वकालतनामा
जँ अहाँकेँ
कोट कचहरीक चक्कर पड़ल अछि तँ वकालतनामाक बारेमे अवश्य सुनने होएब कारण बिना वकालतनामाकेँ
कोनो ओकील अहाँक मोकदमा कोर्टमे लड़िए नहि सकैत अछि । जहाँ कोनो मोकदमा लड़बाक उद्यश्यसँ
लोक कोर्ट बिदा भेल तँ पहिल स्टाप ओकीलक दरबाजापर होइत अछि । ओकील साहबे मोछपर हाथ
दैत छथि जे चलू एकटा आओर मोअक्किल फँसल । ओ करबो की करताह? हुनकर तँ
ओएह पेशा छनि । बिलारि जँ मूससँ दोस्ती कए लेत तँ जीबत कोना? खाएत की? सएह बात
एतहुँ लागू होइत अछि । सामान्यतः ई देखबामे अबैत अछि जे जँ अहाँ ओकील लग चल गेलहुँ
तँ ओ अहाँकेँ मोकदमा लड़बाक हेतु ततेक उत्साहित कए देताह जे होएत जे गाम घुरएसँ पहिनहि
मोकदमा फाइल केनहि जाइ । मोअक्किलकेँ अपना काबूमे लेबाक हेतु ओकिल साहेब झट दए ओकलातनामा
पर दस्तखत करओताह आ किछु फीस सेहो चाहबे करी । तकरबाद अहाँ घुमैत रहू हुनका पाछू-पाछू
।
कै बेर मोअक्किल
नहि बुझैत छथि जे ओ कुन-कुन कागजपर दस्तखत कए ओकिलकेँ दए रहल छथि। ओना एतेक विश्वासतँ
ओकिलपर करै पड़ैत छैक । एहन कागज सभमे वकालतनामा तँ जरूर रहैत अछि । ओकलातनामा मोअक्किल
वा ओकर अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा ओकरा एबजमे कोर्टमे ओहि मामलाक पैरबी करबाक आज्ञा पत्र
थिक । एकरा मोख्तारनामा वा ओकीलपत्र सेहो कहल जाइत अछि ।
ओकालतनामामे
निम्नलिखित बात होएब जरुरी थिकः-
१.
ओकालतनामा निष्पादनक तारिख,
२.केसक नाओँ
जाहि हेतु ओकालतनामा बनाओल जाइत अछि,
३.कोर्टक
नाओँ जाहि हेतु ओकालतनामा बनाओल जाइत अछि,
४.अधिवक्ता
नियुक्त केनिहारपार्टीक नाम,
५.ओकिलक
नाओँ आ पता,
६.केस संख्या
आ केसक शीर्षक,
७.अधिवक्ताकेँ
देल गेल शक्ति / निर्णय लेबाक अधिकार,
८.पार्टी
आ अधिवक्ता क हस्ताक्षर,
ओकालतनामाक
मार्फत ओकिलकेँ बहुत रास अधिकार प्राप्त भए जाइत अछि । मोअक्किलकेँ ओकालतनामापर दस्तखत
करएसँ पहिने ओकरा बहुत ध्यानसँ पढ़बाक चाही आ जे
अधिकार ओ ओकीलकेँ नहि देबए चाहैत अछि तकरा हटा देबाक चाही । समझौता करबाक अधिकार,ओकिल नियुक्त
करबाक अधिकार,पैसा लेबाक अधिकार देलासँ कै बेर बहत क्षति हेबाक संभावना भए सकैत अछि ।
ओकालतनामा
केस लड़निहर व्यक्ति स्वयं वा ओकरा द्वारा अधिकृत व्यक्ति हस्ताक्षर कए सकैत अछि। पार्टीक
एबजमे व्यापार वा व्वसाय करए बला व्यक्ति सेहो ओकालतनामापर हस्ताक्षर कए सकैत छथि।
जौँ कोनो मामलामे कै गोटे सामिल छथि तँ सभगोटे संयुक्त रूपसँ एकाधिक ओकिलकेँ ओकालतनामा
दए सकैत छथि ।
माननीय उच्चतम
न्यायालय उदय संकर त्रीयार बनाम राम कलेश्वर प्रसाद सिंह एवम् अन्य(2005(11) TMI-436 SC)क मामलामे ओकालतनामाक संवंधमे विस्तृत मार्गदर्शन जारी करैत स्पष्ट केलक अछि जे
कोनो मामलामे ओकालतनामा बहुत सावधानीक संग बनाओल जेबाक चाही आ कोर्टक रजिष्ट्रीकेँ
ई चाही जे सुनिश्चित करए जे ओकालतनामा सही अछि अन्यथा ओकरा शुरुएमे रोकि देबाक चाही
जाहिसँ आगू परेसानी नहि होइ । एकबेर ओकालतनामापर संवंधित व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर
भए गेलाक बाद ओकरा तय अवधिमे मामलासँ संवंधित अन्य कागजातक संगे कोर्टमे जमा कएल जाएत
। तकरबाद बिना न्यायालयक मंजूरीकेँ मोअक्किल वा ओकिल वकालतनामाकेँ खारिज नहि कए सकैत
छथि । जँ दुनू पक्षमेसँ किओ मरि जाइत छति छथि वा संवंधित मोकदमाक कोर्ट द्वारा निस्तारण
भए जाइत अछि तँ ओकालतनामा स्वतः खारिज भए जाएत।
माननीय उच्चतम न्यायालयक रामप्पय्या
बनाम शुभम्मा एवम् अन्य(1947)2 MLJ 580 मामलामे ओकील द्वारा ओकालतनामामे बिना स्पष्ट प्रावधानकेँ केसमे समझौता करबाक विषयपर आदेश देलक
। अस्तु, ई स्पष्ट होइत अछि जे कोनो मोकदमामे मओअक्कल
द्वारा ओकालतनामापर दस्तखत करब बहुत महत्वपूर्ण काज अछि आ तकरा बहुत सावधानीसँ ओकरा
पढ़ि कए करबाक चाही ।मुदा सामान्यतः लोक आँखि मूनि कए ओहिपर हस्ताक्षर कए दैत छथि ।
कै बेर ओकर परिणाम प्रतिकूल भए जाइत अछि खास कए जखन कि संवंधित ओकिल तकर दुरुपयोगपर
उतारू भए जाए । मोअक्कील केँ तकर अनुमानो नहि
भए पबैत छनि आ जखन से होइत छनि ताबे कोर्टमे मामिला बहुत आगू भए गेल रहैत अछि ।
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