सेवा निवृत्तिक बाद
सेवा निवृतिक समय लगिचाइते
हमर केतेको इष्ट-मित्र लोकनि पुछए लगला जे अहाँ एतेक काजुल छी, एतेक सक्रिय रहै छी; सेवा निवृत्तिक बाद
केना समय कटत? मुदा हमरा अपना कोनो
कहियो चिन्ता नहि रहए जे आगू की हएत, केना समय काटब। सदिखन मोन रहैत छल आ रहितो अछि जे जे
भगवान करथिन से नीके करथिन आ नीके हएत। कहबी छइ जे अपना मोनक हो तँ नीक, जे अपना मोनक नहि
होइत अछि तँ ओकरा भगवानक इच्छा बुझि कऽ आरो नीक बुझि स्वीकार करक चाही। फेर सेवा
निवृत्ति कोनो दुर्घटना नहि थिक। सरकारक एकटा सुनियोजित योजनाक तहत सेवा निवृत्ति
भऽ जाइत अछि।
सेवा निवृत्तिसँ किछु बर्ख
पूर्वे जहिन हम सासुर जाइ तँ किछु गोटे पुछैथ- “मिसर! रिटायर भऽ गेलिऐ की?”
तैपर हम कहिऐन-
“अखन सवा साल बाँकी अछि।”
ई सुनिते कएक गोटा निराश भऽ
जाइ छला जे ई आदमी केतेक नौकरी करता। बात किछु सहियो छेलै, कारण २१मे सालक पछाइतसँ हम
नौकरी शुरू केलौं आ लगभग ४० साल धरि नौकरी केलौं। ओइ दौरान एक-सँ-एक नीक लोक भेटला
आ केतेको दुष्टजन सभसँ सेहो पाला पड़ल। समयक स्वभाव होइ छै जे ओ बीति जाइते अछि।
केहनो कष्टकारी समयक अन्त भऽ जाइत अछि। जरूरी खाली धैर्यक।
सेवा निवृत्तिक चारि साल लगिचा
रहल अछि। ठाठसँ समय निकैल गेल। ईश्वरक असीम कृपासँ पूर्ण स्वस्थ छी आ निरन्तर
कार्यशील छी। पैछला दू सालसँ स्पेशल मेट्रोपोलीटन मजिष्ट्रेट–दिल्ली–क पदपर छी। एक
प्रकारक नवीन कार्य क्षेत्र अछि जेकरा हम आनन्द पूर्वक सम्पन्न कऽ रहल छी।
हम दिल्ली विश्वविद्यालयक
सायंकालीन कक्षासँ विधि स्नातक केने रही। वएह डिग्री आब काज आबि रहल अछि। सेवा
निवृत होइते वार कौंसिल ऑफ देल्ही (BCD) मे ओकीलक निबन्धन करेलौं। तेकर पछाइत लगभग
डेढ़ बर्ख धरि नियमित रूपे केन्द्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण दिल्लीमे जाइत रहलौं।
कारी कोट, उज्तर फीतानुमा टाइ, कारी पैन्ट पहीरि
जखन घरसँ निकली तँ कएक बेर अपनो आश्चर्य लगैत रहए।
वकालतक काज हम शुरूतँ कऽ
लेलौं मुदा ओइठामक महौलमे हम कहियो रमि नहि सकलौं, कारण देखिऐ जे अधिकांश ओकील
अपन मुअक्कलसँ पैसा टानक चक्करमे रहैत छल। केस जीतब, हारबसँ कोनो मतलब नहि। सभ पार्टीकेँ
ओ लोकनि कहैथ-
“आपका केस तो बहुत स्ट्रांग
है। हम आपको रिलीफ दिला कर रहेंगे।”
मुदा जहाँ ने कि पाइ जेबीमे
आएल कि तेकर बाद पार्टी अपन ओकील साहैबक पाछू-पाछू घुमैत रहथु...।
हम ऐ प्रपंची कारोबारसँ किछुए
दिनमे उबि गेलौं। फेर जे किछु पुरना ओकील सभ छला, ओ तेहेन कऽ बकुटने छला जे आन
ओकील सभ लग शाइते कियो फटकइ।
केन्द्रीय प्रशासनिक
प्राधिकरण दिल्लीमे चारि-पाँचटा ओकील लग लगभग ८० प्रतिशत काज रहइ। शेष २०
प्रतिशतमे सैकड़ो ओकील। प्रशासनिक नियम ओ कानूनक विषयसँ हम सालो जुड़ल रहलौं मुदा
तेकर उपयोग ओकालतमे तखन होइत जखन कोनो मामला भेटैत। कहियो काल जँ कियो टकराइयो गेल
तँ ओकर मामलामे कोनो जान नहि रहैत छेलै, तथापि मुअक्कल केस लड़ैले तनतनाइत रहैत छल। ओकरा हम
बुझबैक चेष्टा करिऐ जे मामला कमजोर अछि, अहाँ हारि जाएब। विभागीय स्तरसँ सोझराबक परियास करू।
मुदा ई बात कियो सुनए नहि चाहैत। हमर ऐ रूखिसँ आर ओकील सभ चकित रहैथ। कएक बेर कहबो
करैथ-
“ओकीलक काज मामलाकेँ कोटमे लड़ब छिऐ, ने कि मुअक्कलकेँ एहन
सलाह दऽ कऽ भड़का देब। एनामे तँ हमरो सबहक पेट काटल जाएत।”
झूठ-फूस कोनो बातकेँ बतंगर
करि कऽ मोकदमा लऽ कऽ ठाढ़ भऽ जाइत। केतेक ओकीलकेँ तँ फर्जी कागज बनबैत सेहे
देखिऐन।
..ई सभ बात देख-सुनि हमरा
निश्चय भऽ गेल जे ओकालत छोड़ि किछु आर काज करी। कए ठाम अपन परिचय पठौलिऐक। तीन
ठामसँ बेरा-बेरी हमरा सलाहकारक लेल नियुक्ति भेटल। मुदा हम काज पकड़लौं नीलीटमे।
नीलीटक कार्यालय इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग, सीजीओ कम्पलेक्समे अछि। काज तँ पकैड़ लेलौं मुदा ओइ
ठाम ने बैसबाक ठेकान रहै आ ने काजक। अढ़ाइ मास धरि नित्य आबी आ जाइ मुदा काज किछु
नहि। ओना, दरमाहा पूरा भेट
जाइत छल। रजिष्ट्रार उड़िया छला। हुनका कहिऐन जे किछु करू तँ ओ जवाब दैथ-
“हो जाएगा। अच्छा होगा। देर से
होगा पर अच्छा होगा।”
इत्यादि। खाली बेफजूलक बात सभ
करैथ। बिनु काजक अठ-अठ घन्टा समय बितेनाइ हमरा लेल पहाड़ जकाँ छल, दुरुह छल।
इलेक्ट्रॉनिक्स विभागक भवनक अन्दरे-अन्दर केतेको बेर चक्कर लगाबी, अखबार पढ़ी, लंचक समयमे बाहरो
घुमी मुदा तैयो बहुत रास समय रहि जाइत छल। हाजिरी हेतु वायोमेट्रीक मशीन लागल
छेलइ। तँए भोरे ९ बजे पहुँचब आ साढ़े पाँच बजे साँझ तक रहब जरूरीए छेलइ। बैसक हेतु
सोझाक एकटा भाग छल जे लगातार बैसबाक कारण एक बीत धँसि गेल। यएह सभ चलि रहल छल कि
हमर चयन दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा स्पेशल मेट्रोपोलीटन मजिष्ट्रेक पदक हेतु भऽ
जेबाक अधिसूचना जारी भेल। हम ऐ पद हेतु लगभग सवा साल पूर्व दरर्वास्त देने रही।
एकर जानकारी भेटिते हम नीलीटक सलाहकारक काजसँ इस्तीफा दऽ देलौं।
ओइ समय हमर माएक हमरा संगे
इन्दरापुरममे डेरापर रहैथ। भेल जे जाबत नया काज भेटत, पूरा समय माएक सेवा करब।
संयोग एहेन भेल जे स्पेशल मेट्रोपोलीटन मजिष्ट्रेटक पद ग्रहण करबामे अढ़ाइ मास आर
लागि गेल, कारण दिल्ली-सरकार
द्वारा अधिसूचनामे बिलंब। हलाँकि एतेक समय लागि जेतै से अनुमान नहि छल। खाएर, जेना-तेना ओहो समय
कटल आ हम माएक सेवा करैत स्पेशल मेट्रोपोलीटन मजिष्ट्रेटक पदाभार २ सितम्बर २०१५
क ग्रहण कएल। जिला न्यायाधीश द्वारा शपथ ग्रहणक बाद तीन सप्ताहक प्रशिक्षण देल
गेल। तेकर बाद हम उत्तरी दिल्ली नगर निगमक यमुना बिहारमे काज प्रारम्भ केलौं।
तहियासँ माने २०१५ ईस्वीसँ लगातार हम ऐ काजमे लागल छी।
सरकारी सेवासँ निवृत्तिक
पछाइत सामान्यत: एहेन पद भेटब ओहो बिना सिफारिशक, कम-सँ-कम हमरा लेल चमत्कारे
कहक चाही। ऐ काजमे कोनो दवाब नहि रहैत अछि। काजमे कियो हस्तक्षेप नहि कए सकैत
अछि। तय न्यायिक प्रक्रियाक तहत हम स्वयं निर्णय लऽ सकै छी। संगे प्रथम श्रेणीक
दण्डाधिकारीक दर्जा सेहो रहैत अछि।
हमर केतेको परिचितकेँ हमर ऐ
काजक बारेमे सुनि कऽ नीक छगुन्ता लगलैन। केतेक गोटा अपन अभिमत दैत रहै छैथ जे-
“भने रिटायर भऽ गेल छला, फेरसँ ई सभ करब की
मतलब छइ..!”
खाएर.., लोककेँ जे बुझाइत
हौउ मुदा हमरा सदैव काज करैमे नीक लगैत अछि, आ ई काज तँ आरो नीक लागिये
रहल अछि। एकटा दिनचर्या बनल रहैत अछि। अखन किछु समय आरो ई काज चलत। तेकर आगाँ
भगवान मालिक...।
सेवा निवृत्तिक बाद किछु दिन
लोदी कालोनी स्थित सरकारीए आवासमे रही। लोदी गार्डेन लगमे छल। भोरक टहलब नियमित
छल। श्री भूरे लालजीक संगे हुनकर ५०-६० गोटाक समूह नियमित व्यायाम करैत छल।
तरह-तरह केर व्यायाम ओ अद्भुत मनोयोग पूर्वक करैत छला। हमरो ओइमे शामिल हेबाक लेल
प्रेरित करैत रहै छला मुदा हम जानि-बुझि कऽ हटले रहलौं। जे जेतेक लोकसँ जेतेक
आत्मीयता बढ़त, लोदी गार्डेन
छुटलापर ओतेक कष्ट हएत। आखिर लोदी कालोनीक घर छुटल, लोदी गार्डेन छुटल। ओइठामक
लोक सभ सेहो छुटला। लोदी कालोनीसँ हम सभ इन्दिरापुरम एक्सप्रेस गार्डेनमे एलौं।
ऐठाम दू साल रहलौं। एतए नीक समाजिक परिवेश बनि गेल छल। स्वर्ण जयन्ती पार्कमे
घुमै-फिरै छेलौं। किछु परान दोस-महिम सभ सेहो घुमैत-फिरैत भेटि जाइथ। परन्तु
घटनाक्रम एहेन भेल जे इन्दिरापुरमसँ नोएडा डेरा लेलौं। साल भरि नोएडामे रहलौं।
नोएडाक मकान बहुत नीक जगहपर छल। आस-पासमे बहुत सुविधा छल । अन्तोगत्वा ग्रेटर
नोएडा स्थित अपन घरमे किछु दिन पूर्व आबि गेलौं। ऐठामसँ दिल्ली जाएब-आएब आ नौकरी
करब थोड़ेक दुरुह जरूर भऽ गेल अछि मुदा जाबत पार लगैत अछि ताबत गाड़ी ससरा रहल छी।
समय ने केकरो लेल
रूकलैए आ ने रूकतै। तँए समयकेँ व्यर्थ काटब अकालमृत्युक समान थिक। अपनाकेँ
सकारात्मक काजमे लगौने रहलासँ दिन-रातिक पता नहि चलैत अछि। अन्यथा जीवन जंजाल भऽ
जाइत। चलैत रहब जीवनक लक्षण थिक। आगूक रस्ता अपने खुजिये जाइ छै, अही बिसवासक संग
अनवरत चलि रहल छी। अस्तु...।
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