जगह भेटि गेल छल जे सभ
तरहेँ सुखद छल । ओतए सभ आवश्यक सुविधा छल। भोजन,जलखै,चाहक ओरिआन तँ छलहे। तेँ हमसभ वापस ओहिठाम आबि गेलाक बाद बहुत आराममे रहैत
छलहुँ । जेना अपने घरमे होइ। आइ हमरा लोकनिक इन्दौरमे दोसर दिन छल। सोम दिन हेबाक
कारण शिव मंदिरसभमे अथाह भीड़ हेबाक संभावना छल। तेँ हमसभ आइ आनठाम नहि जा कए
स्थानीय भ्रमण करबाक निर्णय केलहुँ । भोरे जलखै चाहक बाद हमसभ ओही टैक्सीसँ नगर
भ्रमण करए बिदा भेलहुँ ।
इन्दौर सहर
पछिला कैकसालसँ सफाइक मामिलामे संपूर्ण
देशमे प्रथम आबि रहल अछि। एहू साल सएह भेलैक । जखन इन्दौर सहरमे घुमि रहल छलहुँ तँ
व्यवहारिक रूपसँ प्रत्यक्ष अनुभव भेल जे वस्तुतः ई सहर अतिशय स्वच्छ अछि । सदिखन
सफाइ करबाक हेतु तत्पर कर्मचारीसभ। स्थानीय लोकोसभ ओहिना कान ठाढ़ केने । रोडपर
तरकारीक दोकान बला सभ जाइत काल एक-एकटा खढ़ उठाबैत देखलहुँ । तकर बाद ओहि स्थानकेँ
बाढ़निसँ साफ करैत देखलहुँ । ओ जखन दोकान बंद कए चलि तँ सड़क चिक्कन ,चमचम
करैत छल,ओहिना जेना भोरमे रहल होएत। कतहु केओ सड़कपर अकर-बकर
वस्तु नहि फेकैत। कोना ने औअलि आओत ई सहर?मोनमे होअए जे
आन-आन सहरमे ई गुण लोकमे किएक ने अबैत छनि?
इन्दौर सहर
भ्रमणक क्रममे हमसभ सभसँ पहिने खजराना गणेश मंदिर पहुँचलहुँ । ई मंदिर अहिल्याबाई
होल्कर बनओने छलीह। मुख्य मंदिरमे गणेशजीक भव्य प्रतिमा स्थापित अछि। लगपासक
छोट-छोट मंदिरमे आन-आन देवतासभक मूर्ति स्थापित छनि। कहल जाइत अछि जे एहिठाम लोकसभ जे किछु अभिलाषाक कामना करैत छथि
से प्राप्त होइत छनि। मंदिरमे दर्शन केलाक बाद हमसभ थोड़ेकाल ओतहि बैसलहुँ ।
ओहिठामसँ हमसभ पहुँचलहुँ अन्नपूर्णा मंदिर । एहि मंदिरमे अन्नपूर्णाक मूर्ति
स्थापित अछि। चारूकात
अतिशय स्वच्छ परिसरक बीचमे चम-चम करैत अन्नपूर्णाक मंदिर देखैत बनैत छल । हमसभ
बहुत नीकसँ दर्शन केलहुँ । लगैत छल जेना एकटा बहुत पवित्रस्थानमे पहुँचि गेल छी।
सहरमे
घुमैत-घुमैत हमसभ राजवाड़ा पहुँचलहुँ । राजवाड़ा महल मध्य प्रदेश राज्यक इन्दौर
शहरमे अवस्थित एक राजमहल छी । ई महल लगभग 200 साल पहिने बनल छल ।
एहि महलक वास्तुकला फ्रेंच, मराठा आ मुगल शैलीक अनेक रूप आ
वास्तुकला शैलीक मिश्रण अछि । सात मंजिला एहि भवन मे निचला तीन मंजिला संगमरमरक
बनल छल । ऊपरका चारि मंजिला सागौनक लकड़ीक सहायतासँ बनल छल । राजबादा ९१८ फीट लंबा
आ २३२ फीट चौड़ा एहि भवनक प्रवेश द्वार ६.७० मीटर ऊँच अछि, जकर
संरचना हिन्दू शैलीक महल जकाँ अछि । राजवाड़ा अपन इतिहास मे तीन बेर जरि चुकल अछि
आ 1984 मे अंतिम बेर लागल आगि मे एकरा भारी नुकसान पहुंचल छल।
आइ मात्र बाहरी भाग अक्षुण्ण अछि। ओहि महलमे घुमलाक बाद बाहर आबि हमसभ किछु फोटो
घिचलहुँ । कैकबेर ओहि विशाल महलकेँ देखैत रहलहुँ आ तकर बाद आगू बढ़ि गेलहुँ ।
इन्दौर गेलहुँ आ
ओहिठामक छप्पन दोकानमे जा कए मनपसिंद हलझप्पी नहि केलहुँ तँ की केलहुँ? इन्दौरक पोहा जिलेबी,पानी पुरी,दही पुरी,खोपरा
पट्टी,गोंदक लड्डु,कचौरी आ पान बहुत
प्रसिद्ध अछि। पोहा जिलेबी तँ भोरे-भोर सहरमे सभठाम भेटि जाएत । हमसभ दुपहरिआमे
छप्पन दोकान लग पहुँचलहुँ । एकपाँतिसँ दुनूकात छोट-छोट दोकानसभमे अनेक प्रकारक
भोजन सामग्रीसभ उपलब्ध छल। हमसभ थोड़ बहुत खेलहुँ । तकर बाद आगू बढ़ि गेलहुँ। तकर
बाद हमसभ पहाड़ीपर बनल जैनसभक प्रसिद्ध तीर्थस्थल गोमतगिरि गेलहुँ। ओतए चौबीसो तीर्थांकरकेँ
समर्पित चौबीसटा संगमरमरक मंदिर अछि। गोमतेश्वरक एक्कैस फीट उँच मूर्ति सेहो
आकर्षणक केन्द्र अछि। रविदिन कए ओहिठाम आगन्तुक लोकनिकेँ दालबाटी खेबाक अवसर भेटैत
छनि। साँझमे ओहि पहाड़ीपरसँ सूर्यास्तक दृश्य बहुत मनोरम होइत अछि। परंतु,हमसभ
ओ दृश्य नहि देखि सकलहुँ ।
अहिल्याबाई
होल्कर इन्दौरक नामसँ जुड़ल छथि। ओ बहुत धार्मिक प्रबृतिक छलीह । ओ संपूर्ण भारतमे
प्रसिद्ध मंदिरसभक जीर्णोद्धार करओलीह। नव मंदिर,धर्मशाला सभक
स्थापना सेहो करओलीह। एहिमे काशीविश्वनाथ मंदिर,वाराणसी,सरयू घाटपर निर्मित राम मंदिर,बद्रीनाथ,द्वारकाधीस,केदारनाथ,ओंकारेश्वर,आ रामेश्वरममे मंदिर,धर्मशाला आदिक स्थापना करबओलथि।
ओमकारेश्वर मंदिर
सोमदिन इन्दौर
भ्रमणक बाद मंगलदिन हमसभ भोरे ओमकारेश्वर महादेवक दर्शनक हेतु बिदा भेलहुँ । मंगल
दिन रहबाक कारण हम दुनू बेकती उपासमे रही। तेँ की? मोनमे ततेक
उत्साह छल जे उपासक कारण कनिको परेसानी नहि बुझाएल । रस्तामे हमसभ एकठाम चाह जरूर
पीलहुँ । तकर बाद वाहनचालक चलबैत रहल अपन वाहन आ हमसभ लैत रहलहुँ ओहि सुंदर मौसममे
पहाड़ी यात्राक आनन्द। आकासमे मेघ उमरि-घुमरि रहल छल । हबा से मंद-मंद बहि रहल छल।
दुनू दिस पहाड़ी आ बीच-बीचमे बोल बम करैत कमरथुआसभ आगू बढ़ैत जा रहल छल। एहन सुखद
यात्रा होएत तकरा हमर कनिको अनुमान नहि छल। अपितु,हमरा
कनी-मनी डरो होइत रहए। पता नहि पहाड़ी सड़कपर वाहन कोना चलत,आदि,आदि । मुदा से सभ किछु नहि छल। लागि रहल छल जेना चारूकातसँ आनन्दक वर्षा
भए रहल अछि। एहि तरहेँ लगातार दू घंटा वाहन चलैत रहलाक बाद पहुँचि गेल
ओमकारेश्वर।
सभसँ पहिने हमसभ
नर्मदा नदीक घाटपर गेलहुँ । नदीमे कातेमे बेरा-बेरी स्नान केलहुँ । किछु फोटो सेहो
खिचलहुँ। तकर बाद ओमकारेश्वर मंदिर दिस बिदा भेलहुँ । हमरासभकेँ शीघ्र दर्शन करबाक
टिकट छल। तथापि मंदिरक द्वारिएपर एकटा पंडा प्रस्ताव देलाह-
“हमरा
संगे चलू । हम नीकसँ महादेवक गर्भगृहमे दर्शन करा देब। महादेवपर जलो ढरबा देब।”
“मुदा
हमरासभक लगमे तँ शीघ्रदर्शनक टिकट अछि?”
“तेँ
की? ओहिसँ अहाँ महादेवपर जल थोड़े ढारि सकब। हम तँ अहाँकेँ
जलाभिषेक करा देब। गर्भगृहमे तुरंत पहुँचा देब।”
“हमरा
कतेक भुगतान करए पड़त?”
“एगारह
सए।”
“हम
एतेक टाका नहि देब।”
ओहि पंडासँ बहुत
मोसकिलसँ जान बचा कए हमसभ आगू बढ़लहुँ । थोड़बे फटकी गेल होएब कि एकटा युवक पंडा
फेर ओहने प्रस्ताव लए उपस्थित भए गेलाह । हम हुनका कहलिअनि –
“पाँचसए
टाका दए सकैत छी। एहिसँ बेसी किछु नहि।”
ओ तैयार भए
गेलाह । तकर बाद ओ आगू-आगू आ हमसभ पाछू-पाछू जा रहल छलहुँ । हमर श्रीमतीजीक हाथमे
शीघ्रदर्शन बला पर्ची छलनि। से देखि कए एकटा सेवादार ओहि युवक पंडाकेँ टोकलकैक-
“हिनकासभकेँ
तँ शीघ्र दर्शनक टिकट छनि।”
हाथसँ इसार दैत
ओ आगू बाजल-
“हिनकासभकेँ
ओहि बाटे लए जाहुन।”
तकर बाद पंडा
रस्ता बदललक। हमहूँसभ ओकर पाछू-पाछू चलैत रहलहुँ । बहुत संकीर्ण सीढ़ीनुमा रस्तामे
लोक ठसल छल। मोसकिलसँ पाँच मीटर आगू मंदिरमे प्रवेश करबाक द्वारि छल। मुदा ओतए
पहुँचबे पराभव लागि रहल छल। ऊपरसँ लोकसभ बजैक जे बारह बजेक बाद एक घंटाक हेतु मंदिर बंद भए जाएत । हमसभ एहि
बातसँ आर चिंतित रही । मुदा से नहि भेल। थोड़बे कालक धक्कम-धुक्कीक बाद हमसभ
ओंकारेश्वर मंदिरक द्वारिसँ भीतर पैसि गेलहुँ । पैसि तँ गेलहुँ,मुदा
आगू-पाछू लोकसभ लगैत छल पिचि देत। दर्शनक तँ भगवाने मालिक । आखिर जेना-तेना ओ पंडा
लोटामे जल लेने आगू-आगू आ हमसभ ओकर पाछू-पाछु महादेवक आगूमे पहुँचि गेलहुँ।
बेरा-बेरी महादेवपर जल ढारलहुँ , प्रणाम केलहुँ आ आगू बढ़ि गेलहुँ।
महादेवक दर्शन
कए हमसभ बाहर भेले छलहुँ कि पंडा हमरा हमर हाथ पकड़ि कए किछु मंत्र पढ़ए लगलाह।
जाबे हम किछु सतर्क होइतहुँ ताबे तँ ओ बहुत आगू बढ़ि गेल रहथि। हम पुछलिअनि-
“ई
की भए रहल अछि?”
“अन्नदान
। कमसँ कम एगारह सएक दान ।”
“फेर
ओएह बात? हम तँ अहाँकेँ पाँच सए गछने छी। बस ओतबे देब।”
श्रीमतीजीक
इसारा पाबि हम एक सए आर हुनका दए फारकत भेलहुँ । जानमे जान आएल। दुनूगोटे कनिक हटि
कए सुस्तेलहुँ । किछु फोटो सेहो खिचल गेल। तकर बाद आगू बढ़ि गेलहुँ।
अफसोच आ दुखक
बात अछि जे एतेक पैघ धर्मस्थानमे एहन कुव्यवस्था किएक अछि?पंडासभ
एना किएक करैत अछि जे दर्शानार्थीसभ हतप्रभ रहि जाइत छथि। संबंधित व्यवस्थापकलोकनिकेँ
एहिपर ध्यान देबाक प्रयोजन अछि। ओमकारेश्वर महादेव एकादश ज्योतिरलिंगमे मानल जाइत
छथि। कतए कतएसँ लोक हुनकर दर्शन करए हबैत छथि। लोकसभक श्रद्धामे कोनो कमी नहि अछि।
सोमदिनक तँ ओहिठाम जाएब आ दर्शन करब बहुत मोसकिल काज अछि । मुदा जाहि स्तरक व्यवस्था
हेबाक चाही से नहि बुझाएल। महाकालेश्वर मंदिरमे तँ एकर कैक गुणा बेसी नीक व्यवस्था
देखबामे आएल। ई एकटा महज संयोग छल कि एहिना चलैत अछि से तँ नहि कहल जा सकैत अछि।
हमसभ एहि बातसँ बहुत प्रसन्न रही जे दू दिनक भीतर दूटा प्रसिद्ध ज्योतिरलिंग
महादेवक दर्शन भए सकल। कतेको सालसँ सोचैत छलहुँ,से सपना
पूर्ण भेल। निश्चित रूपसँ ई महादेवक कृपेसँ संभव भेल ।
माहेश्वर
ओंकारेश्वर
महादेवक दर्शनक बाद हमसभ माहेश्वर बिदा भेलहुँ । अहिल्याबाइ होल्करक समयमे इन्दौरक
शासन माहेश्वरसँ कएल गेल छल । हमसभ माहेश्वरमे अहिल्याबाइक महल आ लगपासमे बनल
मंदिरसभ देखलहुँ । हुनकर महलकक भूतलपर ओसाराक ठीक सामने नर्मदा नदी छथि। कहल जाइत
अछि जे अहिल्याबाई नित्य राज-काज शुरु करबासँ पहिने ओतए ठाढ़ भए
नर्मदाक दर्शन करैत छलीह । तकर बादे ओ राजकाजमे हाथ लगाबथि। कनीके हटि कए अखंड दीप
जरैत अछि। कहल जाइत अछि जे ओ एगारहटा दीप पाँच हजार साल सँ जरि रहल अछि। दीप जरि
तँ रहल छल अबस्से मुदा पाँच हजार सालक बातक पुष्टि के करत?
माण्डू(माण्डवगढ़)
हमसभ महाकालक दर्शन कए लेने रही। ओंकारेश्वर महादेवक
दर्शन सेहो कए लेने रही । लौटतीमे माहेश्वर सेहो भए आएल रही। इन्दौर सहरक
प्रमुख-प्रमुख स्थान सेहो घुमि लेने रही। हमरासभ लग आबो किछु समय छल। वापसी रेल
टिकट २८ जुलाइक छल। सत्ताइस जुलाइक हमसभ माण्डू जेबाक निर्णय केलहुँ । ओही
टैक्सीबलासँ गप्प पक्का कए लेलहुँ । सत्ताइस जुलाइक भोरे साढ़े सात बजे हमसभ माण्डू
बिदा भए गेलहुँ । माण्डु इन्दौरसँ सतानबे किलोमीटर फटकी अछि। ई सहर पहाड़ीपर
अवस्थित अछि। पर्यटकलोकनि ओहिठामक वर्षाक आनन्द लेबाक हेतु बहुत उत्सुक रहैत छथि। माण्डू
धार जिलाक वर्तमान मण्डव क्षेत्रमे एक
प्राचीन सहर अछि । ई पश्चिमी मध्य प्रदेशक मालवा आ निमार क्षेत्रमे अवस्थित अछि ।
एकर चारू कात पाथरक देबाल अछि जाहि पर दरवाजा (गेटवे) बिंदीदार अछि । इन्दौरसँ
माण्डुक रस्ता बहुत नीक अछि। बादमे किछु पहाड़ी रस्ता भेटल जतए टेक्सीकेँ कनी
सावधानीसँ चलेबाक प्रयोजन रहैत अछि। लगभग साढ़ेदस बजे हमसभ माण्डु पहुँचि गेल रही।
इन्दौरसँ बिना जलखै केने हमसभ बिदा भए गेल रही। तेँ माण्डु पहुँचि हमसभ सभसँ पहिने
किछु जलखै केलहुँ । तकर बाद घुमए बिदा भेलहुँ । संयोगसँ एकटा बहुत नीक मार्गदर्शक(गाइड) भेटि गेलथि। एक हजार रुपयामे ओ सौंसे घुमा देताह ,से
कहलथि।
रानी रुपमती आ
सुल्तान बाज बहादुरक दुखान्त प्रेमकथा
सुल्तान बाज
बहादुर माण्डू क अंतिम स्वतंत्र शासक छलाह | एकबेर जखन ओ सिकार करए
निकलल रहथि तँ नर्मदा नदीक कातमे एकटा वालिकाकेँ अपन संगीसभक संगे खेलाइत देखलथि।
ओ बहुत मधुर स्वरमे गाबि रहल छलि। बाज बहादुर स्वयं संगीतप्रेमी छलाह। ओ ओहि
वालिकाक मधुर संगीतसँ ततेक प्रभावित भेलाह जे ओकरासँ बिआह करबाक प्रस्ताव दए
देलनि। ओ वालिका एहि सर्तक संग बिआह करबाक हेतु तैयार भए गेलि जे ओ कोनो एहन महलमे
रहतीह जतएसँ अपन प्रिय नदी नर्मदाक नित्य दर्शन कए सकथि। तकर बाद हुनकर बिआह सुल्तान
बाज बहादुर संगे भेलनि। तकर बादे रेवाकुण्डक निर्माण भेल छल। रानी नित्य
रानीरुपमती मंडपक नामसँ बादमे प्रख्यात पहाड़ीक चोटीपर बनल मूलतःसेनाक अवलोकन
चौकीसँ बाज बहादुरक महल आ नर्मदा नदीक दर्शन करैत छलीह।
हमसभ जखन
रानीरूपमतीमंडप दिस जाइत रही तखनहु रेवाकुण्ड लग दूटा मुर्दा जरि रहल छल। अचानक
वर्षा शुरु भए गेल। हमसभ थोड़ेकाल ओहीमे रहि गेलहुँ । वर्षा समाप्त भेलाक बाद हमसभ
गाइडक संगे निचाँ उतरलहुँ। वर्षाक समयमे ओहिठामक मौसम बहुत सुखद भए गेल छल। आकास
जेना धुआँ सँ भरि गेल होइक। कहल जाइत अछि जे कैकबेर खराप मौसममे रानी रूपमती
नर्मदा दर्शन नहि कए पाबथि । माण्डुक मौसम बेसी काल तेहन रहैत छल जे धुंधक कारण
रानी नर्मदा नदीक दर्शन नहि कए पाबथि। तकर विकल्पक रूपमे रेवाकुण्डेक दर्शनसँ ओहि संकल्पक पूर्ति करथि।
रानी रुपमती आ
सुल्तान बाज बहादुरक प्रेमकथा अकबरक माण्डुपर आक्रमणक कारण संकटमे पड़ि गेल। अकबर
अधम खानकेँ माण्डू पर कब्जा करबाक लेल पठा
देलनि |
सुल्तान बाज बहादुर मुगल सेनाक मोकाबिला नहि कए सकलाह आ युद्धमे
हारि गेलाह। अधम खान रानी रूपमतीकेँ कब्जा करए चाहलक । रानी एहि परिस्थितिकेँ बूझि
आत्महत्या कए लेलनि। एहि तरहेँ सुल्तान बाज बहादुर आ रानी रूपमतीक प्रेमकथाक दुखद
अंत भए गेल ।
हिन्दोला महल
हिन्दोला महल या
‘स्विंगिंग पैलेस’ ऐतिहासिक खंडहर माण्डू किलाक उत्तरी भागमे रॉयल एन्क्लेवक हिस्सा छैक ।
संभवतः ई 15वीं शताब्दीक अंतक छैक आ सुल्तान घियाथ शाह (1469-1500) क शासनकालमे एक दर्शक हॉलक रूपमे बनाओल गेल रहैक, जे
अपन भोगवादी जीवनशैलीक लेल प्रसिद्ध छल ।
जहाज महल
ई ऐतिहासिक
स्थान ओहि युगक कारीगरक अकल्पनीय काज थिक । चारू कात पहाड़ी आ हरियर जंगलसँ घेरल.
आश्चर्यजनक,
अद्भुत दृश्य अछि। जहाज महल एना बनाओल गेल अछि जेना ओ पानिमे हेलि
रहल होअए। ओकर दू दिसमे पोखरि अछि आ दू दिसमे कृतिम पोखरि बनाओल गेल अछि। एहि
तरहें ई महल चारू दिससँ पानिसँ घेराएल रहैत अछि । दूटा झीलक बीचमे ठाढ़ भव्य,
सदियो पुरान जाहाज महल बहुत
गजब अछि। ऊपरसँ देखलापर लगैत अछि जेना ओ जलसँ चारूदिससँ घेराएल एकटा जहाज
अछि। अपन परावर्तन पर बहैत माण्डू के
जाहाज महल एहन जहाज जकाँ लगैत अछि जे चलए बला अछि। दू टा कृत्रिम झील मुंज पोखरि आ
कपूर पोखरिक बीच बनल ई एक सए बीस मीटर नमगर ‘जहाज महल’ एकटा सुरुचिपूर्ण दू मंजिला
महल अछि । खुजल मंडप, पानि पर लटकल बालकनी आ खुजल छत के संग
जहाज महल एकटा शाही सुख शिल्पकपाथरमे कल्पनाशील मनोरंजन अछि। जहाज महलक निर्माण
अद्भुत अछि। रानीक स्नानगृहमे तरह-तरहक ओरिआनसभ कएल
गेल छल । ई महल प्राचीन समयमे जल संरक्षणक
हेतु कएल जा रहल प्रयासक एकटा अद्भुत उदाहरण अछि। ओहिठाम वर्षाक पानिकेँ जल संरक्षण
द्वारा बचा कए राखल जाइत छल जाहिसँ ओहिठामक निबासीकेँ साल भरि पानिक दिक्कति नहि
होनि ।
कहल जाइत अछि जे
सुल्तान बाज बहादुर संगीतसभाक आयोजन ओहि भवनमे कराओल करथि। ओहि भवनक विशेषता अछि
जे ओकर कोनो कोनमे यदि केओ किछु बाजत तँ ओ ध्वनि एकदम मौलिक रूपमे भवनक कोनो
स्थानसँ सुनाइत अछि। हमसभ स्वयं एहि प्रयोगकेँ केलहुँ । हमरसभक गाइड एक कोनपर ठाढ़
भए गीत गओलथि आ हमसभ ओहि भवनक एकदम दोसर कोनटापर ठाढ़ भए ओकरा साफ-साफ सुनि सकलहुँ,सेहो
एकदम स्पष्ट आ मधुर स्वर जेना कि माइक लागल होइक । कहि नहि ई ओरिआन केना कएल गेल
छल?
होशांग शाहक
कब्र,
गुंबददार संगमरमरक मकबरा, आओर विशाल जामी
मस्जिद सेहो एहिठामक प्रमुख भवन अछि ।
माण्डुक इमलीक
नामसँ जानल जाइत अफ्रीकन फलक स्थानीय नाम खोरासानी इमली छैक जाहि कारणसँ एकर जड़ि
खोरासान (प्राचीन फारस)क प्राचीन भूमिमे छैक । कहल जाइत अछि जे एहि फलक बीज मिस्रक
खलीफा न॑ १४वीं सदीमे माण्डू क सुल्तानकेँ उपहारमे देने छलाह । ओतए ठाम-ठाम एहि
फलकेँ बिकाइत देखलिऐक । पर्यटकसभ उत्सुकतासँ एकरा कीनितो छलाह आ ओकर छोट-छोट
डुकड़ी खाइतो छलाह।
माण्डुमे
प्रमुख-प्रमुख एतिहासिक स्थानसभ देखलाक बाद हमसभ इन्दौर वापस बिदा भेलहुँ । एहि
बेर वाहनचालक नव रस्तासँ जा रहल छल जाहिमे पहाड़ नहि छलैक। सोझ-सपाट रस्तापर
तीव्रगतिसँ टैक्सी अपन गंतव्य दिस बढ़ि रहल छल। सड़कक दुनूकात हरिअरी भरल छल।
दुर-दूर धरि हरिअर कंचन बाध-बोन देखि ककर मोन हर्षित नहि होएत?ऊपरसँ
पानिसे टिपिर-टिपर खसि रहल छल।
आब इन्दौर मात्र
अड़तीस किलोमीटर बाँकी छल कि वाहनचालक गुगलनक्साक चक्करमे रस्ता बदलि लेलक । ओ
दहिना दिस आगू बढ़ि गेल । तकर बाद तँ शुरु भेल गामे-गाम घुमैत पातर-पातर सड़कक
यात्रा । रहि-रहि कए ग्रामीणसभसँ सही रस्ता पुछए पड़ैत छलैक। जतए कतहु चौबटिआ रहैक
ताहिठाम तँ खास कए मोसकिल होइत छल। साइत हमरासभकेँ ओहि इलाकाक गामसभ देखब लिखल छल।
से हमसभ नीकसँ देखलहुँ । मुदा परेसानो भेलहुँ । आखिर वाहनचालक आठ किलोमीटर एहि
तरहेँ चललाक बाद फेरसँ फोरलेन सड़कपर वापस आबि सकल। हमसभ बहुत हल्लुक अनुभव कए रहल
छलहुँ । टैक्सी फेरसँ अपन पुरना गति धए लेने छल। हमसभ एक बेर फेरसँ निश्चिन्त भावे
यात्राक आनन्द लैत आगू बढ़ि रहल छलहुँ । एतबेमे एकटा नीकसन ढाबा देखाएल। हमसभ भुखल
तँ रहबे करी। ओहिठाम नीकसँ भोजन केलहुँ । तकर बाद इन्दौर दूर नहि छल। मोसकिलसँ
चालीस मिनटक बाद हमसभ अपन डेरापर पहुँचि गेलहुँ ।
इन्दौर आ आसपासक
हमरासभक यात्रा सुखद बनबएमे वाहनचालकक बहुत योगदान छल। ओ एकटा समांग जकाँ सदिखन
हमरासभक संगे लागल रहल । कतहु कोनो परेसानी नहि होमए देलक। स्नान करबासँ लए कए
दर्शन करबा धरि ओ छाँह जकाँ हमरासभक संग दैत रहल। हमसभ अचानक ट्रैबेल एजेन्सीक
माध्यमसँ ओकरा संपर्कमे आएल रही। मुदा पहिले दिन ओकर व्यवहारसँ हमसभ बहुत प्रभावित
भेल रही् तकर बाद तँ शेष सभदिन ओकरेसँ सोझे संपर्क करी। ओ बहुत उचित किरायामे हमरा
लोकनिकेँ सुरक्षित यात्रा करबैत रहल। ताहि हेतु ओ निश्चित रूपसँ धन्यवादक पात्र
अछि। असलमे कतबो किछु बेकाल समय भए गेलैक
अछि,मुदा अखनहु नीको लोक अछिए । तेँ ई दुनिआ चलि रहल अछि आ चलैत रहत। एकटा
अज्ञात सहरमे एकदम अपरिचित ओहि वाहनचालकक व्यवहारसँ से अनुभव पक्का भेल ।
अठ्ठाइस जुलाइक
भोरेसँ हमसभ वापसी यात्राक तैयारीमे लागि गेल रही। स्नान-ध्यानक बाद अतिथिगृहक
सामने अवस्थित पिपलेश्वर महादेवकेँ प्रणाम कए हमसभ जलखै केलहुँ । तकर बाद थोड़ेक
विश्राम सेहो भेलैक। समानसभ बाकसमे राखि लेल गेल । दूपहरिआमे भोजन केलाक बाद घंटा
भरि फेरसँ विश्राम केलहुँ। तकर बाद अतिथि गृहक हिसाब-किताब कएल गेल। आवश्यक भूगतान
केलहुँ आ हमसभ इन्दौर रेलवे टीसन दिस बिदा भए गेलहुँ । एक बेर फेर रस्ते-रस्ते
इन्दौर सहरक सफाइसँ हमसभ मंत्रमुग्ध छलहुँ । जेना सौंसे सहर निश्चय कए लेने होथि
जे सहरकेँ स्वच्छ राखबाक अछि। तखनहि ई
संभवो भए रहल अछि। मात्र सरकारी प्रयाससँ ई संभव नहि भए सकैत छल। मोनमे ईहो होइत
छल जे देशक आन-आन सहरसभ किएक ने एहिना स्वच्छतामे औअलि आबि सकैत अछि? किएक ने? मुदा ताहि हेतु सभगोटेकेँ इन्दौरबासीसभसँ
प्रेरणा लेब जरूरी अछि।
रबीन्द्र
नारायण मिश्र
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