एकसरि
पण्डितजी बेश कर्मकाण्डी
छलाह। भोरसँ साँझ धरि जतेक काज करितथि सभमे भबानकेँ स्मरण अवश्य करितथि।
मंत्रोच्चार करैत उठितथि आ मंत्रेच्चारेक संग सुतितथि। त्रिपुण्ड आ ताहिपर लाल ठोप
हुनक ललाटकेँ शुशोभित केने रहैत छल। ताहिपरसँ हरदम मुँहमे पान कचरैत, लाल-लाल पानक पीक
फेकैत ओ साक्षात् कालीक अवतार लगैत छलाह। कारी चामपर ललका वस्त्र धारण कए जखन वो
भवतीक बन्दना करय पहुँचैत छलाह तँ वातावरणमे एकटा अपूर्व सनसनी पसरि जाइत छल।
पण्डितजीक उम्र करीब ४५ बर्ष होएतनि।
दूआ बेटी आ एक बेटा छलनि। घरवालीक स्वर्गवास आइसँ दस साल पहिने भय गेल छलनि।
पण्डितजीक दुनू बेटा वेश सुन्नरि आ लुड़िगर छलनि। मुदा हुनका पासमे टाकाक अभाव छलनि
तँ कतहु कन्यादान पटैत नहि छलनि। बेटा भिन्न भय गेल छलखिन आ पण्डितजी अपन दुनू
बेटीक संग एकठाम छलाह।
पण्डितजीक घरक आस-पासमे बेश
सम्पन्न परिवार सभ छलैक। पण्डितजीक गुजरो हुनके सभहक माध्यमसँ होइत छलनि। बेटा अपन
घरवालीक संग दरिभंगामे रहैत छलखिन। ओहिठाम डिस्ट्रीक्ट बोर्डमे कैसियरक काज करैत
छलाह। मुदा पण्डितजीकेँ किछु मदति नहि करैत छलखिन। वो अखनो पण्डिताइक बले जीवैत
छलाह। दुनू बेटी समर्थ छलखिन। गामेक हाइ स्कूलसँ मैट्रिक धरि सभकेँ पढ़ौलखिन। आगा
पढेबाक सामर्थ्य नहि रहन्हि। वियाहक लेल घटपटायल छलाह मुदा कतहु टाका नहि भेटैत छलनि।
बिना टकाक कोनो लड़का वियाह करय हेतु तैयार नहि छलनि। यैह सभ चिन्तामे वो चिन्तित
रहैत छलाह।
ओना पण्डितजीक सम्बन्ध पूरा
गाममे सँ मधुर छलनि। मुदा दू-तीन परिवारक लोक हुनका बेशी आदर करैत छलखिन। हीरा
बाबूक ओतय तँ भोर-साँझ
दू घन्टा जरूर बैसार होइत छलनि। मुदा पण्डितजी ककरो कहियो अपना हेतु किछु कहलखिन
नहि। हीरा बाबूकेँ चारिटा बेटा छलखिन। दूटा तँ बाहर रहैत छलखिन मुदा छोटका दुनू
पालिमे मैट्रिक पास केने छलखिन आ बससँ रोज मधुबनी जाइत छलैन्ह किलास करय। सरोज ओ
मीरा सेहो ओकरे सभहक संगे मैट्रिक पास केने छल। एक दिन सौंसे गाम सुतल आ सुति कऽ
उठल तँ गुम्मे रहि गेल। सरोज चुपचाप घरसँ निपत्ता भय गेल छलैक। घरे-घर तका-हेरी
भेलैक मुदा कोनो पता नहि। आन्हर हीराबाबूक दोसर बेटा सेहो काल्हियेसँ गाएब छलैक।
सौंसे गाममे कनाफुसी होमय लगलैक। पण्डितजी गरीब जरूर छलाहमुदा हुनका अपन
प्रतिष्ठाक पूरा ख्याल छलनि। ओ अहि गम्भीर चोटकेँ नहि सहि सकलाह आ रातिमे सुतलाह
से सुतले रहि गेलाह। मीरा एकसर भय गेलीह। गुम्म, सुम्म आश्चर्यचकित ओ सोचि
नहि पाबि रहल छलीह जे की करथि।
मीरा आब एकसरि छल। आगू-पाछू
क्यो नहि। बापक मरला चारि दिन भय गेल छलै। भातिज आगि देने छलनि।
सौंसे गाममे सरोजक भगबाक
समाचार बिजली जकाँ पसरि गेल रहैक। मीराक तँ बकारे नहि फुटैत छलैक। की करए। पाँचम
दिन सभ दियाद-बादक बैसार भेलन्हि। तय भेल जे गाम लऽ कऽ श्राद्ध भय जाए। पैसा-कौरी
हीराबाबू गछलखिन। मीरासँ मात्र एतबा गछबा लेल गेलैक जे काज भेलाक बाद घर-घराड़ी जे
पण्डितजीक एक मात्र सम्पत्ति छलनि जे हीराबाबूक नाम कए देल जएतनि। बैसार खतम भेल
मीरा गुमसुम एकचारी दिस देखि रहल छल। पण्डितजीक श्राद्ध नीक जकाँ समपन्न भेल।
हीराबाबू रजिष्टारकेँ गामेपर बजा अनलाह। लिखयी सम्पन्नभय गेल। हीराबाबू मीराकेँ कहलखिन-
“मीरा, मास दू मास अही घरमे रह।
तोरे घर छौक ने।”
मीरा चुपचाप सुनैत रहल जेना
ठकबिदरो लागि गेल हो।
अपने गाममे, अपने घरमे मीरा बेघर
भऽ गेल छल। गामक लोक ओकरा प्रति सहानुभूतितँ देखबैत छलैक मुदा महज फार्मेल्टी।
धीरे-धीरे ओहो खतम। पन्द्रह दिन भय गेल छलैक घरक रजिष्ट्रीक। मीराकेँ आब ओहि घरमे
एक पल बिताएब असम्भव लगैत छलैक। एक दिन सैह सभ सोचि रहल छल कि लगलैक जेना दरबाजापर
क्यो ठाढ़ होइक।
“हीराबाबू, अपने एतेक रातिमे..?”
हीराबाबू किछु बजबाक हिम्मति
नहि कए पाबि रहला छलाह। मीराक तामस अतिपर पहुँच गेलैक। ओ चिचियैल-
“चोर! चोर!”
हीराबाबू भगलाह। अगल-बगलक
लोकक ओहिठाम भीड़ एकट्ठा भय गेल छलैक। मीरा भोकासि पाड़ि कऽ कानि रहल छल। दाइ-माइ
सभ दस रंगक गप्प-सप्प करैत पहुँचि गेल छलैक। जकरा जे मोन होइक से बजैक। मीरा
चुपचाप सभ किछु सुनैत रहल। धीरे-धीरे भीड़ ओहिठामसँ हटैत गेलैक। राति गम्भीर भेल
जाइत छलैक। सौंसे गामक लोक सुति रहल छलैक। मीरा चुपचाप गामसँ बाहर भऽ गेल।
ओकराकिछु नहि बुझल छलैक जे वो कतय जा रहल अछि मुदा कोनो दोसर बिकल्पो नहि रहि गेल
छलैक।
मीरा बड्ड पढ़लो नहि छल।
शहरमे कहियो रहल नहि छल। मुदा तकर बादो ओकरा कोनो गम नहि छलैक। टीशनपर गाड़ी आबि
गेल छलैक आ आर अधिक सोच-विचार करबाक अवसरो नहि छलैक। ओ तरदय टीकट कीनलक आ गाड़ीपर
चढ़ि गेल। ट्रेनमे बेश भी छलैक। किछुकाल तँ वो ठाढ़े रहल मुदा ताबते ओकरा
चिर-परिचित अमित सेहो ओकर सामनेक सीटपर बैसल भेटलैक। हीरा बाबूक ज्येष्ठ पुत्र
अमित। मीराकेँ ट्रेनमे धक्कम-धुक्की करैत देखि ओ तुरन्त उठि गेलैक।
“मीरा तूँ कतय जा रहल छेँ?”
पुछलकै अमित। मीरा ओकरा देखि कए
अवाक् रहि गेल। किछु बजबे नहि करैक। अमित ओकरा अपना सीटपर बैसा देलकै। अगिला
टीशनपर किछु यात्री उतरलैक। अमित सेहो ओहिठाम उतरय चाहैत छल मुदा मीराकेँ एकसर
छोड़ि देब ओकरा नीक नहि लागि रहल छलैक। ओ मीरासँ ओकर गन्तव्य पुछय चाहलकै। मुदा
मीरा किछु बजबे नहि करैक। बड़ मुश्किलसँ मीरा ओकर कहब मानि ओतहि उतैर गेल। आखिर
ओकर कोनो गन्तव्य नहि छलैक। गाड़ी सीटी दैत ओहिठामसँ आगा बढ़ि गेलैक।
ट्रेनपर सँ उतरि कए मीरा कानय
लागल। अविरल अश्रुक प्रवाह देख अमितक मोन करूणासँ भरि गेलैक। ओ मोनहि मोन निश्चय
केलक जे मीराकेँ ओकर घर आपस दिआ कऽ रहत चाहे ओकरा कतबो संघर्ष कियैक नहि करय
पड़ैक। ओ बड़ मुश्किलसँ मीराकेँ चुप केलक आ अपना संगे गाम आपस नेने अएलैक।
ओहि दिन पूरा गामक बैसारी
भेलैक। सभ हीराबाबूकेँ ‘छिया-छिया’ कहलकनि। ताबतमे अमिकत कतहुसँ आयल आ साफ-साफ घोषणा कए
देलक जे वो मकान मीराक छैक ओओकरे रहतैक। सौंसे गौंवा प्रसन्न भय ओकर गुणगाण करय
लागल। मुदा हीराबाबूकेँ जेना नअ मोन पानि पानि पड़ि गेलनि। बैसारीसँ लौटि ओ
छटपटायल रहथि। साँझमे बाप-बेटामे बेश विवाद पसरि गेलनि। मुदा अमित हुनकर गप्प
सुनबाक हेतु तैयार नहि छल आ एकबेर फेर साफ-साफ कहि देलकनि जे एहि अन्यायमे ओ हिनकर
संग नहि देतनि। बाद-विवाद बढ़िते गेल। अन्ततोगत्वा हीराबाबू कम्बल, बिछाओन आदि सरिओलनि
आ गामसँ विदा भय गेलाह। क्यो टोकलकनि नहि। अमित मोने-मोन सोचैत रहल- भने ई आफद टरि
रहल छथि।
हीराबाबू तँ चलि गेलाह मुदा
मीराकेँ तैयो चैन नहि भेटलनि। सौंसे गाममे दुष्ट लोक सभ मीरा आ अमितक बारेमे नाना
प्रकारक कुप्रचार करय लगलैक। रोज एकटा नव अफवाह गामक एक कोणसँ निकलैत आ दोसर कोण
धरि पसरि जाइत। मीराकेँ ई सभ गप्प क्यो-ने-क्यो आबि कए कहि दैक। ओ बड़ संवेदनशील
छल, भावुक छल, तँए एहन-एहन गप्प-सप्प
सुनि कए कानय लगैत छल। एक दिन अहिना एसगरे अँगनामे कनैत रहय। अमित कतहुसँ आबि
गेलै। ओकरा एना कनैत देखि बड़ तकलीफ भेलै अमितकेँ।
“मीरा नहि कान!”
जेना कि सभ बात ओकरा बुझले
होइक।
“सुन! हमर बात मानि ले। हमरासँ
बियाह कऽ ले। बाज सही,
जकरा जे मोन होइक।”
मीरा आर जोरसँ कानय लगल। अमित
ई सभ नहि देखि सकल आ चुप्पे ओतयसँ सरकि गेल।
तकर बाद अमित दोबारा घुरि कए
नहि अएलैक ओकरा लग। पूरा गाममे हल्ला भय गेलैक जे अमित कतहु चल गेल। मीरा ओतेकटा
गाममे फेर एकसर भय गेल छल। गाममे कोनो थाहपता नहि छलैक।
बच्चा सभकेँ ट्यूशन पढ़ा-पढ़ा
कऽ गुजर करैत छल। मुदा अमितक एकदम गामसँ निपात भय गेलाक बाद ओ अत्यधिक दुखी छल।
ककरोसँ किछु गप्प करबाक इच्छा नहि रहैक। एतबेमे ककरो गरजब सुनेलैक। हीराबाबूक
पितियौत अगिया बेताल छलाह।
“कहाँ गेल पण्डितक बेटी...!” इत्यादि-इत्यादि।
मीराकेँ ई सभ गप्प नहि सहि
भेलैक। मुदा ओ किछु बाजियो नहि सकल। असोरापर करोट भऽ गेल। चारूकातसँ लोक सभ
दौड़लै। हल्ला भऽ गेलैक जे ‘मीराक हार्ट फेल कऽ गेलैक। एक बेर फेर ओ घराड़ी सुन्न
भय गेलैक।’
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