मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

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मंगलवार, 10 अप्रैल 2018

उपभोक्ता संरक्षण कानून १९८६


उपभोक्ता संरक्षण कानून १९८६

उपभोक्ता संरक्षण कानून १९८६क मूल उद्देश्य जिला,राज्य एवम् राष्ट्रीयस्तर पर अर्धन्यायिक संस्थाक स्थापना करब अछि जाहिसँ उपभोक्ता विबादकेँ शीघ्र ओ त्वरित समाधान भए जाइ। ई संस्था न्यायक नैसर्गिंक सिद्धांतक आधारपर मामलाक औचित्यक ध्यान रखैत उपभोक्ताकेँ उचित क्षतिपूर्तिक आदेश दए सकैत अछि। एकर आदेश नहि मानलापर उचित दंड देल जा सकैत अछि।

उपभोक्ता संरक्षण कानून १९८६ ग्राहककेँ अपन सिकाइतक निपटान करबाक एकटा वैकल्पिक समाधान प्रदान करैत अछि मुदा ताहिसँ कानूनमे प्राप्त अन्य न्यायलयमे मोकदमा करबाक अधिकार समाप्त नहि भए जाइत अछि। जौँ अन्य न्यायालयमे ई सिकाइत सूनल जा चूकल अछि तैयो एहि कानूननक अनुसार उचित फोरममे सिकाइत कएल जा सकैत अछि।(धनबीर सिंघ बनाम हुडको,२०१२(५)एसएलटी ३५)

एहि कानून क धारा ९क अनुसार राज्य सरकार उपभोक्ता विबादक निपटान हेतु जिला एवम् प्रान्तीय स्तर पर जिला फोरम आओर राज्य आयोगक गठन करत,संगहि केन्द्र सरकार राष्ट्रीय आयोग क गठन करत। जिला फोरम मे जिला जज रहल ,कार्यरत जिला जज,किंवा जिला जजक योग्यता रखनिहार व्यक्ति अध्यक्ष भय सकैत छथि।ओहिमे दूटा आओर सदस्य हेताह,जाहिमे एकटा महिलाक होएब जरूरी। राज्य आयोगक अध्यक्ष उच्च न्यायालयक कार्यरत वा सेवा निवृत न्यायाधीश होइत छथि। एकर अतिरिक्त दू वा अधिक सदस्य सेहो होइत छथि, जाहिमे एकटा महिलाक होएब जरूरी । राष्ट्रीय आयोगक अध्यक्ष उच्चतम न्यायालयक कार्यरत वा सेवा निवृत न्यायाधीश होइत छथि। एकर अतिरिक्त चारि वा अधिक सदस्य सेहो होएत छथि। सदस्य बनबाक हेतु बएस 35 सँ कम नहि हेबाक चाही,योग्यता स्नातक, एवम् अर्थ शास्त्र, कानून, वाणिज्य, लेखांकन, उद्योग, जनसेवा, वा प्रशासनमे दस बर्खक अनुभव होएब जरूरी थिक।

जिला फोरममे एहन सिकाइत कएल जाएत जाहिमे संदर्भित वस्तुक मूल्य वा आपेक्षित क्षतिपूर्तिक मूल्य  २० लाख टाकासँ बेसी नहि होएत। जौं कीनल गेल बस्तुक मूल्य किंवा क्षतिपूर्ति २० लाखसँ बेसी एवम् एक करोड़ सँ कम अछि तँ सिकाइत संवंधित राज्यक आयोगक ओतए करए पड़त। ताहूसँ बेसी दामक बस्तुक हेतु किंवा क्षतिपूर्ति हेतु राष्ट्रीय आयोगक ओहि ठाम सिकाइत करब जरूरी थिक।

एहि तरहक कोनो सिकाइत संवंधित घटनाक दू सालक अधीन करब जरुरी थिक,परंतु संवंधित फोरम/ आयोग लिखित कारण दए वाजिब मामलामे एहि समय सीमामे छूट दए सकैत अछि।

उपभोक्ता कानूनक तहत संवंधित उपभोक्ता ,वा उपभोक्ताक हितक रक्षाक हेतु काज केनिहार मान्यताप्राप्त संगठन वा एकाधिक उपभोक्ता( जतए बहुत रास ऊपभोक्ताक एकरंगाहे सिकाइत होइक),वा राज्य किंवा केन्द्र सरकार स्वतः किम्वा प्रभावित ऊपभोक्ताकक हितरक्षाक हेतु सिकाइत कए सकैत छथि।

जिला फोरम/ राज्य आयोग/ राष्ट्रीय आयोगक ओतए सिकाइत करबाक हेतु  निर्धारित शुल्क:

जिला फोरम
वस्तु/सेवा/क्षतिपूर्तिक कुल दाम
लागत  शुल्क
एक लाख धरि
(जे गरीबी रेखासँ नीचा छथि)
किछु नहि
एक लाख धरि(जे गरीबी रेखासँ उपर छथि)

एक सए टाका
एक लाखसँ उपर ओ पाँच लाख धरि
दू सए टाका
पाँच लाखसँ उपर ओ दस लाख धरि
चारि सए टाका
दस लाखसँ उपर ओ बीस लाख धरि
पाँच सए टाका

राज्य आयोग
बीस लाखसँ उपर ओ पचास लाख धरि


दू हजार  टाका
पचास  लाखसँ उपर ओ एक करोड़ धरि
चारि हजार  टाका

राष्ट्रीय आयोग
एक करोड़ सँ उपर


पाँच हजार टाका



जिला फोरम द्वारा सिकाइतक निपटान:

सिकाइत प्राप्त केलाक २१ दिनक भीतर सिकाइतक प्रतिकेँ जिला फोरम प्रतिवादीकेँ पठाओत। प्रतिवादी अधिकसँ अधिक ४५ दिनक भीतर ओकर जबाब देताह अन्यथा जिला फोरम एकतरफा उपलव्ध सबूत ओ कागजातक आधारपर मामलाकेँ तय कए सकैत अछि। वादी वा प्रतिवादीकेँ वकील राखबाक जरुरत नहि होइत अछि।ओ स्वयं किंवा कोनो प्रतिनिधि द्वारा अपन बात फोरममे राखि सकैत छथि। जिला फोरमकेँ कार्यवाहीकेँ ई कहि चुनौती नहि देल जा सकैत अछि जे मामलामे नैसर्गिक न्यायक सिद्धांतक पालन नहि भेल अछि।

जौँ उचित जाँच पड़ताल एवम् प्रस्तुत सबूतक आधारपर जिला फोरम वादीक सिकाइतसँ सहमत भए जाइत अछि तँ ओ प्रतिवादीकेँ ओहि बस्तुकेँ ठीक करबाक आदेश दए सकैत अछि, नव बस्तु देबाक हेतु कहि सकैत अछि,वा ओकर मूल्य आपस करबाक हेतु, किंवा प्रतिवादीक लापरवाहीसँ सिकाइतकर्ताकेँ भेल कष्ट वा क्षतिक क्षतिपूर्ति करबाक हेतु निर्णय दए सकैत अछि। जिला फोरम सिकाइतकर्ताकेँ प्रतिवादी द्वारा देल गेल सेवाकेँ दोषपूर्ण साबित भेलाक स्थितिमे उचित क्षतिपूर्ति देबाक आदेश दए सकैत अछि। संगहि वाजिब मामलामे दंडात्मक क्षतिपूर्तिक आदेश सेहो कए सकैत अछि।

प्रतिवादीक लापरवाहीक कारण सिकाइतकर्ताकेँ भेल क्षति  वा अवघातक हेतु जिला फोरम क्षतिपूर्तिक आदेश दए सकैत अछि।(एस.के.लकोटिआ बनाम नेशनल इनस्योरेंस कंपनी लिमिटेड)

क्षतिपूर्तिक हेतु सिकाइतकर्ताकेँ साबित करब जरूरी अछि जे प्रतिवादी द्वारा देल गेल सेवामे त्रुटिक संग- संग ओकर लापरवाही सेहो छल,जौँ से नहि छल तखन क्षतिपूर्तिक मांग खारिज भए जाएत (निदेशक,एच.आइ.इ.टी बनाम अनिल कुमार गुप्ता,१९९४(१)सीपीआर १८२ )

उपभोक्ता फोरम अन्तरिम आदेश नहि दए सकैत अछि।

अपील

जौँ कोनो पक्ष जिला फोरमक आदेशसँ संतुष्ट नहि अछि तँ ओ तीस दिनक भीतर राज्य आयोगमे निर्धारित प्रपत्रमे अपील कए सकैत छथि। मुदा जँ जिला फोरम आर्थिक क्षतिपूर्ति किंवा दंडक आदेश देने अछि तँ ओहि आदेशकेँ चुनौती देबासँ पूर्व ओहि रकमक आधा वा पचीस हजार जे कम होइक, जमा करए पड़त। मामलाक निपटान हेतु राज्य आयोग मोटामोटी जिला फोरमक पद्धति एवम् प्रकृयाक अनुसरण करैत अछि।

जौँ कोनो पक्ष राज्य आयोगक आदेशसँ संतुष्ट नहि अछि तँ ओ तीस दिनक भीतर राष्ट्रीय आयोगमे निर्धारित प्रपत्रमे अपील कए सकैत छथि। मुदा जँ राज्य आयोग आर्थिक क्षतिपूर्ति किंवा दंडक आदेश देने अछि तँ ओहि आदेशकेँ चुनौती देबासँ पूर्व ओहि रकमक आधा वा पैंतीसहजार जे कम होइक, जमा करए पड़त।

जौँ कोनो पक्ष राष्ट्रीय आयोगक आदेशसँ संतुष्ट नहि अछि तँ ओ तीस दिनक भीतर उच्चतम न्यायलयमे निर्धारित प्रपत्रमे अपील कए सकैत छथि।मुदा जँ राष्ट्रीय आयोग आर्थिक क्षतिपूर्ति किंवा दंडक आदेश देने अछि तँ ओहि आदेशकेँ चुनौती देबासँ पूर्व ओहि रकमक आधा वा पचास हजार जे कम होइक, जमा करए पड़त।

राज्य आयोग ,राष्ट्रीय आयोग नब्बे दिनक भीतर ओकरा समक्ष कएल गेल अपीलक निपटान कए देत,मामलाक सुनबाइक दौरान सामान्यतः स्थगन नहि देल  जाएत। जौं नब्बे दिनमे फैसला नहि भए पबैत अछि तँ तकर कारण लिखित रूपमे देल जाएत।

जिला फोरम / राज्य आयोग/राष्ट्रीय आयोग द्वारा देल गेल निर्णयकेँ जौँ तय समय सीमाक भीतर अपील नहि कएल जाइत अछि तँ ओ निर्णय अन्तिम भए जाएत।

सिकाइतकर्ताक आवेदनपर किंवा स्वयं राज्य आयोग कोनो जिला फरममे चलि रहल मामलाकेँ दोसर जिला फोरममे पठा सकैत अछि।

ग्राहकक कर्तव्य :

ग्राहकक कर्तव्य अछि जे ओ कीनएबला बस्तुक बारेमे उचित जानकारी प्राप्त करए,ओकर गुणवत्ता बारेमे स्वयं जाँच पड़ताल करए एवम् दोकानदारक बातपर आँखि मूनिकए विश्वास नहि करए अपितु वस्तु विशेषपर बनल चेन्ह जेना आइएसओ आदिकेँ नीकसँ ठेकानि लेथि।

देश भरिमे करीब पाँचसएस्वयंसेवी संगठन उपभोक्ता संरक्षणक हेतु काज कए रहल छथि। ग्राहककेँ उचित सलाह देबाक हेतु एवम् ओकर वाजिब हितक रक्षाक हेतु एहन संगठनसभ सकृय योगदान करैत छथि। ग्राहक जरूरी भेलापर हिनका लोकनिक मदति लए सकैत छथि।







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