शनिवार, 18 जून 2022

२०२४ में भी आयेंगे तो मोदी ही

२०२४ में भी आयेंगे तो मोदी ही आज से आठ साल पूर्व क्या हाल था? जरा सोचिए आज से आठ साल पूर्व जब आ. मनमोहन सिंहजी देश के प्रधानमंत्री थे तो क्या हाल था? बंगला देश भी हमारे सीमा सैनिको का अंगभंग कर देते थे और हम चुपचाप रह जाते थे क्यों कि तत्कालीन सत्ता पक्ष को इसमें मुस्लिम बोट बैंक खराब हो जाने का डर लगा रहता था। पाकिस्तान ने हमारे सैनिकों का सर कलम दिया था । सीमापर आए दिन हमारे बीर सैनिक शहीद हो जाते थे और हम कुछ भी प्रतिरोध नहीं कर पाते थे? मुम्बई में इतना बड़ी आतंकी घटना घटित हो गई और हम बस फोल्डर बनाते रह गए , युएनओ में गिड़गिड़ाते रह गए । बस वैसे ही जैसे स्कूल के बच्चे पीट जाने पर प्रधानाध्यापक के पास जाकर रोते रहते हैं । चीन हर साल हमारे सीमाओं का अतिक्रमण करता रहता था और हमें पता भी नहीं चलता था । देश के अंदर तो यह हाल था कि बहुसंख्यक हिन्दू समाज को ही आतंकी घोषित किया जाने लगा था । तत्कालीन गृहमंत्री,भारत सरकार ने तो हिन्दू आतंकवाद शब्द गढ़ लिया था और स्वयं अपने ही देश को दुनिया के सामने बदनाम करने लगे थे । देश में एक ऐसा प्रधानमंत्री था जो कुछ निर्णय नहीं ले सकता था । उसे हर बात के लिए एक असंवैधानिक व्यक्ति का आदेश चाहिए था । हो भी क्यों नहीं? जब प्रधानमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर ऐसे लोग काबिज करा दिए जाएंगे जो खुद अपना सीट लोकसभा में नहीं जीत सकते थे तो वे पूरे संसद और सरकार को कैसे सम्हाल पाते? वे तो बस किसी की कृपा से इतने महत्वपूर्ण पद पर बैठा दिए गए थे । वे इस बात को जानते थे । अपनी औकात से भली भाँति परिचित थे। इसीलिए चुपचाप अपनी कुर्सी बचाने में लगे रहते थे। ऐसे व्यक्ति चाहे वह कितना भी योग्य हो,देश का कल्याण कैसे कर सकता था? और हुआ भी वही । अनिर्णय की स्थिति से गुजर रहा देश जरा याद कीजिए उन दिनों को जब स्वर्गीय चंद्रशेखर,श्री एच.डी.देवगौड़ा,स्वर्गीय इन्द्र कुमार गुजराल स्वर्गीय चरण सिंह और स्वर्गीय विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे । स्वर्गीय चरण सिंह तो एक दिन भी संसद को नहीं झेल सके और विश्वास मतदान से पहले ही इस्तिफा देकर चलते बने। स्वर्गीय चंद्रशेखर चंद महिने देश के कर्णधार बने थे तब देश की हालत इतनी खराब हो गई थी की रिजर्व बैंक में सुरक्षित देश के सोने के भंडार को विदेश में वंधक रखना पड़ा था । स्वर्गीय विश्वनाथ प्रताप सिंह ने तो अपनी कुर्सी बचाने के लिए देश को आग में धकेल दिया था । स्वर्गीय देवीलाल को दबाने के लिए उन्होंने पिछड़े जातियों को आरक्षण का मुद्दा उछाल दिया था जिसके विरोध में हजारों युवकों ने वलिदान दे दिया । दिल्ली जैसे जगह में ऐसी अराजकता फैल गई थी जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं । देश में आपात काल जब इन्दिरा गांधी देश के प्रधानमंत्री थीं तभी देश में आपात काल लगा दिया गया था। क्यों? मात्र इसलिए की न्यायालय ने उनकी लोकसभा की सदस्यता समाप्त कर दी थी और इसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री के पद पर बने रहना संभव नहीं था । स्वर्गीय जयप्रकाश नारायण जी के नेतृत्व में पूरे देश में आंदोलन फैल गया था । सभी इन्दिरा गांधी से इस्तिफा मांग रहे थै । इसी जनाक्रोश को दबाने के लिए पूरे देश को जेल में तब्दील कर दिया गया था । देश के तमाम विपक्षी नेता को गिरफ्तार कर जेल में ठूंस दिया गया था । सन् १९८४ में इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद बदले की कार्रवाई करते हुए हजारों निर्दोष सिखों की हत्या कर दी गयी और तब तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने क्या कहा था ? सभी जानते हैं । उसे दोहराने की जरूरत नहीं है । अफसोच और दुख की बात है की जब २०१४ में देश के करोड़ों जनता ने अपार बहुमत से आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी को देश का प्रधानमंत्री चुन दिया तो जनता द्वारे नकारे गए प्रतिपक्षी नेता खासकर गांधी परिवार के लोगों के छाती पर सांप लौटने लगा । उन्हें लगा कि सब कुछ लूट गया,जैसे की यह देश उनके परिवार की वपौती हो । देश पर शासन करना उन लोगों ने अपना जन्मजात अधिकार मान लिया था । अभी भी जब की आठ साल से मोदीजी देश के सर्वमान्य प्रधानमंत्री हैं, उनलोगोंओ को समझ नहीं आ रहा है की देश ने उनको क्यों नकार दिया और वे कहते फिर रहे हैं की इभीएम खराब है । अपने आप को झूठलाने के लिए इस से और बेहतर उपाय हो ही क्या सकता है? मोदीजी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी देश में लंबे अवधि तक मिली-जुली सरकारों का सिलसिला चलता रहा । किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के कारण महज सत्ता में बने रहने के लिए विरोधी विचार धाराओं के लोग आपस में मिल जाते थे और जैसे-तैसे बहुमत का आंकड़ा पार कर केन्द्र में सरकार बना लेते थे । इन में एकाध बार छोड़कर कोई भी सरकार अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी । देश में वारंबार मध्यावधि चुनाव होते रहे । उसके बाद भी मिली-जुली सरकार ही बनते रहे । सबों ने इसे नियति मान कर जैसे-तैसे सरकार चलाते रहे । ऐसी परिस्थिति में सरकार किसी भी प्रकार का मजबूत निर्णय नहीं ले पाती थी । अगर वे ऐसा करती तो सरकार ही लुढ़क जाती । विदेशों में हमारी स्थिति हास्यास्पद रहती थी । अमेरिका,चीन,रूस यहाँ तक की बांगला देश भी हमारे ऊपर नाना प्रकार के दबाब बनाते रहते थै । निश्चित रूप से वह बहुत ही चिंताजनक दौर था । परंतु,उसका समाधान किसी के पास नहीं था । समाधान लाए मोदीजी। देश में लगातार तीस साल तक मिली-जुली सरकार रहने के बाद आदरणीय नरेन्द्र भाइ मोदीजी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी । एक ऐसी सरकार जिसे बिना किसी दल के समर्थन के लोकसभा में बहुमत प्राप्त हुआ था । मोदीजी ने क्या नहीं किया? मई २०१४ में लोकसभा के चुनाव के बाद जो परिणाम सामने आया उसका अंदाज सायद किसी को नहीं था । मिलीजुली सरकारों से तंग आकर देश की जनता ने तीस साल के बाद लोकसभा में पूर्ण बहुमत की सरकार चुन दिया था । भारतीय जनता दल को स्वयं ही बहुमत मिल गया था । यह कोई साधारण घटना नहीं थी । आदरणीय नरेन्द्र मोदीजी बिना किसी किंतु-परंतु के देश के प्रधानमंत्री बन गए । मोदीजी को पता था कि देश ने उन पर कितना विश्वास किया है । पहले ही दिन से उन्होंने दिन-रात काम करना शुरु किया जो अभी भी वैसे जी जारी है। सरकार में आते ही हन्होंने गरीबों के लिए सरकारी बैंको के द्वार खोल दिए । बिना कूछ रकम जमा किए उन्होंने गरीबों के लिए बैंको में खाता खुलबा दिया । तब यह थोड़ा आश्चर्यपूर्ण लगता था कि कि आखिर बैंक में अगर इन लोगों का खाता खुल ही जाएगा तो कौन सा चमत्कार हो जाएगा? परंतु,अब सोचिए की वह कितना सोचा समझा कदम था । देश के करोड़ो किसानो के खाते में केन्द्र सरकार सीधे पैसा भेज रही है । बीच में इसे कोई छू भी नहीं सकता है । इसी तरह कई सरकारी योजनाओं के पैसे सीधे लाभार्थी को मिल रहे हैं । इस से करोड़ो रुपये की हेराफेरी बंद हो गयी है । बिचौलिओ का खेल खतम हो चुका है । नोटबंदी आपको सायद याद होगा कि अगस्त २०१६ में किस तरह रात में अचानक प्रधानमंत्रीजी ने स्वयं घोषणा कर देश में प्रचलित पाँच सौ और एक हजार के नोटों को बंद कर उनके स्थान पर नए पाँच सौ और दो हजार के नोटों के चालू होने की घोषणा कर दी । एकाएक हुए इस घोषणा से देश में चारो तरफ अफरा-तफरी का माहौल बन गया था । सुवह होते ही बैंको में नोट बदलने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई थी । इस घोषणा के तुरंत बाद कुछ लोग सोने-चांदी के दूकानो पर पहुँच गए थे । जिनके पास में पुराना नोट बहुत अधिक मात्रा में था उनके लिए बहुत ही चिंता का विषय बन गया था । वे करें तो क्या करें? दो नंवर के धन को कैसे छिपाएं । वे सभी मिलकर मोदीजी को गाली देने लगे । लेकिन सामान्य जनता इस बात से बहुत खुश हुई थी की अब काला धन रखने वालों का पर्दाफास होकर रहेगा । यद्यपि बैंको में,एटीएम के पास और अन्यत्र जहाँ भी पुराने नोट खप सकते थे और नये नोट मिल सकते थे बहुत कठिनाईओं का सामना करना पड़ रहा था ,फिर भी सामान्य आदमी बहुत संतुष्ट दिख रहे थे । एक प्रकार से विजयोन्माद में थे । यह अलग बात है की कालाधन रखने वाले लोगों ने बड़ी चतुराई से अपने को बचाने में कामयाब रहे । इतनी लंबी और बोझिल प्रक्रिया के बाबजूद कालाधन वापस सायद ही मिल पाया। उल्टे बहुत से छोटे कामगारों ,मजदूरों की नौकरी चली गई । सरकार एक अच्छा काम करने के बाबजूद बाहबाही नहीं ले सकी । अपितु,उसे जबाब देना भी मुश्किल पड़ रहा था । लेकिन यह कहने की आवश्यकता नहीं है की सरकार ने सच्चे इरादे से एक जोखिम भरा और सख्त निर्णय लिया था जो सायद ही कोई अन्य सरकार कर सकती थी । राफेल/चौकीदार चोर है/ सर्जिकल स्ट्राइक/इभीएम खराब है नोटबंदी के बाद लग रहा था की सरकार सायद अगला चुनाव नहीं जीत पाए । इसी बीच में राफेल विमानों के सरकारी खरीद पर तरह-तरह के अभियोग लगाए गए । श्री राहुल गांधी ने तो “चौकीदार चोर है” का एक नया नारा ही गढ़ डाला । उच्चतम न्यायालय में इस मामले की सुनबाइ हुई और माननीय जजों ने सरकार और प्रधानमंत्री को सब आरोपों से मुक्त कर दिया । बात यहीं समाप्त हो जाना चाहिए था । परंतु,श्री राहुल गांधी जी को लगा कि मामला जनता की अदालत में ले जाना ठीक होगा । वे सायद मोदीजी की ईमानदार छवि को जैसे-तैसे धूमिल करके चुनाव जीत लेने की लालसा पाल रखे थे । दुर्भाग्यवश, सबकुछ वैसा नहीं हुआ जैसा वह चाहते थे । देश के जवानों ने पाकिस्तान की धरती में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया,उनके आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया और विना किसी क्षति के देश ऐसे लौट गए जैसे की सैर करके लौटे हों । पूरे देश का माहौल इस घटना के बाद बदल गया । जिसे देखिए वही मोदी,मोदी कर रहा था । इसका असर आगामी लोकसभा के चुनाव पर हुआ और माननीय मोदीजी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी एकबार फिर लोकसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लिया । देश में दुबारा मोदीजी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी । सही माने में मोदीजी ने एक इतिहास रच दिया जिसपर संपूर्ण भारत को गर्व होने लगा । लेकीन कुछ विपक्षी नेता फिर भी सत्य स्वीकारने में हिचकते रहे । उन्होंने फिर से इभीएम खराब है-का नारा बुलंद करना शुरु कर दिया । पर झूठ कब तक चलता । सबकुछ टाँय-टाँय फिस हो गया । धारा ३७० का हटना/तीन तलाक/विदेशी हिन्दुओं को भारत की नागरिकता सन् २०१९ में हुए लोकसभा चुनाव में फिर से भाजपा लोकसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त करने में कामयाब हुआ । आदरणीय मोदीजी फिर से देश के प्रधानमंत्री बने । विरोधियों के तमाम दुष्प्रचार असफल हो गए । चौकीदार चोर है का नारा बेकार सावित हो गया । देश ने एक बार फिर से मोदीजी के ईमानदारी एवम् निष्ठा पर मुहर लगा दिया । अब क्या करते बेचारे? बस इभीएम खराब का नारा ही बच गया था। सो थोड़े दिन लगाने के बाद शांत हो गए । दोबारा चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार ने पूरे जोश में काम करना शुरु कर दिया । तीन तलाक को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया। काश्मीर से संविधान की धारा ३७० को निष्प्रभावी कर दिया गया । उतना ही नहीं-काश्मीर को पूर्ण राज्य से बदलकर केन्द्र शासित राज्य बना दिया गया और लद्दाख को एक अलग केन्द्र शासित क्षेत्र बना दिया गया । कुछ लोग यह भ्रम पाल रखे थे कि अगर धारा ३७० हटाया गया तो काश्मीर जल उठेगा,देश में तूफान आ जाएगा,यह हो जाएगा,वह हो जाएगा । परंतु,ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । सरकार के दृढ़ इच्छाशक्ति के आगे सब को झुकना ही पड़ा । मोदी सरकार अपने तेज चाल को आगे बढ़ाते हुए नागरिकता कानून में संशोधन कर भारत के पड़ोसी देशों से विस्थापित हुए हिन्दू,सिख,ईसाइ अल्पसंख्यकों को विशेष कानूनी प्रावधान कर नागरिकता देने की व्यवस्था की। लेकिन कुछ लोग इसे मुस्लिम विरोधी कहकर प्रचार करने लगे जो कहीं से भी सही नहीं था । देश मे जहाँ-तहाँ खासकर दिल्ली में हिंसात्मक प्रदर्शन किए गए । परिणामस्वरुप, संसद द्वारा पास होने के बाबजूद आज तक यह कानून लागू नहीं किया जा सका है। इसके बाद कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिए संसद द्वारा तीन कानून पास किए गए । इन कानूनों में कहीं भी किसानों के हित के खिलाफ कुछ भी नहीं था । फिर भी सुनियोजित रूप से देश भर में और देश के बाहर भी इन कानूनों के खिलाफ में भयानक प्रदर्शन किए गए । दिल्ली के आस-पास के रास्तों को साल भर से अधिक समय तक जबरन बंद कर दिया गया । इस सब से आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा । मजबूर होकर सरकार ने इन कानूनों को वापस ले लिया । इस तरह दुष्प्रचार करके एक अच्छे प्रयास को नष्ट कर दिया गया। आप को याद होगा कि दिल्ली और बंगाल में विपक्षी दलों द्वारा चुनाव जीतने के बाद कितना खून-खराबा किया गया । कितने निर्दोष लोगों को अपनी जान गबानी पड़ी । किसी लोकतंत्र के लिए इस से शर्मनाक क्या हो सकता है कि चुनाव जीतने वाला बहुमत दल अपने विपक्षियों को चुन-चुन कर बदला ले और इतना परेशान कर दे कि वे अपने घर छोड़कर पलायन करने के लिए मजबीर हो जांए नहीं तो अपना जान तक गमाएं?लेकिन ऐसा ही हुआ । विदेश नीति देश के अन्दर मोदीजी के विरोधी यह सोचते रह गए कि चीन के आक्रमक रुख के आगे भारत सरकार झुक जाएगी,हार मान लेगी और चीन ऐसा कुछ कर गुजरेगा की मोदीजी की छवि को जबरदस्त धक्का लगेगा और वे देर-सवेर प्रधानमंत्री की कुर्सी से खुद ही हट जाएंगे या हटा दिए जाएंगे । श्री राहुल गांधीजी तो चुप-चाप चीन के अधिकारियों से मिल भी लिया । पता नहीं वे आपस में क्या बातें किए? परंतु,दुश्मन देश के प्रतिनिधियों से सरकारी अनुमति के बिना मिलना ,वह भी तब जब दोनों देश आपस में भिड़ने की स्थिति में थे, प्रशंसनीय तो नहीं कहा जा सकता है । लेकिन वे लोग मोदीजी को पराजित करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं ,इसका यह एक ज्वलंत उदाहरण जरूर था। अंततः डोकलाम में चीन को वापस जाना पड़ा और अब लद्दाख में भी वह कुछ कर नहीं पा रहा है । बेशक हमारी सेना को विगत दो सालों से परेशानी उठानी पड़ रही हो,लेकिन वे पूरी निर्भीकता से सीमा पर डटे हुए हैं । चीन को स्वयं भी सायद यह अनुमान नहीं रहा होगा की भारत की सरकार और सेना चट्टान की तरह अड़ जाएगी । राष्ट्रहित में विदेश नीति आदरणीय मोदी जे के नेतृत्व में २०१४ में देश में पूर्ण बहुमत की सरकार केन्द्र में बनी । उसके बाद से पूरे दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा और गरिमा में निरंतर वृद्धी हुई है । यहाँ तक की चीन जैसा महावली देश भी कुछ कर नहीं पा रहा है । बेशक उसमे सीमापर तनाव बढ़ा दिया है । परंतु, भारत की वीर सेना और मजबूत सरकार उस से लगातार आँख में आँख मिलाकर बात कर रही हैं । सायद उसे अब पछतावा हो रहा होगा कि नाहक वह सीमा पर सैनिकों को तेनाती बढ़ा कर तनाव पैदा कर लिया । अब तो उसे नो तो थूकते बन रही है न उगलते । यह सब केन्द्र में मोदीजी के नेतृत्व में एक मजबूत सरकार के बदौलत ही संभव हो पाया है । आज सारी दुनिया में भारत की बात सम्मानपूर्वक सुनी जा रही है । अमेरिका को भी साहस नहीं है कि भारत से जो चाहे करबा ले । उक्रेन-रूस विवाद में जिस तरह मोदी जी ने स्वतंत्र रुख लिआ और तमाम दवाव के बाबजूद उसपर कायम रहे ,इस से पुरे दुनिया को साफ और सख्त संदेश मिल गया है इस में कोई दो राय नहीं हो सकता है । कहने का मतलव साफ है कि अब भारत किसी से भी आँख में आँख मिलाकर बात करने में सक्षम है और इसके विदेश नीति राष्ट्रहित में ही तय की जाती है,किसी अन्य प्रकार के दवाव में नहीं । कोरोना काल कोरोना के समय जिस मुसीबतों को सामना करना पड़ा यह सभी जानते हैं । अधिकांश विपक्षी दल बस इसी में लगे रहे की किसी तरह मोदीजी को बदनाम कर दो,सरकार को विफल सावित कर दो । इसके लिए वे इस हद तक चले गए की कोरोना के टीका के खिलाफ भी दुष्प्रचार कने से नहीं चूके । परंतु,मोदीजी निष्ठापूर्वक अपने काम में डटे रहे । देश के करोड़ों लोगों को बहुत कम समय में टीका लगबा कर उन्हों ने पूरे दुनिया के सामने एक कीर्तिमान स्थापित कर दिया । त्वरित टीकाकारण का लाभ करोड़ो लोगो को हुआ और बहुत से लोगों की जान बचायी जा सकी । २०२४ आयेंगे तो मोदी ही मोदी ने क्या किया? वह तो बस बोलते रहते हैं ?आम जनता को उनके शासन काल में क्या मिला?इस तरह के प्रश्न विरोधी दल उठाते रहते हैं । इस में कुछ भी बुराई नहीं है । जनतंत्र में सरकार की आलोचना होनी चाहिए । इसका अधिकार सब को है । लेकिन सरकार के तमाम कार्यक्रमों का आँख मूंदकर विरोध के लिए विरोध करना किसी प्रकार से राष्ट्रहित में नहीं हो सकता है । मसलन विदेश जाकर श्री राहुल गांधी का मोदी जी और देश की सरकार के विरोद्ध प्रचार करना कहाँ से उचित है? देश विरोधी ताकतें ऐसी बातों का देश की इज्जत खराब करने के लिए किया जाता है । पाकिस्तान जैसा देश जहाँ करोड़ों हिन्दू अल्पसंख्यक का नामोनिशान नहीं बच सका ,वह भी भारत को अल्पसंक्यकों की रक्षा करने में असफल बताने में नहीं चूकते हैं । परंतु, उन्हें ऐसा करने का साहस हमारे लोग ही देते हैं । मोदीजी का विरोध करते-करते ऐसे लोग देशहित का विरोध करने में भी नहीं चूकते हैं । कोरोना काल में देश के करोड़ों गरीब जनता को मुफ्त आनाज और जरूरत के अन्य सामग्री मुहैया कराकर मोदी सरकार ने पुरे दुनिया को चौकाया है । इतना ही नहीं, उज्ज्वला योजना के अंतर्गत कम दाम पर गैस उपलव्ध कराकर असंख्य लोगों खासकर महिलाओं का कल्याण किया है । गाँव-गाँव में विजली,इन्टरनेट,जैसी आधुनिक सुविधाएं सुलभ हो गयी है । लाखों गरीबों को घर के लिए आर्थिक सहयोग दिया गया है । इस तरह समाज के निम्नतम पायदान पर खड़े लोगों के लिए मोदी सरकार ने अनेक योजनाएं सफलतापूर्वक उपलव्ध कराती रही हैं । इस सबों का जनता के मन में मोदीजी के प्रति बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और इसका असर चुनाव में पड़ना ही है । इस तरह मोदीजी के नेतृत्व में सरकार दिन-रात जन कल्याणकारी योजनाओं को लागू कर रही है , जब की विपक्षी दल मात्र हल्ला-गुल्ला कर चाहते हैं की जनता उनके साथ हो जाए । यह संभव होने वाला नहीं है । लोग अब बहुत सजग और सावधान हो गए हैं । उन्हें ठगा नहीं जा सकता है । जनता ठोस काम चाहती है जो विपक्षी दलों के पास है ही नहीं । वे तो बस मोदी विरोध से ही सत्ता में वापसी चाहते हैं जो होता नहीं दिख रहा है । आदरणीय मोदी जी और उनकी नीति को समझने में विपक्ष खास कर श्री राहुलजी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी कहीं न कहीं भयंकर भुल कर रही है और करती जा रही है । वे सायद समझ नहीं पा रहे हैं की भारत की जनता को अब मूर्ख बनाकर चुनाव नहीं जीता जा सकता है । इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करना जरूरी हे । काम करके जनता का दिल जीतना, मनमें विश्वास पैदा करना जरूरी है। अगर वे समझते हैं की बात- बात में मोदीजी को गाली देकर लोकप्रियता प्राप्त कर लेंगे और मोदीजी को आगामी चुनावों में हरा देंगे तो यह उनकी भूल है । सत्य तो यह है की वे लोग जितना भी मोदीजी को गाली दे लें, लोगों का विश्वास उनमें बढ़ता ही जा रहा है और कोई भारी बात नहीं है की २०२४ के लोकसभा के चुनाव में पहले से भी ज्यादा सीटों के साथ मोदीजी तीसरे भार बारत के प्रधानमंत्री बनें । यह जरूरी भी है । क्यों की जिस तरह राष्ट्रीय हितों के मुद्दे पर भी विपक्षी नेता खासकर श्री राहुल गांधीजी विरोधी रूख अपनाते रहते हैं उस से भारत की जनता उनमें जरा भी विश्वास नहीं कर पा रही है । लोगों में अब एक आम धारणा बन चुकी है की ये लोग बस विरोध के लिए ही विरोध करते हैं । इनके पास कोई ठोस वैकल्पिक योजना नहीं है, न ही विपक्षी आपस में मिलकर कोई मजबूत सरकार देने की स्थिति में दिखाइ दे रहे हैं । ऐसी सरकार अगर बन भी गई तो वह देश और जनता दोनों के लिए घातक ही साबित होगी । अतः यह तय है की २०२४ आयेंगे तो मोदी ही चाहे विपक्षी पार्टियां कितना भी जोर लगा लें । रबीन्द्र नारायण मिश्र mishrarn@gmail.com 11.6.2022

मंगलवार, 22 मार्च 2022

Shri Jagadish Prasad Mandal, an epitome of struggle and achievement

 


Shri Jagadish Prasad Mandal, an epitome of struggle and achievement

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Shri Jagadish Prasad Mandal, the winner of the Sahitya akademi Award in Maithili for the year 2021 for his novel, Pangu, is an epitome of struggle and achievement. Perhaps very few people knew that until the age of 59 he had hardly touched his pen, was busy fighting court cases thrust upon him by the local strongmen against whom he fought for years together for the sake of the poor and the downtrodden villagers. Having acquired M.A.degree in Political Science and Hindi, he could definitely have got a good job and spent a life of luxury. But he consciously chose to live a life full of struggles, participated in various farmers agitations, did many things valuable for the upliftment of his fellow villagers. That is how he spent his entire youth and continued with this till he approached 60 years of his life.
Having realized that he may now need to reduce physical activities due to growing age, he decided to spend his time in writings although farming continued his means of livelihood. A few acres of land that he inherited, were sufficient to manage his day-to-day necessities.
His entire family, his son (Dr Umesh Mandal), his daughter-in-law, his granddaughter -all work day and night to publish his work. And this is continuing not for one month, two months but for years together and that too without any financial gain. They have set up Pallavi Prakashan and Manav Art Printing for publishing books in Maithili. In fact, my first book in Maithili, Bhor san Sanjh dhari(भोर सँ साँझ धरि),was published by Pallavi Prakashan (in collaboration with Dr. Umesh Mandal) in the year 2017.
Jagadish Babu is a true Karmyogi. He gets up at 2AM in the morning. After a cup of tea, he spends about three hours’ time till 5AM in the morning on regular basis since last about 16 years now. During this period, he wrote about 106 books in Maithili language in almost all genres. He wrote 20 novels,750 stories, hundreds of poems.Thus, he has done a lot in the field of Maithili literature.
Sahitya Academy has added to its prestige by honoring this great son of Mithila. In fact, this award should have gone to him much earlier. He deserves much better. His writings are original and tell a lot about the realities of rural life of Mithilanchal. He deserves even the Novel prize in Literature.
I got the opportunity to meet him for the first time on 11th March 2022 when he came to Sahitya Akademi to receive the award. I was amazed by his simplicity. I was very much impressed with his innocent smile. The warmth in his manners, his utterances and behavior—were all excellent! I could hear him speaking many original words of Maithili which are now mostly forgotten.
I pray for the long, happy and healthy life of Jagadish babu so that he continues to benefit us from his literary talent for many, many years!
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Rabindra Narayan Mishra
mishrarn@gmail.com

शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2021

Message of Life

 

Message of Life

 

When there is lot of hue and cry

And there is plenty of darkness around

We can nevertheless make a try

Till a solution has been found

 

Life is not all about money and power

Even without which may smile like a flower

Life has always a lesson to give

To those who have come,  have to leave

 

They journey of life is never complete

Because we always try to compete

We want to rise and settle at the top

At the cost of those who are already atop

 

We have to make a clear choice

During the jig-jag journey of life

To embrace contentment and limit our need

Or to run after endless sensuous greed

 

Life has given us a rare chance

To see the beauty of nature and dance

And to enjoy everything seen around

With strength and power that we owned

 

We must love and like them all

Howsoever big or may look small

They have a beautiful message of life

We must smile and enjoy till alive

 

 

Rabindra Narayan Mishra

mishrarn@gmail.com

4.10.2021

 

Forget it Not

 

Forget it Not

 

When we feel stressed and too much tired

As things happened not as we desired

Our repeated attempts went entirely wrong

We need to relax and sing a song.

 

No point in keeping burden from the past

When the bag is light, we travel fast

Like everything that happened on its own

Let us forget and forgive before it is down

 

Never feel lost if you are left alone

Why to worry about those already gone?

Have faith in God and your own right hand

That helps a lot we must understand

 

We are hurt utmost, feel so much lost

Because of a jolt from the trusted most

But that is the life dear forget it not

Stories of great men will tell a lot

 

We might have tried and failed to achieve

Nevertheless, stick to that we believe

We need strong will and resolve to fight

There is always hope when we are right

 

The life is full of unfulfilled dreams

Everybody does not achieve everything

Do not underestimate that you could find

Pray and thank God for being so kind

 

Rabindra Narayan Mishra

8.10.2021

Greater Noida