प्रतियोगिता परीक्षा
शुरूए-सँ हम बहुत
महत्वाकांक्षी रही वा बनौल गेल रही। बाबूजीकेँ होनि जे हम की बनि जाइऐन की नहि। ऐ
लेल ओ हमरा निरन्तर प्रेरित करैत रहै छला। जखन बच्चे रही तखने कहल करैथ जे ‘लाट साहेब बनक अछि।’ अस्तु..।
लाट साहैब तँ हम नहि बनि
सकलौं मुदा देशक सर्वोच्च मंत्रालय सभमे केन्द्रीय सचिवालय सेवाक अधिकारीक रूपे
जरूर काजे केलौं। पिताजी द्वारा निरन्तर प्रेरित करैत रहलासँ हमरा मोनमे
केतौ-ने-केतौ जरूर बसि गेल जे किछु-ने-किछु तँ करक अछि।
जखन हाइ स्कूलमे रही तँ विषय
सभमे केना बेतहर-सँ-बेहतर नम्बर भेटत तइले प्रयत्नशील रही। हमर बाबूजी गणित लऽ कऽ
बहुत सचेष्ट रहैथ। सदिखन हुनकर इच्छा रहैत छेलैनजे गणित विषयमे साए-मे-साए नम्बर
आनी। जँ एक्को नम्बर कटि गेल तँ बात नहि बनल। जहाँ गणितमे नम्बर कम होइत कि ओ
तरह-तरहक खिस्सा सभ सुनबए लगैथ।
..केना एकटा अभिभावक अपन बेटाकेँ
गणितमे एक नम्बर कटि गेलापर एक चमेटा मारलखिन आदि आदि सुनबए लगैथ। मुदा मारि-पीट
करब हुनकर सोभावमे नहि रहैन।
ऐ सबहक परिणाम भेल जे हमरा
निरन्तर गणितमे नीक नम्बर अबैत रहल जइसँ हम अपन वर्गमे नीक स्थान प्राप्त करी।
गणितक अलाबा प्रमुख विषय अंग्रेजी छल जे हमरा लेल बहुत समस्या जकाँ छल। अंग्रेजीमे
अधिकांश विद्यार्थी फेल भऽ जाइत छल। अंग्रेजीक पढ़ाइ ५मा वर्गक बाद प्रारम्भ होइ।
ताधैर विद्यार्थी सभ कहुना-कहुना कऽ अपन नाओं टा अंग्रेजीमे लिखि लथि।
एकबेर हम अपन नाम अंग्रेजीमे
सिलेटपर लिखि सकल रही तँ केतेक चाबस्सी भेटल एकर वर्णन नहि। बी.एस-सी. पास भेला
धरि अंग्रेजी भाषाक रूपमे हमरा लेल एकटा विकट समस्या छल। हलाँकि बी.एस-सी.
प्रतिष्ठाक पढ़ाइ अंग्रेजीए-मे होइत रहइ मुदा ओइसँ अंग्रेजीक ज्ञान बढ़ि जाइत से
नहि।
एक दिन हम सी.एम. कौलेजमे
अंग्रेजी विभागक सामनेसँ गुजरैत काल अंग्रेजीक किछु व्याख्याताकेँ अंग्रेजीमे
झुरझार बजैत सुनिलऐक। हमरो मोनमे सेहन्ता भेल जे काश हमहूँ अहिना अंग्रेजीमे बाजि
सकितहुँ...।
तेकर बाद तँ हम अंग्रेजी
पक्कीकरणक एकटा गहन अभियान चलौल। ओइ समयमे कम्पीटीशन मास्टर पत्रिका एक रूपैआमे
भेटैत छेलइ। दड़िभंगासँ कहुना कऽ ओ पत्रिका गाममे मंगबैत रही। पुरा-कऽ–पुरा
पत्रिका सालो-साल रट्टा मारैत रहलौं आ रटल वस्तुकेँ लिखि, फेर कितावसँ मिलान करी आ गलती
सभकेँ सुधारक प्रयास करी। ऐ सबहक अतिरिक्त How to write correct English आ How to translate into English भारती भवन- पटनाक प्रकाशन, ऐ दुनू पोथीक
लाइन-वाइ-लाइन रटि गेलौं।
..रोज दसटा अंग्रेजीक शब्द–अर्थ
सहित–रटबाक नियम बनौलौं। केतेको बेर दड़िभंगा बस स्टेण्डपर बसक प्रतीक्षा करैत काल
शब्द रटि कऽ समयक उपयोग करी। सालो-साल अंग्रेजी शब्द कोष रटबाक ई कार्यक्रम चलल।
हमर सबहक अंग्रेजी शिक्षक छला
बेलौंचाक स्व. कृष्ण कुमार झा। हुनकर पिता स्व. सुन्दर बाबू, वाट्सन स्कूल-
मधुबनीमे हमर बाबूजीक शिक्षक रहथिन। कृष्ण कुमार बाबू हमरा कहैथ-
“अंग्रेजी नहि अयबाक माने थिक
प्रतियोगिता परीक्षा-सभमे स्वयंकेँ हटा लेब।”
हुनक ऐ बातकेँ धियानमे राखि
हम स्कूलक सबकसँ हटि कऽ केतेको दिन धरि
अंग्रेजीमे किछु काज सभ कऽ कऽ दिऐन आ ओ दोसर दिन ओकरा सुधारि कऽ परामर्शक संग आपस
कऽ दैथ। तइ लेल हुनका साइकिलमे एकटा झोरा लटकले रहैत छल। ओइ झोरामे अपन कॉपी राखि
दिऔ। शेष अपने भऽ जाइक। हुनकर ई सेवा पूर्णत: निशुल्क छल। गाम-घरक वातावरण ओ
देहाती स्कूल सभमे रहि, पढ़ि-लिखि अंग्रेजीमे कुशलता प्राप्त करब आसान काज
नहि छल। हम शुरूए-सँ टाइम्स ऑफ इण्डिया मंगबैत रही। ओइ अखबारक संपादकीय नियमित
पढ़ी। बाबूजी एकटा फकरा बरबैर पढ़ैत रहै छलाह-
“रसरी आबत जात है, सिर पर पड़त निशान
करत करत अभ्यास ते जड़िमत होत
सुजान।”
सएह भेलैक। निरन्तर प्रयाससँ
हमर अंग्रेजी सुधरैत गेल। ओही बले हम संघ लेाक सेवा आयोग द्वारा आयोजित असिसटेंट
ग्रेडक परीक्षा प्रथमे प्रयासमे पास कऽ गेलौं। ओइ परीक्षामे गणितक एक पत्रक अलावा
अंग्रेजीक एक पत्र होइत छल। गणितमे तँ हमर हाथ साफ रहिते छल। अंग्रेजी सेहो
ठीक-ठाक भऽ गेल। परिणाम स्पष्ट छल। पूरा नौकरी केन्द्रीय सचिवालयमे कएल, जइ ठामक काजक भाषा
अंग्रेजीए छल। कहियो असुविधा नहि भेल,अपितु अंग्रेजी पढ़ब-लिखब आरो सुगम लगैत रहल।
भौतिक शास्त्र (प्रतिष्ठा)क
पूरा पढ़ाइ-लिखाइ अंग्रेजीए माध्यमसँ होइत छल। ओहूसँ अंग्रेजीमे बूझबा, लिखबामे आसानी भेल।
सभसँ पहिल प्रतियोगिता
परीक्षा हम देने रही संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित स्पेशल क्लास रेलबे
एप्रेन्टिसक १९७२ इस्वीमे। बी.एस-सी. परीक्षा देलाक बाद खाली गाममे बैसल रही।
अखबारमे विज्ञप्ति देख हम आवेदन कए देने रही। लिखित परीक्षामे चारि-पाँच मासक समय
छल। तइ हेतु दिन-राति एक कए देल। कोठरी बन्द कऽ तैयारी करी। परीक्षाक केन्द्र पटना
लॉ कौलेजमे रहइ। हमर रहबाक हेतु स्वर्गीय मार्कण्येय भण्डारीजीक कुटुम–जे पटना
विश्वविद्यालयमे इन्जीनियर छला–हुनके ओइठाम जोगार कएल गेल छल। हम जखन हुनका डेरापर
पहुँचलौं तँ ओ अपने नहि रहैथ। तथापि हमर रहबाक बन्दोवस्त भऽ गेल मुदा परीक्षाक
तनाव तेतेक रहए जे रातिमे निन्न नहि भेल। निन्न नहि हेबाक असर ऐगला दिन होमए-बला
गणित प्रथम पत्रक परीक्षा पर पड़ल। जएह सवाल शुरू करी, सएह लटैक जाए। हम तेतेक
अस्त-व्यस्त रही जे कौलेजक प्राचार्यक धियान हमरापर पड़लैन। हुनका भेलैन जे हम
नकल करबाक प्रयास कऽ रहल छी। कोठरीक केबारे लगसँ ओ हमरापर चिचिआइत आगाँ बढ़ि हमरा
लग आबि हमर तलाशी लेलैथ। हुनकर अनुमान मिथ्या सिद्ध भेलैन। हम कोनो गलत काज किएक
करब। हम तँ अपने परेशान भऽ गेल रही जे हमर हाव-भावमे लक्षित भेल हएत।
दू घन्टाक परीक्षा रहइ। एक घन्टाक बाद जखन मोन आश्वस्त भेल तँ सवाल सभ
बनए लागल। मुदा समय समाप्तिक घन्टी सेहो बाजि चूकल छल। कॉपी सभ लऽ लेल गेल। हम ओइ
दिनक प्रथम पत्र गणितक परीक्षासँ असंतुष्ट रही। तेकर बाद दोसर दिन इंजीनियर साहैब बाहर
सँ घर वापस एला आ हमरा ठहरबाक बेहतर प्रबन्ध कऽ देलैन। दोसर दिन हम गणितक दोसर
पत्रक सभ सबालक जवाब बहुत नीकसँ देलौं। जइसँ हम एससीआरए १९७२क परीक्षाक लिखित
भागमे सफल घोषित भेलौं आ साक्षात्कार हेतु संघ लोक सेवा आयोग द्वारा दिल्ली बजौल
गेलौं।
एससीआरएद्वारा रेलबेक इन्जीनियरिंक
पढ़ाइ रेलबे कौलेजमे मुफ्तमे होइत छल आ पढ़ाइ समाप्त होइते क्लास-वन दर्जा सहित
रेलबेमे इन्जीनियरक नौकरी लागि जाइत छल। आगू जा कऽ ओ सभ रेलबेक पैघ-सँ-पैघ पदपर
पहुँच जाइत छैथ। एतेक भारी पदपर जाएबसे सभ तँ हम ओतेक नहि बुझै रहिऐ, मुदा एतबेसँ
प्रसन्नता रहए जे हम मुफ्तमे रेलबे इन्जीनियरिंग पढ़ि लेब आ पढ़ाइक बाद नौकरी
सेहो पक्का। ओइ समय हमर सरकारी उमेर १८ साल छल। दिल्ली कहियो नहि गेल रही। हमर
गौंआँ दिल्लीमे पढ़ैत रहैथ। हुनके पत्र लय हुनकर एकटा मित्र (गंगा बाबू)क सप्रु
हाउस स्थित छात्रावासमे रहलौं। ओइ समय जे.एन.यू. ओइठामसँ आइएसआइएस (Indian School of
International Studies)क नाओंसँ चलैत छल। छात्रावासमे बहुत रास विदेशी छात्र सभ छल। कएक-टा
विद्यार्थी चम्मच लऽ कऽ खाइत छला। हम तँ से सभ कहियो देखनौं ने रही। हाथसँ जेना
खाइत छी, तेना खाइ। गंगा बाबू
कएक बेर हिंट करैथ,
मुदा हम की करितौं।
हमराओ साक्षात्कारक दिन
स्कूटरसँ साहजहाँ रोड स्थित संघ लोक सेवा आयोग तक छोड़ि अबैत छला। एक एकदम नूतन
बेकती एतेक मदैत केलाह, ई काबिले तारीफ थिक।
साक्षात्कार दू दिने भेलइ। एक
दिन तँ तरह-तरह केर तकनीकी जाँच सभ भेल जे हमरा लेल एकदम नव छल। सीमित समयमे
लक्ष्य पूरा करबाक रहैत छल। जाबे हम किछु बुझिऐ-बुझिऐ, समय बीति जाइत छल आ आगाँक
टेस्ट प्रारम्भ भऽ जाइत छल। दिन भरि वएह क्षमाचौकरी होइत रहल। हम तँ थाकि गेल रही।
झमारल डेरापर पहुँचलौं तँ गंगा बाबू बहुत उत्साहित केलाह। दोसर दिन बेकतीगत
साक्षात्कार छल जे संघ लोक सेवा आयोगक सदस्य आर एन मट्टूजीक अघ्यक्षतामे सम्पन्न
भेल। साक्षात्कार समितिमे आइआइटीक प्रोफेसर एवम् इन्ट्रीगल कोच फैक्ट्रीक
भूतपूर्व निदेशक सदस्य छला। एक आर कियो बेकती रहैथ। साक्षात्कारक हेतु विद्यार्थी
सभ छोट-छोट गुटमे कएठाम बैसौल गेल रहैथ। साक्षात्कारक हेतु बेराबेरी बजौल गेल। हमर
नम्बर जखन आएल तँ निश्चिन्त भावसँ अन्दर गेलौं। ओइ दिन बहुत स्थिर भऽ गेल रही।
गंगा बाबू सेहो हिम्मत देलैन। केतेको सवालक सबहक उत्तर संतोषप्रद बुझाएल। हमरा
बुझि पड़ए जे हमर साक्षात्कार नीक भेल। हम अति उत्साहमे बाबूजीकेँ गाममे तार
केलिऐन जे हमर साक्षात्कार बहुत नीक भेल अछि। साक्षात्कार समाप्तिक बाद आपस गाम
आबि गेलौं। तेकर थोड़बे दिनक पछाइत परीक्षाफल बाहर भेल आ हमरा ओइमे नहि भेल। ओइ
समय मात्र दस गोटेकेँ देश भरिसँ ओइ पद हेतु चयन होइत छेलइ। आब तँ चयनित लोकक
संख्या बेसी रहैत अछि। प्राय: गणित प्रथम पत्र गड़बड़ेबाक कारण एवम् दिल्लीमे लेल
तकनीकी जाँच सभमे हम पाछाँ रहि गेलौं। एकटा बहुत नीक अवसर अबैत-अबैत हाथसँ ससैर
गेल।
अगिला साल हम इण्डियन
मिलिट्री अकादमीमे फौजक लफ्टीनेन्टक भर्ती हेतु संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ओयोजित
परीक्षा पटना जा कऽ देलौं। पटनामे हम आ हमर ग्रामीण ओ मित्र कमलाकान्तजीक
छात्रावास स्थित कोठरीमे हुनके संगे ठहरल रही। ओही बेर नहि बादोमे कएक बेर हम पटना
परीक्षा देबए जाइ तँ हुनके संगे छात्रावासेमे ठहरी। ओ अपना भरि पूरा बेवस्था करैथ
आ तँए हम परीक्षा सभ दऽ सकी। हुनकर ऐ उपकार सभक प्रसंगवस चर्चा करैत अभिभूत छी।
परीक्षा बहुत नीक भेल रहए।
गणितक दुनू पत्रमे ९० प्रतिशतसँ बेसी नम्बर आएल छल। हमरा साक्षात्कारक हेतु पत्र
आएल। मुदा हमर बाबूजीकेँ फौजीक नौकरी पसिन नहि रहैन। हमर साक्षात्कार-पत्र ओ बहुत
दिन तक दाबि देने रहैथ, प्राय: ओ किंकर्तव्यविमूढ़ रहैथ। हुनकर कहब जे
ज्येष्ठ पुत्रकेँ फौजमे जाएब नीक नहि।
हमरा जखन चिट्ठी भेटल, साक्षात्कारमे बहुत
कम समय रहैक। ओइ समयमे हम राँचीमे टेलीफोन इन्सपेक्टरक काजक प्रशिक्षण करैत रही।
सभटा बेवस्था स्वयं करए पड़ल। दुर्गापूरमे हमर बहिनोइ रहैथ, हम ओतए गेलौं। ओ
पूरा सहयोग केलाह। साक्षात्कार चारि दिन धरि इलाहाबादमे हेबाक रहइ। तइ लेल जरूरी
ड्रेस दुर्गापुरेमे बनबौलौं। ड्रेस आ किछु पैसाक संग हम इलाहाबाद जा सकलौं तइ लेल
ओ सभ धन्यवादक पात्र छैथ। दुर्गापुरमे फौजी छाबनी छइ। हमर बहिनोइ हमरा ओइठामक
कमाण्डेन्टसँ भेँट करौलैथ जे तरह-तरहक केर हमरा परामर्श देलाह।
इलाहाबादमे साक्षात्कार छल।
फोजमे अधिकारीक भर्ती हेतु साक्षात्कारक अलग तरीका अछि। सभ उम्मीदवारक दिन-रातिक
नियत फौजी आवासमे रहबाक बेवस्था होइत अछि। ओइ दौरान प्रत्येक दिनचार्यपर नजैर राखल
जाइत अछि जे ओ की करैत अछि, केतए जाइत अछि, ओकर बोल-चाल केहेन छै
इत्यादि। ऐ सबहक उद्देश्य उम्मीदवारमे अधिकारी योग्य गुणक जानकारी प्राप्त करब
होइत छल। साक्षात्कारक दौरान तरह-तरह केर टेस्ट सभ भेल। बोल-चाल, साक्षात्कार आदिमे
तँ हम ठीक कऽ सकलौं मुदा कूद-फान करब हमरा बसक छल नहि, आ ने हम तइले गहन परियासे कऽ
सकलौं। हमरा तँ एक बेर चोट लगैत-लगैत बँचि गेल। गाछक बीचमे रस्सी बान्हल छल आ ओइपर
घुटकनिया भरि कऽ अर्थात् रेंग कऽ ऐपार-सँ-ओइपार हेबाक छल! हम तँ एहेन खतरनाक टेस्ट सबहक
प्रयासो नहि कएल। साक्षात्कारक दौरान ओ सभ कहैथ जे हमरा आइएएसक परीक्षा देबाक चाही
आदि आदि। हमर साक्षात्कार समाप्त भऽ गेल छल। तय प्रक्रियाक तहत ओही दिन साक्षात्कारक
परिणाम आएल। १० उम्मीदवार मे हमर सबहक गुटसँ दूटा उम्मीदवारक चयन भेल। हम आपसीक
टिकट ओ खानाक पैकेट लऽ ट्रेनमे चढ़ि राँची आपस विदा भऽ गेलौं।
सन १९८० इस्वीमे बिहार लोक
सेवा आयोग द्वारा आयोजित सम्मिलित सेवापरीक्षामे हम एकटा विषय मैथिली रखने रही।
सुनने रहिऐक जे मैथिलीमे ढाकीक-ढाकी नम्बर अबै छै आ केतेको लोक मैथिली लऽ कऽ
बीपीएससीक परीक्षा पास कऽ गेला अछि। हम सोचलौं जे तिरहुता लिपिमे मैथिली पत्रक
जवाब लिखल जाएत तँ आर नम्बर औत। हमरा नाम मात्र जोग तिरहुता लिपि अबैत छल, ओहो ऐ लेल जे
आइएससीक मैथिली पत्रमे तिरहुताक किछु नम्बर छल रहइ।
तिरहुतामे झुरझार सीखब
प्रारम्भ कएल। दिन-रातिक अभ्याससँ कनेक-मनेक हाथ चलए लागल। केतेको गोटे बुझाबक
प्रयास केलक मुदा हम टससँ मस नहि भेलौं आ तिरहुता लिपिमे मैथिली पत्रक उत्तर
लिखबाक प्रयास केलौं। प्रश्न पत्र बहुत आसान रहइ, मुदा हाथे नहि ससरए।
तिरहुतामे लिपिक चलैत कएटा विषय-वस्तुकेँ संक्षिप्त करए पड़ल। फेर अपनो नहि बुझाए
जे आखर हम तिरहुतामे लिखि रहल छी से सही भेल कि नहि। परिणामत: मैथिलीमे अपेक्षाकृत
कम नम्बर आएल जइसँ हम ओइ परीक्षामे पछुआ गेलौं। अपने बातपर अड़ल रहब कएक बेर घातक
भऽ सकैत अछि।
टेलीफोन इन्सपेक्टरमे काज
करबाक दौरान अधिकांश समय हम प्रतियोगिता परीक्षा सबहक तैयारीमे लागल रहै छेलौं। कए
तरहक कएक-टा परीक्षा सभ दी, मुदा अनुकूल परिणाम नहि होइत छल। बिआह भऽ गेल छल।
गाम-परहक चिन्ता सभ सेहो माथकेँ चटने रहिते छल। नौकरी से धऽ लेने रही। अस्तु...।
बादमे प्रतियोगिता परीक्षा
सभमे ओ धार हम नहि दऽ सकलौं। मुदा संघ लोक सेवा आयोगक असिस्टेन्ट ग्रेडक परीक्षा
हम एकहि प्रयासमे पास कऽ गेलौं। ओइ बेर हम करहीक एकटा स्कूलिया संगीक डेरापर
पटनामे ठहैर परीक्षा देने रही। हमरा विश्वास रहए जे हम ऐ परीक्षामे सफल रहब से सएह
भेल। ऐ परीक्षाक आधारपर हम पहिने दिल्ली ओ थोड़बे दिनक बाद इलाहाबाद आबि गेलौं
तथापि प्रतियोगिता परीक्षा–खास कऽ आइएएस एवम् बैंकक प्रोबेशनरी आफिसरक परीक्षा–कएक
बेर देलौं। मुदा ढाकक तीन पात। परीक्षाक तैयारीक दौरान किताव हाथमे रहैत छल आ माथ
गाममे माए-बाबू ओ भाए-भैयारीक चिन्तामे लागल रहैत छल। चिन्ता केतेक व्यर्थ होइत
अछि तेकर हम नीक अनुभव कऽ चूकल छी। जेहो सफलता हम प्राप्त कऽ सकै छेलौं सेहो
चिन्ता करबाक सोभावक कारणेँ आ किछु आनो-आन कारण सभसँ सम्भव नहि भेल। खाएर, नाना प्रकारक
परीक्षा सभ देबाक लाभ तँ भेबे कएल। अनेकानेक विषयक ज्ञान बढ़ल। अंग्रेजीमे लिखबाक, पढ़बाक आ बजबाक
क्षमता बढ़ल। मुदा जीवन यात्रा केन्द्रीय सचिवालय सेवासँ जुड़ि कऽ रहि गेल।
आब जखन पाछू-मुहेँ घुमि कऽ
तकै छी तँ बुझि पड़ैत अछि जे व्यर्थ चिन्ता सभमे पड़ल रही। सबहक अपन-अपन भाग्य होइ
छै आबेसी माथा-पच्चीसँ किछु लाभ नहि। एहेन कोनो गारंटी नहि अछि जे अति उच्च पद
प्राप्त बेकती आर तरहेँ खुसी होथि। सुख एकटा अलग वस्तु थिक जे केतौ कोनो बेकतीकेँ
भेटि सकैत अछि। कियो झोपड़ीए-मे चैनक बंशी बजबैत रहैत अछि तँ कियो महलक समस्त
सुख-सुविधाक अछैतो राति भरि निन्नक बिना करोट बदलैत रहैत अछि।
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