मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

मधुबनी सहर

मधुबनी सहर

मधुबनी हमरासभक गामसँ पन्द्रह किलोमीटरपर अवस्थित अछि। हम बच्चेसँ एहि ठाम अबैत-जाइत रहलहुँ।हमरसभक मैट्रिकक परीक्षा केन्द्र मधुबनी वाटसन इसकूलमे छल।ओहूसँ पहिने कैक बेर असगरे आ बेसीकाल बाबूक संगे मधुबनी आएल रही। बाबूक संगे मधुबनी आबी तँ ओ मधुर जरूर खुआबथि।किछु-किछु आर सामानसभ कीनल जाइत।मधुबनीक चर्च करैत ओहि समयमे ओतए होइत सर्कसक ध्यान आबि जाइत अछि।सर्कसक टार्चलाइट हमसभ गामेपर सँ देखी आ मोनमे उत्सुकता बढ़ि जाए जे ई छै की?सर्कस की होइत छैक?केना देखल जाए? एक बेर हम बाबूक संगे सर्कस देखबो केलहुँ।तरह-तरहक खेलसभ,जंगली जानबरसभ देखबामे आएल।एकटा बड़कीटा बाघ सेहो पिंजरामे देखाएल छल।हम अखन धरि ओहि दृश्यसभकेँ बिसरि नहि सकलहुँ अछि।तहिना एक बेर मधुबनीक मिथिला टाकीजमे संपूर्ण रामायण सीनेमा लागल छल। गामक -गाम ओहि सीनेमा देखबाक लेल उलटि गेल रहए। मुदा हम ओ सीनेमा नहि देखि सकल रही।मधुबनीक स्मृतिसँ जुड़ल बहुत रास बात सभ अछि जकर चर्चा हम आन ठाम कइए चुकल छी।

एक बेर फेर हम मधुबनी सहरमे आबि चुकल छी। अपन मित्र श्रीनारायणजीक संगे हुनके घरक भूतलमे रहि रहल छी। एहिठाम रहबाक लेल जरुरी सभटा सामान आनलाइन कीनि चुकल छी। काजबाली,भनसिआ,दूध देनिहार सभक व्यवस्था श्रीनारायणजी पहिनेसँ कए देने छथि।तेँ एहिठाम रहबामे कोनो दिक्कतिक प्रश्ने  नहि उठैत अछि।बहुत रास सामानसभ घरेसँ फोनपर श्रीनारायणजी लिखा देलखिन आ थोड़े कालक बाद सभटा सामान रिक्सापर घर पहुँचा देलक।ओकरा फोनपेपर भूगतान कए देलिऐक। दिल्ली,नोएडा जकाँ एहिठाम बिगबास्केट,ब्लिंकइट,जेप्टोसन त्वरित सामान पहुँचाबए बला व्यवस्था भने नहि होइक,मुदा घरे बैसल सामान एतहु आबि जाइत अछि। फेर एमजोन,फ्लिपकार्ट सेहो एहि ठाम उपलब्ध अछि। बहुत रास सामान हम आनलाइन कीनलहुँ अछि। पानि पीबाक लेल बिसलेरी सेहो एहिठाम भेटि जाइत अछि। पाँच-पाँच लीटरक बोतलसभ प्रचूर मात्रामे  कीनि कए राखि लैत छी। गाम लए जेबाक लेल सेहो पानिक बोतलक जोगार एमजोनक मारफत भए जाइत अछि। कहब जे पानि किएक कीनैत छी? बात तँ सही ,मुदा स्वास्थ्यक ध्यान रखैत से करब उचित बुझाइत अछि। एक दिन रातिमे बहुत रद्द भेल,जखन कि किछु अदन-कदन नहि खेने रही। तखन सोचबामे आएल जे पानि बदलबाक कारण ई उकबा भेल होएत। ओना गामोपर नवका चापाकलक जोगार भेल अछि जे करीब चारि सए फीट नीचाँ धरि धसाओल गेल अछि। ऊपरमे पानि भेटबे नहि केलैक। निश्चय ई चिंताजनक स्थिति तँ अछिए।पानि एतेक नीचाँ किएक चलि गेल? असलमे पोखरि-इनारसभ सुखा गेल,किंवा नष्ट भए गेल।जल संरक्षणक ई नैसर्गिक  पुरान तरीका आब रहल नहि। ऊपरसँ दिन-राति गृह निर्माण होइत रहैत अछि।ताहूसँ जलक स्तर नीचाँ जा सकैत अछि। आब बहुत गोटे समरसीभल गड़बा लेने छथि। देखा चाही कतेक दिन धरि ओहो चलि सकत।दू-तीन दिन मधुबनी बजारसँ किछु-किछु सामानसभ अबैत रहलाक बाद मधुबनी सहरमे हमरा लोकनिक गृहस्थी आब व्यवस्थित भए चुकल ।

मधुबनी सहरमे अखनो किछि विशेषता देखाएल। जेना एहि ठाम तरकारीसभमे गजब स्वाद अछि। भांटा,सजमनि,कदीमा,ओल,खम्हाउर सभ अद्भुत स्वादिष्ट। मुदा कोबी सभक रंग-ढंग बदलल-बदलल बुझाएल। छोटका फुलकोबीसभ नहि देखाएल।ओना गिलशनक तरकारी बजार तरकारीसँ भरल रहैत अछि।सहरमे केकटा प्रतिष्ठित दोकानसभ सेहो अछि।मुदा अहाँकेँ जनतब हेबाक चाही जे कोन वस्तुक कोन दोकान नीक अछि।ओना अनचोके यदि कोनो दोकानमे चलि जाएब तखन से बात नहि बुझाएत।किछु मौलसभ सेहो खुजि गेल अछि।होटलसभ सेहो उपलब्ध अछि जे एसीयुक्त रूमसभ सुलभ करबैत छथि।

मधुबनीमे  गामोमे बेसीकाल लाउडस्पीकर बजिते रहैत अछि।ककरो कोनो कनीकोटा उत्सव करबाक हेतैक तँ लाउडस्पीकर जरूर लगा देत।सत्यनारयण भगवानक पूजा होअए,बिआह,उपनयन,मूड़न किछु होअए लाउडस्पीकर बजबे करत।अहाँकेँ जे हेबाक अछि से होअए।ओना एहिठामक लोकसभ एहन ध्वनि प्रदूषणक अभ्यस्त भए चुकल बुझाइत छथि। हम जखन मैट्रिकक परीक्षा देबए सन् ‍१९६७मे मधुबनी आएल रही तखनहु इएह हाल रहैक।

 मधुबनीसँ अड़ेर डीह टोल जाएब-आएब आब बहुत आसान भए गेल अछि। जखन चाही टेकर,बस सभ सुलभ अछि। हमर डेरासँ बस स्टेंड(गंगा सागर लग)  बीस-तीस टाकामे चलि जा सकैत छी। तकर बाद ओहि ठामसँ बेनीपट्टी जाए बला कैकटा बस खुजैत अछि।अन्यथा मिथिला टाकीजसँ सटले अड़ेर गेनिहार टेकरसभक लाइन लागल रहैत अछि।किशोरी लाल चौकपर चलि जाउ तँ आर नीक,कारण बीचक जामसँ बँचि सकैत छी।मधुबनीमे जाम ओहिना लगैत अछि जेना कोनो पहाड़ी नदीमे बाढ़ि आबि जाइत अछि।कखन जाम लागि जाएत तकर कोनो ठेकान नहि। सड़क दुबगली अतिक्रमण भेल अछि जकर हटाएब असंभव थिक।देखिते-देखिते आगूसँ रिक्सा पाछूसँ मोटर साइकिल बामा कातसँ ट्रेक्टर बीचमे फसल किछु यात्री तेहन विचित्र दृश्य बना दैत छथि जकर वर्णन करब मोसकिल।जामसँ निकलि गंतव्य धरि सुरक्षित पहुँचि जाएब अपनेक भाग्यपर निर्भर अछि।

मधुबनीक सीवर व्यवस्था आ स्वच्छताक चर्चा नहिए करब बेसी नीक।मधुबनी सहरमे सीवरक कोनो नीक व्यवस्था नहि अछि। यत्र-तत्र नालासँ सड़ल पानि  दुर्गंधित अपशिष्टसभ बहाइत देखि मोन घिना जाइत अछि। पोखरिसभ दुर्गंधसँ गन्हाइत रहैत अछि। गिलेशन बजारक मछहट्टा लग माछी भनभनाइत रहैत अछि। सामनेमे गुंड़क चक्की खुजले राखल देखाएत। ओएह माछीसभ उड़ि-उड़ि गुड़पर बैसैत अछि।की आमिष  की निरामिष?गुड़क दोकान बलाकेँ कहबो केलिऐक-

“एना उघारल गुड़ किएक रखैत छी?किएक ने एकरा उजरा पन्नीसँ झाँपि दैत छिऐक?”

ओ तुरंत उग्र होइत बाजल-

“की बात करैत छी?ई मधुबनी छैक?भीतर राखि देबैक तँ बिकेबो करत? अहाँक लेबाक होअए तँ भीतरेसँ निकालि देब।मुदा एना नहि बाजू।”

मधुबनीमे एकटा विचित्र बात ई देखबामे आबि रहल अछि जे स्थानीय विक्रेतासभ जेना झगड़ा करबाक लेल तैयार बैसल होअए,आतुर होअए।यदि एकटा बात मुँहसँ निकलि गेल,किंवा किछु प्रश्न पुछि लेलहुँ  तँ आगू भगवाने मालिक।जेना तरकारी लेबाक काल हम कहलिऐक-

“दढ़ कदीमामे सँ काटि कए दिअ।”

“जते गोटे आएत सभ कहैत जाएत जे दढ़ कदीमा काटि कए दिअ।तखन तँ हम बेचि लेलहुँ। एक सेर -आध सेर लेब कि नहि लेब ,मुदा फरमाइस करैत जा रहल छी।”

एहि तरहेँ तरह-तरहक बातसभ ओ बाजए लागल। ओहि ठाम ठाढ़ भेल दूटा ग्राहक सेहो अबाक देखैत रहि गेलाह।  ओ सभ संभवतः भोज करबाक लेल कदीमा आ ओल एकट्ठे लेबाक लेल तत्पर छलाह,मुदा दोकानदारक बजबाक तरीकासँ छगुन्तामे देखेलाह।

एकदिन काजसँ कचहरी गेल रही।एकटा पुरान रजिष्ट्रीक कागजकेँ साफ-साफ  टाइप करेबाक रहए जाहिसँ ओकरा पढ़ल जा सकए। पता लगबैत-लगबैत ओकालतिखानाक पाछू बैसल टंकक लग पहुँचलहुँ। ओ पचकोसीक एकटा बहुत प्रतिष्टित गामक छथि। बएस पचहत्तरि,देखबामे शुभ्र। हम हुनका ओ कागज देखए देलिअनि। ओहिमे हाथसँ लिखल सातटा पन्ना छलैक।तकरा टाइप करबाक लेल ओ सात सए रूपया मंगलनि। फेर अपने छओ सए कहलनि आ बात पक्का भए गेल। ओ दोसर दिन बारह बजे टाइप कए देताह।हम दोसर दिन भेने हुनकासँ ओ कागज लेबए गेलहुँ। ओ नाम पुछलनि आ  टाइप कएल कागज निकालि कए दए देलनि। हम ओहि कागजकेँ ध्यानसँ देखैत छी। ओहिमे अपूर्णता बुझाएल।पाछूक दू पृष्ठ टाइप नहि कएल गेल छल। हम हुनका कहलिअनि-

“एहिमे तँ दूटा पन्ना नहि छैक।”

ओ मुँह बिचकबैत बजलाह-“एहिना होइत छैक।कोनो कागज देखि लिऔ।एहन कागजसभमे पछिला पन्नासभ टाइप नहि कएल जाइत छैक।”

“मुदा हम तँ अहाँकेँ पूरा कागज टाइप करए कहने रही।”

“की जाहिल जकाँ बात कए रहल छी। लेबाक होअए तँ लिअ नहि तँ छोड़ि दिऔ।”आर की की बजैत रहि गेलाह।हम हुनकर शब्दक चयनपर बहुत आपत्ति केलिअनि।कहबो केलिअनि जे अहाँ अपन गामक नाम घिना रहल छी। सए-दू सए टाकाक लेल एहन स्तरहीन बात कए रहल छी।लगेमे ठाढ़ दूटा मुसलमान जे उर्दू भाषा जनैत छलाह,सेहो आपत्ति केलकनि । मुदा हुनका लेखे धनसन।ओ टाका धेलाह आ निश्चिन्त भाओसँ अपन काजमे लागि गेलाह।हम हुनका कतबो बुझेबाक प्रयास केलहुँ,सभ व्यर्थ। हम माथ पकड़ने आगू बढ़ि रहल छलहुँ कि दिल्लीसँ श्री कामेश्वर चौधरीजीक फोन आएल।हुनका संगे गप्प करैत मोन हल्लुक भेल।संयोगसँ हमर मोबाइल फोन श्रीनारायणजीकेँ लागि गेल रहनि  ओ ओहि आदमीक संग हमर समस्त वार्तालाप सुनैत रहि गेल रहथि।साँझमे जखन हम वापस डेरापर अएलहुँ तखन ओ सभटा गप्प बुझलनि। नहि कहि सकैत छी जे कचहरीमे भेल ओहि दुखद अनुभवकेँ बिसरबामे कतेक मोसकिल भेल छल। मोनमे बेर-बेर होइत छल-

“सएह कहू,केहन भए गेल अपन सहर अपन गाम-घर?”






गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025

यात्रा गामक

 

 रहिका बड़ पुरान चौक अछि।

कार तीव्र गतिसँ आगू बढ़ल जा रहल छल। सड़कक दुनू दिस हरियर कंचन खेत-पथारक अद्भुत दृश्य देखबामे आबि रहल छल। सरसौक पीयर-पीयर फूल मनमोहक लागि रहल छल। हबाइ अड्डासँ कनीके आगू बढ़लापर आधुनिक तरीकाक फ्लैटसभ देखबामे आएल।बादमे तँ एहने फ्लैटसभ मधुबनी-सौराठ रोडपर सेहो देखबामे आएल। ग्रामीण क्षेत्रो मे बास योग्य जमीन बहुत महग हेबाक कारण फ्लैट संस्कृतिके बढ़ब स्वाभाविक अछि।सी एम कालेज दरभंगामे पढ़बाक समयमे आ बादमे दरभंगामे टेलीफोन इन्सपेक्टरक नौकरीक क्रममे दरभंगा-गाम आएब-जाएब लागले रहैत छल। बेसी काल रहिका आबि दरभंगाक बस पकड़ैत छलहुँ। बसौली,केवटी,दरिमा,खिरमा,  हबाइ अड्डा होइत बस दरभंगा स्टैंड पहुँचैत छल। ओहि समयमे दरभंगा हबाइ अड्डा वायुसेनाक अधीन छल। ओतए नागरिक सेवा नहि होइत छल। हबाइ अड्डापर कारी-उज्जर रंगक एकटा झंडा फहराइत रहैत छल जे बसे मे सँ देखल जा सकैत छल।

कपिलेश्वर होइत हमसभ आब रहिका चौकपर पहुँचि गेल रही। पहिने जखन हम दिल्लीसँ गाम आबी तखन रहिका चौक जस-के-तस देखाइत छल। कोनो परिवर्तन नहि। ओएह गनल-गुथल दोकानसभ। ओतहि एकटा दोकानपर किछु मैथिलीक किताबसभ भेटि जाइत छल।मुदा एहि बेर बहुत परिवर्तन बुझाएल।चारू कात अनेक दोकानसभ पसरल छल।बीच चौराहापर एकटा स्तंभ बनल अछि।हमसभ ओतहि सुधाक दोकानसँ एक किलो माने चारिटा पाकेट पेरा कीनलहुँ आ  गाम दिस बढ़ि गेलहुँ।

रहिका-सतलखाक बीचमे एकटा बहुत पुरान धार अछि। ओतहि जखन हमसभ बच्चा रही तँ एकटा बस उनटि गेल रहैक। हमसभ गामसँ आबि कए ओ दृश्य देखने रही। अखनहु जखन हम ओहिठामसँ गुजरैत छी तँ ओ घटना मोन पड़ि जाइत अछि।सतलखासँ कनीके आगू बढ़लापर लकसैर टोल अबैत अछि। ओहिठाम एकटा कनझरनी रहैत छलि। हमसभ जखन बच्चा रही तखन ओकर बेस चला-चलती रहैक। जकरा ककरो कान,माथ दुखाइत,से ओकरासँ झड़ेबाक लेल जाइत छल।एक बेर हमहूँ बच्चामे ककरो संगे ओकरा ओहिठाम गेल रही। ओ नाक पकड़ि कए किछु मंत्र पढ़ैत छलि  आ संबंधित व्यक्तिक नाकसँ पिलुआ झड़ए लगैत छल।नीचाँमे पिलुआक पथार लागि जाइत छल। रोगी एहि     दृश्यकेँ देखि बहुत आश्वस्त होइत छल जे चलू , एतेक रास पिलुआ नाकसँ बाहर भए गेल। आब तँ चेनसँ रहब,दर्द नहि होएत। लोक नकझरनीकेँ एहि सेवाक बदलामे किछु चाउर,किंवा पाइ दैत छल,नहि तँ उधारिओ राखि लैत छल।बादमे ओ गाम जा कए बकिऔता वसूली करैत छलि।हमरा जनैत सभटा ओकर मात्र हाथक सफाइ छल।कोनो मनुक्खक नाकसँ एतेक रास पिलुआ यदि झरितए तखन ओ जीबित रहितए से संभव नहि बुझा रहल अछि।जे होइ,मुदा ओहि समयमे ओ बहुत प्रसिद्ध छलि आ ओकरा ओहिठाम कारणीसभक पाँति लागल रहैत छल।

सतलखा लकसैर टोलसँ जुड़ल छथि प्रोफसर यशोधर झाजी। हुनका मैथिलीमे साहित्य अकादमीक प्रथम पुरस्कार हुनकर पोथी’ ‍मिथिला वैभव’ लेल भेटल छल। ओ हमर पितियौत बहिनक ससुर छलाह । जखन हुनका पुरस्कार भेटल रहनि तँ ओ किछु दिनक बाद अपने हाथे मिथिला वैभव पोथी हमर पिताकेँ देने रहथिन। हम ओहि समय मैट्रिकमे रही। ओहि किताबकेँ पढ़बाक प्रयास केने रही। ओहिमे बेसी दर्शनक चर्चा बुझाएल। गाम जाइत काल हुनकर डीह देखाएल। ओहिपर एकटा पक्का मकान बनल अछि जाहिमे निरंतर ताला लागल रहैत अछि। ताला लागल एहन मकानक गामक-गाम भरमार भए गेल अछि।हम ओहि मकान दिस बड़ी काल धरि देखैत रहि गेलहुँ। ओहि डीहक भूतकालक दृश्य मोन पड़ि गेल।हम इएहसभ सोचिए रहल छलहुँ कि कार आगू बढ़ि गेल।



रविवार, 9 फ़रवरी 2025

यात्रा गामक

 

यात्रा गामक

 

मास दिनसँ पहिने दरभंगाक रेल टिकट कटा लेने रही। दुनू बेकतीक नीचाँक सीट भेटि गेल रहए। आब समय लगीच आबि रहल छल। अचानक पटनामे विद्यार्थीसभक आन्दोलन शुरू भेल। लोकसभ रस्ता जाम करए लागल। ट्रेन लाइनपर धरना प्रारंभ भेल। बस सभमे आगि फुकि देल गेल। एकटा नेता अनशनपर सेहो बैसि गेलाह। उपरसँ मौसम सेहो बेदरंग होमए लागल।

“एहनमे ट्रेनसँ कोना जा सकब?”-ई प्रश्न मोनमे घुमि रहल छल। ऊपरसँ हुनकर ठेहुनमे सिकाइत से रहिते छनि। एक प्लेटफार्मसँ दोसरपर गेनाइ पराभव।

“तखन?”

बहुत सोच-विचार कए सोलह जनवरीक इन्डिगोक हबाइ जहाजमे दुनू बेकतीक टिकट लए लेलहुँ। भेल जे भने कनी खर्चा बढ़ि जाएत,मुदा आरामसँ जाएब। समयो कम लागत।जहाज दू बाजि कए दस मिनटपर उड़तैक आ चारि बजे दरभंगा पहुँचि जाएत। बहुत सही समयमे गाम पहुँचि जाएब।

आब यात्राक समय लगीच आबि रहल छल। जरूरी चीज छुटि नहि जाए तेँ पहिने ओकरासभके बैगमे रखनाइ शुरू कए देलहुँ। किछु किताब,जरूरी दबाइसभ,अनेक प्रकारक कागजात जकर प्रयोजन होइत,राखि लेलहुँ। हमर श्रीमतीजी दूटा बड़का बैगमे सामानसभ भरि लेलनि।हैंडबैगक सामानसभ सेहो राखि देल गेल। लैपटाप तँ जेबेक छैक।ओहीमे गढ़ल जेतेक नव-नव रचना। मधुबनीमे रहबाक जोगार पहिनेसँ भए गेल अछि।असलमे कार्यक्रम बनलाक बाद हम अपन मित्रश्रीनारायणजीकेँ फोन केने रहिअनि। हुनका अपन मंतव्य कहलिअनि जे छओ मासक लेल हमरा मधुबनीमे मकान किरायापर चाही। ओ सुनि लेलथि। तकर दू घंटाक बाद ओ फोन केलथि-

“हमरमकनाक नीचाँ बला भाग खाली अछि। अहाँकेँ पसिंद होअए तँ ओतहि रहि जाउ।”

“एहिसँ नीक की भए सकैत अछि।”

बात पक्का भए गेल। हमर मधुबनी आवासक समस्या देखिते-देखिते समाधान भए गेल। श्रीनारायणजीक ओहिठाम रहलासँ सभटा समाधान अपने होइत रहत। कारण मधुबनीमे ओ पैंतीस सालसँ बेसीए समयसँ रहि रहल छथि,बहुत प्रतिष्ठित छथि आ अपन लोक तँ छथिहे। हुनकर जतेक प्रशंसा कएल जाए से कम पड़त।हुनका बारेमे बहुत बात हम पहिने लिखि चुकल छी।तेँ पुनरावृत्ति नहि होइ,से सोचि ओकरासभकेँ दोहारा नहि रहल छी।

समय बितैत देरी नहि होइत छैक। देखिते-देखिते सोलह जनबरी लगीच आबि गेल। दू दिन पहिनेसँ हमसभ अपन बैगमे सामानसभ राखि रहल छलहुँ।कागज -पत्र सभ सेहो राखि लेलहुँ। हबाइ जहाजक चेकिन आनलाइन कए लेलहुँ। सोलह जनबरीक हमसभ दस बजे टैक्सीसँ इन्दिरा गांधी हबाइ अड्डाक टर्मीनल ‍१डी लेल बिदा भए गेलहुँ। हबाइ अड्डा पहुँचलाक एक घंटाक भीतरे हमरा लोकनिक सभ काज संपन्न भए गेल छल।आब निश्चिन्तसँ गेट नंबर बारहपर प्रतीक्षा कए रहल छलहुँ बोर्डिंगक घोषणाक कि ह्वात्सअप पर एकटा समाद आएल।समाद कि छल  बुझू जे एकटा बम छल। हमरा लोकनिक समस्त योजनापर तुषारापात भए गेल छल। दिनमे दू बाजि कए दस मिनटपर उड़ए बला इन्डिगोक बिमान रद्द भए चुकल छल।कारण?कहाँ दनि दरभंगा हबाइ अड्डापर  मौसम जहाजक उतरबाक अनुकूल नहि छल। यात्रीसभ बहुत परेसान भए गेल रहथि,तनाओमे अर-बर बाजि रहल रहथि।यात्री इन्डिगोक महिला अधिकारीक संगे दुर्व्यवहार करैत देखल गेलथि।दू-तीनटा यात्री तँ भयाओन हंगामा करैत रहलाह।ओही समयमे हम अपन ग्रामीण आदरणीय श्री अनिला झाजीकेँ पटना फोन केलिअनि।कहलिअनि-

“हबाइ जहाज रद्द भए गेल।”

से जानि ओहो चिंतित भेलाह। मुदा उपाय की?

यात्री लोकनक द्वारा हंगामा बढ़ैत देखि इन्डिगोक अधिकारी लोकनि सभ यात्रीकेँ गेट नंबर ३२पर चलबाक लेल कहलथि। हम दुनू बेकती भारी हथझोरा उठओने ओहि गेटपर पहुँचलहुँ। ओतहु हंगामा होइते रहल,मुदा समाधान किछु नहि। बड़ी कालक बाद यात्री लोकनिकेँ प्रस्थान गेटपर बस द्वारा पहुँचा देल गेल। ओतहु ओहिना अव्यवस्था पसरल छल। यात्री लोकनि बेरा-बेरी खिड़कीपर अपन टिकट रद्द करा रहल छलाह। हमहूँ अपन टिकट रद्द करओलहुँ ,कारण कोनो दोसर नीक विकल्प नहि छल। हमरा लोकनि साँझमे एयर इन्डिआक जहाजसँ पटना जा सकैत छलहुँ। मुदा ओहूठाम जा कए राति भरि होटलमे रहए पड़ैत आ भोर भेने टैक्सी वा बससँ मधुबनी बिदा होइतहुँ। खर्च आ परेसानी दुनू होइत। तेँ हमसभ बहुत सोच-विचारक बाद अपन घर वापस आबि गेलहुँ। घर पहुँचलाक बाद हमर पोता-पोतीक प्रसन्नता देखैत बनैत छल। हमर पोता बाजल-

“दादी हलुआ आनए गेल छलथि?”

हबाइ अड्डासँ ग्रेटर नोएडा स्तित अपन घर वापस अबैत-अबैत परसूक स्पाइजेटमे नव टिकट बुक भए गेल छल।मौसम विभागक पूर्वानुमानमे ओहिदिन दरभंगाक मौसम नीक देखा रहल छलैक। यद्यपि दिल्लीमे मौसम नीक नहि रहितैक।मुदा दरभंगाक मौसम नीक भेनाइ बेसी जरूरी छलैक कारण ओहिठामक हबाइ अड्डापर जहाजक उतरबाक लेल बेसी नीक सुविधा नहि छैक। यदि मौसम खराप भेल,किंवा राति भए गेल तखन ओहिठाम जहाज नहि उतरि सकैत अछि।

एक दिन  नीकसँ विश्राम कलाक बाद हम दुनू बेकती फेर भोरे सात बजे हबाइ अड्डा बिदा भेलहुँ। ओहिठाम चेकिन कालेमे फेर उल्ट-पुल्ट समाचार सुनबामे आबि रहल छल।

“दरभंगाक जहाज तँ रद्द भए जेतैक।”

“दरभंगाक मौसम बहुत खराप छैक।”

ई सभ बात सुनलाक बाद मोन उदास भए जाएब स्वाभाविक छल। कारण ट्रेनक टिकट रद्द कए हबाइ जहाजक महग टिकट सुविधेक ध्यानमे लेने रही। नहि सोचि सकलिऐक जे दरभंगाक हबाइ जहाज तँ कटही गाड़ीओसँ खराप साबित हएत। मुदा आब की उपाय छल? ट्रेनक टिकट रद्द करबा चुकल रही। हबाइ जहाजक टिकट दोबारा बना लेने रही। तखन भेल जे लिखल हेतैक से हेतैक।हमसभ चेकिनक बाद गेट संख्या पन्द्रहपर पहुँचि गेल रही। ओहिठाम चाह-पानक उत्तम प्रबंध छल।दरभंगा गेनिहार बहुत रास यात्रीसभ तरह-तरहक गुलंजरसभ छोड़ि रहल छलाह। हम श्रीमतीजीक लेल पनपिआइक जोगार केलहुँ।अपने तँ चूरा दही भोरे खा लेने रही। फेर अखबारक जोगार केलहुँ, निचेनसँ अखबार पढ़लहुँ। एतेक समय बीति गेलाक बादो हबाइ जहाज जेबाक अनिश्चितता बनले छल। संयोगसँ ओही समयमे हमर ग्रामीण डाक्टर सच्चिदानन्द झाजी पत्नी सहित ओतहि भेटि गेलाह। लगभग बाइस वर्षक बाद हुनका लोकनिसँ भेंट भए रहल छल। आरकेपुरमक हमरासभक डेरापर लगभग बाइस साल पूर्व  ओ सभ आएल रहथि। तकर बाद एतेक पैघ अंतरालक बाद ओ सभ भेटलाह।निश्चय ई बहुत आनन्ददायक घटना छल। आब की ?हमसभ भरि छाक गप्प-सप्प केलहुँ।

डाक्टर सच्चिदानन्द झा

डाक्टर सच्चिदानन्द झाजी हमर गौंआ छथि।नेनामे हमसभ बहुत लगीच रही। ओ हमरासँ एक किलास वरिष्ठ रहथि। बादमे ओ वाटसन इसकूल मधुबनी चलि गेलाह।हम एकतारा हाइ इसकूलमे नाम लिखओलहुँ।हमरासभक  मैट्रिकक परीक्षाक सेंटर वाटसन इसकूलमे रहए।ओहि समयमे ओ ओतए पढ़ैत रहथि।हमर दोसर गौँआ आ सहपाठी श्री आनन्दचन्द्रजी सेहो ओही इसकूलमे रहथि आ  हमर हाल-चाल लैत रहथि।

सच्चिदानन्दजीक पिता स्वर्गीय घूरन बाबू इलाकाक प्रतिष्ठित लोक छलाह। ओ विद्यानुरागी रहथि।हमरा जखन कखनहु देखितथि तँ बहुत उत्साहित करितथि।लोकसभक सामनेमे प्रशंसा करितथि।एहिसभसँ हमर मनोबल बढ़ैत छल।हम आर बेसी जोर-सोरसँ पढ़ाइमे लागि जाइत छलहुँ।हुनकर ज्येष्ठ पुत्र स्वर्गीय विश्वंभर झाजी ओहि समयमे समाजमे चर्चित आ प्रतिष्ठित व्यक्ति छलाह। हमरा मोन पड़ैत अछि जे गामक पुस्तकालयमे जखन कखनहु हम जइतहुँ तँ ओ किताब लेबाक लेल उत्साहित करितथि।आदरणीय स्वर्गीय विश्वंभर झाजी अपना समयक बहुत यशस्वी समाजसेवी छलाह। ओ गाममे कैकटा संस्था जेना खादी भंडार,पुस्तकालय चलबैत छलाह,ओकर संस्थापक छलाह। खादी भंडारसँ तँ बहुत रास गरीबसभक गुजर होइत छल।ओ तत्कालीन राजनीतिमे सेहो दखल रखैत छलाह आ निरंतर पटना अबैत-जाइत रहैत छलाह।कंग्रेस पार्टीमे हुनकर धाख छलनि।अफसोचक बाद अछि जे बहुत कम बएसमे ओ स्वर्गीय भए गेलाह।हुनकर असमय मृत्युसँ लोकसभ बहुत दुखी भेल रहथि।ओहि समयमे हम गामे मे रही।अखन धरि हमरा ओ दृश्य मोन पड़ैत रहैत अछि  आ हम ओहि दुखद प्रसंगक  स्मरण कए मौन भए जाइत छी।एहि घटनासँ समाजक बहुत क्षति भेल छल।हुनकर बाद हुनकर चलाओल संस्थासभमे ओ जान नहि रहल ।क्रमशः ओ सभ बंद भए गेल।

डाक्टर सच्चिदानन्द झाजी वाल्यावस्थामे गाममे रहलापर हमर बाबूसँ संपर्कमे रहैत छलाह।पुस्तकालयक सामनेमे सोसाइटी आफिसमे ओ अबैत-जाइत रहैत छलाह।हम बेसी काल ओहीठाम पढ़ाइ करैत छलहुँ आ हुनकासँ ओतहि भेंट होइत छल।नेनाक हुनका संगे बिताओल गेल अविस्मरणीय क्षणमे छल हुनका ओहिठाम जा कए ग्रामोफोन सुनब। ओहि समयमे गाममे दू-तीन गोटेक घरमे ग्रामोफोन छलनि। हुनको ओहि ठाम बड़का ग्रामोफोन छलनि। हम ओहि ठाम जाइ।ओ अपन ग्रामोफोनपर गीतक रेकर्ड चलाबथि आ हमसभ गीतक आनन्द उठाबी।

बादमे हम नौकरीक लेल दिल्ली चलि गेलहुँ। ओ डाक्टरी पेशामे लागि गेलाह आ अनेक उच्चस्थान प्रप्त केलाह। ओहि दिन दिल्ली हबाइ अड्डापर बहुत दिनक बाद हुनकासँ भेंट भेलापर अद्भुत आनन्द भेल।बहुत रास गप्प-सप्प भेल।हुनकर श्रीमतीजीक हमर श्रीमतीजीक सेहो गप्प भेलनि। कह नहि सकैत छी जे ओ समय कतेक आनन्दसँ बितल। ओ सभ द्वारकासँ तीर्थाटन कए वापस आबि रहल छलाह। मुम्बईसँ दरभंगा ट्रेनसँ वापस अएबाक छलनि। मुदा ट्रेन मौसमक खरापीक कारण रद्द भए गेल। ओ तकर बाद हबाइ जहाजसँ दिल्ली आएल रहथि आ दिल्लीसँ दरभंगाक लेल हबाइ जहाज पकड़बाक क्रममे प्रतीक्षा कए रहल छलाह।

ओही बीचमे यात्रीसभ हंगमा करए लागल।ओ सभ स्पाइस जेटक अधिकारीकेँ वारंबार आग्रह करथि जे दरभंगाक जहाज जेबाक चाही,ओतए मौसम ठीक छैक।तेँ जहाज रद्द करबाक कोनो औचित्य नहि छैक। मुदा ओ कहथि जे हुनका सूचनाक अनुसार दरभंगाक मौसम ठीक नहि अछि। जहाज उड़ब अनिश्चित अछि। एकटा यात्री कहथि जे ओएह हबाइ जहाज लेह गेलैक अछि। लेह जेबामे विलंब भेलैक तेँ दरभंगाक उड़ानमे देरी देखा रहल छैक।यदि ओ जहाज लेहसँ उड़ि कए दिल्ली वापस आबि जाएत,तखने दरभंगाक लेल उड़ि सकत,अन्यथा रद्द भए जाएत।सोचल जा सकैत अछि जे हमसभ कतेक परेसान भए गेल रहब होएब। मुदा कइए की सकैत छलहुँ?

दू घंटा विलंबक बाद अचानक हबाइ जहाजक बोर्डिंग शुरू भए गेल।यात्रीसभ पाँति लगा लेलनि।हुनकासभक प्रसन्नताक तँ अन्ते नहि छल।हमहूँ हुनका संगे सामान लेने आगू बढ़ि रहल छलहुँ।आब जहाजमे पैसितहुँ कि पता लागल जे सभसँ बेसी हंगामा केनिहार  यात्रीकेँ हबाइ जहाजमे प्रवेश नहि देल जा रहल छनि,हुनका बाहरे रोकि लेने छनि।चारि-पाँचटा मुस्टंड घेरि लेने छनि।हुनकर मुँह देखए बला छल। ओ बहुत उदास आ दुखी छलाह।बादमे पता लागल जे ओ घटी मानलथि। तखन हुनको हबाइ जहाजमे जेबाक अनुमति दए देल गेलनि।

एक घंटा बीस मिनटमे हमसभ दरभंगा हबाइ अड्डापर उतरि गेल छलहुँ। हम कनी पाछू भए गेल रही। सामान लए जखन बाहर भेलहुँ तँ डाक्टर सच्चिदानन्दजीकेँ बाहर होइत देखलिअनि।हमहूँसभ सामान लेलहुँ आ हबाइ अड्डाक निर्गम द्वारि दिस बढ़ि गेलहुँ।कहबाक काज नहि जे अचानक भेल हुनकासँ ई भेंट बहुत आनन्दायी छल,अविस्मरणीय छल।








(क्रमशः)

 

रबीन्द्र नारायण मिश्र